ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- X January  - 2023
Anthology The Research
विविधता में एकता - भारत
Unity in Diversity - India
Paper Id :  17007   Submission Date :  02/01/2023   Acceptance Date :  21/01/2023   Publication Date :  25/01/2023
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विद्या भूषण
असिस्टेंट प्रोफेसर
वाणिज्य विभाग
हीरालाल रामनिवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय खलीलाबाद
संत कबीर नगर,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश प्रस्तुत लेख में इस बात पर विस्तृत चर्चा की गयी है कि क्यों भारत को विविधता में एकता का देश कहा जाता है। वह कौन-कौन सी विशेषताऐं है जो भारत मे विविधता मे एकता को सत्यापित करती है। हमारा देश अपने इस विशेष गुण के कारण पुरातन काल से आज वर्तमान तक और भविष्य में भी संसार के लिए एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता रहा है। यह हम भारत वासियों का विश्वास है तथा यही विश्वास हमें विविधता में एकता बनाये रखने के लिए हमेशा प्रेरित करता रहा है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the presented article, there has been a detailed discussion on why India is called the country of unity in diversity. What are the features that verify unity in diversity in India. Due to this special quality, our country has been presenting a good example to the world since ancient times till today and in the future as well. This is the belief of the people of India and this belief has always inspired us to maintain unity in diversity.
मुख्य शब्द विविधता, एकता, सभ्यता, संस्कृति, विभिन्नता, विकास, विशेषता, विविधता में एकता।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Diversity, Unity, Civilization, Culture, Diversity, Development, Characteristics, Unity in Diversity.
प्रस्तावना
भारत विविधता में एकता को जीने वाला देश है। भारत एक ऐसा देश है जिसमे विभिन्न सभ्यताओं, संस्कृतियों, भाषाओं, मान्यताओं और यहाॅ तक कि विभिन्न भौगोलिक रहन सहन की अलग-अलग विशेषताओं के लोग एक साथ मिलकर रहते है। दुनिया में तमाम देशों की भौगोलिक भिन्नता ही उस देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा को तय करती है हालाकि भारत के परिपेक्ष में यह कहना उचित नही है क्योंकि भारत में अनेक भौगोलिक भिन्नता पाई जाती है फिर भी उसकी सीमा का सीमांकन एक में होता है क्योंकि हमने विविधतता में रहना सीख लिया है। जहाॅ विश्व में भौगोलिक विभिन्नता देशो की अन्तराष्ट्रीय सीमा को निर्धारित करती है वहीं यह भौगोलिक विभिन्नता भारत को एक सूत्र में पिरोने का काम करती है। हमारी भौगोलिक विशेषताएं इस बंधन को और मजबूत करती है।
अध्ययन का उद्देश्य इस लेख का मुख्य उद्देश्य समाज में विविधता में एकता के महत्व को समझाना है। विविधता में एकता की भावना के द्वारा भारतीय समाज की बड़ी से बड़ी समस्या का आसानी से समाधान किया जा सकता है। भारतीय समाज में व्याप्त क्षेत्रवाद, धर्मवाद, जातिवाद, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी, बेरोजगारी तथा इस प्रकार की तमाम समस्याएं जो भारतीय समाज के विकास में अवरोध बनी हुई है, उनको विविधता में एकता की भावना के द्वारा आसानी से सुलझाया जा सकता है। जब इन समस्याओं का समाज में कोई स्थान नही रहेगा तब हमारा भारतीय समाज विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर रहेगा।
साहित्यावलोकन
पंजाब क्षेत्र पृथ्वी के सबसे शक्तिशाली कृषि भूमि में से एक होने के लिए जाना जाता है जबकी थार का रेगिस्तान ठीक इसके उलट है। उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र अलग-अलग सभ्यताओं और भाषाओं को बोलने वाले लोगो को अपने अन्दर समेटे हुए हैं हालांकि इतनी विभिन्नता होने के बावजुद भी ये सभी भारत से निकटता से जुड़े हुए हैं। आगे दक्षिण में तमिलनाडु, तेलंगना, केरल, कर्नाटक के लोग आते हैं जो अपना जीवन अलग सभ्यता के अनुसार जीते हैं। जिसके परिणाम स्वरुप भारत एक बहु सामाजिक देश का प्रतिनिधित्व करता है। विविधता में एकता ही इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।
मुख्य पाठ

हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं।

रंग, रूप, भेष, भाषा चाहे अनेक हैं

उक्त पंक्तियाँ भारतवर्ष के सन्दर्भ में शत-प्रतिशत सही है, भारत विविधता में एकता का देश है । यहाँ हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी आदि विविध धर्मों को मानने वाले लोग निवास करते हैं।  इनकी भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज,आचार-विचार, व्यवहार, धर्म तथा आदर्श इन्हें एक-दूसरे से अलग करते हैं । इसके बावजूद भारत के लोगों में एकता देखते ही बनती है। भारत विविधतापूर्ण देश है। इसके विभिन्न भागों में भौगोलिक अवस्थाओं, निवासियों और उनकी संस्कृतियों में काफी अन्तर है । कुछ प्रदेश अफ्रीकी रेगिस्तानों जैसे तप्त और शुष्क हैं, तो कुछ ध्रुव प्रदेश की भांति ठण्डे हैं, कहीं वर्षा का अधिक्य है, तो कहीं उसका नितान्त अभाव है। तमिलनाडु, पंजाब और असम के निवासियों को एक साथ देखकर कोई उन्हें एक नस्ल या एक संस्कृति का अंग नहीं मान सकता । देश के निवासियों के अलग-अलग धर्म, विविधतापूर्ण भोजन और वस्त्र उतने ही भिन्न हैं, जितनी उनकी भाषाएं या बोलियां ।

भारत एक बहुल समाज है। इसकी एकता और विविधता इसकी विशेषता है। भारत पर निरंतर कई विदेशी आक्रमण हुए जिसके फल स्वरूप भारतीय संस्कृति पर कई प्रकार की सभ्यताओं को थोपा गया, मुगल शासन और ब्रिटिश शासन के बावजूद, भारतवर्ष, में अपनी प्राचीनतम अनूठी विशेषता विविधता में एकता को बनाए रखा, और साथ ही साथ देश की एकता और अखंडता को जीवंत रखा। भारतीय संस्कृति की एक अनूठी विशेषता यह भी है कि यह बाहरी संस्कृति को भी अपने में समाहित कर लेती है इसी संश्लेषण ने भारत को संस्कृतियों की अनूठी पच्चीकारी बना दिया है। भारत के ब्रिटिश राज के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई में तमाम विविधता होने के बावजूद भी सभी ने एकीकृत होकर ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी और भारत को स्वतंत्र कराया। भारतीय संस्कृति की विशेषता विविधता में एकताकी है उसको भी बनाए रखा । विविध भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के अस्तित्व, विदेशी आगंतुकों और दुनिया के अन्य हिस्सों से आप्रवासन ने भारत की संस्कृति को सहिष्णु बना दिया है। भारत में विविधता के स्रोतों का विभिन्न तरीकों से पता लगाया जा सकता है।

भारत में, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध इत्यादि जैसे विभिन्न धर्मों के अनुयायी हैं। सभी धर्मों के अपने धर्म ग्रंथ अपनी विशेषताएं अपनी मान्यताएं एवं अपनी संस्कृति हैं। इसके परिणाम स्वरूप धार्मिक, नस्लीय रचनाओं और भाषाई भेद के संबंध में विविधता है साथ ही साथ भारतीय जीवन शैली, व्यावसायिक गतिविधियों, भूमि स्वामित्व प्रणाली, विरासत और उत्तराधिकार कानून अलग-अलग तमाम प्रकार की विविधता पाई जाती है । यहां तक कि जन्म के आधार पर, मृत्यु क्रिया कलाप, विवाह और विभिन्न कार्यों से सम्बन्धित प्रथाओं और संस्कारों को भी प्रत्येक धर्म द्वारा अपने अपने अलग-अलग तरीके से किया जाता है।

इतनी और इस तरह की तमाम विभिन्नता के बावजूद सम्पूर्ण भारत एकता के सूत्र में इस प्रकार संबद्ध जैसे कोई मोतियों की माला, जिस प्रकार किसी मोतियों की माला में मोतियों की संख्या तो अनेक होती हैं लेकिन जब उन सभी मोतियों को एक धागे में पिरो दिया जाता है तो उसको एक मोती की माला बोला जाता है ठीक उसी प्रकार हमारे भारत वर्ष में अनेक विभिन्न प्रकार के धर्म संस्कृति हैं। लेकिन यही सभी संस्कृतिया मिलकर भारत को एक विविधता में एकता को परिभाषित करने वाला देश बनाती है। इस सूत्र की अनेक विधायें हैं, जिनकी जड़ें देश के सभी कोनों तक पल्लवित और पुष्पित हैं। बाहरी विभिन्नताएं और विविधताएं भौतिक हैं, किन्तु भारतीयों के अभ्यन्तर में प्रवाहित भावनात्मक विशेषता ने देश के जन-जन को एकता के सूत्र में पिरो रखा है ।

भारत विश्व की सबसे पुरानी सभी सभ्यताओं में एक जाना-माना देश है जहाँ वर्षों से कई प्रजातीय समूह एक साथ रहते हैं। भारत विविध सभ्यताओं का देश है जहाँ लोग अपने धर्म और इच्छा के अनुसार लगभग 1650 भाषाएँ और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं। संस्कृति, परंपरा, धर्म, और भाषा से अलग होने के बावजूद लोग यहाँ पर एक-दूसरे का सम्मान करते हैं साथ ही भाईचारे के ढ़ेर सारी भावनाओं के साथ एक साथ रहते हैं। लोग पूरे भारत की धरती पर यहाँ-वहाँ रहते तथा भाईचारे की एक भावना के द्वारा जुड़े होते हैं। अपने राष्ट्र का एक महान चरित्र है विविधता में एकता‘‘ जो इंसानियत रुपी धर्म में सभी धर्मों के लोगों को बाँध के रखता है।

भारत में ‘‘विविधता में एकता‘‘ की प्रसिद्ध अवधारणा बिल्कुल सटीक बैठती है कई वर्षों से इस अवधारणा को साबित करने वाला भारत एक श्रेष्ठ देश है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर ‘‘विविधता में एकता‘‘ देखते ही बनती है क्योंकि अपने धर्म के लिये एक-दूसरे की भावनाओं और भरोसे को बिना आहत किये कई कई धर्मों, नस्लों, संस्कृतियों, और परंपराओं के लोग एक साथ रहते है।

यहाँ ‘‘विविधता में एकता‘‘ को बनाए रखने में लोगों की मानवता और सभ्यता मदद करती   है। भारत में लोग अपनी संपत्ति के बजाय आध्यात्मिकता, कर्म और संस्कार को अत्यधिक महत्व देते हैं जो उन्हें और पास लाती है। अपने अनोखे गुण के रूप में यहाँ के लोगों में धार्मिक सहिष्णुता है जो उन्हें अलग धर्मकी उपस्थिति में कठिनाई महसूस नहीं करने देती। भारत में अधिकतर लोग हिन्दूधर्म के है जो अपनी धरती पर सभी दूसरी अच्छी संस्कृतियों को अपनाने और स्वागत करने की क्षमता रखते हैं। भारतीय लोगों की इस तरह की विशेषताएँ यहाँपर ‘‘विविधता में एकता‘‘ को सिद्ध करती है।

भारत की विविधता में एकता का गुण ही भारतीय संस्कृति का बल है। पुरातन समय से भारतीय संस्कृति अपने इसी गुणों के कारण विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ती हुई वर्तमान समाज में भी विविधता में एकता का प्रतीक बनी हुई है । भारतीय संस्कृति में कुछ तो है, जिसने भारतीय एकता के सूत्र की जड़ों को और भी सुदृढ़ किया है । हम भारतीय बचपन से ही तमाम कहानियां सुनते हुए आ रहे हैं जिसका उद्देश्य हमें यह समझाना होता है कि एकता में शक्ति होती है । इसी प्रकार भारत की विविधता में एकता समाज को मजबूत व संपन्न बनाती है। इसी विशेषता के कारण भारत को आसानी से कभी भी तोड़ा नहीं जा सका जिस प्रकार एक अकेली लकड़ी को तोडना तो आसान होता है, लेकिन एक लकड़ी के गठ्ठे को तोड़ना बहुत कठिन होता है। एकता का यही फायदा होता है कि वह आपको आसानी से टूटने नहीं देती है। एकता हमें लड़ने के लिए बल देती है जिस प्रकार किसी परिवार में अगर एकता बनानी है तो उसके विकास को रोका नहीं जा सकता ठीक उसी प्रकार जिस देश में एकता होती है, वह बड़ी से बड़ी समस्या से आसानी से लड़कर जीत सकता है। एकता का व्यक्ति के जीवन में होना काफी आवश्यक है। एकता व्यक्ति को शक्ति प्रदान करती है, जिससे वह किसी भी समस्या का सामना करने में सक्षम होता है। यह मनुष्य को बल प्रदान करती है।

भारतीय सभ्यता को समय के साथ साथ प्रभावित करने वाली सभ्यताओं की अगर सूची बनाई जाए तो एक बहुत बड़ी सूची बनकर तैयार हो जाएगी जिन्होंने समय-समय पर भारतीय सभ्यता में प्रवेश करके भारतीय सभ्यता को अपने हिसाब से प्रभावित करने का भरपूर प्रयास किया जैसे ईरानी सभ्यता, मिस्र की सभ्यता,यूनानी सभ्यता, मुगल सभ्यता, ब्रिटिश सभ्यता, पुर्तगाली सभ्यता, फ्रांसीसी सभ्यता, डच सभ्यता इत्यादि ऐसी तमाम सभ्यताएं हैं जो समय समय पर भारतीय सभ्यता से जुड़ती गई लेकिन वह कहते हैं ना, भारतीय सभ्यता में समाहिता की जो विशेषता है जिसके कारण भारतीय सभ्यता ने सभी सभ्यताओं को अपने अंदर समाहित कर लिया लेकिन साथ ही साथ भारतीय सभ्यता की जो सर्वश्रेष्ठ विशेषता है विविधता में एकता उसको बनाए रखा और अनादि काल से आज वर्तमान काल तक भारत अपनी विविधता में एकता की विशेषता को बनाए रखी है, तमाम सभ्यताओं के भारत के अंदर आने के कारण ही भारत में विविधता का जो स्तर है वह काफी बड़ा हो गया। फिर भी भारतीय सभ्यता में जो एकता है भारतीय सभ्यता के आत्मबल को दर्शाता है। भारतीय सभ्यता ने तमाम सभ्यताओं से प्रभावित होने के बावजूद भी अपनी मूलता को नहीं त्यागा और आज भी सांसारिक परिदृश्य में भारत एक विविधता में एकता का प्रतीक बन कर अन्य सभ्यताओं के लिए विश्व गुरु की तरह काम कर रही है। भारतीय सभ्यता यह बताने में सफल रही है की विविधता में एकता ही हमारा बल है जिसे हम किसी भी कीमत पर बनाए रखेंगे।

आज, भारत कई संस्कृतियों, धर्मों, जातियों और पंथों की विविधता को समेटे एक परिवार की भांति प्रदर्शित होता है । भारतीय सभ्यता में जिस चांद को सभी बच्चे मामा कहकर पुकारते हैं चाहे वह किसी भी धर्म किसी भी जाति किसी भी संस्कृति के हो उसी चांद को देखकर हिंदू महिलाएं करवा चौथ पर व्रत तोड़ने का काम करती हैं, उसी चांद को मुस्लिम समाज में रमजान के आखिरी उपवास तोड़ने के लिए भी देखा जाता हैं। हम पंजाबी सरसों का साग मक्के की रोटी के साथ खूब चाव से खाते हैं, हैदराबादी बिरयानी खत्म करके बंगाल के रसगुल्ले भी खाते हैं। भारतीय सभ्यता में वह कौन होगा जिसके पाव पंजाबी धुन पर थिरकने न लगे चाहे वह उत्तर भारतीय हो, दक्षिण भारतीय हो, भारत के किसी भी कोने में रहने वाला भारतीय हो । इस सभ्यता का यही एक गुण ऐसा है जो भारतीय सभ्यता को दिन-प्रतिदिन विकास के पथ पर अग्रसर बनाए हुए हैं। भारत इसी एकता के कारण वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से प्रगति कर रहा है। आज दुनिया के सारे देश भारत को आध्यात्मिक गुरु के रूप में देख रहे हैं।

जब सन 1947 को देश ने एक लंबे अरसे के बाद ब्रिटिश सभ्यता से आजादी प्राप्त कि, और तब से लेकर अब तक भारत अपने विकास के पथ पर अग्रसर है। यदि भारतीय सभ्यता में उसकी अखंडता का गुण नहीं होता तो भारत का इस प्रकार का विकास संभव नहीं होता। भारतीय सभ्यता कब की बिखर गई होती।जहां भारतीय सीमा की विदेशी आक्रांता से रक्षा करने में भारत में स्थापित विभिन्न सभ्यताओं ने मिलकर रक्षा की, एक ओर पंजाबियों ने पाकिस्तान और चीन से देश की रक्षा की, तो दूसरी ओर बंगाल और बंबई ने भारतकी सांस्कृतिक श्रेष्ठता सिद्ध की हैं।

भारत की मजबूती का कारण भारत में उपस्थित विभिन्न संस्कृतियों, धर्म,जातियों विभिन्न मान्यताओं के लोगों का एक साथ मिलकर रहना है। विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और क्षेत्रों के लोगों के संयुक्त विचारों के कारण भारत मजबूत है। जब भी किसी एक प्रांत को असुविधा महसूस हुई है तो उसकी सहायता के लिए भारत के अन्य प्रांत सामने आए हैं। भारत की विविधता में एकता को चुनौती देने के लिए भारत में धार्मिक अराजकता का माहौल भी पैदा किया गया हैं। आज वर्तमान में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो धर्म को आधार बनाकर भारतीय सभ्यता को तोड़ने का प्रयास करते हैं। और भारतीय सभ्यता को बिखरा हुआ देखकर उन्हें खुशी मिलती है। सबके अपने एजेंडे हैं। एक टूटे हुए देश को नष्ट करना आसान है। क्योंकि एक टूटे हुए देश में अपना छोटा सा स्वार्थ सिद्ध करना आसान होता है । लेकिन भारतीय सभ्यता में ऐसे लोगों और देश भक्तों की कमी नहीं है जो इस प्रकार के देश द्रोहियों को समुचित जवाब ना दे दे आज भारतीय सभ्यता ऐसे ही देशभक्तों के दम पर अपनी विविधता में एकता के परिदृश्य को बनाए हुए हैं ।

उपरोक्त विवरण से एक बात स्पष्ट होती है कोई भी सभ्यता सर्वश्रेष्ठ तो नहीं होती, लेकिन भारतीय सभ्यता का यह गुण (विविधता में एकता) भारतीय सभ्यता को विश्व में स्थापित अनेक सभ्यताओं में सर्वश्रेष्ठ बनाने में सफल है। भारत अनादिकाल से लेकर आज वर्तमान और आने वाले भविष्य में भी अपनी विविधता में एकता को बनाए रखने में सक्षम है। विविधता में एकता भारतीय सभ्यता के जीवन रक्त के समान है जो निरंतर भारतीय सभ्यता में बहती रहती हैं। विविधता मे एकता का गुण ही भारतीय सभ्यता को विश्व पटल पर सर्वश्रेष्ठ सभ्यताओं में स्थान प्रदान करता है।

निष्कर्ष हमें भारतीय होने पर गर्व है साथ ही साथ हमारा यह कर्तव्य है कि भारतीय सभ्यता का यह गुण विविधता में एकता ‘बनाए रखने में हम अपना पूरा योगदान दें। हमारे पूर्वजों ने जो भारतीय सभ्यता हमारे हाथ में दी है हम अपने आने वाले पीढ़ियों को भी ऐसी भारतीय सभ्यता दे जिसका जीवन अनादिकाल तक सर्वश्रेष्ठ रहे, और यह तभी संभव है जब हमारी सभ्यता में विविधता में एकता का गुण विद्यमान हो....
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. भारत की खोज (पं0 जवाहरलाल नेहरु) 2. हिन्द स्वराज (महात्मा गांधी) 3. दैनिक जागरण, अमर उजाला (लेख) 4. हिन्द देश के निवासी (कविता विनम चन्द्र मौदगल्य) 5. छब्त्ज् ठववो 6. भारतीय संस्कृति सभ्यता एवं परम्परा (डाॅ0 रमेश पोखरियाल) 7. भारतीय संस्कृति की रुपरेखा (बाबू गुलाब राय)