ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- IX December  - 2022
Anthology The Research
नकदीरहित भारतीय अर्थव्यस्था
Cashless Indian Economy
Paper Id :  16836   Submission Date :  21/12/2022   Acceptance Date :  24/12/2022   Publication Date :  25/12/2022
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प्राची मलिक
शोध छात्रा
वाणिज्य विभाग
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय
मेरठ,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश देश में नई कांति, जिसे "नकदीरहित भारत" या "कॅशलेस इंडिया" की संज्ञा दी गई है, का आगाज काफी समय पहले हो गया और इस कांति ने लोगों को नकदी में लेनदेन करने की अपनी मानसिकता में बदलाव लाने के लिये प्रेरित किया। इस कदम के द्वारा धीरे-धीरे लोगों की नकदी पर आश्रित रहने की प्रवृत्ति में कमी आ रही है और देश में नकदीरहित लेनदेन की प्रक्रिया का विकास हो रहा है। लेनदेन के लिए नकदीरहित अर्थव्यवस्था (Cashless Economy) की अवधारणा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम Faceless, Paperless, Cashless का एक हिस्सा है और इसकी दृष्टि भारत को एक ऐसे समाज में बदलने पर केंद्रित है जो डिजिटल रूप में सक्षम हो एवं जहां बिना नकद लेनदेन के कई सशक्त तरीके विकसित हो चुके हो। परिणामस्वरूप- यूपीआई (UPI), क्रेडिट / डेबिट कार्ड (Credit / Debit Card) मोबाइल वॉलेट्स (Mobile: Wallets), इंटरनेट बैंकिंग (Internet Banking), बैंकों के प्री-पेड कार्डस (Pre-Paid cards of Banks), यूएसएसडी (USSD) आदि जैसे आधुनिक साधनों के द्वारा निकट भविष्य में भारत पूरी तरह से नकदीरहित / कैशलेस होने की तरफ अग्रसर है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The new revolution in the country, which has been given the name of "Cashless India" started a long time ago and this revolution inspired people to change their mindset of doing transactions in cash. Through this step, the tendency of people to depend on cash is gradually decreasing and the process of cashless transactions is developing in the country.
The concept of cashless economy for transactions is a part of Digital India program Faceless, Paperless, Cashless and its vision is to transform India into a society which is digitally enabled and where many empowered people live without cash transactions.
As a result- UPI, Credit / Debit Card, Mobile Wallets, Internet Banking, Pre-Paid cards of Banks, USSD India is moving towards being completely cashless.
USSD-Unstructured Supplementry Service Data UPI-Unified Payments Interface
मुख्य शब्द नकदीरहित, अर्थव्यवस्था, विमुद्रीकरण, लेनदेन, आधुनिक साधन।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Cashless, Economy, Demonetisation, Transactions, Modern Means.
प्रस्तावना
क्या है नकदीरहित अर्थव्यवस्था ? (What is cashless economy?) नकदीरहित अर्थव्यवस्था एक ऐसी स्थिति है जब किसी अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह (Cash flow) ना के बराबर हो जाए तथा सभी लेन-देन डेबिट कार्ड एवं केडिट कार्ड, राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक फंड्स ट्रांसफर (National Electronic Funds Transfor NEFT), तत्काल भुगतान सेवा (Immediate - Payment Service - IMPS) और रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) जैसे इलेक्ट्रॉनिक चैनलों एवं एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) जैसे भुगतान माध्यमों से होने लगा है। लगभग सभी क्षेत्रों में नकद हमेशा से मांग मे रहा है और हमेशा रहेगा, चाहे वह प्राथमिक क्षेत्र हो या द्वितीयक क्षेत्र हो या तृतीयक क्षेत्र फिर भी देश की अर्थव्यवस्था को बढावा देने के लिए नकदीरहित अर्थव्यवस्था आवश्यक है क्यों कि ऐसा करने से देश की अर्थव्यवस्था आसान, अधिक कुशल और तेज हो जायेगी। कैशलेस कार्यक्रम नकदी का अन्त नही करता है, बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन को कम करने के लिए एक वैकल्पिक समाधान है। कैशलेस भारत के साथ साइबर अपराध, ऑनलाइन धोखाधडी और जागरूकता की कमी जैसी समस्याएं आती है। कॅशलेस अर्थव्यवस्था प्राथमिक विमुद्रीकरण (8 नवम्बर 2016) के बाद बनी। भारत के विकास के लिए डिजिटल ज्ञान होना महत्वपूर्ण है इसलिए प्राथमिक ध्यान ग्रामीण भारत पर है। कई गोपनीयता की चिंताओं के कारण लोग कैशलेस अर्थव्यवस्था में जाने से डरते है क्यों कि वे डिजिटल ज्ञान से अपरिचित है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध पत्र के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है- 1. भारतीय अर्थव्यवस्था को नकदीरहित बनाने के लिए किये गये प्रयासों को समग्र रूप से प्रस्तुत करना। 2. कैशलेस भुगतान के तरीकों के बारे में जागरूक और शिक्षित करना । 3. कैशलेस अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी देना। 4. डिजिटल साधनों के प्रति अविश्वास की भावना खत्म करना।
साहित्यावलोकन

भारत में "कैशलेस अर्थव्यवस्था" की परियोजना पर कई अनुभवजन्य अध्ययन किए गए   हैं। अनुसंधान का प्रमुख जोर धोखाधड़ी, सुरक्षा, उपयोग के पैटर्न, ई-भुगतान की नई पद्धति आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर रहा है। कैशलेस अर्थव्यवस्था पर किए गए पिछले काम को देखने की जरूरत है। भारत में इस परियोजना में किए गए कार्य के प्रकार को सामान्य तरीके से इंगित करने के लिए इसकी समीक्षा की गई है। यह उम्मीद की जाती है कि अध्ययनों की आलोचनात्मक परीक्षा हमारी समस्या पर ध्यान केंद्रित करेगी और उन क्षेत्रों को इंगित करने में मदद करेगी जो शोध के लिए उपेक्षित रहे हैं।

मुख्य पाठ

भारतीय अर्थव्यवस्था को नकदीरहित बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाले डिजिटल माध्यम निम्न है-

भारत में नकदीरहित अर्थव्यवस्था की स्थिति (Status of Cashless Economy in India):

भारत देश एक विरोधाभासी देश है यहां एक तरफ लोग तकनीक (Technology) एवं इंटरनेट के जानकार है वही दूसरी तरफ आबादी का एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी है जिन्हें बेसिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होती है। भारत में संगठित क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक वर्कफोर्स असंगठित क्षेत्रों से जुड़ी हुई है इसी वजह से आज भी हमारा देश भारत एक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था (Cash Based Economy) बना हुआ है।

लेकिन जब से 500 एवं 1000 के नोटों का विमुद्रीकरण किया है तब से इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन में जबरदस्त इजाफा हुआ है।



Image of Demonetization

लोगो की ऑनलाइन खरीदारी की बढ़ती आदतों के कारण भी भारत में डिजिटल पेमेंट को काफी प्रोत्साहन मिला है। OLAMONEY, PAYTM जैसे फलते फुलते व्यापार भी इसी की ओर इशारा करते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था को नकदी प्रधान अर्थव्यवस्था ही कहा जा रहा हैक्यो कि नकदी लेकर एवं देकर सामान बेचना व खरीदना इस देश के लोगों की आदत बन गयी है। सरकार देश में अनेकों डिस्काउंट योजनायें चलाकर भी कैशलेस इकोनोमी को प्रोत्साहित करने की कोशिश भी कर रही है।

लेकिन भारत समानताओं (Homogenity) से मरा हुआ देश नही है बल्कि विभिन्नताओं (Hetrogenity) से मरा हुआ देश है। इसी वजह से यहां पर कोई भी चीज सबके लिए अच्छी एवं बुरी नही हो सकती है।


क्या भारत कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिए तैयार है ? (Is India is Ready For Cashless Economy ?)

भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटल होने में कठिनाई का एक उदाहरण डेबिट कार्ड के उपयोग के डेटा से मिलता है। भारतीय सन्दर्भ में कार्ड का उपयोग एटीएम से नकदी निकालने का एक साधन है। डेबिट कार्ड में घातीय वृद्धि वित्तीय समावेशन अभियान का प्रत्यक्ष परिणाम है जिसके कारण 170 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए। 

इस कदम ने प्लास्टिक मनी को लाखों लोगों के हाथो में तो डाल दिया लेकिन इसने केवल बैंकों से एटीएम में नकद निकासी को ही स्थानांतरित किया जो कि वित्तीय समावेशन अभियान का बिल्कुल भी इरादा नहीं था।

कोरोना संकट की वजह से डिजिटल साधनों का भुगतान करने के लिए उपयोग किया जाने लगा तथा लोगों का इस पर विश्वास होना प्रारम्भ हुआ। 

कोविट-19 की वजह से पिछले साल आर्थिक तौर पर अच्छे खासे नुकसान का सामना करने के बाद देश में अब हालात सुधरते दिख रहे हैं। IMF ने 2022 में दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था भारत की अर्थव्यवस्था होने का ही अनुमान लगाया है। भारत की अर्थव्यवस्था डिजिटल साधनों के साथ और तेजी से वृद्धि करेगी।

IMF (International Monentry Fund) के अनुमान के मुताबिक भारत में यह वृद्धि दर 8.5 फीसदी तक पहुंच सकती है। खास बात यह है कि भारत को छोड़कर किसी भी अन्य देश में यह वृद्धि दर 6 फीसदी से ऊपर जाने का अनुमान नहीं है।

कैशलेस अर्थव्यवस्था फायदेमंद है क्यों कि यह हिंसक अपराध के जोखिम को कम करती है। भ्रष्टाचारकाला धन और कर चोरी को आसानी से पकड़ा जा सकता है और लेनदेन की लागत को कम किया जा सकता है।
भारत ने कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के लिए पहल करना शुरू कर दिया है
लेकिन अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से डिजिटल करने के लिए कई उपाय किये जाने बाकी है। 

भारत का Cash to GDP Ratio बताता है कि अर्थव्यवस्था में कैश का कितना इस्तेमाल हो रहा है। भारत में यह अनुपात लगभग 13% हैजो ब्रिटेनअमेरिका और यूरोप सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत अधिक हैलेकिन जापान से नीचे है।


भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रभाव (Economic Impact of Cashless Economy in India)
एक नकदीरहित अर्थव्यवस्था सिस्टम में काले धन के प्रवेश की सभावना को कम करती है और अनैतिक गतिविधियों को पूरी तरह से कम करती है। नकद आधारित अर्थव्यवस्था आमतौर पर मनी लॉड्रिंग आतंकवादजबरन वसूली आदि जैसी अनैतिक गतिविधियों को कम करती है। कैशलेस सोसाइटी में सभी नकली मुद्रा नोटों पर अंकुश लगाया जा सकता है और इस उल्लंघन को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह बढ़ा हुआ कर मूल्य राज्य के लिए राजस्व में वृद्धि का कारण बनता है, जिसका उपयोग आगे कल्याण कार्यक्रमों के लिए किया जाता है।

उपरोक्त लाभों के अलावा डिजिटल लेनदेन में पारदर्शिताजवाबदेही और बाजार दक्षता का कारण बनते है क्यों कि यह भारी मात्रा में नकदी ले जाने और परिवहन के जोखिम को कम करता है। कैशलेस लेनदेन के माध्यम से होने वाले डेटा ट्रांसफर से सरकार को डेटा ट्रांसमिशन के पैटर्न से भविष्य के खर्चे जैसे आवासऊर्जा प्रबंधन आदि की योजना बनाने में मदद मिल सकती है। भारत में कॅशलेस अर्थव्यवस्था मुद्रा की छपाई को कम करती हैविमुद्रीकरण की घोषणा के बाद नई मुद्रा की छपाई से देश के राजकोष पर 12000 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार पड़ा था।


कैशलेस अर्थव्यवस्था और सरकारी पहल (Cashless Economy & Government Initiatives)
1. सरकार द्वारा सबसे पहला कदम नवम्बर 2016 में विमुद्रीकरण करके उठाया गया था। विमुद्रीकरण के समय भारत का Cash To GDP Ratio 12% के करीब था. विमुद्रीकरण के पश्चात् यह अनुपात घटकर 9% पर आ गया था लेकिन उसके बाद यह धीमी गति से लेकिन तेजी से बढ़ रही है।

2. प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण (डीबीटी) - भारत सरकार ने लाभार्थियों के बैंक के खाते से सीधे जुडें विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ और सब्सिडी को स्थानान्तरित करने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण (DBT) शुरू किया। इनसे ग्रामीण भारत में डिजिटल बैंकिंग के प्रभाव और पैठ का कारण बना। 

3. नीति आयोग समिति- नीति आयोग समिति का गठन सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में भारत को कैशलेस बनाने में तेजी लाने के लिए रणनीति बनाने के लिए किया गया था। यह समिति एक कार्यान्वयन ढाँचे की स्थापना और निगरानी करने के लिए बनाई गई है और यह समिति ये सुनिश्चित करेगी कि भारत का 80% डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चले। सरकार और नागरिको के बीच सस्ता नकद आधारित लेनदेन सुनिश्चित करने के उपायों की देखरेख भी यही समिति करेगी।

4. UPI (Unified Payments Interface)- UPI NPCI (National Payments - Corporation of India) द्वारा लॉन्च किया गया है। कम नकदी वाले समाज के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए UPI को लॉन्च किया गया है। मानक API (Application Programming Interface) का एक सैट निर्वाध हस्तान्तरण के लिए एक इंटर अरिबल सिस्टम प्रदान करता है और इसे IMPS (Immidiate Payment Service) प्लेटफॉर्म के शीर्ष पर बनाया गया है।

UPI का इकोसिस्टम तीन प्रमुख खिलाड़ियों के साथ काम करता है-भुगतान सेवा प्रदाताअंतर्निहित खाते प्रदान करने वाले बैंक और NPCI, जो तत्काल भुगतान सेवाओं के माध्यम से लेनदेन को प्रभावित करने वाले आभासी भुगतान पते के समाधान को सुनिश्चित करके केन्द्रीय स्विच के रूप में कार्य करता है।

6. प्रधानमंत्री जन धन योजना- यह योजना भारत की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में - से एक हैजिसे सन् 2014 में शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय एकीकरण और व्यापक वित्तीय समावेशन है जो देश के सभी घरों में बैंकिंग सेवाएं प्रदान करता है।

7. रतन वाटल पैनल- इस पैनल का गठन पूर्व वित्त सचिव रतन वाटल की अध्यक्षता में कैशलेस अर्थव्यवस्था की और भारत के आंदोलन को प्रोत्साहित करने के तरीके सुझाने के लिए किया गया था।


8. ई-रूपी पायलट प्रोजेक्ट - RBI (Reserve Bank of India) जल्द ही बैंकों के जरिये डिजिटल करेंसी ई-रूपी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। फिलहाल विशेष प्रयोजन के लिए इसका उपयोग शुरू होगा। इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती और मनी लॉड्रिंग पर नजर रखने में भी मदद मिलेगी। ई-रूपी से लोगों को कम नकदी रखने की जरूरत नही होगी।

यह एक कानूनी मुद्रा होगी। सन् 2022 के बजट में डिजिटल मुद्रा लाने की घोषणा हुई थी। इस प्रोजेक्ट का मकसद खुलीसमावेशीअन्तर संचालित प्रणाली बनाना हैजो आधुनिक डिजिटल आर्थिकी की जरूरतों को पूरा करेगी।

आर बी आई ने कहायह प्रोजेक्ट मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों में बदलाव के बजाय उसका पूरक होगा। आधुनिक तकनीक से लैस ई-रूपी से अतिरिक्त भुगतान का विकल्प मिलेगा। सुविधाजनक व सुरक्षित होने के साथ यह कुशल और वित्तीय समावेशन पढ़ाने में योगदान करेगी। 

कैशलेस समाज में परिवर्तन के दौरान आने वाली चुनौतियां (Challenges in Transitioning to a Cashless Society)

1. प्रत्येक व्यक्ति की बैंकिंग सुविधाओं तक पहुँच न होना।

2. कैशलेस भुगतान के तरीकों के बारे में पूरी तरह से जागलक व्यक्ति का शिक्षित न होना।

3. ज्यादा से ज्यादा आबादी डेबिट कार्ड का उपयोग सिर्फ पैसे निकालने के लिए इस्तेमाल करती हैन कि सीधे भुगतान के लिए। 

4. लोगों का कैशलेस लेनदेन के तहत गोपनीयता और सुरक्षा के प्रति जागरुक न होना।

5. पर्याप्त बुनियादी ढांचे का अभाव होना - खराब डिजिटल बुनियादी ढांचाडिजिटल भुगतान इंटरफेस की कमीखराब बैंकिंग प्रणाली आदि कमियां हैं।

निष्कर्ष कैशलेस इंडिया एक ऐसा विचार है जिसको व्यवहारिक रूप से अपनाने का उचित समय आ गया है लेकिन इसके लिए कारगर उपाय करने होगें, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी अधिक गतिमान और वृद्धिशील बनाया जा सके। भारत जैसे विशाल देश में जहाँ एक बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिताने को मजबूर है. नकदीरहित अर्थव्यवस्था (Cashless Economy) लागू करने में कठिनाइयां आना तो स्वाभाविक है लेकिन इस दिशा में प्रयास करना जरूरी था। आज डिजिटल माध्यम से मौद्रिक लेनदेन के प्रति लोगों की मानसिकता में एक बड़ा परिवर्तन आया है। लोग जान गये है कि डिजिटल माध्यम भी सुरक्षित, आसान, सुविधाजनक एवं पारदर्शी है और नकदी रहित भारत में काले घन या नकली मुद्रा की अब कोई गुंजाइश नही है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. दैनिक अमर उजाला, मेरठ संस्करण 2. www.google.com 3. m.economictimes.com 4. IMF Annual Reports 5. https://byjus.com 6. www.drishtiias.com 7. www.researchgate.com 8. Aaj tak news channel 9. https://legalsserviceindia.com 10. https://www.pdisjudw.in 11. www.lkamal.com