शिक्षा में प्रौद्योगिकी का योगदान
ISBN: 978-93-93166-33-3
For verification of this chapter, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/books.php#8

आधुनिकीकरण के लिए शिक्षा

 रमेश कुमार प्रजापति
असिस्टेंट प्रोफेसर
शिक्षा विभाग
महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ
 वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत  

DOI:
Chapter ID: 17112
This is an open-access book section/chapter distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.

आधुनिकीकरण का अर्थ

सामान्यतः परिवर्तन की प्रक्रिया को आधुनिकीकरण कहा जाता है। यह प्रक्रिया परम्परावादी समाज को ऐसे समाज में परिवर्तित करने का प्रयास करती है जिसका आधार विज्ञान और तकनीकी हो। आधुनिकीकरण ऐसी प्रक्रिया है जो पुराने परम्परावादी समाज एवं राष्ट्र को सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक, टेक्नोलॉजिकल, राजनीतिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में नवीनता की ओर अग्रसर करती है। आधुनिकीकरण प्रक्रिया द्वारा सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक, टेक्नोलॉजिकल सांस्कृतिक, नैतिक, धार्मिक एवं शिक्षा के ढांचों तथा मूल्यों, अभिप्रेरणाओं, उपलब्धियों तथा आकांक्षाओं में वांछित परिवर्तन किये जाते हैं। इसमें पुराने विचारों एवं रूपों के स्थान पर नये विचार एवं रूप निरूपित किये जाते है। किसी भी सामाजिक व्यवस्था में नये परिवर्तनों को जन्म देने और उन्हें विवेकपूर्ण आत्मसात करने की क्षमता रहती   है। इसमें स्थिति विशेष के अनुसार योग्य एवं अयोग्य तथा उचित एवं अनुचित में अन्तर करने का विवेक निहित है।

आधुनिकीकरण द्वारा भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति (जिसमें सम्पूर्ण जीवन-विधि भी सम्मिलित है) में स्वीकारात्मक परिवर्तन किये जाते है आधुनिकीकरण का अर्थ प्राचीन मूल्यों को उखाड़कर फेंकना नहीं है।

आधुनिकीकरण को पश्चिमीकरण, उद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्म निरपेक्षीकरण, लोकतंत्रीकरण, शिक्षा के व्यवसायीकरण, बहुमुखी शिक्षा में टेक्नोलॉजी का प्रयोग, प्रसारण एवं यातायात के साधनों का विकास, नवीन सामाजिक एवं राजनीतिक पद्धतियों का निर्माण तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आदि रूपों में व्यक्त किया जाता है।

कुछ विचार 

1. सामान्य धारणा- आधुनिकीकरण का अर्थ है, उद्योगीकरण एवं स्वचालन।

2. मूर का विचार- आधुनिकीकरण का अर्थ ऐसा क्रान्तिकारी परिवर्तन है जो परम्परावादी समाज को विकसित, आर्थिक रूप से सम्पन्न और राजनीतिक रूप से अपेक्षाकृत अधिक स्थिर समाज में परिणत करता   है।

3. ब्लैक बेल्लाह का विचार- ‘‘आधुनीकीकरण का अर्थ है, किसी सामाजिक पद्धति में अपने भीतर एवं बाहर से सूचनाएं एकत्र करने और उनके प्रति उचित रूप से प्रतिक्रिया करने की क्षमता में वृद्धि।’’

4. प्रचलित अर्थ- प्रचलित अर्थ में आधुनिकीकरण उन नीतियों को कहा जाता है जिनका विकासशील देशों के नेताओं एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा अनुसारण किया जाता है। जो व्यक्ति इन परिवर्तनों को आरम्भ करते है, उन्हें ‘‘आधुनिक’’ की संज्ञा दी जाती है।

आधुनिकीकरण एवं पश्चिमीकरण
(Modernisation and Westernisation)

1. आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण नहीं है-

प्रायः पश्चिमीकरण को आधुनिकीकरण का पर्यायवाची समझ लिया जाता है परन्तु, वास्तव में ऐसा नहीं है पश्चिमीकरण एवं उद्योगीकरण को आधुनिकीकरण का एक अन्तर्मूत तत्व माना जाता   है।

2. पश्चिमीकरण अन्धानुकरण है-

पश्चिमीकरण का अर्थ है पश्चिमी देशों में प्रचलित मूल्यों एवं सामाजिक पद्धितियों का बिना सोचे-समझे अनुकरण करना परन्तु, आधुनिकीकरण किसी विशिष्ट स्थिति में अच्छे और बुरे में विवेकपूर्ण भेद करने की आवश्यकता पर बल देना। किसी विकसित देश के कुछ तत्वों को बिना सोचे समझे नकल करना आधुनिकीकरण नहीं   है।

3. पश्चिमीकरण आधुनिकीकरण की प्रवृत्ति है-

समाज में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं शिक्षा के क्षेत्रों में पश्चिमीकरण की प्रवृत्ति आधुनिकीकरण में दिखाई देती है, जो व्यक्ति को पारम्परिक मूल्यों को सुरक्षित रखना चाहते है वे भी पश्चिमी देशों के अच्छे गुणों का प्रयोग करने के पक्ष में पश्चिमीकरण आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर करता है। सामाजिक क्षेत्र में हम पश्चिम की वेशभूषा का अनुकरण करते हैं, उनके परिधान शैली को अपनाते हैं, नगर योजना में उनका अनुकरण करते हैं, परन्तु आधुनिकीकरण पश्चिम की जीवन-शैली, भाषा आदि का अनुकरण मात्र नहीं। सामाजिक क्षेत्र की अपेक्षा तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में पश्चिमीकरण की प्रवृत्ति अधिक दिखाई देती है, इससे कुछ सांस्कृतिक पिछड़ापन दिखाई देने लगा।

4. आधुनिकीकरण में भारतीयकरण-

भारतीय समाज के विकास में प्राचीन परम्पराओं एवं श्रेष्ठ मूल्यों का कभी भी त्याग नहीं किया गया। आधुनिकीकरण में हमारे प्राचीन इतिहास के भव्य प्रसंगों, शानदार परम्पराओं एवं आदर्शों की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। भारतीय समाज में आधुनिकीकरण में भारतीयता अवश्य प्रतिबिम्बित होनी चाहिए। जापान, ब्रिटेन और अमेरिका आधुनिक देश हैं, परन्तु उनकी आधुनिकता में उनका इतिहास अवश्य झलकता है।

5. पश्चिमीकरण एवं आध्यात्मिक मूल्यों का संश्लेषण-

पश्चिमीकरण ऐसी प्रक्रिया है जिसमें औद्योगीकरण, नगरीकरण, भौतिकवाद, प्रयोजनवाद एवं विज्ञान एवं टेक्नोलाजी के महत्व को सर्वाधिक स्वीकार किया गया है, परन्तु जीवन के अध्यात्मिक दृष्टिकोण की उपेक्षा कर दी जाती है। आधुनिकीकरण की जो अवधारणा हमारे सामने प्रस्तुत की जा रही है वह पश्चिमी मूल्यों से अत्यधिक प्रभावित है परन्तु, भारतीय दृष्टिकोण से आधुनिकीकरण में भौतिक और अध्यात्मिक मूल्यों का समन्वय होना चाहिये। भारतीय शिक्षा आयोग (1964-66) के अनुसार- ‘‘आधुनिकीकरण को यदि एक सजीव शक्ति बनाना है तो उसे आत्मा से अपनी शक्ति ग्रहण करनी होगी।’’

पश्चिमी देशों की युवापीढ़ी में सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों के पतन के कारण कई प्रकार की सामाजिक और नैतिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है।

हमें आधुनिकता की उस धारणा को स्वीकार करना होगा जो हमारी परम्पराओं तथा वर्तमान यथार्थ के अनुकूल हो। आधुनिक विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण, विवेकपूर्ण चिन्तन एवं व्यवहार समानता, स्वतंत्रता, व्यक्ति के व्यक्तित्व का सम्मान आदि मूल्यों के साथ समन्वय होना चाहिए अतः केवल पश्चिमीकरण ही आधुनिकीकरण  नहीं है।

आधुनिकीकरण की माँगें
(Demands of Modernisations)

1. उद्योगीकरण

विज्ञान पर आधारित टेक्नोलॉजी को अपनाना आधुनिक समाज का विशिष्ट तत्व है। विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के विकास के कारण कृषि समाज के स्थान पर उद्योग समाज का विकास हो रहा है। कृषि का स्थान उद्योग ले रहा हे। औद्योगिक क्षेत्र में स्वचालित मशीनों का प्रयोग हो रहा है। लघु उद्योगों के स्थान पर बड़े-बड़े उद्योग स्थापित हो रहे है। एक मशीन कई व्यक्तियों का काम कर सकती है। उत्पादन में वृद्धि हो रही है। अतः उद्योगीकरण, आधुनिकीकरण का एक मुख्य कारण है।

2. शहरीकरण

जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत में तेजी के साथ शहरीकरण का विकास हो रहा है। शहरों में गावों की अपेक्षा जीवन सुविधाएं अधिक होती है। शहरों में उच्च शिक्षा एवं चिकित्सा सहायता की बहुत सुविधाएँ हैं। शहरों में नौकरी के अधिक अवसर हैं, और मनोरंजन के साधन भी अधिक हैं। इन सुविधाओं के कारण ग्रामीणों का शहरों की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है। परिणामस्वरूप शहरों में भीड़ बढ़ गयी   है। आवश्यकता इस बात की है कि गांवों में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाय। इससे समूचे समाज को आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर करने में सहायता मिलेगी।

3. धर्म-निरपेक्षता

धर्म निरपेक्षीकरण से आधुनिकीकरण का विकास होता है। भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है, जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी भी धर्म का अनुयायी हो सकता है। आधुनिक समाज की बहुवाद (Pluralism) को महत्व देता है। करूणा एवं सहिष्णुता आधुनिकता के विशेष गुण हैं। यदि हम समाज को प्रगतिशील एवं समृद्ध बनाना चाहते हैं तो हमें लोगों को नैतिक शिक्षा प्रदान करनी होगी और हमें उन्हें धार्मिक सहिष्णुता की शिक्षा देनी होगी।

4. लोकतंत्रीकरण

भारत का तेजी के साथ लोकतंत्रीकरण हो रहा है। लोकतंत्र का अर्थ है, जनता की, जनता द्वारा, जनता के लिए सरकार। हमारे देश में प्रत्येक वयस्क को वोट देने का अधिकार है, प्रत्येक व्यक्ति कानून की दृष्टि में बराबर है और सबको समानता का अधिकार प्राप्त है। आर्थिक क्षेत्र में आर्थिक भेद को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। अनिवार्य प्राइमरी शिक्षा का लक्ष्य सर्वाधिक साक्षरता पर आधारित है। यद्यपि यह सत्य है कि प्राचीन भारत में लोकतांत्रिक प्रवृत्तियां थीं, परन्तु आधुनिक लोकतंत्र को विकसित करने में पश्चिमीकरण का अनुसरण किया जाता है।

5. मशीनीकरण

हम मशीनीयुग में रह रहे हैं। मशीनों का मनुष्य पर बहुत प्रभाव है। उसका चिन्तन, जीवन-स्तर, प्रसारण, यातायात एवं उत्पादन के साधन व्यापार उद्योग, सब कुछ मशीनों द्वारा प्रभावित है। मशीनीकरण और आधुनिकीकरण का गहरा सम्बन्ध है।

6. भौतिक दृष्टिकोण

आधुनिक मनुष्य भौतिकवादी बन चुका है। वह धन का पुजारी है। वह जीवन के सभी सुख साधनों जैसे- दूरदर्शन, वी.सी.आर., फ्रिज, वातानुकूल, वाहन आदि से आनन्द प्राप्त करना चाहता है। यह भौतिक दृष्टिकोण आधुनीकीकरण में सहायक सिद्ध होता है।

7. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

विज्ञान से वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उत्पन्न व्यक्ति उदार होता है। उसका चिन्तन आलोचनात्मक होता है और उसका निरीक्षण एवं निर्णय सत्य पर आधारित होता है। वह अन्धविश्वासों से मुक्त होता है। वह तत्वों के आधार पर निष्कर्ष निकालता है। समस्याओं के समाधान के लिए वह नियोजित प्रक्रिया को अपनाता है। वह दूसरों के दृष्टिकोण का आदर करता है और नये साक्ष्यों के आधार पर अपने निर्णय बदलने में तत्पर रहता है।

8. विवेकपूर्ण चिन्तन

मनुष्य को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना कहा जाता है क्योंकि, ईश्वर ने उन्हें बुद्धि दी है। वह विचारशील प्राणी है। विवेकपूर्ण चिन्तन उसे पर्यावरण को समझने एवं सुधारने में सहायता प्रदान करता है। इसी के परिणाम स्वरूप उसने एवरेस्ट को विजय किया है। विवेकपूर्ण चिन्तन में विश्वास आधुनिकीकरण का महत्वपूर्ण तत्व है।

9. परिवर्तन में विश्वास

परिवर्तन  जीवन का नियम है। समाज में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है। हमारे विचार से दृष्टिकोण, आंकाक्षाए, इच्छाएं एवं आशाएं परिवर्तित हो रही हैं। विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के परिणामस्वरूप जीवन के सभी क्षेत्रों में परिवर्तन हो रहा है।

10. आधुनिक जीवन-यापन में विश्वास (Faith in Modern Living)

आधुनिक जीवन-यापन में विश्वास आधुनिकीकरण के साथ सम्बन्धित है। विद्वान के वरदानों के कारण जीवन में उत्साह एवं रूचि विकसित हो रही है। आज हम पैदल चलने की अपेक्षा कार, स्कूटर, मोटरसायकिल, रेल अन्य यातायात के साधनों से जाना बेहतर समझते हैं। विज्ञान के बिना जीवन रसहीन और रंगहीन लगता है।

11. ज्ञान का विस्फोट

विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के विकास के कारण ज्ञान का विस्फोट हो रहा है, अर्थात् ज्ञान तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसने मनुष्य को पक्षी के समान उड़ने की योग्यता प्रदान की है। इसी के कारण टेलीफोन, मोबाइल और अन्य दूर संचार के साधनों द्वारा व्यक्ति अन्य व्यक्तियों से सुगमतापूर्वक सम्बन्ध स्थापित करता है। हमारे घरों, दुकानों तथा गलियों को बिजली से प्रकाशित किया जा रहा है। हमारी मशीनें, गाड़ियां, ट्रेनें आदि बिजली द्वारा सुगमतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती और चलती है। दैनिक और जटिल कार्यों को कम्प्यूटर के माध्यम से सरलता और सुगमतापूर्वक करते हैं। इस प्रकार विज्ञान का विस्फोट आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

12. व्यक्ति के गौरव का आदर (Respect for the Dignity of the Person)

लोकतंत्र, व्यक्ति के गौरव में विश्वास रखता है। इस ब्रम्हाण्ड में प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेद-भाव के महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति की महानता का आदर होना चाहिए। यह आधुनिकीकरण की ओर महत्वपूर्ण कदम है।

13.  अन्धविश्वासों को हटाना (Removal of Superstitions)

सभी देशों के सभी सम्प्रदायों में अन्धविश्वास विद्यमान है, परन्तु अनपढ़ और पिछड़ी जातियेां के लोग अन्ध-विश्वासों के बहुत शिकार   हैं। शिक्षा, सामाजिक जीवन में अन्धविश्वासों को समाप्त करने में सहायता प्रदान करती है। शिक्षा एवं विज्ञान के प्रसार के कारण अन्धविश्वासों में तेजी से कमी हो रही है। यह आधुनिकीकरण का परिणाम है।

14. वर्तमान और भविष्य पर विश्वास

आधुनिकीकरण अतीत की अपेक्षा वर्तमान एवं भविष्य पर बल देता है। आधुनिक मनुष्य उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित बनाने के लिए वर्तमान स्थितियों को सुधारने का प्रयास करता है।

15. अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण

मेरा देश, चाहे वह ठीक हो या गलत, इससे ज्यादा खतरनाक धारणा आज के युग में और कोई नहीं है। समूचे विश्व के देश आज इस प्रकार अंतर्सम्बन्धित हैं कि कोई भी देश अकेला रहने का दु:साहस नहीं कर सकता है। आज के युग में विश्व नागरिकता का विकास इतना महत्वपूर्ण है जितना राष्ट्रीय नागरिकता का विकास। अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण और आधुनिकीकरण का परस्पर गहरा सम्बन्ध है।

आधुनिकीकरण के लिए शिक्षा-

शिक्षा और आधुनिकीकरण का गहरा सम्बन्ध है। दोनों विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे की सहायता करते हैं। शिक्षा आधुनिकीकरण में सहायक होती है और आधुनिकीकरण शिक्षा को बेहतर बनाता है। शिक्षा प्रभावशाली आधुनिकीकरण का प्रभावशाली साधन है। यदि समाज को, अपने आपको आधुनिक बनाना है, तो उसके लिए अपने आप को शिक्षित बनाना अत्यन्त आवश्यक है।

1. शिक्षा के उद्देश्य-

शिक्षा के उद्देश्य समय के अनुसार होने चाहिये। भारतीय शिक्षा आयोग 1964-66 के अनुसार शिक्षा के परिवर्तन में आवश्यक कोई भी सुधार नहीं। इसे लोगों के जीवन, उनकी आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं के साथ सम्बन्धित करने का प्रयास करना चाहिए और इस प्रकार से समाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन का सशक्त साधन बनाना चाहिए जो हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सहायक है-

(क) उपादेयता में वृद्धि-

शिक्षा का एक उद्देश्य उपादेयता में वृद्धि होनी चाहिए। इसके लिए विज्ञान की शिक्षा, कार्य अनुभव एवं सैकेण्डरी शिक्षा का व्यक्त समीकरण।

(ख) समाजिक और राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति-

शिक्षा के सम्मुख सामाजिक और राष्ट्रीय एकता का उद्देश्य होना चाहिये जिसकी प्राप्ति के लिए सार्वजनिक शिक्षा की सार्वजनिक स्कूल पद्धति को कुशलतापूर्वक कार्यान्वित करना। सभी स्तर के विद्यालयों के लिए सामाजिक और राष्ट्रीय सेवा को अनिवार्य करना।

(ग) आधुनिकीकरण की गति तेज करना-

आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए शिक्षा द्वारा जिज्ञासा को जागृत करना, उचित रूचियों और अभिरूचियों का विकास करना।

(घ) सामाजिक नैतिक ओर अध्यात्मिक मूल्यों का विकास-

शिक्षा द्वारा सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास किया जाना चाहिए।


2. आधुनिकीकरण और पाठ्यक्रम

पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए जो शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक हो-

(क) व्यापक और विद्यार्थी केन्द्रित पाठ्यक्रम-

शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्राइमरी, सेकेण्डरी एवं विश्वविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रम को व्यापक और विद्यार्थी केन्द्रित बनाना चाहिए। इसमें विद्यार्थी द्वारा प्राप्त अनुभव सम्मिलित किये जाने चाहिए।

(ख) समुदाय केन्द्रित-

पाठ्यक्रम स्थानीय आवश्यकताओं तथा पर्यावरण की मांगों को सामने रखकर बनाया जाना चाहिए। यह समाज की बदलती हुई आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए।

(ग) सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण-

पाठ्यक्रम सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सम्पन्न होना चाहिए इसमें व्यवसायिक और औद्योगिक एवं तकनीकी कोर्स सम्मिलित किये जाने चाहिए।

(घ) संयुक्त पाठ्यक्रम-

पाठ्यक्रम द्वारा संयुक्त ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए इसके द्वारा संसार एक संयुक्त इकाई के रूप में दिखाई देना चाहिए।


3. आधुनिकीकरण और शिक्षण विधियां-

शिक्षा के आधुनिकीकरण ने कई प्रगतिशील शिक्षण विधियों को जन्म दिया। ये विधियां वैयक्तिक विभिन्नताओं, कार्य के सीखने तथा स्वतंत्रता के सिद्धान्तों पर आधारित है। कम्प्यूटर द्वारा शिक्षण, अभिक्रमित अधिगम, माइक्रो शिक्षण, यर्थाथवत् शिक्षण, समूह शिक्षण प्रोजेक्ट विधि, हयूरिस्टिक विधि, प्रयोगात्मक विधि, भाषण प्रदर्शन विधि, सेमिनार आदि विधियों का प्रयोग किया जाता है।

आधुनिकीकरण और अध्यापक

आधुनिकता एक व्यापक दृष्टिकोण है जो एक ओर नये वर्तमान, वास्तविकता एवं वैज्ञानिकता पर बल देता है और दूसरी ओर स्वतंत्रता, समानता, भातृभाव एवं न्याय पर बल देता है। शिक्षा एक ऐसा अभिकरण है जो रूचियों दृष्टिकोणों एवं मूल्यों को विकसित करता है और अध्यापक उसका मुख्य अभिकर्ता होता है। इस प्रकार शिक्षा और अध्यापक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण स्थान के अधिकारी हैं। आधुनिकीकरण में अध्यापक को सक्षम और कुशल होना चाहिए, क्योंकि उसे युवा पीढी का निर्माण करना है। अध्यापक को विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास, सकारात्मक, जिज्ञासापूर्ण, रचनात्मक आदि गुणों का विकास करने वाला होना चाहिए। अध्यापक का व्यवहार, दृष्टिकोण धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। उसे सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। विद्यार्थियों एवं सहकर्मियों से कार्य व्यवहार करते हुए उसे जाति समुदाय तथा वर्ग की संकीर्णताओं को त्याग देना चाहिए। विभिन्न धर्मों के महान सन्तों की जयन्तियां मनाते समय तथा प्रातःकालीन सभाओं में महान ग्रन्थों का पाठ करते समय उसे मानवतावाद के महान आदर्शों, शान्ति, सद्भावना, भ्रातृमान, अहिंसा आदि को सम्मुख रखना चाहिए।

आधुनिकीकरण और अनुशासन

(क)  स्वतंत्र अनुशासन-

आधुनिकीकरण स्वतंत्र अनुशासन के पक्ष में है। विद्यार्थियों को कुछ सीमाओं के साथ स्वतंत्र होना चाहिए।

(ख) आत्म अनुशासन-

आत्म अनुशासन आधुनिकीकरण का सार है। आत्म अनुशासन ही सच्चा अनुशासन है। इसमें समुदाय की बदलती हुई भागों के अनुरूप अपनी प्रवृत्तियों एवं इच्छाओं को बदलने की जरूरत है।

(ग) सहयोगात्मक अनुशासन-

आधुनिकीकरण, प्रेम सहानुभूति तथा मानवीय सम्बन्धों पर आधारित सहयोगात्क एवं निर्माणात्मक अनुशासन पर विश्वास करता है। यह ठीक समय पर ठीक विधि से काम करने की धारणा पर आधारित है।

(घ) जीवन का अनुशासन-

अनुशासन आचरण का कोरा सिद्धान्त नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण विधि   है। यह ऐसा गुण है, जो उत्तम व्यक्तित्व के विकास एवं आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आधुनिकीकरण एवं स्कूल प्रशासन

आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के कारण स्कूल प्रशासन में वैज्ञानिक और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। स्कूल प्रशासन विभिन्न लोकतांत्रिक सिद्धान्तों पर आधारित होना चाहिए। समानता का सिद्धान्त, लोकतांत्रिक दर्शन का सिद्धान्त, सहयोग का सिद्धान्त, न्याय का सिद्धान्त, नेतृत्व का सिद्धान्त, तालमेल का सिद्धान्त, कार्यकुशलता का सिद्धान्त, सापेक्षित मूल्यों का सिद्धान्त।