P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- IX , ISSUE- VII March  - 2022
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
माध्यमिक विदयालय के शिक्षकों की जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूकता का अध्ययन (उत्तराखंड के विशेष संदर्भ में)
Study of Awareness of Population Education of Secondary School Teachers (with special reference to Uttarakhand)
Paper Id :  15891   Submission Date :  12/03/2022   Acceptance Date :  16/03/2022   Publication Date :  25/03/2022
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अलका बहुगुणा
शोध छात्रा
वयस्क सतत शिक्षा और विस्तार
हे०न० ब० ग० विश्वविद्यालय
श्रीनगर,उत्तराखंड, भारत
ए० के० नौटियाल
प्रोफेसर
शिक्षा
हे०न० ब० ग० विश्वविद्यालय
श्रीनगर, उत्तराखंड, भारत
सारांश जनसंख्या जागरूकता विकासशील देशों में अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं। जहाँ पर अधिकतम जनसंख्या का भाग किशोरावस्था अथवा युवा वर्ग की हैं, वर्तमान में लगभग सभी विकासशील देशों की बढती हुई जनसंख्या के दुष्परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। इस दृष्टि से लोगों में विशेषकर युवा वर्ग में जनसंख्या जागरूकता उत्पन्न करने की जरूरत हैं। जनसंख्या वृद्धि के कारण आर्थिक और सामाजिक विकास प्रभावित हो रहा हैं। काहिरा विश्व जनसंख्या सम्मेलन (1984) के पश्चात् विश्व में तीव्र बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति चिन्ता व्यक्त की गयी। जनसंख्या सम्मेलन बीजिंग (1995) में भी बढ़ती जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव, विशेषकर महिला विकास और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की बात पर जोर दिया गया। जनसंख्या वृद्धि विश्वव्यापी समस्या हैं, परन्तु एशिया में इस समस्या का स्वरूप तथा गहनता बहुत ही विकट हैं। जनसंख्या में हो रही अनियंत्रित और अप्रत्याशित तीव्र जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप आज मानव को समुचित रूप से साधन और संसाधन प्राप्त नहीं हो पाते हैं। अर्थात् निम्नतम् आवश्यकताओं की उपलब्धता भी नहीं हो पाती हैं। जनसंख्या के एक भाग का जीवन स्तर निम्न ही बना रहता है। आज बढ़ती हुयी जनसंख्या विकासशील देशों के लिए एक समस्या हो रही है, जिसके कारण मानव के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक जीवन प्रभावित हो रहा है, तीव्र बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण, अकाल, महामारी, अशिक्षा जैसी गम्भीरतम समस्याऐं उत्पन्न हो रही है। वर्तमान में जहाँ एक ओर ज्ञान का विस्फोट हो रहा है, वैश्वीकरण बढ़ रहा हैं, औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिल रहा है और व्यक्ति संसाधन बनता जा रहा है। विज्ञान के कारण लोगों का जीवन बेहतर हो रहा है। सुख सुविधाएँ प्राप्त हो रही है। जीवन की गुणवत्ता प्राप्त करने की कौशिश हो रही है, ताकि सभी को समान रूप से सुविधाएँ उपलब्ध हो सकें। परन्तु दूसरा पक्ष यह है कि तीव्र बढ़ती हुई जनसंख्या इस तमाम प्रयासों को विफल कर देती हैं। इसलिए सभी लोगों में जनसंख्या जागरूकता की आवश्यकता है। जनसंख्या शिक्षा के द्वारा युवा वर्ग में उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार करने की प्रेरणा मिलती है। प्रस्तुत शोध पत्र में माध्यामिक विद्यालय के शिक्षकों में जनसंख्या जागरूकता का स्तर ज्ञात करने का प्रयास किया गया है। अध्ययन में पाया गया कि पुरूष और महिला शिक्षकों में जनसंख्या जागरूकता का स्तर लगभग समान अन्तर काफी कम है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Population awareness is very important in developing countries. Where the majority of the population belongs to the adolescent or youth group, at present the ill effects of the increasing population of almost all developing countries are visible. From this point of view there is a need to create population awareness among the people especially the youth. Due to the increase in population, economic and social development is getting affected. After the Cairo World Population Conference (1984), concern was expressed about the rapidly increasing population in the world. Population Conference Beijing (1995) also emphasized its impact on health due to increasing population, especially the focus on women's development and health. Population growth is a worldwide problem, but in Asia the nature and intensity of this problem are very dire. As a result of uncontrolled and unexpected rapid population growth in the population, today human beings are not able to get proper means and resources. That is, even the lowest requirements are not available. The standard of living of a section of the population remains low. Today, increasing population is becoming a problem for the developing countries, due to which the social, economic, political and cultural life of human is being affected, due to the rapidly increasing population, serious problems like poverty, unemployment, malnutrition, famine, epidemic, illiteracy etc. Problems are arising. At present, where there is an explosion of knowledge, globalization is increasing, industrialization is being encouraged and the individual is becoming a resource. People's lives are getting better because of science. Amenities are available. Efforts are being made to achieve quality of life so that facilities are available to all equally. But the other side is that the rapidly increasing population thwarts all these efforts. Hence there is a need for population awareness among all the people. Population education inspires the youth to behave responsibly. In the present research paper, an attempt has been made to find out the level of population awareness among secondary school teachers. The study found that the level of population awareness among male and female teachers is almost equal, the difference is very small.
मुख्य शब्द जनसंख्या जागरूकता, जीवन की गुणवत्ता, वैश्वीकरण, जनसंख्या शिक्षा, जीवन स्तर।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Population awareness, quality of life, globalization, population education, standard of living.
प्रस्तावना
शिक्षा के साथ जनसंख्या शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा माना गया है और शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर जनसंख्या शिक्षा को महत्व दिया गया है ताकि युवा वर्ग को जनसंख्या शिक्षा की उचित जानकारी दी जा सके और उनमें जनसंख्या जागरूकता उत्पन्न हो सके। जनसंख्या वृद्धि जीवन स्तर एवं पर्यावरण को प्रभावित करती है और निम्न बना देती है। जिन देशों में जनसंख्या वृद्धि गतिपूर्ण है तथा जहाँ जनसंख्या अत्यधिक है उनमें जीवन स्तर निम्न ही रहता है। देश की राष्ट्रीय आय का अधिक भाग बुनियादी सामाजिक सुविधाओं में लग जाता है। जिससे व्यक्ति को अच्छा जीवन स्तर, भोजन, कपड़ा, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य एवं विकास के अवसर प्राप्त नहीं हो पाते हैं। जनसंख्या आधिक्य के कारण गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति सोचनीय होती है जिससे वे निम्नतम आवश्यकताओं की पूर्ति भी नही ंकर पाते हैं। परिणामस्वरूप अच्छा जीवन स्तर भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं। जनसंख्या एवं संसाधनों में असन्तुलन की स्थिति पैदा हो जाती है। जिससे जीवन स्तर निम्न हो जाता है। जनसंख्या वृ़िद्ध का प्रतिकूल प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था तथा विकास कार्यक्रमों पर पड़ता है। यदि जनसंख्या वृद्धि अधिक है तब राष्ट्रीय आय अधिक होने पर भी समाज में धन और आवश्यक वस्तुऐं प्रति व्यक्ति कम रहती है। कम आय होने से बचत भी कम होती है क्यांेंकि अधिक भाग आवश्यकताएं पूरी करने में ही व्यय हो जाता है। जनसंख्या वृद्धि के कारण जनसंख्या का घनत्व बढ़ता है। ग्रामीण जनसंख्या शहरों की ओर बढ़ने लगती है, व्यक्ति का सामाजिक विकास भी अवरूद्ध होने लगता हैं। जिससे स्त्रियों की समाज में दशा, बच्चों की दशा और शिक्षा परिवार का आकार परिवार की स्थिति, विवाह की आयु मृत्यु दर आदि प्रभावित होती है। जनसंख्या का आकार, वृद्धि की दर एवं आयु संरचना तीनों आर्थिक विकास की दर को ऊँचा करने में बाधक सिद्ध होते हैं। यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक कि जनसंख्या वृद्धि में कमी नहीं आ जाती है। मूलतः जनसंख्या शिक्षा का उद्देश्य युवा पीढ़ी को संसार की गम्भीरता जनसंख्या समस्या के विविध आयामों का परिचय कराना है और जागरूकता उत्पन्न करना है। आज लगभग सभी देशों में बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्परिणामों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इस दृष्टि से लोगों में जनसंख्या समस्या के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से जनसंख्या शिक्षा विषय का प्राविधान रखा गया है। भारत जनसंख्या वृद्धि से विश्व में दूसरे स्थान पर है। तीव्र जनसंख्या वूद्धि से समाज में अनेकों समस्या उत्पन्न हो रही है। इन समस्याओं से निपटने के लिये समुदाय के मध्य जनसंख्या जागृति लाने की आवश्कता है। जनसंख्या शिक्षा एक ऐसा शैक्षणिक कार्यक्रम है। जिसके द्वारा परिवार समुदाय और सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या की दशा और उसके प्रभावों के प्रति युवा वर्ग और छात्रों में जागरूकता उत्पन्न करना तथा उत्तरदायित्व पूर्ण व्यवहार को विकसित करना है। जनसंख्या विशेषज्ञों द्वारा जनसंख्या शिक्षा के निम्नलिखित आयाम निर्धारित किये गये। 1. जनसंख्या स्थिति। 2. जनसंख्या एवं आर्थिक विकासं 3. जनसंख्या एवं सामाजिक विकास। 4. स्वास्थ्य एवं पोषण। 5. जनसंख्या एवं पर्यावरण। 6. जनसंख्या एवं पारिवारिक जीवन। 7. परिवारकल्याण। 8. विकास एवं जीवन की गुणवत्ता। 9. प्रजनन एवं बालस्वास्थ्य। 10. यौन शिक्षा।
अध्ययन का उद्देश्य माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं में जनसंख्या जागरूकता का स्तर ज्ञात करना।
साहित्यावलोकन
1- Nzobonima, Claver &Zamroni, (2017), ने अपने शोध पत्र “The implementation of population education in senior high school”, में सीनियर हाई स्कूल में जनसंख्या शिक्षा के क्रियान्वयन से सम्बन्धित अध्ययन किया गया, जिसमें अधिगम प्रक्रिया, अधिगम सामग्री, मूल्यांकन प्रक्रिया, पाठ्यक्रम उपलब्धि, शिक्षक की भूमिका, जनसंख्या शिक्षा की अवधारणा, जनसंख्या शिक्षा को सहयोग करने के कारक आदि सम्मिलित किये गये। प्रश्नावली द्वारा 65 छात्रों से आंकडें एकत्रित किये गये। अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार थे - शिक्षण प्रक्रिया उचित नहीं थी, जनसंख्या शिक्षा के लिये सामग्री उपलब्ध और प्रभावशाली थी, मूल्यांकन प्रक्रिया उचित नहीं थी, छात्र शिक्षक की भूमिका से संतुष्ट थे, छात्रों का जनसंख्या शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक था। 2. प्रकाश, आस्था (2019), ने अपने लेख ‘‘बढ़ती हुई जनसंख्या और विचारहीन विकास को दिशा देता जनसंख्या शिक्षा’’ में जनसंख्या शिक्षा के विभिन्न आयामों जैसे - जनसंख्या, विकास, पर्यावरण, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, छोटा परिवार, जीवन की गुणवत्ता का अध्ययन सम्मिलित है और इनका आपस में अन्तर सम्बन्ध भी है। जनसंख्या तथा संसाधनों के मध्य संतुलन रखना आवश्यक है ताकि जनसंख्या को सीमित रखकर नागरिकों उपलब्ध संसाधनों की पूर्ति हो सके। लेख के मुख्य निष्कर्ष में यह पाया गया कि जनसंख्या शिक्षा संसाधन बनने, जीवन स्तर सुधारने और जीवन स्तर बढ़ाने के लिये आवश्यक है। यह पाया गया कि वर्तमान में अति जनसंख्या वृद्धि की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की सर्वाधिक ज्वंलत समस्या है। इसका समाधान जनसंख्या शिक्षा के माध्यम से ही संभव है और जनसंख्या शिक्षा का अभिप्राय जनसंख्या जागरूकता है। 3- Roy, Deblina, et all, (2020), ने अपने शोध पत्र “Study of knowledge, attitude, anxiety and perceived mental health care need in Indian population during covid-19 pandemic”, में कोरोना वायरस संक्रमण कोविड-19 का लोगों पर प्रभाव ज्ञात करना था, जिसमें इस महामारी के दौरान तनाव अवसाद एवं भय के प्रति लोगों की जानकारी, अभिवृत्ति का प्रभाव देखा गया साथ ही इस महामारी का भारत की जनसंख्या पर मानसिक स्वास्थ्य, देखभाल की आवश्यकता पर प्रभाव देखा गया। प्रस्तुत अध्ययन के लिये आॅनलाइन प्रश्नावली तैयार की गई जिसमें 662 उत्तरदाताओं से सूचना प्राप्त हुई, उत्तरदाताओं को इसके बारे में मध्यम स्तर का ज्ञान था और निवारक पहेलूओं के बारे में पर्याप्त जानकारी थी। अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार थे - कोविड-19 से बचाव के प्रति लोगों में पर्याप्त जानकारी थी। कोविड-19 से सम्बन्धित सरकारी गाईडलाइन, क्वांइनटीन, सामाजिक दूरी का अनुपालन के प्रति अभिवृत्ति सकारात्मक पाई गयी। कोरोना के प्रति भय (एनजांइटी) अधिक पाई गयी। 80 प्रतिशत से अधिक लोग कोविड-19 के बचाव के प्रति पहले से जागरूक थे और 72 प्रतिशत लोगों को दस्ताने और सेनेटाइज़र की आवश्यकता महसूस हुई। 80 प्रतिशत लोगों में नींद की कठिनाई और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता महसूस की गई। कोविड-19 के दौरान जागरूकता ही महत्वपूर्ण आयाम माना गया। 4- Banerjee, Mita, (2020),ने अपने शोध पत्र “Population education strategies: role of teacher education institutions”, में जनसंख्या शिक्षा की अवधारणा, आवश्यकता औैर उद्देश्य का विश्लेषण किया गया, जिसमें युनेस्को की परिभाषा को परिभाषित किया गया। जनसंख्या शिक्षा की आवश्यकता, क्षेत्र एवं इसके विभिन्न आयामों का अध्ययन किया गया, जिसमें कहा गया कि शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों को शिक्षकों के प्रशिक्षण द्वारा अपडेट किया जा सकता है और नवाचार के माध्यम से जागरूक भी किया जा सकता है। निष्कर्ष में पाया गया कि जनसंख्या शिक्षा के शिक्षण में शिक्षकों को पाठ्यपुस्तक, उचित शिक्षण सामग्री के द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। इससे कार्यक्रमों को विकसित करने में सहयोग मिलेगा।
परिकल्पना माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं की जनसंख्या जागरूकता के स्तर में सार्थक अन्तर नहीं है।
अध्ययन की उपयोगिता- प्रस्तुत शोध पत्र के माध्यम से माध्यमिक शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं का जनसंख्या जागरूकता का स्तर ज्ञात होने पर सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन बढ़ाया जा सकता है और वर्तमान ज्ञान का स्तर ज्ञात होगा।
सीमांकन- प्रस्तुत अध्ययन उत्तराखण्ड के जनपद पौड़ी गढ़वाल के शहरी क्षेत्र श्रीनगर गढ़वाल एवं टिहरी जनपद विकास खण्ड कीर्तिनगर के माध्यमिक विद्यालयों के विशेष संदर्भ में सम्पादित किया गया।
सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत अध्ययन में अनुसंधान कत्री द्वारा निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया गया।
न्यादर्ष

अध्ययन क्षेत्र उत्तराखण्डराज्य के जनपदपौड़ी के शहरी क्षेत्र श्रीनगर गढ़वाल एवंटिहरीजनपद के विकास खण्ड कीर्तिनगर के माध्यमिक स्तर के चार-चार विद्यालयों से 50 पुरूष एवं 50 महिला शिक्षिकाओं का चयन यादृच्छिक न्यादर्श विधि द्वारा किया गया।

प्रयुक्त उपकरण न्यादर्श 100 शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं से सूचना एकत्रित करने के लिए जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित 15 कथनों की प्रश्नावली स्वःनिर्मित की गयी। प्रश्नावली बनाते समय शिक्षकों, चिकित्सको एवं अन्य विशेषज्ञों की सलाह भी ली गयी।
प्रश्नावली का प्रशासन- 50 पुरूष शिक्षकों एवं 50 महिला शिक्षकों के मध्य प्रश्नावली वितरित की गयी। तत्पश्चात् उनसे एकत्रित की गयी।
विश्लेषण

100 उत्तरदाताओं से प्राप्त आँकड़ों का सारणीयन करने के पश्चात् उनका प्रतिशत लिया गया और आँकड़ों का विश्लेषण किया गया।

ग्राफसंख्या 1.1 के प्रतिपुरूष शिक्षकोंको 80 प्रतिशत एवं महिला शिक्षकों को 75 प्रतिशत सही जानकारी थी।

ग्राफसंख्या 1.2 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 90 प्रतिशत एवं महिला शिक्षकों को 85 प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.3 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 75 प्रतिशत एवं महिला शिक्षकों को 72 प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.4 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 92 प्रतिशत एवं महिला शिक्षकों को 90 प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.5 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 65 प्रतिशत जानकारी थी जबकि महिला शिक्षकों को 62 प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.6 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 85 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 82 प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.7 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 94 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 85 प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.8 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 82 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 85 प्रतिशत को सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.9 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 86 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 77 प्रतिशत को सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.10 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 78 प्रतिशत जानकारी नही थी जबकि महिला शिक्षकों को 76 प्रतिशत को सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.11 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 65 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 68 प्रतिशत का सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.12 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 92 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 59 प्रतिशत का सही जानकारी नहीं थी।


ग्राफसंख्या 1.13 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 87 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 80 प्रतिशत प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.14 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 86 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 90 प्रतिशत सही जानकारी थी।


ग्राफसंख्या 1.15 के प्रतिपुरूष शिक्षकों को 82 प्रतिशत जबकि महिला शिक्षकों को 75 प्रतिशत सही जानकारी थी।

जनसंख्या शिक्षा के विभिन्न आयामों के प्रति माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों से सम्बन्धित प्रश्नावली से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर निम्नलिखित मुख्य निष्कर्ष निकले थे।

परिकल्पना का परीक्षण 

जनसंख्या शिक्षा के प्रति जागरूकता का स्तर पुरुष एवं महिला शिक्षिकाओं में लगभग समान है, क्योंकि अंतर कम पाया गया है इसलिये परिकल्पना स्वीकार की गई है

निष्कर्ष 1. हमारे देश की जनसंख्या के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 80 प्रतिशत जानकारी थी। 2. हमारे देश की अधिक जनसंख्या वाले राज्य के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 90 प्रतिशत जानकारी थी। 3. एड्स बीमारी के प्रमुख बचाव के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 75 प्रतिशत जानकारी थी। 4. आबादी के अनुसार विश्व में हमारे देश के स्थान के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 92% प्रतिशत जानकारी थी। 5. हमारे देश की प्रति व्यक्ति औसत आयु के बारे में महिला शिक्षकों की तुलना में पुरूष शिक्षकों को 65 प्रतिशत जानकारी थी। 6. तेजी से बढ़ती जनसंख्या का परिवार की आमदनी के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 85 प्रतिशत जानकारी थी। 7. जनसंख्या अधिक्य के कारण होने वाले प्रदूषण के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 94 प्रतिशत जानकारी थी। 8. जनसंख्या नीति के प्रमुख उद्देश्य के बारे में पुरूष शिक्षकों की तुलना में महिला शिक्षिकाओं को 85 प्रतिशत जानकारी थी। 9. पाठ्क्रम में जनसंख्या शिक्षा को सम्मिलित करके युवा वर्ग पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 86 प्रतिशत जानकारी थी। 10. भारत में वर्तमान शिशु मृत्यु दर के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 22% प्रतिशत जानकारी थी। 11. अधिक जन्मदर को कौन सा कारक बढ़ावा देता है, के बारे में पुरूष शिक्षकों की तुलना में महिला शिक्षिकाओं को 68 प्रतिशत जानकारी थी। 12. जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 92 प्रतिशत जानकारी थी। 13. चिपको आन्दोलन के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 87 प्रतिशत जानकारी थी। 14. महिलाओं में पोषण की कमी से होने वाली मुख्य बीमारी के बारे में पुरूष शिक्षकों की तुलना में महिला शिक्षिकाओं को 90 प्रतिशत जानकारी थी। 15. अच्छा जीवन स्तर प्राप्त होने की मुख्य बाधाओं के बारे में महिला शिक्षिकाओं की तुलना में पुरूष शिक्षिकों को 82% प्रतिशत जानकारी थी।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव प्रस्तुत अध्ययन को सम्पादित करने के उपरान्त भविष्य के लिए निम्नलिखित सुझाव है-
1. जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित अध्ययन उच्च शिक्षा स्तर पर भी करने की आवश्यकता हैं।
2. जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित अध्ययन उच्च शिक्षा के स्नातकोत्तर स्तर पर छात्रों के लिए भी होने चाहिए ।
3. जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित अध्ययन विज्ञान वर्ग एवं कला वर्ग के छात्रों में बड़े न्यादर्श पर तुलनात्मक रूप से भी होने चाहिए।
4. जनसंख्या शिक्षा से सम्बन्धित अध्ययन युवा छात्र-छात्राओं में तुलनात्मक स्तर पर भी किये जाने चाहिए।
5. जनसंख्या शिक्षा के महत्वपूर्ण आयामों जैसे एच०आई०वी० एवं एड्स जागरूकता से सम्बन्धित अध्ययन भी किये जाने की आवश्यकता हैं।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1- Bucharest Conference, (1974), “Since Bucharest and the future World Population Society”, Washington D.C., P.24. 2- Guptey, Pranay, (1984), “Ten Years after Bucherest”, The Crowded Earth General Publishing Co. Ltd.; Don Mills Ontario, P. 25. 3. Bhatia, S.C., (1991), “Research in Population Education”, PERC University of Delhi. 4. Seshadri, (1991), “Population Education Research in India”, UGI, O 17. 5. Focus, (1995), “Bulletin Population Environmental Development”, Population Foundation. 6. Nzobonima, Claver &Zamroni, (2017), “The implementation of population education in senior high school”, Research and evaluation in education (REID), Vol–3, No–2, https://journal.uny.ac.id/index.php/reid/article/view/10024/0 7. Prakash, Aastha, (2019), “International Journal of Advanced Education and Research, Volume 4, Issue 4, ISSN – 2455-5746, Impact factor RJIF, Pages 57-60, http://www.alleducationjournal.com/archives/2019/vol4/issue4/4-4-23