P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- IX May  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
किशोरों की व्यावसायिक रूचि: एक तुलनात्मक मनोवैज्ञानिक अध्ययन
Adolescent of Occupational Interests: A Comparative Psychological Study
Paper Id :  16104   Submission Date :  12/05/2022   Acceptance Date :  20/05/2022   Publication Date :  25/05/2022
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आनंद कुमार कपिल
सह - आचार्य
मनोविज्ञान विभाग
स्वामी देवानंद पी.जी. कॉलेज
देवरिया ,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश आधुनिक युग में शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक, तकनीकी-औद्योगिक आदि समस्त क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रगति हुई है। प्रगति के कारण किशोर इन क्षेत्रों में अपनी जीविकोर्पाजन के लिए व्यवसाय करने के लिए लालायित हो रहे हैं। हम देखते है कि कोई आई0ए0एस0 बनना चाहता है तो कोई प्रोफेसर, वकील, डाक्टर बनना चाहता है। परिवार में किशोर लड़के-लड़कियां अपनी रूचि के अनुसार अपना व्यवसाय क्षेत्र चुनकर आगे बढ़ते है। परिवार में आर्थिक सहयोग करने के लिए कभी कभी बिना किसी व्यावसायिक रूचि के कार्य करते है। उस व्यवसाय में उनका मन नही लगता है। साथ ही उसमें कार्य निष्पादन में कमी आ जाती है। वर्तमान में उसमें उस कार्य के प्रति नीरसता आ रही है। यदि वे पूर्व में व्यावसायिक रूचि के अनुसार व्यवसाय का चयन करें तो व्यक्ति अपनी लगन व खुशी के साथ उस कार्य क्षेत्र में अच्छा निष्पादन कर सकता है। इस अध्ययन में व्यावसायिक रूचि परीक्षण द्वारा किशोर एवं किशोरियो का विभिन्न रूचि क्षेत्रों में अलग-अलग रूचि का प्रबल रूचि, सामान्य व न्यून रूचि स्तर प्राप्त हुआ है। दोनों समूहों किशोरों एवं किशोरियों के व्यावसासिक रूचियों तुलनात्मक रूप में अधिकांश क्षेत्रों में कोई सार्थक नही अन्तर नही पाया गया। मात्र कलात्मक क्षेत्र में सार्थक अन्तर प्राप्त हुआ। जिससे स्पष्ट है कि किशोरों एवं किशोरियों में व्यावसासिक रूचि के कलात्मक क्षेत्र में भिन्नता होती है। आज के युग में बेराजगारी, कार्य क्षेत्र में अरूचि, असंतोष की स्थिति एवं तकनीकी अक्षमता के कारण किशोरों अपने भविष्य कैरियर को लेकर तनावग्रस्त होते जा रहे है। अतः इनकी व्यावसायिक रूचियों को समझकर उनका शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ाने की नितान्त आवश्यकता है। स्कूल-कॉलेज में व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रम एवं व्यावसायिक शिक्षा उनके सुनहरें भविष्य के लिए सही दिशा दे सकती है। समाज में किशोरों को अपनी व्यावसायिक रूचि को पहचान कर ही जीविकोर्पाजन के लिए कार्य करना चाहिए। व्यावसासिक रूचियों के अनुसार व्यवसाय में कार्य संतोष व उत्तम कार्य निष्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यदि किसी परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही है उसके लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है। जिससे वह सहायता लेकर कार्य कर सकती है। इस प्रकार वह देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान दे सकते है। किशोर आत्मप्रेरित होकर अपनी अभिक्षमता एवं अभिरूचि के अनुसार ही व्यावसासिक क्षेत्रों को चुने। वे अपनी रूचियों में सुधार करें, आत्म प्रेरित पुस्तकें पढ़े या किसी सलाहकार से सलाह ले, जिससे उनमें आत्मविश्वास पैदा हो। किसी कार्य को करते रहना धैर्य व लगन का प्रतीक है। किशोरों की व्यावसायिक रूचि क्षेत्र में प्रगाढ़ता और लगन है तो उस कार्य को अपने मनोयोग से उस रूचि क्षेत्र में बेहतर उन्नति कर सकते है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the modern era, excellent progress has been made in all fields like education, medicine, social, techno-industrial etc. Due to progress, teenagers are being brought to do business in these areas for their livelihood. We see that if someone wants to become an IAS then someone wants to become a Professor, Lawyer, Doctor. In the family, teenage boys and girls move ahead by choosing their occupational field according to their interests. To support the family financially, sometimes they work without any commercial interest. He doesn't like that business. At the same time, there is a decrease in the performance of the work. At present, he is getting dull towards that work. If they choose the business according to the business interest in the past, then the person can perform well in that work area with his passion and happiness.
In this study, by vocational interest test, adolescent boys and girls have different interest in different interest areas, strong interest, normal and low interest level. No significant difference was found in most of the areas compared to the occupational interests of both the groups of adolescents and adolescent girls. Significant difference was found only in the artistic field. From which it is clear that there is a difference in the artistic field of professional interest in adolescent boys and girls.
In today's era, due to unemployment, disinterest in work, dissatisfaction and technical inefficiency, teenagers are getting stressed about their future career. Therefore, there is an urgent need to increase their academic achievements by understanding their professional interests. Personality development courses and vocational education in school-college can give right direction for their golden future. Adolescents in the society should work to earn their livelihood only after recognizing their professional interest. According to professional interests, job satisfaction and good performance can be achieved in business. If the financial condition of a family is not good, for that the government is running various schemes. So that she can work with help.
In this way, he can make his invaluable contribution in the development of the country. Teenagers should be self-motivated and choose the professional interests of that work area according to their aptitude. Cultivate those interests, read books or take advice from a mentor, which will instill confidence in them. To do something is a sign of patience and perseverance. If the teenagers have a passion and passion in the professional interest field, then they can make better progress in that area of ​​interest with their dedication. ,
मुख्य शब्द व्यवसाय, सन्तोष, साहित्यिक क्षेत्र, वैज्ञानिक क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र, वाणिज्य क्षेत्र, रचनात्मक क्षेत्र, कलात्मक क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, अनुनयात्मक क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र, गृहकार्य क्षेत्र, जीविकोर्पाजन
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Business, Contentment, Literary Field, Scientific Field, Administrative Field, Commerce Field, Creative Field, Artistic Field, Agricultural Field, Persuasion Field, Social Field, Home Work Area, Earning A living.
प्रस्तावना
आधुनिक युग में शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक, तकनीकी-औद्योगिक आदि समस्त क्षेत्रों मे उत्कृष्ट प्रगति हुई है। इन क्षेत्रों में प्रगति के कारण किशोर इन क्षेत्रों में अपनी जीविकोर्पाजन के लिए व्यवसाय करने के लिए लायायित हो रहे है। हम देखते है कि कोई आई0ए0एस0 बनना चाहता है तो कोई प्रोफेसर, वकील, डाक्टर बनना चाहता है। परिवार में किशोर लड़के-लड़कियां अपनी रूचि के अनुसार अपना विषय-क्षेत्र चुनकर आगे बढ़ते है। लड़किया किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नही है। व्यावसायिक रूचि व्यक्ति के उस स्तर को प्रदर्शित करती है, जिसके लिए व्यक्ति कुछ कैरियर विकल्पों या गतिविधियों को पसन्द करते है जो विभिन्न क्षेत्र व पदों के लिए सामान्य हो सकते है। आधुनिक युग में व्यवसाय का अर्थ एक प्रकार की संगठित जीविका से लिया गया है, जिसके लिए एक विशेष प्रकार की ट्रेनिंग और उस क्षेत्र के विशेष जानकारी की जरूरत होती है। कार सैन्डर्सन एवं विल्सन ने अपनी पुस्तक “दा प्रोफेशन” में बताया है कि व्यवसाय के लिए यह आवश्यक है कि उसमें उससे सम्बन्धित बौद्धिक ज्ञान का उपयोग हो सके। जिसे व्यक्ति एक विशेष प्रशिक्षण से ही प्राप्त कर सकता है। ग्रीनवुड, जानसन, फ्रीडलेण्डा आदि के विचारों के आधार पर कहा जा सकता है कि व्यवसाय सामाजिक मान्यता प्राप्त जीविकोपार्जन का एक ऐसा माध्ययम है जिसके लिए अपेक्षित स्तर का ज्ञान एवं प्रशिक्षण के साथ उनमे उच्च नैतिक गुणों का भी समावेश हो और देशसेवा की भावना हो। प्रस्तुत शोधपत्र किशोर-किशोरियों की व्यावसायिक रूचि के अध्ययन से सम्बन्धित है। परिवार में आर्थिक सहयोग करने के लिए कभी कभी बिना किसी व्यावसायिक रूचि के कार्य करते है। उसमे उनका मन नही लगता है। साथ ही उसमें कार्य निष्पादन में कमी आ जाती है। यदि पूर्व में चयन व्यावसायिक रूचि के अनुसार कार्य करें तो उसमें उस कार्य के प्रति अच्छा निष्पादन प्राप्त किया जा सकता है। व्यावसायिक अरूचि के कारण उस क्षेत्र में नीरसता आ जाती है। गिलफोर्ड के अनुसार - रूचि वह प्रवृत्ति है जिससे हम किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया की ओर ध्यान देते है। उससे आकर्षित होते है या सन्तुष्टि प्राप्त करते है। रूचि दो प्रकार की होती है - जन्मजात रूचि एवं अर्जित रूचि व्यक्ति की रूचि का निर्धारण उसकी दैहिक आवश्यकताओं, मूल प्रवृत्तियों, संस्कृति, अनुभव, आदर्श, सामाजिक मूल्य, अभिक्षमता, आयु तथा लिंग आदि कारको से होता है। रूचियों में आन्तरिक एवं बाह्य कारकों के द्वारा परिवर्तन भी देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए आयु के साथ रूचियों के रूप एवं प्रकार भी बदलते जाते है। विद्वान हान एवं मेकलिन ने रूचियों के निम्नांकित तीन प्रकार बताये है - 1-व्यक्त अभिरूचि - इसके अन्तर्गत विषयी स्वयं अपनी रूचि का वर्णन करता है। 2-निरीक्षित अभिरूचि - किसी व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण कर रूचि को देखा जाता है। 3-मापित अभिरूचि - इस प्रकार की अभिरूचियां जिनका मापन विश्वसनीय तथा वैध परीक्षण की सहायता से किया जाता है, मापित अभिरूचियां कहलाती है। इन मापनियों में निष्पादन परीक्षण, चित्रात्मक परीक्षण, रेटिंग परीक्षण, प्रश्नावली तथा अपूर्ण वाक्यों की पूर्ति परीक्षण आदि आते है । शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए रूचि परीक्षण का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ। इस क्षेत्र में सर्वप्रथम रूचि परीक्षण का निर्माण कार्नैगी इन्स्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा 1914 में किया गया। भारत में उ0प्र0 मनोविज्ञानशाला, इलाहाबाद द्वारा 1956 में कूडर के रूचि प्रपत्र के आधार पर एक व्यावसायिक रूचि प्रपत्र का निर्माण किया गया। रूचि परीक्षण सामान्यतः दो प्रकार के होते है - 1- व्यावसायिक रूचि मापन परीक्षण 2- शैक्षिक रूचि मापन परीक्षण इन दोनो के अतिरिक्त जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी रूचि के मापन हेतु मापन परीक्षण किया जाता है। व्यावसायिक रूचि परीक्षण का निर्माण व्यक्ति की व्यावसायिक पसन्द के बारे जानने एवं उसको व्यावसायिक निर्देशन देने में किया जाता है। आज के युग में बेराजगारी, कार्य क्षेत्र में अरूचि, असंतोष की स्थिति एवं तकनीकी अक्षमता के कारण किशोरों अपने भविष्य कैरियर को लेकर तनावग्रस्त होते जा रहे है। अतः इनकी व्यावसायिक रूचियों को समझकर उनका शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ाने की नितान्त आवश्यकता है। स्कूल-कॉलेज में व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रम एवं व्यावसायिक शिक्षा उनके सुनहरें भविष्य के लिए सही सिद्ध होगी। वर्तमान मे किशोरो एवं किशोरियों की व्यावसायिक रूचि में भिन्नता के अनेक कारण है। जो निम्न प्रकार से है- 1. घरेलू कार्य में संलिग्नता 2. गृहकार्य में व्यस्तता 3. पारिवारिक चिन्ता 4. आर्थिक असन्तुलन 5. समय की कमी 6. मूल्य -सिद्धान्त में परिवर्तन 7. नई रूचि का विकास 8. रचनात्मक कार्य में बदलाव 9. पारिवारिक प्रतिबद्धता अधिकांश किशोर सम्मान व अधिक आय के लिए अच्छे व्यवसाय में जाना चाहते है। उदाहरण के लिए - कोई इंजीनियर, कोई आई0ए0एस0, कोई डाक्टर बनने का सपना देखते है। यह सच है कि जिस क्षेत्र में किसी की रूचि नही है और उनमें धन कमाने के कारण सन्तोष खो जाता है। इस प्रकार की भावना इनकी प्रतिभा व अभिक्षमता को कुण्ठित कर देती है। किशोरों को अपने प्रगतिशील विचारों को पनपने देना चाहिए तथा अपनी रूचियों को बढ़ने का अवसर अवश्य खोज लेना ही बुद्धिमानी होती है । ऐसी स्थिति में परिवार मे लड़कों व लड़कियों को रूचि के क्षेत्रों जैसे - शिक्षण, लेखन, वैज्ञानिक व तकनीकी क्षेत्र, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, उद्योग, पेन्टिग व कम्प्यूटर आदि में अपनी रूचियों को व्यावसायिक रूप देना चाहिए। आत्म निर्भर सदस्यों से परिवार मे खुशी व प्रगति प्राप्ति होती जाती है। अपनी रूचियों के अनुरूप व्यवसाय चुनने से बढ़ती महगांई में अच्छा जीवन यापन करने एवं आर्थिक उन्नति में सहायक हो सकती है। अधिकांश नवयुवक अपने माता-पिता की इच्छा के पालन के कारण अपनी रूचि न होने पर भी किसी भी व्यवसाय चुनते है। उस व्यवसाय में विभिन्न कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। व्यावसायिक रूचि के अभाव के कारण वर्तमान परिवेश में निम्नांकित उत्पन्न समस्याएं है - 1. व्यावसायिक क्षेत्र में कार्य के प्रति समायोजन की समस्या 2. कार्य निष्पादन की समस्या 3. कार्य अंसंतोष की समस्या 4. अभिक्षमता व तकनीक का अभाव 5. कार्य के प्रति अरूचि व नीरसता 6. कार्य के प्रति तनाव 7. कार्य में प्रगति न होना
अध्ययन का उद्देश्य किशोर विद्यार्थियों के व्यक्तित्व, व्यवसाय कौशल, अभिक्षमता की पहचान, सामाजिक समायोजन, नैतिक दायित्व व जीविकोपार्जन हेतु उनके व्यावसासिक रूचि क्षेत्रों - साहित्यिक क्षेत्र, वैज्ञानिक क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र, वाणिज्य क्षेत्र, रचनात्मक क्षेत्र, कलात्मक क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, अनुनयात्मक क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र एवं गृहकार्य क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों का तुलनात्मक अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन
व्यावसायिक रूचियों के सम्बन्ध में अनेक शोध हुए है। पटेल, 1967 ने गुजरात के हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं के व्यावसायिक रूचि का अध्ययन किया। इस अध्ययन में पाया कि इंजीनियर, डाक्टर का व्यवसाय सर्वाधिक पसन्द किया गया। कार्यालय बाबू का व्यवसाय कम पसन्द किया गया। दोनों वर्गों के आयु के अनुसार रूचियों में सार्थक अन्तर मिला। डायमण्ड, 1971 ने पुरूष और महिला प्रयोज्यो पर अपना शोध किया, जिनका उद्देश्य व्यावसायिक रूचियों का पता लगाना था। निष्कर्ष में पुरूष और महिला के व्यावसायिक स्तर में अन्तर पाया गया। राजे तथा एल्टन, 1982 के अध्ययन में 607 महिलाओ पर शोध किया। जिसमें पाया कि कौशल और रूचि से सम्बन्धित स्थिरता वाले प्रयोज्यों में व्यावसायिक भिन्नता पायी गयी। हार्डिगन, पैटरिक सीक्रोहेन, स्टेनले आर, 2001 ने व्यवसाय सन्तुष्टि और कैरियर चुनाव से सम्बंधित प्रयोज्यों पर अपना शोध किया और पाया कि कैरियर चुनाव और व्यवसाय सन्तुष्टि पर अपना प्रभाव डालती है। चौहान, अजय, 2017 ने माध्यमिक विद्यालय के 60 छात्र-छात्रों के लिंग व व्यवसाय के मध्य व्यावसायिक रूचि का मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया जिसमें निष्कर्ष निकाला कि इनमें सार्थक अन्तर है। होक ज्वेल, 2018 ने माध्यमिक विद्यालय के 100 छात्रों की उनकी आकांक्षा के स्तर के सम्बन्ध में उनके व्यावसासिक हितों को जानने के लिए अध्ययन किया। अध्ययन परिणाम में पाया कि माध्यमिक स्तर के छात्रो की व्यावसासिक रूचियों व आकांक्षा के स्तर के मध्य कोई सम्बन्ध नही था। मंडल, गौरीश चन्द्र, 2018 में माध्यमिक विद्यालय के 200 छात्रों की उनके लिंग के सम्बन्ध में व्यावसायिक रूचियों का तुलनात्मक अध्ययन किया। परिणाम से ज्ञात हुआ कि विभिन्न व्यावसायिक रूचि क्षेत्रों में माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के व्यावसासिक रूचि पैटर्न में अन्तर था। फैयाज अहमद, 2019 ने माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों की व्यावसायिक रूचियों का लिंग, सामाजिक-आर्थिक स्तर व बुद्धि से सम्बन्धित अध्ययन किया। जिसमें इनके मध्य कोई सार्थक अन्तर नही पाया। जैन शैली, 2020 ने मध्य प्रदेश के आवासीय स्कूल के 300 प्रयोज्य (150 लड़किया व 150 लड़के) जनजातीय स्कूली विद्यार्थियों व्यावसायिक रूचियों का अध्ययन किया। इस शोध निष्कर्ष में पाया कि लड़को व लड़कियों के व्यावसायिक रूचियों में सार्थक अन्तर होता है। बिट, बानी, 2021 ने 200 प्रयोज्य ग्रामीण व शहरी छात्र-छात्राओं की व्यावसासिक रूचि के क्षेत्रों का तुलनात्मक शोध अध्ययन किया। इन्होने व्यावसायिक रूचि के 10 क्षेत्रों में से मात्र 3 क्षेत्र कृषि, सामाजिक, गृहकार्य व्यावसायिक रूचियों में सार्थक अन्तर पाया है। गोस्वामी, सरिता, 2021 ने भी मेरठ जिले के माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों 100 (50 छात्र व 50 छात्राओं ) की विभिन्न व्यावसायिक रूचियों का तुलनात्मक अध्ययन किया, जिसके निष्कर्ष में बताया छात्र एवं छात्राओं की व्यावसायिक रूचियों के अधिकांश क्षेत्रों में कोई सार्थक अन्तर नही पाया जाता है।
मुख्य पाठ

इस व्यावसायिक रूचि प्रपत्र में विभिन्न रूचियों से जुड़े 200 प्रश्न है, जोकि 10 प्रकार के व्यावसायिक रूचि क्षेत्र से सम्बन्धित है इस परीक्षण में निम्नांकित तालिका में दिये गये रूचि क्षेत्र है-

क्रम सं0 

रूचि क्षेत्र 

संकेत 

1

साहित्यिक 

L

2

वैज्ञानिक 

SC

3

प्रशासनिक

E

4

वाणिज्य

C

5

रचनात्मक 

Co

6

कलात्मक

A

7

कृषि

Ag

8

अनुनयात्मक 

P

9

सामाजिक  

S

10

गृहकार्य

H


प्रत्येक क्षेत्र में प्रश्न या कार्य है, जिनमें 10 उद्धर्वाधर और 10 क्षैतिज दिशा में है। व्यावसायिक रूचि प्रपत्र में किसी एक व्यावसायिक क्षेत्र में अधिकतम प्राप्तांक 20 तथा न्यूनतम प्राप्तांक शून्य है। प्रत्येक क्षेत्र में अधिकतम प्राप्तांक 20 तथा न्यूनतम प्राप्तांक शून्य है। प्रत्येक क्षेत्र में अधिकतम प्राप्तांक 20 तथा न्यूनतम प्राप्तांक शून्य है। प्रत्येक क्षेत्र में दिये गये कार्यो के सम्मुख कोष्ठक में 3 प्राप्तांक, कम  पसन्द को 1 प्राप्तांक और नापसन्द वाले कोष्ठक में 0 अंकित करना होता है। 

इस परीक्षण का प्रशासन व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूप से किया जा सकता है। इसे पूरा करने में कोई समय सीमा नही है फिर भी लगभग दस मिनट में पूरा करना होता है। इसका फलांकन पार्श्व-चित्र में अंकित करना होता है। 0 से 3 तक मूल प्राप्तांक पर उस क्षेत्र से सम्बन्धित निम्न रूचि, 4 से 6 मूल प्राप्तांक पर औसत से कम रूचि, 7 से 13 तक मूल प्राप्तांक पर औसत रूचि, 14 से 17 तक मूल प्राप्तांक आने पर औसत से अधिक रूचि तथा 18 से 20 तक मूल प्राप्तांक उच्च रूचि को इंगित करते है। इन प्राप्तांकों के आधार पर विशिष्ट रिपोर्ट तैयार की जाती है। सामान्य रिपोर्ट में मुख्य रूचि क्षेत्र, द्वितीय रूचि क्षेत्र, तृतीय रूचि क्षेत्र तथा न्यून या सबसे कम रूचि क्षेत्र का विवरण दिया जाता है। इस आधार पर व्यावसायिक रूचि का मापन किया जाता है। इस परीक्षण का विश्वसनीयता गुणांक पुनर्परीक्षण विधि से 0.89 ज्ञात किया गया। पद विश्लेषण के आधार पर प्रत्येक व्यावसासिक क्षेत्र का वैधता गुणांक ज्ञात किया गया। अध्यापक, माता-पिता एवं अभिभावकों की राय से प्रपत्र के परिणामों की तुलना करने 0.81 से 0.85 सहसम्बन्ध ज्ञात किया गया।

सांख्यिकी विधि

आंकड़ों के एकत्रीकरण हेतु सांख्यिकी विधि द्वारा समस्त 10 व्यावसायिक रूचि क्षेत्रों का तुलनात्मक विवरण अंकित गया । जिसमें मध्यमान , मानक विचलन एवं टी-परीक्षण की गणना की गई। प्राप्त प्रदत्तों का सांख्यिकीय विश्लेषण एवं व्याख्या निम्नांकित तालिकाओं में प्रदर्शित किया गया है।

तालिका सं0 1

किशोर एवं किशोरियों की साहित्यिक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

साहित्यिक L

13.76

12.98

  8.24

11.08

1.08

सार्थक नही

तालिका सं0 1 में किशोर एवं किशोरियों के साहित्य क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 1.08 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।



तालिका सं0 2 

किशोर एवं किशोरियों की वैज्ञानिक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

व्यावसायिक क्षेत्र

वैज्ञानिक SC

  8.21

11.98

  8.19

12.83

1.16

सार्थक नही

तालिका सं0 2 में किशोर एवं किशोरियों के वैज्ञानिक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 1.16 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।

 तालिका सं0 3

किशोर एवं किशोरियों की प्रशासनिक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

प्रशासनिक 
क्षेत्र

  9.74

2.98

  8.7

2.58

1.63

सार्थक नही

तालिका सं0 3 में किशोर एवं किशोरियों के प्रशासनिक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 1.63 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।

 

तालिका सं0 4

किशोर एवं किशोरियों की वाणिज्य क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

वाणिज्य क्षेत्र

  10.14

13.28

  9.24

8.31

.576

सार्थक नही

तालिका सं0 4 में किशोर एवं किशोरियों के वाणिज्य क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य .576 है , जो सार्थकता के स्तर .05  पर सार्थक नही है।

तालिका सं0 5

 किशोर एवं किशोरियों की रचनात्मक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

रचनात्मक 
क्षेत्र

  11.14

12.28

  8.24

7.31

1.69

सार्थक नही

तालिका सं0 5 में किशोर एवं किशोरियों के रचनात्मक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 1.69 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।



तालिका सं0 6

 किशोर एवं किशोरियों की कलात्मक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

कलात्मक A

  7.14

2.28

  8.24

3.31

2.91

सार्थक है

तालिका सं0 6 में किशोर एवं किशोरियों के कलात्मक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 2.91 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक है।

तालिका सं0 7

 किशोर एवं किशोरियों की कृषि क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

कृषि Ag

  7.14

3.28

  7.24

3.31

1.71

सार्थक नही

तालिका सं0 7 में किशोर एवं किशोरियों के कृत्रि क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 1.71 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।


तालिका सं0 8

 किशोर एवं किशोरियों की अनुनयात्मक  क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

अनुनयात्मकP

  10.23

2.8

  8.78

2.41

0.069

सार्थक नही

तालिका सं0 8 में किशोर एवं किशोरियों के अनुनयात्मक  क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 0.069 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।

तालिका सं0 9

 किशोर एवं किशोरियों की सामाजिक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

सामाजिक S

  9.54

3.47

  9.21

2.81

0.579

सार्थक नही

तालिका सं0 9 में किशोर एवं किशोरियों के सामाजिक क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 0.069 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।


तालिका सं0 10

किशोर एवं किशोरियों की गृहकार्य क्षेत्र की व्यावसायिक रूचि तुलनात्मक विवरण

 

किशोर 40

 

किशोरियां40

 

 

 

व्यावसायिक क्षेत्र

 मध्यमान

मानक विचलन

मध्यमान

मानक विचलन

टी-परीक्षण

सार्थक स्तर

गृहकार्य H

  9.04

4.27

  9.1

2.78

.108

सार्थक नही

तालिका सं0 10 में किशोर एवं किशोरियों के गृहकार्य क्षेत्र की व्यावसायिक रूचियों की तुलना क्रान्तिक अनुपात टी-परीक्षण मूल्य के रूप में की गई । प्राप्त टी-मूल्य 0.108 है , जो सार्थकता के स्तर .05 पर सार्थक नही है।

परिणाम -

किशोर एवं किशोरियों की रूचियोँ का सार्थक स्तर तालिका

क्रम सं0

व्यावसासिक रूचि क्षेत्र

सार्थक स्तर

     1

 साहित्यिक

सार्थक नही

     2

 वैज्ञानिक

सार्थक नही

     3

 प्रशासनिक

सार्थक नही

     4

 वाणिज्य

सार्थक नही

     5

 रचनात्मक

सार्थक नही

     6

 कलात्मक

सार्थक है

     7

 कृषि

सार्थक नही

     8

 अनुनयात्मक 

सार्थक नही

     9

 सामाजिक

सार्थक नही

    10

 गृहकार्य

सार्थक नही


न्यादर्ष

इस अध्ययन हेतु देवरिया, उ0प्र0 के कुल 80 (40 किशोर एवं 40 किशोरियो) को यादृच्छिकृत रूप से चुना गया।

प्रयुक्त उपकरण डा0 एस0पी0 कुलश्रेष्ठ द्वारा 1956 मे निर्मित व्यावसायिक रूचि परीक्षण को किशोरो की व्यावसायिक रूचियों की स्थिति जानने के निर्मित किया गया।
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी

आंकड़ों के एकत्रीकरण हेतु सांख्यिकी विधि द्वारा समस्त 10 व्यावसायिक रूचि क्षेत्रों का तुलनात्मक विवरण अंकित गया । जिसमें मध्यमान, मानक विचलन एवं टी-परीक्षण की गणना की गई। प्राप्त प्रदत्तों का सांख्यिकीय विश्लेषण एवं व्याख्या निम्नांकित तालिकाओं में प्रदर्शित किया गया है।

निष्कर्ष परिणाम तालिका से स्पष्ट है कि डा0 एस0पी0 कुलश्रेष्ठ द्वारा व्यावसायिक रूचि प्रपत्र परीक्षण द्वारा किशोर एवं किशोरियो का विभिन्न रूचि क्षेत्रों में अलग- अलग रूचि का सार्थक स्तर प्राप्त हुआ है । दोनों समूहों किशोरों एवं किशोरियों के अधिकांश क्षेत्रों में कोई सार्थक नही अन्तर नही पाया गया । मात्र कलात्मक क्षेत्र में सार्थक अन्तर प्राप्त हुआ । जिसका कारण स्पष्ट है कि किशोरों एवं किशोरियों में कलात्मक क्षेत्र में भिन्नता पाई जाती है।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव समाज में किशोरों को अपनी व्यावसायिक रूचि को पहचान कर ही जीविकोर्पाजन के लिए कार्य करना चाहिए। यदि किसी परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही है उसके लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है। जिससे वह सहायता लेकर कार्य कर सकती है। इस प्रकार वह देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान दे सकते है। किशोर आत्मप्रेरित होने के इस प्रकार पुस्तके पढ़े या किसी सलाहकार से सलाह ले, जिससे उनमें आत्मविश्वास पैदा हो। किसी कार्य को करते रहना धैर्य व लगन का प्रतीक है। यदि किसी किशोर का व्यावसायिक रूचि क्षेत्र परिवर्तित हो गया है तो उसे भी अपने मनोयोग से उस क्षेत्र में बेहतर उन्नति कर सकते है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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