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मध्यप्रदेश के दमोह जिले के विशेष संदर्भ वाले शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के पुरूष एवं महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Comparative Study of Job Satisfaction of Male and Female Teachers of Government and Non-government Schools with Special Reference to Damoh District of M.P. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
16511 Submission Date :
2022-10-18 Acceptance Date :
2022-10-21 Publication Date :
2022-10-25
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सारांश |
सभी संस्थानों की सफलता उनकी प्रबंधकीय व्यवस्था पर निर्भर करती है। प्रबंध से तात्पर्य उन संगठित, व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध क्रियाओं से है जिनके द्वारा भौतिक तथा मानवीय संसाधनों का उचित नियोजन, संगठन समन्वय तथा नियंत्रण इस ढंग से किया जाये कि उद्देश्यों की प्राप्ति सर्वोत्तम रूप से संभव हो सके । प्रबंधकीय व्यवस्था बिना वित्त के अधूरी होती है। वित्त के अभाव में अच्छी से अच्छी योजनाएँ क्रियान्वित नहीं हो पाते हैं। इन प्रबंध के आधार पर विद्यालयों में आय अर्थात् धन के स्रोत अलग-अलग होते हैं। वित्तीय प्रबंध के आधार पर जिन विद्यालयों को सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त होता है उन्हें शासकीय विद्यालय तथा ऐसे विद्यालय जो विद्यार्थियों के द्वारा प्राप्त आय पर ही अपने वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था करते हैं वह अशासकीय विद्यालय कहलाते हैं।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The success of all institutions depends on their managerial system. Management refers to those organized and systematic activities by which proper planning, organization, coordination and control of physical and human resources is done in such a manner that the attainment of objectives is best possible. Managerial system is incomplete without finance. In the absence of finance, even the best plans are not implemented. On the basis of these arrangements, the sources of income i.e. money in the schools are different. On the basis of financial management, the schools which get grant by the government are called government schools and such schools which arrange their financial resources on the income received by the students are called non-government schools. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | प्रबंधकीय व्यवस्था, वित्तीय प्रबंध, नियोजन। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Managerial System, Financial Management, Planning. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
शिक्षक भी समाज का एक अंग है। शासन द्वारा महिला एवं पुरूष शिक्षकों को शिक्षण कार्य के लिए समान माना गया है किसी भी क्रियाकलाप को लेकर उनके बीच किसी भी प्रकार के भेद को सही नहीं माना गया है। शिक्षक के सामान्य तथा कक्षागत क्रियाकलाप शिक्षक व्यवहार की ओर संकेत करते हैं और इन क्रियाकलापों पर शिक्षक प्रभावशीलता आधारित होती है।
शिक्षक की प्रभावशीलता में उसकी शिक्षा तथा सामान्य व तत्कालीन ज्ञान, प्रेरित करने की योग्यता , शिक्षण कौशल व्यवसाय से संबंधित ज्ञान, पाठ्य सहगामी क्रियाओं का ज्ञान कक्षा-कक्ष प्रबंध की योग्यता, समाज एवं विद्यालयों के अन्य सदस्यों के साथ आपसी मेल मिलाप का स्वभाव, संवेगात्मक रूप से स्थिर, सलाह व निर्देशन की योग्यता, नैतिक रूप से कुशल तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व को समाहित किया जाता है इन सब क्रियाओं के प्रति विद्यालय के प्राचार्य, साथी समूह, स्वयं शिक्षक एवं विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाओं को किसी शिक्षक की प्रभावशीलता के रूप में प्रेक्षित किया जाता है। शिक्षक की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि (शिक्षक) अपने शिक्षण व्यवसाय में किस सीमा तक संतुष्ट है, क्योंकि संतुष्ट शिक्षक ही अपने विद्यार्थियों और समाज के प्रति न्याय कर सकता है। संतुष्ट शिक्षक से अभिप्राय ऐसे शिक्षकों से है जो अपनी योग्यताओं के आधार पर शिक्षण व्यवसाय से संबंधित परिस्थितियों व सुविधाओं को प्राप्त करने के कारण शिक्षण कार्य में संतुष्टि का अनुभव करते हैं। शिक्षण कार्य के आंतरिक एवं बाह्य कारक (कार्य से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य व मनोरंजन के लिए भ्रमण, नियुक्ति का स्थान, कार्य की दशायें, लोगों के बीच आपसी सहयोग, प्रजातांत्रिक गुण, बुद्धि, सामाजिक दायरा, आय, वेतन भत्ता, जीवन के गुण एवं राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था) शिक्षकों को स्वयं के शिक्षण कार्य से प्राप्त होने वाली संतुष्टि को प्रभावित करते हैं। अतः स्पष्ट होता है कि शिक्षकों की कार्य संतुष्टि अप्रत्यक्ष रूप से उनके शिक्षण कार्य को प्रभावित करता है।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. शासकीय एवं अशासकीय विद्यालय में कार्यरत पुरूष एवं महिला शिक्षकों की कार्यसंतुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन करना।
2. शासकीय विद्यालय में कार्यरत पुरूष एवं महिला शिक्षकों की कार्यसंतुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन करना।
3. अशासकीय विद्यालय में कार्यरत पुरूष एवं महिला शिक्षकों की कार्यसंतुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन करना। |
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साहित्यावलोकन | समस्या कथन- मध्यप्रदेश के दमोह जिले के विशेष
संदर्भ वाले शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के पुरूष एवं महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन करना। |
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सामग्री और क्रियाविधि | अनुसंधान प्रदत्तों को एकत्रित करने के लिए सर्वेक्षण विधि को अपनाया गया है। न्यादर्श हेतु दमोह जिले के शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत 600 शिक्षकों को यादृच्छिक विधि से चुना गया है। |
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न्यादर्ष |
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प्रयुक्त उपकरण | शोध के संदर्भ में संबंधित प्रदत्तों के संकलन हेतु डाॅ. प्रमोद कुमार एवं डी.एन. मुुथा (1999) द्वारा निर्मित कार्य संतुष्टि मापनी का उपयोग किया गया है। | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
विश्लेषण | प्रदत्तों का सांख्यिकीय विश्लेषण- परिकल्पनाओं और प्रदत्तों की विश्वसनीयता के लिए मध्यमान, मानक विचलन तथा ’’टी’’ क्रांतिक परीक्षण का प्रयोग किया गया है। तालिका क्रं. 01 शासकीय एवं अशासकीय विघालयों
में कार्यरत समग्र पुरूष शिक्षकों एवं समग्र महिला शिक्षकों के कार्य संतुष्टि की
तुलना N=600
कार्य संतुष्टि
पर पुरूष शिक्षकों का मध्यमान (25.41) एवं महिला
शिक्षकों का मध्यमान (23.31) है। 0.5 एवं 0.1 स्तर पर ’’टी’’ मूल्य
पर सार्थक अंतर है। अतः पुरूष शिक्षकों का कार्य
संतुष्टि का स्तर महिला शिक्षकों से उच्च है। अतः परिकल्पना अमान्य की जाती है। शासकीय विद्यालय में कार्यरत
पुरूष एवं महिला शिक्षकों की कार्यसंतुष्टि की तुलना N=300
तालिका क्रं. 02 में शासकीय पुरूष एवं शासकीय महिला शिक्षकों की कार्य
संतुष्टि की तुलना को दर्शाया गया है। तालिका क्रं. 03 अशासकीय विद्यालय में कार्यरत
पुरूष एवं महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि की तुलना N=300
तलिका क्रं. 03 में अशासकीय विद्यालय में कार्यरत पुरूष शिक्षक एवं अशासकीय महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि की
तुलना को दर्शाया गया है। कार्य संतुष्टि पर
अशासकीय पुरूष शिक्षकों का मध्यमान (25.32) एवं अशासकीय
महिला शिक्षकों का मध्यमान (24.04) है। 0.5 एवं 0.01 स्तर पर ’’टी’’ मूल्य
पर सार्थक अंतर नहीं है। अतः अशासकीय पुरूष शिक्षकों
एवं अशासकीय महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का स्तर समान है। अतः परिकल्पना
मान्य की जाती है। |
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परिणाम |
कार्य संतुष्टि पर शासकीय एवं अशासकीय विद्यालय के पुरूष एवं महिला शिक्षकों में कार्य संतुष्टि पर प्रभाव नहीं पड़ता है। |
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निष्कर्ष |
1. शासकीय वि़द्यालय में कार्यरत पुरूष शिक्षकों एवं महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि के स्तर पर अंतर नहीं पाया गया। अर्थात् शासकीय पुरूष शिक्षकों एवं शासकीय महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि पर समानता है।
2. अशासकीय विद्यालय में कार्यरत पुरूष शिक्षकों एवं महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि के स्तर पर अंतर नहीं पाया गया। अर्थात् शासकीय पुरूष शिक्षक एवं शासकीय महिला शिक्षकों की कार्य संतुष्टि पर समानता है। अर्थात् कार्य संतुष्टि पर शासकीय एवं अशासकीय विद्यालय के पुरूष एवं महिला शिक्षकों में कार्य संतुष्टि पर प्रभाव नहीं पड़ता है। |
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भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव | 1. कार्य संतुष्टि हेतु समय-समय पर शिक्षकों का वेतन, महंगाई, भत्ता, चिकित्सा सुविधाएं भी बढ़ती रहना चाहिए। ताकि कार्यरत शिक्षकों को उनके व्यवसाय में संतुष्टि मिल सके तथा उनकी अपने कार्य में रूचि बनी रहें। 2. शासकीय शिक्षकों एवं अशासकीय शिक्षकों को समान वेतन भत्ता एवं अन्य सुविधाओं का लाभ मिलें। 3. दोनों प्रकार के विद्यालय में शिक्षकों के विचारों का आदान-प्रदान खुलेपन से करें तो शिक्षकों के मध्य सौहार्द्रपूर्ण संबंध बन सकेंगे, जिससे शिक्षकों का एक दूसरे की योग्यता में विश्वातस बढ़ेगा। 4. शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के शिक्षक को उचित वेषभूषा एवं शिष्ट भाषा का प्रयोग, विद्यालय के दैनिक कार्यों में वांछित सहयोग, नियमित एवं समय का पाबंद, व्यवसाय के प्रति निष्ठा, रूचि पूर्ण जिम्मेदारी व अनुशासन प्रेक्षित करें। जिससे विद्यार्थियों के सामन एक आदर्श एवं प्रभावकारी शिक्षक बन सकेंगे। 5. पुरूष एवं महिला शिक्षकों को कार्य करने में स्वतंत्रता एवं समान सुविधाओं की व्यवस्था होनी चाहिए। |
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अध्ययन की सीमा | प्रस्तुत शोधकार्य दमोह जिल के शासकीय एवं अशासकीय विद्यालय में कार्यरत 600 महिला एवं पुरूषों तक सीमति है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. कपिल एच.के. (2007) : अनुसंधान विधियां, अग्रवाल पब्लिकेशन, आगरा।
2. बेस्ट जे. डब्लू. (1978): रिसर्च एन.एजुकेशन, नई दिल्ली, प्रेन्टिस हाल आफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, पृ. 264-268.
3. गैरेट एच.ई. (1985): स्टेटिस्टिक्स इन फिजियोलाॅजी एवं एजुकेशन बम्बईः वकील्स फीफर एण्ड सिमान लि.
4. यतीन्द्र ठाकुर (2017) :समावेशी शिक्षा - अग्रवाल पब्लिकेशन आगरा, पृ 72-73.
5. मंगल, एस के; 2022- शिक्षा मनोविज्ञान पी.एच.आई.लर्निंग प्राईवेट लिमिटेड, नई दिल्ली ।
6. आर. सुखानी और ए.जैन, ''शिक्षकों की नौकरी की संतुष्टि पर शिक्षा योग्यता के प्रभाव का आकलन'' शोध सरिता खंड 7 नं. 26, पी.पी. 105-2020
7. पाठक पी.डी. - शिक्षा मनोविज्ञान विनोद पुस्तक मंदिर आगरा । |