ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- I April  - 2022
Anthology The Research
शिक्षक शिक्षा में नवाचार की भूमिका
Role of Innovation in Teacher Education
Paper Id :  16019   Submission Date :  13/04/2022   Acceptance Date :  21/04/2022   Publication Date :  25/04/2022
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मनोज कुमार खरवार
असिस्टेंट प्रोफेसर
शिक्षा शास्त्र विभाग
वीर बहादुर सिंह राजकीय महाविद्यालय
गोरखपुर,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश नवाचार एक तरह का नया विचार है, व्यवहार है अथवा वस्तु है, यानि यदि शिक्षा को रूचिकर रचनात्मक, उपयोगी व्यवहारिक सरल, क्रियात्मक एवं प्रासंगिक बनाना ही नवाचार है। आधुनिक युग में नवाचार की बहुत ही आवश्यकता है, क्योंकि नवाचार के द्वारा ही छात्रों में वहुमुखी और सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा पद्धति में नवाचार जरूरी है। नवाचार के द्वारा ही छात्रों में सकारात्मक विकास के साथ नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों का विकास संभव है। नवाचार का विकास तभी संभव है जब शिक्षक नवाचार के द्वारा नवीन शिक्षण विधियों एवं पढा़ने में नवीन तरीकों को प्रयोग में लाये जिससे छात्रों को उन कौशलों से अवगत कराकर उनकी प्रतिभा में निखार ला सकें। शिक्षक शिक्षा में नवाचार के प्रयोग द्वारा परम्परागत शिक्षा पद्धति को वर्तमान परिवेश के अनुकूल बनाया जा सकता है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Innovation is a kind of new idea, behavior or object, that is, innovation is to make education interesting, creative, useful, practical, simple, functional and relevant. Innovation is very much needed in the modern era, because innovation in education is necessary for all-round development of students. The development of moral values ​​and ideals is possible only through innovation along with positive development in the students. The development of innovation is possible only when teachers through innovation use new methods of teaching and new methods in teaching, so that students can improve their talent by making them aware of those skills. The traditional education system can be adapted to the present environment by the use of innovation in teacher education.
मुख्य शब्द परिवर्तन, शिक्षक, नवाचार, उपयोगी, प्रतिभा, सर्वागीण विकास।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Change, Teacher, Innovation, Useful, Talent, All Round Development.
प्रस्तावना
’’नवाचार शब्द , नव + आचार शब्दों से मिलकर बना है। जहाॅ नव शब्द का अर्थ नया अथवा नवीनता से है, तथा आचार शब्द अर्थ परिवर्तन से है। इस प्रकार नवाचार वह परिवर्तन है , जो पूर्व की प्रचलित विघियों और वस्तुओं आदि में नवीनता का संचार करना। परिवर्तन सफल जीवन के लिए आवश्यक होता है। और जहाॅ परिवर्तन होता है वहाॅ नये-नये विचारों का उदय होता है। देश और समाज की आवश्यकताओं के परिपे्रक्ष्य में शिक्षा का संपूर्ण स्वरूप का ही परिवर्तन होता जा रहा है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध को सम्पन्न करने हेतु सम्बन्धित समस्या के संदर्भ में अघ्ययन के उद्देश्य निर्धारित किये गये है, जो इस प्रकार है- 1.वर्तमान समय में शिक्षक शिक्षा नवाचार के माध्यम से अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाने की तकनीकी प्रदान करना। 2.शिक्षक शिक्षा नवाचार में आने वाली बाधाओं की पहचान कराना। 3.शिक्षक शिक्षा नवाचार के नवाचारों में शैक्षिक प्रयोग की संभावना तलाशना। 4.शिक्षक शिक्षा नवाचार के माघ्यम से शिक्षको को नवीन ज्ञान से परिचित कराना।
साहित्यावलोकन
शिक्षा की धारणाओं, आदर्शो, मूल्यों मान्यताओं योजनाओं तथा व्यवस्था में होने वाला परिवर्तन ही शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के नाम से जाना जाता है’’ चूॅकि शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम होने के साथ-साथ देश और समाज के आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए राष्ट्र के निर्माण में छात्र आधार भूत तत्व है और वे परिवार समाज देश के लिए एक महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए शिक्षक का कत्र्तव्य बन जाता है कि छात्रों को इस प्रकार कि शिक्षा प्रदान करे जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें तथा समाज की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें ।
मुख्य पाठ

शिक्षक शिक्षा में नवाचार

आज हमारे देश में नवाचार शिक्षा के उत्थान हेतु शैक्षिक मानकों को बढावा देने के साथ-साथ सतत विकास के लिए शिक्षक शिक्षा प्रणाली एक आकर्षक एवं शक्तिशाली माध्यम है। आज शिक्षक शिक्षा के विकास के लिए अनेक ऐसे मुद्दे है, जिनके विकास हेतु शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में आवश्यक सुधार की आवश्यकता है। आज प्रतिस्पर्धा का युग है और ऐसी परिस्थति में शिक्षक शिक्षण, एकीकृत शिक्षण, शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम एवं शिक्षण पाठ्यक्रम में नवीन परिवर्तन की आवश्यकता है। यदि शिक्षण शिक्षा को मजबूत बनाना है तो शिक्षको को नवीन ज्ञान, शिक्षण कौशलो में दक्षता, नये-नये तकनीकी अनुसंधान का ज्ञान व नवाचार के ज्ञान एवं इनके व्यवहारिक प्रयोग में पारंगत होना अति आवश्यक है। आज की परिस्थितियाँ शिक्षक शिक्षा के लिए बहुत ही कठिन है, इन परिस्थितियों में छात्रों के साथ परस्पर संबंध स्थापित करने के लिए शिक्षकों को नये-नये शैक्षिक तकनीको की जानकारी आवश्यक है। आज देश में शैक्षिक क्षमता में वृद्धि हेतु नयी-नयी तकनीके आ गई है ये तकनीके जैसे इंटरनेट  तथा दूरदर्शन पर प्रसारित शैक्षिक प्रोग्राम  के माध्यमों का प्रयोग करके  बालक नये नये ज्ञान को प्राप्त कर सकता है। इसलिए शिक्षको को चाहिए कि  छात्रों को शिक्षा देने में नयी नयी प्रौद्दोगिक के साथ अपने आप को हमेशा दक्ष करते रहना होगा। सीखना जीवन पर्यन्त चलने वाली  प्रक्रिया होती है इसलिए योग्य शिक्षक कि चाहिए की वह हमेशा नयी-नयी प्रौद्दोगिकियों का ज्ञान के साथ साथ स्वयं नयी तकनीको की खोज द्वारा पाठ्यक्रम को रोचक तथा ज्ञानवर्धक बनाता है। शिक्षक शिक्षा केवल पाठ्य पुस्तकों तक ही सीमित नही है बल्कि सीखाने वाला सीखने वाले को दस तरह के निर्देश देना है कि वे सूचनाओं को प्राप्त कर स्वयं को ज्ञानार्जन की अनुभूति कर अपने महत्वपूर्ण कार्यों के अनुरूप प्रयोग में ला सके।

जिससे शिक्षक शिक्षा को और अनुपयोगी बनाकर सफलता पायी जा सके इसके लिए शिक्षक को लगातार प्रयास करते रहना चाहिए  इसके लिए शिक्षक  करके सीखना, अभ्यास करना खोज करना आदि अनुभवों का वर्तमान लगातार प्रयोग किये भी जा रहें है। शिक्षक शिक्षा में नवाचार लाने के उद्देश्य से ही देश में शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबन्धित तरह-तरह के कार्यक्रम ’’राष्ट्रीय अघ्यापक शिक्षा परिषद् अधिनियम-2014’’ के द्वारा कुछ महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली परिवर्तन किये गये है जैसे-स्नातक स्तर पर बी.एड की एक वर्षीय पाठ्यक्रम को बढाकर द्विवर्षीय एवं शिक्षा में मास्टर डिग्री (एम.एड) शारीरिक शिक्षा में स्नातक (बी.पी.एड.) तथा शारीरिक शिक्षा में मास्टर डिग्री (एम.पी.एड.) इसी प्रकार तीन वर्षीय एकीकृत बी.एड.-एम.एड चार वर्षीय एकीकृत बी.ए-बी.एड, बी.एससी-बी.एड.एवं बी.एल.एड पाठय् क्रम आदि। तथा शिक्षा शिक्षक विकास के लिए शिक्षकों में नवाचार लाने हेतु तरह-तरह के शिक्षण कौशलों के रूप में सुक्ष्म शिक्षण, खण्ड शिक्षण, सामुदायिक सेवाएँ, एवं स्वाघ्याय पर आधारित अभ्यास कार्यक्रमों को पाठ्यक्रम सम्मिलित किया गया है। इसी प्रकार यदि हम सैद्धान्तिक भाग को देखते है तो उसके साथ नवीन पाठ्यक्रम में भाषा का ज्ञान, पाठ्य-वस्तु के अघ्ययन के साथ पाठ्यक्रम में ड्रामा एवं कला जैसी नवीन क्रियाओं के बारे में जानकारी ही नवाचार ही है।

जब हम शिक्षक शिक्षा में नवाचार को लागू कराते है तो नवाचार का उपयोग करने वाले व्यक्ति को क्या सीखना है,कैसे सीखाना है, कब सीखना हैं, क्यों सीखना हैं के साथ –साथ सीखे गये कार्यो के बारे में पता लगाकर उसके मूल्यांकन हेतु नवीन उपकरणों की जानकारी दी जाती है ताकि एक नवाचार का अपनाने वाला शिक्षक शिक्षण संबंधी समस्याओं का समाधान करते है और दूसरे शिक्षको को भी समस्या समाधान हेतु प्रेरित करते है। शिक्षक शिक्षा के कार्यो की सफलता उनके द्वारा खोजे गये नवाचारों से ही संभव है। नवाचारों के प्रयोग से कक्षा- कक्ष के वातावरण को अधिकाधिक ज्ञानवर्धक और सक्रिय रखने का अवसर प्रदान करता है तथा इसके द्वारा सीखने की स्थिति, ज्ञान स्तर से उठकर चिंतन स्तर तक पहुँच जाती है। शिक्षक शिक्षा में नवाचार का प्रयोग कर अनेक शैक्षिक समस्याओं का हल प्राप्त करने में सहयोग करता है। इसके द्वारा कक्षा के समस्त विद्याार्थिओं पर व्यक्तिगत रूप् से प्रयोग कर शिक्षण में रूचि व बौधगम्यता को बनाये रखने में अपनी अहम भूमिका निभाते है।

शिक्षक शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता

शिक्षक शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता शिक्षक समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो शिक्षा के माध्यम से बदलाव का कारक है। शिक्षक प्रशिक्षण और स्कूली शिक्षा दोनो का  आपस में गहन संबंध है जो कि यह एक दूसरे को प्रभावित करते है। चूँकि प्रभावी शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है। यह शिक्षक शिक्षा के वृहत्तर संदर्भो में कार्य करता है जैसे शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षा का पाठ्यक्रम, आवश्यकता एवं अपेक्षाताओं के साथ जोड़ कर देखा जाना चाहिए। शिक्षक को केवल शिक्षण विधियों का ज्ञान ही नही बल्कि वच्चों को उनके सामाजिक-आर्थिक परिवेश को तथा सीखने की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद-2009 (NCTE.2009) के द्वारा शिक्षकों की क्षमता व गुणवत्ता के विकास के लिए शिक्षक शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता  को महसूस किया है।शिक्षक शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता को हम वर्तमान संदंर्भो में इस प्रकार देख जा सकते है।

1.वर्तमान की आवश्यकताओं, अपेक्षाओं और आशाओं की पूर्ति के लिए।
2. शिक्षक शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार लाने के लिए।
3.शिक्षक शिक्षा में नवीनतम् प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी के ज्ञान का विस्तार करने के लिए।
4. शिक्षक शिक्षा को समय के साथ परिवर्तन युक्त बनाने के लिए।
5. शिक्षक शिक्षा में गुणात्मक एवं मात्रात्मक विकास के लिए।
6. बदलते हुए परिवेश को वर्तमान समय के साथ गतिशील बनाने के लिए।
7.शिक्षण विधियों में रचनात्मकता एवं नवीनता लाने के लिए।
8. छात्राध्यापकों को प्रत्यक्ष एवं स्थायी ज्ञान प्रदान करने योग्य बनाने हेतु।
9. छात्राध्यापकों को क्रियाशील बनाने के लिए।
10. छात्राध्यापकों में स्वस्थ दृष्टिकोण उत्पन्न करने के लिए।
11. शिक्षक शिक्षा संस्थानों एवं विद्यालय में समन्वय स्थापित करने के लिए।
12. सामाजिक आकांक्षाओं एवं अपेक्षाओं की पूर्ति हेतु।
13. कार्य के नये क्षेत्रों के बारे में जानने तथा समझने के लिए।
14. शिक्षा के उद्देश्य, उसकी पाठ्यचर्या में नयी विषय सामग्री के विकास के लिए।

शिक्षक शिक्षा में नवाचार का महत्त्व

1.नवाचार के द्वारा शिक्षक छात्रों को अरूचिकर तथा उबाऊ करने वाले शिक्षण से दूरकर रूचिकर शिक्षा देने में सक्षम होते है।
2.नवाचार के द्वारा शिक्षक अपने आप को नये नये ज्ञान की खोज करने के प्रति तैयार करना एवं अध्ययनशील बनाना।
3.शिक्षक नवाचार के द्वारा पहले से चली आ रही पुरानी विधियाँ जो कि उवाऊ व अरूचिकर विधियों को दूर करके नवीन दक्षताओं को विकसित करसकता हैं।
4. नवाचार के माध्यम से विद्यालय समाज एवं समुदाय के मौजूदा संसाधनों का सर्वोत्तम ढंग से उपयोग कर सकता हैं।
5. नवाचार के द्वारा शिक्षक अपना शैक्षिक उत्थान कर सकता है।
6.नवाचार शिक्षक को अपने कार्य के प्रति रचनात्मक, अनुशासित, एवं व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने में सहयोग करता है।
7. छात्राध्यापक शिक्षण में प्रायोगिक एवं व्यावहारिक कार्यों को सम्पादित करने हेतु आवश्यक तैयारी एवं प्रभावी क्रियान्वयन कर सकते हैं।

निष्कर्ष नवाचार शैक्षिक व्यवस्था और शिक्षण कार्य प्रणाली को मजबूत बनाये रखने के लिए आवश्यक एवं महत्वपूर्ण तकनीकी है। इसके अभाव में शैक्षिक लक्ष्यो और प्रक्रिया मे व्यापक अंतर हो सकता है। इनका प्रयोग वतर्मान के साथ ही भविष्य की अपेक्षाओ की भी पूर्ति करने में सहायक है। शिक्षक शिक्षा मे नवाचार द्वारा छात्राध्यापक सामुदायिक सहभागिता, अभिनव शिक्षण, तकनीकी, खेल-खेल में शिक्षा, सरल अंग्रेजी अधिगम, बाल ससंद, कला शिल्प से सर्वांगीण विकास, कॉन्सेप्ट मैपिंग, चित्रकथा के माध्यम से शिक्षा आदि का प्रयोग अपने भावी जीवन मे कर पायेगे । नवाचार से शिक्षण मे गूढ़ात्मक उन्नयन होता है, शिक्षा को दिशाबोध प्राप्त होता है जिससे व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र के प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। अर्थात् सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक एवं शैक्षिक दृष्टिकोण से शिक्षक-शिक्षा में नवाचार की महत्ता स्वीकार की जाती है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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