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खेल एवं खुशी का सम्बन्ध |
Relationship between Sport and Happiness |
Paper Id :
16135 Submission Date :
2022-06-13 Acceptance Date :
2022-06-17 Publication Date :
2022-06-25
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माधवी मर्दिकरी
प्रोफ़ेसर
शारीरिक शिक्षा विभाग
आर.टी.एम. नागपुर विश्वविद्यालय
नागपुर,महाराष्ट्र, भारत,
श्याम नारायण सिंह
सह - आचार्य
शारीरिक शिक्षा विभाग
एस.डी. (पी. जी.) कॉलेज,
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश, भारत
शुभम सैनी
शोध छात्र
शारीरिक शिक्षा विभाग
आर.टी.एम. नागपुर विश्वविद्यालय
नागपुर, महाराष्ट्र, भारत
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सारांश
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यह अध्ययन में खेल और खुशी के बीच संबंधों का विश्लेषण किया गया है, इसमें खेलों के माध्यम से मनुष्य का सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास होता है और जीवन में सुख और दुख की परिस्थितियों को भूलकर आगे बढना सीखता है। खेलों का सम्बन्ध शारीरिक गतिविधि और मानसिक तालमेल को एक-दूसरे से जीवन में खुशी का अनुभव कराता है, खेल की प्रतिक्रिया जीवन को नए जोश, उत्साह के रंग से भर देता है। हर परिस्थिति में स्वयं के जीतने की जिद के सपने बने रहते है और ये भावना दैनिक जीवन में अपने लक्ष्य तक पहुंचने अपनी सफलता और खुशियों तक पहुंचने का एक माध्यम भी बन जाती है। जो व्यक्ति खेल में संलग्न होते है वे अधिक खुश हो जाते और जो लोग तेजी से खुश होते है वे खेल में भाग लेने के लिए अधिक इच्छुक हो जाते है। जीवन में खेलों को स्थान देकर भी खुशियों का अनुभव कर सकते है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद |
In this study, the relationship between sports and happiness has been analyzed, in this, through sports, a person's overall physical and mental development and learning to move forward forgetting the situations of happiness and sadness in life. The relationship of sports makes physical activity and mental coordination feel happy in life with each other, the reaction of sports fills life with color of new enthusiasm. In every situation, dreams of one's own will to win remain and this feeling also becomes a medium to reach one's goal in daily life and reach one's success and happiness. Individuals who engage in sports become happier and those who are increasingly happy become more willing to participate in sports. You can also experience happiness by giving place to sports in life. |
मुख्य शब्द
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खेल, खुशी, शारीरिक शिक्षा, शारीरिक स्वास्थ्य। |
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद |
Sports, Happiness, Physical Education, Physical Health. |
प्रस्तावना
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खेल एक शारीरिक क्रिया है जिसके खेलने के तरीकों के अनुसार उसके अलग-अलग नाम होते है, खेल लगभग सभी बच्चों द्वारा पसंद किए जाते है। चाहे वे लडकी हो या लडका। आमतौर पर लोगों द्वारा खेलों के लाभ और महत्व के विषय में कई सारे तर्क दिए जाते है। और हाँ, हरेक प्रकार का खेल शारीरिक और मानसिक, मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के साथ गहराई से जुडा हुआ है। यह एक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, नियमित रूप से खेल खेलना, हमारे मानसिक कौशल के विकास में काफी सहायक होता है, यह एक व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक कौशल में भी सुधार करता है। यह हमारे अंदर प्रेरणा, साहस, अनुशासन और एकाग्रता लाने का कार्य करता है। स्कूलों में खेल, खेलना और इनमें भाग लेना विद्यार्थियों के कल्याण के लिए आवश्यक कर दिया गया है। खेल, कई प्रकार के नियमों द्वारा संचलित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है।
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अध्ययन का उद्देश्य
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इस शोध पत्र का उद्देश्य जनमानस को खेल और खुशी का आपस में संबंध बताना है जिससे कि एक व्यक्ति अपने जीवन में खुशी लाये और वह खेल को अपने जीवनशैली में अपनाये। |
साहित्यावलोकन
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खुशी यानि हैप्पीनेस ऐसी चीज है जो हर इंसान में अलग-अलग आती है। इसके अलावा खुशी को एक तरह से परिभाषित नहीं किया जा सकता है, व्यक्ति दर व्यक्ति हैप्पीनेस की परिभाषा भी बदल जाती है। आपकी खुशी किसी दूसरे की खुशी से अलग हो सकती है। वास्तव में हमारे जीवन में खुशी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यह हमारे जीवन जीने के तरीके पर बहुत बडा प्रभाव डाल सकती है। |
मुख्य पाठ
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हैप्पीनेस की परिभाषा के रूप में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में
इसे खुश होने की अवस्था कहा गया है, इसके अलावा इसे खुशी या
संतोष महसूस करना या दिखाना कहते है, यह लम्बे समय तक चलने
वाली स्थायी विशेषता नहीं है, यह थोडे समय के लिए आने वाली
परिवर्तनशील अवस्था है, हैप्पीनेस की फाॅर्म होती है जो
अलग-अलग समय के दौरान आती है, जरूरी नहीं है कि खुशी बाहरी
या आंतरिक अनुभव हो यह दोनों ही हो सकती है। खुश रहने वाले लोग ज्यादा सफलता प्राप्त करते है। दोस्ती, आय, काम के प्रदर्शन और स्वास्थ्य सहित कई जीवन
क्षेत्रों में खुश लोग अधिक सफल होते है। इन सभी क्षेत्रों में हैप्पीनेस एक खास
जरूरी पहलू माना जा सकता है। हैप्पी रहने वाले लोगों को जीवन में सपोर्ट सिस्टम भी
बेहतर मिलता है। दोस्ती हो या अन्य कोई रिश्ता हो खुश रहने वाले लोगों के लिए हर
क्षेत्र में समर्थन ज्यादा होता है, नाखुश रहने वाले लोगों
का सपोर्ट सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता, जीवन में हर पडाव
में आपको सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता होती है। खुश रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता
है, खुश रहने वाले लोग ज्यादा स्वस्थ रहते है भविष्य में भी स्वस्थ जीवन के
लिए खुशनुमा माहौल जरूरी होता है। खुश रहने वाले लोग नाखुश रहने वाले लोगों की
तुलना में ज्यादा लम्बा जीवन जीते है। खुश रहने वाले लोगों की बात अन्य लोग मानते
है और इसे सकारात्मक रूप में लेते है, अन्य लोगों को इन
सकारात्मक बातों से खुशी मिलती है। अन्य लोगों को खुश रहने के लिए प्रोत्साहित करने
से भी एक बेहतर प्रभाव सामने आता है, यह व्यक्तित्व को
सुधारने के काम भी आता है। आज की इस भाग-दौड भरी जिंदगी में हर कोई तनाव से घिर हुआ है, आज हर क्षेत्र में गला- काट प्रतियोगिता मची हुई है, जिस कारण एक छोटे से बच्चे से लेकर सेवानिवृत्त व्यक्ति तक के जीवन में भी
बहुत तनाव है। इस तनाव के अनेक कारण हो सकते है, जैसे बच्चों
के लिए पढाई तो बडो के लिए परवरिश, घर संभालने की
जिम्मेदारियाँ, परिवार में आपसी कलह या ऑफिस या व्यापार की
चिंता आदि, अर्थात् कोई भी इंसान यह नहीं कह सकता कि वह
चिंतामुक्त और तनाव रहित जीवन जी रहा है। खेल से सभी के मौखिक-अमौखिक विकास होता
है, खेलों से सभी का मानसिक और शारीरिक विकास में मदद मिलती
है। खेल से पूर्ण विकास तभी संभव होता, जब खेलते समय तनावमुक्त
हो। लेखक के विचार से खेल किसी भी प्रकार का हो, बच्चे या बड़ों को खुशी प्रदान करने का विकास निश्चित है। इसलिए तनाव को
दूर करने का एक ही रास्ता है जो खेलों के द्वारा किया जा सकता है कि खेलों के
द्वारा मिलने वाली खुशी से तनाव को दूर किया जा सकता है। खेलों से शारीरिक और
मानसिक विकास भी होता है। खेल क्यों खेलते है? खेल क्रियाओं के माध्यम से
वे आम घटनाओं के घटित होने के कारण भी समझने लगते है, बच्चों
को इच्छानुसार खेलने के अवसर देने से हम उनकी सीखने में मदद करते है। खेल बच्चों
को खोज करने और उसके द्वारा स्वंय सीखने का अवसर प्राप्त होता है। खोज का अर्थ है
घटनाओं और वस्तुओं के बारे में स्वंय पता लगाना। खेल की सबसे पहली विशेषता है कि
खेल आमोद-प्रमोद है, खेल में मजा आता है। कोई भी ऐसा कार्यकलाप जिससे बच्चों को आनंद मिलता है, खेल है। इसलिए
वह खेल खेलते है। खेल का इतिहास भी महत्वपूर्ण रहा है, इतिहास की घटनाओं से भी ऐसा देखा जाता रहा है की खुशी के लिए लोग खेल को
अपने दैनिक जीवन में स्थान देते रहे है। भगवान श्रीकृष्ण चैसर आदि खेल खेला करते
थे तथा भागवत की कथाओं में ऐसा देखा जाता है कि भगवान ने अपने ग्वाल बालों के साथ
भी विभिन्न तरह के खेल खेले है। देखा जाए तो विश्वभर में हजारों तरह के खेल खेले
जाते है अपितु हमारे देश में क्रिकेट का चलन इन दिनों काफी बढ रहा है। जिस पर हमें
ध्यान देना है। यह क्रिकेट हमारे समय को काफी नुकसान पहुंचाता है और ऐसा देखा जाता
है कोई भी विकसित देश इस खेल को नहीं खेलता क्योंकि इसे खेलने और देखने वाले को
समय काफी देना होता है और लाभ कुछ विशेष दिखाई नही देता। पुराने समय में खेलों में खुशी पुराने समय से ही खेल का महत्व है। विद्यार्थी जीवन में
अनुशासन पढाई का जितना महत्व है उतना ही महत्व खेलकूद का भी है। पूरा दिन कक्षा
में बैठे-बैठे पढाई करने से बाॅडी का posture खराब हो जाता है। खेलकूद बाॅडी का posture मेन्टेन रखने में मददगार साबित होता है। पहले जब बच्चे गुरूकुल में शिक्षा
ग्रहण करने जाते थे तो उन्हें पढाई के साथ-साथ अनेक प्रकार के खेल भी खिलाये जाते
थे। जिससे अपने दिमाग के साथ तन को भी स्वस्थ रख सके। एक विद्यार्थी बचपन से प्रेरणा
लेकर खेलना शुरू करता है। आजकल न सिर्फ लडके बल्कि लडकियाँ भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती
है। खेलकूद आपके दिमाग को रिफ्रेशमेंट देता है जिससे विद्यार्थी अच्छे से अपना
ध्यान केन्द्रित कर पाते है। ये कंसंट्रेसन बढाने में भी मदद करता है।
जो विद्यार्थी बचपन से खेलकूद में भाग लेते है उनके शरीर का विकास अच्छे तरीके से
होता है। विद्यार्थियों के अन्दर खेल भावना जगाती है। इससे वो एकजुटता, लीडरशिप की भावना जगाती है। ये मानसिक रूप से विद्यार्थियों को टफ बनाती
है और खेल को खेल की तरह देखना चाहिए चाहे जीत हो या हार उसे खुले दिल से स्वीकार
करना चाहिए। आधुनिक समय में खेलों में खुशी हमारे जीवन में खेलकूद बहुत ही आवश्यक है। हमारे जीवन में
मानसिक अवसाद और तनाव की स्थिति से खेलकूद हमें मुक्ति दिलाता है और हम अपने जीवन
में प्रसन्नता का अनुभव करते है। आज के इस व्यस्तता भरे जीवन में मानव इसके महत्व
को भूल रहे है किन्तु यह हमारे जीवन में खुशियों को लाने में महत्वपूर्ण स्थान
रखता है। खेल से मनुष्य का सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास होता है। खेलकूद से
मन में ताजगी आती है। खेलकूद से हमारे स्वास्थ्य शरीर और स्वस्थ मन का निर्माण
होता है। खेल एक प्रकार का व्यायाम भी होता है जो हमारे शरीर का मन को मजबूत और
सुगठित बनाता है। यह हमारे मन का मंचन कर हमको तरोताजा बनाता है। हमारा मनोरंजन
करता है। इसमें जीत और हमारे आत्मविश्वास का निर्माण कर मजबूत बनाती है। हमें जीवन
में सुख और दुख की प्रत्येक परिस्थिति को भूलकर आगे बढना सिखाती है। हमारे में
सहनशक्ति का भी विस्तार बढता है। खेल का नाम आते ही मन में उत्साह और उमंग
भर जाता है। खेलना कूदना सभी को अच्छा लगता है, विशेष रूप से बच्चों में तो यह बहुत ही
लोकप्रिय होता है और इसे पसंद किया जाता है। शिक्षा में खेल का बहुत महत्व होता है,
इसलिए हमारे पाठ्यक्रम में स्कूल की शिक्षाओं में इसे सदैव महत्व
दिया जाता रहा है। खेल सभी तरह के बैर भाव को भूलने में भी सहायक है और बच्चों में
पाचन शक्ति भी बढ़ती है, बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना
पनपती है। उसके अन्दर मित्रता और टीम के साथ काम करने की भावना और कला का विकास भी
होता है। खेलने से हम मानव में किसी को हराने की भावना का विकास नहीं होता,
बल्कि हर परिस्थिति में स्वंय के जीतने की जिद के सपने बने रहते है
और यह भावना हमें दैनिक जीवन में अपने लक्ष्य तक पहुँचने, अपनी
समृद्धि, सफलता और खुशियों तक पहुंचने का एक माध्यम भी बन जाती
है। खेल का सीधा संबंध हमारी शारीरिक गतिविधि और मानसिक तालमेल
को एक-दूसरे से जोडने से है और यह योग हमारे जीवन में खुशी का अनुभव कराता है। खेल
की प्रतिक्रिया हमारे जीवन को नए जोश और उत्साह के रंग में भरती है। खेल के दौरान
हमारे मन-मस्तिष्क में रक्त का संचार तीव्र गति से होने लगता है, जिससे हमें मानसिक उर्जा की प्राप्ति होती है। हमारा शरीर इस दौरान सुडौल
और आकर्षक बनता है, खेल से हमारे शरीर से जो पसीना निकलता है
उससे शरीर की नकारात्मक, ऊर्जा का क्षय हो जाता है और हम खुशी
महसूस करते है। खेल के दौरान हमारा मन काफी गतिशील हो जाता है जिससे हम
अतीत के विचारों को तुरंत भूल जाते है और खुशी महसूस करने लगते है। खेल इण्डोर और
आउटडोर दो तरीके से खेला जाता है जिसका सीधा मतलब हमें यही समझना है कि इण्डोर
गेम्स मस्तिष्क की क्रियाशीलता को बढाता है और आउटडोर गेम्स हमारे मन, मस्तिष्क और शरीर तीनों की गतिविधि को एक सूत्र में बांधकर हमें खुशियां
देता है, तरोताजा महसूस करवाता है। हम लोगों में फैलता यह स्क्रीन के माध्यम से खेलों का चलन
भी बहुत सावधानीपूर्वक ही हमें कुछ नियमित समय के लिए ही खेलना चाहिए। यह हमारी
आंखों को काफी क्षति पहुंचाता है, वह लोग इसे घण्टों खेलकर अपना समय भी
बर्बाद करते है। हम खेल को आनंद और प्रसन्नता की प्राप्ति के लिए खेलते है और यह
मोबाईल द्वारा प्रचलित होता है। खेल हमारे मन मस्तिष्क को भी थकाता है और हमारी
उर्जा शक्ति भी निष्क्रिय होती है। उन खेलों का प्रचार और प्रसार होना चाहिये
जिसमें समय भी कम लगे और हमारे शरीर से पसीना भी खूब निकले, फौरन
हम अपने आप को तरोताजा महसूस कर सके। लेखक की समझ में फुटबाॅल का खेल इस तरह का हो
सकता है। अब खेलने से केवल स्वास्थ्य ही उत्तम नहीं बनता बल्कि हमारा चरित्र भी
बनता है। खेलना हमें आजकल के दौर में यश और धन दिलाने का साधन भी बन चुका है। आजकल
खेल के राष्ट्रीय आयोजन में इनाम और विज्ञापन कंपनियों के माध्यम से खेलने वाले खिलाड़ी काफी मात्रा में धन भी कमाते है और खुशियों का अनुभव करते है। खेलने की इस
आदत से व्यक्ति का सम्मान और राष्ट्र का गौरव दोनों बढते है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति में अपनी रूचि के अनुसार जीवन में कुछ खेल को खेलने
की आदत भी बनानी चाहिये। आज भी खेल का ओलंपिक के रूप में खेलों का आयोजन किया जाता
है। जिस दौरान इनडोर और आउटडोर सभी तरह के खेल खेले जाते है। खेल के दौरान हमारा
मन और मस्तिष्क नई स्फूर्ति नई उर्जा का निर्माण करता है। जीवन में प्रत्येक
परिस्थिति में खेलों का योग हमें खुशियाँ दे सकता है। जीवन में हम खेलों को स्थान
देकर भी खुशियों का अनुभव कर सकते है। अतः हमें अपने दैनिक जीवन में इसका भी महत्व
समझना चाहिए। खेल खेलना जिसे अच्छा लगा वो ही जीवन के स्केल में भी खुशियों भरा
जीवन जीता है। इस तरह के तकनीकी संसार में समाज में प्रतियोगिता निरंतर बढती जा
रही है जिसके लिए बच्चों और युवाओं को आगे जाने के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता
है। इस अवस्था में खेल व्यक्ति के शान्तिपूर्ण और कुशल मस्तिष्क के विकास में
निर्माणकारी भूमिका को निभाता है जो इस प्रतियोगी क्षेत्र में जीने के लिए बहुत
आवश्यक है। कोई भी व्यक्ति जो खेल गतिविधियों में रूचि रखता है। वो जीवन के किसी
भी खेल में कभी भी हार नहीं मानता। खेल या स्पोट्र्स में उन लोगों को टीम का
खिलाडी बनना सिखाता है जो हमेशा आकर्षण का केन्द्र बने रहना वाला रवैया रखते है।
खेल और स्पोर्ट्स आत्मविश्वास बनाने वाली गतिविधियाँ हैं जो बच्चों को बहुत अधिक
आनंद प्रदान करती हैं। यह सुधार उपलब्धियों और व्यक्तिगत प्रगति की भावनाओं को लाती
है। यह एक खिलाडी को राष्ट्रीय प्रसिद्धि के साथ ही विश्वव्यापी प्रसिद्ध देता है।
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निष्कर्ष
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आज संसार के सभी देशों ने खेल के महत्व को समझ लिया है इसलिए खेलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्कूलों-कालेजों में खेलों पर अधिक खर्च किया जाने लगा है। अब हर स्तर पर खेलों का महत्व समझाने के लिए खेलों का आयोजन होने लगा है। इससे न केवल खिलाडियों बल्कि देखने वालों और सुनने वालों का भी मनोरंजन होता है। इससे जीवन समय बन जाता है। खेल के दौरान में खिलाडियों से अधिक उत्साह दर्शकों में दिखाई देता है। विदेशों में खेल के महत्व को समझते हुए खेल पर बहुत ध्यान दिया जाता है। बडे दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में सरकार खेलों पर उतना ध्यान नहीं देती जितना देना चाहिए। इस प्रकार हम देखते हैं कि खेलों में भाग लेकर खिलाडी अपना स्वास्थ्य तो ठीक रखते ही है साथ ही अपने विद्यालय कार्यालय तथा देश का नाम भी उज्जवल करते है। |
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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