P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- XII August  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
महाराष्ट्र विधानसभा में महिला प्रतिनिधित्व: एक दृष्टिक्षेप
Womens Representation in Maharashtra Legislative Assembly: A Perspective
Paper Id :  16346   Submission Date :  03/08/2022   Acceptance Date :  19/08/2022   Publication Date :  25/08/2022
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जी. एस. वीरकर
असिस्टेंट प्रोफेसर
राजनीति विज्ञान विभाग
श्री पुंडलिक महाराज महाविद्यालय
नांदुरा,महाराष्ट्र, भारत
सारांश महाराष्ट्र यह पुरोगामी राज्य के रुप में जाना जाता है। भारत में 2005 के बाद महाराष्ट्र एैसा एकमेव राज्य रहा है, जिसने स्थानिक स्वराज्य संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत सहभागीता प्रदान की है। किन्तु महाराष्ट्र के विधानमंडलीय धरातल पर यदि हम देखते है तो विसंगती दिखाई देती है। राज्य विधानसभा में राष्ट्रीय राजनैतिक दलो के साथ साथ क्षेत्रीय दलों में भी केवल 9 से 10 प्रतिशत ही महिलाओं की भागीदारी दिखाई देती है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में महिलाओं की विडंबना और नही तो क्या है ? इसलिए मैने मेरे शोधालेख में महाराष्ट्र के विधानमंडलीय परिक्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता के बारे में प्रकाश डालने का प्रयत्न किया है। स्वामी विवेकानंद ने ठीक ही कहा है कि ’’जब तक राष्ट्र के मुख्य प्रवाह में महिलाओं की सहभागिता नही दिखेगी तब तक राष्ट्र नही निर्माण हो सकता।’’ इस मर्म को यदि हम परिकल्पना के आधार पर स्वीकृत कर ले तो स्वतंत्रता के 75 सालो में भी महिलाओं को दोयम स्थान दिया जा रहा है। इसका भी जिक्र मैने मेरे इस अनुसंधान लेख में करने का प्रयास किया है। 1 मई 1960 में महाराष्ट्र राज्य की स्थापना हुई। तब से महिलाएँ पुरूषो के साथ राजनीति में उतरकर हम भी किसी से कम नही ये बता दिया। महाराष्ट्र राज्य का स्थान अन्य राज्यों से भारत में अग्रणी रहा है। महाराष्ट्र में मुख्यतः मराठा, कुणबी, माली और तेली के नाम से मुख्य जातियाँ जानी जाती है। किन्तु इस राजनीति में ओबीसी, दलित एवं महिलाओं का भी प्रभाव दिखाई देता है। महाराष्ट्र की महिलाओं का केवल सामाजिक आंदोलन में ही नही बल्कि राजनीति कि क्षेत्र में भी प्रभाव दिखाई देता है। महाराष्ट्र निर्वाचन क्षेत्र पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलो का अधिक प्रभाव दिखाई देता है। महाराष्ट्र भलेही औद्योगिक, तकनीकी, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं खेल जगत में अग्रेसर दिख रहा हो, किन्तु महिलाओं की समस्या का निराकरण करने के लिए विधानमण्डल यह संसद में प्रतिनिधित्व देने की बात आती है तो महिलाओं को कम आँका जाता है। परंतु महिलाओं को परुषों के बराबरी में लाना है तो परुषों सोच में बदलाव जरूरी है। संसद और विधानमण्डल के साथ सभी क्षेत्रो में 50 प्रतिशत आरक्षण मिल गया तो भारत की तस्वीर बदल सकती है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Maharashtra is known as the leading state. Maharashtra has been the only state in India after 2005, which has provided 50 percent participation to women in local self-government institutions. But if we look at the legislative floor of Maharashtra, then the discrepancy is visible. National political parties as well as regional parties in the state assembly show only 9 to 10 percent of women's participation. If this is the irony of women in a democratic system and if not, what is it? Therefore, in this research paper, author has tried to throw light about the participation of women in the Legislative Assembly of Maharashtra. Swami Vivekananda has rightly said that "unless women's participation in the main flow of the nation is not seen, then nation building cannot be done." If we accept this idea on the basis of hypothesis, then in 75 years of independence Women are also being given second place. Author has also tried to mention this in this research article.
मुख्य शब्द विमर्श मानव समाज, दोयम सहभागीता आंदोलन, नामांकन पत्र, परिणामस्वरूप, कामयाब, अपनापन, विशेषताएँ, प्रत्याशियों निर्वाचन क्षेत्र, परिवर्तनशील, लोकतांत्रिक आपातकाल, उम्मीदवार, निरंतन रूझान, सशक्त, उभरकर, अर्जित मर्तबा, परम्परागत ।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Discussion Human Society, Second Participation Movement, Nomination Paper, Result, Successful, Belonging, Characteristics, Candidates Constituency, Variable, Democratic Emergency, Candidate, Continuous Trend, Strong, Emerging, Earned Time, Traditional.
प्रस्तावना
वैश्विक स्तर पर यदि हम सोचते है, मान लेते है एवम परख लेते है तो हमे दिखाई देता है की महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता लगभग लगभग 10 प्रतिशत के दिखाई देती है। चाहे वह अमरिका प्रगत राष्ट्र हो या फिर लोकतंत्र की जननी इंग्लंड हो, या यू कहे युरोप महाद्विप में भी महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता पुरुषो की राजनीतिक सहभागिता में बहुत कम है। मैने मेरे शोधालेख में भारत के प्रगति राज्य कहलाने वाले महाराष्ट्र राज्य में महिलाओं का प्रतीनिधित्व एक अध्ययन के लिए लिया है। विश्व में महिला प्रतिनिधित्व के समकक्ष महाराष्ट्र में भी महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता का प्रमाण लगभग 10 प्रतिशत से कम दिखाई देता है। यदि मै आर्थिक सहभागिता की बात करु तो भारत देश से लोकतांत्रिक व्यवस्था में आर्थिक सहभागिता तो और भी बदतर दिखाई देती है। इसलिये मैने अनुसंधान आलेख में चयन के रुप में महाराष्ट्र राज्य को लिया है। मेरा संपूर्ण अनुसंधान आलेख महाराष्ट्र के 1962 से लेकर 2019 तक के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाओं पर आधारित है।
अध्ययन का उद्देश्य लेखक के अनुसंधान आलेख के निम्नलिखीत उद्देश्य है। 1. वैश्विक स्तर के बराबर महाराष्ट्र के विधानभा में महिलाओं की सहभागीता दिखाई देती है। 2. महाराष्ट्र राज्य में महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता दलित स्थिती के आधार पर जाँच पडताल करना। 3. पुरोगामित्व कहलाने वाले महाराष्ट्र राज्य में भी महिलाओं की स्थिती दोयम दिखाई देती है। इसका अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

डॉ. अखिलेश शुक्ल, डॉ. संध्या शुक्ल - महिला सशक्तीकरण दशा एवम दिशा - गायत्री पब्लीकेशन - रिवा म. प्र. 2010- इस संदर्भ ग्रंथ में लेखक का यह मानना है की आंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवम भारत के विभिन्न राज्यों में महिलाओं की राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवम सामाजिक स्थिती दोलायमान है। आगे लेखक का यह मानना है की महिलाओं को सत्ता स्पर्धा में भारतीय समाज व्यवस्था में पुरुषो की तुलना में दोयम समझा जाता है। इसका बडा ही रोचक अध्ययन इस संदर्भ ग्रंथ में लेखक महोदय ने किया है।

सिद्धिका आयेशा- पाकिस्तान लष्करी सत्तेचे अंतरंग, Concept Book Publication – Pune 2007 इस संदर्भ ग्रंथ में पाकिस्तान जैसे राष्ट्र में भी महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता न के बराबर है।

किदवई रशिद- सोनिया मंजुल पब्लीकेशन भोपाल, इंडिया- 2004

इस संदर्भ ग्रंथ में लेखक का मानना है की राष्ट्रीय संकट में पारिवारिक हताहत में या राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिती में भी महिलाओं का राष्ट्र परिवार एवम पारिवारिक दुखित घटनाओं में भी महिलाओं का सहभाग महत्वपूर्ण होता है। लेखक आगे कहते है कि राजीव गांधी की हत्या होने के बाद जिस तरह गांधी परिवार को सोनिया गांधी ने संभाला एवम समय समय पर काँग्रेस दल के अन्य लोगो का मार्गदर्शन किया वह अपने आप में सराहनीय है।

डॉ. त्रिपाठी गौरव - वर्मा कामिनी - प्रगतीशिल स्त्री विमर्श अखंड पब्लिशिंग हाऊस दिल्ली (भारत) प्रथम संस्करण 2019- इस संदर्भ ग्रंथ में गौरव त्रिपाठी एवम कामिनी वर्मा इनका यह कहना है की कभी-कभी यह कथन बहुत ही चर्चित रहा है की स्थितियां पैदा नही होती अपितु बनाई जाती है। किंतु आज के दौर में उक्त कथन की प्रभावशीलता में रास आया है। वर्ष 2000 के बाद से देखने को मिला है की लिंगीय भेदभाव कम हुआ है। पालन पोषण एवम शिक्षा में असमानता का असर धीरे-धीरे क्षीण हुआ है। मुस्लिम महिलाओं ने तलाक जैसे कानुन के प्रती स्वयम संघर्ष प्रारंभ कर सर्वोच्च न्यायालय से अवैध घोषित करवाया। परिणामतः संसद को इस संदर्भ में नया कानुन बनाना पडा।

मुख्य पाठ


संदर्भ: महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1962

1962 का विधानसभा चुनाव संयुक्त महाराष्ट्र का प्रथम चुनाव था। 234 सीटों के लिए हुये चुनाव में महिलायें शामिल हुई। 264 सीटो में से 217 सर्वसाधारण जाति के लिए 33 सीटे अनुसूचित जाति के लिए तथा 14 सीटे एस.टी. के लिए आरक्षित थी। पुरुष के वर्चस्व वाले क्षेत्र में भी कुल 36 महिलाओं ने नामांकन पत्र भरा। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस, जनसंघ, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया सहित सभी दलों ने इस चुनाव में सहभागीता दी। 1962 के विधानसभा चुनाव में 36 महिलाओं में से केवल 13 महिलाएँ चुनाव जीत सकी थी। जिनमें मणिबेन देसाई, शकुंतला सालवे, कुसुमबाई कोरपे, सुशिलाबाई बलराज, निर्मलाराजे भोसले आदि का नाम सराहनीय रहा था। मुंबई क्षेत्र में से 4 जगह पर महिलाओं ने सफलता हासिल की थी। परिणामस्वरूप पुरूषी अहंकार को झटका लगा। इन दिनों समस्त भारत वर्ष पर काँग्रेस दल का प्रभुत्व होने के कारण अन्य दलों को राजनीति में पैर जमाना मुश्किल होना स्वाभाविक बन गया था।

 

संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1967

महाराष्ट्र के 1967 का विधानसभा चुनाव एक महत्वपूर्ण साबित हुआ था। 270 जगह के लिए इस चुनाव में कुल 1242 प्रत्याशियों में महिलाएँ केवल 19 ही थी। पिछले चुनाव की तुलना में यह संख्या आधी ही थी। फिर भी इनमें से 9 महिलाओं ने विजय परम्परा कायम रखी। सुशिलाताई बलराज, निर्मलाराजे भोसले, प्रभाताई झाडबुके ने दोबारा विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। संगमेश्वर, जव्हार, सिन्नर, एदलाबाद के रुप नये महिला सफलता प्राप्त निर्वाचन क्षेत्र प्राप्त हुये।

एदलाबाद में प्रतिभाताई पाटील (माजी राष्ट्रपति) विजय हुई, जिन्होंने प्रथम बार विधानसभा चुनाव में सहभागिता दी। बुलढाणा, मूर्तिजापूर, नागपूर, अक्कलकोट, बार्शी एक तरह से महिला आरक्षित विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र रूप में सामने आये। 1962 की महिला सदस्य संख्या 13 से घटकर 9 पर आ गयी। इसकी वजह यह थी कि, प्रमुख राजनीतिक दलों ने महिलाओं को जगह बहुत ही कम दी थी। पिछले चुनाव में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। 1967 में कामयाब महिलाएँ भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की उम्मीदवार थी। काँग्रेस ने दोबारा महिलाओं के साथ अपनापन रखा था।

 

संदर्भ: महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1972

1972 के चुनाव की प्रमुख विशेषताएँ यह थी, कि यह चुनाव 1971 के भारत- पाकीस्तान युध्द के बाद संपन्न हुआ था। भारतीय राजनीति के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस पर इंदिरा गांधीजी के प्रभाव का यह दौर था। 1972 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव महिलाओं के दृष्टि से संतोषजनक रहा। 1972 के विधानसभा चुनाव में कूल 56 महिलाएँ शामिल हुई जिनमे 3 महिलाएँ अनुसूचित जन जाति की थी। इस चुनाव में 1997 प्रत्याशियों ने भाग लिया था। 270 सीटों वाली विधानसभा में कुल 14 महिला उम्मीदवार विजयी हुई। पिछले चुनाव मे जो संख्या 9 थी, वह इस चुनाव में कुल 14 तक पहुँची। प्रतिभाताई पाटील ने एदलाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में तथा प्रतिभाताई तिडके ने मुर्तिजापूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में दोबारा कामयाबी हासिल की। अन्य संदर्भ में सामाजिक आंदोलन का नेतृत्व करने वाली मृणालताई गोÚहे समाजवादी पार्टी की ओर से मालाड़ (मुंबई) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारी वोटों से चुनाव जीत गई। इस विधानसभा चुनाव की अनूठी विशेषताएँ यह थी की, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पहली बार काँग्रेस को छोड़कर अन्य दल की महिला कामयाब हुई।

 

संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1978

महाराष्ट्र की राजनीति में महिलाओं का सहभागी दिन ब दिन बढ़ रहा है। 1974 की भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस दल के विभाजन का प्रभाव स्पष्ट दिख रहा था। काँग्रेस (आई) एवं भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के रुप में यह दो दल चुनाव लड़ रहे थे। जिसमें सभी से जनता पार्टी काम कर रही थी। जिसमें सभी राजनीतिक दल शामिल हुए थे। 288 सीटों के लिए 1817 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। जिनमें 51 महिलाएँ उम्मीदवार थी। 25 फरवरी 1978 में हुए मतदान के रूझान ने यह साबित किया कि महिलाएँ भी पुरूषों के बराबर काम कर सकती हैं। कुल आठ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में महिला प्रत्याशी विजयी हुई। इस चुनाव में प्रतिभाताई पाटील ने लगातार तीन बार एदलाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर अपनी सफलता की हैट्रीक लगाई। जनता पार्टी ने चार महिलाओं को विजयी कर दिखाया तो काँग्रेस (आई) और भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस मिलाकर चार महिलाओं ने विजयी परंपरा कायम रखी। पुलगाव, गोंदिया, रत्नागिरी आदि के रुप में नए महिला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र इस चुनाव में महिलाओं को प्राप्त हुई।

 

संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1980

1980 का विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र में आपातकाल घोषणा समाप्त होने के बाद हुआ। शरद पवार ने परिवर्तनशील (पुरोगामी) लोकतांत्रिक मोर्चा के रूप में और गैर काँग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया था। इंदिरा गांधी ने केंद्र में सरकार स्थापन करने के बाद महाराष्ट्र मे आपातकाल घोषित किया था। महाराष्ट्र में काँग्रेस (आई) तथा काँग्रेस (यू) के रूप में काँग्रेस के दो गुट चुनाव लड़ रहे थे। 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद उनका पहला चुनाव था। कल 886 प्रत्याशी में पहली बार भारी संख्या में 19 महिला उम्मीदवार काँग्रेस (आई) की थी। तथा दो-दो महिला उम्मीदवार काँग्रेस (यू) तथा भारतीय जनता पार्टी की थी प्रतिभाताई पाटील ने चौथी मर्तबा विजय हासिल किया। प्रभा राव, कुसुमताई अभ्यंकर, जयवंतीबेन मेहता, राजकुमार वाजपेयी आदि महिला उम्मीदवारों ने दोबारा जीत दर्ज कर महिलाओं की विधानसभा में हिस्सेदारी बढ़ाई। 1980 के विधानसभा चुनाव में 19 महिला विजयी होकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस चुनाव की सबसे बड़ी विशेषताएँ यह मानी जाएगी कि, निरंतर चौथी मर्तबा प्रतिभाताई ने विधानसभा चुनाव जीता, जो बाद में भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनी।

 

संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1985

यह चुनाव इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था। इस चुनाव में महिलाओं का प्रभाव साफ दिखाई दे रहा था। काँग्रेस (आई) और समाजवादी पार्टी तथा जनता पार्टी के रूप् में काँग्रेस के दो गुट आपस में लड़ रहे थे। भारतीय जनता पार्टी एवं जनता पार्टी भी इस चुनाव में हिस्सा ले रही थी। 3 फरवरी 1985 को हुए मतदान में कुल 16 महिला उम्मीदवारों ने कामयाबी प्राप्त की। समाजवादी काँग्रेस पार्टी की एक महिला प्रत्याशी तथा समाजवादी काँग्रेस की तीन प्रत्याशी महिलाएँ इस चुनाव में विजयी हुई। काँग्रेस (आई) का 13 महिला उम्मीदवार इस चुनाव में विजयी हुई। रजनी सातव, श्रध्दा टापरे, पारूबाई वाघ, शरयू ठाकुर इन महिला विधायको ने दुबारा जीत अर्जित कर दिखायी। पुलगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में से लगातार तीन बार विजय प्राप्त कर काँग्रेस की प्रभा राव हैट्रीक कर सफलता प्राप्त की।

 

संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1990

1990 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव महिलाओं की दृष्टि से एवं सफलता के लिए निराशा जनक रहा। किन्तु इस चुनाव में 147 महिला उम्मीदवारो ने विधानसभा चुनाव में सहभागीता दर्शायी, जो आजतक के महिला उम्मीदवारों की तुलना में सब से अधिक था। काँग्रेस दल की और से दाभाडी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से पुष्पाताई हिरे तथा धुले विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से शालिनी ताई बोरसे इन्होनें दूसरी बार सफलता हासिल की। भाजपा की और से शोभाताई फडणवीस, विमल मुंदडा, चन्द्रकांता गोयल इन महिलाओं ने पहली मर्तबा सफलता हासिल की। विशेष बात यह कि, पुलगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से काँग्रेस की ताकतवर नेता प्रभा राव के जनता दल की सरोज काशीकर ने हराया। यह विधानसभा के रूझान काँग्रेस के लिए चिंतन का कारण बनी।

 

संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1995

1995 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव महिलाओं के सहभागिता के दृष्टि से सफल माना जा सकता है। 288 सीटों के कुल 247 महिला उम्मीदवारों ने इस चुनाव में हिस्सा लिया। 12 फरवरी 1995 को हुए चुनावी मतदान में कुल 11 महिला उम्मीदवार सफलता हासिल कर सकी। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सबसे अधिक 6 महिला उम्मीदवार जीतकर आयी। जो पहले काँग्रेस से अधिक जाती थी। इस चुनाव से भाजपा दल महाराष्ट्र का राजनीति में शिरकत माना जाता है।


संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल - 1999

1999 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महिलाओं की राजनीति में सहभागिता उभरकर सामने आ रही थी। इस चुनाव की अनूठी विशेषताएँ यह थी की, इस चुनाव में शरद पवार ने काँग्रेस से अलग होकर नया दल स्थापित कर चुनाव के समक्ष अपने आप को प्रस्तुत किया। परिणामस्वरूप काँग्रेस को महाराष्ट्र के राजनीति पर प्रभाव होना अनिवार्य था। महाराष्ट्र विधानसभा में अब विरोधी दल के रूप में भाजपा-सेना एक सशक्त पर्याय बन गयी थी। महिलाएँ काँग्रेस, राष्ट्रवादी, भाजपा, शिवसेना, रिपाई, शेकाप इन प्रमुख राजनीतिक दलों में शामिल थी। इस चुनाव में कुल 86 महिलाएँ अपनी-अपनी किस्मत आजमा रही थी। सब पे भारी आज की नारी’ ’अबला नही है यह सबला हैकी गूँज अब महाराष्ट्र में सुनाई दे रही थी। 288 सीटों में से 12 सीटों पर इस चुनाव में महिलाओं ने अपनी सफलता दर्ज की। शेकाप की मीनाक्षी पाटिल ने अलीबाग विधान सभा क्षेत्र से दोबारा सफलता अर्जित की। इस चुनाव की अनूठी विशेषताएँ यह थी की, पहली मर्तबा महाराष्ट्र के विधानसभा के राजनीति में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने कामठी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से सुरेखा कुंभारे के रूप में प्रथम महिला ने राजनीतिक जीवन शुरू किया। 4 सीटों पर शिवसेना ने सफलता हासिल की। जब की भाजपा ने 3 जगहों पर सफलता प्राप्त की।


संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल, 2004

2004 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के माध्यम से लगभग 157 महिला उम्मीदवारों को चुनाव के जंग में खडी की गयी। जिसमें मुख्य रूप से काँग्रेस, राष्ट्रवादी काँग्रेस, शिवसेना, भाजपा, शेकपा, रिपाई इन सभी महाराष्ट्र के राजनीतिक दलो ने महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया। इस चुनाव में काँग्रेस-03, भाजपा को 02, सेना को 02 और सबसे ज्यादा राष्ट्रवादी काँग्रेस को 05 जगह पर सफलता मिली। परिणामस्वरूप राष्ट्रवादी काँग्रेस ने काँग्रेस के परम्परागत मतों को अपनी तरफ परिवर्तित करने में सफलता हासिल की।


संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल, 2009.

2009 के विधानसभा चुनाव में 2004 के विधान सभा चुनाव के तुलना में लगभग सभी राजनीतिक दलों ने भले ही महिलाओं को चुनाव के रणसंग्राम में उतारा हो किन्तु पुरूषी मानसिकता एवं सामाजिक व्यवस्था के जर्जर बीमारी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इस चुनाव में केवल ग्यारह महिलाएँ सफलता हासिल कर सकी। इसमें मुख्य रूप से काँग्रेस के द्वारा 5 महिलाओं को सफलता मिली। भाजपा को 2 जगह मिली। राष्ट्रवादी को 2 जगह मिली। एवं शेकाप, सेना को 1-1 जगह पर सफलता मिली। इसका परिणाम कहीं न कहीं 2014 के चुनाव पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने के लिए काफी होगा ऐसा मेरा अनुमान है।

2014 विधानसभा की स्थिति

महाराष्ट्र फुले-अम्बेडकर-शाहू महाराज इन समाजसुधारको का महिका (माहेरघर) माना जाता है। भारत में महाराष्ट्र प्रगतिशील राज्य के रूप में माना जाता है। फिर भी 1962 से लेकर 2014 के विधानसभा चुनाव की ओर यदि, हम निगाहे डालते है तो यह दिखाई देता है की, अभी तक महिलाओं को पुरूषी मानसिकता का असर स्पष्ट रूप से दिखता है। 2014 महाराष्ट्र विधानसभा में केवल 6.9 प्रतिशत महिलाओं को राजनीतिक सहभागिता प्रदान करने का अवसर मिला। चूँकि महाराष्ट्र में महिला आन्दोलन का बोलबाला है फिर भी 6.9 प्रतिशत महिलाओं को राजनीतिक सत्ता में सहभागिता यह संतोषजनक नही माना जा सकता। अन्य दृष्टि से अगर देखा जाए तो यह अम्बेडकर, फुले, शाहु इन सुधारकों के विचारों के प्रभाव को वास्तविक राजनीतिक आचरण में न ला सकने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है।


संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल, 2014.

2014 के विधानसभा चुनाव में 2009 के तुलना में महिलाओं के चुन के आने की संख्या में बढोतरी हुई है। 288 सदस्य वाले विधानसभा निर्वाचन सभागृह में लगभग सभी राजनीतिक दलों ने महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया था। महाराष्ट्र राज्य स्थापना के बाद सबसे ज्यादा महिलाओं ने सफलता हासिल करने का रेकॉर्ड बनाया है। इस चुनाव में 20 महिलाएँ विधानसभा में चुनकर गयी है। इस चुनाव में भाजपा 12, काँग्रेस 5, राष्ट्रवादी काँग्रेस 2, मनसे जैसे प्रादेशिक पार्टीनें एक सिट पर हासिलता पा कर नयी पार्टी के रुप में महिला को प्रतिनिधीत्व दिया।


संदर्भ:- महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल, 2019.

2019 विधानसभा के 288 सदस्यों वाले राज्य विधानमंडल के चुनाव में 61.4 प्रतिशत मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी सबसे बडी पार्टी के रुप में उभरी। शिवसेना भाजपा के साथ चुनाव लढने के बावजूद भाजपा के साथ गठबंधन बनाने से इन्कार किया। इसलिए 23 नवम्बर 2019 को देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। लेकिन बहुमत न जुटा ने से उन्हे 28 नवम्बर 2019 को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री पद से इस्तिफा देना पडा। उसके बाद महाविकास आघाडी के रुप में शिवसेना, काँग्रेस और राष्ट्रवादी गठबंधन की सरकार बनी। इसमें उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के रुप में और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली।


महाराष्ट्र राज्य स्थापित 01 मई 1960 का हुआ। उस समय महाराष्ट्र में काँग्रेस ही मुख्य रूप से राजनीतिक रंगमंच पर विराजमान था। इसमें संदेह कतई नही है। शनैः शनैः महाराष्ट्र में राजनीतिक धरातल पर अन्य दलों का प्रवेश होते दिख रहा है। फिर भी महाराष्ट्र में अभी तक 1962 प्रथम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र चुनाव से लेकर 2014 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की राजनीतिक सहभागिता एवं सफलता का यदि हम अनुमान लगाते है तो ऐसा दिखाई देता है की, अभी भी लगभग 7 प्रतिशत तक ही महिलाएँ अपनी सफलताएँ दर्ज कर पायी। इसके गहराई में जब हम जाते है तो यह दिखाई देता है की, महाराष्ट्र भले ही प्रगत, पुरोगामी, राजनीतिक एवं सामाजिक सुधारक आन्दोलनों की भूमिका भले ही रही हो या है इसमें दो मत नही। फिर भी जहाँ तक महिलाओं को राजनीति के रंगमंच पर प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने में महाराष्ट्र की पुरूषी मानसिकता कहीं न कहीं जिम्मेदार दिखाई देती है।

1962 में केवल 4.9, 1967-72 में 3.3, 1972 से 1978 तक 5.1, 1978-80 में 2.7, 1980-85 में 6.5, 1985-90 में 5.5, 1990-95 में 2, 1995-1999 में 3.8, 1999-2004 में 4.1, 2004-2009 में 4.1, 2009-2014 में 3.9, 2014-2019 में 6.9 एवं 2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महिलाओं की सफलता का मात्र 6.25 तक दिख रहा है।

निष्कर्ष उपरोक्त अनुसंधान आलेख का अध्ययन करने के बाद निम्नलिखीत निष्कर्ष निकाले जा सकते है। 1. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में लगभग 6.9 प्रतिशत तक ही विधानसभा चुनाव में महिलाओं की सफलता दिखाई देती है। 2. भारत में अन्य राज्यो की तुलना में महाराष्ट्र भले ही औद्योगिक, तकनीकि, आर्थिक, सांस्कृतिक एवम खेल जगत में अग्रेसर दिखाई देता हो किंतु संसदरुपी विधानसभा में प्रतीनिधित्व देने की बात आती है तो कही ना कही महिलाओं को कम आकना या फिर उन्हे अपने बराबरी में लाना इस सोच में पुरुष प्रधान संस्कृति कतही तत्पर नही है। 3. महिलाओं की सहभागिता बढाना पुरुष प्रधान संस्कृति के मानसिकता को बदलना होगा।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. डॉ. शुक्ला अखिलेश, डॉ. शुक्ल संध्या: महिला सशक्तिकरण दशा एवं दिशा, गायत्री पब्लिकेशन रिवा, म.प., पहिली आवृत्ति, 2010। 2. सालुंके आ.ह., हिन्दू संस्कृति और स्त्री, लोकवाड. मय गृह प्रकाशन, मुंबई, 2007। 3. बेउवार, सिमोन, स्त्री उपेक्षिता, हिन्द पॉकेट बुक्स, नई दिल्ली, 2004। 4. कांबले उत्तम, राजर्षी शाहू महाराज और महिला मुक्ती, सुगावा प्रकाशन पुणे, 2003। 5. वोल्सटन क्राप्ट मेरी, स्त्री अधिकारों का औचित्य साधन, राजकमल विश्व प्रकाशन, दिल्ली। 6. डॉ. त्रिपाठी कुसुम, समाजवादी देशों की महिलाएँ एक सिद्धांत, लोकल संगिनी प्रकाशन, दिल्ली। 7. डॉ. सुभाष सत्य, भारतीय नारी कितनी जीती कितनी हारी, अनिल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2006। 8. डॉ. गुप्ता ए. के. पॉवरिंग वुमेन अभिषेक पब्लिकेशन, चंडीगड, 2002। 9. महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, योजना, अक्तुबर, 2008। 10. महाराष्ट्र विधानसभा सांख्यिकीय अहवाल (1962 से 2014)।