P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- II October  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
हिंदी अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार
Employment in the Field of Hindi Translation
Paper Id :  16569   Submission Date :  06/10/2022   Acceptance Date :  21/10/2022   Publication Date :  25/10/2022
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/shinkhlala.php#8
मीना यादव
विभागाध्यक्ष
हिंदी विभाग
बरेली कॉलेज
बरेली,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य युवाओं को कर्मठ , ईमानदार और नैतिकता वाले अच्छे नागरिक बनाने के साथ-साथ उन्हें रोजगार भी उपलब्ध कराना है। भाषाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ अनुवाद को प्रोत्साहन और राष्ट्रीय स्तर की संस्था (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन) बनाने का प्रस्ताव भी है। यह संस्था अलग-अलग भाषाओं के अनुवाद को संपादित तथा संरक्षित करेगी। जिससे नए रोजगार सृजित होंगे अतः अनुवाद का महत्व और भी अधिक हो जाता है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The main objective of the National Education Policy 2020 is to make the youth hardworking, honest and good citizens with morals as well as to provide employment to them. There is also a proposal to encourage translation and create a national level institution (Indian Institute of Translation and Interpretation) with special focus on languages. This institution will edit and preserve translations of different languages. Due to which new jobs will be created, hence the importance of translation becomes even more.
मुख्य शब्द अनुवाद, अनुवाद की उपयोगिता, प्रशिक्षण ,राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अनुवाद, अनुवाद से रोजगार।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Translation, Utility of Translation, Training, Translation in National Education Policy 2020, Employment Through Translation.
प्रस्तावना
आज हिंदी भारत में सर्वाधिक और दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है। दो देशों के मध्य सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है अतः दो भाषाओं के मध्य विषय वस्तु का अंतरण अनिवार्य हो जाता है। किसी विषय वस्तु को एक भाषा से दूसरी भाषा में अंतरण करना अनुवाद कहलाता है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य उन क्षेत्रों को चिन्हित करना जहां अनुवाद के माध्यम से युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सकता है। कौन-कौन सी संस्थाएं हैं जो अनुवाद में प्रशिक्षण , डिग्री या डिप्लोमा प्रदान करती हैं, अनुवाद के लिए डिग्री या डिप्लोमा का करने के लिए क्या-क्या अर्हताएं हैं।
साहित्यावलोकन

भारतीय भाषाओं में सर्वप्रथम संस्कृत के ग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद होने का संकेत मिलता है । *फाह्यान* ने 377 ईसवी में भारत में रहकर संस्कृत भाषा का अध्ययन किया और अनेक ग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद किया। हिंदी में अनुवाद की परंपरा भक्ति काल से दिखाई देती है। *सूरदास* अन्य कवियों ने भागवत के दशम स्कंध को ब्रज भाषा में अनूदित किया सूरसागर एक प्रकार से भागवत का अनुवाद है। केवट प्रसंग पर "मांगी नाव न केवट आना" वाली पंक्तियां *तुलसीदास*  ने अध्यात्म रामायण से लेकर कर अनुवादित की हैं।

अभिज्ञान शाकुंतलम् का हिंदी अनुवाद राजा लक्ष्मण सिंह ने किया। हिंदी साहित्य का आधुनिक युग भारतेंदु युग से शुरू होता है उसी समय से हिंदी अनुवादो में नूतन परंपरा का शुभारंभ हुआ। यह कहा जाए कि अनुवाद की परंपरा में पहला नाम स्वाभाविक रूप से *भारतेंदु हरिश्चंद्र* का है। भारतेंदु ने अंग्रेजी संस्कृत बंगला से प्रचुर मात्रा में स्वयं अनुवाद किए और अपने समकालीन साहित्यकारों को भी प्रेरित किया। भारतेंदु के बाद अनुवाद चिंतन की परंपरा को आगे बढ़ाने का श्रेय *आचार्य महावीर प्रसाद* द्विवेदी को है। उन्होंने गीत गोविंद श्रृंगार शतक कुमारसंभव आज निबंधों का हिंदी में अनुवाद किया। हिंदी अनुवाद परंपरा में *मैथिलीशरण गुप्त* का अपना एक महत्वपूर्ण योगदान है उन्होंने मेघनाथ वध का हिंदी में अनुवाद किया। *आचार्य रामचंद्र शुक्ल* ने हिंदी में अनुवाद चिंतन की परंपरा को एक सशक्त आधार प्रदान किया। मेगास्थनीज का भारतवर्ष, विश्व प्रपंचबुद्ध चरित्र, आदि  का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया। उपन्यास 'शशांक का बंगला' से हिंदी में उनका प्रसिद्ध अनुवाद है।

हिंदी अनुवाद चिंतन की परंपरा को परिपक्वता और स्थायित्व प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य *हरिवंश राय बच्चन* ने किया।

अनुवाद पत्रिका में "अनुवाद का भविष्य" शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित  आलेख में *डॉ श्याम सिंह शशि* का कथन है कि "अनुवाद असंभव है, अनुवाद प्रवन्चना है, बेवफा रूपसी है और न जाने क्या-क्या है। कितनी ही नई पुरानी छुट्टियों में सूक्तियां में पिरोई गईं हैं  अनुवाद की परिभाषाएं। किसी ने उसे मृत गौरैया के प्रतीक में बॉधा तो किसी ने 'मक्षिका स्थाने मक्षिका' से लेकर गंधानुवाद तक की अनुशंसा की। उसे सिद्धांतों की परिधि में जकड़ा जाने लगा ,नए पारिभाषिक शब्द गढ़े गएअनुवाद की भाषा कठिन से कठिन तक होती गई। शब्दावली और अधिक बुझिल होती गई। जन जन तक पहुंचने वाला शब्द पांडित्य के वाग्जाल का शिकार होने लगा। अनुवाद केवल अनुवाद बनकर रह गया और अनुवादक एक सामान्य स्तर का कोई भी व्यक्ति जिसे थोड़ी बहुत मूल तथा लक्ष्य इस भाषा का ज्ञान हो बनने लगा, भले ही उसे विषय का ज्ञान हो या ना हो ऐसी उहापोह की स्थिति में कितने अनुवाद प्रमाणिक रोचक तथा सुंदर हो रहे हैं यह सर्वेक्षण का विषय है या आज के अनुवाद - युग का एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह"(2017)

2018 में हिंदी भाषा के माध्यम से रोजगार की तलाश नामक शोध पत्र में *डॉ मीना यादव* ने उल्लेख किया कि हिंदी का प्रयोग करते हुए कौन-कौन से क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त किए जा सकते हैं।

उच्च शिक्षा में कौशल विकास को सम्मिलित करते हुए *डॉ मीना यादव* ने 2019 में एक मॉडल प्रस्तावित किया। स्नातक प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले सभी ( इंजीनियरिंग/ मेडिकल के अतिरिक्त ) छात्रों को 5 धाराओं में बांटते हुए सभी धाराओं में कम्युनिकेशन स्किल और कंप्यूटर को शामिल करते हुए कौशल विकास को सभी छात्रों के लिए अनिवार्य माना गया इसके आधार पर छात्र अपना रोजगार कर सकते हैं। पहली धारा स्वरोजगार के लिए, दूसरी धारा ससस्त्र बलों बलों में रोजगार के लिए, तीसरी धारा सिविल सेवा मैं सर्विस के लिए, चौथी धारा राजनीति में कैरियर बनाने के लिए और पांचवी धारा में शिक्षा क्षेत्र, वैज्ञानिक, कवि, लेखक के रूप में देश सेवा के लिए।

भारतेंदु के अनुदित साहित्य का पुनर्मूल्यांकन पुस्तक में *डॉ अब्दुल लतीफ* (2021) उद्धृत करते हैं कि "अपनी मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा को समृद्ध बनाने के लिए तथा राष्ट्र वासियों को नए नए विचार से अवगत कराने के लिए आज अनुवाद की विशेष आवश्यकता है। आज विश्व भर में अनुवाद की आवश्यकता को तीव्रता से महसूस किया जा रहा है विज्ञान, टेक्नोलॉजी, भौतिकी, जनसंचार आदि ज्ञान की शाखाओं और प्रशाखाओं में हो रहे एक देश के कार्य को दूसरे देश तक पहुंचाने में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है। अनुवाद के माध्यम से हम किसी देश के साहित्य, संस्कृति और परंपरा से अवगत होते हैं। अनुवाद वह सेतू है जो सांस्कृतिक संबंधों को निकट लाता है। हमारे आसपास जो घटित हो रहा है, या घटित हो चुका है उसके प्रति जागरूकता का परिणाम है- अनुवाद कार्य"।

आरपी यादव व मीना यादव द्वारा संपादित  "बेरोजगारी उन्मूलन में विषयों  का योगदान" (2022) नामक पुस्तक में विभिन्न विषयों के माध्यम से रोजगार की  संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है जिसमें हिंदी और अनुवाद के द्वारा रोजगार की क्या संभावनाएं हैं अनेक महत्वपूर्ण लेख दिए गए हैं जो युवाओं को रोजगार की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य हिंदी अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को तलाशना है और इन क्षेत्रों को सार्वजनिक कर संभावनाओं को छात्रों तक पहुंचाना है ताकि वह इस दिशा में वांछित प्रशिक्षण/ योग्यता प्राप्त कर रोजगार या स्वरोजगार प्राप्त कर सकें।

मुख्य पाठ

अनुवादकों के लिए शैक्षणिक योग्यता

हिंदी अंग्रेजी अनुवाद को के पदों के लिए कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा और बैंक आदमी राजभाषा अधिकारी के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं में आमतौर पर एक भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री और दूसरी भाषा में स्नातक स्तर पर एक विषय के होना अनिवार्य है। अनुवाद का उत्कृष्ट कार्य पीजी डिप्लोमा के बाद ही किया जा सकता है।


उच्च कोटि के अनुवाद के लिए एक अनुवादक को दो भाषाओं  में दक्ष होना अनिवार्य है जैसे हिंदी से अंग्रेजी या अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए अनुवादक को हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दक्ष होना पड़ेगा। हर भाषा की अपनी संस्कृति और शैली होती है इसीलिए अच्छे अनुवाद के लिए इसकी समझ होने की भी अनुवादक से अपेक्षा की जाती है इसके अतिरिक्त दोनों भाषाओं के शब्द भंडार और व्याकरण के साथ-साथ अनुवाद की जाने वाली सामग्री का विषय बोध होना भी एक शर्त है इसके साथ ही अनुवादक मूल भाषा की सामग्री के साथ न्याय कर सकता है यह एक भाषा से विषय वस्तु की मूल आत्मा को निकालकर दूसरी भाषा के शरीर में डालने जैसा संवेदनशील काम है।

आधुनिक युग में ज्ञान विज्ञान के प्रचार प्रसार के साथ ही अनुवाद का क्षेत्र भी विस्तृत हुआ है। भूमंडलीकरण के परिणाम स्वरूप तेजी से बदलती दुनिया में अनुवाद रोजगार का एक प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरा है अनुवाद एक सेतु है जो दो देशों उनकी भाषाओं और की संस्कृतियों को आपस में जोड़ता है इसीलिए मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है अनुवाद का संसार अत्यंत विशाल है जिसमें एक साथ सैकड़ों भाषाओं और हजारों विषयों में ज्ञान का निरंतर आदान-प्रदान हो रहा है चाहे सरकारी दस्तावेजों का अनुवाद हो, विदेशी भाषा की पुस्तकों का अनुवाद, विदेशी फिल्मों की डबिंग का कार्य हो हर जगह अनुवाद की आवश्यकता होती है। सुदूर देश में किसी भाषा में की गई खोज का जब हमारी भाषा में अनुवाद होता है तभी हम उस खोज से लाभान्वित होते हैं अतः सूचना और तकनीकी के युग में आज अनुवाद की भी मांग बढ़ी है और अलग-अलग क्षेत्रों में अनुवादक भी बढ़ रहे हैं अतः अनुवाद के क्षेत्र में भी रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

अनुवाद में प्रशिक्षण या डिप्लोमा/डिग्री* प्रदान करने वाले प्रमुख संस्थान-

अनुवाद आज विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर कई संस्थाएं अनुवाद को व्यवहारिक रूप से ही पढ़ा रही है पर उसके लिए अवधि कम होती है और सिद्धांत एक पक्ष पर अधिक परंतु व्यवहार पर कम बल दिया जाता है जिसमें प्रशिक्षणार्थी प्राय अच्छे अनुवादक नहीं बन पाते।

अन्य उन्नतशील देशों की तुलना में हमारे देश में विशेष रूप से सरकारी कार्यालयों में अनुवादकों के वेतनमान बहुत कम है तथा पारिश्रमिक की राशि भी उतनी ही आकर्षक नहीं है। भारत में अनुवाद के क्षेत्र में प्रशिक्षण/ डिग्री या डिप्लोमा प्रदान करने वाले प्रमुख संस्थान है--

1. भारतीय अनुवाद परिषद दिल्ली (जिसकी अनेक शाखाएं देशभर में है)

2. सांध्य कालीन हिंदी संस्थान ,दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली

3. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ( इग्नू)

4. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली

5, भारतीय विद्या भवन दिल्ली।

6, श्री जीवाजी महाविद्यालय बार्शी, महाराष्ट्र

कुछ प्रमुख क्षेत्र जहां  अनुवादक अपरिहार्य है-

1. कनिष्ठ अनुवादक, 2. वरिष्ठ अनुवादक, 3. द्विभाषीतत्कालभाषांतरकार, 4. संचार माध्यम, 5. समाचार पत्र, 6. समाचार एजेंसी, 7. दूरदर्शन, 8. रेडियो, 9. विज्ञापन, 10. तकनीकी प्रौद्योगिकी, 11. कार्यालय, 12. अनुसंधान, 13. विधि एवं न्याय कार्यालय, 14. बैंक कार्यालय, 15. राज दूतावास, 16. संसद, 17. साहित्यिक अनुवाद, 18. अनुवाद ब्यूरो, 19. कंपनी कार्यालय, 20. फिल्म डबिंग, 21. पर्यटन स्थल, 22. रक्षा मंत्रालय, 23. रेल कार्यालय

निष्कर्ष राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुवाद के द्वारा रोजगार की व्यापक समान संभावनाएं हैं अभी उच्च शिक्षण संस्थानों (विश्वविद्यालयों/ महाविद्यालयों) में अनुवाद से संबंधित डिग्री डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को संचालित किया जाना चाहिए और लेखन से जुड़े संस्थानों में पर्याप्त प्रशिक्षण की सुविधा भी होनी चाहिए। इस प्रकार सरकारी प्रतिष्ठित तथा देशव्यापी संस्थानों और निजी संस्थानों में अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं इसके लिए युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पॉलिसी के अनुसार इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन को विश्व स्तरीय साहित्य उपलब्ध करा कर अलग-अलग भाषाओं में विशेष रुप से हिंदी में अनुवाद करा कर पाठकों एवं साहित्यकारों को उपलब्ध कराना चाहिए।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. www.education.gov.in 2. www.wikipedia.org 3. बेरोजगारी उन्मूलन में विषयों का योगदान , संपादक, आरपी यादव, मीना यादव नील कमल प्रकाश , दिल्ली (2022). 4. मेरा अनुवाद साहित्य, डॉ श्याम सिंह शशि ,वरुण प्रकाशन, दिल्ली 2017. 5. हिंदी भाषा के माध्यम से रोजगार की तलाश, डॉ मीना यादव, एजुकेशन प्लस, वोल्यूम IX , (10),2018. 6. रोजगार परक उच्च शिक्षा एवं सामाजिक दायित्व, डॉ मीना यादव ,लोहिया शोध मंच ,अंक 15 ,2019 7.अनुवाद विज्ञान ,भोलानाथ तिवारी। 8. अनुवाद प्रक्रिया, गीता रानी पालीवाल। 9. हिंदी में व्यवहारिक अनुवाद ,डॉ आलोक कुमार रस्तोगी। 10. अनुवाद सिद्धांत और अनुप्रयोग, संपादक डॉ नगेंद्र 11. भारतेंदु के अनुदित साहित्य का पुनर्मूल्यांकन, डॉ अब्दुल लतीफ, साहित्य प्रकाशन गाजियाबाद (2021). 12. अनुवाद निरूपण, डॉ भारती गोरे, विकास प्रकाशन कानपुर (2004)।