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विभिन्न महिलाओं की यौन रोग सम्बन्धी जागरूकता का अध्ययन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Study of Sexual Dysfunction Awareness of Different Women | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
Paper Id :
17153 Submission Date :
2023-02-10 Acceptance Date :
2023-02-23 Publication Date :
2023-02-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
वर्तमान युग में महिलाओं की जागरूकता में पर्याप्त वृद्धि हुई है। महिलायें अनेक क्षेत्रों में जागरूक होकर अपने कार्यो को सरल एवं सुविधाजनक बना रही है। परन्तु पारम्परिक अभिवृत्ति के कारण महिलायें स्वयं को दोयम दर्जे का समझती है तथा स्वयं को सबसे अन्तिम पंक्ति में रखकर स्वयं ही अपनी उपेक्षा करती है। जागरूकता के अभाव में कभी-कभी वे यौन रोगों सम्बन्धी विकारों से भी ग्रसित हो जाती है। यदि महिलाओं को उचित समय पर यौन रोग सम्बन्धी जानकारी प्रदान कर दी जाये तो उनके जागरूकता के स्तर में पर्याप्त वृद्धि दिखाई देती है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | In the present era, there has been a substantial increase in the awareness of women. Women are making their work easy and convenient by becoming aware in many fields. But due to traditional attitude, women consider themselves to be second class and neglect themselves by keeping themselves in the last row. Due to lack of awareness, sometimes they also suffer from sexually transmitted diseases. If women are provided with information related to sexual diseases at the right time, then there is a substantial increase in their awareness level. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द | यौन, रोग, सम्बन्धी। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Sexual, Disease, Related. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्तावना |
प्रत्येक व्यक्ति अपने सम्बन्धित वातावरण के प्रति सजग होता है। उससे सम्बन्धित अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना चाहता है -
व्यक्ति का यह ज्ञान अर्जन उसकी बुद्धि आवश्यकता स्वभाव एवं अवस्था पर निर्भर करता है। जिसका शाब्दिक अर्थ है - सम्बन्धित विषय से जानकारी प्राप्त करना। महिलाओं की जागरूकता में यद्यपि वृद्धि हुई है परन्तु फिर भी उसे सन्तोषजनक नहीं का जा सकता। विशेषरूप से स्वयं के प्रति महिलाओं की अभिवृत्ति नकारात्मक होती है। इस कारण वे स्वयं पर अधिक ध्यान नहीं दे पाती हैं। महिलायें यौन अंगों की स्वच्छता तथा यौन संज्ञान व्यवहार से अनभिज्ञ रहती है और शीघ्र यौन संक्रमण का शिकार हो जाती है। यौन संक्रमण हो जाने पर भी वे इसे डॉक्टर या अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों को बताने में झिझक महसूस करती है। जिससे वे कभी-कभी गम्भीर यौन रोगों से ग्रसित हो जाती है तो उन्हे यौन रोगों की जानकारी होना आवश्यक है।
ऐसे रोग जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ्य व्यक्ति में लैंगिक क्रिया द्वारा फैलते हैं, उन्हे यौन संचारित रोग कहते हैं। जैसे गोनोरिया, सिफलिस, क्लेमाइडिएसिस जेनाइटल, हर्पीज, जनन मस्से, एडस, ट्राइकोमोनिएसिस, हेपेटाइटिस-बी।
ये भयानक रोग जागरूकता में कमी के कारण ही दिखाई देते हैं। यदि यौन सम्बन्ध बनाते समय कुछ सावधानियाँ रखी जा सके जो कि जागरूकता से ही सम्भव है तो इनका निदान समय पर किया जा सकता है या रोग होने के पूर्व ही महिलायें सतर्क हो सकती है। इस गम्भीर विषय को शोध कार्य हेतु शोधार्थी द्वारा चयनित किया गया है।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. चयनित महिलाओं की सामान्य यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता का अध्ययन करना।
2. परामर्श के पश्चात् यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता का अध्ययन करना। |
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साहित्यावलोकन | शोधकर्ता व शोध के बीच की। यह शोधकर्ता को निश्चित
दिशा भी प्रदान करती हैं। अतः इस शोध कार्य हेतु निम्नलिखित साहित्य का अध्ययन
किया गया है। 1. एस0मोऊ जमन (2015)
- इन्होने अपने शोध अध्ययन मंे यौन संचारित रोगों के बारे में
जागरूकता सम्बन्धी सर्वेक्षण किया। जिसमें पाया कि शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी है। 2. सिंह अरूण (2012) - इन्होने 620 शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं पर
यौन संचारित रोगाों तथा प्रजनन तंत्र के संक्रमण पर जागरूकता का अध्ययन किया।
निष्कर्ष में यह प्राप्त हुआ कि ग्रामीण महिलाओं की तुलना में शहरी क्षेत्रों में
यह संक्रमण अधिक देखा गया। 3. ठाकुर ईसा (2018) - इसका शोध अध्ययन मासिक धर्म के समय उत्पन्न समस्याओं से सम्बन्धी जागरूकता
पर है। जिसमें परिणमस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में
समस्यायें कम पायी गयी। 4. चेन मिंगझू (2020) - इन्होनें अपने शोध अध्ययन में प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता का
अध्ययन किया। निष्कर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में इस सम्बन्ध में जागरूकता की कमी
थी।
5. दाऊद
सपना (2022) - इन्होनें महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य से
सम्बन्धी बांझपन जैसी समस्या की जानकारी का अध्ययन किया। परिणामस्वरूप पाया कि
शहरी क्षेत्रों में यह समस्या अधिक है। |
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अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी | तालिका क्रमांक - 01 महिलाओं की परामर्श पूर्व यौन
रोगों सम्बन्धी जागरूकता के स्तर को प्रदर्शित करने वाली तालिका
उपरोक्त तालिका शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं की परामर्श
पूर्व यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता के स्तर से सम्बन्धित है। इस तालिका में
जागरूकता के स्तर को उच्च, मध्य एवं निम्न जागरूकता में
वर्गीकृत किया गया है। जिसमें सर्वाधिक जागरूकता शहरी महिलाओं में 50 प्रतिशत पायी
गयी अर्थात् शहरी महिलाओं की यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता पर्याप्त थी। जबकि 150
ग्रामीण महिलाओं की यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता पर्याप्त थी। जबकि 150 ग्रामीण
महिलाओं में से 40.67 प्रतिशत महिलाओं में उच्च स्तर की जागरूकता दिखाई दी। इसके
पश्चात् शहरी महिलाओं में मध्यम स्तर और निम्न स्तर की जागरूकता पायी गयी। जो
क्रमशः 40.67 प्रतिशत एवं 09.33 प्रतिशत थी। जबकि ग्रामीण महिलाओं में अपेक्षाकृत
कम जागरूकता का स्तर दिखाई दिया। जो कि क्रमशः 36.67 प्रतिशत तथा 22.66 प्रतिशत
था। तालिका क्रमांक - 02 महिलाओं की परामर्श के पूर्व यौन रोगों
सम्बन्धी जागरूकता के मध्य सार्थकता के स्तर को प्रदर्शित करने वाली तालिका
उपर्युक्त तालिका शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं की
परामर्श के पूर्व यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता के मध्य सार्थकता के स्तर को
प्रदर्शित करती है। इसमें दोनों समूहों के मध्य जागरूकता के स्तर में स्पष्ट अन्तर
दिखाई दिया। जिसका t मान 3.991 प्राप्त हुआ। जो कि p
वेल्यू Ð0.05 स्तर पर अपनी सार्थकता प्रगट करता है। तालिका क्रमांक - 03 महिलाओं की परामर्श के पश्चात्
यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता के स्तर को प्रदर्शित करने वाली तालिका
उपरोक्त तालिका चयनित शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं की
परामर्श के पश्चात् यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता के स्तर को प्रदर्शित करती है।
शहरी क्षेत्रो में उच्च जागरूकता स्तर की 86 प्रतिशत महिलायें पायी गयी। जबकि
ग्रामीण महिलाओं में 66 प्रतिशत जागरूकता प्राप्त हुई। इसके पश्चात् शहरी महिलाओं
में मध्यम स्तर और निम्न स्तर की जागरूकता पायी गयी। जो क्रमशः 10.67 प्रतिशत तथा
03.33 प्रतिशत थी। जबकि ग्रामीण महिलाओं में अपेक्षाकृत जागरूकता कम दिखाई दी। जो
कि क्रमशः 35.33 प्रतिशत तथा 04.00 थी। तालिका क्रमांक - 04 महिलाओं की परामर्श के पश्चात यौन रोगों
सम्बन्धी जागरूकता के मध्य सार्थकता के स्तर को प्रदर्शित करने वाली तालिका
उपर्युक्त तालिका शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं की
परामर्श के पश्चात् यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता के मध्य सार्थकता के स्तर को
प्रदर्शित करती है। इसमें 150 शहरी महिलाओं का माध्य 9.54 तथा विचलन 2.12 था। जबकि
ग्रामीण महिलाओं में माध्य 7.95 तथा विचलन 2.44 पाया गया। दोनों समूहों का t मान 6.025 प्राप्त हुआ। जो P वेल्यू Ð0.05 स्तर पर अपनी सार्थकता प्रकट करता
है। |
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जाँच - परिणाम | सांख्यिकी विश्लेषण का उपयोग कर निम्नलिखित तालिकाएँ निर्मित की गई है - तालिका क्रमांक - 02 महिलाओं की परामर्श के पूर्व यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता का प्रदर्शन करती है। इसमें महिलाओं के दोनों समूहों के मध्य ज का मान 3.391 है जो कि च वेल्यू 0.05 स्तर पर अपनी सार्थकता प्रकट करता है। तालिका क्रमांक-04 महिलाओं की परामर्श के पश्चात यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता का प्रदर्शन करती है। इसमें महिलाओं के दोनों समूहों के मध्य ज का मान 6.025 है जो कि च वेल्यू 0.05 स्तर पर अपनी सार्थकता प्रकट करता है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
निष्कर्ष |
इस प्रकार यह शोध कार्य स्पष्ट करता है कि -
1. महिलाओं की यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता में सार्थक अन्तर पाया जाता है।
2. महिलाओं की यौन रोगों सम्बन्धी जागरूकता परामर्श के पश्चात परिवर्तित होती है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. Zaman mou S, Ahmed Bhaiya F. (2015) Knowledge and Perceptions of sexually transmitted disease HIV/AIDS and reproductive health among female students in Dhaka, Banglades. Vol -2 Page. No. 44-52
2. अनुसन्धान विधियाँ (श्रीवास्तव डी0एन0) तृतीय संस्करण, साहित्य प्रकाशन आगरा।
3. Shing Arun, Mahmood S.E. et al. (2012) – A comparative study of health care seeking behavior of women of reproductive age for sexually transmitted Disease reproductive tract infections in the rural and urban areas of Bareilly District. Vol -3 page No. 25-30
4. Chen mingzhu and Luo yang (2020) – Reproductive health. Status and related knowledge among women aged 20-39 years in rural china : a cross sectional study.
5. Isha Thakur (2018) – Comparative study of Assess the menstrual hygiene practices among adolescent girls of urban and rural schools of Ludhiana Punjab. Int. J. Vol – 2, Page No. 586-600
6. Sapna Daud (2022) – Comparison study of Infertility Issues in Rural and Urban Areas. |