P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- VI February  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
सामान्य एवं अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय पर बुद्धि के प्रभाव का अध्ययन
Study of The Effect of Intelligence on the Intellectual Self-Concept of Secondary Level Students of General and Scheduled Castes
Paper Id :  15802   Submission Date :  10/02/2022   Acceptance Date :  18/02/2022   Publication Date :  25/02/2022
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हिमानी सिंह
पूर्व शोध छात्रा
शिक्षा शास्त्र विभाग
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय
कानपुर ,उत्तर प्रदेश
भारत
सारांश मनुष्य की बौद्धिकता उसे प्रकृति की सर्वोत्तम कृति के रुप में प्रस्तुत करती है कि जन्मजात प्रवृत्तियों को लेकर उत्पन्न होने वाले इस असहाय मनुष्य को शिक्षा के द्वारा ही अपना सर्वागीण विकास करने का अवसर प्राप्त होता है और वह शिक्षा ही है जो उसे सामान्य असहाय प्राणी से सामाजिक व बौद्धिक प्राणी में परिणित करती है। शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया के रुप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में समाज के रीति रिवाजों, परम्पराओँ एवं आदर्शों को हस्तान्तरण करती है तथा भावी पीढ़ी को सामाजिक भूमिकाओं को कुशलतापूर्वक निर्वाह हेतु तैयार करती है। बालक की आयु जैसे-जैसे बढ़ती जाती है वैसे-वैसे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिभायें आपस में एक-दूसरें से सात्यीकृत हो जाती है। बालक अपने चारों ओर के वातावरण में जैसे अपने आपको देखता है और अपने परिवार के लोग और परिचित उसे देखते है उसी आधार पर वह अपने आत्म-प्रत्यय का विकास करता है । आत्म- प्रत्यय को दर्पण प्रतिभा कहा गया है ।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Man's intellect presents him as the best work of nature that this helpless man, born with innate tendencies, gets the opportunity to develop his all-round through education and it is education that helps him out of the ordinary helpless creature. social and intellectual animal.
Education as a social process transfers the customs, traditions and ideals of the society from one generation to another and prepares the future generations to perform social roles efficiently.
मुख्य शब्द सामान्य एवं अनुसूचित जाति के प्रभाव का अध्यय़न।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Study of the Effect of General and Scheduled Castes.
प्रस्तावना
इस पृथ्वी पर मानवीय सृष्टि का उदय अति प्राचीन माना जाता है प्रायः सभी ग्रन्थ इस बात की पुष्टि करते है कि समस्त जीवधारियों में मानवीय संरचना सर्वश्रेष्ठ है। इस श्रेष्ठता के आधार में कोई न कोई विशिष्टता अवश्य रही होगी। शिक्षा आज का उदय हुआ शब्द नहीं है इसका जन्म भी मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही हुआ था, यह दूसरी बात है कि शिक्षा का कोई स्वरुप अपने समय काल एवं परिस्थितियों में प्रचलित रहा है परन्तु शिक्षा ही एक ऐसी प्रक्रिया है और रहेगी जिसने समयाचीन स्वरुप धारण कर मानवीय़ विचारों एवं यार्गान्तरण करके नवीन दिशा प्रदान की है। मनुष्य की बौद्धिकता उसे प्रकृति की सर्वोत्तम कृति के रुप में प्रस्तुत करती है। आश्चर्य है कि जन्मजात प्रवृत्तियों को लेकर उत्पन्न होने वाले इस असहाय मनुष्य को शिक्षा के द्वारा ही अपना सर्वागीण विकास करने का अवसर प्राप्त होता है और वह शिक्षा ही है जो उसे सामान्य असहाय प्राणी से सामाजिक व बौद्धिक प्राणी में परिणित करती है। शिक्षा के द्वारा ही मानव अपने जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान करता है तथा अपने जीवन को आनन्दय बनाता है।
अध्ययन का उद्देश्य 1. सामान्य जाति के माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय पर बुद्धि के प्रभाव का अध्ययन। 2. अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय पर बुद्धि के प्रभाव का अध्ययन। 3. अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय पर बुद्धि के प्रभाव का अध्ययन करना । 4. सामान्य जाति एवं अनुसूचित जाति के विध्यार्तीयो के बौद्धिक आत्म - प्रत्यय पर बुद्धि के प्रभाव की तुलना करना ।
साहित्यावलोकन
आज हमारे देश का युवा छात्र विषमताओं से घिरा है। दिन-प्रतिदिन देश के युवा वर्ग में सांस्कृतिक एवं बौद्धिक स्तर में गिरावट आ रही है। समाज में आये दिन समाचार पत्रों, न्यूज चैनलों आदि के माध्यम से ज्ञात होता है कि अमुख प्रतिभाशाली छात्र ने नौकरी न मिलने के कारण आत्महत्या कर ली। होनहार युवा अभ्यर्थी परीक्षा में कड़ी मेहनत करते है और पेपर लीक होने से उन्हे निराशा का सामना करना पड़ता है जिससे उनके बौद्धिक स्तर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है इसीलिये आज का युवा छात्र नशा, चोरी, डकैती जैसी कुप्रथाओं की ओर अग्रसारित हो रहा है। इस तरह के समाचारों से शोधकर्ती यह सोचने पर विवश हुई कि आज के बढ़ते हुए शैक्षिक संस्थानो एवं शैक्षिक स्तर के बावजूद भी ऐसी घटनायें क्यों घटित हो रही है। अतः शोधकर्ती के मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि सामान्य एवं अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय पर बुद्धि का क्या प्रभाव पड़ रहा है। कुशवाहा (2009) जैडर डिफरेन्स इन दि सेल्फ कॉन्सेप्ट ऑफ स्टुडेन्ट्स में विद्यार्थियों में लिंग के आधार पर आत्मप्रत्यय में अन्तर को जानने के लिये 200 विद्यार्थियो का चयन शोध के लिये किया गया। जैन (2010) ए स्टडी ऑफ सेल्फ कॉन्सेप्ट एण्ड लेवल ऑफ ऐस्पीरेशन ऑफ ऐस्पीरेशन ऑफ मेन्टली चेलेज्ड एड़ोलसेन्ट्स मे मानसिक रुप से विकलांग किशोरों के आकांक्षा स्तर एव आत्मप्रत्यय को जानना। महेता, आकृति (2016) इन्होने माध्यमिक विद्यालय के किशोर विद्यार्थियो में आत्मप्रत्यय बुद्धि लिंग-भेद का अध्ययन विषय पर शोध कार्य किया। बैनर्जी शिल्खा (2017) इफैक्ट ऑफ योगा ऑन कॉन्सनट्रेसन ऑफ योगा ऑन कॉन्सनट्रेसन रिटेन्शन एण्ड मेंटल बैलन्स ऑफ स्टुडेन्टस। इसमें पाया गया कि योग का विद्यार्थियो के ध्यान, धारणा और मानसिक स्वास्थ्य पर सार्थक प्रभाव प़ड़ता है। YADAV JAI NATH and DR. SONEJI BHAWANA (2019) इन्होनें माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियो के आत्मप्रत्यय पर अभिभावक की शिक्षा के प्रभाव का अध्ययन विषय पर शोध कार्य किया। डॉ0 मिश्रा किरण एव गोयल प्रतिभा (मई 2019) इन्होने माध्यमिक स्तर के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के आत्मप्रत्यय का तुलनात्मक अध्ययन विषय पर शोध कार्य किया कुमार विवेक एवं सिंह हरिशंकर (2020) इन्होनें उच्च माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियो के मानसिक स्वास्थय का तुलनात्मक अध्ययन पर शोध कार्य किया। जिसमें कक्षा 11 के 100 विद्यार्थियो (50 छात्र और 50 छात्राएं) को शामिल किया गया है।
सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत अध्ययन में शोध विधि के रुप में वर्णानात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है।
न्यादर्ष

समग्र-  प्रस्तुत अध्ययन में समग्र के रुप में कानपुर नगर के माध्यमिक विद्यालयो को लिया गया है
इस अध्ययन में स्तरीकृत न्यादर्शन विधि के द्वारा कानपुर नगर के माध्यमिक विद्यालयों के कक्षा 9-10 के बुद्धि परिक्षण के आधार पर उच्च, मध्यम, निम्न 150 विद्यार्थियों को चुना गया है।
Table of The sample

बुद्धि के आधार पर कक्षा 9-10 के विद्यार्थी

सामान्य जाति के विद्यार्थी

अनुसूचित जाति के विद्यार्थी

कुल

उच्च बुद्धिमान

25

25

50

मध्यम बुद्धिमान

25

25

50

अल्प बुद्धिमान

25

25

50

कुल

75

75

150

प्रयुक्त उपकरण 1. बुद्धि परीक्षण हेतु डॉ. श्यामस्वरुप जलोटा द्वारा निर्मित मानसिक योग्यता का सामूहिक बुद्धि परीक्षण (72) का प्रयोग किया गया है।
2. बौद्धिक आत्मबोध परीक्षण हेतु R.K. Saraswat (NEW DELHI) द्वारा निर्मित आत्मबोध परीक्षण प्रश्नावली के बौद्धिक क्षेत्र का प्रयोग किया गया है।
विश्लेषण

तालिका क्रमांक -बौद्धिक आत्मप्रत्यय
सामान्य एवं अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के उच्च बुद्धिमान विद्यार्थियों का बौद्धिक आत्मप्रत्यय-

क्र. सं.

सांख्यिकीय विश्लेषण

सामान्य जाति

अनुसूचित जाति

1.

M

30.6

24.6

2.

SD

7.935    

7.085

3.

N

25

25

4.

विश्वस्तता अन्तराल उच्च

33.773

27.434

5.

विश्वस्तता अन्तराल निम्न

27.427

21.766

तालिका क्रमांक -2

क्र.सं.

समूह

t

सार्थकता

1.

सामान्य जाति के उच्च बुद्धिमान विद्यार्थी

2.762

.05 स्तर पर अन्तर सार्थक

2.

अनुसूचित जाति के उच्च बुद्धिमान विद्यार्थी

तालिका क्रमांक -1 में सामान्य एवं अनुसूचित जाति के उच्च बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय परीक्षण में प्राप्त प्राप्तांकों का सांख्यिकीय विश्लेषण दर्शाया गया है।
इसके अनुसार सामान्य जाति के उच्च बुद्धिमान विद्यार्थियों का मध्यमान 30.6 एवं प्रमाणिक विचलन 7.935 प्राप्त हुआ है। इनका विश्वस्तता अन्तराल उच्च 33.773 एवं  विश्वस्तता अन्तराल निम्न 27.427 प्राप्त हुआ है।
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का मध्यमान 24.6 एवं प्रामणिक विचलन  7.085 प्राप्त हुआ है। इनका विश्वस्तता अन्तराल उच्च 27.434 एवं  इनका विश्वस्तता अन्तराल निम्न 21.766 प्राप्त हुआ है।
तालिका क्रमांक - 2 के अनुसार सामान्य एवं अनुसूचित जाति के उच्च बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय के मध्य t मूल्य दर्शाया गया है प्राप्त t  मूल्य 2.762 है जो 0.05  विश्वास के स्तर पर t  तालिका से प्राप्त सार्थकता के आवश्यक मान 2.02  से अधिक है। दोनों मध्यमानों में प्राप्त अन्तर वास्तविक है। अतः हमारी परिकल्पना नं. - 1 सामान्य जाति के माध्यमिक स्तर के उच्च बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय में कोई सार्थक अन्तर नहीं है अस्वीकृत होती है।
तालिका क्रमांक - 3
सामान्य एवं अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के मध्यम बुद्धिमान विद्यार्थियों का बौद्धिक आत्मप्रत्यय

क्र. सं.

सांख्यिकीय विश्लेषण

सामान्य जाति

अनुसूचित जाति

1.

M

31.4

26.2

2.

SD

7.115

5.415

3.

N

25

25

4.

विश्वस्तता अन्तराल उच्च

34.245

28.365

5.

विश्वस्तता अन्तराल निम्न

28.555

24.035

तालिका क्रमांक – 4

क्र.सं.

समूह

t

सार्थकता

1.

सामान्य जाति के मध्यम बुद्धिमान विद्यार्थी

 

2.849

 

.05 स्तर पर अन्तर सार्थक

2.

अनुसूचित जाति के मध्यम बुद्धिमान विद्यार्थी

तालिका क्रमांक 3 में सामान्य एवं अनुसूचित जाति के मध्यम बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय परीक्षण में प्राप्त प्राप्तांकों का सांख्यिकीय विश्लेषण  दर्शाया गया है।
इसके अनुसार सामान्य जाति के मध्यम बुद्धिमान विद्यार्थियों का मध्यमान 31.4 एवं प्रमाणिक विचलन 7.115 प्राप्त हुआ है। इनका विश्वस्तता अन्तराल उच्च 34.245 एवं विश्वस्तता अन्तराल निम्न 28.555 प्राप्त हुआ है।
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियो का मध्यमान 26.2 एवं प्रमाणिक विचलन 5.415 प्राप्त हुआ है। इनका  विश्वस्तता अन्तराल उच्च 28.365 एवं विश्वस्तता अन्तराल निम्न 24.035 प्राप्त हुआ है।
तालिका क्रमांक - 4  के  अनुसार सामान्य एवं अनुसूचित जाति के मध्यम बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय के मध्य t मूल्य दर्शाया गया है प्राप्त t  मूल्य 2.849 है। जो 0.05 विश्वास के स्तर पर t तालिका से प्राप्त सार्थकता के आवश्यकमान 2.02 से अधिक है। दोनों मध्यमानों में प्राप्त अन्तर वास्तविक है। 
अतः हमारी परिकल्पना नं. 2 सामान्य एवं अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के मध्यम बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय में कोई सार्थक अन्तर नहीं है अस्वीकृत होती है।
तालिका क्रमांक  - 5
सामान्य एवं अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के अल्प बुद्धिमान विद्यार्थियों का बौद्धिक आत्मप्रत्यय

क्र. सं.

सांख्यिकीय विश्लेषण

सामान्य जाति

अनुसूचित जाति

1.

M

29.4

26

2.

SD

7.330

3.740

3.

N

25

25

4.

विश्वस्तता अन्तराल उच्च

32.332

27.495

5.

विश्वस्तता अन्तराल निम्न

26.468

24.505

तालिका क्रमांक 6

क्र.सं.

समूह

t

सार्थकता

1.

सामान्य जाति के अल्प बुद्धिमान विद्यार्थी

 2.025

.05 स्तर पर अन्तर सार्थक

2.

अनुसूचित जाति के अल्प बुद्धिमान विद्यार्थी

तालिका क्रमांक 5 में सामान्य एवं अनुसूचित जाति के अल्प बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय  परीक्षण में प्राप्त प्राप्तांकों का सांख्यिकीय विश्लेषण दर्शाया गया है।
इसके अनुसार सामान्य जाति के अल्प बुद्धिमान विद्यार्थियों का मध्यमान 29.4 एवं  प्रमाणिक विचलन 7.330 प्राप्त हुआ है। इनका विश्वस्तता अन्तराल उच्च 32.332 एवं विश्वस्तता अन्तराल निम्न 26.468 प्राप्त हुआ है।
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का मध्यमान 26 एवं प्रमाणिक विचलन 3.740 प्राप्त हुआ है। इनका विश्वस्तता अन्तराल उच्च 27.495 एवं विश्वस्तता अन्तराल निम्न 24.505 प्राप्त हुआ है।
तालिका क्रमांक 6 के अनुसार सामान्य एवं अऩुसूचित जाति के अल्प बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय के मध्य t मूल्य दर्शाया गया है प्राप्त t मूल्य 2.025 है जो 0.05 विश्वास के स्तर पर t तालिका से प्राप्त सार्थकता के आवश्यक मान 2.02 से अधिक है। दोनो मध्यमानों में प्राप्त अन्तर वास्तविक है।
अतः हमारी परिकल्पना नं.-3 सामान्य एवं अनुसूचित जाति के माध्यमिक स्तर के अल्प बुद्धिमान विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय में कोई सार्थक अन्तर नहीं है अस्वीकृत होती है। 

परिणाम

विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास हेतु उन्हें बौद्धिक आत्मप्रत्यय के प्रति शिक्षित किया जाना चाहियें इस हेतु शिक्षा प्रणाली में निम्न सुधार आवश्यक है।

1.     विद्यार्थियों को नई-नई समस्याओँ पर अपने विचार देने चाहिये जिससे उनके बौद्धिक आत्मप्रत्यय के विकसित होने में मदद हो सके।

2.     बौद्धिक आत्मप्रत्यय के प्रति शिक्षकों के सुझाव प्राप्त कर उन पर गहनता पूर्ण विचार कर पाठ्यक्रम निर्मित किया जाना चाहिय़े।

3.     विद्यार्थियों में व्याप्त रुढ़ियों एवं अन्धविश्वासों को दूर किया जाना चाहिये।

4.     इस प्रकार की कार्यशालाओँ का आयोजन समय-समय पर होना चाहिये जिनसे विद्यार्थियों का बौद्धिक आत्मप्रत्यय विकसित हो।

5.     अभिभावकों को अपने बच्चों से मित्रवत व्यवहार करना चाहिये ताकि अभिभावक की भूमिका एक कुशल पथ-प्रदर्शक के रुप में हो सके।

संक्षेप में हम कह सकते है कि एक जागरुक शिक्षक जागरुक  अभिभावकजागरुक समुदायजागरुक राजनैतिक व्यक्ति आदि  सभी मिलकर यदि प्रयास करे तो हम देश के एक उच्च कोटि के नागरिक दे सकते है ताकि हमारा देश विकास के पद पर अग्रसर हो सकें।

निष्कर्ष 1. सामान्य जाति के विद्यार्थियों का बौद्धिक आत्मप्रत्यय अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के बौद्धिक आत्मप्रत्यय से अधिक है। सामान्य जाति के विद्यार्थी ज्ञान के प्रति जागरुक होते है इसीलिये उनके बौद्धिक स्तर में बढ़ोत्तरी प्राप्त हुई है। अनुसूचित जाति के विद्यार्थी धन की कमी के कारण बौद्धिक स्तर को बढ़ाने की चेष्टा नहीं करते है जिससे उनका बौद्धिक आत्मप्रत्यय कम हो जाता है। 2. सामान्य जाति के विद्यार्थी हर पल अपने अभिभावकों के नियन्त्रण एवं निर्देशन में रहते है। वे घर पर तथा बाहर बौद्धिक कार्यों में अग्रसर रहते है। अतः उनका बौद्धिक आत्मप्रत्यय उच्च होता है। अनुसूचित जाति के विद्यार्थी बौद्धिक कार्यों में कम प्रेरित होते है। 3. सामान्य जाति के विद्यार्थी के अभिभावक उनकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देते है, उनके घऱ का वातावरण भी बहुत अच्छा होता है, इसीलिये सामान्य जाति के विद्यार्थी तीव्र बुद्धि के होते है जबकि अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का वातावरण सामान्य जाति के विद्यार्थियों के घर जैसा नहीं होता है अतः उनका बौद्धिक विकास कम हो पाता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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