P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- XI July  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों की जिज्ञासा का तुलनात्मक अध्ययन
Comparative Study of Curiosity of Rural and Urban Students
Paper Id :  16212   Submission Date :  14/07/2022   Acceptance Date :  17/07/2022   Publication Date :  25/07/2022
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अनुराधा चतुर्वेदी
शोधार्थी
शिक्षाशास्त्र विभाग
करियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी
कोटा,राजस्थान, भारत
सारांश प्रस्तुत शोध अध्ययन में कोटा जिले के उच्च माध्यमिक स्तर के ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों की जिज्ञासा का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में न्यादर्श के रूप में कोटा जिले के 480 ग्रामीण एवं शहरी छात्र-छात्राओं को शामिल किया गया है। प्रदत्तों के संकलन हेतु डॉ. राजीव कुमार कृत Children's Curiosity Scale (CCS) का प्रयोग किया गया। अत: इस प्रकार परिणाम प्राप्त हुआ। ग्रामीण एवं शहरी विद्यार्थियों की जिज्ञासा स्तर में सार्थक अंतर नहीं पाया गया है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the present research study, a comparative study of the curiosity of rural and urban students of higher secondary level of Kota district was done. In this study 480 rural and urban students of Kota district have been included as a sample. Children's Curiosity Scale (CCS) by Dr. Rajiv Kumar was used for collection of data. So this is how the result was obtained. No significant difference was found in the curiosity level of rural and urban students.
मुख्य शब्द जिज्ञासा, विद्यार्थी, शहरी, ग्रामीण।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Curiosity, Student, Urban, Rural.
प्रस्तावना
वर्तमान युग नवीनता, आधुनिकता, मशीनीकरण आदि से ओत प्रोत है। प्रत्येक व्यक्ति इन सबसे परिचित होना चाहता है। इनको अपने जीवन में शामिल करना चाहता है, किन्तु इससे भी बड़ी बात है यह जानने कि इन सबके पीछे किस शक्ति का हाथ है और इसमें कोई अचरज नहीं है इन सबके पीछे मनुष्य के मस्तिष्क का हाथ है। जैसा कि ज्ञात है, मनुष्य जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। उसको हमेशा यह इच्छा रहती है कि वह प्रत्येक वस्तु के अविष्कार से परिचित हो। इस क्रम में बात करते हैं किशोरावस्था के विद्यार्थियों की जिज्ञासा की यह आयु इस प्रकार की होती है कि बालकों को प्रत्येक वस्तु को जानने की इच्छा होती है। सरल शब्दों में जिज्ञासा का अभिप्राय भी जानने की इच्छा है। यह जिज्ञासा ही बालक को नवीन ज्ञान की ओर ले जाती है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो पता चलता है सृजनात्मकता तथा नवीन विधियों को जिज्ञासा ही जन्म देती है। अगर देखा जाये तो जिज्ञासा ही खोजपूर्ण व्यवहार की जननी है। यह सपनों को साकार करने का कार्य करती है। जिज्ञासा प्रत्येक रहस्यमय प्रश्न का उत्तर देती है। यह मन के अन्दर व्याप्त प्रश्नों का उत्तर देती है। अत: यह आवश्यक है कि विद्यार्थियों को सदैव जिज्ञासु होना चाहिये। साथ-ही-साथ परिवार व विद्यालय का यह कर्तव्य है कि वह इन जिज्ञासाओं को दबाये नहीं, बल्कि उनको खुलकर आने दे।
अध्ययन का उद्देश्य 1. ग्रामीण एवं शहरी छात्राओं की जिज्ञासा का तुलनात्मक अध्ययन करना। 2. ग्रामीण एवं शहरी छात्रों की जिज्ञासा का तुलनात्मक अध्ययन करना। 3. ग्रामीण छात्रों एवं ग्रामीण छात्राओं की जिज्ञासा का तुलनात्मक अध्ययन करना। 4. शहरी छात्रों एवं शहरी छात्राओं की जिज्ञासा का तुलनात्मक अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

राजीव कुमार (1989) ''माध्यमिक स्तर के बालकों व बालिकाओं की जिज्ञासाबुद्धिमता तथा स्कूली उपलब्धियों का अध्ययन किया'' इसके लिये 1024 विद्यार्थियों को न्यादर्श के रूप में लिया गया तथा परिणामस्वरूप देखा गया कि शहरी एवं ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों की जिज्ञासा में कोई अन्तर नहीं है। एस.के. भारतीय (2012) ने ''उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्रों की उपलब्धीशैक्षिक आकांक्षा और जिज्ञासा के संबंध में उनके आत्मविश्वास का अध्ययन'' किया।  इसमें 1503 विद्यार्थियों को चुना गया तथा छात्र-छात्राओं में जिज्ञासा के बीच अंतर नहीं देखा जाता। रिंकविच और एल. जेनिफर (2015) ने दा रिलेशनशिप अमाँग स्टूडेन्ट क्रिएटिविटीक्यूरियोसिटी एण्ड एकेडमिक इन्टरनसिक मोटिवेशन : एक मिक्स्ड मैथड फेनोमिनोलोजिकल स्टडी ऑफ सिक्स ग्रेड स्टूडेन्ट'' टॉपिक पर 100 विद्यार्थियों का न्यादर्श के रूप में चयन किया तथा पाया कि जिन समूहों में जिज्ञासा और प्रेरणा अधिक थीउनमें रचनात्मकता कम थी। जिन समूहों में जिज्ञासा कम थीरचनात्मकता अधिक पायी गयी। इसके अतिरिक्त कोली, लक्ष्मी नारायण (2017) ने ''रिसर्च मैथडोलॉजी'' में भी इस विषय पर अध्ययन किया

सामग्री और क्रियाविधि
शोध कार्य में प्रदत्तों को एकत्रित करने हेतु सर्वेक्षण विधि का उपयोग किया गया है। सांख्यिकी - (1) मध्यमान, (2) मानक विचलन, (3) टी-टेस्ट
न्यादर्ष
न्यादर्श के रूप में कोटा जिले के ग्रामीण एवं शहरी विद्यालयों के 480 विद्यार्थियों को शामिल किया गया है।
प्रयुक्त उपकरण Children's Curiosity Scale (CCS) – Dr. Rajeev Kumar
विश्लेषण

दत्त संकलन एवं विश्लेषण

शोध में आये ऑंकड़ों को निम्न प्रकार तालिकाबद्ध किया गया है -

क्रम

वर्ग

 

N

 

Mean

 

S.D.

 

T-Value

 

निष्कर्ष

 

1.

कुल ग्रामीण छात्राऐं

120

99.00

21.59

0.897

0.05 स्तर पर सार्थक अन्तर नहीं पाया गया है।

कुल शहरी छात्राऐं

120

96.50

21.61

2.

कुल ग्रामीण छात्र

120

103.88

20.70

0.484

कुल शहरी छात्र

120

102.52

22.72

3.

कुल ग्रामीण छात्र

120

103.88

20.70

1.785

कुल ग्रामीण छात्राऐं

120

99.00

21.59

4.

कुल शहरी छात्र

120

102.52

22.72

2.102

0.01 स्तर पर सार्थक अन्तर नहीं पाया गया है।

कुल शहरी छात्राऐं

120

96.50

21.61

df = (N1 + N2) –2 = (120 + 120) – 2 = 238

सार्थकता स्तर 0.05 = 1.970

सार्थकता स्तर 0.01 पर सारणीमान = 2.597


जाँच - परिणाम 1. प्रथम परिकल्पना के परीक्षण से ज्ञात हुआ कि कुल ग्रामीण छात्राओं के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 99.00 तथा 21.59 एवं कुल शहरी छात्राओं के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 96.50 तथा 21.61 प्राप्त हुआ। इनकी सांख्यिकीय गणना से टी-मान 0.897 प्राप्त हुआ जो कि स्वतन्त्रता के अंश 238 के 0.05 सार्थकता स्तर पर दिये गये सारणीमान से कम है, अत: परिकल्पना स्वीकृत सिद्ध हुई है। अत: कुल ग्रामीण छात्राओं व कुल शहरी छात्राओं के जिज्ञासा स्तर में सार्थक अन्तर नहीं पाया गया है। 2. द्वितीय परिकल्पना के परीक्षण से ज्ञात हुआ कि कुल ग्रामीण छात्रों के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 103.88 तथा 20.70 एवं कुल शहरी छात्रों के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 102.52 तथा 22.72 प्राप्त हुआ। इनकी सांख्यिकीय गणना से टी-मान 0.484 प्राप्त हुआ जो कि स्वतन्त्रता के अंश 238 के 0.05 सार्थकता स्तर पर दिये गये सारणीमान से कम है, अत: परिकल्पना स्वीकृत सिद्ध हुई है। अत: कुल ग्रामीण छात्रों व कुल शहरी छात्रों के जिज्ञासा स्तर में सार्थक अन्तर नहीं पाया गया है। 3. तृतीय परिकल्पना के परीक्षण से ज्ञात हुआ कि कुल ग्रामीण छात्रों के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 103.88 तथा 20.70 एवं कुल ग्रामीण छात्राओं के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 99.00 तथा 21.59 प्राप्त हुआ। इनकी सांख्यिकीय गणना से टी-मान 1.785 प्राप्त हुआ जो कि स्वतन्त्रता के अंश 238 के 0.05 सार्थकता स्तर पर दिये गये सारणीमान से कम है, अत: परिकल्पना स्वीकृत सिद्ध हुई है। अत: कुल ग्रामीण छात्रों व कुल ग्रामीण छात्राओं के जिज्ञासा स्तर में सार्थक अन्तर नहीं पाया गया है। 4. चतुर्थ परिकल्पना के परीक्षण से ज्ञात हुआ कि कुल शहरी छात्रों के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 102.52 तथा 22.72 एवं कुल शहरी छात्राओं के जिज्ञासा के प्राप्तांकों का मध्यमान एवं प्रमाणिक विचलन क्रमश: 96.50 तथा 21.61 प्राप्त हुआ। इनकी सांख्यिकीय गणना से टी-मान 2.102 प्राप्त हुआ जो कि स्वतन्त्रता के अंश 238 के 0.01 सार्थकता स्तर पर दिये गये सारणीमान से कम है, अत: परिकल्पना स्वीकृत सिद्ध हुई है। अत: कुल शहरी छात्रों व कुल शहरी छात्राओं के जिज्ञासा स्तर में सार्थक अन्तर नहीं पाया गया है। उपरोक्त परिणामों से यह ज्ञात हुआ कि जिज्ञासा सभी क्षेत्र, संकाय, लिंग के विद्यार्थियों में पायी जाती है। क्योंकि विद्यार्थियों की प्रवृत्ति जिज्ञासु होती है। वह हमेशा कुछ-न-कुछ जानने की जिज्ञासा रहती है। क्योंकि वर्तमान युग प्रतिस्पर्धा का युग है इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी सबसे बेहतर करने का प्रयास करता है। खोज व नवीन आविष्कार हमेशा छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
निष्कर्ष प्रस्तुत शोध शैक्षिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। आज का वर्तमान युग मशीनीकरण का युग है, बालक के मन के अन्दर व्याप्त प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर जानने की जिज्ञासा रहती है। वह इन सब उत्तरों को प्राप्त करके अपनी इच्छाओं को पूर्ण कर सकता है तथा अपने भविष्य में उत्तम स्थान प्राप्त कर सकता है।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव 1. अभिभावकों को अपने बालकों की इच्छाओं को दबाना नहीं चाहिये। बल्कि उनकी इच्छाओं को जागृत करना चाहिये।
2. विद्यालय व परिवार का यह दायित्व है कि वह अपने बालकों को नवीन जानकारी प्रदान करे, जिससे कि बालक अपनी जिज्ञासा को जागृत कर सके।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. कोली, लक्ष्मी नारायण (2017) ''रिसर्च मैथडोलॉजी'', वाई.के.पब्लिकेशन, आगरा 2. ढौडियाल, सच्चिदानंद पाठक, अरविन्द (2003), ''शैक्षिक अनुसंधान का विधिशास्त्र'' जयपुर : राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी 3. पालीवाल सुप्रथी (2015), ''संयुक्त और एकल परिवार के बच्चों में जिज्ञासा के स्तर का अध्ययन।'' 4. (लेख) AIJRA Vol. I पृ. 12.1-12.5 5. Curiosity Among Children of Urban Elementary School Across Grade Level Gender (Research Paper – 2014), Abdus Salam, Indian Journal of Research Pariper Volume 3 6. www.wikipedia.com 7. https://www.bhaskar.com 8. https://www.kailasheducation.com 9. https://www.shodhganga.com