ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- II May  - 2022
Anthology The Research
समकालीन मीडिया और उसकी अप्रासंगिक प्राथमिकताएं
Contemporary Media and its Arrelevant Priorities
Paper Id :  16060   Submission Date :  11/05/2022   Acceptance Date :  18/05/2022   Publication Date :  23/05/2022
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गीता अग्रवाल
विभागाध्यक्षा
चित्रकला विभाग
साहू राम स्वरूप महिला महाविद्यालय
बरेली,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिये मीडिया को ‘‘चौथे स्तंभ’’ के रूप में जाना जाता है। 18वीं शताब्दी के बाद से, खासकर अमेरिकी स्वतंत्रता आंदोलन और फ्राँसीसी क्रांति के समय से जनता तक पहुँचने और उसे जागरूक कर सक्षम बनाने में मीडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मीडिया अगर सकारात्मक भूमिका अदा करें तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है।आज के जीवन में मीडिया एक अपरिहार्य आवश्यकता बन गया है। समाजिक चेतना जागृत करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है मीडिया, जो अपनी प्रभावी प्रस्तुतियों के माध्यम से समाज को न सिर्फ दिशा देता है बल्कि उसके दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए उसे संचालित भी करता है। समकालीन समाज में मीडिया समाज की अग्रगामिता को आगे बढ़ाने का प्रयास भी कर रहा है। लेकिन सवाल यह है वैश्वीकरण व तकनीकी के इस युग में समाज में हो रहे परिवर्तनों को भांपने की उसकी क्षमता कितनी है। भारत के संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, तथा अन्तरजालीय पृष्ठ आदि हैं। अधिकांश मीडिया निजी हाथों में है और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा नियंत्रित है। भारत में 70,000 से अधिक समाचार पत्र हैं, 690 उपग्रह चैनेल हैं (जिनमें से 80 समाचार चैनेल हैं)। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The media is known as the "fourth pillar" to monitor the activities of the legislature, executive and judiciary in democratic countries. Since the 18th century, especially since the time of the American independence movement and the French Revolution, the media has played an important role in reaching and enabling the public to become aware. If the media play a positive role, then any person, organization, group and country can be made prosperous economically, socially, culturally and politically.
In the present time, the utility, importance and role of media is increasing continuously. No society, government, class, institution, group person can progress by neglecting the media. Media has become an indispensable necessity in today's life.
The most important means of awakening social consciousness is the media, which not only gives direction to the society through its effective presentations, but also operates it keeping in mind its guidelines. In the contemporary society, the media is also trying to advance the advances of the society. But the question is, how much is its ability to sense the changes taking place in the society in this era of globalization and technology.
India's media includes television, radio, cinema, newspapers, magazines, and inter-network pages. Most of the media is in private hands and controlled by big companies. India has more than 70,000 newspapers, 690 satellite channels (80 of which are news channels). Today India is the world's largest newspaper market.
मुख्य शब्द मीडिया, लोकतान्त्रिक, संविधान।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Media, Democracy, Constitution.
प्रस्तावना
जीवन की आपाधापी में एक मीडिया ही है जो हमें समाज और समूचे विश्व से जोड़े रखने का काम करता है। आज का युग परिवर्तन का युग है जहां तक मीडिया का प्रश्न है संवाद हमेशा ही होता आया है। कभी दर्शक के रूप में ,कभी श्रोता के रूप में, तो कभी पाठक के रूप में। प्राचीन काल से ही मनुष्य प्रकृति से संवाद करता आया है। जैसे गिरते हुए पत्तों का संगीत ,नदियों का संगीत, लगता है जैसे कुछ कहना चाहती हैं। आज सभ्यता के इस पड़ाव पर मानव संवादों की दुनिया में गतिशील हो रहा है। संवाद कभी एका लाप के रूप में, कभी दो व्यक्तियों की बातचीत के रूप में ,तो कभी लेखों और समाचारों के रूप में हमारे सामने आता रहा है। समय के साथ परिवर्तन आता ही है। आज मीडिया के स्वरूप में भी विशेष परिवर्तन आया है ।मीडिया ने स्वयं में विस्तार करके परिवर्तन किया है ।सोशल मीडिया इंटरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाती है, जिसे उपयोग करने वाला व्यक्ति सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म का उपयोग कर अपनी पहुंच बना सकता है। यह प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर कुछ भी हो सकते हैं। इस प्रकार से अपनी बात को दूर तक और अधिक लोगों के साथ और बहुत कम समय में पहुंचाना आज की मीडिया की प्राथमिकता है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोधपत्र का उद्देश्य समकालीन मीडिया और उसकी अप्रासंगिक प्राथमिकता का अध्ययन करना है ।
साहित्यावलोकन
वरिष्ठ पत्रकार जय नारायण त्रिपाठी की पुस्तक "मीडिया हूं मैं "में लेखक के अनुसार नया होता मीडिया अपने नए नए उपक्रमों के सहारे तेजी से विस्तार ले रहा है। इंटरनेट ने मीडिया के कई खांचों को पूरी तरह बदल दिया है। समय बदला है और जरूरतें भी ऐसे में मीडिया हूं मैं पुस्तक मीडिया की कहानी को मीडिया की ही जुबानी सुनाने का प्रयास करती है। इस किताब में वर्तमान की वास्तविकता के साथ ही भविष्य के संकेतों को भी बखूबी पकड़ा है, और सतर्क अंदाज लगाया है कि ऑनलाइन दुनिया किस दिशा में जा सकती है। कुल मिलाकर इस किताब ने उन सारी बातों को समेटने की कोशिश की है जो ऑनलाइन मीडिया में हो रही हैं और भविष्य में हो सकती हैं। ऐसा लेखक सुरेश कुमार ने अपनी किताब ऑनलाइन मीडिया में अंकित किया है।
मुख्य पाठ

आज के समय में इस मीडिया रूपी वृक्ष पर विभिन्न प्रकार की शाखाएँ भी लग चुकी हैं, जैसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सबसे नवीन सोशल मीडिया। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तो हम सब भली भांति परिचित हैं, परन्तु यह जो सोशल मीडिया है हमें इसे और अच्छे से समझने की आवश्यकता है।अगर हम देखें कि समाज किसे कहते हैं तो यह तथ्य सामने आता है कि लोगों की भीड़ या असंबंद्घ मनुष्य को हम समाज नहीं कह सकते हैं। समाज का अर्थ होता है संबंधों का परस्पर ताना-बाना, जिसमें विवेकवान और विचारशील मनुष्यों वाले समुदायों का अस्तित्व होता है

हमारे देश में मीडिया को विचार अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त है । .परन्तु क्या मीडिया उसे मिली आजादी को पूरी जिम्मेदारी से जनहित के लिए निभा पा रही है ?क्या वह अपने कार्य कलापों में पूर्णतया इमानदार है। यह एक मु्ख्य प्रश्न है ऐसा लगता है कि मीडिया के लिया विज्ञापन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है प्रत्येक चैनल द्वारा कार्यक्रम व ख़बरें कम, विज्ञापन अधिक समय तक प्रसारित किये जाते हैं .कभी कभी तो दर्शक यह भी भूल जाता है कि वह क्या कार्यक्रम देख रहा था या किस विषय पर आधारित समाचार देख रहा था ।और कभी कभी तो कार्यक्रम पांच मिनट का होता है भारतीय पत्रकारिता का इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण और गरिमामय रहा है। नए दौर में पत्रकारिता का तेजी से विकास हो रहा है। आज पत्रकारिता कागज कलम तक ही सीमित नहीं है अपितु रेडियो टेलीविजन के बाद वह अंतरिक्ष तक में प्रवेश कर चुकी है। ऑडियो वीडियो उपकरण पत्रकारिता के अभिन्न अंग बन चुके हैं। वही कंप्यूटर इंटरनेट और अत्याधुनिक संचार संसाधनों ने समाचार की गति को आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा दिया है। इस प्रकार 21वीं सदी में पत्रकारिता तेजी से नई शक्ल अख्तियार कर रही है उसके नए प्रतिमान स्थापित हो रहे हैं।
वेब पत्रकारिता को इंटरनेट पत्रकारिता ऑनलाइन पत्रकारिता के नाम से भी जाना जाता है। जो व्यक्ति इंटरनेट के अभ्यस्त हैं उन्हें अब कागज पर छपे हुए अखबार उतने ताजे और मनभावन नहीं लगते जितने कि वह सोशल मीडिया के रूप में इंटरनेट से प्राप्त करता है। उन्हें हर घंटे
 2 घंटे में खुद को अपडेट रखने की लत लगती जा रही। इंटरनेट पर पत्रकारिता के भी दो रूप हैं पहला तो इंटरनेट का एक माध्यम या औजार के तौर पर इस्तेमाल। दूसरा रिपोर्टर अपनी खबर को एक जगह से दूसरी जगह ईमेल के जरिए भेजने और समाचारों के संकलन उनके सत्यापन और पुष्टिकरण में भी इसका इस्तेमाल करता है।मुख्य पृष्ठ पर इस प्रकार के समाचारों को पढ़कर या चैनल की हेड लाइन के रूप में देख कर पाठक अवसाद ग्रस्त हो जाता है उसका कार्य करने का उत्साह ठंडा पड़ जाता है .क्या इस प्रकार के नकारात्मक समाचारों को अतिरंजित कर , मुख्य पृष्ठ या मुख्य समाचार बनाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत कर,मीडिया जनता को हतोत्साहित करने का कार्य नहीं कर रहा? क्या देश में समाज सेवियों,स्वयंसेवी संस्थाओं और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों को जनता तक पहुँचाने का कार्य मीडिया का नहीं है ।शायद उसकी सोच बन गयी है कि हिंसा की ख़बरें  दर्शकों और पाठकों को आकर्षित करती हैं । आज के दौर में सोशल मीडिया जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है ,चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या मनोरंजक कायह एक विशाल नेटवर्क से जुड़ चुका है। जिस किसी भी क्षेत्र की जानकारी चाहिए घर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। स्वयं ही अपनी बातों का आदान-प्रदान भी आसानी से किया जा सकता है। व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में व्यापार हो या नौकरी अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग कर सकता है । जानकारियों का भंडार है सोशल मीडिया ।इसके प्रयोग से नए से नए प्रोडक्ट की जानकारी भी हासिल कर कार्य क्षेत्र में उन्नति करी जा सकती है। 

मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं। अगर समाज में मीडिया की भूमिका की बात करें तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि समाज में मीडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्या योगदान दे रहा है 

निष्कर्ष आज का युवा सोशल मीडिया द्वारा ही हर क्षेत्र की जानकारी में विशेष पारंगत है। किंतु कई बार इसका गलत उपयोग नकारात्मक व भ्रामक जानकारी भी लोगों को पहुंचा देता है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव लोगों पर पड़ता है। दुर्घटना एवं संवेदनशील मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना, ईमानदारी, नैतिकता, कर्त्तव्यनिष्ठा और साहस से’ संबंधित खबरों को नजरअंदाज करना आजकल मीडिया का एक सामान्य लक्षण हो गया है। मीडिया के इस व्यवहार से समाज में अव्यवस्था और असंतुलन की स्थिति पैदा होती है। इस पतन के कारण युवा पीढ़ी भी पतन के गर्त में धँसती जा रही है। इंटरनेट के माध्यम से असामाजिक क्रियाकलाप युवाओं तक पहुँच रहे है जिससे उनमें नैतिकता, संस्कृति और सभ्यता की लगातार कमी आती जा रही है। नए कार्य में कुछ परेशानियां आती ही हैं ,उसका दुरुपयोग मुश्किलें भी खड़ी कर देता है। क्योंकि सोशल मीडिया में जरा सी चूक प्राइवेसी खत्म कर देती है। जिसके गलत परिणाम सामने आते हैं । फोटो और वीडियो की एडिटिंग करके भ्रम पैदा किया जा सकता है । साइबर अपराध सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है। दैनिक जीवन के लिए सोशल मीडिया वरदान है। क्योंकि यह बहुत तेज गति से होने वाला संचार का माध्यम है। जहां एक पत्र या कार्ड भेजने में कई दिन का समय लगता था ,अब एक पल में यह संभव हो जाता है। फोटो, वीडियो, सूचना, डॉक्यूमेंट ,आदि देश विदेश कहीं भी आसानी से भेजे जा सकते हैं। समय कालीन मीडिया वर्तमान आज एक वरदान स्वरूप है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. मीडिया – नया दौर नयी चुनौतियाँ : संजय द्विवेदी 2. मीडिया और बाजार : वर्तिका नंदा 3. भारत में प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और न्यू मीडिया : संदीप कुलश्रेष्ठ 4. सोशल नेटवर्किंग – कल और आज : राकेश कुमार 5. मीडिया हूं मैं, श्री जय प्रकाश त्रिपाठी 6. ऑनलाइन मीडिया सुरेश कुमार