ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- II May  - 2022
Anthology The Research
ग्रामीण विकास कार्यक्रम का सामाजिक सरंचना पर प्रभाव
Impact of Rural Development Program on Social Structure
Paper Id :  16055   Submission Date :  13/05/2022   Acceptance Date :  21/05/2022   Publication Date :  25/05/2022
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दयाल शरण
असिस्टेंट प्रोफेसर
उच्च शिक्षा निदेशालय
गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, पिहानी
हरदोई ,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश ग्रामीण समाज अपेक्षाकृत स्थिर समाज होते है। उनमे सापेक्ष रूप से गतिशीलता का अभाव है। भारतीय सामाजिक सरंचना के अंतर्गत धर्म,जाति, परिवार, विवाह सामाजिक व सांस्कृतिक परम्पराएं तथा व्यक्तिगत आचार-व्यवहार सम्मिलित है। सरकारी स्तर पर ग्रामीण विकास योजनाओं की दिशा में की गयी पहल के चलते आज भारतीय गाॅव प्रगति के पथ पर अग्रसर है। स्वतंत्र भारत में नियोजित विकास योजनाओं के अंतर्गत ग्रामीण विकास कार्यक्रम वैश्वीकरण एवं नगरीकरण नें ग्रामीण सामाजिक सरंचना में व्यापक बदलाव आया है। विकास योजनाओं का प्रभाव गांवो की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक सरंचना पर देखा जा सकता है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Rural societies are relatively stable societies. They lack relative mobility. Indian social structure includes religion, caste, family, marriage, social and cultural traditions and personal conduct. Due to the initiatives taken in the direction of rural development schemes at the government level, today the Indian village is on the path of progress. Rural development programs under the planned development plans in independent India, globalization and urbanization have brought about a massive change in the rural social structure. The impact of development plans can be seen on the social, economic and cultural structure of the villages.
मुख्य शब्द ग्रामीण विकास, सामाजिक सरंचना, परिवर्तन, वैश्वीकरण,ग्रामीण विकास कार्यक्रम आदि।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Rural Development, Social Structure, Transformation, Globalization, Rural Development Program
प्रस्तावना
स्वतंत्रता के पश्चात्भारत में नियोजित विकास योजनाओं के अन्तर्गत ग्रामीण विकास कार्यक्रमों वैश्वीकरण एवं नगरीकरण ने ग्रामीणसामाजिक संरचना में व्यापक प्रभाव डाला है। ग्रामीण विकास नीतियों एवं योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्र परिवहन सुविधाएँ, सूचना एवं जनसंचार के माध्यम शिक्षा स्वास्थ आदि की उपल्ब्धता बढ़ी है। जिसके परिणाम स्वरूप ग्रामीण समुदाय का बाहय जगत से सम्पर्क बढ़ा है। नवीन पंचायती राज व्यवस्था ने समाज के सभी वर्गो की भागीदारी हेतु किये गये प्रावधानो से वंचित वर्गो से राजनीतिक चेतना का संचार हुआ है। इससे ग्रामीण शक्ति संरचना में भी परिवर्तन आया है। विकास योजनाओं सें ग्रामीण संस्थाओ के स्वरूपों में सार्थक परिवर्तन हुआ और भारतीय ग्रामीण की प्रमुख संस्थाएँ, परिवार, विवाह, जाति, जजमानी आदि के प्रतिमानो में परिवर्तन आया है। आधुनिक मूल्यों प्रथाओ संस्थाओ में परिवर्तन हुआ है। सरकार के द्वारा विकास योजनाओ कोग्रामीण समाज पर लागूकरने से भारत गाॅव लगातार प्रगति के पर अग्रसर हैं वास्तव में गावों में जिस गति से विभिन्न तरह की सुविधाए पहुॅच रही है। उसी तरह से लागों के रहन सहन और कार्य की प्रणाली में बदलाव भी आ रहा है। ग्रामीण विकास योजनाओं का स्पष्ट प्रभाव गावों की सामाजिक, आर्थिक एवं सामाजिक संरचना पर रखा जा सकता है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध पत्र में विकास योजनाओं का ग्रामीण सामाजिक संरचना में परिवर्तन का उल्लेख किया गया है। शोध पत्र में निम्नलिखित उद्देश्य शामिल किया गया है। 1- ग्रामीण विकास योजनाओं की वस्तुस्थिति का मूल्यांकन करना। 2- ग्रामीण विकास योजनाओ से ग्रामीण सामाजिक संरचना में हो रहे परिवर्तनों का अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन
अध्ययन की आवश्यकता भारत देश के चहुमुंखी विकास के लिए ग्रांवो के लिए ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि भारत गाँवों का देश है। यहा की 68 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में ही निवास करती है। गांवो की विकास की अवहेलना करके हम प्रगति के ओर अग्रसर नही हो सकते। इसीलिए ग्रामीण पुनर्निमाण का विशेष महत्व दिया गया। ग्रामीण समाज के विकास के लिए समय समय पर सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओ के द्वारा अनेक कार्यक्रम चलाये गये। ग्रामीण विकास योजनाओ से ग्रामीण समाज लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं और लोगो के रहन सहन कार्य प्रणाली में बदलाव भी आया। इसी आधार पर विकास योजनाओं से जो ग्रामीण सामाजिक संरचना में परिवर्तन आया है उसे रेखांकित किया गया हैं। ग्रामीण विकास कार्यक्रम का सामाजिक संरचना पर प्रभाव- भारतीय सन्दर्भ में यह कहा जाता है कि आजादी से पहले हमारी सामाजिक संस्थाओं का स्वरूप बहुत जटिल था तथा आजादी के बाद संवैधानिक प्रावधानो एंव सरकारी योजनाओ के लागू होने से संस्थाओ में काफी बदलाव आया। देश का ग्रामीण विकास मंत्रालय अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन करता हैं जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनता को लाभ पँहुचाकर उनके जीवन स्तर को सुधारना रहता है। विकास कार्यक्रमो के माध्यम से निम्न वर्गों की बुनियादी जरूरतो को पूरा करने में सहयोग देना है ताकि उनका जीवन स्तर उपर उठ सके। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केन्द्र एंव राज्य सरकार द्वारा कई योजनाओ का क्रियान्वयन किया गया जिससे ग्रामीण जनता को लाभ हो और उनमें बदलाव आ सके। विकास योजनाओ में दीन दयाल अन्त्योदय योजना, स्वच्छ पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण सड़के, प्रधानमंत्री आवासयोजना, प्रधानमंत्री सड़क योजना, ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रो में शहरी सुविधाओं का प्रावधान आदि ऐसे कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया। विकास योजनाओं के लागू होने से गांवों की सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक संरचना पर परिवर्तन का प्रभाव देखा जा सकता हैं। एक तरफ मनरेगा के चलते गावों से शहरों की ओर पलायन पर रोक लगी। गावों में रोजगार उपलब्ध होने से ग्रामीण जनता आर्थिक रूप से सशक्त हुई और दुसरी ओर पंचायतों में आरक्षण के लिए ग्रामीण महिलाओ की नयी पहचान मिली और घर ग्रहस्थी के साथ साथ वह राजनीतिक क्षेत्र में भी अपना योगदान देने लगी। ग्रामीण सामाजिक संरचना जाति एंच स्थानीयता पर आधारित होती हैं। परिवार वंश एंव जाति से जुड़ा हुआ होता है। लेकिन अब इसके स्वरूप में परिवर्तन हो रहा है। वास्तव में ग्रामीण व्यवस्था में एकरूपता एंव स्थिरता दिखाई देती है। परंतु उनके विभिन्न आधारभूत सिद्धांतो में परिवर्तन हुये है और वे नये रूप ग्रहण कर रहे है। परिवार, जाति, धर्म आदि के सन्दर्भ में भी परिवर्तन हो रहा है। परिवार में व्यक्तिवाद बढ़ रहा है जोकि पहले सामूहिकता पर आधारित थे। वर्तमान में समूह में लिंग, आयु व संबंध के आधार पर अधिकार का निर्धारण न होकर योग्यता अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर होता है। जाति में व्यवसाय संस्तरण कर्मकाण्ड व पवित्रता की धारणा में अपेक्षित परिवर्तन हुआ है। जाति सुधार आन्दोलनो द्वारा विभिन्न जाति के मेल जोल बढ़ रहे है। जजमानी प्रथा में परिवर्तन हुए जातियां नये रूप में संगठित हो रही है। धार्मिक विकास तथा कर्मकांड कम हुआ है इनका स्थान तर्क ने ले लिया है। गावों में धीरे- धीरे धर्म निरपेक्षता लौकिककरण का प्रयोग बढ़ रहा है। पंचवर्षीय योजनाओं एंव अन्य ग्रामीण विकास योजनाओं के माध्यम से गावों की आधारभूत संरचना में आशातीत वृद्धि हुई और गावों की जीवनशैली और सुख सुविधाओं में उल्लेखनीय परिवर्तनआया है। ग्रामीण विकास के क्रम में तेजी लाने के लिए भारत में राष्ट्रीय क्षेत्रीय एंव स्थानीय स्तरो पर आईसीटी के अनुकरणीय प्रयास किये जा रहे है। देश में हुई सूचना कांति से ग्रामीण जीवन में बदलाव आया है। अब ग्रामीण महिलाये कम्प्यूटर और मोबाइल का उपयोग करने लगी है। ई- शासन से जहाँ आमजन की समस्याओं का त्वरित निस्तारण हो पा रहा हैं वही ग्रामीण प्रशासनिक व्यवस्था को नयी दिशा मिली है। विकास योजनाओं का लाभ ग्रामीण जनता को अधिक से अधिक मिलने से इनके जीवन स्तर में भी प्रभाव पड़ रहा है। वे शिक्षा को भी महत्व दे रहे हैं। और शिक्षा के माध्यम से भारतीय गाँवों का वातावरण बदल रहा है और ग्रामवासियों में जागरूकता बढ़ी है। रोजगार एवं शिक्षा के नये अवसर महिला सशक्तिकरण सर्व शिक्षा अभियान और संचार कांति जैसे विषयों के बारे में ग्रामीण जन अधिक जागरूक हुए है। सरकार के द्वारा चलाये गये ग्रामीण कार्यक्रम से ग्रामीण आंचल में काफी बदलाव देखने को मिला है। नवीन पंचायतीराज व्यवस्था से समाज के सभी वर्गों की भागेदारी हेतु किये गये आरक्षण के प्रावधानो सेे वंचित वर्गों में राजनीतिक चेतना का संचार हुआ। विकास योजनाओ से ग्रामीण संरचना में परिवर्तन हो रहा है। ग्रामीण के द्वारा विकास योजनाओं का लाभ पाने से उनमें स्पष्ट रूप से परिवर्तन देखा गया परिवार के स्वरूप में परिवर्तन हुआ है। एकाकी परिवारों में वृद्धि हुई तथा परिवार की प्रकार्यात्मक संरचना में स्पष्ट रूप से परिवर्तन आया हैं परिवार में महिलाओं की प्रस्थिति में सुधार हुआ हैं नातेदारी प्रथा दृष्टिकोण एंव व्यवहार में भी परिवर्तन आया है। विवाह संस्था के प्रतिमानो में भी परिवर्तन आया है। विकास योजनाओ का प्रभाव निम्न जातियों पर अधिक पड़ा है। आचार-विचार रीति-रिवाज एंच सामाजिक मूल्यों में भी परिवर्तन हुआं ग्रामीण विकास कार्यक्रम के प्रभाव से गावों का शैक्षिक स्तर उच्च हो रहा है। तथा लोगों के शिक्षा एंव स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोणो में भी वृद्धि हो रही है।
निष्कर्ष स्पष्ट है कि ग्रामीण विकास कार्यक्रम से ग्रामीण सामाजिक संरचना पर व्यापक प्रभाव डाला हैं ग्रामीण विकास नीतियों एंव जनसंचार शिक्षा स्वास्थ्य की सुविधा बढ़ी है। ग्रामीण समुदाय का वाहय जगत से सम्पर्क भी बढ़ा है। पंचायती राजव्यवस्था ने समाज में सभी वर्गों की भागेदारी सुनिश्चित की, आरक्षण के प्रावधानो ने वंचित वर्गों में भी चेतना का संचार हुआ। ग्रामीण विकास कार्यक्रम का प्रभाव गावों की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक संरचना पर स्पष्ट रूप पड़ा है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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