Research Castle
ISBN: 978-93-93166-63-0
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समाधान-दुग्ध के भौतिक-रासायनिक गुण

  अनिल कुमार गुप्ता
सह - प्राध्यापक
विभाग डेयरी एससी के. एवं टेक (पूर्व में ए.एच एवं डेयरी)
आर.के. (पी.जी.) कॉलेज
 शामली, यूपी, भारत 

DOI:10.5281/zenodo.10339714
Chapter ID: 18317
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प्रस्तावना

दुग्ध एक सकीर्ण रासायनिक पदार्थ है जिसमें सम्पूर्ण दुग्ध वसा प्रतिलम्बन (Emulsion) के रूप में प्रोटीन तथा कुछ खनिज लवण जैसे फॉस्फेट केलासीय (Colloidal) के रूप में तथा लैक्टोज के साथ खनिज लवण तथा व्हे प्रोटीन (Whey Protein) पूर्ण विलयन (True Solution) के रूप में होते हैं। दुग्ध में उपरोक्त सभी अवयव एक साथ किसी द्रव की तीन अवस्थाओं में होने के कारण इनकी मात्राओं में बदलाव होने के कारण इनका सीधा प्रभाव दुग्ध के गुणों व भौतिक-रासायनिक गुणों पर पड़ता है। इसके बावजूद भी दुग्ध के कुछ गुण स्वभावतः स्थिर रहते हैं। दुग्ध में अपमिश्रण एक सामान्य प्रक्रिया है। दुग्ध में अपमिश्रण करने से दुग्ध के अवयवों की मात्रा व गुणों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यद्यपि दुग्ध का एक विषेष गुण दुग्ध में पूरे अपमिश्रण की जानकारी देने में पर्याप्त नहीं है। अतः हमें सभी गुणों का अध्ययन करना अपमिश्रण् की प्रकृति व मात्रा को ज्ञात करने के लिए अति आवश्यक है। अपमिश्रण के कारण दुग्ध के भौतिक रासायनिक गुणों में बहुत अन्तर बढ़ जाता है। इस अन्तर को तभी समझा जा सकता है जबकि हमें सामान्य दुग्ध के भौतिक रासायनिक गुणों की पर्याप्त जानकारी हो।

डेरी उद्योग का अधिकांशतः औद्योगीकरण होने के कारण दुग्ध की विभिन्न प्रक्रियाएं (Processing) एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुकी है। दुग्ध की इन विभिन्न प्रक्रियाओं में दुग्ध अवयवों के स्वरूप में बहुत परिवर्तन आते हैं जिसके लिए सामान्य दुग्ध के भौतिक रासायनिक गुणों का अध्ययन अति आवश्यक है। इसके अलावा दुग्ध को विभिन्न दुग्ध पदार्थों में परिवर्तन से दुग्ध पदार्थों के विभिन्न रासायनिक संगठन व स्वरूप के अनुसार दुग्ध अवयवों की मात्रा व प्रकृति में परिवर्तन आते हैं। दुग्ध के इन भौतिक-रासायनिक गुणों के अनुसार अन्तिम दुग्ध पदार्थ की गुणवत्ता तथा मात्रा निर्धारित होती है। उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि सामान्य दुग्ध के भौतिक-रासायनिक गुणों के विषय में पूर्ण ज्ञान परम आवश्यक है। इस अध्याय में दुग्ध के विभिन्न भौतिक रासायनिक गुणों पर सार्थक प्रकाश डाला गया हैः

1. रंग (Colour)

दुग्ध का सफेद रंग इसके अन्दर उपस्थित अवयव कोलाइडी कैल्शियम-केसीनेट, कैल्शियम फॉस्फेट तथा प्रतिलम्बन (Emulsion) अवस्था में बाना की सूक्ष्म गालिकाओं से प्रकाश की किरणें परावर्तित होकर फैल जाती हैं जिसके कारण दुग्ध का रंग सफेद अपारदर्शी दिखाई देता है। दुग्ध को गर्म करने पर वह अधिक सफेद प्रतीत होने लगता है। इसका कारण विलेय प्रोटीन्स विक्रतीकरण (Denaturation) होता है। फलस्वरूप सकंदन द्वारा कणों का आकार काफी बड़ा हो जाता है तथा वे प्रकाश का परावर्तन (Reflection) करने लगते हैं। गाय का दुग्ध इसकी वसा में निहित कैरोटिन के कारण पीला दिखाई देता है। कैरोटिन पिगमेन्ट्स विटामिन ए का पूर्वगामी (Precursor) है। यह पीला रंग का पदार्थ दुग्ध के चारे से मिलता है जो कि ग्रीष्म ऋतु की तुलना में इस पिगमेन्ट्स (Pigments) की मात्रा अधिक होती है।

सामान्य दुग्ध से अम्ल या रेनेट डालकर वसा तथा केसीन को अवक्षेपण रूप में अलग करने के पश्चात् प्राप्त व्हे (Whey) प्राप्त होता है उस रंग हरित-पीला (Greenish Yellow) Riboflavin रंग युक्त पदार्थ के कारण होता है।

2. स्वाद, सुवास व गंध (Taste, Aroma and Flavour)

दुग्ध का हल्का मीठा स्वाद उसमें उपस्थित लेक्टोज के कारण होता है। रवीस तथा ब्यॉत का अन्तिम अवस्था का दुग्ध का स्वाद हल्का नमकीन हो जाता है जो कि दुग्ध में उपस्थित क्लोराइड के कारण होता है क्योंकि इस अन्तिम ब्यॉत अवस्था से दुग्ध में क्लोराइड की मात्रा अधिक तथा लेक्टोज कम हो जाता है। दुग्ध में पायी जाने वाली एक विशिष्ट प्रकार की गंध उसमें पाये जाने वाले मुख्यतः कम अणु भार वाले वसीय अम्लों के कारण होती है।

गंध = स्वाद + सुवास

Flavour = Taste + Aroma

3. क्वथनांक (Boiling Point)

वह तापक्रम जिस पर कोई तरल पदार्थ (दुग्ध) उष्मा लेकर द्रव्य अवस्था से वाष्प (Vapour) अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, क्वथनांक कहलाता है। दुग्ध में यह विभिन्न घुलनशील पदार्थों की उपस्थिति के कारण होता है। इनकी पदार्थों की मात्रा बढ़ने से दुग्ध में क्वथनांक भी बढ़ जाता है इसीलिए दुग्ध का क्वथनांक

100.17°C पानी के क्वथनांक (100°C) से अधिक होता है। दुग्ध में पानी का अपमिश्रण करने से उसका क्वथनांक कम हो जाता है। दुग्ध को गाढ़ा करने पर उसमें घुलित पदार्थों की मात्रा बढ़ने से उसका क्वथनांक भी बढ़ जाता है।

4. विशिष्ट उष्मा (Specific Heat)

किसी द्रव्य पदार्थ (दुग्ध) की 1 मि॰ली॰ मात्रा का तापमान 1°C बढ़ाने के लिए जितने कैलोरी ताप की आवश्यकता होती है उसे उस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा या ताप कहते हैं। दुग्ध का यह मान 15.5°C तापक्रम पर 0.945 होता है। यद्यपि दुग्ध का क्वथनांक (100°C) पानी के क्वथनांक (100°C) से अधिक होता है लेकिन फिर भी दुग्ध पानी की तुलना में शीघ्र उबलने लगता है क्योंकि दुग्ध को पानी की अपेक्षा प्रति ईकाई कम ताप की जरूरत होती है पानी की विशिष्ट उष्मा 1 होती है।

5. आसंजकता (Adhesiveness)

दुग्ध में चिपकने (Adhesive) का गुण होता है जो कि इसमें उपस्थित केसीन होने के कारण होता है यदि एक कागज के टुकड़े को दुग्ध में भिगोकर यदि किसी लकड़ी, धातु अथवा शीशी की समतल जगह पर चिपकाया जाये उस स्थिति में कागज वैसे ही चिपक जाता है जिस प्रकार यदि कोई चिपचिपा पदार्थ सरेस (Glue) लगाने पर चिपकता है।

6. झाग (Foam)

यह गुण दुग्ध में लेक्टोज एल्युमीनियम व कैल्शियम केसीनेट के कारण होता है। वसा की थोड़ी सी मात्रा झागों को कम करती है। सप्रेटा दुग्ध में वसा न होने के कारण ही झाग उत्पन्न होते हैं।

7. प्रसार गुणांक (Coefficient of Expansion)

जब हम दुग्ध को गम करते हैं तब उसका आयतन (Volume) बढ़ता है तथा ठंडा करने पर कम होता है। प्रत्येक ईकाई तापमान के बढ़ने से आयतन में वृद्धि का अनुपात प्रसार गुणांक कहलाता है। इस गुण को हमें जब ध्यान रखना चाहिए जब हम दुग्ध को बोतलों में भरते हैं यदि प्रसार गुणांक के लिए बोतलों में स्थान नहीं देंगे उस स्थिति में गर्म करने पर दुग्ध ब्ंच से बाहर निकल जाएगा।

8. गाढ़ापन अथवा श्यानता (Viscosity)

किसी द्रव्य के बहने में रूकावट का गुण उस पदार्थ की श्यानता कहलाता है।

"The Viscosity of any substance is its resistance to flow" यह गुण उस द्रव्य (दुग्ध) के एक अणु से दूसरे अणु के चलने से उत्पन्न घर्षण है। यह दुग्ध में वसा तथा प्रोटीन (कैल्शियम केसीनेट) के कारण होती है। इसकी ईकाई Centipoise (1/100 paise) होती है। दुग्ध की श्यानता 20ºC तापक्रम पर 1.5-2.0 Centipoise होती है जबकि पानी के इसी तापक्रम पर 1.005 Centipoise होती है। श्यानता व तापक्रम का विपरीत सम्बन्ध होता है। तापक्रम बढ़ने पर श्यानता घटती है।

दूध में वसा की मात्रा बढ़ने से श्यानता बढ़ती है। दुग्ध की अधिक श्यानता क्रीम पृथक्करण (Cream Seperation) में बाधा डालती है।

क्रीम की Richness का परीक्षण करने में श्यानता का गुण अधिक महत्त्वपूर्ण होता है। दुग्ध में इसको Oswald Pipette Method, Mac Michael Viscosimeter तथा Falling Ball Viscosimeter द्वारा नापा जाता है।

9. पृष्ठ तनाव (Surface Tension)

1 से॰मी॰ प्रष्ठ (Surface) को तोड़ने हेतु जितने बल की आवश्यकता होती है उस बल को प्रष्ठ तनाव के नाम से जाना जाता है।

"The force required to break 1 cm of surface is known as surface tension."

इसकी मापन ईकाई Dynes/cm होती है। 20ºC तापक्रम पर दुग्ध का प्रष्ठ तनाव 40-60 Dynes/cm होता है जबकि पानी का 20ºC तापक्रम पर ही 72-75 Dynes/cm होता है।

‘‘एक डाइन वह बल है जो किसी पदार्थ के 1 ग्राम भार पर क्रिया करने से उसे 1 सैकण्ड में 1 से॰मी॰ खिसका देता है।’’

यह दुग्ध में अणुओं के असन्तुलित आकर्षण (Imbalance force of Attraction) के कारण होता है। दुग्ध में पानी की मिलावट करने पर अपमिश्रित दुग्ध का प्रष्ठ तनाव बढ़ जाता है जबकि प्रोटीन, वसा की मात्रा दुग्ध में बढ़ाने पर प्रष्ठ तनाव कम हो जाता है लेकिन तापक्रम बढ़ने पर दुग्ध का प्रष्ठ तनाव बढ़ने लगता है। इसको दुग्ध में Tensiometer method, Drop numbers method से नापा जा सकता है।

10. विद्युत संवाहकता (Electrical Conductivity)

किसी पदार्थ की विद्युत संवाहकता उस पदार्थ के प्रतिरोध (Resistance) का विपरीत होता है।

"The reciprocal value of the resistance is known as E.C."

दुग्ध की विद्युत संवाहकता उसमें उपस्थित आयनिक सान्द्रय पर आधारित है। यह मुख्यतः दुग्ध की उपस्थित Na+, K+ तथा Cl आयन्स के कारण होती है। दुग्ध की EC 25°C पर 4.2  से 6.9 Milli mhos होती है।

इसमें 60-80% क्लोराइड आयन्स के कारण होती है। यही कारण है कि पशु का थनैला (Mastitis) बीमारी होने पर क्लोराइड बढ़ने के कारण विद्युत संवाहकता बढ़ जाती है। दुग्ध में अम्लता, तापमान बढ़ने पर EC बढ़ जाती है लेकिन पानी अथवा वसा की मात्रा बढ़ने से EC कम हो जाती है। दुग्ध में इसको Wheat Stone's bridge के द्वारा नापा जाता है।

11. वर्तनाँक (Refractive Index)

जब कोई प्रकाशीय किरण (Incident Ray) किसी विरल माध्यम (Less dense medium) वायु से सघन माध्यम (Moredense medium) दुग्ध सीरम अथवा घी में किसी कोण (Angle) पर प्रवेश करती है तो वह तल (Surface) पर अविलम्ब (Normal) की ओर झुक जाती है अर्थात् परावर्तित (Refract) होती है। इस प्रकाश की किरण के झुकाव को sin 'i' तथा sin 'r' से व्यक्त किया जाता है और इनके बीच में जो अनुपात (Ratio) प्राप्त होता है वह संघन माध्यम (दुग्ध) का वर्तनाँक वायु (Air) की तुलना में जाना जाता है। इसको म्यू (m) से व्यक्त करते हैं। अतः

पानी का RI 20°C पर 1.33 जबकि 20°C पर दुग्ध का RI 1.314 से 1.348 होता है। दुग्ध में यह उपस्थिति प्रोटीन तथा लेक्टोज के कारण होता है।

वर्तनाँक निकालकर दुग्ध में पानी के अपमिश्रण का पता लगाया जा सकता है। दुग्ध में इसको Abbe's refractometer, immersion refractometer से नापा जा सकता है।

12. आपेक्षित घनत्व (Specific Gravity)

किसी पदार्थ की एक ईकाई आयतन की मात्रा को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं-

इसको किसी तापक्रम पर 4°C gm/ml  में व्यक्त किया जाता है। किसी निश्चित तापक्रम (4°C) पर किसी आयतन के दुग्ध की मात्रा इसी तापक्रम (4°C) पर उतने ही आयतन जल की मात्रा का अनुपात आपेक्षित घनत्व कहलाता है।

पानी का घनत्व 4°C पर 1 होता है। अन्य पदार्थों का आपेक्षित घनत्व ज्ञात करने के लिए पानी के घनत्व से उसके घनत्व की तुलना करते हैं चूँकि दुग्ध, पानी की तुलना में भारी होता है क्योंकि उसमें ठोस पदार्थ होते हैं। अतः उसका आपेक्षित घनत्व 1 से अधिक होता है। दुग्ध का आपेक्षित घनत्व, ताप का विलोम अनुपाती (inversly Proportional) होता है।

दुग्ध का आपेक्षित घनत्व उसमें पाये जाने वाले विभिन्न अवयवों की मात्रा पर आधारित होता है क्योंकि दुग्ध के प्रत्येक अवयव का आपेक्षित घनत्व भिन्न-भिन्न निम्न प्रकार होता है-

अवयव

आपेक्षिक घनत्व

दुग्ध का प्रकार

आपेक्षिक घनत्व

Water पानी

1.000

Cow's Milk गाय का दुग्ध

1.028-1.030

Fat वसा

0.915-0.945

Buffalo Milk भैस का दुग्ध

1.030-1.032

Lactose लैक्टोज

1.660-1.670

Separated Milk पृथक्करण दुग्ध

1.035-1.040

Protein प्रोटीन

1.310-1.340

क्रीम ¼20% वसा½

1.016

Mineral खनिज लवण

4.000-4.120

 

 

Solid Not fat वसा रहित ठोस

1.600-1.638

 

 

इस प्रकार दुग्ध में दो प्रकार के अवयव होते हैं। एक वह जिनका आपेक्षित तत्व दुग्ध से कम जैसे वसा, पानी तथा दूसरे वह जिनका आपेक्षिक घनत्व दुग्ध अधिक होता है, जैसे लैक्टोज, प्रोटीन व लवण।

आपेक्षित घनत्व का अपमिश्रण ज्ञात करने में बहुत महत्व है। दुग्ध में पानी, क्रीम मिलाने पर आपेक्षिक घनत्व कम हो जाता है जबकि सप्रेटा दुग्ध, क्रीम के निष्कासन से आपेक्षिक घनत्व बढ़ जाता है।

रिचमन्ड (Richmonds) ने दुग्ध के आपेक्षित घनत्व और उसके संगठन में निम्न सम्बन्ध स्थापित किया-

(Total Solids)        TS % = 0.25L + 1.21F + 0.66 at 20°C

L = Correct Lactometer Reading (C.L.R.) or 1000 (d–1)

F = Fat %

d = Density of milk at 20°C

S.N.F. % = T.S. % – Fat %

(Solids not fat)

दुग्ध में आपेक्षित घनत्व R.D. Bottle Method, West phal Balance Method तथा Lactometer Method द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।

13. हिमांक बिन्दु (Freezing Point)

यह दुग्ध का सबसे अधिक स्थिर गुण है। वह तापमान जिस पर कोई द्रव्य पदार्थ ठोस का रूप धारण कर लेता है, हिमांक कहलाता है। किसी घोल (द्रव्य) का हिमांक उसके रसाकर्षण दाब (Osmatic Pressure) अथवा उसमें घुले हुए तत्वों जैसे लेक्टोज (कुल का 75%) व खनिज लवण के कारण होता है, दुग्ध का Freezing Point & 0.530°C to 0.550°C होता है। दुग्ध में पानी मिलाने पर हिमांक बढ़ जाता है। अतः दुग्ध में पानी का अपमिश्रण का पता हिमांक ज्ञात करके किया जाता है। हिमांक के ऋणात्मक चिन्ह को FPD (Freezing Point Depression) शब्द के प्रयोग से समाप्त किया जाता है।

इसको निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जाता है-

FPD of Milk = Freezing Point of Water – Freezing Point of Milk

FPD = 0 – (–0.55) = +0.55

 दुग्ध को हिमांक Hortvet Cryscope नामक यन्त्र द्वारा ज्ञात किया जाता है।

14. अम्लता (Acidity)

दुग्ध में अम्लता लैक्टिक अम्ल के कारण होती है। यह दुग्ध में दो प्रकार की मिलती है-

प्राकृतिक अम्लता (Natural Acidity)

यह दुग्ध में पशु से तुरन्त दुग्ध दोहने के बाद पायी जाती है। इसका दुग्ध में मान 0.11-0.16 प्रतिशत तक होता है, इसके निम्न कारक अथवा अवयव हैं।

कारक (Factors) / कारक (Constituents)

प्रतिशत अम्लता (%acidity)

CO2

0.01-0.02

Citrate

0-01

Casein

0.05-0.08

Albumin

Less Than 0.01

Phosphate

Remaining

विकसित अम्लता (Developed Acidity)

जब दुग्ध को दोहन के पश्चात् कमरे के तापक्रम कुछ समय तक रखा जाता है तो उसमें वातावरण से जीवाणु प्रयोग करते हैं। ये जीवाणु मुख्यतः Streptococcus Lactis दुग्ध के लेक्टोज को किण्वित करके लैक्टिक एसिड में बदल देते हैं और विकसित अम्लता बढ़ाकर 0.19% तक कर देते हैं।

Titratable acidity = Natural acidity + Developed acidity

        (अनुमापन अम्लता)       (प्राकृतिक अम्लता)  (विकसित अम्लता)

दुग्ध में 0.3-0.4% तक अम्लता होने पर खटास (Sourcing) उत्पन्न हो जाती है तथा अम्लता 0.6-0.7% तक pH 4.6 पर Casein स्कंदित (Precipitate) हो जाती है।

अनुमापन अम्लता को किसी क्षारीय (N/9 or N/10 NaOH) के द्वारा Phenol Phtalein indicator की उपस्थिति में अपुमापन करके ज्ञात कर लेते हैं।

अम्लता दुग्ध के ताजा व बासी होने पर सूचक के रूप में होती है। अम्लता को संचय तापक्रम, वसा रहित गैस (S.N.F.)/सप्रेटा द्वारा अम्लीय चारा खिलाना (Acdedic Fedder Feeding) बढ़ाते हैं जबकि दुग्ध का गर्म करना, थनैला रोग से ग्रसित दुग्ध मिलाना, पानी मिलाना आदि कारक अम्लता को घटाते हैं।

15. पी.एच. (pH)

किसी पदार्थ में उपस्थित हाइड्रोजन आयन सान्द्रता को pH कहते हैं।

"pH is the negative power of hydrogen ions concentration of base 10."

इस प्रकार 1000CC दुग्ध में 10 ग्राम हाइड्रोजन आयन के बराबर होती है।

जैसे- pH5 = 10–5, pH7 = 10–7

दुग्ध pH 7.0 को neutral pH तथा 7.0 से कम को Acidic pH तथा 7.0 से अधिक को Alkaline pH कहते हैं। सामान्य ताजे दुग्ध की pH 6.6 से 6.8 के बीच होती है।

दुग्ध में वह सभी कारक जो अम्लता को बढ़ाते हैं व pH को घटाते हैं तथा वह सभी कारक जो अम्लता को घटाते हैं वह सभी दुग्ध के pH मान को बढ़ाते हैं।

दुग्ध की अनुमापन अम्लता तथा pH में सम्बन्ध (Devis के अनुसार)

Relationship between Titratable acidity and pH of milk

Titratable acidity %

(as lactic acid)

pH

0.14

6.6

0.19

6.2

0.24

5.94

0.34

5.60

0.44

5.30

0.54

5.04

0.64

4.80

अर्थात् इन दोनों में विपरीत सम्बन्ध होता है। जैसे-जैसे दुग्ध की अम्लता बढ़ती है pH घटती जाती है।

दुग्ध में pH मान को रंगमापीय विधि (Colorimetric Method) द्वारा DyesIndicator Paper का प्रयोग करते हैं। विद्युतमापी विधि (Electrometric Method) में विभिन्न प्रकार के Electrode जैसे glass/silver chloride electrode का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा pH meter का भी प्रयोग pH मान निकालने में किया जाता है।

16. समावस्थापक मान (Buffer Value)

किसी द्रव्य (दुग्ध) की वह सामर्थ्य जो कि उसमें अम्ल या क्षार मिश्रित करने में भी उस द्रव्य (दुग्ध) की pH मान को नहीं बदलने देती है Buffer Value कहलाती है।

डेरी उद्योग में इसका विशेषकर उपयोग पनीर बनाने में होता है। दुग्ध में यह गुण उसमें उपस्थित मंद अम्लों व क्षारों, प्रोटीन, फास्फेट, साइट्रेट व CO2 के कारण होता है।

दुग्ध pH मान जितना कम होगा उतना ही Buffer Value अधिक होगा। अतः दुग्ध का Buffer Value बताते समय उसका pH मान भी बताना होगा। दुग्ध pH 6.0 पर Buffer Value 0.024 तथा pH 6.6 पर Buffer Value 0.018 होता है।

17. ऑक्सीकरण-अवकरण विभव (Oxidation-Reduction Potential½

Oxidation– uptake of oxygen, Loss of hydrogen, Loss of electron

Reduction– Loss of Oxygen, Uptake of hydrogen, Gain of electron

सभी पदार्थों के समान द्रव्यों में मिलने वाली इलेक्ट्रॉन के परित्याग करने तथा इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करने की प्रवृत्ति को मापना विभव (Potential) कहलाता है।

किसी ऑक्सीकर (Oxident) अथवा अपचायक (Reductant) द्रव्य में प्लेटिनम इलैक्ट्रॉड द्वारा उत्पन्न होने वाला विभव अत्तर Colomel half cell तथा विभवमापी (Potentiometer) के परिपथ (Circuit) द्वारा मापा जाता है इस विभव को ही Oxidation-Reduction Potential कहते हैं। Potential की ईकाई Volt तथा इसको Eh संकेत द्वारा दर्शाते हैं।

सामान्य दुग्ध का यह मान +0.2 से +0.3 Volt होता है। ताजे दुग्ध में यह मान उसमें उपस्थित ऑक्सीजन के कारण होता है। दुग्ध को गर्म करने पर यह मान कम हो जाता है क्योंकि गर्म करने पर ऑक्सीजन दुग्ध से निकल जाती है तथा सल्फाइड्रिल सयोग (SH+) बनते हैं जो कि दुग्ध के ऑक्सीकरण गुण को कम करते हैं। दुग्ध में इसको रंजक अवकरण परीक्षण (Dyreduction test) द्वारा पता लगा सकते हैं।

References

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