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गोपालगंज जिला का भूमि उपयोगः एक भौगोलिक अध्ययन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Land Use of Gopalganj District: A Geographical Study | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
16718 Submission Date :
2022-11-06 Acceptance Date :
2022-11-18 Publication Date :
2022-11-25
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सारांश |
भूमि प्रकृति का अनुपम उपहार है, जिसके ऊपर जैवमंडल की संरचना एवं मानव विकास की सारी गाथाएँ अंकित किया जाता है। भूमि में ही अन्न, शाक, सब्जियाँ एवं फल-फूलों का उत्पादन किया जाता है, जिसका सेवन मानव जीवन को संचालित करने के लिए करता हैं। अतः भूमि प्रकृति का बहुत ही उपयोगी देन है। सुन्दर वातावरण और स्वस्थ पर्यावरण का निर्माण भी इसी भूमि पर होता है। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मनुष्य भूमि का बहुआयामी उपयोग करता है। इसी भूमि से भोजन के लिए अन्न, आवास के लिए घर, उद्योगों के लिए खनिज पदार्थ इत्यादि की प्राप्ति होती है। इस प्रकार भूमि बहुत ही उपयोगी संसाधन के रुप में व्यवहार की जाती है। वर्तमान वैज्ञानिक युग में बढ़ती हुयी जनसंख्या के भरण-पोषण एवं विकास के लिए भूमि का महत्व और भी बढ़ गया है। अतः इसका विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है। गोपालगंज जिला उत्तरी बिहार के मैदान में स्थित है। यहाँ की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है, क्योंकि इसका निर्माण हिमालय से निकलनेवाली नदियाँ घाघर, गंडक, झरही सारण इत्यादि के द्वारा मलवे के निक्षेपण से हुआ है। यह घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहाँ के कृषक बहुत उद्यमी एवं प्रगतिशील हैं। अतः भूमि का बहुआयामी उपयोग करते हैं और समाज के माँग के अनुसार परिवर्तन भी कर रहे हैं।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Land is a unique gift of nature, on which all the stories of biosphere structure and human development are written. Food, vegetables, fruits and flowers are produced in the land itself, which is consumed by humans to sustain life. Therefore, land is a very useful gift of nature. Beautiful and healthy environment is also created on this land. Man makes multidimensional use of land to fulfill his needs. From this land we get food grains, houses for housing, minerals for industries etc. Thus land is treated as a very useful resource. In the present scientific era, the importance of land has increased even more for the sustenance and development of the growing population. Hence its judicious use is necessary. Gopalganj district is situated in the plain of northern Bihar. The soil here is very fertile, because it has been formed by the deposition of debris by the rivers Ghaghar, Gandak, Jharhi Saran etc. originating from the Himalayas. It is a densely populated area. The farmers here are very enterprising and progressive. That's why they use the land multidimensionally and are also making changes according to the demands of the society. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | प्रकृति, जैवमंडल, वातावरण, पर्यावरण, आवास, संसाधन, जनसंख्या, मिट्टी, निक्षेपण, हिमालय इत्यादि। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Nature, Biosphere, Atmosphere, Environment, Habitat, Resource, Population, Soil, Deposition, Himalaya etc. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
मनुष्य आदि काल से अपनी आवश्यकता के अनुसार भूमि का उपयोग करते आया है। अपने आवास निर्माण के अलावे कृषि कार्य के लिए उपयोग, वन, जल जमाव, परती भूमि, उद्यान, गाछ एवं बाग-बगीचे के रुप में एवं आधारभूत संरचनाओं, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के संचालन के लिए भूमि का उपयोग करते आ रहा है। वर्तमान समय में बढ़ती जनसंख्या का भरण-पोषण करने के साथ उनके चतुर्दिक विकास के साथ प्राकृतिक उपादानों का संरक्षण एवं विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक है। इसके उपेक्षा करने पर वर्तमान मानव को सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अतः वर्तमान समय में भूमि का इष्टतम उपयोग आवश्यक है। साथ ही इसका संरक्षण भी।
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अध्ययन का उद्देश्य | वर्तमान अध्ययन निम्नांकित उद्देश्य से किया गया हैः-
1. गोपालगंज के कृषि योग्य भूमि का अधिकतम उपयोग करना।
2. गोपालगंज के चतुर्दिक विकास के लिए आधारभूत संरचनाओं का समुचित विकास के लिए कृषेत्तर कार्य में व्यवहार में लायी जाने वाली भूमि का इष्टतम उपयोग करने को प्रेरित करना।
3. पर्यावरण संरक्षण के लिए बाग-बगीचे, उद्यान एवं फूलवारी में संलग्न भूमि को सुरक्षा प्रदान करना और इसके समृद्धि के लिए प्रेरित करना।
4. जल जमाव वाले क्षेत्रों का समुचित उपयोग करना।
5. चालू परती एवं अन्य परती भूमि को उपयोग में लाना इत्यादि। |
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साहित्यावलोकन | भूमि उपयोग को अनेक भूगोलवेत्ताओं ने परिभाषित किया है। Fox के अनुसार "Land utilization in the process of expoliting the land use that is applied to specific objective." अर्थात् भूमि उपयोग भूमि प्रयोग की शोषण प्रक्रिया है जिसमें भूमि का व्यवहारिक उपयोग किसी निश्चित उद्देश्य से किया जाता है। प्रो॰ जसवीर सिंह एवं दिल्लन[2] ने भूमि उपयोग को परिभाषित करते हुए कहा है कि- "Land use is an area in the cumulative outcome of historical growth the interaction of economic forces with the natural environment and the value of society." अर्थात् किसी क्षेत्र का भूमि उपयोग वहाँ के आर्थिक बल के साथ प्राकृतिक वातावरण और सामाजिक मूल्यों का आवर्ति प्रतिफल है। डा॰ डी॰ एस॰ चौहान ने भूमि उपयोग के सम्बन्ध में कहा है- ''प्राकृतिक पर्यावरण में भूमि प्रयोग एक तत्सामयिक प्रक्रिया है, जबकि मानवीय इच्छाओं के अनुरुप अपनाया गया भूमि उपयोग एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है।'' उपरोक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर भूमि प्रयोग और भूमि उपयोग दो अवस्थाओं के लिए प्रयोग किये जाते हैं। कृषि प्रयोग का तात्पर्य उस भूभाग से है, जिसमें भूमि का व्यवहारिक उपयोग निश्चित उद्देश्य से सम्बद्ध होता है। |
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सामग्री और क्रियाविधि | वर्तमान अध्ययन प्राथमिक एवं द्वितीयक आँकड़े पर आधारित है। प्राथमिक आँकड़े का संकलन गोपालगंज जिला के कुछ गाँवों में जाकर वहाँ के लोगों से प्रश्नावली के द्वारा भूमि उपयोग सम्बन्धी आँकड़े को प्राप्त किया गया और द्वितीयक आँकड़े की प्राप्ति गोपालगंज जिला कृषि विभाग के कार्यालय, पुस्तक, शोध-पत्र, शोध-ग्रंथ, पत्र-पत्रिकाएँ इत्यादि से प्राप्त किया गया है। सांख्यिकी विधि से प्राप्त आँकड़े को सारणीबद्ध किया गया और कम्प्यूटर के सहायता इस इसे तालिका का विश्लेषण एवं मानचित्र तैयार किया गया है। |
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विश्लेषण | अध्ययन क्षेत्र- गोपालगंज जिला सारण प्रमण्डल में स्थित है। इसका विस्तार 25012’ उत्तरी अक्षांश से 26039’ उत्तरी अक्षांश तथा 83054’ पूर्वी देशान्तर से 85056’ पूर्वी देशान्तर के बीच है। इसका क्षेत्रफल 2033 वर्ग किलोमीटर है। 2011 के जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 2588037 है जिनमें पुरुष 1269677 और महिलाएँ 1288360 है। यहाँ महिलाओं की जनसंख्या पुरुषों से अधिक है अर्थात् यहाँ लिंगानुपात 1015 है और घनत्व 1258 व्यक्ति प्रतिवर्ग मीटर है जो बिहार के घनत्व 1106 से अधिक है। इसका सीमा का निर्धारण उत्तर में पूर्वी एवं पश्चिमी चम्पारण दक्षिण में सिवान एवं सारण, पूरब में पूर्वी चम्पारण और पश्चिम में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला किया जाता है। यहाँ 2 अनुमण्डल और 14 प्रखण्ड है। भूमि उपयोग को प्रभावित
करनेवाले दो मुख्य कारक है- 1. भौतिक कारक 2. सामाजिक कारक। 1. भौतिक कारक- इसमें प्रकृति प्रदत्त सभी तत्वों को शामिल किया जाता है।
जैसे-भूमि, मिट्टी, धरातल, जलवायु, नदी, पहाड़ आदि। 2. सामाजिक कारक- भूमि को नियंत्रित करने के लिए सामाजिक अथवा मानवीय कारक
ही सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक कारकों को नियोजित करते
हैं। उदाहरणस्वरुप समूह, रीति-रिवाज एवं सामाजिक परम्पराएँ आदि। भूगोल के क्षेत्र में भूमि
उपयोग का सर्वप्रथम अध्ययन ब्रिटेन के महान् भूगोलवेत्ता सर डडले स्टाम्प महोदय ने
1930-31 में किया। यह सर्वेक्षण 6’’=1 मील के स्केल पर अर्थात् 1:10560 के मापनी पर ब्रिटेन के भूमि उपयोग का मानचित्र तैयार
किया। भूमि उपयोग से प्राप्त आँकड़े को 1:63360 के मापनी पर मानचित्र तैयार किये। साथ ही भूमि
उपयोग पर आधारित मानचित्र प्रस्तुत किये। इस मानचित्र में अलग-अलग के भूमि उपयोग
के लिए अलग-अलग रंगों का प्रयोग किया गया। इस सर्वे पर आधारित स्टाम्प महोदय की
पुस्तक "The Land of Britain: its used and mis use" 1961 ई॰ में प्रकाशित हुयी। इसके बाद कोलमैन ने 1960 ई॰ में ब्रिटेन का भूमि उपयोग का अध्ययन किया। इन्होंने 1:25000 के मापनी पर ब्रिटेन का भूमि उपयोग मानचित्र
तैयार किया। इसके बाद यूरोप के अन्य देश, यू॰एस॰ए॰, रुस, चीन, भारत एवं अन्य एशियाई देशों में भूमि उपयोग का
अध्ययन किया गया। भारतवर्ष में सबसे पहले प्रो॰ एस॰पी॰ चटर्जी ने (1945-1951) के बीच बंगाल के 24 प्रगना एवं हावड़ा जिले का भूमि उपयोग का अध्ययन किया। इसके बाद देश के
विभिन्न हिस्से में वहाँ के भूगोलवेत्ताओं यथा-प्रो॰ राव, प्रो॰ भारद्वाज, प्रो॰ शफी जैसे महान भूगोलवेत्ताओं द्वारा भूमि उपयोग का अध्ययन किया गया है। इनके बाद प्रो॰ मिश्रा, प्रो॰ गांगुली, प्रो॰ रजा, प्रो॰ अय्यर जैसे मुर्धन्य भूगोलवेत्ताओं ने इस
कार्य को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। वर्तमान में यह कार्य यू०जी०सी०, सी०आई०सी०एस०एल०आर० एवं आई०सी०ए०आर० इस कार्य को आगे बढ़ाने
का कार्य कर रहा है। वर्तमान शोध पत्र में बिहार के गोपालगंज जिला के भूमि उपयोग
का अध्ययन किया है। गोपालगंज जिला उत्तरी बिहार
के गंगा के मैदान में स्थित है। यहाँ से कई नदियाँ प्रवाहित होती है, जो बड़ी मात्रा में मलवे का निक्षेपण करती है। यहाँ जलोढ़, काली एवं बलूई मिट्टी पायी जाती है। ये मिट्टियाँ कृषि
कार्य के लिए बहुत उपयुक्त है। सिंचाई की भी व्यवस्था नहर एवं ट्यूबबेल के द्वारा
किया गया है। अतः यहाँ शुद्ध बोया गया क्षेत्र अधिक है। इसके अलावा कृषेतर कार्यों
में उपयोग में लायी गयी भूमि जिसमें अधिवास एवं जल जमाव क्षेत्र संलग्न है, बाग-बगीचे, चारागाह, परती भूमि इत्यादि भूमि उपयोग की जाती है। गोपालगंज का भूमि उपयोग
निम्न तालिका से प्रदर्शित किया गया है। तालिका-1 गोपालगंज का
भूमि उपयोग (2021-21) (हे० में)
स्रोत- जिला
सांख्यिकी कार्यालय, गोपालगंज 1. वन- वन का बहुत
ही आवश्यक भूमि उपयोग है, क्योंकि वातावरण को अुनकूल बनाए रखने के लिए
33.00% भूमि पर वन की आवश्यकता है। परन्तु यहाँ जनाधिक्य के कारण भूमि पूर्णतः
आबाद हो चुका है और वन नहीं है। 2. शुद्ध बोया गया
क्षेत्र- गोपालगंज जिला की मिट्टी जलोढ़, दोमट एवं बलूई है। मिट्टी बहुत उपजाऊ है अतः यहाँ लगभग 144359.43 हेक्टेयर भूमि
में कृषि कार्य किया जाता है जो भूमि उपयोग के शुद्ध बोया गया क्षेत्र के अंतर्गत
आता है। यह लगभग 70.00 के आसपास है। इसे प्रखण्डवार प्रदर्शित किया गया है। तालिका-2 गोपालगंज जिला में
प्रखण्डवार शुद्ध बोया गया क्षेत्र (हे०) (2021-22)
स्रोत- जिला सांख्यिकी
विभाग, गोपालगंज तालिका-2 में गोपालगंज जिला
का भूमि उपयोग में शुद्ध बोया गया क्षेत्र प्रखण्डवार प्रदर्शित किया गया है। यहाँ
पंचदेवरी प्रखण्ड में सर्वाधिक शुद्ध बोया गया क्षेत्र 92.15 प्रतिशत है। इसके बाद
विजयीपुर 87.30 प्रतिशत, सिधवालिया 82.67 प्रतिशत, हथुआ 80.86 प्रतिशत, कटेया 79.67 प्रतिशत, थावे 78.41 प्रतिशत, बैकुठपुर 75.81 प्रतिशत, कुचायकोट 73.00 प्रतिशत, उचकागाँव 66.72
प्रतिशत, बरौली 62.89 प्रतिशत, मांझा 54.05 प्रतिशत, गोपालगंज 46.42 प्रतिशत, पंचदेवरी 92.15 प्रतिशत एवं फूलवरिया 44.33 प्रतिशत है। यहाँ पंचदेवरी
प्रखण्ड में सर्वाधिक शुद्ध बोया गया क्षेत्र 92.15 प्रतिशत और फूलवरिया में सबसे
कम 44.33 प्रतिशत है। 2. अधिवास में संलग्न
भूमिः-गोपालगंज जिला के भूमि उपयोग में अधिवास में संलग्न भूमि दूसरे स्थान पर
है। यह कृषेत्तर कार्य में संलग्न भूमि का अंश है। इस जिला में प्रखण्डवार अधिवास
क्षेत्र निम्न प्रकार है। तालिका-3 गोपालगंज जिला
में अधिवास में संलग्न भूमि 2021-22
स्रोत- जिला सांख्यिकी
विभाग, गोपालगंज तालिका 3 में गोपालगंज जिला
में प्रखण्डवार अधिवास में संलग्न भूमि को प्रदर्शित किया गया है। यहाँ 15.00
प्रतिशत से अधिक अधिवास में संलग्न भूमि वाले प्रखंडों में सर्वाधिक भूमि फूलवरिया
में 22.88 प्रतिशत, उचकागाँव 19.29 प्रतिशत
कुचायकोट 13.34 प्रतिशत, हथुआ 13.43 प्रतिशत, बैकुठपुर 12.06 प्रतिशत है। यहाँ 5.00 प्रतिशत से 10.00 प्रतिशत के बीच
संलग्न भूमि वाले प्रखंडों में बरौली 8.71 प्रतिशत, सिधवलिया
7.16 प्रतिशत और विजयीपुर 6.98 प्रतिशत, कटेया 6.91 प्रतिशत
और भोरे 5.01 प्रतिशत है। 5.00 प्रतिशत से कम अधिवास में संलग्न प्रखंडों में
पंचदेवरी 4.78 प्रतिशत है। गोपालगंज जिला में स्थायी
एवं अस्थायी रुप से जल जमाव वाला क्षेत्र 12298.25 हेक्टेयर है। इस प्रकार यहाँ
गैर कृषि मद में संलग्न भूमि का कुल क्षेत्रफल 24335.73 हेक्टेयर अधिवास में और
12298.25 हेक्टेयर जल जमाव वाले क्षेत्र है।
अतः गैर कृषि मद में उपयोग में किए जाने वाली कुल भूमि का क्षेत्रफल 36633.98 हेक्टेयर है। बगीचा एवं उद्यान- गोपालगंज जिला में बगीचा एवं उद्यान में संलग्न कुल भूमि का क्षेत्रफल 11617.55 हेक्टेयर है। इसके अंतर्गत किसान अपने निजी भूमि में फलाहार एवं लकड़ी के लिए पौधे एवं बगीचे लगाये हैं। लगभग सभी प्रखंडों में बगीचे एवं उद्यान वर्तमान है। |
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निष्कर्ष |
निष्कर्ष:-अंत में निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि गोपालगंज जिला के भूमि उपयोग का लगभग 70% भाग कृषि कार्य के लिए उपयोग किया जाता है। शेष 30% भूमि का उपयोग कृषेत्तर कार्यों में किया जाता है। वर्तमान समय में चतुर्दिक विकास के कारण कृषेत्तर कार्यों में संलग्न भूमि में वृद्धि हो रहा है। यह भूमि उपयोग का विकासात्मक कार्य में व्यवहार को प्रदर्शित करता है। साथ हीं कम कृषि कार्य के लिए उपलब्ध भूमि में भी उपयुक्त सिंचाई की व्यवस्था,उत्तम बीज, रासायनिक उर्वरक का संतुलित प्रयोग कर उत्पादन बढ़ाने में वहां का कृषक समर्थ हैं। अतः उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि किया गया है। इस प्रकार गोपालगंज जिला का भूमि का विवेकपूर्ण उपयोग वहां के निवासियों के लिए निहायत आवश्यक है। आवागमन एवं आधारभूत संरचनाओं का विकास भी भूमि उपयोग के लिए अत्यंत आवश्यक कारक है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. फाक्स, जे॰ डब्लू (1976) “लैण्डयूज सर्वे इट्स जेनरल प्रिंसपुल्स“, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस लंदन, पृ॰ 6
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