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मनोविज्ञान विभाग की एक आदर्श संरचना | |||||||
An Ideal Structure of the Department of Psychology | |||||||
Paper Id :
16868 Submission Date :
2022-12-22 Acceptance Date :
2022-12-23 Publication Date :
2022-12-25
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सारांश |
मनोविज्ञान विभाग की एक आदर्श संरचना हेतु इस अध्ययन में एक संभावित रोडमैप पर चर्चा की गई है जिसमें विभाग में सम्मिलित किए जाने वाले अनिवार्य एवं आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ़ ध्यान आकृष्ट कराया गया है जिसमें प्रमुख रूप से विभाग की दूरदर्शिता, लक्ष्य, संरचनात्मक ढाँचा, संसाधन की उपलब्धता, संचालित कार्यक्रम एवं संभावित पाठ्यक्रम को लेकर एक संस्तुति प्रदान की गई है जिसके आधार पर आगामी नवनिर्मित विश्वविद्यालयों के लिए मनोविज्ञान विभाग निर्माण हेतु उत्कृष्टता का मार्ग प्रशस्त होगा! आज नए नए विश्वविद्यालय स्थापित हो रहे हैं नए कॉलेज खुल रहे हैं लेकिन इनकी आदर्श स्थिति पर विश्लेषण एवं परिचर्चा जरूरी हैं क्योंकि मनोविज्ञान बाज़ार आधारित अनुशासन है जो विभिन्न क्षेत्रों में मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता है इसको समृद्ध कैसे करने हेतु विशेष प्रयासों की संख्या सीमित दिखाई देती है जो मनोविज्ञान के उच्च शिक्षा पर सीधे सीधे प्रभाव डालती है केवल मनोविज्ञान की डिग्री ले लेना ही अंतिम ध्येय नहीं है बल्कि समस्त डिग्रीधारियों के पास कसौटी आधारित योग्यता होना आवश्यक तभी मनोविज्ञान की उच्च शिक्षा का लाभ जन जन तक पहुँचेगा एवं इसकी स्वीकार्यता और बढ़ेगी जिस कारण यह समाज और अधिक संतुलित एवं न्याय आधारित बनेगा। इस के लिए सबसे पहले मनोविज्ञान विभाग स्थापित करने से पहले जिन प्रमुख बिन्दुओं पर चर्चा आवश्यक है वोविज़न और मिशन, संरचना, संसाधन, कार्यक्रम, पाठ्यक्रम हैं।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | A possible roadmap has been discussed in this study for an ideal structure of the Department of Psychology, in which attention has been drawn towards the mandatory and necessary infrastructure to be included in the department, mainly the vision, goals, structural framework, resources of the department. A recommendation has been made regarding the availability of psychology, the program to be conducted and the possible course, on the basis of which the path of excellence will be paved for the creation of psychology department for the upcoming newly created universities. Today, new universities are being established, new colleges are opening, but analysis and discussion on their ideal condition is necessary because psychology is a market-based discipline, which caters to human needs in various fields, the number of special efforts to enrich it is limited. It gives a direct effect on the higher education of psychology. Taking a degree in psychology is not the ultimate goal, but it is necessary for all degree holders to have criterion-based qualifications, only then the benefits of higher education in psychology will reach the public and its acceptance will increase further. Due to which this society will become more balanced and justice based. For this, first of all the major points which need to be discussed before setting up the psychology department are the vision and mission, structure, resources, programmes, curriculum. | ||||||
मुख्य शब्द | मनोविज्ञान विभाग, डिग्रियां, उच्च शिक्षा। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Department of Psychology, Degrees, Higher Education. | ||||||
प्रस्तावना |
"गुरूर्गुरूत्तमो धाम" राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के लोगो पर अंकित यह मन्त्र कहता है कि गुरु का धाम गुरु से उत्तम होता है अर्थात जहाँ गुरु निवास करता है वह स्थान समस्त वस्तुओं से उत्तम है इसलिए उत्तम शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक है कि वह स्थान शुद्ध पवित्र एवं शुचि होना चाहिए जहाँ गुरु आकर बैठता हो यहाँ स्थान से तात्पर्य उन समस्त वस्तुओं से हैं जहाँ तक गुरु का प्रभाव हो जैसे प्राचीन काल में गुरुकुल एवं आश्रम होते थे जो कहीं कहीं पूरा वन क्षेत्र होता था तो कहीं आश्रम के आस पास का क्षेत्र अतः गुरु का स्थान कोई एक नियत केन्द्र बिन्दु नहीं है बल्कि ये गुरु के प्रभाव में आने वाला समस्त क्षेत्र है वर्तमान शिक्षा प्रणाली में गुरु का स्थान विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के परिसर तक ही सीमित हो चुका है! अतः इन समस्त स्थान को हम गुरु के स्थान के रूप में परिभाषित कर सकते हैं यूँ कहें कि-
गिरतों को लेते हैं थाम गुरु के चरणों में प्रणाम
लेते हैं गुरुवर का नाम गुरु से बढ़कर गुरु का धाम
दण्ड भेद या साम और दाम गुरु के अन्दर सब आयाम
करते हैं थोड़ा विश्राम और अधिक करते हैं काम
शिक्षा दीक्षा गुरु का काम गुरु के आगे पूर्ण विराम।
उपरोक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि गुरु के स्थान की महत्ता स्वयंसिद्ध है इसीलिए प्राचीन काल से लेकर आज तक गुरु के धाम को शुद्ध, पवित्र, स्वच्छ, सुन्दर एवं शुचिता पूर्ण बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास होते आए हैं।
सार्थकता
इसी गुरु के धाम की संकल्पना को आगे चलकर विश्वविद्यालयों के सुन्दर और सुरम्य पर्यावरण का निर्माण करके परिसर को उन्मुक्त बनाकर इस मन्त्र की संकल्पना को साकार करने का सार्थक प्रयास अनवरत जारी है इस सम्बंध में एक चिन्तन मनोविज्ञान विभाग की आदर्श संरचना को लेकर किया गया है क्योंकि मनोविज्ञान विभाग मानव के व्यवहारिक पहलुओं पर आधारित एक ऐसा विषय है जो मानवीय स्वभाव के कमोवेश समस्त क्षेत्रों को स्पर्श करते हुए मानव व्यवहार की वैज्ञानिक व्याख्या करता है जिसके कारण मानवीय गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने में सहायता प्राप्त होती है इसलिए इस अध्ययन में मनोविज्ञान विभाग को केन्द्र में रखकर उसकी संभावित संरचना का मार्ग-मानचित्र प्रस्तुत किया जा रहा है।
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अध्ययन का उद्देश्य | प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य है आदर्श मनोविज्ञान विभाग की संरचना को निम्न बिन्दुओं पर जाँच करना-
1. मनोविज्ञान विभाग का विज़न और मिशन को निर्धारित करना।
2. मनोविज्ञान विभाग की संरचना को निर्मित करना।
3. मनोविज्ञान विभाग के संसाधनों को सूचीबद्ध करना।
4. मनोविज्ञान विभाग में संचालित होने वाले कार्यक्रमों को समृद्ध करना।
5. मनोविज्ञान विभाग में लागू होने वाले संभावित पाठ्यक्रमों के लिए सुझाव देना। |
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साहित्यावलोकन | समस्या से
सम्बंधित पूर्व में किये गए कुछ प्रमुख अध्ययन निम्न है- भगवती, एन0 (1986) ने आसाम के माध्यमिक
विद्यालयों के संगठनात्मक स्वरूप पर एक अध्ययन करके पता लगाया कि किसी भी शैक्षिक
स्वरूप की कार्य शैली को पूर्व निर्धारित कर लेने से संस्था के भावी उद्देश्यों की
प्राप्ति में अपेक्षित सफलता प्राप्त होती है। सिमरत कौर, सिमरत (1998) ने संगीत विभाग
पठन प्रणाली एवं सहयोग प्रणाली शीर्षक आधारित शोध से ज्ञात किया कि संगीत का ज्ञान
जन्मजात होने के साथ-साथ आंशिक रूप से अर्जित भी किया जा सकता है इसके लिए संगीत
अधिगम प्रणाली को सहयोग एवं विश्वास की आवश्यकता होती है। खान, गुलनाज़ (2015) ने उत्तर प्रदेश
के अल्पसंख्यक संस्थाओं के स्वरूप एवं संरचना नामक शोध के आधार पर अल्पसंख्यक
संस्थाओं की कमियों और विशेषताओं पर ध्यान आकृष्ट कराया। द्विवेदी, आशुतोष (2016) ने शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली एवं संरचनात्मक गठन पर एक शोध में पता लगाया कि नैक के मानकों के आधार पर एक उत्तम एवं प्रभावी विभाग की कार्य क्षमता में वृद्धि की जा सकती है। वर्मा, गरिमा (2018) ने कुछ इसी प्रकार का अध्ययन वनस्पति शास्त्र विभाग के लिए किया एवं कुछ निश्चित मानकों की सहायता से वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रभावशीलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सुझाव दिए। |
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परिणाम |
1. मनोविज्ञान विभाग का विज़न और मिशन को निर्धारित करना। विज़न (दृश्यता) मनोविज्ञान
विभाग का विज़न समाज में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को समझने में सहायता प्रदान करना
होना चाहिए जिससे बेहतर समायोजन स्थापित हो और लोग स्वस्थ जीवन शैली को समझ कर
आत्मसात कर सकें, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो सकें, मानसिक समस्याओं का निदान कर सकें एवं मानसिक रोगियों के प्रति सहानुभूति
प्रदर्शित कर सकें! मिशन (लक्ष्य) मनोविज्ञान
विभाग का मिशन मापन, वर्णन, पूर्वकथन, नियंत्रण एवं व्याख्या होना चाहिए इसके अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति के
व्यवहार प्रतिरूप को समझने हेतु आवश्यक संप्रत्यय एवं उपकरण का विकास होना चाहिए
जिसके लिए मनोवैज्ञानिक विधियों के अनुप्रयोग एवं उनके अभ्यास हेतु उचित वातावरण
का निर्माण विभाग को करना चाहिए! 2. मनोविज्ञान विभाग की संरचना को निर्मित करना संरचना उप विभाग सर्वप्रथम एक
आदर्श मनोविज्ञान विभाग में 7 उप विभाग स्थापित होने चाहिए और
सातों विभाग के लिए पृथक विभागाध्यक्ष भी होने चाहिए ये सात विभाग निम्नवत हैं 1. सामान्य विभाग - स्वास्थ्य, व्यक्तित्व एवं
विकासात्मक मनोविज्ञान पर आधारित 2. नैदानिक विभाग - निदान सम्बंधी उपकरण एवं युक्तियों पर आधारित 3. संज्ञानात्मक विभाग - सामान्य मानसिक क्षमताओं पर आधारित 4. मनश्चिकित्सा विभाग - जटिल मानसिक रोगों के शारीरिक कारणों एवं उपचार पर
आधारित 5. स्नायुविज्ञान विभाग - सामान्य मानसिक रोगों के निदान एवं उपचार पर आधारित 6. संगठनात्मक विभाग - प्रबंधन कार्य, संस्कृति,
समुदाय एवं समाज मनोविज्ञान के शोध विधियों पर आधारित 7. जीवन अवधि विभाग - मस्तिष्क एवं संज्ञान में सम्बंधित परिवर्तन पर आधारित विभागीय समितियाँ एक आदर्श
मनोविज्ञान विभाग में निम्न समितियाँ होनी चाहिए- 1. पूर्व स्नातक अध्ययन समिति - स्नातक कर रहे विद्यार्थियों की समस्याओं के
निदान हेतु 2. स्नातक अध्ययन समिति - स्नातक कर चुके विद्यार्थियों के निर्देशन एवं
परामर्श हेतु 3. आंतरिक मूल्यांकन समिति - आंतरिक मापन, परीक्षण एवं
जाँच हेतु 4. प्रायोगिक प्रशिक्षण समिति - प्रयोग क्रियान्वित करने हेतु 5. शोध नैतिकता समिति - शोध कार्यों में नैतिकता को लागू करने हेतु 6. अकादमिक क्रियान्वयन समिति - पठन पाठन को सुचारु एवं निर्बाध गति से चलाने
हेतु 7. कार्यक्रम प्रमाणकरण समिति - प्रमाण पत्र जारी करने हेतु 8. पुस्तकालय समिति - पुस्तक उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु 9. विभागीय ऑनलाइन समिति - इंटरनेट सेवा प्रदान करने हेतु 3. मनोविज्ञान विभाग के संसाधनों को सूचीबद्ध करना। संसाधन भौतिक संसाधन इसके अंतर्गत
परिसर, भवन, कक्ष, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, मनोवैज्ञानिक
कक्ष, इत्यादि स्थापित होने चाहिए जिनका विवरण निम्न है- 1. परिसर मनोविज्ञान
विभाग का परिसर स्वच्छ, सुन्दर एवं सुसज्जित दिखना चाहिए जो वाई-फाई/इंटरनेट
सुविधा संपन्न होना चाहिए परिसर में बागवानी की सहायता से वातावरण स्वच्छ एवं
सुन्दर होने के साथ साथ बाहरी शोरगुल से मुक्त होना चाहिए। 2. भवन मनोविज्ञान
विभाग का भवन आधुनिक स्थापत्य कला एवं मनोवैज्ञानिक संप्रत्ययों को ध्यान में रखकर
निर्मित होना चाहिए जिसमें मनोवैज्ञानिकों की मूर्तियाँ, उनके चित्र तथा मनोवैज्ञानिक तथ्यों का प्रदर्शन भवन निर्माण में दिखना
चाहिए इसके साथ ही अग्नि शमन उपकरण, लिफ्ट, शुद्ध पेयजल, शौचालय, एवं
पार्किंग आवश्यक रूप से होने चाहिए। 3. कक्ष मनोविज्ञान
विभाग में विभिन्न प्रकार के कक्षों की आवश्यकता होती है जिसमें कक्षा-कक्ष, स्मार्ट कक्षा-कक्ष, विभागाध्यक्ष कक्ष, व्यक्तिगत कक्ष, अतिरिक्त कक्ष, शिक्षक कक्ष, वरिष्ठ अध्येता कक्ष, कनिष्ठ अध्येता कक्ष, शोधार्थी कक्ष, शोधार्थी कक्ष, बालिका साझा कक्ष, विश्राम कक्ष, स्थानापन्न इकाई कक्ष, अनुसंधान केंद्र कक्ष, डिप्लोमा पाठ्यक्रम कक्ष,
सम्मेलन कक्ष, सभागार कक्ष, कार्मिक कक्ष कार्यालय कक्ष, रख रखाव कक्ष की
व्यवस्था होनी चाहिए। 4. पुस्तकालय मनोविज्ञान
विभाग के पुस्तकालय में अन्ततः तीन कक्ष अवश्य होने चाहिए जिनमें मुख्य पुस्तकालय
कक्ष, सन्दर्भ कक्ष एवं पठन कक्ष प्रमुख हैं पुस्तकालय
समृद्ध होना चाहिए जिसमें प्रमुख रूप से राष्ट्रीय पुस्तकें, अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकें, शोध पत्रिका, ई-पुस्तकें, ई-शोध पत्रिका, पत्रिकाएं,
शोध ग्रंथ, लघु शोध ग्रंथ, पाठ्य पुस्तकें, संदर्भ ग्रंथ, परियोजना अभिलेख, समाचार पत्र इत्यादि होने चाहिए। 5. प्रयोगशाला मनोविज्ञान
विभाग में पाँच प्रयोगशालाओं की संभावना बनती है जिनमें प्रायोगिक प्रयोगशाला, परीक्षण प्रयोगशाला, कंप्यूटर प्रयोगशाला, स्नातक प्रयोगशाला, परास्नातक प्रयोगशाला प्रमुख हैं
और प्रत्येक प्रयोगशाला ध्वनिरोधी, हवा, प्रकाश, तापमान एवं शोरगुल नियंत्रित होना चाहिए
प्रत्येक में समस्त आवश्यक उपकरण, परीक्षण आलमारी, सॉफ्टवेयर सुविधा (एसपीएसएस-एएमओएस) होनी चाहिए। 6. मनोवैज्ञानिक कक्ष मनोविज्ञान
विभाग में विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक कक्ष की संकल्पना की गई है जिनमें
संज्ञानात्मक कक्ष, नैदानिक कक्ष, स्नायुविज्ञान
कक्ष, मनश्चिकित्सा कक्ष, गहन कक्ष,
निर्देशन कक्ष, परामर्श कक्ष, विद्यार्थी परामर्श कक्ष, कार्मिक परामर्श कक्ष,
समुदाय परामर्श कक्ष अति महत्वपूर्ण हैं। मानवीय संसाधन मनोविज्ञान
विभाग के मानवीय संसाधनों में, विभागाध्यक्ष, आचार्य, सहायक आचार्य, कनिष्ठ
आचार्य, मनोचिकित्सक, परामर्शक,
शोध सहायक, वरिष्ठ अध्येता, कनिष्ठ अध्येता, अन्य अध्येता, शोधार्थी, पुस्तकालयाध्यक्ष, कनिष्ठ
पुस्तकालयाध्यक्ष, प्रयोगशाला तकनीशियन, प्रयोगशाला सहायक, लिपिक, आशुलिपिक,
परिचारक, सफाईकर्मी इत्यादि होने चाहिए। 4. मनोविज्ञान विभाग में संचालित होने वाले कार्यक्रमों को समृद्ध करना। कार्यक्रम 5. मनोविज्ञान विभाग में लागू होने वाले संभावित पाठ्यक्रमों के लिए सुझाव देना। पाठ्यक्रम समस्त सैद्धांतिक एवं प्रयुक्त विषयों को सम्मिलित किया जाना चाहिए
जिनमें विशेष रूप से मनोविज्ञान के नये उभरते हुए क्षेत्रों यथा पर्यावरणीय
मनोविज्ञान, स्वास्थ्य मनोविज्ञान, सुधारात्मक
मनोविज्ञान, वायुदिक् मनोविज्ञान, न्यायिक
मनोविज्ञान, क्रीड़ा मनोविज्ञान, राजनीतिक
मनोविज्ञान, महिला मनोविज्ञान, आर्थिक
मनोविज्ञान, यातायात एवं परिवहन मनोविज्ञान, क्रॉस सांस्कृतिक मनोविज्ञान, वृद्ध मनोविज्ञान,
परा मनोविज्ञान, जीवन अवधि मनोविज्ञान इत्यादि
अपेक्षित हैं। |
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निष्कर्ष |
प्रस्तुत अध्ययन में मनोविज्ञान विभाग की आदर्श संरचना पर चर्चा की गई है और इसके लिए मनोविज्ञान विभाग हेतु मार्ग-मानचित्र तैयार किया गया जिसमें विज़न, मिशन, संरचना, संसाधन, कार्यक्रम एवं पाठ्यक्रम पर बात हुई और निष्कर्षतः ये कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान विभाग को समस्त विशेषताओं एवं क्षमताओं से परिपूर्ण होना चाहिए क्योंकि आम जन मानस से इस विभाग का प्रत्यक्ष सम्बंध है चाहे वो परामर्श के माध्यम से हो अथवा मनोचिकित्सा के माध्यम से अतः सर्वप्रथम इस विभाग की सुविधाएं उच्च स्तर की होनी चाहिए। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. करलिंगर, फ्रेड. एन. (2009) फाउंडेशन ऑफ बिहेवियोरियल रिसर्च, दिल्ली: सुरजीत प्रकाशन
2. बेस्ट, जॉन डब्लू. एंड काह्न (1996), रिसर्च इन एजुकेशन, 7वां संस्करण, नई दिल्ली: प्रेंटिस हाल ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
3. सिंह, अरुण कुमार (2002), सामाजिक विज्ञानों में शोध विधियाँ, तृतीय संस्करण, पटना: मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन पेज 103-129, 147-155, 190-240
4. सिंह, अरुण कुमार (2002), उच्चतर सामान्य मनोविज्ञान, द्वितीय संस्करण, पटना: मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन पेज 10-12, 47-55, 190-92, 234-240
5. वर्मा, प्रो एम, व्याख्यानमालाएं - 2013, 2014, 2015, 2016 |