ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VI , ISSUE- XII March  - 2022
Anthology The Research
नेपाल में समाजशास्त्र का प्रारंभ और विकास
Beginning and Development of Sociology in Nepal
Paper Id :  15754   Submission Date :  03/03/2022   Acceptance Date :  15/03/2022   Publication Date :  19/03/2022
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निरंजन कुमार सिंह
एसोसिएट प्रोफेसर
समाज शास्त्र विभाग
फ़ीरोज़ गाँधी कॉलेज
राय बरेली,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश समाजशास्त्र का उद्भव 19वीं शताब्दी में फ्रांस में हुआ और एक अकादमिक विषय के रूप में इसकी शुरुआत अमेरिका के येल विश्वविद्यालय से हुई। एशिया और अफ्रीका के कई देशों में इसका प्रवेश औपनिवेशिक पृष्ठभूमि में हुआ। नेपाल एशिया का एक महत्वपूर्ण बहुसांस्कृतिक समाज है जहां कई नृजातीय समूह रहते हैं । यहां समाजशास्त्र की औपचारिक शुरुआत 1973 में हुई जब नेपाल और एशियाई अध्ययन संस्थान (आई .एन. ए. एस )में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र विभाग स्थापित हुआ। बाद में इसका नाम बदलकर नेपाल और एशियाई अध्ययन केंद्र (सी.एन.ए.एस.) कर दिया गया पर या डिग्री प्रदान करने वाली संस्था नहीं रही। बाद में 1981 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र और मानवशास्त्र विभाग अलग से स्थापित हुआ। 1984 में एक तदर्थ समिति के रूप में सोशियोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजिकल सोसायटी आफ नेपाल (एस. ए. एस. ओ. एन.) का गठन हुआ जो 1985 में रजिस्टर्ड हो गई। 1985 में स्नातक स्तर के समाज शास्त्र और मानव शास्त्र के कोर्स देश के चार कैंपसों में शुरू हुए। 1999 में पोखरा में हायर सेकेंडरी स्कूल के स्तर पर समाज शास्त्र में शिक्षण आरंभ हुआ। 2017 में नेपाल सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन के गठन और उसकी सक्रियता से नेपाल में अकादमिक गतिविधियां तेज हुई हैं। इन सब के बावजूद नेपाल में समाजशास्त्र के विकास मार्ग में कई चुनौतियां हैं जैसे- शोध कार्य के लिए कोष का अभाव, प्रशिक्षित समाजशास्त्रियों की कमी और पेशेवर दृष्टिकोण का अभाव आदि प्रमुख हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Sociology originated in France in the 19th century and as an academic discipline started at Yale University in America. Its entry into many countries of Asia and Africa took place in the colonial background. Nepal is an important multicultural society in Asia where many ethnic groups live. The formal beginning of sociology here took place in 1973 when the Department of Sociology and Anthropology was established in Nepal and the Institute of Asian Studies (INAS). It was later renamed the Center for Nepal and Asian Studies (CNAS) but ceased to be a degree awarding institution. Later in 1981, a separate Department of Sociology and Anthropology was established in Tribhuvan University. The Sociological Anthropological Society of Nepal (SASON) was formed in 1984 as an ad-hoc committee, which was registered in 1985. In 1985, undergraduate level sociology and anthropology courses were started in four campuses in the country. Teaching in Sociology started in 1999 at the level of Higher Secondary School in Pokhara. The formation and activation of the Nepal Sociological Association in 2017 has intensified academic activities in Nepal. Despite all this, there are many challenges in the development path of sociology in Nepal such as lack of funds for research work, lack of trained sociologists and lack of professional approach etc.
मुख्य शब्द आई. एन. ए. एस. , सी.एन.ए.एस. , आई. एच. एस .एस. , एस. ए. एस. ओ. एन. , एन. एस. ए.।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद INAS, CNAS, IHSS, SASON, NAS.
प्रस्तावना
अन्य सामाजिक विज्ञानों की तुलना में समाजशास्त्र एक नया विषय है। यद्यपि इसकी उत्पत्ति फ्रांस में कुछ विशिष्ट हालातों की वजह से हुई परंतु एक अकादमिक विषय के रूप में यह सबसे पहले अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में स्थापित हुआ। एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देशों में समाजशास्त्र का प्रारंभ ज्यादातर औपनिवेशिक पृष्ठभूमि में हुआ है और यह सच है कि आज भी यह औपनिवेशिक छाए से उबर नहीं पाया है। सैद्धांतिक ढांचा, अध्ययन पद्धति, उपकरण आदि सब के सब आयातित प्रतीत होते हैं। नेपाल 1950 तक वस्तुतः एक बंद समाज रहा है परंतु 1951 के राजनैतिक परिवर्तन के बाद नीतियां बदली और कई विदेशी विद्वानों ने नेपाली समाज और संस्कृति के अध्ययन में अपनी रुचि दिखाई और कई देशज विद्वानों को प्रेरित और प्रशिक्षित किया।
अध्ययन का उद्देश्य इस अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य नेपाल में समाजशास्त्र के उदभव और विकास की प्रमुख गतिविधियों की पड़ताल करना है और साथ ही नेपाल के समाजशास्त्र के सामने प्रमुख चुनौतियों की पहचान करना है।
साहित्यावलोकन
मधुसूदन सूबेदी व देवेंद्र उप्रेती [1] ( 2014) ने नेपाल में समाजशास्त्र में पाठ्यक्रम, शिक्षण और अनुसंधान के सामने आ रही समस्याओं की छानबीन की है। इन्होंने नेपाल में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र के शिक्षण और अनुसंधान के इतिहास की खोज की है और नेपाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्नातक और परास्नातक स्तर पर उनमें लोकप्रियता और विस्तार की पड़ताल की है। साथ ही साथ समाजशास्त्र और मानव शास्त्र के विकास की चुनौतियों का भी विश्लेषण किया है और उनमें सुधार के लिए अपने सुझाव भी दिए हैं। चैतन्य मिश्र [2] (2005) ने नेपाल में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र की स्थिति की समीक्षा की है और इनमें मुख्य ज्ञानमीमांसीय विमर्श की गहन पड़ताल की है। साथ ही इन्होंने नेपाल में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र में अध्ययन के प्रमुख क्षेत्रों को रेखांकित किया है ।विष्णु भंडारी [3] (1990) में नेपाल में समाजशास्त्र के विकास का एक कालानुक्रम प्रस्तुत किया है और उन्होंने नेपाल में समाजशास्त्र के प्रवेश की पृष्ठभूमि की चर्चा की है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि नेपाल में समाजशास्त्र नवजात स्थिति में है और इसके विकास की राह में कई समस्याएं हैं परंतु शोध और अकादमिक जगत में इसके महत्व को महसूस किया जा रहा है। उद्धव प्रसाद प्याकुरेल [4] ( 2012) ने अपने विश्लेषण में बताया है कि नेपाल में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र आज एक ही छत के नीचे चल रहे हैं ।उन्होंने नेपाल में समाजशास्त्र के विकास में पश्चिमी समाज शास्त्रियों के योगदान को महत्वपूर्ण माना है, साथ ही उन्होंने यह भी माना है कि नेपाल में समाजशास्त्र के साथ-साथ अन्य सामाजिक विज्ञानो और मानविकी के विकास में कम बजटीय आवंटन प्रमुख बाधा है। विश्व कल्याण पराजुली, सरद कुमार पौडेल व अमृत कुमार भंडारी [5] ( 2008) ने पोखरा में समाजशास्त्र/ मानव शास्त्र के अकादमिक अनुशासन के रूप में विस्तार की रूपरेखा प्रस्तुत की है। इन्होंने अपने अध्ययन में बताया है कि 1985 में स्नातक स्तर पर पोखरा के पी. एन. कैम्पस में अन्य जगहों के साथ समाजशास्त्र की शुरुआत हुई। 1999 में पोखरा में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र की पढ़ाई हायर सेकेंडरी स्कूलों में शुरू हो गई । इन्होंने अपने अध्ययन में पोखरा में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की है और साथ ही यहां समाजशास्त्र और मानव शास्त्र की भावी प्रवृत्तियों को दर्शाया है।
मुख्य पाठ

नेपाल में समाजशास्त्र की औपचारिक शुरुआत की जड़ें बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ढूंढी जा सकती हैं जब 1953 में ग्रामीण विकास को गति देने के लिए ग्राम विकास प्रशिक्षण केंद्र खोले गए । नेपाली समाज परिवर्तन और रूपांतरण के दौर से गुजर रहा था और सामाजिक परिवर्तन को मापने के लिए 1970 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय ने समाजशास्त्र विभाग की स्थापना के लिए अपनी चिंता व्यक्त की। नेपाल में समाजशास्त्र विभाग की आवश्यकता इसलिए भी महसूस की गई क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू की गई विकास योजनाएं समाजशास्त्री आंकड़ों के साथ-साथ सामाजिक सर्वेक्षणों के बिना सफल नहीं हो सकते थे। साथ ही नेपाल एक बहु-सांस्कृतिक समाज है जहां कई नृजातीय समूह रहते हैंइनको समझने के लिए भी यहां समाजशास्त्र की जरूरत महसूस की गई। इसी का नतीजा था कि प्रोफेसर अर्नेस्ट गेलनर ने उसी वर्ष समाजशास्त्र और मानव शास्त्र विभाग शुरू करने के लिए लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से नेपाल का दौरा किया। नेपाल में समाजशास्त्र की विकास यात्रा में वर्ष 1973 बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी वर्ष नेपाल और एशियाई अध्ययन संस्थान (आई. एन. ए. एस.) में समाजशास्त्र और मानवशास्त्र विभाग स्थापित किया गया। बाद में नेपाल और एशियाई अध्ययन संस्थान का नाम बदलकर नेपाल और एशियाई अध्ययन केंद्र (सी.एन. ए. एस.) कर दिया गयापरंतु इसे विद्यार्थियों को डिग्री देने से वंचित कर दिया गया। यह सी. एन .ए. एस. के लोग ही थे जिन्होंने समाजशास्त्र और मानवशास्त्र को जिंदा रखा। 1977 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय द्वारा 5 विद्यार्थियों को समाजशास्त्र और मानव शास्त्र में एमए की डिग्री प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति पर भारत भेजा गया। 1978 में मानविकी और समाज विज्ञान संस्थान ( आई. एच. एस. एस.) के गठन के बाद विश्वविद्यालय ने अलग से समाजशास्त्र और मानव शास्त्र विभाग की जरूरत महसूस की। इसी के परिणाम स्वरुप 1981 में प्रोफेसर चैतन्य मिश्र  के नेतृत्व में समाजशास्त्र / मानव शास्त्र विभाग की स्थापना हुई और पहली बार विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण और शोध में समाजशास्त्र विषय को पहचान मिली। 1984 में एक तदर्थ समिति के रूप में सोशियोलॉजिकल एंथ्रोपॉलजिकल सोसाइटी ऑफ नेपाल (एस. ए. एस. ओ. एन.) का गठन हुआ। 1985 में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र की विकास यात्रा में नोट करने लायक चार बातें हैं। पहलास्नातक स्तर के समाजशास्त्र और मानव शास्त्र के कोर्स चार कैंपसों में शुरू हुए। ये थे- पी. एन . कैंपस पोखरात्रिचंद्र कैंपस काठमांडूपाटन कैंपस ललितपुर और महेंद्र मोरंग केंपस विराटनगर। दूसरासोशियोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजीकल सोसाइटी ऑफ नेपाल का रजिस्ट्रेशन हुआ। तीसरासोशियोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नेपाल के प्रथम एक्जीक्यूटिव कमेटी का चुनाव हुआ इसमें प्रोफेसर डोर बहादुर बिस्टा इसके पहले अध्यक्ष चुने गए और चौथापहली बार एम. ए. की डिग्री विभाग द्वारा प्रदान की गई । वर्ष 1986 में मानव शास्त्र / समाजशास्त्र विभाग का पुनः नाम बदलकर मानव शास्त्र और समाजशास्त्र केंद्रीय विभाग कर दिया गया। साथ ही इसी वर्ष एस. ए. एस. ओ. एन. न्यूजलेटर के पहले अंक का प्रकाशन हुआ। वर्ष 1987 में विभाग के पहले वर्षगांठ को चिन्हित करने के लिए 'समाज शास्त्र शास्त्र / मानवशास्त्र एवं विकासपर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। साथ ही विभाग के द्वारा समाज शास्त्र एवं मानव शास्त्र में ऑकेजनल पेपर्स के पहले वॉल्यूम का प्रकाशन हुआ। 1999 में पोखरा हायर सेकेंडरी स्कूल के स्तर पर समाजशास्त्र में शिक्षण आरंभ हुआ।

नेपाल में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र एक ही छत के नीचे चलते रहे हैं। बहुत बाद में त्रिभुवन विश्वविद्यालय में मानव शास्त्र और समाजशास्त्र विभाग को अलग किया गया । इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के शुरुआत तक त्रिभुवन विश्वविद्यालय के 17 से अधिक अंगीभूत और संबद्ध कैंपस में समाजशास्त्र/ मानव शास्त्र को एम. ए. स्तर पर पढ़ाया जा रहा था। [6]  2012 से त्रिभुवन विश्वविद्यालय में एम.फिल. कोर्स चलाया जा रहा है। वर्ष 2014 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र/ मानव शास्त्र केंद्रीय विभाग (सी. डी. एस. ओ.) द्वारा  ‘नेपाल का समाज: सामाजिक संरचना और रूपांतरणविषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ था। 2017 में नेपाल सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन (एन.एस.ए.) की स्थापना हुई। इसी वर्ष एन.एस.ए. के तत्वाधान में  ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस  ऑन सोशल स्ट्रक्चर एंड सोशल चेंज', पोखरा में आयोजित हुआ। 2018 में  नेपाल्स अग्रेरियन स्ट्रक्चर: अटेनिंग प्रॉसपेरिटी  एंड हैप्पीनेस थ्रू स्ट्रक्चरल चेंजेजविषय पर काठमांडू में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। इसी वर्ष एन. एस. ए. ने पोखरा में सोशियोलॉजिकल पर्सपेक्टिव ऑन द डिबेट ऑफ प्रॉस्पेरिटीविषय पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। 2019 में एन. एस.ए. ने ‘विजिट ऑफ चाइनीज प्रेसिडेंट : जी जिनपिंग इन नेपाल एंड इट्स रीजनल इंपैक्ट’ विषय पर काठमांडू में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। इसी वर्ष एन.एस. ए. ने ललितपुर में ‘सोशियोलॉजी ऑफ़ नेपाल: स्टेट रिस्ट्रक्चरिंगगवर्नेंस एंड पार्टिसिपेशनविषय पर एक  अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित किया।

नेपाल में समाजशास्त्र में काफी संभावना  है। यहां कंसल्टेंसी गति पकड़ रही है और निजी शोध केंद्रों और एन.जी.ओ. में समाजशास्त्र में प्रशिक्षितों की मांग है ।परंतु नेपाल में समाजशास्त्र के सामने कई चुनौतियां हैं ।पहली बात तो यह है कि यहां समाजशास्त्र भी नवजात है और प्रशिक्षित समाज शास्त्रियों की भारी कमी है ।दूसरी बात यह कि समाजशास्त्र की जो भी मानक पुस्तकें हैं यह यहां या तो अंग्रेजी में उपलब्ध है या थोड़ा बहुत हिंदी मेंजिससे नेपाली भाषी विद्यार्थियों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। बेसिक अथवा अप्लाइड रिसर्च के लिए कोष की कमी एक महत्वपूर्ण समस्या है । पेशेवर रवैये की कमी भी नेपाल के समाजशास्त्र में देखा जा सकता है । नेपाल में एकमात्र एसोसिएशन सोशियोलॉजी एंथ्रोपॉलजिकल सोसायटी आफ नेपाल 2013 से लगभग निष्क्रिय रहा है । परन्तु नेपाल सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन के गठन के बाद समाजशास्त्र में अकादमिक गतिविधियों को बल मिला है।

निष्कर्ष समाजशास्त्र अन्य सामाजिक विज्ञानों की तुलना में सबसे युवा समाज विज्ञान है और नेपाल में तो यह नवजात ही कहा जा सकता है। नेपाली समाज में हो रहे परिवर्तन को समझने के लिए और नेपाल में विकास योजनाओं को गति देने के लिए समाजशास्त्र की आवश्यकता महसूस की गई । कम ही समय में ही नेपाल में समाजशास्त्र ने अपनी एक विशिष्ट जगह बना ली है परंतु नेपाल में समाजशास्त्र के विकास की राह में अनेक बाधाएं हैं; उदाहरण के लिए स्थानीय भाषाओं में समाजशास्त्र के स्तरीय पुस्तकों का अभाव, समाजशास्त्र में योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, समाजशास्त्र में आधारभूत और अनुप्रयुक्त शोध के लिए कोष की कमी, पेशेवर रवैये की घोर कमी आदि अनेक ऐसे बिंदु हैं जिसे दूर किए बगैर समाजशास्त्र का विकास संभव नहीं है। नवगठित नेपाल सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन को और अधिक सक्रिय बनाना होगा जिससे देश में समाजशास्त्रीय गतिविधियां अधिक से अधिक संचालित की जा सकें। नेपाल के समाज शास्त्रियों को अधिक से अधिक अंतरराष्ट्रीय समाजशास्त्रीय सम्मेलनों में भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. सुबेदी, मधुसूदन और उप्रेती, देवेंद्र (2014); द स्टेट आफ सोशियोलॉजी एंड एंथ्रोपोलॉजी टीचिंग एंड रिसर्च इन नेपाल; मार्टिन चाउतारी; काठमांडू। 2. मिश्र,चैतन्य (2005); सोशियोलॉजी इन नेपाल: अंडर डेवलपमेंट एडमिस्ट ग्रोथ: कंट्रीब्यूशंस टू नेपालीज स्टडीज, वॉल्यूम 32 नंबर 1; जनवरी 2005; सेंटर फॉर नेपाल एंड एशियन स्टडीज; त्रिभुवन यूनिवर्सिटी; काठमांडू। 3. भंडारी, विष्णु (1990); द पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ सोशियोलॉजी इन नेपाल ; ऑकेजनल पेपर्स इन सोशियोलॉजी एंड एंथ्रोपोलॉजी ; वॉल्यूम 2 पृष्ठ संख्या 13 से 23 4. प्याकुरेल, उद्धव प्रसाद (2012) ; द स्टेट ऑफ सोशियोलॉजी इन नेपाल ; ग्लोबल एक्सप्रेस; 21 सितंबर 2012; काठमांडू यूनिवर्सिटी; नेपाल। 5. पराजुली, विस्वो कल्याण; पौडेल, सरद कुमार; भंडारी, अमृत कुमार (2008); एक्सपेंशन आफ सोशियोलॉजी एंड एंथ्रोपोलॉजी एज एन एकेडमिक डीसीप्लीन इन पोखरा : पास्ट, प्रेजेंट एंड फ्यूचर आफ सोशियोलॉजी/ एंथ्रोपोलॉजी इन नेपाल; https://www.re searchgate.net/publication/232614294 6. अमर्त्य, सूर्या लाल (2012); त्रिभुवन यूनिवर्सिटी; ए क्रिटिकल अप्रेजल; टी. यू. बुलेटिन स्पेशल 2012-13; पृष्ठ संख्या 56-59