ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- X January  - 2023
Anthology The Research
जनपद अम्बेडकर नगर (उ0प्र0) में भूमि उपयोग एंव प्रबंधन: एक भौगोलिक विश्लेषण
Land Use and Management in District Ambedkar Nagar (U.P.): A Geographical Analysis
Paper Id :  16993   Submission Date :  04/01/2023   Acceptance Date :  20/01/2023   Publication Date :  25/01/2023
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वीरेन्द्र कुमार
शोधार्थी
भूगोल विभाग
श्री गांधी पीजी कॉलेज, माल्टारी
आजमगढ़,यूपी, भारत
सारांश ‘भूमि’ पद प्रायः धरातल के ठोस भाग को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है। जब भूमि का उपयोग मानव अपनी आवश्यकतानुसार कर रहा है तो उस भू-भाग के लिए ‘भूमि उपयोग’ शब्द का प्रयोग उचित होगा। अर्थात् भूमि उपयोग में भू-भाग का प्राकृतिक स्वारूप क्षीण हो जाता है तथा मानवीय क्रियाओं का योगदान महत्वपूर्ण हो जाता है। तभी इसे भूमि उपयोग की संज्ञा देते है जिस पर सभी प्रकार के आर्थिक, सामाजिक एंव सांस्कृतिक कार्य प्रत्युत्पन्न होते है। मानव की आवश्यकताओं के परिपेक्ष्य में भूमि अपनी क्षमता के अनुसार एंव भूमि उपयोग के रूप में प्रतिष्ठित हो जाती है। इस स्थिति में क्षेत्र विशेष के भूमि उपयोग का वहाँ की आर्थिक-सामाजिक समस्याओं के समाधान एंव क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है अध्ययन क्षेत्र जनपद अम्बेडकर नगर पूर्वी उ0प्र0 के सरयू नदी के तट पर अवस्थिति है जहाँ कृषिगत भूमि की बहुलता है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The term 'land' is often used to express the solid part of the surface. When humans are using the land according to their needs, then it would be appropriate to use the word 'land use' for that area. That is, the natural form of the terrain gets degraded in the land use and the contribution of human activities becomes important. Only then it is called land use on which all kinds of economic, social and cultural activities are generated. In the context of human needs, land is distinguished according to its potential and as land use. In this situation, the land use of a particular area has an important contribution in the solution of economic-social problems and regional development.
मुख्य शब्द भूमि उपयोग, कृषि क्षेत्र, वन, चारागाह, बंजर भूमि, परती भूमि, कृषि अयोग्य भूमि।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Land Use, Agricultural Area, Forest, Pasture Land, Barren Land, Fallow Land, Uncultivable Land.
प्रस्तावना
भूमि एक आधारभूत प्राकृतिक संसाधन है जिस पर सभी क्रिया कलाप जैसे आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्य सम्पन्न होते है। वस्तुतः मानव की आवश्यकता के परिप्रेक्ष्य में भूमि अपनी क्षमता के अनुसार एंव भूमि उपयोग के रूप में प्रतिष्ठित हो जाती है। इस स्थिति में क्षेत्र विशेष के भूमि उपयोग प्रतिरूप का वहाँ की आर्थिक व सामाजिक समस्याओं के समाधान एंव क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। भूमि उपयोग, भमि समस्या एंव उनके नियोजन सम्बन्धी विवेचना की धुरी है। फाॅक्स ने भूमि उपयोग को निम्न रूपों में परिभाषित किया है भूमि उपयोग, भूमि प्रयोग की शोषण प्रक्रिया है। जिससे भूमि का व्यवहारिक उपयोग किसी निश्चित उद्देश्य के लिए किया जाता है अध्ययन क्षेत्र की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण एंव कृषि पर आधारित है। अतः क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए विकासखण्ड स्तर पर भूमि उपयोग का सम्यक विवेचन एंव विश्लेषण अत्यंत आवश्यक एंव महत्वपूर्ण पक्ष है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत उध्ययन का प्रमुख उद्देश्य अध्ययन क्षेत्र के भूमि उपयोग स्वरूप एंव भूमि उपयोग पर जनसंख्या के दबाव को प्रकाश में लाना है ताकि उसके आधार पर उपयोगी भूमि उपयोग की अनुकूलतम अवस्था प्राप्त होगी ऐसी दशा में कृषि अप्राप्य क्षेत्र में वृद्धि एंव कृषित क्षमता में ह्रास होगा, परन्तु शस्य-क्रम में गहनता एंव वैज्ञानिक कृषि पद्धति तथा माॅंग एंव पूर्ति पर आधारित मुद्रादायिनी फसलों की कृषि की ओर अधिक झुकाव होगा भूमि उपयोग हेतु आयोजना प्रस्तुत की जा सके।
साहित्यावलोकन

अध्ययन क्षेत्र में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण सीमित भूमि संसाधनों पर दबाव निरन्तर बढ़ता जा रहा है। जनसंख्या के पोषण के लिए भूमि से अधिकाधिक फसलें प्राप्त करने के प्रयासों तथा वाणिज्यिक कृषि हेतु भूमि पर निरन्तर एक ही फसल के उत्पादन से मिट्टी की उत्पादकता तथा उर्वरता का निरन्तर ह्रास हो रहा है मनुष्य के आर्थिक क्रिया कलापों, दोषपूर्ण कृषि पद्धतियों के अपनानें के कारण मिट्टी का अपरदन तीव्रतर हो गया है। इन सब कारणों से यह आवश्यक हो गया है कि मिट्टी का स्वास्थ्य भी बना रहे तथा उससे उत्पादन भी भरपूर हो सके इसके लिए सुनियोजित रूप से उपयोग की आवश्यकता है। उचित भूमि उपयोग हेतु मिट्टी के अतिरिक्त भूमि प्रबन्धन भूमि की भौतिक विशेषताओ को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। आर. वारलों (1961) के अनुसार भूमि संसाधन उपयोग भूमि का उपयोग अपनी आवश्यकताओं एंव इच्छाओं के अनुरूप करने में सक्षम हो जाता है जो उस समय भूमि एंव संसाधन के रूप में परिणित हो जाता है।

परिकल्पना अध्ययन क्षेत्र में कृषि कार्य से पूर्व सर्वत्र, वन, मरूभूमि, पर्वत पठार जैसी आकृतियों का आधिक्य था इस दशा में भूमि-प्रयोग ही सम्भव था। इस अवस्था में जहां कही अनुकूल दशायें सुलभ थी अस्थायी कृषि का प्रादुर्भाव हुआ। तीव्रगति से जनसंख्या बढ़ने के फलस्वारूप कृषि क्षेत्र में वृद्धि हुई है और अकृष्य क्षेत्र उत्तरोत्तर सिकुड़ता गया। इस प्रकार कृषि व्यवस्था को हम ‘जीवन निर्वाहक कृषि’ कह सकते है। धीरे-धीरे कृषि क्षेत्र बढ़ता गया और अकृष्य क्षेत्र में कमी आती गयी। जहाँ कहीं दोनों में अधिकतम सन्तुलन होगा, वहीं भूमि उपयोग की अनुकूलतम अवस्था प्राप्त होगी। ऐसी दशा में कृषि अप्राप्य क्षेत्र में वृद्धि एंव कृषित क्षमता में ह्रास होगा, परन्तु शष्य-क्रम में गहनता एंव वैज्ञानिक मुद्रादायिनी फसलों की कृषि की ओर अधिक झुकाव होगा। इस अवस्था को कृषि विकास की व्यापारिक अवस्था या भूमि संसाधन उपयोग कहा जा सकता है नगरीय भूमि उपयोग की अवस्था में कृषि अप्राप्य क्षेत्र की अपेक्षा कृषि क्षेत्र कम हो रहे है।
सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत अध्ययन में अवलोकनात्मक एंव विश्लेषणात्मक विधि तन्त्रों का प्रयोग करते हुए पूर्णतः द्वितीयक आकड़ों पर का प्रयोग किया गया है। प्राथमिक आकड़े प्रायः सर्वेक्षण पर आधारित होते है। इन आकड़ों का एकत्रीकरण कृषकों से व्यक्तिगत पूछ-ताछ प्रक्रिया के द्वारा किया गया है। इसी प्रकार द्वितीयक आकड़े विकास खण्ड स्तर पर कार्यलयों से प्रकाशित एंव अप्रकाशित दोनों रूपों से लिया गया है। तदोपरान्त समस्याओं के समाधान हेतु उपयुक्त सुझाव भी प्रस्तुत किये गए है।
न्यादर्ष

अध्ययन क्षेत्र अम्बेडकर नगर जनपद पूर्वी उ0प्र0 के अयोध्या मण्डल में स्थित है। जो एक कृषि प्रधान जनपद है। जनपद का भौगोलिक विस्तार 26011' से 26040' अक्षांश तथा82022' से 83010' पूर्वी देशान्तर तक विस्तार है। जनपदका सम्पूर्ण  भौगोलिक क्षेत्रफल 2350 वर्ग किमी0 है प्रशासनिक दृष्टि से 5 तहसीले अकबरपुर, टाण्डा, जलालपुर, भीटी, आलापुर है। अध्ययन क्षेत्र में विकासखण्डों की सख्या 9 है। जो इस प्रकार है। अकबरपुर, कटेहरी, भीटी, टाण्डा, बसखारी, जलालपुर, भियांव, रामनगर, जहांगीरगंज है। जिसकी कुल जनसंख्या 3298709 (2011) जनसंख्या घनत्व 950 प्रति वर्ग किमी., साक्षरता दर 72.23 प्रतिशत, लिंगानुपात 978, समुद्रतल से स्थल खण्ड की ऊंचाई 188.8 मी0 है।

विश्लेषण
आधुनिक वैज्ञानिक युग में सभी उपलब्ध साधनों के समुचित उपयोग हेतु निम्न नए तकनीकी ज्ञान एंव संयंत्रों की उपलब्धियों से पूर्ण रूप से प्रभावित है जनपद में भूमि उपयोग प्रतिरूप को परिवर्तन स्वारूप का विवेचन एंव विश्लेषण किया गया है साथ ही वर्ष 2018-2019 के अनुसार विकासखण्ड स्तर पर भूमि उपयोग प्रतिरूप का विवेचन किया गया है अध्ययन क्षेत्र में वर्ष 2018-2019 के अनुसार विकास खण्डवार भूमि उपयोग प्रतिरूप का विवरण तालिका संख्या से स्पष्ट है। तालिका सं0 1 के अवलोकन से स्पष्ट है कि जनपद अम्बेडकर नगर में वर्ष 1998-1999 की तुलना में वर्ष 2018-19 में वन क्षेत्रफल 0.22 प्रतिशत से घटकर 0.13 प्रतिशत हो गया हैकृषि योग्य बंजर भूमि का क्षेत्रफल 1.54 प्रतिशत से घटकर 1.40 प्रतिशत हो गया हैशुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 70.99 प्रतिशत से बढ़कर 73.53 प्रतिशत हो गया कृषि बेकार भूमि में क्षेत्रफल 2.59 प्रतिशत से घटकर 2.88 प्रतिशत हो गयाअन्य परती का क्षेत्रफल 2.76 प्रतिशत से घटकर 1.10 प्रतिशत हो गयाकृषि के अतिरिक्त अन्य उपयोग की भूमि का क्षेत्रफल 14.50 प्रतिशत से बढ़कर 17.82 प्रतिशत हो गया । चारागाह भूमि का क्षेत्रफल में समानता है। उद्यानों वक्षों एंव झाड़ियों में भूमि क्षेत्रफल 1.92 प्रतिशत से घटकर 0.96 प्रतिशत है जनपद में भूमि उपयोग प्रारूप का परिवर्तित स्वारूप निम्नलिखित तालिका संख्या से स्पष्ट है। जनपद में भूमि उपयोग प्रारूप का विवरण निम्नवत है।

क्र0 स      

भूमि उपयोग

वर्ष 1998     

वर्ष 2018-19

परिवर्तन प्रतिशत

1

शुद्ध बोया गया क्षे0

70.99

73.53

3.63

2

कृष्य बेकार भूमि

2.59

1.89

-27.06

3

वन

0.22

0.13

-34.40

4

वर्तमान परती

5.20

2.88

-44.55

5

अन्य परती

2.76

1.10

-59.96

6

ऊसर एंव कृषि अयोग्य भूमि

1.54

1.40

-8.90

7

कृषि के अतिरिक्त अन्य उपयोग की भूमि

14.50

17.82

22.87

8

चारागाह

0.24

0.24

0.68

9

उद्यानों एंव वृक्षोंझाड़ियों का क्षेत्रफल

1.92

0.96

-49.65

स्रोत - सांख्यिकी पत्रिका अम्बेडकर नगर वर्ष 1998-99, 2018-19









सामान्य भूमि उपयोग वर्गीकरण-भूमि उपयोग संसाधन 

शुद्ध बोया गया (क्षे0) भूमि - शुद्ध कृषित भूमिभूमि उपयोग का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है इसके उपयोग की विभिन्न अवस्थाएं मानव के सामाजिकआर्थिक व सांस्कृतिक विकास स्तर का द्योतक है। अध्ययन क्षेत्र अम्बेडकर नगर समतल उपजाऊ मिट्टी वाला भाग है। यहां के शुद्ध कृषित भूमि के क्षेत्र में परिवर्तन हुए है वर्ष 1998-99 में जनपद के कुल क्षेत्रफल का 70.99 प्रतिशत भाग शुद्ध कृषित था जो वर्ष 2018-19 में 73.53 प्रतिशत हो गया । विकास खण्ड स्तर पर अध्ययन क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि कटेहरी विकासखण्ड में 78.08 प्रतिशत है। व सबसे कम टाण्डा विकासखण्ड 64.52 प्रतिशत मिलती है।

तालिका सं0 2 जनपद अम्बेडकर नगर भूमि उपयोग प्रतिरूप वर्ष 2018-19 क्षेमें (प्रतिशत में)

विकासखण्ड

शुद्ध बोया गया क्षे0

कृष्य बेकार भूमि

वन

वर्तमान परती

अन्य परती

ऊसर एंव कृषि के अयोग्य भूमि

चरागाह

उद्यानों एंव वृक्षों झाड़ियों का क्षे.

कृषि के अतिरिक्त अन्य भूमि उपयोग

भीटी

75.10

1.94

0.14

3.77

0.95

1.35

0.31

1.50

14.89

कटेहरी

78.08

2.07

0.05

5.69

0.45

1.12

0.74

0.85

10.93

अकबरपुर

75.67

2.10

0.35

5.05

0.21

1.98

0.25

0.56

13.89

टाण्डा

64.52

2.20

0.31

1.88

1.56

1.20

0.11

3.19

25.00

बसखारी

70.74

1.51

0.05

1.2

1.31

0.95

0.11

0.30

23.72

रामनगर

76.75

1.37

0.08

2.68

0.64

1.20

0.21

0.21

18.07

जहाँगीरगंज

73.08

1.17

0.00

3.00

1.14

1.30

0.08

0.35

19.86

जलालपुर

74.46

2.25

0.09

1.47

1.81

1.96

0.25

0.62

17.04

भियांव

77.10

1.99

0.15

1.27

2.43

0.96

0.11

0.19

15.81

योग जनपद

73.53

1.89

0.13

2.88

1.10

1.40

0.24

0.96

17.82

स्रोत - सांख्यिकी पत्रिका अम्बेडकर नगर वर्ष 2018-19

2 कृष्य बेकार भूमि - अध्ययन क्षेत्र में वर्ष 1998-99 में 2.59 प्रतिशत जनपद में पायी जाती है। वहीं वर्ष 2018-19 में 1.89 प्रतिशत पायी गई इस प्रकार जनपद स्तर में कृष्य बेकार भूमि में सुधार कियें गयें है। जिससे कृष्य बेकार भूमि में कमी देखी जा रही है। यदि विकासखण्ड स्तर पर देखे तो वर्ष 1998-99 में कटेहरी विकास खण्ड स्तर पर 4.54 प्रतिशत थी जो सबसे अधिक की गणना की गई वहीं सबसे कम कृष्य बेकार भूमि जहाँगीरगंज विकासखण्ड 1.02 प्रतिशत था। वर्ष 2018-19 की बात करें जो सबसे अधिक कृष्य बेकार भूमि में जलालपुर 2.25 प्रतिशत देखा गया है। वही सबसे कम जहाँगीरगंज विकासखण्ड 1.17 देखा गया है।

3 वन- अध्ययन क्षेत्र में वन वर्ष 1998-99 में 0.22 प्रतिशत था जो वर्ष 2018-19 में घटकर 0.13 प्रतिशत रह गया है जिससे वन क्षेत्र में गिरावट देखी जा रही है। इसका कारण जनसंख्या वृद्धि है। विकासखण्ड स्तर पर देखा जाये तो वर्ष 1998-99 में सबसे अधिक कटेहरी में 0.44 प्रतिशत था वही वर्ष 2018-19 में सबसे अधिक वन टाण्डा 0.31 प्रतिशत है। यदि कमी की दृष्टि से देखे तो वर्ष 1998-99 में भियांव था जो 0 है। एंव वर्ष 2018-19 में जहाँगीरगंज में जीरो प्रतिशत देखा जा रहा इसका कारण नगरी विकास का होना।

4 वर्तमान परती - अध्ययन क्षेत्र में वर्तमान परती वर्ष 2018-19 में 2.88 प्रतिशत है यदि विकासखण्ड स्तर पर देखे तो सबसे अधिक कटेहरी विकासखण्ड में 5.69 प्रतिशत है व कमी की दृष्टि से बसखारी 1.26 प्रतिशत देखा गया है।

5 अन्य परती - अध्ययन क्षेत्र में अन्य परती का क्षेत्र वर्ष 1998-99 में जनपद स्तर पर 2.76 प्रतिशत था वही वर्ष 2018-19 में घट कर 1.10 प्रतिशत ही रह गया इसका कारण है संसाधनों का विकास।

6 ऊसर एंव कृषि अयोग्य भूमि - ऊसर एंव कृषि अयोग्य भूमि का अभिप्राय वर्तमान समय में ऐसी भूमि से है। जिसमें वैज्ञानिक अनुसंधानोंनवीन कृषि यंत्रोंसिंचाई के साधनोंअभिनव तकनीकी ज्ञान ऐसी सुविधाओं के उपरान्त भी आर्थिक दृष्टि से शुद्ध लाभप्रद कृषिगत क्षेत्र में न लाया जा सके। अध्ययन क्षेत्र में वर्ष 1998-99 में कृषि अयोग्य भूमि 1.56 प्रतिशत था वही वर्ष 2018-19 में 1.40 प्रतिशत रह गया जो घटोत्तरी को दर्शाता है। विकासखण्ड स्तर पर 1998-99 में सबसे अधिक 2.26 प्रतिशत अकबरपुर है व 2018-19 में सबसे अधिक अकबरपुर 1.98 है। फिर भी प्रतिशत कमी देखी जाती है।

7 चारागाह - अध्ययन क्षेत्र में वर्ष 1998-99 में जनपद स्तर पर 0.24 प्रतिशत था वही वर्ष 2018-19 में 0.24 प्रतिशत जो जनपद स्तर पर चारागाह भूमि में कोई परिवर्तन नही है। विकासखण्ड स्तर पर वर्ष 1998-99 में सबसे अधिक कटेहरी 0.94 प्रतिशत है। एंव वर्ष 2018-19 में सबसे अधिक टाण्डा विकासखण्ड 3.19 प्रतिशत में देखा गया है।

8 उद्यान वृक्ष एंव झाड़ियों - अध्ययन क्षेत्र में वर्ष 1998-99 में जनपद स्तर 1.92 प्रतिशत था वही 2018-19 में घटकर 0.96 प्रतिशत हो गया है। विकासखण्ड स्तर पर देखे तो वर्ष 1998-99 में सबसे अधिक टाण्डा विकासखण्ड 5.67 प्रतिशत वर्ष 2018-19 में सबसे अधिक 3.19 प्रतिशत है फिर भी घटोत्तरी देखी जा रही है।

9 कृषि के अतिरिक्त अन्य भूमि उपयोग- कृषि अतिरिक्त अन्य उपयोग में लाई गई भूमि के अन्तर्गत वह भूमि सम्मिलित की जाती है जिसका उपयोग इमारतोंसड़कोंरेलमार्गोंनदियोंनहरोंजैसे कार्यो में किया जाता है अध्ययन क्षेत्र में कृषि के अतिरिक्त अन्य उपयोग में लाई गई भूमि का क्षेत्रफल वर्ष 1998-99 में 14.50 प्रतिशत था वर्ष 2018-19 में जनपद में 17.82 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। विकासखण्ड स्तर की बात करे तो सबसे अधिक वर्ष 1998-99 में टाण्डा 23.80 प्रतिशत एंव वर्ष 2018-19 में टाण्डा विकासखण्ड में 25.00 प्रतिशत जो वृद्धि को दर्शाता है।

कृषि भूमि उपयोग एंव प्रबन्धन- भूमि उपयोग प्रबन्धन हेतु एक वैज्ञानिक सुझाव प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसके संचालन से उम्मीद है कि अम्बेडकरनगर जनपद में भूमि उपयोग बेहतर ढंग का होगा और इसके अपनाने से अनेक समस्याओं का समाधान सम्भव है।

निष्कर्ष अध्ययन क्षेत्र अम्बेडकर नगर जनपद के अन्तर्गत भूमि उपयोग का स्थानिक प्रतिरूप मुख्य रूप से प्राकृतिक वातावरण से प्रभावित है लेकिन इसके साथ ही साथ सामाजिक एंव आर्थिक कारकों का प्रभाव भी अच्छी तरह दिखाई पड़ता है। क्षेत्रीय विषमताओं के आधार पर विकासखण्ड स्तर पर पर्याप्त भिन्नता मिलती है। अध्ययन से स्पष्ट है कि अम्बेडकर नगर जनपद में भूमि उपयोग अव्यवस्थित होता जा रहा है। अतः अध्ययन क्षेत्र में भूमि उपयोग का नियोजन प्रबन्धन आवश्यक है। नियोजन के तहत जहाँ एक तरफ से उपयोग में लायी जा रही भूमि का उचित एंव सुव्यवस्थित उपयोग आवश्यक है। वही दूसरी ओर जो भूमि अवशेष बची है उसका उपयोग उचित एंव आवश्यकता को ध्यान में रखकर करना ही श्रेयस्कर होगा।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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