P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- II October  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
विमुद्रीकरण: सकारात्मक आर्थिक प्रभाव-एक विश्लेषण
Demonetization: Positive Economic Effects - An Analysis
Paper Id :  16723   Submission Date :  12/10/2022   Acceptance Date :  22/10/2022   Publication Date :  25/10/2022
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इंद्रा शुक्ला
एसोसिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष
अर्थशास्त्र विभाग
महिला पी. जी. कॉलेज
लखनऊ,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश भारत एक विकासशील राष्ट्र है उसके विभिन्न क्षेत्र विकास की ओर अग्रसर हो रहे है। दूसरी ओर कालेधन की जमाखोरी, नकली नोटों का जाल, भ्रष्टाचार, महँगाई एवं हवाला, नक्सलवादी एवं आतंकवादी गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही है। उन समस्याओं का उन्मूलन करने के लिये देश की सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करने अर्थात् विमुद्रीकरण का निर्णय लेना एक चुनौतीपूर्ण एवं क्रातिकारी है। विमुद्रीकरण एक ऐसी आर्थिक प्रक्रिया है जिसमे सरकार चलन में पुरानी मुद्रा को बंद कर देती है और नयी मुद्रा जारी करती है, पुरानी बंद की गयी मुद्रा विनिमय के माध्यम का कार्य बंद कर देती है और वह मात्र रद्दी कागज का टुकडा बन जाती है। अधिकांशतः बड़े मूल्य के बंद किये गये नोटों को बैंक से बैक से एक निश्चित अवधि के अंदर बदला जाता है। भारत में पहली बार 1946 में 500, 1,000, व 10,000 के नोटों को बंद करने का फैसला लिया गया सन् 1978 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार ने 1,000, 5,000 व 10,000 के नोट चलन में बंद कर दिये थे। 2005 में 500 के नोटों का विमुद्रीकरण किया गया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवम्बर 2016 को आधी रात 9:00 बजे से 500 व 1,000 के नोटो को बंद करने की घोषणा की। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था से न केवल काले धन का सफाया करना था वरन् जाली नोटों से छुटकारा, भ्रष्टाचार का उन्मूलन एवं डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना था। नोट बंदी के दौरान पूरा देश कैशलेस हो गया, लेन-देन ऑन लाइन होने लगा। विमुद्रीकरण के दौरान लोगो को अनेक समस्याओं एवं कठिनाइयों से जूझना पड़ा उसके कारण थोडे समय के लिये दिक्कत अवश्य हुयी लेकिन कुछ समय पश्चात उसके सकारात्मक प्रभाव भी दिखाई देने लगे। यद्यपि विमुद्रीकरण की योजना उतनी सफल नहीं रही जितनी होनी चाहिए थी लेकिन फिर भी कालाधन, नकली नोट का कारोबार, हवाला लेन-देन, आतंकवाद एवं भ्रस्टाचार में कमी अवश्य हुयी है। विमुद्रीकरण से अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधार की नई क्रांति आई है। यह शोध पत्र वर्णनात्मक प्रकृति का है इसमें सभी आवश्यक प्रासंगिक आंकड़े विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं वेबसाइट से प्रकाशित पत्रों से लिये गये हैं। विमुद्रीकरण की आवश्यकता के सम्बंध में उचित तर्कों का समर्थन करने के लिये प्रमुख अर्थशास्त्रियों के विचारों एवं विशेषज्ञों के अनुमानों का उपयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त आर.बी.आई., वित्तमंत्रालय की रिपोर्ट तथा अन्य विभिन्न स्रोतों से लिये गये द्वितीयक डेटा का उपयोग किया गया है। व्यक्तिगत अनुमानों को भी स्थान दिया गया है, सम्पूर्ण अध्ययन केवल अवलोकन तथा दस्तावेजों के विश्लेषण पर आधारित है। माध्यमिक डेटा शोध पत्रों, समाचार पत्रों-पत्रिकाओं एवं वेबसाइट से लिये गये हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद India is a developing nation, its various sectors are moving towards development. On the other hand hoarding of black money, trap of fake notes, corruption, inflation and hawala, Naxalite and terrorist activities are increasing rapidly, to eradicate those problems, the government of the country should decide to demonetize the high denomination notes. It is challenging and revolutionary. Demonetization is an economic process in which the government closes the old currency in circulation and issues new currency, the old closed currency stops working as a medium of exchange and it becomes just a piece of waste paper. Mostly the demonetised notes of large denominations are exchanged from back to back within a specified period. In India, for the first time in 1946, it was decided to close the notes of 500, 1,000, and 10,000. In 1978, the Janata Party government of Morarji Desai had stopped the notes of 1,000, 5,000 and 10,000 in circulation. 500 notes were demonetized in 2005.
On 8 November 2016, the Prime Minister of India, Narendra Modi, announced the closure of 500 and 1,000 notes from 9:00 midnight. Its purpose was not only to eliminate black money from the economy but also to get rid of fake notes, eradicate corruption and promote digital transactions. During note ban, the whole country became cashless, transactions started happening online. During demonetization, people had to face many problems and difficulties, due to which there was a problem for some time, but after some time its positive effects also started appearing. Although the plan of demonetization was not as successful as it should have been, but still there has been a reduction in black money, fake note business, hawala transactions, terrorism and corruption. Demonetization has brought a new revolution of economic reforms in the economy. This letter is of descriptive nature, in this all necessary relevant figures have been taken from the letters published from various newspapers and websites. Opinions of leading economists and estimates of experts have been used to support sound arguments regarding the need for demonetisation. Apart from this, secondary data taken from RBI, Ministry of Finance reports and various other sources have been used. Personal estimates have also been given place, the entire study is based only on observation and analysis of documents. Secondary data has been taken from research papers, newspapers-magazines and websites.
मुख्य शब्द नोटबंदी, प्रचलन में मुद्रा, भ्रष्टाचार, हवाला, डिजिटल लेन-देन, कैशलेस अर्थव्यवस्था, जी0 डी0 पी, बैंक जमा, प्रत्यक्षकर, जी0 एस0 टी0।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Demonetisation, Currency in circulation, Corruption, Hawala, Digital Transactions, Cashless Economy, G.D.P., Bank Deposits, Direct Taxes, G.S.T.
प्रस्तावना
भारतीय रिजर्व बैक अधिनियम 1934 की धारा 26[1] के अंतर्गत उस बैंक के केन्द्रीय बोर्ड की सिफारिश पर केन्द्र सरकार भारत के गजट में अधिसूचना जारी कर किसी भी सीरीज एवं मूल्य वर्ग के नोट को वैध मुद्रा (Legal Tender) के रुप में निरस्त कर सकती है। जो नोटिफिकेशन में निर्दिष्ट तिथि से प्रभावी होता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक पांच वर्ष के बाद नोटों में आवश्यकतानुसार बदलाव किये जाने चाहिये। नोटों को बदल देना ही अपने आपमें बहुत बड़ा बदलाव है। विमुद्रीकरण की आवश्यकता किसी देश में तब पड़ती है जब काला धन एवं नकली नोटों का कारोबार निरंतर तेजगाति से बढ़ता है और लोग कर बचाने के लिये नकद लेन-देन अधिकाधिक करने लगते हैं। लेन-देन में बड़े मूल्य वर्ग के नोट अधिक दिखाई देते हैं। संक्षेप में, सरकार कालाधन, खाली नोट, भ्रस्टाचार, आतंकवाद, कर चोरी, मंहगाई आदि समस्याओं पर काबू पाने के लिये केन्द्र सरकार विमुद्रीकरण (Demonitisation) की नीति अपनाती है। भारत के लिये नोट बंदी कोई नयी घटना नहीं है अब तक देश में तीन बार विमुद्रीकरण किया जा चुका है- 1. भारत में पहली बार 1946 मे 500, 1000 व 10,000 के नोटों को बंद करने का निर्णय लिया गया था। 2. सन् 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा एक कानून बनाकर 1000, 5000 व 10,000 के नोट बंद कर दिये गये। 3. 2005 में मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने 500 के नोटों का (2005 से पहले के) विमुद्रीकरण किया। विमुद्रीकरण की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि- 1. कालाधन व जाली नोट का कारोबार बहुतायत में होने लगा, लोग कर बचाने के लिये नकद लेन-देन अधिक करने लगे जिनमें अधिकांश बड़े मूल्य के नोट थे। 2. भ्रष्टाचार, मंहगाई व आतंकवादी गतिविधियाँ इतना बढ़ गई थी कि उन्हें नियंत्रित करने के लिये विमुद्रीकरण जैसा ठोस मौद्रिक कदम उठाना आवश्यक हो गया तथा 3. अर्थव्यवस्था में जाली नोटों का प्रयोग उतना बढ़ गया था कि बैंक व ए.टी.एम. से भी जाली नोट निकलने लगे थे। ऐसी स्थिति में सरकार के समक्ष विमुद्रीकरण के अलावा कोई ठोस विकल्प नहीं था।
अध्ययन का उद्देश्य 1. भारतीय अर्थव्यस्था में विमुद्रीकरण के सकारात्मक आंकिक प्रभाव का विश्लेषण करना एवं, 2. विमुद्रीकरण के संभावित परिणामों को ज्ञात करना।
साहित्यावलोकन

विमुद्रीकरण कब से प्रारंभ हुआ इस संबंध में गोपिका गोपकुमार, विश्वनाथ नायर (नवम्बर 2016), ने बताया कि विमुद्रीकरण एवं नोटबंदी जैसे उपायों को सरकार द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लागू किया गया। सन्1954 में 1000, 5000 10,000 के नोट पुनः जारी किये गये। 16 जनवरी, 1978 को जनता पार्टी गठबंध सरकार नें फिर से 1000, 5000 10,000 के नोटों का विमुद्रीकरण किया था ताकि जालसाजी एवं काले धन पर अंकुश लगाया जा सके।[2] रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की रिपोर्ट के अनुसार परिसंचरण में नोटों की कुल कीमत 16.42 लाख करोड़ रूपये थी जिसमें से 86% 500 1000 के नोट थे। वॉल्यूम के आधार पर 9026.6 करोड़ नोटों में से 24% बैंक नोट परिचलन में थे।[3] भाजपा प्रवस्था मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि जो लोग अनपढ़ हैं और जिनकी पहुँच बैंकों तक नहीं है ऐसे लोग इस प्रकार के उपायों से अधिक प्रभावित होते हैं। कुछ समय के अंतराल में जनता स्वयं 2000 के नोट को चलन से बाहर कर देगी परिणामस्वरूप 2000 के नोटों की या तो जमाखोरी होगी या वे काले धन का सृजन करेंगे।“[4,5,6] विमुद्रीकरण का ई-बैंकिंग पर सकारात्मक प्रभाव रहेगा। कोई व्यक्ति आर.टी.जी.एस., एन.ई.एफ.टी., आई.एम.पी.एस., पे-टी.एम., मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से चाहे जितनी धनराशि दूसरों को दे सकता है।”[7] मानव संसाधन विकास मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि विमुद्रीकरण आम आदमी के लिये वास्तविक स्वतंत्रता है।[8] भारत के 500 1000 के नोटों का विमुद्रीकरण प्रतिक्रियापर संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने ट्वीट किया कि यह भ्रष्टाचार, काले धन और आतंक से लड़ने का ऐतिहासिक कदम हैं।[9] महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने विमुद्रीकरण की नीति को राज्य की प्रगति में मील का पत्थर बताते हुए साहसिक कदम बताया।[10] बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने भी विमुद्रीकरण का समर्थन किया और कहा कि यह शेर की सवारी करने जैसा साहसिक कदम है।[11] 500 1000 रूपये के नोटों का विमुद्रीकरण से उत्पन्न नकदी की कमी से निपटने के लिये भारत सरकार ने डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देना आरंभ किया। प्रोत्साहन के लिये डिजिटल भुगतान करने पर सेवा कर छूट तथा कई इनामों (लकी ड्रा) की घोषणा की गयी।[12,13] भारत में विमुद्रीकरण के निर्णय से प्रभावित होकर कुछ अन्य देशों ने भी विमुद्रीकरण का निर्णय लिया है जिनमें वेनजुएला और ऑस्ट्रेलिया शामिल है।[14] मैकिन्से के अध्ययन में कहा गया है कि उभरती अर्थव्यव्स्थाओं द्वारा डिजिटल वित्त को बड़े पैमाने पर अपनायें जाने से जी.डी.पी. में 6 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है 2025 तक 700 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि के साथ यह वृद्धि 11.8 प्रतिशत हो सकती है। शाह, अयाश युसूफ (2017) का कहना है कि नोटबंदी, भ्रष्टाचार, काला धन एवं टेररफंडिंग के खिलाफ काला धन रखने वालों को बाहर निकालने के उद्देश्य से सरकार ने 500 1000 के नोटों को बंद करने का निर्णय लिया।[15] शुक्ला वी.के. एवं गुप्ता एच. ओ. (2018) ने अपने शोध पत्र में कहा है कि विमुद्रीकरण पर व्यवसायिक छात्रों मे भ्रष्टाचार काले धन एवं देश में आतंकवाद व नक्सलवाद जैसे खतरों को कम करने के लिए लक्षित हो।[16]

मुख्य पाठ

विमुद्रीकरण एक आर्थिक एवं मौद्रिक गतिविधि है जिसके अन्तर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त करके नयी मुद्रा को चालू करती है। जब देश में काला धन की जमाखोरी नकली नोट, आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ जाती है और अर्थव्यवस्था के लिये खतरा बन जाती है तो उस पर काबू पाने के लिये सरकार द्वारा विमुद्रीकरण का सहारा लिया जाता है। जिनके पास काला धन होता है वे उसे बैंको से बदल नहीं सकते हैं और काला धन स्वतः नष्ट हो जाता है। इसका प्रयोग अर्थव्यव्स्था मे चौथी बार 8 नवम्बर, 2016 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस दिन से पुराने 500 1000 के नोट बंद कर दिये गये और नये नोट जारी किये गये ।

भारत के 500 1000 मूल्य वर्ग के नोटों के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) की घोषणा 8 नवम्बर, 2016 को रात्रि 8.00 बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अचानक राष्ट्र को किये गये संबोधन में की  गई। 8 नवम्बर की रात 12:00 बजे से देश में 500 1000 के नोटों को बंद करने का  ऐलान किया गया इसका उद्देश्य केवल काले धन पर नियंत्रण ही नहीं, जाली नोटों से छुटकारा पाना भी था। विमुद्रीकरण की इस योजना को लागू करने की प्रक्रिया दो माह पहले प्रारंभ हुयी थी।

इससे पूर्व तीन बार क्रमशः 1946, 1954 तथा 16 जून 1978 में नोटों का विमुद्रीकरण किया गया। प्रधानमंत्री की इस आधिकारिक घोषणा का भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री उर्जित पटेल ने स्वागत किया। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास तथा उर्जित पटेल ने बताया कि सभी मूल्य वर्ग के नोटों की आपूर्ति में 2011 2016 के बीच में 40% की वृद्धि हुयी थी। रू० 500 व रू० 1000 के नोटों में इस अवधि में क्रमश: 76% और 109% की वृद्धि हुयी। इन जाली नोटों को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में प्रयोग किया जा रहा  था। इसके परिणामस्वरूप इन नोटों को बंद करने का निर्णय लिया गया और रू० 500 का नया नोट एवं 1000 के नोट को समाप्त करके रू० 2000 का नोट जारी किया गया।

नियम-

नोट बदलने की प्रक्रिया 30 दिस० 2016 तक चली इसके बाद पुराने नोटों को बदलने का कार्य केवल रिजर्व बैंक द्वारा किया गया। नोट बदलने की प्रक्रिया समाप्त होने तक निम्नलिखित प्रक्रियायें व्यवहार में लाई गई।

1. ए.टी.एम. से एक दिन में रू० 2500 तक निकाल सकते हैं।

2. बैंक काउन्टर से एक दिन मे रू0 24,000 से अधिक नही निकाल सकते। इसमें ए.टी.एम. से निकाली गई राशि भी है।

3. एक महीने में कोई भी ग्राहक बैंक से रू० 20,000 तक निकाल सकता है।

4. बैंक से एक बार में रू० 2000 तक बदल सकते है, इसके लिये फोटो एवं आई.डी. की आवश्यकता नहीं होगी।

5. कोई भी व्यक्ति अपने निजी बैंक खाते में चाहे जितना पैसा जमा कर सकता है जिसमें 500 1000 के नोट शामिल हैं।

6. रू० 2,50,000 तक जमा किये गये 500 1000 के नोटों के बारे में कुछ पूछा नहीं जायेगा इससे अधिक जमा करने पर आयकर विभाग इसकी जाँच करेगा। गड़बड़ी होने पर 200% जुर्माना देना होगा।

7. ई-बैंकिंग लेन-देन पर कोई रोक नहीं है। RTGS, NEFT, Paytm, Mobile Banking से चाहे जितनी धनराशि किसी दूसरे को हस्तान्तरित की जा सकती हैं 

विमुद्रीकरण के सकारात्मक प्रभाव-

रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने मोदी सरकार द्वारा घोषित विमुद्रीकरण की नीति का समर्थन किया। कई सर्वेक्षणों के पता चला है कि भारत की अधिकतम जनता ने इस विमुद्रीकरण की घोषणा का स्वागत किया और वे विमुद्रीकरण के सकारात्मक प्रभाव के प्रति आशान्वित है। भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली का मत है कि शैडौ इकोनॉमी में काम करने वाला बहुत बड़ा धन अव बैंकिंग ढाँचे का ही हिस्सा बन जायेगा, अर्थव्यव्स्था को सहारा देने के लिये बैंकों के पास बहुत अधिक पैसा होगा। एन.पी.ए. की समस्या से जूझ रहे बैंको के पास कृषि बुनियादी ढाँचा, सामाजिक क्षेत्र, व्यापार और उद्योग के विकास हेतु उधार देने के लिए पर्याप्त पैसा होगा।

सरकार द्वारा किये गये विमुद्रीकरण के फैसले ने अर्थव्यव्स्था को कमजोर कर रहे सभी कारणों को चोट पहुँचाई। नोटबंदी के समय लोगों को थोड़ी बहुत कठिनाईयों व समस्याओं का सामना अवश्य करना पड़ा लेकिन इस नीति से अर्थव्यवस्था को बहुत से लाभ भी हुये जिसका देश पर सकारात्मक प्रभाव हुआ जो इस प्रकार हैं-

1. काले धन पर अंकुश- काले धन की जमाखोरी को समाप्त करना विमुद्रीकरण का प्रमुख लक्ष्य रहा है। काला धन वह आय होती है जिसे कर अधिकारियों से छिपाने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार की नकदी का बैंक में कोई हिसाब नहीं होता है, न ही इस पर कोई कर दिया जाता है यह अवैध एवं अघोषित धन होती है। वर्ष 2018 में रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार विमुद्रीकरण के दौरान अवैध घोषित कुल नोटों का लगभग 99.3% हिस्सा बैंको के पास वापस आ गया था। काले धन पर प्रहार निम्न तथ्यों से स्पष्ट  है-

A. अमान्य घोषित किये गये 15.41 लाख करोड़ रुपये में से 15.31 लाख करोड़ रुपये बैंक मे वापस आ गये थे।

B. फरवरी 2017 मे तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने संसद  को बताया कि विमुद्रीकरण के अन्तर्गत काले धन को समाप्त किये गये उपायों के कारण 1.3 लाख करोड़ रुपये का काला धन बरामद किया गया।

आंकड़ो से स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यस्था में काले धन की जमाखोरी पर अंकुश लगाने में विमुद्रीकरण की नीति कुछ हद तक सफल रही है।

2. जाली नोटों के प्रचलन पर नियंत्रण प्रचलन में नकली नोटों को समाप्त करना विमुद्रीकरण का दूसरा प्रमुख उद्देश्य रहा है, इस संबंध में निम्न तथ्य उल्लेखनीय है-

A. वित्तीय वर्ष 2015-16 में 6.32 लाख नकली नोटों को जब्त किया गया वित्तीय वर्ष 2016-17 में जब्त किये गये नोटों की संख्या बढ़कर 7.62 लाख हो गई। 2020 तक कुल 18.87 लाख नकली नोट जब्त किये गये।

B. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार (2019-20) जब्त किये गये जाली नोटों में अधिकांश नोट 100 रूपये मूल्य वर्ग के थे।




C. आर.बी.आई. की रिपोर्ट के अनुसार-


इस प्रकार विमुद्रीकरण के दौरान किये गये प्रयासों के परिणामस्वरूप नकली नोटों का एक बड़ा हिस्सा जब्त किया गया जिससे जाली नोटों के कारोबार को ठेस पहुँची।

3. डिजीटल लेन-देन को प्रोत्साहन:- विमुद्रीकरण के कारण अर्थव्यव्स्था कैशलेस हुयी। नकद लेन-देन में कमी के साथ नोटबंदी का डिजीटल लेन-देन और ऑनलाइन भुगतान के तरीकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है यहाँ तक कि अब सब्जी, फल व अन्य छोटी वस्तुओं के दुकानदार व ठेले पर बेचने बाले व फेरी वाले भी पे.टीएम. से भुगतान लेने लगे हैं। विमुद्रीकरण के समय से डिजीटल लेन-देन प्रणाली ई-वॉलेट, ई-बैंकिंग का उपयोग कर ऑनलाइन लेन-देन, प्लास्टिक मनी (क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड), यू.पी.आई., पे.टीएम., जी.पे., नेट बैंकिंग एवं आधार कार्ड का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। भुगतान के ये माध्यम आवश्यक बुनियादी ढाँचे को मजबूत करेंगे।

A. आर.बी.आई. की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 में देश में डिजिटल भुगतान की मात्रा में 3,434,56 करोड़ रुपये की भारी वृद्धि देखी गई। 

B. विगत 5 वर्षों मे (2016-2020) डिजीटल भुगतान की मात्रा में 55% वार्षिक वृद्धि हुयी।

C. अक्टूबर 2020 में एकीकृत भुगतान प्रणाली आधारित भुगतान में 207 करोड़ रुपये के लेन-देन का नया कीर्तिमान स्थापित किया  है।

कर वंचन

व्यक्तिगत करदाताओं पर विमुद्रीकरण का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ने पर कर चोरी मे कमी आयी है एवं प्रत्यक्ष कर से प्राप्त कर-राजस्व में वृद्धि हुयी है। विमुद्रीकरण से पूर्व प्रत्यक्ष कर से सरकार प्राप्त राजस्व 9% था जो विमुद्रीकरण के बाद बढ़कर 18% हो गया। 2018 तक प्रत्यक्ष कर दाताओं की संख्या में लगभग 20% की वृद्धि हुयी है। 

2017-18 मे आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 6.85 करोड़ तक पहुँच गई जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक थी। इस अवधि में 86.35 लाख नये करदाता कर प्रणाली से जुडे हैं।

कर राजस्व में वृद्धि एवं लोक कल्याण योजनाओं पर अधिक व्यय विमुद्रीकरण और जी.एस.टी. लागू होने के बाद डिजीटल लेन-देन मे वृद्धि होने से करदाताओं की संख्या जी.ए.टी. पूर्व 6.4 मिलियन से बढ़कर जी.एस.टी. के बाद के लगभग 12 मिलियन से अधिक हो गयी। जी.एस.टी. के दायरे में शामिल वस्तुओं व सेवाओं की वास्तविक पूर्ति में वृद्धि हुयी। इस से अर्थव्यव्स्था में अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि को प्रोत्साहन मिला। केन्द्र एवं राज्य को प्राप्त होने वाले कर राजस्व में पर्याप्त वृद्धि होने लगी। 334 वस्तुओं पर कर की दरों में कटौती की गई। तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बताया कि जी.एस.टी. से प्राप्त संसाधनों का उपयोग सरकार आधारभूत संरचना के निर्माण, सामाजिक एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर कर रही है। आयुष्मान भारत के अन्तर्गत 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ लाभ दिया जा रहा है।

सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत मकान निर्माणों के लक्ष्य एवं कम ब्याज के साथ मकान निर्माण के लिये दी जाने वाली आर्थिक सहायता में वृद्धि की है।

हवाला रैकेट का काम ठप्प

विमुद्रीकरण ने हवाला रैकेट को बुरी तरह प्रभावित किया है। हवाला पैसे के वास्तविक लेन-देन के बिना पैसे के होने वाले हस्तानान्तरण का तरीका है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार हवाला का रास्ता काले धन को वैध बनाने (Money Launduring) और आतंकवादियों को पैसा देने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। काला धन अचानक अर्थव्यवस्था से हट जाने के परिणामस्वरूप हवाला रैकेट का काम ठप्प हो गया। बैंक जमा (Bank Deposit) में वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 86 प्रतिशत नोट 500 1000 के मूल्य वर्ग के चलने में थे । विमुद्रीकरण ने लोगों को ये नोट बैंक में जमा करने के लिये मजबूर कर दिया। आर0बी0आई0 की घोषणा के अनुसार इस प्रकार जमा के रूप में बैंकों के पास 5.12 ट्रिलियन की धनराशि की वृद्धि हुयी। इतनी बड़ी धनराशि भारत में जी0डी0पी0 बढ़ानें में (.5 से 1.5 प्रतिशत) में सहायक रही है। भारतीय स्टेट बैंक ने बताया कि उसने विमुद्रीकरण के परिणामस्वरूप 1.27 प्रतिशत ट्रिलियन मूल्य की नगदराशि प्राप्त हुयी।

ऋण दर में गिरावट

बढ़ी हुयी नकद जमा के कारण बैंक  ऋण की दरों में कमी करने को सक्षम होगें क्योंकि उच्च जमा कोष कुल लागत को कम करेगी। (Margined Cost of Funds based Lending Rate) के लिये नये दिशा निर्देशों में कमी हुयी है इससे ऋण दरों में कमी आयी है। जिसके परिणामस्वरूप मध्यम अवधि की गतिविधियाँ बढ़नें लगी विमुद्रीकरण के परिणामस्वरूप बैंकों में नकद जमा में सुधार होने से एस0एल0आर0 (वैधानिक तरलता अनुपात माँग में वुद्धि हुयी है)

रिटल स्टेट संकट में फंसा 

रियल स्टेट उद्योग काले धन पर आधारित है। इस क्षेत्र में बड़ें पैमाने पर काला धन लगाया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली एन0सी0आर0 में कम से कम 40 प्रतिशत रियल स्टेट का कारोबार काले धन से ही होता है। विमुद्रीकरण के परिणामस्वरूप में रियल स्टेट में काले धन के उपयोग पर अंकुश लगा है।

कश्मीर घाटी में अशांति घटी

विमुद्रीकरण का सबसे अधिक प्रभाव कश्मीर घाटी पर पड़ा। कश्मीर में अशांति घमासान के कारण चल रही थी। कश्मीर में अशांति फैलाने के लिये अलगाववादियों को प्रत्येक वर्ष पाकिस्तान से 1,000 करोड़ रूपये मिलते थे। यह धन हवाला के जरिये भेजा जाता था। विमुद्रीकरण से हवाला कारोबार ठप्प हो गया। अलगाववाद वादियों के पास कोई उपाय न बचा विमुद्रीकरण ने कश्मीर घाटी में पथराव करने वालों के बीच शांति ला दी। विमुद्रीकरण के परिणामस्वरूप अलगाववादियों के वित्त पोषण को गंभीर आघातपहुँचा।

आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण देश विरोधी समूहों को मौद्रिक सहायता प्रदान करके देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं। इस धन का उपयोग हथियार खरीदने और देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने के लिये किया जाता है। विम्रदीकरण के परिणामस्वरूप आतंकवादी समूहों को मिलने वाली मौद्रिक सहायता में अत्यधिक कटौती करने में सहायता मिली है। इस प्रकार विमुद्रीकरण की नीति शांति को बढ़ावा देती है।

अनुकूल आर्थिक प्रभाव 

विमुद्रीकरण के परिणामस्वरूप जनता के पास नकदी में अचानक हुयी गिरावट और बैंकों को जनता की जमाये (डिपाजिट) उतनी ही तेजी से बढ़े। इस प्रभाव से बैंकों में नकद जमा राशि 97 लाख करोड़ रू0 से बढ़कर 14.2 करोड रू0 हो गयी) जनता में नकदी होने से काले धन black money को बढ़ावा मिलता है। बैंकों की जमाओं (Bank deposits) में वृद्धि से औपचारिक व संगठित क्षेत्र को बल मिलता है। बंद किये गये नोट बैंकों में पहुँचने से ब्याज दरों में गिरावट आई है घरेलू नगद बैंकों में पहुँचने से पारिवारिक वित्तीय जमाओं में अचानक वृद्धि आयी। 

भ्रष्टाचार पर नियंत्रण 

विमुद्रीकरण के प्रभाव से भ्रष्टाचारियों ने रिश्वत लेना बंद कर दिया है वे जानते हैं कि उन्हें आयकर विभाग की कार्यवाहियों का सामना करना पड़ेगा। उसके अतिरिक्त यदि वे किसी के खाते में यह धन जमा करते हैं तो वे ही लोग उसका धन वापस करने से मना कर देगें। इस प्रकार विमुद्रीकरण से भ्रष्टाचारियों का आत्मविश्वास डगमगया गया है।

विमुद्रीकरण के परिणाम स्वरूप काले धन का बहुत बड़ा भाग बैंकों में आ गया है प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष (जी0एस0टी0) से प्राप्त कर राजस्व में वृद्धि हुयी हे। 

नोटबंदी की एक अद्भुत उपलब्धि कुल नगद भण्डार और जनता के पास उपलब्ध नकदी में कमी आना तथा डिजीटल लेन-देन में वृद्धि होना है। बैंकों को सब्सिडी वाले ऋण और जनधन खाता धारकों को सुविधायें प्रदान करने में सक्षम बनाया है

अल्पकाल में नकारात्मक प्रभाव- कुछ आलोचकों ने विमुद्रीकरण के विपक्ष में तर्क दिये है - 

1. चलन में मुद्रा का 86 प्रतिशत से अवैध घोषित होने से अर्थव्यवस्था में नकदी संकट उत्पन्न हुआ जिससे अचल सम्पत्ति जैसे नकदी निर्भर क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव पड़ा । 

2. विमुद्रीकरण काले धन के उपयोग को नियंत्रित करता है लेकिन कारण को नियंत्रित नहीं किया है।

3. आम जनता में दशहत फैल जाने से लोगों ने मुद्राओं की जमाखोरी प्रारंभ कर दे जिससे बाजार में नकद जमाराशि कम हो गई।

4. नये नोटों की काला-बाजारी प्रारम्भ हो गई है।

5. बैंक और अस्पताल जैसे प्रतिष्ठान तनावग्रस्त हो गये। 

6. विमुद्रीकरण में लोगों के पास जो नोट 500 1000 वह अवैध हो गये। लोग इन पैसों से कुछ भी नहीं खरीद पाते अतः इन लोगों के बीच आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो। 

7. दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसे-दूध, सब्जियाँ, राशन खरीदने में भी लोगों को भारी समस्याओं का सामना पड़ा।

8. दिहाड़ी पर काम करने वालों का रोजगार चला गया। नौकरी के अभाव में लोग अपना इलाज ही नहीं करवा सके, विमुद्रीकरण के सदमें से कुछ लोगों की जान भी चली गई। 

9. ए0टी0एम0 से केवल 2000 रू0 निकालने की छूट दी गयी। अनेक लड़के लड़कियों की शादी केवल इसलिये छूट गयी क्योंकि उनके पास नकदी की अभाव हो गया ।

10. विमुद्रीकरण के दौर में पर्यटन उद्योग को नुकसान हुआ है। स्थानीय मुद्रा की कमी से विदेशी पर्यटकों को अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा । भारत में आने वाले पर्यटकों ने अपना विचार बदल दिया। पर्यटक उद्योग में मंदी का दौर चल रहा है। दूसरी ओर विमुद्रीकरण का साइड इफेक्ट जी0डी0पी0 पर पड़ा। विमुद्रीकरण देश की अर्थव्यवस्था में अचानक आये भूचाल के समान है इससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती का दौर आया परन्तु यह स्थिति थोड़े समय के लिए है। बेहतर भविष्य के कुछ तो सहन करनी पड़ती है।

संक्षेप में-देश में कालेधन एवं नकली नोटों के उन्मूलन के लिये विमुद्रीकरण एक क्रांतिकारी कदम था लेकिन उचित योजना एवं क्रियान्वयन के अभाव में यह अपेक्षित परिणाम न दे सका।

दीर्घकाल में सकारात्मक परिणाम 

1. अल्पकाल में विमुद्रीकरण का समाज व अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ती है। लोगों को नकदी के अभाव में अनेक समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पड़ा। किन्तु दीर्घकाल में यह सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिये लाभदायक एवं काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। विमुद्रीकरण जैसे क्रांतिकारी निर्णय ने देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत डिजिटल आधार पर होने वाली औद्योगिक क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करो (जी0एस0टी0) से प्राप्त सार्वजनिक आय में वृद्धि हुयी है जो कि जिसका उपयोग सरकार लोक हितकारी कार्यो एवं आधारभूत संरचना के निर्माण में कर रही है।

सुझाव

1. बेनामी सम्पत्ति अधिनियम 2016 तथा मनीलाण्डरिंग अधिनियम को ठीक से क्रियान्वित करना होगा।

2. प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरूस्त व सतर्क रखनी होगी ताकि ईमानदार व विधि चालक नागरिक परेशान न हो।

3. भविष्य में इस प्रकार की योजनायें न त्यागकर बल्कि विमुद्रीकरण की इसी योजना के लाभों का सृदृढ़ीकरण करने पर ध्यान होगा। 

निष्कर्ष विमुद्रीकरण जैसे क्रांतिकारी कदम से अल्पकाल में नगदी के अभाव में जनता को कुछ कठिनाइयों एवं समस्याओं का सामना अवश्य करना पड़ा। परन्तु सामान्यता उसके मूल उद्देश्यों की प्राप्ति में सफलता अवश्य मिली है। इस महत्वपूर्ण कदम से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगा है तथा अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आयी है किन्तु इसका अर्थ ये नहीं है कि काले धन का सृजन पूर्णता रूक गया है। इसके लिये सरकार को उक्त बताये गये सुझावों को अमल में लाये हुये कुछ अन्य कदम भी उठाने होगे तभी काले धन, जाली नोटों का चलन, आतंकवाद एवं भ्रष्टाचार जैसे समस्यायें पूर्ण रूप से समाप्त होगी और अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आयेगी। अंत में यह कहा जा सकता है विमुद्रीकरण मोदी सरकार का एक ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी कदम है और सभी को इसका समर्थन करना चाहिये। सरकार का यह निर्णय निश्चित रूप से दीर्घावधि में सकारात्मक परिणाम लायेगा। यह लम्बे समय में निरन्तर आर्थिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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