P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- XII August  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन पर संवेगात्मक बुद्धि के प्रभाव का अध्ययन
Study of the Effect of Emotional Intelligence on The Adjustment of Secondary Level Students
Paper Id :  16366   Submission Date :  03/08/2022   Acceptance Date :  21/08/2022   Publication Date :  25/08/2022
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नीतू सिंह
शोधार्थिनी
पैडागोजिकल साइंसेस शिक्षा संकाय,
दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी)
आगरा,उत्तर प्रदेश, भारत ,
लाजवन्ती
प्रोफ़ेसर पैडागोजिकल साइंसेस
शिक्षा संकाय, दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी)
आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
छविलाल
एसोसिएट प्रोफ़ेसर
पैडागोजिकल साइंसेस
शिक्षा संकाय, दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी)
आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश प्रस्तुत शोध अध्ययनका मुख्य उद्देश्य माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन पर संवेगात्मक बुद्धि के प्रभाव का अध्ययन करना है जिसके लिए उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में संचालित माध्यमिक स्तर के विद्यालय के50 बालक एवं 50 बालिकाओं का चयन किया गया। प्रदत्तों का विश्लेषण एवं व्याख्या करने हेतु मध्यमान, मानक विचलन तथा क्रान्तिक अनुपात सांख्यिकीय प्रविधियों का प्रयोग किया गया। प्रद्त्तोंका विश्लेषण करने के पश्चात् यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि तथा उनका समायोजन सामान्य स्तर का हैइसके साथ ही अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों का अध्ययन किया गया है ।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The main objective of the present research study is to study the effect of emotional intelligence on the adjustment of secondary level students, for which 50 boys and 50 girls of secondary level school operated in Agra district of Uttar Pradesh were selected. To analyze and interpret the data. Mean, standard deviation and critical ratio statistical methods were used. After analyzing the data, it was concluded that the emotional intelligence of secondary level students and their adjustment is of normal level, along with other important achievements have been studied.
मुख्य शब्द माध्यमिक स्तर , समायोजन एवं संवेगात्मक बुद्धि।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Secondary level, adjustment and emotional intelligence.
प्रस्तावना
मानव ने दर्शन, कला, विज्ञान एवं तकनीकी आदि क्षेत्रों में आदिकाल से जो कुछ भी अर्जित किया है । उसका उद्गम श्रोत मानवीय संवेगात्मक बुद्धि एवं समायोजन ही रहा है । इन्हें विश्व की प्रगति के लिए एक बड़ी सीमा तक उत्तरदायी माना गया है । संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य उसकी संवेगात्मक बुद्धि स्तर की उस सापेक्ष माप से होता है जिसका मापन परिस्थिति विशेष में सम्पन्न किसी समय विशेष पर किया गया हो । जॉन डी. मेयर तथा पीटर सेलोव (1997) के अनुसार -संवेगात्मक बुद्धि को एक ऐसी क्षमता के रूप में देखा जाता है जिससे चार विभिन्न रूपों में संवेगों को उचित दिशा देने में मदद मिले जैसे संवेग विशेष का प्रत्यक्षीकरण करना, उसका अपनी विचार प्रकिया में समन्वय करना, उसे समझना तथा उसका प्रबंधन करना। संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति विशेष की उस समग्र क्षमता (सामान्य बुद्धि से सम्बंधित होते हुए भी अपने आप से स्वंतंत्र) से है जो उसे उसकी विचार प्रकिया का उपयोग करते हुए अपने तथा दूसरों के संवेगों को जानने, समझने तथा उनकी ऐसी उचित अनुभूति एवं अभिव्यक्ति करने में इस प्रकार मदद करें कि वह ऐसी वांछित व्यवहार अनुक्रियायें कर सकें जिनसे उसे दूसरों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए अपना समुचित हित करने हेतु अधिक अच्छे अवसर प्राप्त हो सकें । मानव जीवन की परिस्थितियां बराबर बदलती रहती है। शैशवास्था से लेकर वृद्धावस्था तक मनुष्य के सम्मुख नई-नई समस्याएँ और नई-नई परिस्थितियां आती रहती हैं, और वह अपनी बुद्धि और अपनी सामर्थ्य से काम लेते हुए बराबर इन समस्याओं को सुलझाने और परिस्थितियों से निपटने की चेष्टा करता है । इस सतत प्रकिया को ही जीवन कहते हैं, यह समायोजन की प्रकिया है । लैणडिस तथा बोल्स के अनुसार - समायोजन का अर्थ है नित्य प्रति के जीवन के मतभेदों अंतर्द्वंद्वों औरनिर्णयों को व्यवस्थित, क्रमबद्ध और एक रस बना लेना अथवा अपने अस्तित्व को बनाय रखने के लिए व्यवहारिक तत्वों से नियमन या व्यवस्थापन बना लेना। संवेगात्मक बुद्धि का प्रभाव व्यक्ति के समायोजन पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है । शिक्षा का क्षेत्र भी तनाव व संघर्ष से अछूता नहीं रहा है । विशेष रूप से माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थी तीव्र असमायोजन की समस्या से जूझते हैं।जिसके मुख्य कारण किशोरावस्था में होने वाले वातावरण में परिवर्तन, शैक्षिक प्रतिस्पर्धा, भविष्य में व्यवसाय चयन की समस्या आदि समस्याएँ हैं। व्यक्ति अनुकूल एवं प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वंय को जिस सीमा तक समायोजित कर लेना है, वह उसकी समायोजन क्षमता पर निर्भर करता है। समायोजन की प्रक्रिया में व्यक्ति का स्वंय के संवेगों पर नियंत्रण करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। एक व्यक्ति साम्वेगिक रूप में जितना अधिक परिपक्व होगा उसकी उसी अनुपात में समायोजन भी होगा ।
अध्ययन का उद्देश्य 1. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धिका अध्ययन करना। 2. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन का अध्ययन करना। 3. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का समायोजन पर प्रभाव का अध्ययन करना। 4. लिंग भेद के अनुसार माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का तुलनात्मक अध्ययन करना। 5. लिंग भेद के अनुसार माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन का तुलनात्मक अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

सिंह अमित एवं कुमार दिनेश (2011) "कॉलेज के छात्रों की संवेगात्मक बुद्धिऔर शैक्षणिक उपलब्धि"।वर्तमान अध्ययन दिल्ली में रोहिणी के कॉलेज के छात्रों की संवेगात्मक बुद्धिऔर शैक्षणिक उपलब्धि जानने के लिए आयोजित किया गया था। इन्होने पाया कि कॉलेज के लड़के और लड़कियों की संवेगात्मक बुद्धिसमान थी, जबकि विज्ञान के लड़के और लड़कियों की शैक्षणिक उपलब्धि समान नहीं थीऔर अध्ययन ने यह भी संकेत दिया कि संवेगात्मक बुद्धिऔर शैक्षणिक उपलब्धिके बीच सकारात्मक संबंध था।
रहमानखालिद एवं खान, (2012) ने बताया कि संवेगात्मक बुद्धि भी ग्राहकों की संतुष्टि और संगठनात्मक प्रदर्शन के बीच संबंधों में एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है।
भगत,पूजा (2016) ने माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बालक एवं बालिकाओं के मध्य समायोजन की तुलना करने के लिए एक अध्ययन किया। अध्ययन के उपरांत पाया कि बालिकाओं का समग्र समायोजन बालकों की तुलना में अधिक है इसके साथ बालिकाओं को बालकों की तुलना में भावनात्मक और शैक्षिक रूप से अधिक समायोजित पाया गया है,परन्तुबालकों को सामाजिक रूप से अधिक समायोजित पाया।
हाफिज और साइमा (2015) ने जम्मू जिले में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के बीच कॉलेज के छात्रों के समायोजन पर अध्ययन किया। यह पाया गया कि पुरुष और महिला छात्रों के समायोजन में महत्वपूर्ण अंतर था और ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के बीच महत्व अंतर भी पाया गया।
संधू (2017) ने हिसार के विभिन्न स्कूलों से चुने गए 200 वरिष्ठ छात्रों पर उनके समायोजन पर भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रभाव का पता लगाने के लिए एक अध्ययन किया। उच्च भावनात्मक रूप से बुद्धिमान छात्रों को कम भावनात्मक रूप से बुद्धिमान छात्रों की तुलना में अधिक समायोजित पाया गया।
सिंहदिनेश (2019) ने स्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं की चिन्ता,समायोजन क्षमता एवं मानसिक स्वास्थ्य का शैक्षिक उपलब्धि पर पड़ने वालेप्रभाव का अध्ययन किया। अध्ययन के निष्कर्ष में पाया कि- स्नातक स्तरके छात्र एवं छात्राओं के शैक्षिक उपलब्धि के सन्दर्भ  में एक-दूसरे के समान है।
उपर्युक्त विश्लेषण से ज्ञात होता है कि पूर्व में हुए अध्ययनों में विद्यार्थियों के समायोजन, शैक्षिक उपलब्धि संतुष्टि एवं संवेगात्मक बुद्धि को को अध्ययन हुए है वे पर्याप्त नहीं है एवं किसी भी अध्ययन में संवेगात्मक बुद्धि एवं विद्यार्थियों के समायोजन के परस्पर प्रभाव का अध्ययन नहीं किया गया है, जबकि विद्यार्थियों के समायोजन प्रक्रिया में संवेगों पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है। अतः शोधार्थी के मष्तिष्क में यह विचार आया कि क्या विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि उनके वातावरण के साथ समायोजन को प्रभावित करेंगे ? इसके साथ-साथ यह भी प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि एवं समायोजन में क्या संबंध होता है ? उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शोधार्थी ने वर्तमान समस्या का चयन किया है।

मुख्य पाठ

समस्या का प्रादुर्भाव एवं न्यायोचितता
बालक की संवेगात्मक बुद्धि का विकास उसकी आयु के अनुसार होता है, बालक जब छोटा होता है, तब उसमे संवेगात्मक बुद्धि की क्षमता मूल प्रव्रत्ति के रूप में अंतर्निहित होने के साथ साथ वातावरण से भी अर्जित की जाती है।
संवेगात्मक बुद्धि बालक का जीवन को सुखमय एवं दुखात्मक दोनों रूपों में उद्दीपित करती है यह बालक को नये अर्थों में सीखने के लिए प्रेरित करती करती है एवं अन्वेषण करने के लिए प्रेरित करती है। बालक की आयु के अनुसार उसका जैसे-जैसे शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है, उसकी संवेगात्मक बुद्धि भी उच्च कोटि की होने लगती है अतः शिक्षक तथा अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने उचित उत्तरों द्वारा बालक की संवेगात्मक प्रतिक्रियाओं को शांत करें व समायोजन शक्ति को विकसित करने में सहायता कर सकें।
संवेगात्मक बुद्धि एक प्रमुख सामाजिक आवश्यकता है। संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य उसकी संवेगात्मक बुद्धि स्तर की उस सापेक्ष माप से होता है जिसका मापन परिस्थिति विशेष में सम्पन्न किसी समय विशेष पर किया गया हो।

सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत शोध अध्ययन में सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। अध्ययन के चर 1. स्वतंत्र चर – संवेगात्मक बुद्धि 2. आश्रित चर – समायोजन
न्यादर्ष

प्रस्तुत अध्ययन में न्यादर्श के अंतर्गत आगरा शहर के माध्यमिक स्तर के 50 बालक एवं 50 बालिकाओं का सौद्देश्य विधि से चयन किया गया ।

प्रयुक्त उपकरण प्रस्तुत शोध अध्ययन में प्रदत्तों के संकलन हेतु अनुकूल ह्यदे, संज्योत पते और उपिन्दर धर (2002)द्वारा निर्मित संवेगात्मक बुद्धि मापनी एवं ए.के.पी.सिंह एवं आर.पी.सिंह (2007) द्वारा निर्मित एडजस्टमेंट इन्वेंटरी फॉर स्कूल स्टूडेंट्स का प्रयोग किया गया है।
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी

प्रस्तुत शोध अध्ययन से सम्बन्धित प्रदत्तो का विश्लेषण एवं व्याख्या करने हेतु मध्यमान , मानक विचलन तथा क्रान्तिक अनुपात सांख्यिकीय प्रविधियों का प्रयोग किया गया है।

विश्लेषण

प्रदत्तों का विश्लेषण एवं व्याख्या
आंकड़ों के चयन एवं विश्लेषण के उपरान्त उद्देश्यों के अनुरुप निम्न प्रकार से व्याख्या की गई है-
प्रथम उद्देश्य : माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का अध्ययन करना 
उक्त उद्देश्य की प्राप्ति हेतु शोधकर्ती ने माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि के मापन के लिए अनुकूल ह्यदे, संज्योत पते और उपिन्दर धर (2002) द्वारा  निर्मित संवेगात्मक बुद्धि मापनी का प्रयोग किया गया है ।प्राप्तांकों से प्राप्त संखिकीय मानों को तालिका 1 में दर्शाया गया है -
तालिका संख्या 1. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का मध्यमान तथा मानक विचलन

न्यादर्श

 मध्यमान

मानक विचलन

100

 143.44

7.43  

तालिका
 1 से स्पष्ट है कि प्राप्त आंकड़ों में 100 विद्यार्थियों का मध्यमान ज्ञात किया गया जो कि 143.44 प्राप्त हुआ तथा मानक विचलन का मान 7.43प्राप्त हुआ। जो यह दर्शाता है कि माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का स्तर सामान्य है।
द्रितीय उद्देश्य : माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन का अध्ययन करना 
उक्त उद्देश्य की प्राप्ति हेतु शोधकर्ती ने माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन के मापन के लिए ए.के.पी.सिंह एवं आर.पी.सिंह (2007) द्वारा  निर्मित एडजस्टमेंट इन्वेंटरी फॉर स्कूल स्टूडेंट्स का प्रयोग किया गया है ।प्राप्तांकों से प्राप्त मध्यमान एवं मानक विचलन को तालिका 2 में प्रस्तुत किया गया है -
तालिका संख्या 2. माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की समायोजन का मध्यमान तथा मानक विचलन

न्यादर्श

मध्यमान

    मानक विचलन

    100

      19.04

    4.73

तालिका 2 में वर्णित प्रांप्ताकों से स्पष्ट है कि प्राप्त आंकड़ों में 100 विद्यार्थियों का मध्यमान ज्ञात किया गया जो कि 19.0प्राप्त हुआ तथा मानक विचलन का मान 4.73प्राप्त हुआ। जो यह दर्शाता है कि माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों का समायोजन स्तर सामान्य है।
तृतीय उद्देश्य : माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का समायोजन पर प्रभाव का अध्ययन करना
उक्त उद्देश्य की प्राप्ति हेतु शोधकर्ती ने माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का समायोजन पर प्रभाव का अध्ययन करने के लिए अनुकूल ह्यदे, संज्योत पते और उपिन्दर धर (2002) द्वारा  निर्मित संवेगात्मक बुद्धि मापनी का प्रयोग किया गया है । उपकरणों से प्राप्त प्राप्तांकों के संखिकीय मानों को तालिका संख्या 3 में प्रस्तुत किया गया है -
तालिका संख्या 3. उच्च एवं निम्न संवेगात्मक बुद्धि वाले विद्यार्थियों के समायोजन से संबधित विभिन्न सांख्यिकी मान

वर्ग

न्यादर्श

मध्यमान

मानकविचलन

टी-टेस्ट

सार्थकता स्तर

उच्च संवेगात्मक बुद्धि

27

41.78

4.89

 

1.02

 

0.0स्तर पर सार्थक नहीं है।

निम्न संवेगात्मक बुद्धि

27

40.44

4.81

उच्च और निम्न संवेगात्मक बुद्धि वाले विद्यार्थियों के समायोजन से सम्बंधित मध्यमानमानक विचलन व न्यादर्श की संख्या की सहायता से टी-टेस्ट के मान की गणना की गई जो कि 1.02 प्राप्त हुआ, जबकि स्वतन्त्रता की कोटि 50 के लिए 0.05 सार्थकता स्तर पर टी-तालिका में दिया गया मान 2.01 है।इससे स्पष्ट होता है कि माध्यमिक स्तर उच्च संवेगात्मक बुद्धि एवं निम्न संवेगात्मक बुद्धि वाले विद्यार्थियों के समायोजन में कोई सार्थक अन्तर नहीं है ।
चतुर्थ उद्देश्य : लिंग भेद के अनुसार माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का तुलनात्मक अध्ययन करना ।
उक्त उद्देश्य की प्राप्ति हेतु शोधकर्ती ने माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का अध्ययन करने के लिए अनुकूल ह्यदे, संज्योत पते और उपिन्दर धर (2002) द्वारा  निर्मित संवेगात्मक बुद्धि मापनी का प्रयोग किया गया जिसमें 50 बालक व 50 बालिकाओं को सम्मिलित किया गया  जिसका उल्लेख निम्लिखित है तालिका:4- माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि (लिंगानुसार) का मध्यमानमानक विचलन तथा क्रान्तिक अनुपात

लिंग

न्यादर्श

मध्यमान

मानक विचलन

क्रांतिक अनुपात

सार्थकता स्तर

बालक

50

142.42

6.62

 

1.39

0.0स्तर पर सार्थक नहीं है।

बालिका

50

144.46

8.04

तालिका 4 से ये स्पष्ट है कि बालकों ओर बालिकाओं की संवेगात्मक बुद्धि से सम्बंधित मध्यमानमानक विचलन व न्यादर्श की संख्या की सहायता से क्रान्तिक अनुपात के मान की गणना की गई जो कि 1.39 प्राप्त हुआ। जबकि स्वतन्त्रता की कोटि 100 के लिए 0.05 सार्थकता स्तर पर टी-तालिका में दिया गया मान 1.98 है। इससे स्पष्ट है कि संवेगात्मक बुद्धि पर लिंग भेद का कोई सार्थक प्रभाव नहीं पड़ता है ।
पंचम उद्देश्य : लिंग भेद के अनुसार माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन का तुलनात्मक अध्ययन करना।
तालिका: 5 - माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन (लिंगानुसार) का मध्यमानमानक विचलन तथा क्रान्तिक अनुपात

लिंग

न्यादर्श

मध्यमान

मानक विचलन

क्रांतिक अनुपात

सार्थकता स्तर

बालक

50

19.44

4.48

 

1.14

0.0स्तर पर सार्थक नहीं है।

बालिका

50

18.36

5.02

बालक ओर बालिकाओं के समायोजन से सम्बंधित मध्यमानमानक विचलन व न्यादर्श की संख्या की सहायता से क्रान्तिक अनुपात के मान की गणना की गई जो कि 1.14 प्राप्त हुआ। जबकि स्वतन्त्रता की कोटि 100 के लिए 0.05 सार्थकता स्तर पर टी-तालिका में दिया गया मान 1.98 है। इससे स्पष्ट है कि समायोजन पर लिंग भेद का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
अतः स्पष्ट है कि क्रान्तिक अनुपात का संगणित मानटी-तालिका के मान से कम है। इसलिए हमारी शून्य परिकल्पना स्वीकृत की जाती है। जो यह दर्शाता है कि माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन में कोई सार्थक अन्तर नहीं है।

परिणाम

प्रस्तुत अध्ययन की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-

1-माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि का स्तर सामान्य है।

2- माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों का समायोजन स्तर सामान्य है।

3विद्यार्थियों का समायोजन संवेगात्मक बुद्धि से प्रभावित नहीं होता है ।

4-माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों का लिंग भेद के आधार पर संवेगात्मक बुद्धि का स्तर पाया गया अर्थात लिंग भेद के अनुसार विद्यार्थियों को संवेगात्मक बुद्धि में कोई सार्थक अन्तर नहीं होता है ।

5माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन पर लिंग भेद का कोई सार्थक प्रभाव नहीं पाया गया ।

निष्कर्ष उपर्युक्त विवरण एवं विश्लेषण से स्पष्ट है कि माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि एवं समायोजन औसत है । इसके साथ-साथ यह भी पाया गया कि माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के समायोजन पर संवेगात्मक बुद्धि पर कोई सार्थक प्रभाव नहीं होता है अर्थात संवेगात्मक बुद्धि विद्यार्थियों के समायोजन को प्रभावित नहीं करती है। लिंगभेदानुसार भी बालक एवं बालिकाओं के समायोजन एवं संवेगात्मक बुद्धि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया गया है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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