P: ISSN No. 2394-0344 RNI No.  UPBIL/2016/67980 VOL.- VII , ISSUE- XI February  - 2023
E: ISSN No. 2455-0817 Remarking An Analisation
माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की आत्म प्रभावकारिता के विभिन्न स्तरों पर वृत्तिक दबाव व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सहसम्बन्ध का अध्ययन
A Study of Correlation Between Occupational Stress And Professional Ethics At Different Levels Of Self Efficacy of Secondary School Teachers
Paper Id :  17177   Submission Date :  14/02/2023   Acceptance Date :  21/02/2023   Publication Date :  25/02/2023
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प्रवीण कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर
बी एड विभाग
फीरोज गांधी कॉलेज
रायबरेली,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश प्रस्तुत शोध कार्य में माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की आत्म प्रभावकारिता के विभिन्न स्तरो पर वृत्तिक दबाव व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सहसम्बन्ध का अध्ययन किया गया है। शोधकर्ता द्वारा मानकीय सर्वेक्षण एवं सहसम्बन्धात्मक विधि का उपयोग किया गया। शोध की जनसंख्या में रायबरेली जनपद में अवस्थित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत समस्त अध्यापक हैं, जिनमें से न्यादर्श हेतु 400 शिक्षकों का चयन बहु स्तरीय दैव निदर्श विधि से किया गया। शोध कार्य में वृत्तिक दबाव को स्वतंत्र चर, व्यावसायिक नीतिबोध को आश्रित चर एवं आत्म प्रभावकारिता को मध्यस्थ चर मानते हुए अध्ययन किया गया। चयनित न्यादर्श पर उपयुक्त उपकरणों के प्रशासन से प्राप्त आंकड़ों को सारणीबद्ध किया गया, उनको वर्गवार विभाजित करके सहसंबंध गुणांक की गणना की गई। प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण द्वारा शोध परिकल्पना का परीक्षण किया गया। परिणामस्वरूप परिलक्षित हुआ कि आत्म प्रभावकारिता का स्तर अपेक्षाकृत अधिक होने से माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक विद्यालय में नकारात्मक वातावरण एवं विपरीत परिस्थितियों से उत्पन्न वृत्तिक दबाव का प्रबंधन करने में सफल होते हैं जबकि आत्म प्रभावकारिता के निम्न स्तर पर कार्य स्थल पर उत्पन्न वृत्तिक दबाव का सामना करने में माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अधिक वृत्तिक दबाव में शिक्षकों का व्यावसायिक नीतिबोध भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होता हुआ पाया गया। शोध कार्य के निष्कर्षों के आधार पर शिक्षकों हेतु एक स्पष्ट एवं आदर्श आचार संहिता के विकास के साथ साथआत्म प्रभावकारिता के विकास एवं परिमार्जन हेतु वैयक्तिक एवं सामूहिक स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the present research work, the correlation between professional pressure and professional ethics at different levels of self-efficacy of secondary school teachers has been studied. Standard survey and correlational method was used by the researcher. The research population consists of all the teachers working in secondary schools located in Rae Bareli district, out of which 400 teachers were selected for the sample by multi-level random sampling method. In the research work, the study was conducted considering professional pressure as independent variable, professional ethics as dependent variable and self-efficacy as mediator variable. The data obtained from the administration of the appropriate instruments on the selected sample were tabulated, divided class wise and the correlation coefficient was calculated. The research hypothesis was tested by analyzing the obtained data. As a result, it was reflected that secondary school teachers with relatively high level of self-efficacy are able to manage professional pressure arising from negative environment and adverse situations in the school, while secondary school teachers with low level of self-efficacy are less able to cope with professional pressure generated at workplace. The teachers have to face difficulties. Professional ethics of the teachers were also found to be affected negatively under high professional pressure. Based on the findings of the research work, along with the development of a clear and ideal code of conduct for the teachers, suggestions have been presented for the development and improvement of self-efficacy at the individual and group level.
मुख्य शब्द माध्यमिक विद्यालय, आत्म प्रभावकारिता, वृत्तिक दबाव एवं व्यावसायिक नीतिबोध।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Secondary school, self-efficacy, career stress, and business ethics.
प्रस्तावना
शिक्षा प्रक्रिया में कितने लोग सक्रिय रहते हैं? या उनमें से कौन सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है? जैसे प्रश्नों के उत्तर तो अलग-अलग आ सकते हैं लेकिन यदि यह पूछा जाये कि शिक्षा प्रक्रिया का आयोजन किसके लिए किया जाता है? तो निःसंदेह प्रत्येक उत्तर एक ही बात कहेगा- बालक के लिए। शिक्षा प्रक्रिया निःसंदेह बालक के सर्वांगीण विकास हेतु वातावरण उपलब्ध कराने तथा उसे अपनी योग्यताओं, क्षमताओं आदि को सर्वोत्कृष्ट रूप में विकसित करने के लिए अवसर प्रदान करती है। शिक्षा प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह शिक्षा मंत्री हो, प्रशासनिक अधिकारी हो, संस्था प्रधान हो, शैक्षिक परामर्शदाता हो, शिक्षक हो, अभिभावक हो सभी का लक्ष्य बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास ही होता है। व्यक्ति जन्म से ही दूसरे व्यक्ति से भिन्न योग्यताएं, क्षमताएं आदि लेकर पैदा होता है और वह आजीवन दूसरे से भिन्न ही बना रहता है। मनोविज्ञान वैयक्तिक भिन्नता के सिद्धांत पर बल देता है। शिक्षा के सभी स्तरों में माध्यमिक शिक्षा का विशेष महत्व होता है। क्योंकि यह उन विद्यार्थियों की शिक्षा से संबंधित है जो किशोरावस्था में होते हैं। इस अवस्था की अपनी अलग ही विशेषताएं होती हैं। इन विशेषताओं के कारण ही इन्हें शिक्षा भी विशेष सावधानी रखकर दी जाती है। इसलिए इस शिक्षा में अपनी भूमिका अदा कर रहे शिक्षकों, शिक्षिकाओं तथा संस्था प्रधानों को कुछ अधिक ही सचेत रहना पड़ता है। यदि वृत्तिक परिस्थितियों, आत्म प्रभावकारिता या पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण शिक्षकों के व्यवसायिक नीतिबोध में कमी आती है तो इसका स्पष्ट प्रभाव बालकों के अधिगम तथा शिक्षकों की कार्यकुशलता पर पड़ता है। अधिक वृत्तिक दबाव में शिक्षक शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिससे अधिगम उपयुक्त ढंग व परिस्थितियों में नहीं हो सकेगा। शिक्षक की आत्म प्रभावकारिता एवं उसके वृत्तिक दबाव के मध्य सम्बन्धों के स्वरूप का स्पष्ट अवबोध शिक्षण प्रभावशीलता में वृद्धि की दृष्टि से आवश्यक है। इसी प्रकार शिक्षक की आत्म प्रभावकारिता तथा व्यावसायिक नीतिबोध के अंतर्सम्बन्धों की गतिकी का बोध भी शिक्षण-अधिगम परिस्थितियों के सुधार में सहायक होगा। शोध में अध्ययन हेतु चयनित कारक विद्यालय संगठनात्मक परिवेश के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अतः इनसे संबंधित किसी भी व्यवस्थित एवं विज्ञान सम्मत शोध अध्ययन के निष्कर्ष संगठनात्मक उपलब्धियों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए शोधकर्ता को विश्वास है कि प्रस्तावित शोध अध्ययन की प्राप्तियां शैक्षिक क्षेत्र को अनेक प्रकार से सहायक होंगी।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध का उद्देश्य “माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की आत्म प्रभावकारिता के विभिन्न स्तरों पर वृत्तिक दबाव व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सहसम्बन्ध का अध्ययन करना” है।
साहित्यावलोकन

अबू नईमए मोहम्मद (2022) ने "रिलेशनशिप अमंग इमोशनल इंटेलिजेंस, सेल्फ एफीकेसी एंड एकेडमिक स्कोर ऑफ अंडर ग्रैजुएट स्टूडेंट्स इन बांग्लादेश" पर अध्ययन किया। यह शोधकार्य बांग्लादेश के 8 डिवीजन के अंतर्गत 20 विश्वविद्यालयों एवं उनसे संबद्ध महाविद्यालयों के 3200 विद्यार्थियों पर किया गया। न्यादर्श में संपूर्ण जनसंख्या का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए स्तरीकृत यादृच्छिक न्यादर्श विधि का प्रयोग किया गया। अध्ययन के परिणामों में महिला विद्यार्थियों में सांवेगिक बुद्धि का स्तर पुरुष विद्यार्थियों से अधिक पाया गया। सांवेगिक बुद्धि और आत्म प्रभावकारिता के मध्य बहुत कम सकारात्मक सहसंबंध (r=.27) पाया गया। यह अंतर .01 स्तर पर सार्थक था। अंतिम सेमेस्टर परीक्षा परिणामों का सांवेगिक बुद्धि एवं आत्म प्रभावकारिता दोनों के साथ भी बहुत कम सकारात्मक सहसंबंध क्रमशः (r=.15) एवं (r=.46) पाया गया। अध्ययन में सुझाया गया कि सांवेगिक बुद्धि का विकास करने हेतु इससे संबंधित पाठ्यचर्या एवं पाठ्य सहगामी क्रियाओं को  कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।

कुमार, प्रवीण (2021) ने "अध्यापकों के लिए व्यावसायिक नीतिबोध की आवश्यकता: एक अध्ययन" में अध्यापकों के लिए एक आदर्श व्यवसायिक नीतिबोध एवं प्रमुख व्यवसायिक आचार संहिता की आवश्यकता की ओर ध्यान आकर्षित किया। शोध पत्र में नीतिबोध की उन नैतिक सिद्धांतों के रूप में व्याख्या की गई जिनके आधार पर मानवीय क्रियाएं और उद्देश्यों का मूल्यांकन संभव हो सके। व्यावसायिक नीतिबोध एवं व्यवसायिक आचार संहिता दोनों का संबंध व्यवसायिक क्रियाओं में नैतिकता की स्थापना से है। इसके बावजूद दोनों में सैद्धांतिक अंतर पाया जाता है। नीति बोध मूल आधार है, जबकि आचार संहिता नीति संहिता पर आधारित एक दस्तावेज है। नीतिबोध आदर्श है, जबकि आचार संहिता उसका क्रियान्वयन है। शिक्षण की एक व्यवसाय के रूप में छवि सुधारने के लिए एक नैतिक आचार संहिता का होना आवश्यक है। शोधपत्र में शिक्षकों से संबंधित व्यवसायिक नीतिबोध को 6 कारकोंशिक्षक, वृत्ति पक्ष, शिक्षक, विद्यार्थी पक्ष, शिक्षक, सहकर्मी पक्ष, शिक्षक, प्रबंधन पक्ष, शिक्षक, अभिभावक पक्ष, एवं शिक्षक, समाज पक्ष के रूप में एक आदर्श आचार संहिता भी प्रस्तुत की गई।

मीरा और जुमाना (2015) ने "अंग्रेजी में आत्म,प्रभावकारिता और अकादमिक प्रदर्शन" शीर्षक से एक सर्वेक्षण अध्ययन किया है। यह अध्ययन केरल में किया गया है। अध्ययन के उद्देश्य थे यह पता लगाने के लिए कि क्या माध्यमिक विद्यालय के छात्रों में अंग्रेजी भाषा में आत्म-प्रभावकारिता और अकादमिक प्रदर्शन में कोई महत्वपूर्ण अंतर है और माध्यमिक विद्यालय के छात्रों के अंग्रेजी भाषा में आत्म, प्रभावकारिता और अकादमिक प्रदर्शन में अंतर लिंग, पर्यावरण और प्रबंध के प्रकार के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर को ज्ञात करना। अध्ययन हेतु न्यादर्श कालीकट जिले, केरल से 520 माध्यमिक विद्यालय के छात्र (स्तरीकृत यादृच्छिक तकनीक का उपयोग करके)  लिए गए। शोधकर्ताओं ने डेटा एकत्र करने के लिए उपयोग की जाने वाली आत्म.प्रभावकारिता के पैमाने को विकसित और मानकीकृत किया। अध्ययन में कंटेंट और कंस्ट्रक्ट वैधता स्थापित की गई थी और परीक्षण-पुनः परीक्षण विधि से  विश्वसनीयता गुणांक की गणना 0.892 ज्ञात किया गया।  माध्यमिक विद्यालय के छात्रों (नौवीं कक्षा) से डेटा एकत्र किया गया था। प्रदत्तों का विश्लेषण करने के लिए SPSS संस्करण 18.0 का उपयोग, प्रारंभिक वर्णनात्मक सांख्यिकी, तत्पश्चात टी-टेस्ट और पियर्सन के प्रोडक्ट मोमेंट सहसंबंध का उपयोग किया गया था। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि अंग्रेजी में अकादमिक प्रदर्शन और शहरी और ग्रामीण छात्रों की आत्म-प्रभावकारिता में महत्वपूर्ण अंतर था। इसके अतिरिक्त लिंग और प्रबंध के प्रकार के संबंध में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था। यह भाषा कक्षा में किए गए अध्ययनों में से एक है, यह सिद्ध करने के लिए कि ग्रामीण और शहरी दोनों  के छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए भाषा कक्षा में आत्म-प्रभावकारिता का उपयोग किया जा सकता है। इस अध्ययन से मानकीकृत पैमानों को मुख्य अध्ययन के लिए शोधकर्ता द्वारा संशोधित किया गया था। इस समीक्षा ने शोधकर्ता को छात्रों के स्तर का चयन करने, डेटा एकत्र करने के लिए उपकरणों के मानकीकरण और उपयुक्त सांख्यिकीय तकनीकों के उपयोग के लिए सक्षम बनाया।

रीमर्सए जैकसन ई0 एवं अन्य (2015) ने "एन इंटरोडक्शन टू द स्टैण्डर्स फॉर परीपरेशन एण्ड प्रोफेशनल डवलेपमेण्ट फॉर टीचर्स ऑफ इंजीनियरिंग" पर अध्ययन किया। अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि गत तीस वर्षों में गणित एवं विज्ञान के अध्यापकों के व्यावसायिक विकास हेतु उपयुक्त व्यावसायिक विकास कार्यक्रम के निर्माण एवं चयन हेतु पर्याप्त शोध कार्य हुआ है। इस अध्ययन में इंजीनियरिंग शिक्षकों के व्यावसायिक विकास हेतु भी इसी प्रकार के शोधकार्यों की आवश्यकता जानने हेतु गणित, विज्ञान, तकनीकी एवं इंजीनियरिंग के सम्बन्धों पर जोर दिया गया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग शिक्षकों के प्रभावी व्यवसायिक विकास हेतु सन्दर्भित साहित्य का पुनरावलोकन किया गया। इस पुनरावलोकन के परिणामों में इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में व्यवसायिक विकास हेतु मार्गदर्शक के रूप में शोध आधारित 5 प्रारूप मानदण्डों को प्रस्तुत किया गया। इन प्रारूप मानदण्डों को एक मैट्रिक्स के साथ जिसमें इंजीनियरिंग व्यावसायिक विकास के प्रदाताओं एवं ग्रहण करने वालों को यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि किसी दिये गये इंजीनियरिंग कार्यक्रम में किस प्रारूप मानदण्ड पर ध्यान केन्द्रित करना हैए अमेरिकन सोसायटी फॉर इंजीनियरिंग एजूकेशन (ASEE) में प्रकाशन हुआ।

एसए सुरेश (2014) ने अपने शोध अध्ययन "स्ट्रेस मैंनेजमेन्ट अमंग बैंक एम्पलाई इन सलेम सिटी" में 100 कर्मचारियों का अध्ययन किया। इनके अध्ययन का उद्देश्य तनाव के कारण एवं उसके प्रबन्धन का अध्ययन करना था। इन्होने स्वनिर्मित प्रश्नावली के माध्यम से तथ्य एकत्र किये। कारकों में इन्होने पाया कि कार्यालय के कार्य अतिभार, द्वन्द आदि के कारण के साथ-साथ पारिवारिक एवं व्यक्तिगत कारक भी व्यावसायिक जीवन को प्रभावित करते है। पारिवारिक रिश्तों में सुदृढ़ता की कमी से तनाव होता है तथा पारिवारिक एवं कार्यालय के वातावरण में सुधार से तनाव से मुक्ति पायी जा सकती है।

मुख्य पाठ

सामग्री और क्रिया विधि
शोध की प्रकृति व उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता द्वारा मानकीय सर्वेक्षण  एवं सहसम्बन्धात्मक विधि का प्रयोग किया गया है। प्रस्तुत शोध में चयनित न्यादर्श, उपयोग में लाए गए शोध उपकरणों, शोध संग्रह की प्रक्रिया तथा सांख्यिकीय तकनीकी का निम्नवत् प्रयोग किया गया-
जनसंख्या 
प्रस्तुत अध्ययन में अध्ययन का वास्तविक स्थान उत्तर प्रदेश का रायबरेली जनपद है। रायबरेली जनपद में अवस्थित माध्यमिक विद्यालयों के समस्त शिक्षक अध्ययन की जनसंख्या में शामिल हैं।
न्यादर्श
प्रस्तुत शोध रायबरेली जनपद के माध्यमिक स्तरीय शिक्षकों का चयन बहु स्तरीय दैव निदर्श प्रविधि का उपयोग करते हुए निम्नवत् किया गया-


समंक संग्रहण हेतु प्रयुक्त उपकरण
प्रस्तुत शोध में प्रयुक्त चरों के मापन हेतु निम्न उपकरणों का उपयोग कर आंकड़ें एकत्रित किए गए-
1. आत्म प्रभावकारिता मापनी - डा. जी. पी. माथुरडा. राजकुमारी भटनागर।
2. अध्यापक व्यावसायिक नीतिबोध मापनी - डा. प्रवीण कुमारडा. डी. के. शर्मा।
3. व्यावसायिक तनाव मापनी - डा. ए.के. श्रीवास्तव तथा डा. ए.पी. सिंह।
सांख्यिकीय तकनीक
परीक्षणों के प्रशासन से प्राप्त समंकों की प्रोसेसिंग हेतु निम्नलिखित सांख्यिकीय तकनीकी प्रयुक्त की गई-
1. दो चरों के मध्य सह सम्बन्ध की गणना हेतु पीयरसन r-गुणांक।
सारणी-1
सांवेगिक बुद्धि के उच्च स्तर पर माध्यमिक शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध (विभिन्न आयामों सहित) एवं  वृत्तिक दबाव (विभिन्न आयामों सहित) के मध्य सह सम्बन्ध गुणांकों का प्रदर्शन








सारणी-2

सांवेगिक बुद्धि के मध्यम स्तर पर माध्यमिक शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध (विभिन्न आयामों सहित) एवं  वृत्तिक दबाव (विभिन्न आयामों सहित) के मध्य सह सम्बन्ध गुणांकों का प्रदर्शन

सारणी 3

सांवेगिक बुद्धि के निम्न स्तर पर माध्यमिक शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध (विभिन्न आयामों सहित) एवं  वृत्तिक दबाव (विभिन्न आयामों सहित) के मध्य सह सम्बन्ध गुणांकों का प्रदर्शन

समंकों की व्याख्या

सारणी-1 में प्रदर्शित सहसम्बन्ध गुणांक दर्शाते हैं कि माध्यमिक शिक्षकों में  वृत्तिक दबाव के आयाम भूमिका अधिभार का व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सहसम्बन्धों में आयाम शिक्षक-समाज पक्ष (r = .262’) के मध्य धनात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया।  वृत्तिक दबाव आयाम विभिन्न भूमिकाएं का व्यावसायिक नीतिबोध आयाम शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (r = .270’) के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि जब शिक्षक को एक से अधिक भूमिकाओं का निर्वहन करना पड़ता है, तो इसका छात्रों के प्रति शिक्षकों के कर्तव्य निर्वहन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वृत्तिक दबाव आयाम भूमिका संघर्ष का व्यावसायिक नीतिबोध आयाम शिक्षक-समाज पक्ष (r = .366’’) के साथ धनात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि भूमिका संघर्ष से उत्पन्न दबाव में माध्यमिक शिक्षक अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन के प्रति अधिक जागरूक हैं। वृत्तिक दबाव आयाम राजनैतिक दबाव व व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य (r = .251') के मध्य ऋणात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि राजनैतिक दबाव से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव के परिणामस्वरूप शिक्षकों का व्यावसायिक नीतिबोध समग्र एवं ऋणात्मक रूप प्रभावित होता है।  वृत्तिक दबाव आयाम अधिसहभागिता का व्यावसायिक नीतिबोध आयामों शिक्षक-वृत्ति पक्ष एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष (r = क्रमशः -.571’’ एवं -.409’’) के मध्य ऋणात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। इससे स्पष्ट होता है अधिसहभागिता से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव के शिक्षकों के सहकर्मियों एवं वृत्ति सम्बन्धी उत्तरदायित्व नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। सारणी के अवलोकन से स्पष्ट है कि शक्तिहीनता से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव के कारण शिक्षकों के वृत्ति (-.265’) एवं अभिभावकों सम्बन्धी कर्तव्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। आयाम कमजोर सहसम्बन्ध से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव के कारण शिक्षकों के वृत्ति (-.048’’), अभिभावक (-.312’) एवं समग्र (-.303’) सम्बन्धी व्यावसायिक नीतिबोध नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। आयाम कठिन कार्य दशा से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव के कारण शिक्षकों के विद्यार्थी (.303’) एवं समाज (.310’) सम्बन्धी नीतिबोध नकारात्मक रूप से प्रभावित पाया गया।  वृत्तिक दबाव समग्र का व्यावसायिक नीतिबोध आयाम शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (-.258’) के मध्य ऋणात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया, अतः इस सम्बन्ध में निर्मित उप शुन्य परिकल्पना ’’माध्यमिक शिक्षकों में सांवेगिक बुद्धि के उच्च स्तर पर वृत्तिक दबाव व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक सहसम्बन्ध नही है’’ जिससे तात्पर्य है कि अत्यधिक  वृत्तिक दबाव के परिणामस्वरूप शिक्षक विद्यार्थियों से सम्बन्धित अपने व्यावसायिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन प्रभावी ढंग से नहीं कर पाते हैं।

सारणी 2 के अवलोकन से परिलक्षित होता है कि  वृत्तिक दबाव आयाम भूमिका अधिभार एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (.187’’) से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम विभिन्न भूमिकाएं से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष (-.140’), शिक्षक-सहकर्मी पक्ष (-.261’’) एवं शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष (.127’) के मध्य सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम भूमिका संघर्ष से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-अभिभावक पक्ष (-.113’) के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम अतार्किकता से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक विद्यार्थी पक्ष (.163’) के मध्य सार्थक रूप से धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम राजनैतिक दबाव से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष (.138’), शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (.242’’), शिक्षक सहकर्मी पक्ष (.144’), शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष (.216’’), शिक्षक-अभिभावक पक्ष (.158’’) एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र (.217’’) के मध्य धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम शक्तिहीनता से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष(.157’’) के मध्य सार्थक रूप से  धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कमजोर सहसम्बन्ध एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष (-.119’) से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम पनप न पाना से, के कारण उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष (-.134’), शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (-.226’’), शिक्षक-सहकर्मी (-.245’’), शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष (-.235’’), शिक्षक अभिभावक पक्ष(-.223’’), शिक्षक-समाज पक्ष (-.168’) एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र (-.279’’) के मध्य सार्थक रूप से धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कठिन कार्य दशा के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष (-.199’’), शिक्षक-सहकर्मी पक्ष (-.176’’), शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष (-.121’), शिक्षक-अभिभावक पक्ष (-.192’’), शिक्षक-समाज पक्ष (-.115’) एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र (-.203’’) के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम अलाभप्रदता से उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष (.173’’), शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (.382’’), शिक्षक-सहकर्मी पक्ष (.359’’), शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष (.141’) एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र(.272’’) के मध्य धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। वृत्तिक दबाव  समग्र एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष (-.127’) से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। अतः इस सन्दर्भ में निर्मित उप शून्य परिकल्पना ’’माध्यमिक शिक्षकों में सांवेगिक बुद्धि के मध्यम स्तर पर वृत्तिक दबाव व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक सहसम्बन्ध नही है’’ निरस्त की जाती है।

सारणी 3 के अवलोकन से परिलक्षित होता है कि व्यावसायिक नीतिबोध के आयाम भूमिका अधिभार एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष (.299’) से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। भूमिका संघर्ष के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष (-.283’), शिक्षक-समाज पक्ष (-.419’’) तथा व्यावसायिक नीतिबोध समग्र (-.341’’) के मध्य सार्थक रूप से  ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम अतार्किकता के कारण उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-समाज पक्ष (-.461’’) तथा व्यावसायिक नीतिबोध समग्र (-.294’) के मध्य सार्थक रूप से  ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कमजोर सहसम्बन्ध के कारण उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (.452’’), शिक्षक-सहकर्मी पक्ष (-.411’’), शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष (-.392’’), शिक्षक-अभिभावक पक्ष (-.315’’), शिक्षक-समाज (-.425’’) एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र (-.462’’) के मध्य सार्थक रूप से  ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम न्यून स्थिति एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (-.272’) से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से  ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कठिन कार्य दशा के कारण उत्पन्न  वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष (-.272’) से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से  ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया।  वृत्तिक दबाव समग्र एवं व्यावसायिक नीतिबोध के आयाम शिक्षक-समाज पक्ष (-.344’’) के मध्य सार्थक रूप से  ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। अतः सन्दर्भ में निर्मित उप शून्य परिकल्पना ’’माध्यमिक शिक्षकों में सांवेगिक बुद्धि के निम्न स्तर पर  वृत्तिक दबाव एवं व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक सहसम्बन्ध नही है।’’ निरस्त की जाती हैं परिणामों से परिलक्षित होता है कि निम्न स्तर की सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों में  वृत्तिक दबाव पाये जाने पर उनकी कार्यक्षमता में कमी आती है। अतः उन्हें व्यावसायिक वातावरण में समायोजन हेतु कठिनाई का सामना करना पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप उनके सामाजिक उत्तरदायित्व सम्बन्धी व्यावसायिक नीतिबोध पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष शोध परिणामों से प्रदर्शित होता है कि माध्यमिक शिक्षकों में सांवेगिक बुद्धि के उच्च स्तर पर वृत्तिक दबाव के आयाम भूमिका अधिभार का व्यावसायिक नीतिबोध से सम्बन्धित आयाम शिक्षक-समाज पक्ष के मध्य धनात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। वृत्तिक दबाव आयाम विभिन्न भूमिकाएं का व्यावसायिक नीतिबोध आयाम शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। वृत्तिक दबाव आयाम भूमिका संघर्ष का व्यावसायिक नीतिबोध आयाम शिक्षक-समाज पक्ष के साथ धनात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। वृत्तिक दबाव आयाम राजनैतिक दबाव व व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य के मध्य ऋणात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। वृत्तिक दबाव आयाम अधिसहभागिता का व्यावसायिक नीतिबोध आयामों शिक्षक-वृत्ति पक्ष एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष के मध्य ऋणात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। शक्तिहीनता से उत्पन्न वृत्तिक दबाव के कारण शिक्षकों के वृत्ति एवं अभिभावकों सम्बन्धी कर्तव्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। आयाम कमजोर सहसम्बन्ध से उत्पन्न वृत्तिक दबाव के कारण शिक्षकों के वृत्ति अभिभावक एवं समग्र सम्बन्धी व्यावसायिक नीतिबोध नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। आयाम कठिन कार्य दशा से उत्पन्न वृत्तिक दबाव के कारण शिक्षकों के विद्यार्थी एवं समाज सम्बन्धी नीतिबोध नकारात्मक रूप से प्रभावित पाया गया। वृत्तिक दबाव समग्र का व्यावसायिक नीतिबोध आयाम शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष के मध्य ऋणात्मक रूप से सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। माध्यमिक शिक्षकों मेंसांवेगिक बुद्धि के मध्यम स्तर पर वृत्तिक दबाव आयाम भूमिका अधिभार एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम विभिन्न भूमिकाएं से उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष, शिक्षक-सहकर्मी पक्ष एवं शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष के मध्य सार्थक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम भूमिका संघर्ष से उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-अभिभावक पक्ष के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम अतार्किकता से उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक विद्यार्थी पक्ष के मध्य सार्थक रूप से धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम राजनैतिक दबाव से उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष, शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष, शिक्षक सहकर्मी पक्ष, शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष, शिक्षक-अभिभावक पक्ष एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम शक्तिहीनता से उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष के मध्य सार्थक रूप से धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कमजोर सहसम्बन्ध एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम पनप न पाना से, के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष, शिक्षक- विद्यार्थी पक्ष, शिक्षक- सहकर्मी, शिक्षक- प्रबन्धन पक्ष, शिक्षक अभिभावक पक्ष, शिक्षक-समाज पक्ष एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य सार्थक रूप से धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कठिन कार्य दशा के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष, शिक्षक-सहकर्मी पक्ष, शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष, शिक्षक-अभिभावक पक्ष, शिक्षक-समाज पक्ष एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम अलाभप्रदता से उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष, शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष, शिक्षक-सहकर्मी पक्ष, शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। वृत्तिक दबाव समग्र एवं शिक्षक-वृत्ति पक्ष से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। माध्यमिक शिक्षकों में सांवेगिक बुद्धि के निम्न स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध के आयाम भूमिका अधिभार एवं शिक्षक-सहकर्मी पक्ष से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से धनात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। भूमिका संघर्ष के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष, शिक्षक-समाज पक्ष तथा व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम अतार्किकता के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-समाज पक्ष तथा व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कमजोर सहसम्बन्ध के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष, शिक्षक-सहकर्मी पक्ष, शिक्षक-प्रबन्धन पक्ष, शिक्षक-अभिभावक पक्ष, शिक्षक-समाज एवं व्यावसायिक नीतिबोध समग्र के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम न्यून स्थिति एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। आयाम कठिन कार्य दशा के कारण उत्पन्न वृत्तिक दबाव एवं शिक्षक-विद्यार्थी पक्ष से सम्बन्धित व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया। वृत्तिक दबाव समग्र एवं व्यावसायिक नीतिबोध के आयाम शिक्षक-समाज पक्ष के मध्य सार्थक रूप से ऋणात्मक सहसम्बन्ध पाया गया।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव माध्यमिक शिक्षक अपने व्यावसायिक उत्तरदायित्वों का भली प्रकार निर्वहन कर सके इसके लिए आवश्यक है कि शिक्षकों के लिए एकस्पष्ट एवं आदर्श आचार संहिता का विकास किया जाये। शिक्षकों के लिए व्यावसायिक नीतिबोध को विकसित करने हेतु उनकी नैतिक संस्कृति को सुधारा जाये। इसके अतिरिक्तसकारात्मक कहानियों को पढ़ना, आदर्श व्यक्तियों का अनुसरण करना, अभिव्यक्ति के अवसर देकर, सुनने वग्रहण करने की आदतों को प्रोत्साहित करके, सामुदायिक सेवा में भाग लेकर, सामूहिक अधिगम समूहों में प्रतिभाग करके तथा संगीत, ध्यान व योग जैसी क्रियाओं के माध्यम से उनकी आत्म प्रभावकारिता को विकसित एवं परिमार्जित किया जाना चाहिए।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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