ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- III June  - 2022
Anthology The Research
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आकांक्षाओं की पूर्ति के सन्दर्भ में मूल्य शिक्षा
Value Education in Context of Fulfilling The Aspirations of National Education Policy 2020
Paper Id :  16182   Submission Date :  04/06/2022   Acceptance Date :  07/06/2022   Publication Date :  17/06/2022
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कविता तिवारी
असिस्टेंट प्रोफेसर
शिक्षा विभाग
आई.पी. (पी.जी.) कॉलेज
बुलंदशहर,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश शिक्षा किसी भी समाज और राष्ट्र की रीढ़ होती है जिसके आधार पर उस समाज और राष्ट्र का चहुँमुखी विकास आकार पाता है। समय के साथ होने वाले शाश्वत परिवर्तन आवश्यकता महसूस कराते हैं कि शिक्षा में भी परिवर्तन लाया जाए, इन्हीं परिवर्तनों के चलते 1986 के बाद हमारे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू हो चुकी है। इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने को लक्षित किया गया है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की संरचना के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है जिसके आधारभूत सिद्धांत में एक दृष्टि छिपी है जो इसे पूर्व की सभी शिक्षा नीतियों से विशिष्ट बनाती है। हम सभी जानते हैं कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का आधार मूल्य हैं। प्रस्तुत लेख में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा मूल्यों से परिपूर्ण उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की आकांक्षाओं की पूर्ति का विश्लेषण किया गया है l
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Education is the backbone of any society and nation, on the basis of which the all-round development of that society and nation is shaped. The eternal changes that take place over time make it necessary to bring changes in education too, due to these changes, the National Education Policy 2020 has been implemented in our country after 1986. The National Education Policy aims to ensure inclusive and equitable quality education for all. The National Policy on Education has been implemented as a framework for quality education, which has a hidden vision in its basic principle which makes it unique from all the earlier education policies. We all know that values ​​are the cornerstone of quality education. In the present article, the fulfillment of the aspirations of high quality education full of values ​​has been analyzed by the National Education Policy 2020.
मुख्य शब्द राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मूल्य शिक्षा, आकांक्षा।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद National Education Policy 2020, Value Education, Akanksha.
प्रस्तावना
वर्तमान में अपने समाज और देश का ईमानदारी से मूल्यांकन करें तो हम पायेंगे कि हम सभी का लक्ष्य प्रतियोगिता में जीतना बन चुका है। ये प्रतियोगिता विद्यालय में अंक से प्रारंभ होकर व्यवसाय/रोजगार के अर्थ (धन) पर समाप्त हो रही है। 70 के दशक के पश्चात् शिक्षा को हम देखें तो ये रोजगारोन्मुखी होती गई लेकिन जीवन मूल्यों से उतनी ही दूर होती गई, जिसने मनुष्य को सिर्फ पैसा कमाने की मशीनी होड़ की तरफ धकेला, जिसे न तो अपने परिवार, समाज और राष्ट्र से वास्तविक जुड़ाव है न ही प्रकृति से प्रेम। उसे लगाव सिर्फ उतना है, जितना उसके स्वार्थ की पूर्ति करता है। परिणामस्वरूप हमारे देश में लोग भौतिक सुख-सुविधाओं से संपन्न होकर भी संतुष्ट नहीं है। जो पास में है उससे खुश नहीं है, और जो पास नही है, या दूसरे के पास है, उसके पीछे दौड़ने की अभिलाषा ने उसकी खुशी को उससे दूर ही रखा है। परिणाम ये हो रहा है कि समाज और देश में मानसिक स्वास्थय तेजी से बिगड़ रहा है। शिक्षा-संस्कृति में मूल्यों की कमी ही है, जिसने विवेकहीनता, अपराध, निराशा, आत्महत्या, कम उम्र में ही शारीरिक-मानसिक व्याधियां, प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोत्तरी और संसाधनों की कमी के दृश्यों को अति की श्रेणी में ला खड़ा किया है। हमारे विज्ञान और तकनीकी ज्ञान ने चन्द्रमा और मंगल जैसे ग्रहों तक पहुँच बना दी, अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को हम तलाश रहे है, तो साथ ही साथ अपनी ही प्रकृति को नियंत्रित करने की अनियंत्रित इच्छा से पृथ्वी पर अपने अस्तित्व को खोते जा रहे है। कारणों में सबसे मुख्य कारण है कि हमने अपनी जड़ों को छोड़ना शुरू कर दिया है, अपनी संस्कृति में समाहित मूल्यों को रूढ़िवादिता का नाम देकर आधुनिक रोबॉट जैसे नागरिक बन रहे है, जिनके दिल में किसी के लिये कोई अपनापन, सम्मान, प्रेम का भाव नहीं है, है तो सिर्फ स्वहित की उड़ान। इन्ही कमियों/समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने।
अध्ययन का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आकांक्षाओं की पूर्ति के संदर्भ में मूल्य शिक्षा का विश्लेषण करना l
साहित्यावलोकन

पाटिल, योजनाए यतिन (2013) ने समाज में मूल्य आधारित शिक्षा की भूमिका विषय पर शोध किया शोध का उद्देश्य था विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए मूल्य संबंधी मत का पुनरावलोकन करना, उनका शिक्षा एवं वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में महत्व व उपयोग को अवलोकित करना तथा समाज में मूल्य आधारित शिक्षा की भूमिका पर आवश्यकता को अवलोकित करना इसके लिए शोधकर्ताओं ने संदर्भ पुस्तकों एवं वेब स्रोतों से सूचनाएं एकत्रित करके विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि समाज में मूल्यों को समाहित करने हेतु विभिन्न कार्यक्रम विकसित करने की अति आवश्यकता है क्योंकि-

1. हमारा देश नैतिक सांस्कृतिक संकटों का सामना कर रहा है और हमारी शिक्षा सभ्य समाज के निर्माण में विफल रही है
2. समाज में चरित्र का संकट नैतिक पतन व पारंपरिक अनुशासन टूटता हुआ पाया
3. इस प्रकार की दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली से निकलने वाले विद्यार्थियों का एकमात्र उद्देश्य किसी भी तरह से चाहे सही, गलत, उचित, अनुचित, अच्छे

मुख्य पाठ

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आंकाक्षाएं

एक तरफ आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के कारण मनुष्य की जगह मशीनें और रोबॉट कार्य कर रहे है। दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ते प्रदूषण, घटते संसाधनों के कारण जल, भोजन, ऊर्जा, स्वच्छता जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये नये रास्तों की जरूरत महसूस की जा रही है।

भारत द्वारा 2015 में अपनाये गये सतत विकास एजेंडा 2030 के लक्ष्य 4 (एस0डी0जी04) में परिलक्षित वैश्विक शिक्षा विकास एजेंडा के अनुसार विश्व में 2030 तक सभी के लिये समावेशी और समान गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने तथा जीवन पर्यन्त शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा दिये जाने का लक्ष्य रखा गया है। वैश्विक परिवर्तनों के इस दौर में ये अति महत्वपूर्ण है कि सीखने की प्रक्रिया को सतत बनाया जाए, और ये सीखना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के रूप में हो।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्पष्ट करती है कि शिक्षा मनुष्य की पूर्ण क्षमताओं का विकास करे, जिससे एक न्याय संगत और न्यायपूर्ण समाज व राष्ट्र का विकास हो। शिक्षा ऐसे व्यक्तित्व का विकास करे जो वैश्विक मंच पर सामाजिक न्याय, समानता, वैज्ञानिक प्रगति, राष्ट्रीय एकीकरण और संस्कृति के संदर्भ में भारत को सतत प्रगतिशील बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करे। साथ ही साथ राष्ट्र की समृद्ध प्रतिभा व संसाधनों का सर्वोत्तम विकास व संवर्धन व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व की प्रगति की दिशा में हो।

इस गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की संरचना के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। NEP 2020 की संरचना के आधार में एक दृष्टि छिपी हुई है, जो इसे पूर्व की सभी शिक्षा नीतियों से विशिष्ट बनाती है, वह है इसका लक्ष्यNEP 2020 का लक्ष्य है-अच्छे इंसानों का विकास करना, ऐसे इंसान जो तर्कसंगत बुद्धि और कार्य के साथ-साथ करूणा, सहानुभूति, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, लोकतांत्रिक व नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण हों। ये नीति वर्तमान आवश्यकताओं के संदर्भ में परम्परागत मूल्यों के सर्वधन की पुनर्व्याख्या करती है। हमारे प्राचीन मूल्य सार्वभौमिक हैं, आज भी संसार में हर जगह वे समान रूप से सत्य और प्रांसगिक हैं। इन मूल्यों से परिपूर्ण उच्चतर गुणवत्तायुक्त शिक्षा की सार्वभौमिक पहुँच को लक्षित किया गया है। ये शिक्षा हमारे देश को वैश्विक ज्ञान के क्षेत्र में विश्वगुरू का दर्जा दिलाए, साथ ही राष्ट्र को न्यायसंगत जीवंतता प्रदान करें। विद्यार्थियों में संवैधानिक मूल्यों, मौलिक कर्तव्यों, अपनी जड़ो से जुड़ाव के साथ-साथ परिवर्तनशील वैश्विक स्तर पर वैश्विक नागरिक की भूमिका और उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूकता विकसित करे। नीति से स्पष्ट है कि विद्यार्थी व्यवहार, बुद्धि, कार्य, ज्ञान, कौशल और मूल्य से भारतीय होने का गर्व महसूस करें। ऐसे वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित हो जो मानव अधिकार, स्थाई विकास और जीवन यापन तथा विश्व कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हों।

आधार सिद्धान्त में मूल्य

NEP 2020 ने मूल्यों की नई पुनर्व्याख्या की। सीखते रहने की प्रवृत्ति नागरिकों में विकसित करना इसके आधार में शामिल किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा-नीति 2020 का उद्देश्य बनाया गया अच्छे इंसानों का विकास करना”, जिसका आधारसमता और समावेशन है। अर्थात प्रत्येक मनुष्य के समग्र व्यक्तित्व का विकास करना जिसमें उसकी पूर्ण क्षमताओं का विकास करना जो सुव्यवहारिक होजिनमें जीवन के प्रति सही व परिपक्व समझ विकसित होउनमें परिवारसमाजप्रकृति व राष्ट्र के प्रति अपनी भूमिका और उत्तरदायित्व की चेतना विकसित करना। उनकी क्षमताओं का विकास सिर्फ स्वयं के लिए नहीं वरन दूसरों के लिए भी होउनमें व्यापक दृष्टि का विकास करना जिससे वे परिवारसमाज व प्रकृति के साथ अपने संबंध और सह-अस्तित्व को समझ सकें। उनमें समाज व पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व पूर्ण समझ व व्यवहार का विकास करना जीवन की संपूर्ण दृष्टि का विकास करना। ऐसे इंसानों का विकास जो सेवासुरक्षाशांतिनैतिकसंवैधानिक मूल्योंजीवन कौशलों से परिपूर्ण हो। संविधान द्वारा परिकल्पित समाज के निर्माण में सहायक हों अर्थात शिक्षा के माध्यम से समता पूर्णन्याय पूर्ण समाज का विकास करना। समाज व राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति के कल्याण को सुनिश्चित करनाएक ऐसी सामाजिक व्यवस्था का विकास शिक्षा के माध्यम से करना जो मानवीय आधार पर संचालित हो। ऐसे व्यापक दृष्टिकोण के साथ सुख-समृद्धि व शांति पूर्णव्यवस्थित राष्ट्र को विकसित करना जो विश्व परिवार में अपनी भूमिका व उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सकें। देश के नागरिक वैश्विक स्तर पर अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकेसाथ ही भारतीयता से भी जुड़े रहेंअर्थात प्राचीन और आधुनिक संस्कृति और ज्ञान की समझ से संचालित व अभिप्रेरित हों।

शिक्षा द्वारा विकसित मूल्य

व्यक्तित्व के समग्र विकास में सिर्फ ज्ञान और कौशलों से बात नहीं बनती क्योंकि मूल्य उसे अपने परिवारसमाजसंस्कृतिप्रकृति व राष्ट्र से जोडकर रखते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इन मूल्यों को अलग से सिखाने की बात नहीं करते हुए शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के साथ-साथ सिखाने की बात कर रही है। नीति में शामिल ये शिक्षा मूल्य निम्न प्रकार से वर्गीकृत किये जा सकते हैं-

1

2

3

4

5

शारीरिक मूल्य

संज्ञानात्मक मूल्य

भावात्मक मूल्य

नैतिक मूल्य

सामाजिक मूल्य

शारीरिक स्वच्छता

तर्क

सौन्दर्य

सत्य

सामाजिक चेतना

स्वास्थय

विवेक

कला-रूचि

निष्पक्षता

निष्काम सेवा

पोषण

समस्या समाधान

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

अहिंसा

सहकार्यता

सुरक्षा

चिंतन

जागरूकता/चेतना

जिम्मेदारी

उत्तरदायित्व

शारीरिक कौशल

 

 

सम्मान

योगदान

क्षमताएँ

 

 

गरिमा

बंधुत्व भाव

 

 

 

अखंडता

पर्यावरण व प्रकृति

 

 

 

निष्कपटता

प्रतिचेतना/सम्मान

ये सभी मूल्य भारत की संस्कृति में परंपरागत रूप से समाहित हैं और आज के आधुनिक बदलते परिवेश में जीवन के अस्तित्व के लिए उतने ही प्रासंगिक हैंअतः इन मूल्यों को विद्यालय की संस्कृति में शामिल करते हुए विभिन्न गतिविधियों व विषयों के शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों में विकसित किया जा सकता है।

मूल्यों के विकास हेतु पाठ्यक्रम व शिक्षा शास्त्र

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिवर्तनशील वैश्विक परिदृश्य के अनुसार सभी विद्यार्थियों को सफलसमायोजितउत्पादकमानसिक रूप से स्वस्थ बनाने के लिए अनिवार्य विषयों के साथ कौशलों में क्षमताओं के एकीकरण को वांछित माना गया है। नीति ने ऐसे पाठ्यक्रम की संस्तुति की है जो विद्यार्थी में उपरोक्त मूल्यों को विकसित करने में सक्षम हो। तकनीकी विषयोंकौशलोंआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों के साथ नैतिक मूल्योंमानव व संवैधानिक मूल्यों का ज्ञान व आदतें विद्यार्थियों के व्यवहार में विकसित किए जायें।

विद्यार्थियों में पाठ्यक्रम के माध्यम से संवेदनशीलतामौलिक कर्तव्योंनागरिक कौशलोंपर्यावरण-संबंधी जागरूकताप्राकृतिक संसाधनों के संरक्षणस्वच्छतासमसामयिक स्थानीय समुदायोंराज्यों और विश्व स्तर पर चल रहे मुद्दों के ज्ञान में कौशलों का विकास किया जाएगा नीति में मूल्य शिक्षा को अलग न करके पाठ्यक्रम का आधार केंद्र बनाए जाने को संस्तुत किया गया हैअतः विभिन्न विषयोंकौशलों और क्षमताओं के साथ मूल्यों को एकीकृत करने की बात कही गई है।

NEP 2020 के भाग 4.28 में स्पष्ट किया गया है कि विद्यार्थियों को कम उम्र से ही सही करनेका महत्व बताया जाना चाहिए। नैतिक निर्णय लेने के लिए सही तर्क का आधार उनमें विकसित किया जाना चाहिए। आगे की शिक्षा में जीवन का संचालन करने में नैतिकता को अपनाने में समर्थ बनानासही तार्किक निर्णयनैतिक आचरण को अपनाने हेतु सक्षम बनाया जाएगा। इस प्रकार विकसित की गई नैतिक समझ में आचरण के आधार पर पारंपरिक भारतीय मूल्योंमानवीय व संवैधानिक मूल्यों को विद्यार्थियों में विकसित किया जाएगा।

दैनिक व्यवहार में यह देखा जाता है कि 3 वर्ष के बच्चों में यह मूल्य रोपित होना प्रारंभ हो जाते हैंवे अपने बड़ो के व्यवहार का अनुकरण शुरू कर देते हैं। 3 से 8 वर्ष की आयु तक जो प्रवृतियांआदतें उनमें विकसित होती हैंसंपूर्ण जीवन के मूल्यों का आधार बन जाती हैजो व्यवहारआदतें वे सीख लेते हैं उनकी सततता/असततता के आधार पर उनमें विकसित हो रहे व्यक्तित्व में समावेशित हो जाते हैं। अतः जिस तरह का आधार बन जाता हैउसमें आगे और मूल्य एकीकृत होते जाते हैं।

इन विभिन्न मूल्यों को विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में समाहित करने के लिए कहानियों कथाओंभारतीय परंपराओं से परिपूर्ण कहानियों को माध्यम बनाए जाने की संस्तुति की गई हैसाथ ही साथ शारीरिकमानसिक स्वास्थ्यपोषणस्वच्छताआपदा-प्रतिक्रियाप्राथमिक चिकित्साविभिन्न मादक पदार्थों के हानिकारक प्रभावों की वैज्ञानिक व्याख्या तथा संविधान के कुछ अंश भी विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएंगे।

मूल्यों को पाठ्यक्रम में एकीकृत करने हेतु प्रत्येक स्तर पर भारतीय व स्थानीयता की दृष्टि से पुनर्गठित किया जाना हैजिसमें परंपराएंसंस्कृतिरीति-रिवाजभाषा-दर्शनप्राचीन व समकालीन ज्ञान सीखने के भारतीय तरीके जैसे कहानीखेलकलाउदाहरणोंसमस्याओं आदि का प्रयोग किया जाएगा।

इसी प्रकार उच्च शिक्षा स्तर पर लचीले पाठ्यक्रम के आधार में सामुदायिक सेवाएंपर्यावरण शिक्षामानवीयनैतिकसंवैधानिकसार्वभौमिक मानवीय मूल्य जैसे सत्यनेक आचरणशांतिप्रेमअहिंसावैज्ञानिक दृष्टिकोणनागरिक मूल्यजीवन कौशलसेवासामुदायिक कार्यों में सहभागिता को समग्र शिक्षा का अभिन्न अंग बनाया गया है। वैश्विक नागरिक के व्यक्तित्व विकास हेतु समकालीन वैश्विक चुनौतियों व मुद्दों की समझ व शांतिपूर्णसहिष्णु समावेशीसतत-सुरक्षित निर्णयों में सक्षम को आधार बनाया गया है। इन मूल्यों को विभिन्न विषयोंगतिविधियों से जीवंत कैंपस जिसमें खेलसंस्कृतिकला गतिविधियांक्लबपर्यावरण क्लबसामुदायिक-सेवा-परियोजना कार्यक्रमों को शामिल करके विद्यार्थियों में एकीकृत किया जा सकता है।

विद्यालय एवं शिक्षक की भूमिका

पाठ्यक्रम किसी भी स्तर का हो उसके लिए विद्यालय के वातावरण को अनुकूल बनाकर शिक्षा के लक्ष्यों को पा सकते हैं। यह वातावरण विद्यालय के प्राचार्यशिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के हाथ में होता है। विद्यालय के सुलभ भौतिक पर्यावरण में यदि प्राकृतिक सौंदर्यस्वच्छता हैमनो-सामाजिक पर्यावरण में सभी छात्रोंशिक्षकोंशिक्षणेत्तर कर्मचारियों में आपस में एक दूसरे के प्रति देखभालपरानुभूतिअपनेपननिष्कपटतानिष्पक्षतासेवाप्रेम का भाव होविद्यालय की संस्कृति में समावेशीसहयोगीभेदभाव से परेनिष्पक्ष प्रक्रियाएं हो। सभी के विकास को अभिप्रेरित करने वाली प्रक्रियाएंगतिविधियां विद्यालय की कार्य-संस्कृति में हो तो यह मूल्य स्वतः ही विद्यार्थियों में विकसित होंगे।

यद्यपि प्रत्येक राज्य की रणनीतियाँ नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के अनुसार और अपनी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार बनाई जाएंगी लेकिन अपने स्तर पर विद्यालय और शिक्षकों को अपनी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया से मूल्य आधारित पर्यावरण बनाना चाहिए इसके लिए निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखा जा सकता है।

देखभाल पूर्ण समावेशी और सहयोगी विद्यालय संस्कृति का विकास सुलभ स्वच्छ भौतिक पर्यावरण का विकाससकारात्मक/सहयोगी विद्यालय व कक्षा संस्कृतिसमुदाय एवं अभिभावकों से सक्रिय संबंध विद्यार्थियों को भेदभाव से परे अभिव्यक्ति के अवसरविद्यार्थियों के ज्ञान/ कौशल/भाव से संबंधित कार्यों को प्रदर्शित करने की निष्पक्ष प्रक्रियाविद्यालय में शारीरिकमानसिक व भावनात्मक सुरक्षा को सुनिश्चित करनाआपात स्थितियों का सामना करने की प्रतिक्रियाओं का प्रशिक्षण सक्रियसीखने सोचने-विचारने और अभिव्यक्ति को अभिप्रेरित करने वाली कक्षा प्रतिक्रियाएं विभिन्न शिक्षण अधिगम प्रतिक्रियाओं और गतिविधियों का केंद्र विद्यार्थियों का समग्र विकाससमतावादीधर्मनिरपेक्ष वातावरणरूढ़ी-बद्ध धारणाओं को तोड़ने और वैज्ञानिकों दृष्टिकोण विकसित करने योग्य कक्षा व विद्यालय पर्यावरण पाठ्यक्रम के संचालन में मूल्यों को एकीकृत करने की योजना शिक्षकों में मूल्यों की स्पष्ट समझ व स्व-मूल्यांकन की योग्यताआवश्यकतानुसार समुदायों को शामिल करना स्थानीय ज्ञान व संस्कृति की समझ घर व समुदायों को सीखने की प्रतिक्रिया का हिस्सा बनानाइस प्रकार विद्यालय का सकारात्मक वातावरण विद्यार्थी के घर और समुदाय तक विस्तारित हो क्योंकि समाज और मूल्य एक दूसरे के पूरक हैंजैसा समाज होगा वैसे ही मूल्य होंगे।

अति दबावचिंतातनावकुंठा से मुक्त कक्षा में विद्यालय प्रतिक्रियाएं व संस्कृति शिक्षक शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा को सार्वजनिक सेवा के रूप में स्वीकार किया है। नीति के अनुसार शिक्षा को मनुष्य में निश्चित मानवीय आचरण से जीने की योग्यता विकसित करनी चाहिए। माता-पिता बच्चों को शरीर रूप प्रदान करके अर्श से फर्श पर लाते हैं लेकिन शिक्षक उन्हें शिक्षा के माध्यम से संपूर्ण उच्च दृष्टि प्रदान करते हैंपरिपक्व समझ व तर्क विद्यार्थी के व्यापक दृष्टिकोण का विकास शिक्षकों के द्वारा ही किया जाता है। अभिभावक के बाद शिक्षक ही विद्यार्थियों को आदर्श देते हैंजिन्हें बच्चे अपने व्यवहार व आदतों में शामिल कर लेते हैं। विकास की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते हुए शिक्षकों के दृष्टिकोण व मूल्य विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में एकीकृत होने लगते हैं। अतः शिक्षकों के लिए यह भी जरूरी है कि उनके अपने व्यक्तित्व में शिक्षा-संस्कार का समावेश हो। इससे भी ज्यादा जरूरी बिंदु यह है कि विद्यार्थियों के समग्र व्यक्तित्व का विकास करने वाले शिक्षकों का निर्माण व विकास शिक्षक-शिक्षा के हाथ में है। शिक्षकों को तैयार करने के लिए बहुविषयक दृष्टिकोण और ज्ञान के साथ मूल्यों के निर्माणपुनर्व्याख्या और अभ्यास की जरूरत होगीअतः शिक्षण प्रतिक्रियाओं से संबंधित नवीनतम ज्ञानकौशलतकनीकी के साथ भारतीयता की मूल्य संस्कृति के प्रति भी शिक्षकों को जागरूक रहना है। विशेष तौर पर जब समग्र व्यक्तित्व की बात आती हैशिक्षक का महत्व मूल्यों के विकास में अवश्यंभावी हो जाता है। इन शिक्षकों की गुणवत्ता शिक्षक-शिक्षा पर निर्भर करती है। शिक्षक-शिक्षा में विश्वनीयतानिष्ठाप्रतिबद्धताओपन माइंडनेसधर्मनिरपेक्षप्रजातांत्रिकवैज्ञानिक दृष्टिकोण से युक्त ईमानदारअभिनव कौशलों में दक्ष सृजनात्मककरुणापरानुभूति जैसे गुणों के विकास पर भी जोर दिया जाना जरूरी हैताकि शिक्षार्थी शिक्षकों के साथ बिना संकोच अभिव्यक्ति कर सकेंउनसे जुड़े रह सके। इन गुणों से युक्त शिक्षक ही विद्यालय का पर्यावरण सुसंस्कृत व प्रगतिशील बना सकते हैं। शिक्षक-शिक्षा में शिक्षकों का सेवा-पूर्व/सेवारत मूल्य उन्मुखीकरण अति आवश्यक हैक्योंकि शिक्षक-शिक्षा और शिक्षक-प्रशिक्षकों के मूल्य जैसे होंगे शिक्षा संस्कृति वैसी ही होगी। इसलिए यदि हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आकांक्षाओं को प्राप्त करना चाहते हैं तो शिक्षक शिक्षा की जड़ों को सबसे पहले भारतीय मूल्यों से सींचना होगाउसके पुनर्न्मुखीकरण करने की योजना बनानी होगी।

निष्कर्ष अतः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा अपने लक्ष्य में शाश्वत और सार्वभौमिक मूल्यों को समाहित किया गया हैस नीति मुल्ले शिक्षा अलग से देनी की बात नहीं करती वरन बच्चे की आरंभिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक हर एक शैक्षणिक गतिविधि और शैक्षिक वातावरण में मूल्यों का समन्वय करके विद्यार्थी के व्यक्तित्व में शाश्वत मूल्य से परिपूर्ण व्यक्तित्व विकास की आकांक्षा रखती है। वर्तमान सामाजिक राष्ट्रीय वातावरण में जो समस्याएं बढ़ती जा रही हैं उन पर नियंत्रण शाश्वत और सार्वभौमिक मूल्यों के विकास से ही किया जा सकता हैए और तभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अपनी आकांक्षाओं को पूरा प्राप्त कर सकती है ।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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