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ISBN: 978-93-93166-40-1
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दुग्ध अपमिश्रण

  डॉ0 देवेश गुप्ता
एसोसिएट प्रोफेसर
डेयरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी
जे0वी0 कॉलेज, बड़ौत
बागपत  उत्तर प्रदेश, भारत  

DOI:
Chapter ID: 16390
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सारांश

प्रस्तुत लेख में दूध के वैधानिक स्तरदूध अपमिश्रण के पदार्थअपमिश्रण की जाँच विधियाँअपमिश्रण का दुग्ध अवयवों पर प्रभाव तथा सुझाव की चर्चा की गयी है।

प्रस्तावना

भारत का दुग्ध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान है। देश की जनता का उत्तम स्वास्थ्य रखने के लिए यह अति आवश्यक है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में ताजास्वच्छ तथा जीवाणुरहित दूध उपलब्ध होता रहे। दूध एक पूर्ण एवं पोषक महत्व में सर्वोत्तम आहार है। यह रोग के जीवाणुओं को पशु तथा कार्य करने वाले मनुष्य से अन्य तक पहुँचाने का एक साधन भी है। इस व्यवसाय में कार्य करने वाले व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए इसमें अनेकानेक पदार्थों का अपमिश्रण करते हैं जिससे इसके गुण और भी समाप्त हो जाते हैं।

उद्देश्य

अपमिश्रण की समस्या को रोकने तथा दूध एवं दुग्ध पदार्थों के संगठन को स्थिर बनाये रखने के लिए सरकार ने अवयवों के लिए न्यूनतम सीमाएं निर्धारित कीये विभिन्न दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों के लिए निर्धारित सीमाएँ ही वैज्ञानिक स्तर कहलाती हैं। इनकी सहायता से दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों में गुणों की रक्षा की जाती है।

दुग्ध अपमिश्रण के कारण: दुग्ध अपमिश्रण में बाहर से दूध में विभिन्न वस्तुओं को मिलाया जाता है जिनका मूल्य बहुत ही कम होता हैया दूध में से मूल्यवान अवयव जैसे वसा की कुछ मात्रा क्रीम के रूप में पृथक कर ली जाती है। इससे दूध के संगठन में परिवर्तन हो जाता है। यह परिवर्तन किसी एक या एक से अधिक अवयवों में सम्पूर्ण या कुछ सीमा तक होता है।

दूध स्वयं इस प्रकार की रचना का पदार्थ है जिसमें बिना मूल्य या सस्ते मूल्य के पदार्थों को सुविधापूर्वक मिलाया जाता है और हर व्यक्ति इस अनुचित लाभ को उठाने की कोशिश करता है। यहाँ तक कि घरों में मातायें भी परिवार की अधिक मात्रा में दूध का अपमिश्रण करती हैं। दूध का अपमिश्रण होने के निम्नलिखित कारण हैं-

1. शहरों में दूध की माँग व पूर्ति अपेक्षा बहुत अधिक है और यह दशा सब दिनों बनती रहती है। अतः इस व्यवसाय में कार्य करने वाले व्यक्ति लाभ प्राप्त हेतु अपमिश्रण करते हैं।

2. देश में दूध के वैज्ञानिक स्तर ठीक नहीं है। अतः हर व्यक्ति को अपमिश्रण करने का अवसर मिलता है। वैज्ञानिक स्तरों में निर्धारत की गई अवयवों की न्यूनतम निर्धारित मात्रायें सामान्य मात्राओं से बहुत ही कम हैंअर्थात् दोनों के बीच में एक बड़ी खाई है।

3. सरकार के नियमों में विशेष कठोरता नहीं है। अपमिश्रण करने वाले का अपराध स्वीकार या प्रकट हो जाने पर उन्हें विशेष दण्ड नहीं दिया जाता है। इससे अन्य व्यक्तियों की ओर प्रोत्साहन मिलता है।

4. दुगध उत्पादन का कार्य अधिकतर गाँवों में होता है। ग्रामीण कृषक की आर्थिक दशा ठीक न होने के कारण उन्हें अपमिश्रण का सहारा लेना पड़ता है।

5. हर चीजों में अपमिश्रण बढ़ जाने से जनता की अच्छी चीजें प्राप्त होने पर भी सदैव भय होता है। साथ ही जनता सस्ते दामों में चीजें प्राप्त करना चहती है। अतः दुग्ध में अपमिश्रण कर कम मूल्य पर बेचकर उपभोक्ता को सन्तुष्ट कर दिया जाता है।

दुग्ध में अपमिश्रण के लिये प्रयोग की जाने वाली वस्तुएँ

दूध के अपमिश्रण के लिये ऐसे पदार्थों का प्रयोग किया जाता है जिनके मिलाने से दूध के भौतिक एवं रासायनिक प्रकृति में कोई अन्तर न होने पाये। दूध के अपमिश्रण के लिये दूध में मिलाये जाने वाले पदार्थ निम्नलिखित हैं-

1. पानी मिलाना- पानी सबसे सस्ता पदार्थ है जो हर स्थल पर प्राप्त हो जाता है और दूध में मिलाया जाता है। गाँवों से शहर आने वाले दूध में रास्ते में मिलने वाली नदीनालों तथा तालाबों का पानी मिलाया जाता है। पानी मिलाने से लैक्टोमीटर रीडिंगवसा तथा वसा रहित ठोस की मात्रा कम हो जाती है। पानी मिले दूध में चावल का आटाचीनी आदि मिलाते हैं ताकि लैक्टोमीटर गणना अच्छे दूध के बराबर हो जाये।

2. दूध में से कुछ वसा निकालना तथा मक्खनियाँ दूध का अपमिश्रण- दूध में वसा ही विशेष मूल्यवान अवयव है अतः दूध से कुछ मात्रा वसा से पृथक कर ली जाती है अथवा अच्छे दूध में वसा रहित दूध की कुछ मात्रा मिला दी जाती है। ऐसा करने से वसा की मात्रा घटकर वसा रहित ठोस तथा लैक्टोमीटर दोनों ही बढ़ जाते हैं।

3. चीनी का अपमिश्रण- अन्य पदार्थों की अपेक्षा जो अपमिश्रण में काम आते हैं चीनी का मूल्य अधिक है। अतः चीनी का अपमिश्रण कम तथा कभी-कभी किया जाता है। इसके मिलाने से आघनत्व बढ़ जाता है।

4. स्टार्च या माढ़- जब दूध में पानी मिलाते है तो वसा तथा वसा रहित ठोस एवं अपेक्षित घनत्व घट जाता है। अतः वसा को छोड़कर अन्य अवयवों के लिये आटा/माढ़ आदि मिलाते हैं।

5. वसा रहित दुग्ध चूर्ण- वसा रहित दूध का पाउड़र जो बाजार में उपलब्ध होता है मिलाते हैं।

दुग्ध में अपमिश्रण की मात्रा ज्ञात करने की विधियाँ

दुग्ध में अपमिश्रण ज्ञात करने के लिये सबसे महत्वपूर्ण विधि दूध के भौतिक गुणों की परीक्षा करना है। इसके अतरिक्त अन्य परीक्षायें भी की जाती है। अपमिश्रण ज्ञात करने के लिये सभी उपयुक्त परीक्षण संक्षेप में निम्नलिखित हैं-

1. आपेक्षित घनत्व- स्वच्छ ताजे दूध का आपेक्षित घनत्व 200पर औसतन 1.030 माना गया है जबकि वसा रहित दूध का अपेक्षित घनतव 1.036 से 1.040 तक होता है। दूध का आपेक्षित घनत्व इसमें उपस्थित वसा तथा वसा रहित ठोस की मात्रा पर निर्भर करता है। दूध में पानी मिलाने से आपेक्षित घनत्व घट जाता है तथा वसा रहित दूध मिलाने अथवा वसा पृथक करने से आपेक्षित घनत्व बढ़ जाता है। जब दूध में पानी मिलाया गया हो और फिर वसा रहित दूध मिलाया गया हो तो आपेक्षिक घनत्व लगभग समान ही रहता है अतः इस प्रकार की अपमिश्रण लैक्टोमीटर से ज्ञात नहीं हो सकते हैं।

2. दुग्ध का अपवर्तनांक- अच्छे शुद्ध दूध का अपवर्तनांक 38.5 से 40.5 तक होता है। यदि यह 38.5 से कम हो हो तो दूध में जल का अपमिश्रण होता है।

3. दुग्ध का हिमाँक- दूध में अपमिश्रण की ठीक-ठीक मात्रा ज्ञात करने की विधि दुग्ध का हिमांक ज्ञात करना है। दूध का औसतन हिमांक- 0.5440होता है। दूध में थोड़ा सा ही पानी मिलाने पर इसके हिमांक में परिवर्तन आ जाता है।

4. वसा का पृथक कर लेना- अपमिश्रण से वसा को पृथक कर लेते हैं या वसा रहित दूध मिला देते हैं।

5. वीथ अनुपात ज्ञात करना- जल मिलाने से दूध का वीथ अनुपात जो कि प्रोटीन लैक्टीज तथा लवण भस्म में होता है बदल जाता है। अच्छे दूध का वीथ अनुपात 13:9:2 है।

6. स्टार्च की परीक्षा- दूध में स्टार्च की मात्रा ज्ञात करने के लिए संदेह युक्त दूध की एक परखनली में 10 मिलीटर लेकर उबालते हैंठण्डा होने पर आयोडीन की 1 मिलीटर मिलाते हैं। यदि स्टार्च की मिलावट की गई है तो गहरा नीला रंग आयेगा।

7. शर्करा की परीक्षा- इस परीक्षा के लिए एक परख नली में 1मिलीदूध, 1मिली0 HCL तथा 0.1 ग्राम रिर्सोसिनोल मिलाकर उबालते हैं। यदि शर्करा मिली होगी तो इसका रंग लाल हो जायेगा।

8. नाइट्रेट की परीक्षा- दूध में नाइट्रेट आयन्स नहीं रहते हैं जबकि पानी में इनकी उपस्थिति निश्चित है। जब गन्दे पानी का अपमिश्रण किया जाता है तो ये दूध में चले जाते हैं।

9. गाय का आँखों के सामने दुहना- कभी-कभी ऐसा होता हे कि स्वच्छ तथा ताजे दूध का संगठन अपमिश्रण किये दूध जैसा होता है। अतः दूध बेचने वाला उपभोक्ता के सामने पशु दुहता है और दूध की परीक्षा की जाती है।

दुग्ध अपमिश्रण को रोकने के लिए कुछ सुझाव

दुग्ध अपमिश्रण को रोकने के लिए ‘‘केन्द्रीय सलाहकार स्वास्थ्य समिति की खाद्य अपमिश्रण की रिपोर्ट के आधर पर जो सुझाव दिये गये वे निम्नलिखित हैं-

1. सरकार की वैधानिक स्तर पूरी से हर क्षेत्र में लागू करने चाहिए।

2. दुग्ध की परीक्षा करने वाले अधिकारी को सच्चाई तथा निष्ठापूर्वक कार्य करना चाहिए।

3. अपमिश्रण करने वाले व्यक्ति को उचित दण्ड दिया जाना चाहिये ताकि अन्य लोगों को ऐसा कार्य करने का साहस न हो।

4. सरकार को सहकारी दुग्ध समिति अधिक से अधिक क्षेत्र में स्थापित करके उतपादनकर्ता तथा उपभोक्ताओं के बीच में कार्य करने वाले व्यक्तियों को समाप्त किया जाये जिसके द्वारा अधिक अपमिश्रण होता है।

5. सरकार की शिक्षा तथा अन्य साधनों द्वारा जनता में उत्तम वस्तुओं के उपभोग की चेतना अथवा प्रेरणा देनी चाहिएक्योंकि आजकल जनता प्रायः सस्ती चीजें चाहती हैं उसकी जाति पर विशेष ध्यान नहीं देती है।

6. सरकार को परिवहन तथा विक्रय सुविधाँ अधिक से अधिक उत्पादनकर्ताओं तथा उपभोक्ताओं को प्रदान करनी चाहिएं ताकि उत्तम पदार्थ मिल सके।

7. सभी दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों के लिए वैधानिक स्तरों की निर्धारित करना आवश्यक है।

8. विभिन्न राज्यों के लिए वहाँ के क्षेत्रीय पशुओं के पृथक-पृथक स्तर निर्धारित होनी चाहिए। वसा रहित ठोस के अतिरिक्त अन्य अवयवों की मात्रा भी निश्चित करनी चाहिए।

9. इस व्यवसाय से सम्बन्धित नवीनतम परीक्षणों के लिए सभी सुविधाऐं प्रदान करें। कोई नवीन अनुसंधान की जानकारी वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय उत्पादक तथा उपभोक्ताओं को दी जाये।

सन्दर्भ

1. डेरी प्रौद्योगिकीडॉदेवेश गुप्ता एवं एच0सी0एलगुप्तारोहित पब्लिकेशन्सबड़ौत।

2. दुग्ध एवं दुगध प्रसंस्करणआई0जेजौहर एवं रामजती गुप्तारामा पब्लिकेशन्सबड़ौत।