P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- V January  - 2023
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
राजस्थान के सीकर जिले में जनसंख्या वितरण, घनत्व तथा वृद्धि का विश्लेषणात्मक अध्ययनः 1951-2011
Analytical Study of Population Distribution, Density and Growth in Sikar District of Rajasthan: 1951-2011
Paper Id :  16948   Submission Date :  13/01/2023   Acceptance Date :  23/01/2023   Publication Date :  25/01/2023
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ममता देवी यादव
शोधार्थी
भूगोल विभाग
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय
बीकानेर,राजस्थान, भारत
महावीर सिंह चौपड़ा
उप प्राचार्य
शिक्षा विभाग
राजस्थान विश्वविद्यालय
जयपुर, राजस्थान, भारत
सारांश किसी भी भौगोलिक क्षेत्र का विकास वहाँ निवास करने वाले मानव संसाधन पर निर्भर करता है। जनसंख्या ही किसी देश/राज्य का वास्तविक संसाधन है, “संसाधन होते नहीं है अपितु बनाये जाते है “जिम्मरमैन के इस कथन से स्पष्ट है कि पृथ्वी पर विद्यमान संसाधनों को मानव द्वारा ही उपयोगिता प्रदान की जाती है। अतः सभी जनाकिकीय विशेषताओं जैसे जनसंख्या वितरण, घनत्व, साक्षरता, जनसंख्या वृद्वि तथा जनसंख्या संघटन का अध्ययन कर उस क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास के स्तर के बारे में विश्लेषण किया जा सकता है। जनसंख्या का समरूप वितरण, उच्च साक्षरता, उच्च लिंगानुपात जैसे लक्षण एक विकसित तथा कौशल युक्त मानव संसाधन की ओर संकेत करते है। युवा जनसंख्या किसी भी देश के उज्जवल भविष्य की ओर संकेत करती है। क्योकि यह कार्यशील जनसंख्या की श्रेणी में आती है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The development of any geographical area depends on the human resource residing there. Population is the real resource of any country/state.
“Resources are not made but are created” It is clear from Zimmerman's statement that the resources existing on the earth are provided utility by humans only. Therefore, by studying all the demographic characteristics such as population distribution, density, literacy, population growth and population composition, analysis can be made about the level of economic and social development of that area. Characteristics like homogenous distribution of population, high literacy, high sex ratio indicate towards a developed and skilled human resource. Young population indicates the bright future of any country. Because it comes under the category of working population.
मुख्य शब्द जनांकिकीय, मानव संसाधन, जनसंख्या संघटन, कौशलयुक्त, जनसंख्या घनत्व, लिंगानुपात।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Demographic, Human Resource, Population Composition, Skilled, Population Density, Sex Ratio.
प्रस्तावना
भूगोल विषय कों अध्ययन की दृष्टि से प्रारम्भ में मोटे तौर पर दो वर्गो में बाँटा गया जिसमें भौतिक भूगोल व मानव भूगोल प्रमुख है। मानव भूगोल में मानव तथा पर्यावरण के मध्य अन्तः सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। लेकिन भूगोल विषय के विकास के साथ ही यह अनेक शाखाओं में विभाजित हो गया। मानव भूगोल की एक प्रमुख उपशाखा जनसंख्या भूगोल है। जनसंख्या भूगोल में जनसंख्या से संबधित विभिन्न पहलुओं को किसी स्थान विशेष के संदर्भ में अध्ययन किया जाता है। जनसंख्या किसी क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक होता है जनसंख्या से सम्बन्धित घटको में प्रमुख रूप से जनसंख्या का वितरण, जनसंख्या का घनत्व, जनसंख्या वृद्वि, जनसंख्या परिवर्तन के घटक तथा जनसंख्या संघटन प्रमुख है। इन्हे जनांकिकीय विशेषताओं के नाम से भी जाना जाता है। जनांकिकीय विशेषताओं के आधार पर ही किसी क्षेत्र के विकास का अनुमान लगाया जा सकता है। 2011 की जनगणना के आँकडो के अनुसार राजस्थान की कुल जनसंख्या का 3.30 प्रतिशत जनसंख्या सीकर जिले में निवास करती है। प्रस्तुत शोध पत्र में सीकर जिले की जनांकिकीय विशेषताओं का सामयिक तथा राजस्थान की जनसंख्या के साथ तुलनात्मक विश्लेषण कर अध्ययन प्रस्तुत किया जाता है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध पत्र के उद्देश्य निम्नानुसार हैः- 1. सीकर जिले जनांकिकीय विशेषताओं का सामयिक विश्लेषण करना। 2. सीकर जिले में जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्वि, साक्षरता, लिंगानुपात आदि की जानकारी प्रस्तुत करना। 3. सीकर जिले की जनांकिकीय विशेषताओं का राज्य के सम्बन्ध में तुलनात्मक अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

सक्सेना रजनी (2002) ”दि चेंजिग पैटर्न ऑफ पापुलेशन इन अजमेर सिटीनामक शोध प्रबन्धन में अजमेर शहर में 1981 से 1991 के मध्य जनसंख्या के परिवर्तनशील प्रतिरूपों का विश्लेषण किया है।

रोनाल्ड ली (2003) ने अपने शोध लेज दि डेमोग्राफिक ट्रांजिशन थ्री सेंचुरीज ऑफ फण्डामेंटल चेंजमें यूरोप में जनांकिकीय परिवर्तनो का विश्लेषण किया है।

मौर्य एस.डी. (2009) ने अपनी पुस्तक जनसंख्या भूगोलमें जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं का विस्तारपूर्वक विशेषण प्रस्तुत किया है।

सेठी (2011) ने अपने शोध लेख छत्तीसगढ में नगरीय जनसंख्या की प्रवृत्ति“ (एक आर्थिक एवं भौगोलिक अध्ययन) में राज्य की कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या वृद्धि को विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया है।

प्रियंका तथा चौधरी अल्का (2018) ने अपने शोध लेख जनसंख्या वृद्धि एवं घनत्व का तुलनात्मक अध्ययनः राजस्थान राज्य के उत्तर-पूर्वी जिलों के विशेष संदर्भ में बताया कि राजस्थान के अन्य भागों की तुलना में उत्तर-पूर्वी भाग में जनसंख्या वृद्धि तीव्र गति से हुई है जिसमें जयपुर जिले में विशेष वृद्धि देखी गयी है।

शंकरलाल एवं कुड़ी राजेन्द्र (2019) ने अपने शोध लेख सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील में जनांकिकी का विश्लेषणमें जनसंख्या वितरण, वृद्धि, साक्षरता, लिंगानुपात का विश्लेषण प्रस्तुत किया है।

मुख्य पाठ


अध्ययन क्षेत्र

सीकर जिला राजस्थान के उत्तरी-पूर्वी भाग में स्थित है। यह शेखावटी अंचल का प्रमुख जिला है। भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से सीकर जिले का कुल क्षेत्रफल 7742 वर्ग कि.मी. है जो राजस्थान के कुल भू-भाग का 2.66 प्रतिशत है। सीकर जिला 27021उत्तरी अक्षांश से 28012उत्तरी अक्षांश तथा 740 44पूर्वी देशान्तर से 750 25पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। इसके उत्तर दिशा में झुन्झुनु जिला, उत्तर-पश्चिम दिशा में चुरू जिला, दक्षिण-पश्चिम दिशा में नागोर जिला, दक्षिण-पूर्व दिशा में जयपुर जिला स्थित है। तथा उत्तर-पूर्व दिशा में हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले से इसकी सीमा स्पर्श करती है। सीकर जिले की समुद्र तल से औसत उॅचाई 432 मीटर है।

प्रशासनिक दृष्टि से सीकर जिले को सात उपखण्डो सीकर, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ, दांतारामगढ, श्रीमाधोपुर, नीम का थाना, तथा खण्डेला में बांटा गया है।

जनसंख्या वितरण (Population Distribution)

जनसंख्या वितरण का आशय किसी क्षेत्र में जनसंख्या के फैलाव से है। अध्ययन क्षेत्र सीकर जिले में सामयिक अध्ययन की दृष्टि से जनसंख्या की स्थिति देखे तो 1951 में सीकर जिले की कुल जनसंख्या 6.78 लाख थी जो राज्य की कुल जनसंख्या का 4.4 प्रतिशत थी जो बढ़कर 2011 में 26.77 लाख हो गयी।

2011 की जनगणना के आँकड़ो के अनुसार सीकर जिले में 6 तहसील में सर्वाधिक जनसंख्या सीकर में (644186) है जबकी सबसे कम जनसंख्या फतेहपुर तहसील में (305638) है। सीकर जिले मे तहसीलवार जनसंख्या वितरण इस प्रकार है।


जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)

दो निश्चित समय अरालों के मध्य जनसंख्या में होने वाला परिवर्तन जनसख्या वृद्धि कहलाता है यदि कुल परिमाण में वृद्धि हो तो उसे धनात्मक वृद्धि तथा कुल परिमाण में कमी होने पर ऋणात्मक वृद्धि होती है। अध्ययन क्षेत्र सीकर जिले में 1951 से 2011 की अवधि के आकड़ो के अनुसार जनसंख्या वृद्धि दर का विश्लेषण इस प्रकार है-


आरेख 2: सीकर जिले की जनसंख्या वृद्धि दर (1951-2011)


1951 से 2011 के आकडो के अनुसार सीकर जिले में लगातार उच्च दर से जनसंख्या वृद्धि हो रही है सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि दर 1981-1991 दशक में 33.81 रही हांलाकि 1991 से जनसंख्या वृद्धि दर लगातार घट रही है 201 में जनसंख्या वृद्धि दर 17.02 प्रतिशत रही है। जबकी 2011 में राजस्थान की औसत जनसंख्या वृद्धि दर 21.31 प्रतिशत रही है। सीकर जिले में वृद्धि दर तीव्र गति से कम हुई है।

राज्य से तुलनात्मक स्थिति देखे तो सीकर जिले में जनसंख्या वृद्धि दर में तेजी से कमी आयी है। जिसका कारण साक्षरता दर में वृद्धि रहा है।

आरेख 3-  राजस्थान व सीकर की जनसंख्या वृद्धि दर (1951-2011)


जनसंख्या घनत्व (Population Densityजनसंख्या घनत्व में जनसंख्या तथा क्षेत्रफल का आनुपातिक सम्बन्ध देखा जाता है अर्थात प्रतिवर्ग कि.मी. क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते है।

अध्ययन क्षेत्र सीकर जिले में 1951 से 2011 के आकडो के आधार पर देखे तो 1951 मे सीकर जिले का जनसंख्या घनत्व 90 व्यक्ति प्रतिवर्ग कि.मी था जो सन् 2011 में बढ़कर 346 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी. हो गया। 2011 के आँकड़ो के अनुसार सीकर जिले का जनघन्त्व राज्य के औसत जनघनत्व 200 की तुलना 346 है जो उच्च घनत्व का दर्शाता है। सीकर जिले मे कृषि भूमि, खनिज, आधारभूत सुविधाए शिक्षा, समतल भू-भाग आदि के कारण जनसंख्या घनत्व उच्च पाया जाता है। निम्न सारणी से राजस्थान व सीकर जिले के जनसंख्या घनत्व को आसानी से समझा जा सकता है।



सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत शोध पत्र में मूलतः द्वितियक आँकड़ो का प्रयोग किया गया है जिसमें जिला सांख्यिकी रूपरेखा जिला सीकर, भारत जनगणना, राजस्थान राज्य जिला प्रोफाइल जनगणना विभाग राजस्थान की विभिन्न रिपोर्टो का प्रयोग किया गया है। आंकडों को सुगम्य तथा तुलनात्मक विश्लेषण हेतु सारणीयन, दण्ड आरेख आदि का प्रयोग किया गया है।
निष्कर्ष प्रस्तुत शोध अध्ययन में 1951 व 2011 तक के जनसंख्या आँकड़ो का प्रयोग किया गया है। किसी भी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं का विश्लेषण छोटी प्रशासनिक ईकाईयों के आधार पर करना एक कठिन कार्य है क्योकि प्रशासनिक पुनर्गठन के कारण इनके क्षेत्र में परिवर्तन होता रहता है। अतः अध्ययन क्षेत्र सीकर जिले को ही एक इकाई मानते हुए जनांकिकीय घटको में जनसंख्या वितरण, वृद्धि तथा घनत्व का विश्लेषण सामयिक आधार पर तथा राजस्थान के सन्दर्भ में तुलनात्मक रूप से किया गया है। 1951 में सीकर जिले की कुल जनसंख्या 677782 थी जो राज्य की मात्र 4.4 प्रतिशत थी यह 2011 में बढ़कर 2677333 हो गयी जो राज्य की कुल जनसंख्या का 3.90 प्रतिशत है। जनसंख्या वृद्धि की दृष्टि से 2011 के अनुसार सीकर की वृद्धि दर 17.02 प्रतिशत है जो राज्य के औसत 21.31 प्रतिशत से कम है वही जनघनत्व राज्य के औसत घनत्व 200 से अधिक है। सीकर जिले की जनांकिकीय विशेषताओ के विश्लेषण के आधार पर कुछ सुझाव इस प्रकार है- 1. रोजगार के अवसर तथा साक्षरता दर को बढ़ाकर जनसंख्या वृद्धि दर में और कमी की जा सकती है। 2. गैर कृषि आधारित उद्योगो के बढावा देकर जनसंख्या वितरण को समरूप बनाया जा सकता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. Chandna , R.C (1951-61): Changes in the Demographic Character of the Rohtak and Gurgaon Districts, A Geographical Analysis, Ph.D Thesis. 2. District Census Hand Book, Sikar 1951 3. District Census Hand Book, Sikar District, Census of India 1961 4. Population Statistics, Census of India, Rajasthan, 1971 5. जिला सांख्यिकी रूपरेखा जिला सीकर 2006, 2011 6. Census of India, 1981, 1991, 2001, 2011 Sikar District 7. मौर्य एस.डी. (2009): जनसंख्या भूगोल, शारदा पुस्तक भवन, इलाहाबाद 8. प्रियंका और अल्फा (2018): जनसंख्या वृद्वि एवं घनत्व का तुलनात्मक अध्ययनः राजस्थान राज्य के उत्तर पूर्वी जिलों के विशेष संदर्भ में, रिसर्च रिव्यू जनरल, वाल्यूम 03, 2018 9. शंकरलाल कुडी, राजेन्द्र (2019): सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील में जनांकिकी का विश्लेषण, International Journal of Geology, Agriculture and Environmental Science, Volume-7, January-June 2019