ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- XI February  - 2023
Anthology The Research
वर्तमान आयकर प्रणाली और नई आयकर प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण
Comparative Analysis of Current Income Tax System and New Income Tax System
Paper Id :  17192   Submission Date :  06/02/2023   Acceptance Date :  19/02/2023   Publication Date :  22/02/2023
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महेंद्र कुमार खारड़िया
सहायक आचार्य
लेखा एवं व्यवसायिक सांख्यिकी विभाग
राजकीय लोहिया महाविद्यालय
चूरू,राजस्थान, भारत
सारांश हमारे देश भारत में दो प्रकार की कर व्यवस्था है, जिसमें प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर की व्यवस्था होती है। आयकर एक प्रत्यक्ष कर है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति द्वारा गत वर्ष में अर्जित की गई आय निर्धारित सीमा से अधिक आय होने पर उस आय पर आयकर चुकाना अनिवार्य होता है। आयकर चुकाने की एक स्लेब होती है। इस स्लेब के अनुसार आयकर चुकाना अनिवार्य है, अन्यथा जुर्माना तथा सजा दोनों का प्रावधान है। हमारे देश की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में नई वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है। करदाता को अब वित्तीय वर्ष 2020-21 की आय पर कर चुकाने के लिए वर्तमान वैयक्तिक आयकर व्यवस्था और नई वैकल्पिक आयकर व्यवस्था, दोनों में से जो उसके लिए लाभप्रद हो, वह उस व्यवस्था के विकल्प का चयन कर सकता है, जिससे अधिक से अधिक आयकरदाता अपना निर्धारित आयकर दें ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद There are two types of tax system in our country India, in which there is a system of direct tax and indirect tax. Income tax is a direct tax, in which it is mandatory for every person to pay income tax on that income if the income earned in the previous year is more than the prescribed limit. There is a slab for paying income tax. According to this slab, it is mandatory to pay income tax, otherwise there is a provision of both fine and punishment. Our country's Finance Minister Smt. Nirmala Sitharaman has proposed a new alternative personal income tax regime in the budget of 2020-21. The taxpayer can now choose the option of the current personal income tax system and the new alternative income tax system, which is beneficial for him, to pay tax on the income of the financial year 2020-21, from which the maximum income tax payer can Pay your prescribed income tax so that the economy of our country gets strengthened.
मुख्य शब्द आयकर, वैयक्तिक आयकर व्यवस्था, करदाता, नई वैकल्पिक व्यवस्था।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Income Tax, Personal Income Tax System, Taxpayers, New Alternative System.
प्रस्तावना
’कर’ सरकारी राजस्व का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। चाहे गणतंत्र व्यवस्था हो, समाजवादी व्यवस्था हो, सामंती व्यवस्था हो या राजतंत्र हो - सभी में सरकारी राजस्व का प्रमुख स्रोत सदैव ही जनता से प्राप्त कर ही रहा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 264 से 300 में केन्द्र और राज्य सरकारों के वित्तीय सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या की गई है। कर जिनका अन्तर्राज्यीय आधार है, केन्द्र सरकार द्वारा लगाये जाते हैं जबकि स्थानीय आधार वाले कर राज्य सरकारों द्वारा लगाये जाते हैं। अवशिष्ट अधिकतम केन्द्र सरकार को प्राप्त है। ’’आयकर’’ व्यक्ति पर लगाया जाने वाला एक प्रत्यक्ष एवं प्रगतिशील कर है। भारत में प्रत्यक्ष कर से तात्पर्य एक ऐसे कर से है, जिसमें कर को चुकाने वाला ही कर का भार वहन करता है अर्थात् इसमें कराघात एवं करापात एक ही व्यक्ति पर होता है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर में कर चुकाने वाला व्यक्ति इसका भार ग्राहक पर डाल देता है। आयकर प्रत्यक्ष कर का उदाहरण है जबकि वस्तु एवं सेवाकर अप्रत्यक्ष कर का उदाहरण है। विश्व के अधिकांश देशों की तरह भारतीय राजस्व में भी आयकर का योगदान सर्वाधिक है। यह कर भारत में केन्द्रीय सरकार द्वारा वसूल किया जाता है तथा निश्चित मापदण्डों के आधार पर इस कर से प्राप्त राशि को केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों के मध्य वितरित किया जाता है। इस हेतु राष्ट्रपति प्रत्येक पांच वर्ष की अवधि में वित्त आयोग की नियुक्ति करता है, जो यह सुझाव देता है कि आयकर द्वारा एकत्रित राशि को केन्द्र तथा राज्यों के मध्य किस प्रकार वितरित किया जावे। भारत में आयकर के सम्बन्ध में विधिवत अधिनियम 1886 में पारित किया गया। समय-समय पर आयकर की दरों में परिवर्तन भी किया गया परन्तु वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2020-21 से प्रस्तावित की गई है।
अध्ययन का उद्देश्य हमारे देश की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है, जिसमें नए विकल्प में आयकर दरों को घटाया गया है। इस शोध अध्ययन की उपादेयता निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट है - 1. वर्तमान आयकर व्यवस्था तथा व्यक्तिक आयकर गणना की प्रक्रिया का अध्ययन करना। 2. वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर तथा वैकल्पिक व्यक्तिक आयकर गणना की प्रक्रिया का अध्ययन करना। 3. वर्तमान आयकर व्यवस्था और वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन व विश्लेषण करना। 4. आयकर व्यवस्था में जो आयकर व्यवस्था लाभप्रद हो उसका पता लगाना तथा आयकर व्यवस्था वर्तमान एवं वैकल्पिक आयकर व्यवस्था का विश्लेषण करना। 5. नई वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था के अन्तर्गत बचत संस्कृति अर्थव्यवस्था में समग्र बचत और जीडीपी ग्रोथ पर प्रभाव का विश्लेषण।
साहित्यावलोकन

महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर प्रचलित ’’आयकर विधान तथा लेखे’’ पुस्तक में चौधरी, बंसल, जोशी ने बताया कि भारत में सर्वप्रथम सन् 1860 में सर जेम्स विल्सन द्वारा आयकर लगाया गया था। 1918 में इस अधिनियम के स्थान पर नया अधिनियम पास किया गया, जिसकी प्रमुख विशेषता चालू वर्ष की आय पर उसी वर्ष में कर निर्धारण करना था। इसी क्रम में सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री अश्विनी महाजन, दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन तथा स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक ने अपने एक लेख बचत संस्कृति पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव’’ जो कि नई वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था पर राजस्थान पत्रिका, जयपुर में प्रकाशित हुआ है, इसमें डॉ. महाजन ने बताया कि प्रस्तावित नई वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था कुछ राहत देती है परन्तु बचत संस्कृति अर्थव्यवस्था में समग्र ग्रोथ पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली बताया है।

इसी क्रम में महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर प्रचलित ’’आयकर विधान तथा लेखे’’ पुस्तक के लेखक पूनियां, मोदी, डोटासरा, शर्मा, आर.बी.डी. पब्लिशिंग हाउस (यूनिट ऑफ रमेश बुक डिपो), जयपुर में बताया है कि भारत में आयकर सम्बन्धी व्यवस्थाओं को निम्न चरणों में विभक्त किया जा सकता है। प्रथम चरण- कर योग्य आय की गणना, द्वितीय चरण- कर की राशि की गणना, तृतीय चरण- कर वसूली एवं प्रशासन आदि है। प्रो. दिलीप सिंह पूनियां, प्राचार्य, राजकीय लोहिया महाविद्यालय, चूरू (राज.) ने अपने बजट विश्लेषण 2020 में बताया कि बचत संस्कृति तथा बचत करने वालों के लिए वर्तमान व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था तथा अधिक खर्च करने वालों के लिए प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था को श्रेष्ठ बताया है।

प्रो. महावीर सिंह, विभागाध्यक्ष लेखा एवं व्यावसायिक सांख्यिकी, राजकीय लोहिया महाविद्यालय, चूरू (राज.) ने बताया कि समस्त करदाताओं के लिए दोनों विकल्प खुले हैं, अपनी कर देयता का आंकलन कर उन्हें किसी भी विकल्प को चुनने का अधिकार होगा जो उनके लिए ज्यादा लाभप्रद हो।

डॉ. प्रशान्त कुमार शर्मा, सह आचार्य, राजकीय लोहिया महाविद्यालय, चूरू ने नई वैकल्पिक आयकर व्यवस्था के बारे में बताया कि होम लोन तथा स्वास्थ्य बीमा की छूट को खत्म करना इस व्यवस्था की बहुत बड़ी खामी है। 

मुख्य पाठ

वर्तमान आयकर व्यवस्था-

वर्तमान आयकर व्यवस्था में आयकर अधिनियम की धारा 14 में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय को पांच शीर्षकों में विभाजित किया गया है, 1. वेतन शीर्षक से आय, 2. मकान सम्पति से आय, 3. व्यवसाय या पेशे से आय, 4. पूंजी लाभ, 5. अन्य साधनों से आय। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय को सकल कुल आय कहते हैं, जिसमें आयकर अधिनियम के अध्याय टप्.। के अन्तर्गत कोई कटौती नहीं घटाई गयी हो। यदि एक व्यक्ति को सभी शीर्षकों से आय प्राप्त नहीं होती है तो उसे जिन शीर्षकों से भी आय प्राप्त होगी उन सभी का योग कुल आय होगी। उदाहरणार्थ यदि किसी व्यक्ति को केवल वेतन शीर्षक से ही आय प्राप्त होती है तो उसके लिए वेतन शीर्षक की आय ही सकल कुल आय होगी।

सकल कुल आय के योग में से आयकर अधिनियम के अध्याय VI-। में वर्णित धारा 80C से धारा 80U तक की समस्त कटौतियों को घटाने के बाद शेष राशि को कुल कर योग्य आय कहा जाता है। इस कुल कर योग्य आय पर ही कर की गणना की जाती है।

कुल कर योग्य आय पर आय की गणना करने के लिए कर की निर्धारित दरों से कर दिया जाता है, जिसमें 1970-71 में व्यक्तिगत आयकर की 11 स्लेब थी, जिसमें न्यूनतम दर 10 प्रतिशत तथा अधिकतम दर 85 प्रतिशत थी। इसी क्रम में 1973-74 में अधिकतम दर 97.50 प्रतिशत थी जो कि अविश्वसनीय लगती है परन्तु सत्य है। आयकर की दर 1950 से 1980 के मध्य बहुत ही ज्यादा थी। 1971 में प्रत्यक्ष कर जांच कमेटी ने पाया कि आयकर की स्केल बहुत ज्यादा तथा कर की दरें भी बहुत अधिक हैं। इस कमेटी ने कर की अधिकतम दर 70 प्रतिशत तक कम कर दी जो कि 1974-75 में लागू हुआ, जिसमें कर की दर 77 प्रतिशत तक कर दी गई परन्तु सरचार्ज 10 प्रतिशत लागू कर दिया।

तत्पश्चात् कर सुधार कमेटी 1991 ने केवल तीन कर की दरें रखी, जिसमें 20, 30 40 प्रतिशत थी। इसके बाद 1997-98 में कर की दरों को घटा कर 10, 20 30 प्रतिशत कर दिया गया। वर्ष 2004 के बजट में सबसे बड़ा परिवर्तन प्रस्तावित किया गया, जिसमें 100000 तक की आय पर कोई कर चुकाने की आवश्यकता नहीं थी।

वर्ष 2005 के बजट में महिलाओं के लिए 135000 रुपये तथा सीनियर सिटिजन के लिए 185000 की छूट दी गई तथा आयकर अधिनियम में कर दर 30 प्रतिशत थी जो कि 250000 से ज्यादा होने पर देय थी।

इस क्रम में 2008 के बजट में महिलाओं के लिए छूट को बढ़ाकर 180000 तथा सीनियर सिटिजन के लिए 225000 रुपये कर दी थी तथा 150000 रुपये तक की आय पर कोई कर न देने का प्रस्ताव दिया तथा 1000000 से ज्यादा आय होने पर 10 प्रतिशत सरचार्ज लागू किया गया।

बजट 2009 में कर छूट की सीमा 180000 रुपये कर दी तथा महिलाओं के लिए 190000 रुपये तथा सीनियर सिटिजन के लिए छूट को बढ़ाकर 240000 रुपये कर दी। अधिकतम कर की दर 30 प्रतिशत थी, जो 500000 रुपये से ज्यादा की आय पर देय थी तथा व्यक्तिगत आय कर में 10 प्रतिशत सरचार्ज लागू कर दिया।

बजट 2010 में व्यक्तिगत आयकर में छूट की दरों को घटाकर 500000 रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत तथा 30 प्रतिशत की दर 800000 रुपये ज्यादा होने पर देय थी।

वर्तमान में वैक्तिक आयकर दरों की टेबल 2018-19 (कर निर्धारण वर्ष 2019-20)

व्यक्तिगत

 

60 वर्ष या अधिक आयु

80 वर्ष या अधिक आयु

कर योग्य आय

कर की दर

कर योग्य आय

कर की दर

कर योग्य आय

कर की दर

0 - 250000

शून्य

0-300000

शून्य

0&500000

शून्य

250000-500000

प्रतिशत

300000-500000

5 प्रतिशत

500000-1000000

20 प्रतिशत

500000-1000000

20 प्रतिशत

500000-1000000

20 प्रतिशत

1000000 से अधिक

30 प्रतिशत

1000000 से अधिक

30 प्रतिशत

1000000 से अधिक

30 प्रतिशत

 

 

मानक कटौती 40000 रुपये तथा अन्य कटौतियां- धारा 80C, 80CCC, 80CCD में 150000 की छूट के अलावा धारा 80CC - 80CCD की छूट उपलब्ध है।
वर्तमान में वैयक्तिक आयकर दरों की टेबल 2019-20 (कर निर्धारण वर्ष 2020-21)

व्यक्तिगत

60 वर्ष या अधिक आयु

80 वर्ष या अधिक आयु

कर योग्य आय

कर की दर

कर योग्य आय

कर की दर

कर योग्य आय

कर की दर

0- 250000

शून्य

0-300000

शून्य

0-500000

शून्य

250000-500000

प्रतिशत

300000-500000

5 प्रतिशत

500000-1000000

20 प्रतिशत

500000-1000000

20 प्रतिशत

500000-1000000

20 प्रतिशत

1000000 से अधिक

30 प्रतिशत

1000000 से अधिक

30 प्रतिशत

1000000 से अधिक

30 प्रतिशत

 

 



मानक कटौती रु. 50000

अन्य कटौतियां- धारा धारा 80C, 80CCC, 80CCD में 150000 की छूट के अलावा धारा 80CC & 80CCD की छूट उपलब्ध है।

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर -

हमारे देश की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में नई वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव किया, जिसमें नई वैकल्पिक आयकर व्यवस्था में आयकर दरों को घटाया गया है लेकिन इस वैकल्पिक आयकर व्यवस्था के साथ शर्त यह है कि करदाताओं को इससे पहले मिलने वाली कटौतियों और छूट (मानक कटौती 50000, धारा 80C, 80CCC, 80CCD(i) में 150000 की छूट के अलावा धारा 80CCE (80CCD)(2) की छूटों) का त्याग करना होगा। सरकार का दावा है कि 80 प्रतिशत करदाता नए विकल्प के साथ चले जायेंगे और यह दावा शायद सही भी है। क्योंकि नए विकल्प के साथ जाना ही अधिकांश करदाताओं के लिए फायदेमंद होगा।

आयकरदाताओं के लिए इस नई या वैकल्पिक कर व्यवस्था को एक राहत के रूप में चित्रित किया जा सकता है लेकिन हमें समझना होगा कि नये प्रस्ताव को वर्तमान वैयक्तिक आयकर की तुलना करके ही लाभकारी या अलाभकारी की परख की जा सकती है। नई प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आय कर व्यवस्था में धारा 80C, 80CCC, 80CCD(i), (धारा 80CCE), (80CCD)(2) o 80CCD(1B) के अलावा) के साथ 80CCD(2) की छूट नहीं दी जायेगी।

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर की दरों की टेबल

करदाता की आय

कर की दर

0 -250000

शून्य (कोई कर नहीं)

250000-500000

5 प्रतिशत

500000-750000

10 प्रतिशत

750000-1000000

15 प्रतिशत

1000000-1250000

20 प्रतिशत

1250000- 1500000

25 प्रतिशत

1500000 से अधिक

30 प्रतिशत

इसके अतिरिक्त लागू उपकर (सेस) भी है।

विश्लेषण

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर एवं पुरानी आयकर वैयक्तिक व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन

5.00 लाख रुपये तक की आय पर कर की गणना -

पुरानी आयकर व्यवस्था

(2019-20)

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर (2019-20)

अन्तर

सकल कुल आय 

प्रमाप छूट

कुल बचत (150000 तक)

कर योग्य आय

कुल आय कर देय -

500000

50000 

150000

350000

300000

शून्य

कुल आय     

कुल बचत     

             

प्रमाप छूट     

कर योग्य आय 

कुल आयकर देय

500000

शून्य

500000

शून्य

500000

12500

5.00 लाख तक की आय वाले आयकरदाताओं के लिए दोनों व्यवस्था ठीक परन्तु यदि बचत नहीं है तो नई वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था लाभकारी है। यदि बचत है तो पुरानी आयकर व्यवस्था लाभकारी है।

 

 

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

कुल कर देय

4 प्रतिशत सरचार्ज अतिरक्तNil

12500

12500

 



7.50 लाख रुपये तक की आय पर कर की गणना - 

पुरानी आयकर व्यवस्था

(2019-20)

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर (2019-20)

अन्तर

कुल आय   

प्रमाप छूट       

कुल बचत (150000 तक)  

 

कर योग्य आय

 

750000

50000

150000

600000

550000

 

कुल आय     

कुल बचत     

             

प्रमाप छूट     

कर योग्य आय   

750000

शून्य

750000

शून्य

750000

 

7.50 लाख तक की आय वाले करदाता यदि बचत 150000 करते हैं तो पुरानी व्यवस्था लाभकारी है यदि बचत नहीं है तो नई प्रस्तावित आयकर व्यवस्था हितकारी है।

आयकर की गणना

0.250000 /Nil

250000.500000 / 5%

500000.550000 / 20%

Totla Tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

10000

22500

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.750000 / 10%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

25000

37500

क्योंकि दोनों में अन्तर (37500-22500) 15000 है।

10.00 लाख रुपये तक की आय पर कर की गणना - 

पुरानी आयकर व्यवस्था

(2019-20)

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर (2019-20)

अन्तर

कुल आय 

प्रमाप छूट       

कुल बचत (150000 तक)  

 

कर योग्य आय

1000000

50000

150000

850000

800000

कुल आय     

प्रमाप छूट     

             

बचत छूट

कर योग्य आय 

1000000

शून्य

1000000

शून्य

1000000

 

7.50 लाख तक की आय वाले आयकरदाताओं के लिए प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था फायदेमंद नहीं है क्योंकि पुरानी व नई आयकर व्यवस्था में देय कर में (75000-72500) 2500/- का अन्तर है। अतः पुरानी आयकर व्यवस्था ही लाभकारी है, यदि बचत है।

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.800000 / 20%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

60000

72500

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.750000 / 10%

750000.1000000 / 15%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

25000

37500

75000

 12.50 लाख रुपये तक की आय पर कर की गणना -

पुरानी आयकर व्यवस्था

(2019-20)

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर (2019-20)

अन्तर

कुल आय      

प्रमाप छूट   

 

बचत छूट

(अधिकतम 150000)

कर योग्य आय  

1250000

50000

1200000

150000

 

1050000

 

कुल आय     

प्रमाप छूट     

             

बचत छूट

(अधिकतम 150000)

कुल कर योग्य आय 

1250000

शून्य

1250000

 

शून्य

1250000

 

12.50 लाख तक के लिए आय वालों के लिए नई प्रस्तावित वैकल्पिक आयकर व्यवस्था लाभकारी है। क्योंकि दोनों देय आयकर (192500-125000) रु. 2500 कम होगा। अतः नई व्यवस्था वैकल्पिक का चयन करना चाहिए।

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.1000000 / 20%

1000000.1050000 / 30%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

100000

15000

127500

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.750000 / 10%

750000.1000000 / 15%

1000000.1250000 / 20%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

25000

37500

50000

125000

 

 15.00 लाख रुपये तक की आय पर कर की गणना -

पुरानी आयकर व्यवस्था

(2019-20)

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर (2019-20)

अन्तर

कुल आय      

प्रमाप छूट   

 

बचत छूट

(अधिकतम 150000)

कर योग्य आय    

1500000

50000

1450000

150000

 

1300000

 

कुल आय     

प्रमाप छूट     

             

बचत छूट

(अधिकतम 150000)

कर योग्य आय 

1500000

शून्य

1500000

 

शून्य 1500000

 

15.00 लाख रुपये आय वाले करदाताओं के लिए नई वैकल्पिक आयकर व्यवस्था फायदेमंद नहीं है क्योंकि दोनों में आयकर देयता में 202500-187500) 15000 रुपये का अन्तर है। अतः नई वैकल्पिक व्यवस्था का विकल्प बेतहर है क्योंकि इसमें आयकर की देयता रु. 15000 कम है।

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.1000000 / 20%

1000000.1300000 / 30%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

100000

90000

172500

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.750000 / 10%

750000.1000000 / 15%

1000000.1250000 / 20%

1250000.1500000 / 25%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

25000

37500

50000

62500

202500

 25.00 लाख रुपये तक की आय पर कर की गणना - 

पुरानी आयकर व्यवस्था

(2019-20)

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर (2019-20)

अन्तर

कुल आय      

प्रमाप छूट   

 

बचत छूट

(अधिकतम 150000)

कर योग्य आय  

 

2500000

50000

2450000

150000

 

23000000

 

कुल आय     

प्रमाप छूट     

             

बचत छूट

(अधिकतम 150000)

कर योग्य आय 

 

2500000

शून्य

2500000

 

शून्य

2500000 

25.00 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए भी पुरानी आयकर व्यवस्था बेहतर है। क्योंकि (1502500-437500) 65000 कर देयता में अन्तर। अतः पुरानी व्यवस्था का चयन करना चाहिए।

आयकर की गणना

0.250000 /Nil

250000.500000 / 5%

500000.1000000 / 20%

1000000.2300000 / 30%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

100000

390000

502500

आयकर की गणना

0.250000 / Nil

250000.500000 / 5%

500000.750000 / 10%

750000.1000000 / 15%

1000000.1250000 / 20%

1250000.2500000 / 25%

Total tax

सरचार्ज / 4% अतिरिक्त

 

Nil

12500

25000

37500

50000

312500

437500

 

वर्तमान आयकर व्यवस्था तथा वैकल्पिक आयकर व्यवस्था का तुलनात्मक विश्लेषण -

वर्तमान आयकर व्यवस्था तथा नई प्रस्तावित वैकल्पिक आयकर व्यवस्था का तुलनात्मक विश्लेषण करते हैं तो जिन आयकरदाताओं को 5.00 लाख से 7.50 लाख की आय पर 10 प्रतिशत कर देना होगा जो पहले 20 प्रतिशत था। 7.50 लाख से 10.00 लाख तक आय पर 15 प्रतिशत कर देना होगा जो पहले 20 प्रतिशत था। इसी क्रम में 10.00 लाख से 12.50 लाख तक की आय पर 20 प्रतिशत कर देना होगा जो पहले 30 प्रतिशत था तथा 12.50 लाख से 15.00 लाख की आय पर 25 प्रतिशत कर देना होगा जो पहले 30 प्रतिशत था तथा 15.00 लाख पर 30 प्रतिशत कर लागू होगा।

नई आयकर व्यवस्था में सात परन्तु नया आयकर स्लेब होगा, जिसमें कर की दरों को विभाजित किया गया है। इसका मतलब है कि आप पुरानी व्यवस्था से भी कर चुका सकते हैं, शर्त ये है कि अगर डिडक्शन का लाभ नहीं चाहते हैं तो नई स्कीम में आये। वह जो डिडक्शन चाहते हैं तो पुरानी स्कीम से रह सकते हैं।

नए कर स्लेब में कर बचत की गणना करें तो 5.00 लाख रुपये तक की आय वालों को कर नहीं देना होगा। इसके अलावा 5.00 से 7.50 लाख रुपये तक की आय वालों को पहले 22500 रुपये का कर देना होता था और अब उन्हें 37500 रुपये टेक्स देना होगा।

10.00 लाख रुपये तक की आय वालों को 72500 रुपये तक कर देना होता था जो अब 75000 रुपये हो जाएगा।

12.50 लाख रुपये तक की आय वालों को 127500 रुपये का कर देना होता था जो अब 125000 रुपये हो जाएगा।

15.00 लाख रुपये तक की आय वालों को 172500 रुपये कर देना होता था जो अब 187500 रुपये देना होगा।

ये तुलनात्मक गणना पुरानी आयकर व्यवस्था में प्रमाप छूट व धारा 80C, 80CCC, 80CCD(i), (धारा 80CCE), [80CCD)(2) व 80CCD(1B) के अलावा) के साथ 80CCD(2) के अन्तर्गत अधिकतम 150000 रुपये बचत की छूट देने पर होगी। यदि किसी करदाता की बचत 150000 रुपये नहीं होती है तो नई वैकल्पिक व्यवस्था फायदेमंद है। अब हम यदि बचत नहीं होती है तो दोनों का तुलनात्मक अध्ययन इस प्रकार कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त व्यक्ति एवं हिन्दू अविभाजित परिवार को विभिन्न लेवल पर कटौती की छूट को आधार मानकर विश्लेषण करते हैं। इसका विवरण निम्न प्रकार है, इसकी तालिका का विश्लेषण भी साथ-साथ किया गया है।

व्यक्तिगत एवं हिन्दू अविभाजित परिवार विभिन्न लेवल पर कटौती की छूट

रु. 50,000, रु. 1,00,000, रु. 1,50,000, रु. 2,00,000, रु. 2,50,000 और रु. 3,00,000

Total Income of the assess before availing deduction exemptions

Tax laibility under the tax rates specified in first schedule to the finance bills 2020 (with benefit of deductions and exemptions)

Tax liability under the proposed new section 115 BAC of the act with out benefit of deductions and exemptions)

Savings under new regime

 


A

B = A-Deduction amount

C = Tax on

D = Tax on A

E = C-D

1. Case where deduction or examption to the tune of Rs. 50,000 is being availed

500000

450000

-

-

-

600000

550000

23400

23400

-

900000

850000

85800

62400

23400

1300000

1250000

195000

143000

52000

15000000

1450000

257400

195000

62400

17000000

1650000

319800

257400

62400

2. Case where deduction to the tune of Rs. 100000 is being availed -

500000

400000

-

-

-

600000

500000

-

10400

10400

650000

550000

23400

28600

5200

700000

600000

33800

33800

-

900000

800000

75400

62400

13000

1300000

1200000

179400

143000

36400

1500000

1400000

241800

195000

46800

1700000

1600000

304200

257400

46800

3. Case Where deduction on exemption to the tune of Rs. 150000 is being availed.

500000

350000

-

-

10400

600000

450000

-

10400

-

850000

700000

54600

54600

2600

900000

750000

65000

62400

20800

1300000

1150000

163800

143000

31200

1500000

1350000

226200

195000

31200

1700000

1550000

288600

257400

 

4. Case where deduction or exemption to the tune of Rs. 200000 is being availed.

500000

300000

-

-

-

600000

400000

-

10400

10400

900000

700000

54600

62400

7800

1225000

1025000

124600

124800

-

1300000

1100000

148200

143000

5200

1500000

1300000

210600

195000

15600

1700000

1500000

273000

257400

15600

5. Case where deduction or exemption to the tune of Rs. 250000 is being availed.

500000

250000

-

-

-

600000

350000

-

10400

10400

900000

650000

44200

-62400

18200

1300000

1050000

132600

-143000

10400

1500000

1250000

195000

-195000

-

1700000

1450000

257400

257400

-

6. Case where deduction or exemption to the tune of Rs. 300000 is being availed.

500000

200000

-

-

-

600000

300000

-

10400

10400

900000

600000

33800

62400

28600

1300000

1000000

117000

14300

26000

1500000

1200000

179400

195000

15600

1700000

1400000

241800

257400

15600

परिणाम

उपरोक्त सारणी को देखते हुए तो व्यक्तिक आयकरदाता व हिन्दु अविभाजित परिवार, जिनकी कुल छूट एवं कटौतियां विभिन्न स्तर की रु. 250000 और अधिक है उनके लिए  नई प्रस्तावित वैकल्पिक व्यवस्था ज्यादा लाभप्रद नहीं है। यदि व्यक्ति आयकरदाता जो कुल छूट व कटौतियां (रु. 50000 प्रमाप छूट 4/516 और रु. 150000 पीपीएफ मं अंशदान 4/580सी) यह प्रस्तावित आयकर व्यवस्था 1225000 हो, जिसमें व्यक्तिगत छूटें तथा कटोतियां रु. 150000 जिसमें (रु. 50000 प्रमाप छूट 4/516 और रु. 50000 मकान किराये भत्ते की छूट 4/10(बीए)व रु. 50000 अंशदान पीपीएफ 4एस 80सी) कुल कटौती हो। इसी क्रम में यदि आय 850000 रुपये हो तथा बचत व छूट रु. 100000 होगी।

प्रस्तावित वैकल्पिक वैयक्तिक आयकर व्यवस्था एवं पुरानी आयकर व्यवस्था का एक अलग तरीके से विभिन्न आय वर्ग के करदाताओं की आय के साथ-साथ विभिन्न कटौती एवं छूटों के आधार पर विश्लेषण किया गया है, जिसका विश्लेषण निम्न प्रकार है-

1. इस विश्लेषण में व्यक्तिगत एवं हिन्दू अविभाजित परिवारों की विभिन्न लेवल पर (रु. 50000, 100000, 150000, 250000 और रु. 300000) आदि की छूट उपलब्ध हो तथा विभिन्न आय के स्तर पर सारणी को दिखाया गया है।

2. उपरोक्त सारणी को देखते हैं तो वैयक्तिक आयकरदाता व हिन्दु अविभाजित परिवार जिसकी कुद छूट एवं कटौतियां विभिन्न स्तर की 250000 रुपये या अधिक है तो उनके लिए नई प्रस्तावित वैकल्पिक व्यवस्था ज्यादा लाभप्रद नहीं है। अतः पुरानी आयकर व्यवस्था को ही अपना विकल्प बनाये।

3. यद्यपि प्रथम स्थिति जिसमें कुल छूट व कटौती रु. 50000 उपलब्ध हो तो 600000 रुपये तक की आय वाले करदाताओं को दोनों ही व्यवस्था एक समान हैं और अतिरिक्त कर देना होगा।

4. यदि आय 1500000 से 1700000 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए भी यदि बचत 50000 रुपये हो तो पुरानी आयकर व्यवस्था लाभप्रद नहीं है क्योंकि उन्हें 12400 रुपये का अतिरिक्त कर देना होगा। अतः नई प्रस्तावित व्यवस्था के विकल्प का चयन करें।

यदि दूसरी स्थिति की बात करें, जिसमें कटौती व छूट की राशि एक लाख तक उपलब्ध हो -

इस स्थिति में 500000 रुपये से 700000 लाख रुपये तक के आय वाले करदाताओं के लिए पुरानी आयकर व्यवस्था ही ज्यादा लाभप्रद है क्योंकि पुरानी आयकर व्यवस्था में कम कर देना होगा।

यदि आय 900000 से 1700000 लाख रुपये है तो पुरानी आयकर व्यवस्था की तुलना में प्रस्तावित आयकर वैकल्पिक व्यवस्था ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि पुरानी व्यवस्था की तुलना में कर कम चुकाना होगा।

यदि तीसरी स्थिति का विश्लेषण करें जिसमें कटौतियां व छूटों की राशि 150000 रुपये तक उपलब्ध हो -

इस स्थिति में 500000 रुपये से 850000 रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए पुरानी आयकर व्यवस्था लाभप्रद है क्योंकि इसमें कम कर देय करना होगा अतः पुरानी व्यवस्था के विकल्प का चयन करें।

900000 रुपये से लकर 1700000 रुपये तक की आय वाले करदाताओं को पुरानी व्यवस्था में ज्यादा कर तथा नई व्यवस्था में कम कर चुकाना होगा। इन दोनों का तुलनात्मक विश्लेषण करने पर अन्तर न्यूनतम 2600 रुपये तथा अधिकतम 31200 रुपये का है अतः नई वैकल्पिक व्यवस्था का चयन करें।

5. इस स्थिति में कटौतियां एवं छूट की उपलब्धता 200000 रुपये तक हो। इस स्थिति में करदाताओं को 200000 रुपये तक की छूट उपलब्ध है तो 5.00 लाख रुपये से 1225000 रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए पुरानी आयकर व्यवस्था बेहतर विकल्प है क्योंकि पुरानी व्यवस्था में कर कम चुकाना होगा। इसी क्रम में 1300000 रुपये से 1700000 रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए दोनों व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन करने पर नई प्रस्तावित वैकल्पिक आयकर व्यवस्था ही लाभप्रद है क्योंकि इसमें आयकर कम देना होगा।

6. इस स्थिति में कुल छूट तथा कटौतियों की राशि 250000 रुपये उपलब्ध हो। इस स्थिति में 5.00 लाख रुपये से 13.00 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं के लिए पुरानी आयकर व्यवस्था ही लाभप्रद है क्योंकि दोनों आयकर व्यवस्थाओं में देय कर की राशि कई प्रस्तावित व्यवस्था में ज्यादा कर देना होगा। अतः पुरानी आयकर व्यवस्था के विकल्प का चयन करें।

15.00 लाख से 17.00 लाख तक आय वाले करदाताओं के लिए दोनों व्यवस्थाओं का विश्लेषण करने पर दोनों व्यवस्थाओं में देय कर की राशि समान ही है। यदि बचत 2.50 लाख रुपये नहीं है तो नयी प्रस्तावित वैकल्पिक व्यवस्था ज्यादा लाभप्रद है। अतः नई प्रस्तावित वैकल्पिक व्यवस्था के विकल्प का चयन करें। बचत है तो पुरानी वैकल्पिक व्यवस्था भी लाभप्रद होगी।

अन्तिम परिस्थिति में कुल छूट एवं कटौतियांे की राशि रु. 300000 रुपये तक उपलब्धता हो। इसका विश्लेषण करने पर पुरानी आयकर व्यवस्था, जिसमें करदाता को प्रमाप छूट, धारा यू/एस 80, धारा यू/एस 16 के अन्तर्गत कुल छूट व कटौतियों की राशि मकान बनाने के ऋण पर ब्याज की छूट लेते हुए गणना करते हैं तो 5.00 लाख से 6.00 लाख तो पुरानी आयकर व्यवस्था में कर नहीं देना होगा तथा 9.00 लाख से 17.00 तक की आय पर पुरानी व्यवस्था आयकर व्यवस्था में कम तथा प्रस्तावित आयकर वैकल्पिक व्यवस्था में ज्यादा कर देना होगा, जिसमें क्रमशः 9.00 लाख, 13.00 लाख, 15.00 लाख व 17.00 लाख की आय में देय आयकर में अन्तर रु 28600, 26000, 15600 15600 रुपये है- 

निष्कर्ष पुरानी आयकर व्यवस्था तथा प्रस्तावित वैकल्पिक आयकर व्यवस्था में मुख्य अन्तर यह है कि वर्तमान व्यवस्था में बचत पर ज्यादा बल दिया गया था परन्तु नई व्यवस्था में सभी छूटों को खत्म कर दिया है, जिससे घरेलू बचत बाधित होगी। इसका घरेलू बचत का पूंजी निर्माण से गहरा रिश्ता होता है। यदि बचत नहीं होगी तो पूंजी निर्माण प्रभावित होगा तथा देश की विकास की गति रुक जाएगी और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा। भारतीय संस्कृति में खपत के साथ-साथ बचत का भी महत्व है परन्तु नई प्रस्तावित वैकल्पिक आयकर व्यवस्था में बचत पर नहीं खर्च पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। क्योंकि सभी कटौतियां एवं छूट को एक साथ बन्द कर दिया गया है। करदाताओं के पास विकल्प होगा कि पुरानी और नई कर व्यवस्था में से अपना विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि नए कर स्लेब में जो बदलाव किए गए हैं वो भारी शर्तों के साथ हैं। नए कर स्लेब के साथ आपको इनवेस्टमेंट पर मिलने वाली कर छूट का फायदा छोड़ना होगा, यदि आयकर इनवेस्टमेण्ट वाली छूट लेते हैं तो कर की पुरानी दर से ही कर देना होगा।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. पटेल, चौधरी, ’आयकर विधान तथा लेखे’, चौधरी प्रकाशन जयपुर, 2018, 19 2. पूनियां, शर्मा, रंगा, ’आयकर विधान एवं लेखे’, आर.बी.डी. पब्लिशिंग हाउस (यूनिट ऑफ - रमेश बुक डिपो), जयपुर, नई दिल्ली, 2019-20 3. डॉ. अश्विनी महाजन, ’’बचत संस्कृति पर पड़ेगा प्रतिकूल असर’’ सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री, दिल्ली विश्वविद्यालय व स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक - शोध-पत्र, राजस्थान पत्रिका संस्करण, 2020 4. प्रो. दिलीप सिंह पूनियां, प्राचार्य, राजकीय लोहिया महाविद्यालय, चूरू, ’’बजट विश्लेषण 2020’’ राजस्थान पत्रिका 2020 5. ’बिजनेस टूडे’ बजट विश्लेषण 2020 6. ’इण्डिया टूडे’ पत्रिका बजट विशेषांक 2020 7. ’दैनिक भास्कर’, राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी, हिन्दूस्तान