ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VI , ISSUE- VI September  (Part-1) - 2021
Anthology The Research
युवा और कौशल विकास योजना
Youth and Skill Development Scheme
Paper Id :  16080   Submission Date :  08/09/2021   Acceptance Date :  19/09/2021   Publication Date :  25/09/2021
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संगीता सिंघल
एसोसिएट प्रोफेसर
अर्थशास्त्र विभाग
एस0 डी0 डिग्री कॉलेज
मुजफ्फर नगर ,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश युवा किसी भी देश का भविष्य है, आज, भारत विश्व की सबसे बडी शक्ति के रूप में उभर रहा है। यहंा प्रत्येक तीसरा व्यक्ति युवा है ऐसे में हमें, इस युवा ऊर्जा का प्रयोग सही दिशा में करने के लिए साधन सोचने होगें। युवाओं के लिए शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने वाली नीतियाँ और कार्यक्रम मौजूदा वक्त की सबसे बडी आवश्यकता है।युवाओं को सशक्त बनाने की कुंजी, कौशल विकास के साथ है, जब एक युवा के पास आवश्यक कौशल होता है तो वह उसका उपयोग अपनी आजीविका व दूसरों की सहायता करने के लिए कर सकता है। वह आर्थिक रूप से राष्ट्र का भी समर्थन करता है। कौशल विकास न केवल आजीविका का साधन है बल्कि सामान्य दिनचर्या में स्वयं के जीवंत और ऊर्जावान महसूस करने का एक विशेष माध्यम भी है। अतः युवा शक्ति को शिक्षा, कौशल विकास और प्रशिक्षण द्वारा बेहतर मानव संसाधन के रूप में विकसित करने से न केवल गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक बुराईयांे इत्यादि का समाधान मिल सकता है अपितु वे राष्ट्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। आज यह आवश्यक हो गया है, कि युवाओं की ऊर्जा को उध्र्वगायी बनाया जाये, शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाया जाये, युवाओं में कौशल और तकनीकी क्षमता विकसित की जाए, जिससे भारत उभरती अर्थव्यवस्था की मुख्य चुनौतियों से निपटने में सफल हो सके।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Youth is the future of any country, today, India is emerging as the biggest power in the world. Here every third person is young, so we have to think of means to use this youthful energy in the right direction. Policies and programs to create education, skill development, employment and self-employment opportunities for youth are the biggest need of the hour. The key to empowering youth, along with skill development, is when a youth has the required skills. He can use it for his livelihood and to help others. He also supports the nation financially. Skill development is not only a means of livelihood but also a special way to make oneself feel alive and energetic in normal routine. Therefore, developing youth power as a better human resource through education, skill development and training can not only solve poverty, unemployment and social evils etc., but they can contribute significantly to the overall development of the nation. Today it has become necessary that the energy of the youth should be made prolific, education should be made employment oriented, skill and technical capability should be developed in the youth, so that India can be successful in dealing with the main challenges of the emerging economy.
मुख्य शब्द युवा शक्ति, कौशल विकास, सशक्त रोजगार, प्रशिक्षण, अर्थव्यवस्था।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Youth, Power, Skill, Development, Strong, Employment, Training, Economy.
प्रस्तावना
युवा किसी भी देश का भविष्य है, जनसंख्या के अनुसार विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी भारत में निवास करती है। भारत में जनगणना के नियमों में 18 से 35 वर्ष की आयु को युवा माना जाता है। देश की युवा शक्ति ही समाज और देश को नई दिशा देने का सबसे बडा औजार है। आज, भारत विश्व की सबसे बडी शक्ति के रूप में उभर रहा है। यहंा प्रत्येक तीसरा व्यक्ति युवा है ऐसे में हमें, इस युवा ऊर्जा का प्रयोग सही दिशा में करने के लिए साधन सोचने होगें। युवाओं के लिए शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करने वाली नीतियाँ और कार्यक्रम मौजूदा वक्त की सबसे बडी आवश्यकता है। आने वाले वर्षो में, भारत की आधी आबादी युवाओं की हो जायेगी, ऐसे में पूरे विश्व की निगाहें भी भारत की ओर टिकी है। आज यह आवश्यक हो गया है, कि युवाओं की ऊर्जा को उध्र्वगायी बनाया जाये, शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाया जाये, युवाओं में कौशल और तकनीकी क्षमता विकसित की जाए, जिससे भारत उभरती अर्थव्यवस्था की मुख्य चुनौतियों से निपटने में सफल हो सके।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोधपत्र का उद्देश्य युवा और कौशल विकास योजना का अध्ययन करना है ।
साहित्यावलोकन
युवाओं को सशक्त बनाने की कुंजी, कौशल विकास के साथ है, जब एक युवा के पास आवश्यक कौशल होता है तो वह उसका उपयोग अपनी आजीविका व दूसरों की सहायता करने के लिए कर सकता है। वह आर्थिक रूप से राष्ट्र का भी समर्थन करता है। कौशल विकास न केवल आजीविका का साधन है बल्कि सामान्य दिनचर्या में स्वयं के जीवंत और ऊर्जावान महसूस करने का एक विशेष माध्यम भी है। अतः युवा शक्ति को शिक्षा, कौशल विकास और प्रशिक्षण द्वारा बेहतर मानव संसाधन के रूप में विकसित करने से न केवल गरीबी, बेरोजगारी और सामाजिक बुराईयांे इत्यादि का समाधान मिल सकता है अपितु वे राष्ट्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। वर्ष 2014 की एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत को भली भांति प्रशिक्षित कुशल श्रमिकों की भारी कमी का भी सामना करना पडा है तालिका 1.0 के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि यद्यपि भारत युवाओं का देश है परन्तु कुल कार्यबल में से केवल 2.3 प्रतिशत ही औपचारिक रूप से प्रशिक्षित है। जबकि अन्य विकसित देशों में प्रतिशत काफी अधिक है।
विश्लेषण

तालिक 1.3

विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में औपचारिक रूप से प्रशिक्षित कुशल मानव संसाधन-

क्र.स.

देश/अर्थ व्यवस्था

कुल कार्यबल में से औपचारिक रूप से प्रशिक्षित

1

भारत

2.3

2

यूनाइटेड किंगडम (यू0के)

68

3

जर्मनी

75

4

अमेरिका (यू0एस00)

52

5

जापान

80

6

दक्षिणी कोरिया

96

 

 

 

 

स्रोत- राष्ट्रीय कोशल विकास मिशन बुकलेट, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय।

तालिका 1.3 से स्पष्ट है कि यूनाईटेड किंगडम (यू0के0) में 68 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत, अमेरिका में 52 प्रतिशत, जापान में 80 प्रतिशत और दक्षिणी कोरिया में 96 प्रतिशत व भारत में केवल 2.3 प्रतिशत कर्मचारियों ने औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया। अतः शिक्षित कार्यबल के पास बहुत कम रोजगार कौशल है। NSSO के आँंकडों के अनुसार कुल कार्यबल लगभग 487 मिलियन है, जिसमें से 57 प्रतिशत गैर कृषि कार्यो में सलंग्न है। इनमें से भी 5.4 प्रतिशत औपचारिक कार्यकुशल है। इस प्रकार कृषि कार्यो में लगा हुआ कार्यबल तथा अनौपचारिक कार्यबल में से लगभग 298 मिलियन लोग 15-45 उम्र समूह में आते है। अतः इस कार्यसमूह को प्रशिक्षित करना एवं कौशल युक्त करना ही इस नीति व सरकार का उद्देश्य है।

भारत युवाओं का देश है युवा शक्ति का सर्वोत्तम उपयोग तभी संभव है, जब युवाओं को शिक्षा देने के साथ साथ उनमे कौशल विकास,  उद्यमिता की प्रवृत्ति जागृत हो। इसी उददे्श्य से 15 जुलाई 2015 को भारत सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रथम युवा कौशल दिवस मनाया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस कार्यक्रम को प्रारम्भ किया।

कौशल विकास योजना का स्वरूप

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, भारत की युवा पीढी को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए शुरू की गई एक प्रमुख योजना है। कौशल विकास योजना के क्रियान्वयन के लिए दो स्तर अपनाये गये है-केन्द्रीय स्तर तथा राज्य स्तर। जो राज्य केन्द्रीय स्तर पर सम्मिलित नही है। उन्होनें भी अपने अलग से State Skill Development Missions प्रारम्भ किए है। कौशल विकास कार्यक्रम अनुदानित है। इसमें छात्रों को निःशुल्क ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। सरकार इस स्क्रीम के जरिए कम पढे लिखे या 10वीं व 12वीं कक्षा ड्रापआउट युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देती है। इस योजना के तहत सरकार ने 2020 तक 1 करोड युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा था। कोई भी युवा, जो भारत का नागरिक है वह प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का लाभ उठा सकता है चाहे वह भारत के किसी भी राज्य का नागरिक हो। इस योजना के तहत विभिनन क्षेत्रों में ट्रेनिंग प्राप्त करने के लिए विभिन्न योग्यताओं की आवश्यकता है। अतः किसी भी तकनीकी क्षेत्र में प्रशिक्षण लेने से पहले योग्यता की जांच की जाऐगी। सभी ट्रेनिंग कार्यक्रम का निर्वहन Sector Skill Council (SSC) द्वारा किया जायेगा। योजना के अन्र्तगत विभिन्न योजनाओं के मद्देनजर कार्यबल तैयार किया जाऐगा, जैसे मेक इन इण्डिया, डिजिटल इण्डिया, स्वच्छ भारत अभियान इत्यादि। इस योजना में प्रशिक्षण समाप्त होने पर प्रशिक्षित युवाओं को रू. 8000/- और कोर्स, प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा। प्रशिक्षण निःशुल्क तथा कार्य की अवधि 3 महीने से एक वर्ष तक रखी गयी है। अब तक इस योजना के दो चरण सरकार द्वारा कार्यान्वित किये जा चुके है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने जनवरी 2021 में अपनी प्रमुख योजना ‘‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’’ 3.0 (PMKV- 3.0)  का तीसरा चरण आरम्भ किया।

इस योजना ने 2015-16 में अपने प्रयोगिक चरण के दौरान 19.85 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया। प्रथम चरण के सफल कार्यान्वतन के बाद भी पी.एम.के.वाई. 2016-20 को सैक्टर और भौगौलिक दोनो के संदर्भ में स्तर बढाकर और मेक इन इण्डिया, डिजिटल इण्डिया, स्वच्छ भारत आदि अन्य मिशनों के वृहद संरक्षण के माध्यम से शुरू किया गया और इसका कुल बजट परिव्यय 12000 करोड रूपये रखा गया। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 के अन्तर्गत लगभग एक लाख नागरिकों को स्वास्थ्य देखभाल से सम्बन्धित प्रशिक्षण प्रदान करना है।

तीसरे चरण के अन्तर्गत नई पीढी तथा उद्योगों की जरूरत के हिसाब से युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया। इस योजना के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करके युवा रोजगार प्राप्त कर सकेंगे, जिससे बेरोजगारी की दर में गिरावट के साथ देश का विकास होगा। इन चरण में 200 से अधिक औद्योगिक प्रशिखण संस्थानों को जोडा गया है।

योजना के प्रमुख घटक-

1. अल्पावधि प्रशिक्षण (एसटीटी)- पीएमकेवाईसी प्रशिक्षण केन्द्रों (टीसीएस) में प्रदान किया जा रहा अल्पावधि प्रशिक्षण स्कूल/काॅलेज अधूरा छोडने वाले या बेरोजगारी उम्मीदवारों पर केन्द्रित है। प्रशिक्षण की अवधि जाॅब रोलों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है, किन्तु अधिकांश पाठ्यक्रम 200-600 घंटे (2-6) महीने के बीच की अवधि के होते है। प्रशिक्षण साॅफ्ट कौशल, उद्यमशीलता, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता पाठ्यचर्चा के एक भाग के साथ राष्ट्रीय कौशल अर्हता ढांचा (एनएसक्यूएफ) अनुसार प्रदान किया जाता है। उम्मीदवारों का मूल्यांकन और प्रमाणन सफलतापूर्वक पूरा होने पर, उन्हें प्रशिक्षण भागीदारों (टीपी) द्वारा नियोजन सहायता प्रदान की जाती है।

2. पूर्व शिक्षण मान्यता (आरपीएल)- पूर्व शिक्षण अथवा कौशल वाले व्यक्तियों का पूर्व शिक्षण मान्यता (आरपीएल) स्कीम के अन्तर्गत आकंलन और प्रमाणन किया जाता है। आरपीएल का उद्देश्य देश के असंगठित कार्यबल की दक्षताओं को एनएसक्यूएफ के अनुसार करना है। प्रशिक्षण/अभिमुखीकरण की अवधि 12-80 घंटे के बीच होती है।

3. विशेष परियोजना:-पीएमकेवीवाई के विशेष परियोजना घटक में सरकारी निकायों, निगमों, उद्योगो, निकायो तथा विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण को बढावा देने की परिकल्पना की है।

योजना के उददेश्य

1.        इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के सभी युवाओं को प्रोत्साहित करके उन्हें उद्योगो से जुडे प्रशिक्षण प्रदान करना है जिससे उन्हें रोजगार पाने में मदद मिल सके।

2.        मौजूदा कार्यबल की उत्पादकता में वृद्धि करना और देश की वास्तविक जरूरतों के साथ कौशल प्रशिक्षण का जोडना।

3.        प्रमाणन प्रक्रिया के मानवीकरण को बढावा देना।

4.        चार साल (2016-20) की अवधि में 10 मिलियन युवाओं को लाभ पहुंचाना।

कौशल विकास में आने वाली मुख्य समस्याऐं

भारत में कौशल विकास में आने वाली सबसे बडी समस्या यह है कि यहंा लगभग 93 प्रतिशत लोग अकुशल है। यहाँ प्रतिवर्ष लगभग 26.14 मिलियन अकुशल लोग रोजगार के लिए 15-45 उम्र समूह में सम्मिलित हो रहे है। अतः 7 वर्ष में लगभग 104.62 मिलियन अकुशल तथा पहले से कृषि एवं गैर कृषि में लगे हुए 298 मिलियन लोगो को 2022 तक कौशल युक्त करना एक बडी चुनौती है। इसके अतिरिक्त ऐसे बेरोजगार लोगो को शिक्षित करना जिन्होनें अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त नही की है या बीच में छोड़ दी है,  भी एक बडी समस्या है। महिलाओं की घटती भागीदारी भी एक गंम्भीर समस्या है। 2011 की जनगणना के आँकडों के अनुसार महिलाओं की ग्रामीण क्षेत्रों में रोगजार में भागीदारी 33.3 प्रतिशत से घटकर 26.5 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्रों में भागीदारी 17.8 प्रतिशत से घटकर 15.5 प्रतिशत रह गई है। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु एवं औद्योगिक सेक्टरों में भी अकुशल कार्यबल आर्थिक विकास के लिए बाधक बन रहा है जिसके परिणाम स्वरूप उत्पादकता प्रभावित हो रही है तथा बडी संख्या में बेरोजगारी की दर बढती जा रही है। अतः युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराना भी एक बहुत बडी चुनौती है। इस दृष्टिकोण से हमें उद्यमिता विकास पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उद्यमिता में भारत की स्थिति 143 देशों में 76वें स्थान पर है। भारत में प्रति 1000 वर्किंग लोगो पर 0.09 कम्पनी रजिस्टर्ड है, जो कि जी-20 देशों में सबसे कम है।

योजना की उपलब्धियां 

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का उद्देश्य युवाओं को रोजगार के लिए कुशल बनाना है। इस योजनासे अब तक देश में स्थापित विभिन्न कौशल केन्द्रों व आई0टी0आई0 के माध्यम से कुशल कार्यबल तैयार किया जा रहा है। पीएमकेवीवाई 1.0 और पीएमकेवीवाई 2.0 से प्राप्त प्रशिक्षण के आधार पर मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुए कौशल ईको सिस्टम को ऊर्जा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण के नए संस्करण में सुधार किया। पीएमकेवीवाई 3.0 ने उद्योगो की जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में कौशल विकास को प्रोत्साहित किया, साथ ही यह योजना बाजार की मांगों को पूरा करने, सेवाओं में कौशल प्रदान करने में महत्वपूर्ण साबित हुई।

कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए इस योजना के तहत करीब 1 लाख से अधिक प्रोफेशनलों को तैयार किया गया। उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, अस्पतालों, सैम्पल एकत्र करने वाले, केेन्द्रों इत्यादि में तीन महीने का रोजगार प्रशिक्षण दिया गया, जो मुश्किल घडी में देश के लिए संजीवनी साबित हुआ।

निष्कर्ष सरकार प्रत्येक युवा की क्षमता तथा सामथ्र्य को पूरी तरह निखारने के लिए विभिन्न तरीको से हर संभव प्रयास कर रही है, जिनसे न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायता मिली, बल्कि रोजगार के और अधिक अवसर उपलब्ध हो सके। आज, भारत के बदले परिवेश में शहरी एवं ग्रामीण युवाओ के लिए विभिन्न क्षेत्रों के कौशल में बडी तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे है। जहाँ एक ओर सरकार कौशल विकास के लिए विभिन्न योजनाऐं एवं ट्रेनिंग कार्यक्रम चला रही है वहीं पर शहरी युवा इन योजनाओं का भरपूर लाभ उठा रहे है, लेकिन ग्रामीण युवा, सूचनाओं के अभाव में पीछे रह रहे है। आब्जर्वर रिसर्च फाउन्डेशन और वल्र्ड इकोनाॅमिक फोरम ने हाॅल ही में ‘‘इण्डिया एवं वर्क’’ शीर्षक से एक सर्वे किया। इस सर्वे में देशभार से 15 से 30 साल की उम्र के 6000 युवाओं ने बताया कि उनको इस बात की जानकारी नही है कि उनके क्षेत्र में कोई कार्यक्रम चलाया जा रहा है, और देश के लगभग 70 फीसदी यानि तीन चैथाई युवाओं ने स्किल डवलपमेन्ट प्रोग्राम में अपना नामांकन ही नही कराया। वर्तमान समय में भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था की तरफ बढ रहा है ऐसे में कार्यकुशल युवाओं को तैयार करना तथा वैश्विक अर्थ व्यवस्था की मांग और आपूर्ति को ध्यान में रखना अति आवश्यक है। यद्यपि कौशल विकास योजना देश के आर्थिक व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। लेकिन कौशल विकास के किसी भी प्रयास को न्यायपूर्ण तभी कहा जायेगा, जब इसमें ग्रामीण भारत पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए, तभी हम भारत को आत्मनिर्भर बना सकेंगें, और युवाओं की अपार ऊर्जा का सकारात्मक दिशा में उपयोग करके ही, हम विकास के शिखर को छूने का स्वपन साकार कर पायेगें।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. योजना मार्च 2019 2. कुरूक्षेत्र, नवम्बर 2019 3. कुरूक्षेत्र, फरवरी 2020 4. https://hindi.nvshq.org>pradhanma.... 5. https://pmmodiyojanae.in>prad.... 6. https://msde.gov.in>pradhanman..... 7. https://lim.wikipidia.org>wiki> 8. Website कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार। 9. India Census 2011