ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- IX December  - 2022
Anthology The Research
वायु प्रदूषण और पर्यारण- एक अध्ययन
Air Pollution and Environment - A Study
Paper Id :  16862   Submission Date :  12/12/2022   Acceptance Date :  21/12/2022   Publication Date :  24/12/2022
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मधुबाला सरोजनी
सहायक प्राध्यापक
रसायन विज्ञान
वीरभूमि रा0स्ना0महाविद्यालय
महोबा,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश इस धरती पर जीवित रहने के लिये वायु बहुत ही आवश्यक घटक है। जीवित प्राणी के लिये वायु आवश्यक है यह हमारे जीवन का आधार है लेकिन बढ़ते उद्योगों के कारण एंव मानव अपनी सुख सुविधाओं की पूर्ति हेतु इस वायु को प्रदूषित कर रहा है। वातावरण में मौजूद हवा में विभिन्न प्रकार के जहरीली गैसें, धूल के कण आदि हवा की गुणवत्ता ही नहीं खत्म कर रहे हैं, अपितु उसको जहरीला बना रहें हैं। वातावरण में बढ़ते प्रदूषण का कारण बढ़ती आबादी और आधुनिक औद्योगिकीकरण को माना जाता है। प्रदूषण के कारण वनस्पतियाँ और जीव-जन्तुओं की संख्या में भारी कमी ने वातवरण में असन्तुलन पैदा कर दिया है। वायु प्रदूषण एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें बाहरी वायुमण्डल में ऐसे पदार्थ एकत्रित हो जाते है जो मनुष्य एंव उसके पर्यावरण के लिये हानिकारक होते हैं। कई यौगिक वायु प्रदूषण के लिये जिम्मेदार हैं। प्रदूषण कई प्राकृतिक कारणों जैसे ज्वालामुखी से निकली राख, आँधी तूफान के समय उड़ती धूल, वनों में लगी आग से उत्पन्न धुएँ एवं कोहरे के कारण होता है इसके अतिरिक्त वायु प्रदूषण का मुख्य कारण धुआँ है। शहरों में विभिन्न कारखानों एवं वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआँ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसके कारण वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साईड, नाईट्रोजन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैसों का प्रतिषत लगातार वायुमण्डल की शुद्ध हवा को प्रदूषित कर रहा है। इसके अतिरिक्त बेन्जीन नामक कार्बन द्रव्य भी वायुमण्डल में बढ़ता जा रहा है जो कि कैंसर जैसे घातक रोगों के लिये जिम्मेदार हैं। ये कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि ये नाक से होते हुये सांस की नली में पहुँच जाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप फेफड़ों की बीमारी, ह्रदय रोग, सांस सम्बन्धी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। वायु प्रदूषण लोगों की नसों, मस्तिक गुर्दे, यकृत और अन्य अंगों को भी दीर्घकालिक नुकसान पहुँचा सकता हैं। वायु प्रदूषण के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती हैं। वायु प्रदूषण से दुनिया भर में लगभग 7 मिलियन लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो भविष्य में होने वाली अनेक बीमारियों से सामना करना पड़ सकता है। वायु प्रदूषण से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका उत्सर्जन को नियंत्रित करना है। सौर, पवन और भूतापीय ऊर्जा के उपयोग से वायु प्रदूषण बड़े स्तर पर कम होता है। वनों की कटाई को कम कर वृक्षारोपण पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना होगा। आँकड़े बहुत कुछ कहते हैं और भयावह भी है। रिपोर्टों की माने तो वायु प्रदूशण मौसमी बुखार नहीं हैं। यह घातक समस्या है समय रहते पार्टिकुलेट मैटर यानी हानिकारक सूक्ष्म कणों पर नियंत्रण करना होगा अन्यथा हवा में घुले सूक्ष्म कणों की वजह से कई बीमारियों का शिकार बन जायेगें।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Air is a very essential component for survival on this earth. Air is necessary for living beings, it is the basis of our life, but due to the increasing industries and human beings are polluting this air for the fulfillment of their comforts. Various types of poisonous gases, dust particles etc. in the air present in the atmosphere are not only destroying the quality of the air, but are also making it poisonous. The increasing population and modern industrialization are considered to be the reason for increasing pollution in the environment. Due to pollution, there has been a huge decrease in the number of flora and fauna, which has created an imbalance in the environment. Air pollution is a situation in which such substances get accumulated in the outer atmosphere which are harmful to humans and its environment. Many compounds are responsible for air pollution. Pollution is caused by many natural causes such as volcanic ash, dust flying during storms, smoke generated from forest fires and fog, in addition to this, smoke is the main cause of air pollution. The toxic smoke coming out of various factories and vehicles in the cities is increasing day by day. Due to this, the percentage of carbon dioxide, sulfur dioxide, nitrogen dioxide and carbon monoxide gases in the atmosphere is constantly polluting the pure air of the atmosphere. Apart from this, the carbon substance called Benzene is also increasing in the atmosphere, which is responsible for fatal diseases like cancer. These particles are so subtle that they reach the windpipe through the nose, as a result of which we have to face lung disease, heart disease, respiratory diseases. Air pollution can also cause long-term damage to people's nerves, brain, kidneys, liver and other organs. Millions of people die every year due to the direct or indirect effects of air pollution. Around 7 million people worldwide die prematurely from air pollution. If this problem is not resolved in time, then many diseases may have to be faced in the future. The best way to fight air pollution is to control emissions. Air pollution is reduced to a large extent by the use of solar, wind and geothermal energy. By reducing deforestation, more attention has to be focused on tree plantation. The statistics tell a lot and are scary too. Air pollution is not seasonal fever if reports are to be believed. This is a fatal problem, timely control of particulate matter i.e. harmful micro particles has to be done, otherwise due to the micro particles dissolved in the air, many diseases will be caused.
मुख्य शब्द वायु प्रदूषण, पार्टिकुलेट मैटर, सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, प्रदूषक।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Air Pollution, Particulate Matter, Solar Energy, Geothermal Energy, Pollutants
प्रस्तावना
मानव एवं अन्य जीव धारियों के जीवन के लिये स्वच्छ वायु आवश्यक है। वायुमण्डल् में पायी जाने वाली गैंसे निश्चित मात्रा एवं अनुपात में होती है। वायु में जब इन गैसों की मात्रा या अनुपात में असंतुलन हो जाये तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार की गैसे, कार्बन के कण, धुआँ विभिन्न प्रकार के खनिजों के कण आदि सम्मिलित हैं। वायु प्रदूषण एक ऐसी परिस्थिति हैं, जिसमें बाह्य वायुमण्डल में ऐसे पदार्थ एकत्रित हो जाते हैं जो मनुष्य एवं उसके पर्यावरण के लिये हानिकारक होते हैं।
अध्ययन का उद्देश्य इस शोध पत्र का उद्देश्य आम नागरिकों में वायु प्रदूषण जैसी विकराल समस्या के प्रति जन चेतना फैलाना है ताकि आने वाले समय में इसको नियंत्रित किया जा सके।
साहित्यावलोकन

18 वीं शताब्दी के वाष्प इंजन के आविष्कार के साथ और औद्योगिक क्रान्ति के साथ प्रदूषण के नये युग का प्रारम्भ हुआ। वर्तमान में W.H.O के अनुसार बाह्य वातावरण में मनुष्य तथा उसके पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाले तत्व सघन रूप से एकत्रित हो जाते हैं। वायु प्रदूषण अपने स्रोतों से दूर के वायुमण्डलों एवं मानवीय बस्तियों को प्रभावित करता है। मानव जनित क्रियाओं से उत्पन्न प्रदूषण में विद्युत गृह, अम्लीय वर्शा, मोटर वाहन, कीटनाशकों के प्रयोग, वनों की आग, कृषि कार्यों एंव औद्योगों से निकला अपशिष्ट, सिगरेट व रसोई का धुआँ आदि का प्रमुख योगदान है।

मुख्य पाठ

वायु के प्रमुख प्रदूषक-

1. एल्डीहाइड्स (Al)- इसका स्रोत बसा, तेल अथवा ग्लिराल का पृथक्कीकरण है इसके हानिकारक प्रभाव हैं नाक तथा साँस लेने में जलन पैदा होना, बदबू फैलना।

2. अमोनिया (NH3)- इसका स्त्रोत विस्फोटक पदार्थ, रोगन, उर्वरक, दहन, ईंधन, शोधक कारखाना आदि हैं। इससे श्वसन संस्थान में सूजन, आँख और त्वचा को हानि पहुँचती है।

3. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)- इसका मुख्य स्रोत वाहन और उद्योगों में अधजले हाइड्रोकार्बन तथा ईंधन दहन हैं इससे रक्त में ऑक्सीजन की कमी, सरदर्द, दृष्टि और स्नायु सम्बन्धी रोग हो सकते हैं।

4. हाइड्रोजन साइनाइड (HCN)- इसका मुख्य स्रोत भट्टियों का दहन, धूम्रकरण और कुछ रासायनिक पदार्थ हैं। गले में खुश्की, धुँधली दृष्टि, सरदर्द आदि इसके हानिकारक प्रभाव हैं।

5. हाइड्रोजन सल्फाइड(H2S)- रिफाइनरीज तथा रासायनिक कारखानों से, पेपर मिल्स तथा दूषित पानी के शुद्धीकरण संयन्त्र से यह उत्पन्न होता है। गले और आँखों में जलन, मितली आना, सरदर्द और नींद न आना आदि इसके दुष्प्रभाव है।

6. नाइट्रोजन ऑक्साइड(NO2)- वाहनों के निष्कासन से, सॉफ्ट कोयले के दहन से, पेट्रोलियम पदार्थों के उपयोग से यह उत्पन्न होता है। यह फेफड़ों पर प्रभाव डालता है।

7. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)- कोयला और तेल का दहन इसका मुख्य स्रोत है। छाती में जकड़न, सरदर्द उल्टी तथा श्वसन तन्त्र की बीमारियाँ, तेजाबी वर्षा आदि इसके हानिकारक प्रभाव हैं।

8. सस्फेन्डेड पार्टीकल्स (SPM)-  इसका मुख्य स्त्रोत कारखानों की चिमनियाँ हैं। आँखों की जलन, छींकना, कैंसर आदि इसके हानिकारक प्रभाव हैं।

9. पारे भाप (Hg2)- पारे के शोधन संयन्त्र से प्रयोगशाला में पारे के उपयोग से तथा पारे युक्त कीटनाशक से यह उत्पन्न होता है। मिनीमाटारोग का यह वाहक है। इसके सूँघने से बेहोशी भी होती है।

10. कैडमियम (Cd)- धातु (Cd) निकालने वाले संयन्त्र, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, कैडमियम पदार्थो के बैल्डिंग तथा शोधन के अतिरिक्त उत्पादन  के रूप में, कीटनाशक दवाइयों तथा खादों से यह उत्पन्न होता है। यह अधिक विषैला होता है। इससे गुर्दा को हानि पहुँचती है। ब्रोन्काइटिस, ह्रदय, जिगर व मस्तिष्क के रोग, आँतों में सूजन, कैंसर आदि इसके हानिकारक प्रभाव हैं।

11. बैन्जपायरीन (Benzapyrene)- यह तम्बाकू, धूम्रपान, धुएं और गैसोलीन निसारण से निकलती है। यह अत्यन्त विशैली है। यह कैंसर का भी कारण है।

वायु प्रदूषण के कारण- वायु प्रदूषण विभिन्न कारणों के कारण होता है, ये दो प्रकार के हो सकते हैं।

(।) प्राकृतिक कारण- ज्वालामुखी के फटते समय विशाल मात्रा में धूल, धुआँ, राख तथा विभिन्न प्रकार की गैसें वायुमण्डल में मिलकर वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं वनों में लगने वाली आग तथा दलदलीय प्रदेशों में पदार्थों के सड़ने से मिथैन गैस बनती है, जो प्रदूषण पैदा करती है। कुछ पौधों से उत्पन्न परागकण भी प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।

(ठ) मानव जनित कारण- वर्तमान में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण मानव की विभिन्न गतिविधियों द्वारा वायु में छोड़ी गयी गैसे तथा हानिकारक पदार्थ हैं। मानव जनित कारण निम्न हैः-

1. घरेलू कार्यों में दहन- नियमित घरेलू कार्यों में ईंधन जैसे- लकड़ी, कोयला, गोबर के कण्डे, मिट्टी का तेल, गैस आदि का प्रयोग होता है जलाने की क्रिया में CO2, SO2, CO आदि गैसे उत्पन्न होती हैं जो वायु को प्रदूषित करती है।

प्रतिव्यक्ति कार्बन उत्सर्जन करने वाले देश(वर्ष 2021 के आँकड़े टन में)                 

देश

कार्बन उत्सर्जन/व्यक्ति

कतर

35.59

सऊदी अरब

18.7

अमेरिका

15.86

ऑस्ट्रेलिया

15.09

रूस

12.1

जापान

8.57

जर्मनी

8.09

चीन

8.05

इजराइल

6.13

ब्रिटेन

5.15

फ्रांस

4.74

भारत

1.93

2. वाहनों द्वारा प्रदूषण- वर्तमान में परिवहन क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति भी वायु प्रदूषण का कारण है। वाहनों से निकलने वाले धुएँ में अत्यधिक जहरीली गैसे व इन हानिकारक गैसों में हाइड्रोजन, कार्बन व सल्फर के विभिन्न ऑक्साइड मिले रहते हैं जो वायुमण्डल में प्रवेष कर जाते हैं तथा वायु की गुणवत्ता को कम करते हैं व उसको प्रदूषित करते हैं। पेट्रोल व डीजल से निकले नाइट्रोजन के ऑक्साइड से स्मोग का जन्म होता है जो सूर्य के प्रकाश में हाइड्रोकार्बन से क्रिया कर घातक प्रकाश रासायनिक धूम स्मॉग को जन्म देता है।

भारत के महानगरों में वाहनों द्वारा प्रदूषण की मात्रा(मात्रा टन मेंप्रतिदिन की)

नगर का नाम

एस0पी0एम0

सल्फर डाई 

ऑक्साइड

नाइट्रोजन

हाइड्रो कार्बन 

ऑक्साइड

कार्बन मोनो 

ऑक्साइड

योग

1दिल्ली

8.58

7.47

105.38

207.98

542.51

872

2मुम्बई

4.66

3.36

59.02

90.17

391.6

549

3.कोलकाता

2.71

3.04

45.58

36.57

156.87

245

4.चेन्नई

1.95

1.68

23.51

42.05

119.35

188

3. औद्योगिक प्रदूषण- बड़े-बड़े उद्योग भी वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं उर्वरक उद्योग से नाइट्रोजन ऑक्साइड, पोटेशियम युक्त उर्वरक पोटाश के कण, इस्पात उद्योग से कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, धूल के कण, सीमेन्ट उद्योग से कैल्शियम, सोडियम, सिलिकन के कण वायु में प्रवेश कर प्रदूषण को बढ़ाते हैं।

4. ताप विद्युत ऊर्जा हेतु दहन- कोयले को जलाकर ताप ऊर्जा प्राप्त करने से भी वायु प्रदूषण होता हैं क्योंकि CO2, SO2 कोयले की राख, कार्बन के सूक्ष्म कण जैसे प्रदूषक वायु में फैल जाते हैं। ये सभी कण पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।

भारत में ऊर्जा स्रोतों द्वारा उत्पन्न प्रदूषक

ऊर्जा स्त्रोत

प्रति वर्ष उपयोग की 

मात्रा (लाख टन में)

कुल प्रदूशक की मात्रा (टन में)

कोयला

676

550

डीजल

59

290

पेट्रोल

16

840

लकड़ी

1000

8360

अन्य साधन

2870

10770

योग

4745

26030

5. अम्लीय वर्षा- अम्लीय वर्षा भी वायु प्रदूषण का एक खतरनाक प्रकार है। SO2 वायु में पहुँचकर H2SO4(सल्फ्यूरिक एसिड) बन जाता है जो सूक्ष्म कणों के रूप में गिरता है जसमें सल्फेट आयन अधिक होता है जिसका पी0एच0 5 से भी कम होता है जो कि मानव व वनस्पति दोनों के लिये हानिकारक होता है।

6. कृषि द्वारा वायु प्रदूषण- कृषि के क्षेत्र में अधिक उत्पादन लेने के लिये कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है जिससे ये रसायन वायु में प्रवेश कर प्रदूषण को बढ़ाते है।

7. रेडियो धर्मिता द्वारा प्रदूषण- विश्व का प्रत्येक देश अपनी शक्ति प्रदर्शन हेतु परमाणु परीक्षण करता रहता है लेकिन इन परीक्षण से निकलने वाली ऊर्जा से मानव जीवन को कई बीमारियों का सामना आने वाले कई वर्षों तक करना पड़ता है जैसे जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर गिराये गये बमों से वहाँ के पर्यावरण पर इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि अभी तक की पीढ़ी भी उससे मुक्त नहीं हो पाई है।

8. पराली से प्रदूषण- धान की फसल की कटाई के बाद बुबाई हेतु जल्दी खाली करने के लिये किसान फसल के अवशेष अर्थात पराली को जलाते हैं इससे पूरे क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर उच्च हो जाता है। दिल्ली एन0सी0आर0 में इसके गम्भीर परिणाम देखे जा सकते हैं।

उत्पादन और दहन में अव्वल राज्य

राज्य

पराली उत्पादन

जरूरत से ज्यादा

दहन

उत्तर प्रदेश

5.99

1.35

2.19

पंजाब

5.07

2.48

1.96

हरियाणा

2.78

1.12

0.49

पं0बंगाल

3.59

0.42

0.49

कुल

50.17

14.08

9.20

पराली प्रदूषण से फरीदाबाद शहर में प्रदूषण की स्थिति

वर्ष

SO2

NOx

कणकीय पदार्थ (पी0एम0 10)

2012

10.87

57.38

133.90

2013

7.69

42.31

148.07

2014

3.35

53.85

123.81

2015

4.50

30.99

143.22

पराली जलाने की घटनायें-  देश में पराली जलाना वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण   है। देश भर में इस वर्ष पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएँ पंजाब व हरियाणा में दर्ज की गयी।

15 सितम्बर से 5 नवम्बर 2022 तक के आँकड़े

पंजाब  - 29,400
हरियाणा - 2530
0प्र0 - 2246
0प्र0 - 927
राजस्थान - 587

स्रोत-  Indian Council Agriculture Research.

वायु प्रदूषण के मानव जीवन पर दुष्प्रभाव-  वायु प्रदूषण से शहरों में स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। अब तो ग्रमीण इलाके भी इसकी चपेट मे आने लगे है। 92% जनसंख्या चीन जैसे देश में प्रदूषित इलाके में रह रहे हर दस में से 9 लोग इसकी चपेट में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 14 शहर शामिल है। दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर है जबकि कानुपर और गुरूग्राम दूसरे व तीसरे नम्बर पर हैं।

वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव मनुश्य के श्वसन तन्त्र पर पड़ता है जिससे विभिन्न रोग जैसे ब्रोंकाइटिस, गले का दर्द, निमोनिया, फेफड़ो का कैंसर आदि हो जाते हैं। वायु में SO2 और NO2 से Emphysema नामक रोग हो जाता है, इस बीमारी से अमेरिका में प्रत्येक वर्ष  हजारों लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है। वाहनों के धुएँ में उपस्थित सीसा कण शरीर में पहुँच कर यकृत, आहार नली, बच्चों के मस्तिष्क विकार, हड्डियों का गलना जैसे रोग का कारण बनते हैं। विश्व में तीस लाख मौंते सलाना वायु प्रदूषण से होती है। दुनिया में वायु प्रदूषण से होने वाली 4 में से 1 मौत भारत में होती है।

वायु प्रदूषण से अस्थ्मा और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियाँ होने की संभावना अधिक होती हैं वहीं सल्फेट और ब्लेक कार्बन फेफड़ों के लिये जानलेवा होता है। बाहरी और घरेलू हवा में मौजूद प्रदूषण के महीन कणों के कारण विश्व में हर साल करीब 70 लाख लोगों की मौत होती हैं।

1. 2016 में पाँच साल से कम उम्र के एक लाख से ज्यादा बच्चों की प्रदूषण के कारण मौत हो गयी।

2. भारत में वायु प्रदूषण से 20 लाख लोगों की मौत हुई जो विश्व की इस कारण हुयी मौत का 25% है।

3. एयर पॉल्यूशन एण्ड चाइल्ड हेल्थ प्रेस क्राइबिंग क्लीन एयर नाम की इस रिपोर्ट  मे बताया गया है कि बाहर की हवा में मौजूद पी0एम0 2.5 के कारण पाँच साल की उम्र के बच्चों की सबसे ज्यादा मौत भारत में हुयी है। कुल बच्चों में 32,889 लड़कियाँ व 28,097 लड़के थे।

2016 में घरेलू प्रदूषण के कारण पाँच साल के 66890.5 बच्चों की मौत हुई व पाँच से 14 वर्ष तक के 4360 बच्चों की वायु प्रदूषण से जान गयी।

4. भारत में 2015 से अब तक प्रदूषण की वजह से मौत 48% बढ़ी जबकि चीन में इसी अवधि में प्रदूषण से मौत की दर 17.22 फीसदी बढ़ी है।

5. दुनिया भर के 7 बच्चों में से 1 बच्चा दूषित हवा में सांस लेता है। ओजन प्रदूषण से होने वाली मौतों में भारत सबसे ऊपर है।

6. पर्यावरण इंडेक्स में भरत 178 देषों में 155 वें स्थान पर है।

7. गर्भस्थ शिशुओं पर भी वायु प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है। इसके कारण समय से पहले उनकी डिलीवरी, जन्म से ही शारीरिक और मानसिक दोष, कम वजन और मृत्यु तक हो जाती है। दीवाली के पश्चात दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया था। नुकसान पहुँचाने वाली गैसों की वायु में मौजूदगी इस कदर ज्यादा थी कि तीन दिनों तक स्कूलों में अवकाश करना पड़ा।

8. लासेट ग्लोबल स्टडी (2018) के मुताबिक उत्तरी भारत के शहरों में सांस संबंधी गम्भीर बीमारियों और मृत्यु के बीच सीधा संबंध है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि सालाना सत्तर करोड़ लोग वायु प्रदूषण से दुष्प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण क्रोनिक ऑबस्ट्रथ्टिव पलमोनरी डिस्ऑर्डर्स का प्रमुख कारण हैं। उत्तर प्रदेश के कई शहरों की स्थिति तो दिल्ली से भी खराब है। वायु प्रदूषण में लखनऊ, कानपुर व बनारस शीर्ष पर हैं।

9. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 9 नवम्बर 2022 सुबह तक कटिहार भारत का सबसे प्रदूशित शहर रहा ए0क्यू0आई0 345 तक पहुँच गया था। 

ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect)- वायु मण्डल में कार्बनडाई-ऑक्साइड की मात्रा में निरन्तर वृद्धि होने से वह सूर्य की किरणों को अवशोषित करती है, इससे वायुमण्डल गर्म हो जाता है। इसे ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। जून 1988 में टोरन्टों मे हुए सम्मेलन में ग्रीन हाउस प्रभाव तथा उससे संबन्धित खतरों के बारे में वैज्ञानिकों ने चिन्ता व्यक्त की। ग्रीन हाउस प्रभाव पैदा करने वाली गैसें कार्बनडाई ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरों फ्लोरो कार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड व ओजोन है। इस प्रकार के प्रदूषण से तापमान में  वृद्धि होती है तथा अनेक स्थानों पर सूखा व अकाल की स्थिति बन जाती है।

मौसम पर प्रभाव (Effect on Weather)- वायु प्रदूषण का स्थानीय मौसम पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इनसे बादलों, तापमान व वर्षा पर भी प्रभाव पड़ता है। औद्योगिक नगरों पर छाने वाला कोहरा वायु प्रदूषण के परिणाम स्वरूप होता है। नगरों पर कोहरे का गुम्बद Smog Dom बन जाता है तथा हवा के साथ एक धारा के रूप में बहने लगता है। इसी प्रकार इस्पात मिलों के धुएँ में विशेष प्रकार के हिम केन्द्रक नामक कण से वर्षा की सम्भावना अधिक हो जाती है।

अन्य प्रभाव Other Effect- वायु प्रदूषण कई अन्य वस्तुओं को भी प्रभावित करता है। जैसे- जंग लगना, कागज, कपड़ा, संगमरमर आदि का क्षीण होना। आगरा स्थित ताजमहलविश्व के सात आश्चर्यों में सम्मिलित है। परन्तु1972 में मथुरा में लगे तेल शोधक कारखाने से निकलने वाले धुएँ में मिश्रित कार्बनडाई ऑक्साइड वर्षा के जल से मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड के रूप में ताजमहल पर गिरता है जिससे कि संगमरमर का क्षरण होता है।

वायु प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय-

1. वनों की हो रही अन्धाधुन्ध कटाई को रोका जाना चाहिये। इस कार्य में सरकार के साथ-साथ प्रत्येक मानव को चाहिये कि वनों को नष्ट होने से रोके व अधिक से अधिक वृक्षोरोपण करें।

2. कराखानों को शहरो से दूर लगाना चाहिये और उनकी मॉनीटरिंग करनी चाहिये  ताकि उनसे निकलने वाली गैसे कम से कम वायु में प्रवेश करें।

3. जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिये लोगों को जागरूकता अभियान चलाने चाहिये।

4. ऐसे ईंधन के उपयोग की सलाह दी जाये जिसका उपयोग करने से कम से कम धुआँ निकले।

5. वाहनों में ईंधन से निकलने वाले धुएँ को ऐसे समायोजित करना होगा जिससे कम से कम धुआँ बाहर निकले।

6. उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों का शोधन होना चाहिये जिससे वे प्रदूषित न रहें।

7. प्रदूषण को कम करने के लिये सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।

8. घर से बाहर जाने पर पंखे व लाइट बंद कर दें। बिजली पैदा करने के लिये बड़ी संख्या में जीवाश्म ईंधन जलाये जाते हैं

जलाये जाने वाले जीवाश्म ईंधन की संख्या को कम करके पर्यावरण को क्षरण से बचा सकते हैं।

9. वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये रिड्यूस रियूज और रीसायकल की अवधारणा को अपनाना चाहिये।

10. आम, पीपल, नीम, बरगद तथा औषधीय पेड़ो का ज्यादा से ज्यादा रोपड़ किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष वायु प्रदूषण पूरे विश्व के लिये एक भयानक समस्या बनकर सामने खड़ा है। जनता का स्वास्थ्य विशेष रूप से जो सबसे कमजोर है जैसे कि बच्चे, बुजुर्ग और बीमार, वायु प्रदूषण से खतरे में है लेकिन यह कहना मुश्किल है कि जोखिम कितना बड़ा है, विज्ञान लगातार प्रगति कर रहा है और हम हर दिन प्रदूषण के खतरों और हमारे स्वास्थ्य पर पर्यावरण की भूमिका के बारे में अधिक सीख रहें हैं। जरूरी नहीं कि कोई भी घातक बीमारी वायु प्रदूषण से ही हो लेकिन बीमारी होने के लिये वायु प्रदूषण एक कारक हो सकता है। घातक बीमारियों से होने वाली मौंते जो कि वायु प्रदूषण के कारण होती है। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। खराब वायु गुणवत्ता जैसे पर्यावारणीय कारकों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें अधिक अध्ययन, अधिक शोध, अधिक निगरानी, चर्चा और वायु प्रदूषण के प्रति अधिक जन जागरूकता की आवश्यकता है, अन्यथा इस पृथ्वी के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य को भी खतरा है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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