P: ISSN No. 2394-0344 RNI No.  UPBIL/2016/67980 VOL.- VII , ISSUE- V August  - 2022
E: ISSN No. 2455-0817 Remarking An Analisation
प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से सम्बन्धित समस्या का परिवेश, विद्यालय स्वरूप एवं लिंग के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन
Comparative Study of Primary School Principals Administrative Problems Related to Discipline on The Basis of Environment, School Nature and Gender
Paper Id :  16568   Submission Date :  13/08/2022   Acceptance Date :  22/08/2022   Publication Date :  25/08/2022
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शान्तनु गौड़
सह-आचार्य
एम0एड0 विभाग
भगवान महावीर कॉलिज ऑफ एजुकेशन
जगदीशपुर, सोनीपत,हरियाणा, भारत
सारांश वर्तमान शोध कार्य माध्यमिक विद्यालयों के सिद्धांतों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रशासन और अनुशासन की समस्याओं पर किया गया था। शहरी-ग्रामीण, पुरुष-महिला, सरकारी सहायता प्राप्त और स्व-वित्तपोषित स्कूलों में विभिन्न के परिमाण का विश्लेषण करने के लिए काई-स्क्वायर परीक्षण का उपयोग किया गया है। इस अध्ययन के लिए जिला बागपत की 4 तहसीलों से 100 सिद्धांतों का चयन किया गया है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The present research work had been done on the problems of the administration and discipline faced by Principles of Madhyamik Schools. Chi-square test has been used to analyse the magnitude of different in urban-rural, male-female, government aided and self-financed schools. 100 Principles from 4 Tehsils of district Baghpat were selected for the purpose of this study.
मुख्य शब्द प्राथमिक विद्यालयो के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्या, अनुशासन से सम्बन्धित समस्या, तुलनात्मक अध्ययन।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Administrative Problem of Principals of Primary Schools, Problem Related to Discipline, Comparative Study.
प्रस्तावना
प्राथमिक विद्यालय का प्रधानाचार्य विद्यालय का केन्द्र बिन्दु होता है। प्रधानाचार्य की भूमिका बहुआयामी तथा वैविध्यपूर्ण होती है। एक ओर वह छात्रों, अध्यापको तथा अभिभावकों के प्रति उत्तरदायी होता है तो दूसरी और समाज और विभाग के प्रति भी उसे दायित्व निर्वहन करना पड़ता है। तभी तो बिलफ्रेंच ने प्रधानाचार्य की भूमिका के विषय में कहा था कि अध्यापक सफल होता है या अध्यापक असफल होता है तो प्रधानाचार्य असफल या सफल होता है। इस समय तेजी से बदलती हुए परिस्थितियों में समाज के नैतिक मूल्यों में काफी गिरावट आ गयी है जिसका प्रभाव समाज के एक अंग विद्यालयों पर भी पड़ता है। विद्यालयों के समक्ष आज कई समस्याएँ है उसमें सबसे बड़ी समस्या अनुशासन को लेकर है नैतिक मूल्यों के बदलने से आज विद्यालयों में अनुशासनहीनता की गम्भीर समस्या खड़ी हो गयी है। इन समस्याओं को हम रोज समाचार पत्रों में पढ़ते हैं और टी0वी0 पर देखते भी हैं कि कैसे बदलते राजनीतिक परिदृश्य में प्रधानाचार्य और शिक्षक दोनों मिलकर भी विद्यालय में अनुशासन नहीं बना पा रहे हैं उनके ऊपर प्राण घातक हमले हो रहे हैं विद्यालयों में अनुशासन बनाये रखने के लिए पुलिस और पी0ए0सी0 का सहारा लेना पड़ रहा है अनुशासनहीनता से विद्यालय का सम्पूर्ण शैक्षणिक वातावरण दूषित होता जा रहा है यदि इस पर शीघ्र अंकुश न लगाया गया तो विद्यालय शैक्षणिक गतिविधियों का केन्द्र न होकर अराजकता का केन्द्र बन जायेगा। जिसका प्रभाव समाज पर भी पड़ेगा। आज जैसी स्थिति हमारे पड़ौसी देश में चल रही है, वैसी स्थिति भविष्य में हमारे यहाँ भी आ सकती है। इसलिए हमारे प्रशासन को ऐसी नीति का निर्माण करना चाहिए जिससे विद्यालयों में प्रभावी अनुशासन व्यवस्था को लागू किया जा सके। आज इस बदलती हुई परिस्थितियों में माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के समक्ष अनेक समस्याएँ आती हैं जिनमें, प्रशासन की समस्या, भवन की समस्या, शिक्षकों से सम्बन्धित समस्या, शिक्षार्थियों से सम्बन्धित अनुशासन से सम्बन्धित समस्याएँ प्रशासन में आती है। इन सब समस्याओं का समाधान प्रधानाचार्यों को शीघ्र करना पड़ता है। यदि इन समस्याओं का समाधान शीघ्र न किया जाय तो विद्यालय का सम्पूर्ण शैक्षिक वातावरा दूषित हो जाता है। प्रस्तुत अध्ययन से संबंधित जो भी शोध कार्य हुए थे वे पूर्ण नहीं थे और न ही लिंग परिवेश एवं विद्यालय स्वरूप के आधार पर अनुशासन से सम्बन्धित प्रधानाचार्यों की समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन कार्य ही हुआ था। अतः प्रस्तुत समस्याओं पर शोध वर्तमान परिस्थितियों में आवश्यक था इस कारण शोधकर्ता ने प्रस्तुत अध्ययन का चयन किया। अध्ययन कथन- प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से संबंधित समस्या का परिवेश, विद्यालय स्वरूप एवं लिंग के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत अध्ययन में निम्नलिखित उद्देश्यों को लिया गया था। 1. प्राथमिक स्तर पर ग्रामीण तथा शहरी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से सम्बन्धित समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन करना। 2. प्राथमिक स्तर पर स्ववित्तपोषित तथा अनुदानित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से सम्बन्धित समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन करना। 3. प्राथमिक स्तर पर बालक तथा बालिका विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से सम्बन्धित समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

बसु (2009) ने कॉलेज के शिक्षकों के मानसिक स्वास्यि पर लिंग के प्रभाव व वैवाहिक स्तर के प्रभाव का अध्ययन किया। विश्लेषण के पश्चात् ज्ञात हुआ कि पुरुष शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्यमहिला शिक्षकों की तुलना में अधिक अच्छा है। साथ ही वैवाहिक स्थिति का मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव नहीं पड़ता है। दीवान व अन्य (2009) ने झारखण्ड के जनजातीय विद्यालय के शिक्षों के मानसिक स्वास्थ्य पर लिंगधर्म एवं वैवाहिक स्तर के प्रभाव का परीक्षण किया। परिणामस्वरूप यह ज्ञात हुआ कि लिंग का प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक रूप से पड़ता है। महिला शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य की तुलना पुरुष शिक्षकों से करने पर अत्यन्त निम्न पाया गया। धर्म का मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव प्राप्त हुआ।

दधानिया (2013) ने अपने अध्ययन में यह पाया कि लिंग एवं पारिवारिक संरचना का शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव पड़ता है। पुरुष शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य महिला शिक्षकों की अपेक्षा अधिक अच्छा पाया गया।

सुभद्रा दास (2014) ने अपने अध्ययन में शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य औसत स्तर का पाया। ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों के शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य में सार्थक अन्तर पाया गया। साथ ही सरकारी व निजी विद्यालयों के शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य में सार्थक अन्तर पाया गया एवं नगरीय क्षेत्र के शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों की अपेक्षा अधिक अच्छा पाया। साथ ही विद्यालय के प्रकार का शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पाया गया।

भरत कुमार पंडा एवं अनूप मिश्रा (2022) ने प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिउच्च शिक्षित शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का अध्ययन किया जिसमे पाया की प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिउच्च शिक्षित शिक्षकों की आर्थिक संतुष्टि 50 में से 21 शिक्षक औसत से अधिक आर्थिक संतुष्ट दिखाई देते हैं जबकि 29 शिक्षकों की आर्थिक संतुष्टि का स्तर औसत से कम संतुष्ट दिखाई पड़ती है । 

सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत अध्ययन सर्वेक्षण विधि द्वारा किया गया था। जनसंख्या- प्रस्तुत शोध समस्या की जनसंख्या बागपत जनपद के समस्त वित्तपोषित, स्ववित्तपोषित, ग्रामीण, शहरी, बालक, बालिका, माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य थे।
न्यादर्ष

प्रस्तुत शोध समस्या की जनसंख्या बागपत जनपद के समस्त वित्तपोषित, स्ववित्तपोषित, ग्रामीण, शहरी, बालक, बालिका, माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य थे।

न्यादर्शन तकनीकी

प्रस्तुत अध्ययन में असम्भाव्य न्यादर्श प्रविधि के सोद्देश्य तकनीकी का उपयोग किया गया था। सोद्देश्य न्यादर्श विधि द्वारा प्रतिदर्श से कुल 100 बागपत जनपद के प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों का चयन किया गया था।

प्रयुक्त उपकरण प्रस्तुत अध्ययन में दो उपकरणों का प्रयोग किया गया था।
1. स्वनिर्मित्त प्रशासनिक व्यवहार मापनी।
2. स्वनिर्मित्त साक्षात्कार प्रपत्र।
प्रशासनिक व्यवहार मापनी में कुल 12 आयामों पर 100 कथन बनाये गये थे प्रशासनिक समस्या के समाधान हेतु साक्षात्कार प्रपत्र में 20 कथनों की साक्षात्कार अनुसूची प्रयुक्त की गयी थी। प्रशासनिक व्यवहार मापनी की अर्थ विच्छेद विश्वसनीयता गुणांक 0.72 तथा विषय विशेषज्ञ वैधता गुणांक 0.81 प्राप्त हुआ था। इसकी व्याख्या प्रतिशतांक के आधार पर की गयी थी।
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी

प्रस्तुत अध्ययन में आँकड़ों के विश्लेषण हेतु समान वितरण की परिकल्पना को ध्यान में रखा गया था।

विश्लेषण

1. ग्रामीण तथा शहरी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से संबंधित समस्या पर कई वर्ग विश्लेषण तालिका-


1. काई वर्ग x2 अभिकलित करने से मान 16.86 प्राप्त हुआ जो x2 के .05 सार्थकता स्तर पर 3.841 से अधिक था जिससे शून्य परिकल्पना अस्वीकृत हो जाती है और इससे स्पष्ट होता है कि प्रधानाचार्य की समस्यायें अनुशासन से विभिन्न रूप से प्रभावित होती है। इस पर क्षेत्र का प्रभाव पड़ता है।

2. स्ववित्तपोषित तथा अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से सम्बन्धित समस्या पर x2 विश्लेषण तालिका।


काई वर्ग अभिकलित करने से मान 53.65 प्राप्त हुआ जो df(1) के .05 सार्थकता स्तर पर 3.841 से अधिक था जिससे शून्य परिकल्पना अस्वीकृत हो जाती है और इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन की समस्यायें अनुशासन से विभिन्न रूप से प्रभावित होती है।

3. बालक तथा बालिका विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से सम्बन्धित समस्या पर काई वर्ग विश्लेषण तालिका


काई वर्ग अभिकलित करने से मान 53.625 प्राप्त हुआ जो कि df(1) के .05 सार्थकता स्तर पर 3.841 से अधिक था जिससे शून्य परिकल्पना अस्वीकृत हो जाती है। प्रशासनिक समस्याओं में लिंग का प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष 1. प्राथमिक स्तर पर ग्रामीण तथा शहरी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याएँ अनुशासन से विविध रूप से प्रभावित होती है इस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है। 2. प्राथमिक स्तर पर स्ववित्तपोषित तथा अनुदानित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्यायें अनुशासन से प्राथमिक रूप से प्रभावित होती है इस पर विद्यालय स्वरूप का प्रभाव पड़ता है। 3. प्राथमिक स्तर पर बालक तथा बालिका विद्यालयों के प्रधानाचार्यों की प्रशासनिक समस्याओं में अनुशासन से सम्बन्धित समस्याओं पर लिंग का प्रभाव पड़ता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. ओड, एल0के0, शैक्षिक प्रशासन- जयपुर राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी। 2. कोठारी कमीशन रिपोर्ट 1964-66/एजुकेशन एण्ड नेशनल डेवलपमेन्ट मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन गर्वनमेन्ट ऑफ इण्डिया। 3. गर्ग शोभा- शिक्षा प्रशासन एवं पर्यवेक्षण- किताब महल इलाहाबाद। 4. पाण्डेय रामशक्ल 1990-भारतीय शिक्षा के विभिन्न आयाम- विनोद पुस्तक मन्दिर आगरा। 5. शर्मा डॉ0 आर0ए0, शिक्षा अनुसंधान, इण्टरनेशनल पब्लिशिंग हाऊस मेरठ। 6. भरत कुमार पंडा एवं अनूप मिश्रा (2022), प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिउच्च शिक्षित शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का अध्ययन, International Journal of creative research thoughts (IJRCT), ISSN: 2320-2882, Volume 10, Issue 3 March 2022