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उत्तर कोरोनाः भारतीय समाज पर ऑनलाइन शिक्षा संस्कृति का प्रभाव | |||||||
CORONA: Effect of Online Education Culture on Indian Society | |||||||
Paper Id :
17329 Submission Date :
2023-02-07 Acceptance Date :
2023-02-22 Publication Date :
2023-02-25
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सारांश |
कोरोना महामारी ने भारतीय शिक्षा व शिक्षण को प्रभावित कियाहै। ऑनलाइन शिक्षा ने भारत की गुणात्मक शिक्षण संस्कृति को परिवर्तित करने का काम कियाहै। इस बदलते स्वरूप ने ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को प्रासंगिक बना दियाहै तथा परंपरागत शिक्षण पद्धति को बदलने का काम कियाहै। भारत के शहरों और गावों में शिक्षा के स्तर में अंतर आसानी से देखा जा सकता है। किसी भी तकनीकी चिकित्सा व प्रबंध पाठ्यक्रम की शिक्षा तथा शोध कार्य के लिए हम अपनी संरचना में शहरों पर आधारित है। अपने शोध कार्य में गुणात्मक शोध व द्वितीयकआकड़ों के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण का भारतीय समाज पर पड़ने वाले प्रभावको विश्लेषणात्मक आधार पर जानने का लघु प्रयास है। हमारे सामने वर्तमान में यह एक प्रश्न है कि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से समावेशी शिक्षा का लक्ष्य कहाँ तक प्राप्त कर पाया है। प्राथमिक विद्यालय स्तर पर इस पद्धति का क्रियान्वयन महत्वपूर्ण चुनौती है।
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The Corona epidemic has affected Indian education and teaching. Online education has worked to change the qualitative education culture of India. This changing form has made the online education system relevant and has worked to change the traditional teaching method. The difference in the level of education can be easily seen in the cities and villages of India. For the education and research work of any technical, medical and management course, we are based on cities in our structure. Through qualitative research and secondary data in our research work, this is a small attempt to know the impact of online teaching on the Indian society on an analytical basis. At present, it is a question before us that to what extent the goal of inclusive education has been achieved through online education. Implementation of this approach at the primary school level is a significant challenge. | ||||||
मुख्य शब्द | स्वच्छभारत अभियान, ऑनलाइनशिक्षा, स्वास्थ्य। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Swachh Bharat Abhiyan, Online Education, Health. | ||||||
प्रस्तावना |
24 मार्च 2020 को कोविड-19 के रोकथाम के लिए जब देश भर में लाकडाॅउन लागू किया गया, तो उस के तुरन्त बाद राज्यो की सरकारों ने स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन करने का प्रावधान शु़रू कर दिया, इसमे एनजीओ, फाउंडेशन और निजी क्षेत्र की तकनीकी शिक्षा कंपनियों को भी भागीदार बनाया गया । इन सब ने मिलकर शिक्षा प्रदान करने के लिए संवाद के सभी उपलब्ध माध्यमों का इस्तेमाल शुरू किया। कोरोना वायरस ने मानव के सामान्य जीवन में व्यवधान उत्पन्न किया है । जिसने भारत के 240 लाख बच्चों की शिक्षा को प्रभावित किया है। विद्यालयो के बंद होने से बच्चों के अधिगम प्रभावित हुए तथा उनकी सीखने की क्षमता में अवरोध उत्पन्न हुआ है । खान (1997) ने ऑनलाइन शिक्षण को एक मध्यस्थ के रूप में वेब का के रूप में परिभाषित किया है । जेफीसीमेन (2011) ने ऑनलाइन पाठ्यक्रमो को परिभाषित किया है जिस में न्यूनतम 80 प्रतिशत पाठ्यक्रम सामाग्री ऑनलाइन वितरित की जाती है।
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. ईशिक्षा का भारतीय समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना।
2. ईशिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियो के अधिगम पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करना।
3. ऑनलाइन शिक्षा की जरूरत और चुनौतियों का अध्ययन करना। |
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साहित्यावलोकन | ऑनलाइन शिक्षा को सरल शब्दो मे इंटरनेट आधारित शिक्षा
व्यवस्था कहा जा सकता है । डिजिटल शिक्षा एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो मुख्य रूप से
डिजिटल माध्यम का उपयोग करके शिक्षण--अधिगम प्रक्रिया से संबंधित है। ऑनलाइन शिक्षा
प्रणाली (ई-लर्निग) को सभी प्रकार के इलेक्ट्रानिक समर्थित शिक्षा और अध्यापन के
रूप में परिभाषित किया जाता है, जो स्वभाविक
तौर पर क्रियात्मक होते है और जिनका उद्देश्य शिक्षार्थी के व्यक्तिगत अनुभव
अभ्यास और ज्ञान के निर्माण को प्रभावित करना है। ई-शिक्षा के अनुप्रयोगों और
प्रक्रियाओं में वेब आधारित शिक्षा, कम्प्यूटर आधारित शिक्षा, आभासी शिक्षा और डिजिटल
सहयोग शामिल है। बेटस (2009) के अनुसार ई शिक्षा के हित में एक प्रमुख तर्क यह है कि यह
पाठयक्रम के भीतर सूचना एंव संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग को अन्तस्थापित का
ज्ञान के आधार पर काम करने वाले लोगों के लिए आवश्यक कौशल को विकसित करने में
शिक्षार्थी केा समर्थ बनाता है |
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मुख्य पाठ |
इस लघुशोध में
विवरणात्मक अनुसन्धान डिजाइन का प्रयोग किया है। तथ्यों के संकलन के लिए द्वितीयक आकड़ों का प्रयोग किया गया है तथा ऑनलाइन शिक्षा का भारतीय समाज पर पड़ने वाले
प्रभाव का विश्लेषणात्मक अध्ययन करने का प्रयास किया गया । एजुकेशन और इमरजेसी ऑनलाइन रिमोट एजुकेशन इस मामले के तमाम विशेषज्ञ जैसे कि आईआईटी बॉम्बे के
प्रोफेसर सहानामूर्ति का ये मानना है कि आमने-सामने की पढ़ाई से अचानक ऑनलाइन
माध्यम में स्थानांतरित होने से शिक्षा प्रदान करने का स्वरूप बिल्कुल बदल गया है। इसे आपात कालीन रिमोट टीचिंग कहा जा रहा है। ऑनलाइन
एजुकेशन और इमरजेंसी ऑनलाइन रिमोट एजुकेशन में बहुत फर्क है। ऑनलाइन शिक्षा अच्छी
तरह अनुसंधान के बाद अभ्यास में लाई जा रही है। बहुत से देशों में तालीम का ये
माध्यम कई दशकों से इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि पाठय क्रम को ऑनलाइन उपलब्ध कराया
जा सके। इसके मुकाबले भारत के उच्च संस्थानों में ऑनलाइन शिक्षा की उपलब्धता
काफी कम है। अब अगर यूनिवर्सिटी और कॉलेज आने वाले सेमेस्टर से ऑनलाइन क्लास शुरू
करते है तो उन्हें इस रिमोट ऑनलाइन एजुकेशन और नियमित ऑनलाइन के अंतर को ध्यान में
रखकर अपनी तैयारी करनी होगी । ई-शिक्षा का भारतीय समाज पर प्रभाव ऑनलाइन शिक्षा ने विद्यार्थियो के अधिगम व शिक्षक की शिक्षण
पद्धति को परिवर्तित कर दिया है। ईशिक्षा ने भारतीय सामाजिक संरचना को बदलने का काम
किया है। ऑनलाइन शिक्षा ने विद्यार्थियो के सामाजिक पक्षों को प्रभावित किया है।
विद्यार्थियो के व्यक्तित्व मे सामाजिक शून्यता का समावेश हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की दो एजेसियों ने ऑनलाइन शिक्षा की चेतावनी दी है यह कहते हुए कि यह
सामाजिक आर्थिक असमानताओ को गहरा करेगा। वर्चुअल प्लेटफार्म बच्चो को यौन शोषण की
तरफ ले जा सकता है जहाँ लॉकडाउन ने प्राथमिक स्कूल से विश्वविद्यालयो तकं ऑनलाइन
शिक्षण को बढ़ावा देने के प्रयासों को गति दी है। जबकि उच्चशिक्षा के ऑनलाइन तरीकों के लिए लंबे समय के लिए योजनाए बनाई जा रही है जिस में कहा गया है यह सोचना भ्रम
है कि ऑनलाइन शिक्षा सीखना आगे के लिए सभी के लिए रास्ता है। एजुकेशन कमीशन के
मुताबिक दूरदराज के इलाकों में ऑनलाइन शिक्षा की ओर एक बदलाव न केवल गरीब देशो में
बल्कि विश्व के अमीर देशो में भी असमानता को बढावा मिला है। भविष्य की चिंता के
कारण वे हताशा व अवसाद के शिकार हो रहे है। शैक्षणिक संस्थानो के लंबे समय तक बंद
होने के कारण विद्यार्थियो का सर्वागींण विकास प्रभावित हुआ है। परिसर का वातावरण
छात्रों में दायित्व का बोध का भाव भरता है। स्कूल महज चंद कमरों की संरचना नहीं होती
बल्कि वहां बच्चे शिक्षा के साथ संस्कार और जीवन का भी पाठ सीखते है। स्कूल परिसर
में सहपाठियों के साथ सामाजिकता का विकास होता है। ई-शिक्षा के लिए संसाधनो की उपलब्धता
महामारी की इमरजेंसी के दौरान दूरस्थ शिक्षा यानी ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर सारी परिचर्चाए इस बुनियाद पर आधारित है कितने छात्रों के पास इंटरनेट सेवा है और सभी के पास ऑनलाइन पढाई के लिए उपकरण यानी लैपटाप या कम्प्यूटर मौजूद है। जिसकी मदद से वो ऑनलाइन पढाई कर सकते है पर दुर्भाग्य की बात ये है कि ये बात स्कूल के स्तर पर भी गलत है और उच्चशिक्षा के स्तर पर भी। इस महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिया है। जिससे ऑनलाइन में उपयोग होने वाली संसाधनो मे भी वृद्धि हुई है। डिजिटल डिवाइस 31 लाख असम में 31.06 लाख, उत्तराखण्ड में 21 लाख छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस नहीं है। हजारो बच्चे ऐसे है जिनके स्कूल में ऑनलाइन क्लास तो चल रही है लेकिन संसाधानों की उपलब्धता न होने के कारण लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे है। नेशनल सैम्पल सर्वे से पता चलता है कि साल 2017-18 करीब 42 फीसदी शहर और 15 प्रतिशत ग्रामीण परिवारो के पास इंटरनेट की सुविधा थी। वर्तमान समय में शहरी आबाद में 68 फीसदी और ग्रामीण में महज 31 प्रतिशत तक इंटरनेट की पहुंच है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया के मुताबिक 2020 तक देश में इंटरनेट उपभोक्ताओ की संख्या करीब 63 करोड थी। शिक्षा क्षेत्र पर कोविड-19 का लाभ
मार्च 2020 में भारत के सभी शिक्षण संस्थाओ को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया था। अधिकतर विद्यालयो में शैक्षणिक वर्ष 2019-20 समाप्ती के कगार पे थे। अप्रैल 2020 में मानव संसाधन का नाम बदल कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति रखा गया। शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर प्रस्तुत किया तथा ऑनलाइन औपचारिक शिक्षा जारी रखने का दिशा निर्देश जारी किया गया। इस महामारी ने स्कूली शिक्षा के पूर्व प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक के लाखों शिक्षार्थियों को प्रभावित किया। शिक्षा व्यवस्था व राज्यो के बीच संक्रमण ने आमने सामने से लेकर दूरस्थ शिक्षा के बीच असमानता को प्रदर्शित किया। हालांकि बच्चो को घर से सीखने के लिए विभिन्न डिजिटल सामाग्री द्वारा सहायता की गयी। इस पर सीमित प्रमाण है किस हद तक ये सामग्री बच्चों तक पहुँची या वे कितना इसके साथ संलग्न है या इसका प्रभाव उन पर पडा। वैकल्पिक शैक्षणिक कलैन्डर यह अनुमान करता है कि भारत में इंटरनेट एंव स्मार्ट फोन का लाभ शिक्षक व विद्यार्थी निर्बाध रूप से कर रहे है। हालांकि 2019 की रिपार्ट के अनुसार 32 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या व 54 प्रतिशत शहरी जनसंख्या के पास इंटर नेट पहुँच है। एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड 19 के द्वारा 80 प्रतिशत सरकारी विद्यालयो मेे ऑनलाइन शिक्षण सामग्री उपलब्ध नहीं थे। इस ही पढ़ाई का एक मात्र जरिया है लेकिन ऐसे में चौकाने वाला सच यह है कि देश के 26 राज्यो के 2.69 करोड स्कूली शिक्षा के पास लैपटाप या मोबाइल नहीं है। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्रप्रधान ने लोक सभा में अपने लिखित जवाब में बताया कि सबसे खराब स्थिति बिहार की है। यहां 1.43 करोड छात्रो के पास डिजिटल डिवाइस नहीं है। झारखण्ड के मामले मे यह आँकड़ा 35.32 लाख है। |
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जाँच - परिणाम | आज स्मार्ट फोन लैपटाप टीवी आदि को आपस में साझा करने के विकल्प भी आजमाएं जा रहे है लेकिन एक छात्र भी ऑनलाइन शिक्षा के दायरे से बाहर रह जाता है तो उस के साथ नाइंसाफी होगी । ऑनलाइनशिक्षा के लंबी अवधि के समाधान के लिए राज्यों और केन्द्र की सरकारों को चाहिए कि वे सभी शिक्षण संस्थाओं को अच्छी ब्राडबैड सेवा और ऑनलाइन पढ़ाई के लिए लैपटाप और कम्प्यूटर उपलब्घ कराए। | ||||||
निष्कर्ष |
वैश्विक महामारी कोरोनासंकट के दौरान या उसके बाद ऑनलाइन अध्ययन शिक्षा का बेहतर माध्यम साबित हो रहा है। इसके माध्यम से बच्चो को अनेक प्रकार की शिक्षा की जारही है विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक चैनल यूट्यूब चैनल फेसबुक पेज दीक्षा ऐपमिशन प्रेरणा के चैनल्स बच्चो के ऑनलाइन शैक्षणिक गति विधियो में काफी कारगर सिद्ध होर हे है । ऑनलाइन या डिजिटल शिक्षा के माध्यम से बच्चो को किताबी शिक्षा के साथ हि तकनीकी जानकारियाँ मिल रही है बोलो एप के माध्यम से एक से लेकर 5 तक का प्रत्येक बच्चे अपने पठन संबंधी समस्या को दूर कर सकता है। शहरी क्षेत्र के बच्चे लाभांवित हो रहे है पर ग्रामीण अंचल में परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छा़त्राएं जो कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते है । उनके पास डिजिटल संसाधनों की कमी है जिन अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन है वह भी हर समय डाटा रिचार्ज करा पाने में सक्षम नही हो पा रहे है । स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार हमारे देश में बच्चे चिड़चिड़े हो रहे है। उनमें मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियो का डर बना रहता है। उनकी शारीरिक गतिविधियाँ कम होने से मानसिक व शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही है कोरोना के आँकड़े कम होने के पश्चात् विद्यालयों को आंशिक रूप से खोला जाने लगा । जिसके ऑनलाइन व आफ लाइन दोनो पद्धतियो के उपयोग के माध्यम से शिक्षणकार्य शुरू किया गया। केवल आनलाइन शिक्षण पद्धति विद्यार्थी एंव शिक्षक में निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा था दोनो मशीनी दुनिया का हिस्सा होते चले जा रहे थे लेकिन बदलते स्वरूप ने शिक्षण पद्धतियों को और भी सुगम बना दिया । |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. वादिय चन्द्रनलीना 2020 कोविड-19 के दौर मे आनलाइन शिक्षा की जरूरत और चुनौतिया; अब्जर्वर रिसर्च फाउन्डेशन ।
2. सुब्रमण्यमप्रियंका 2020 यूएबलः उम्रके बच्चो के रचनात्मक आधारित कौशल विकासिता कि हो सके नई पीढ़ी के लिए नेतृत्व का निर्माण; आब्जर्वर रिसर्च फाउन्डेशन ।
3. Saxena K (2020) Coronavirus accelerates pace of digital education in india .
4. Rieley J B (2020) Coronavirus and its impacts on higher education,Research Gate
5. UNESCO,India case study, situation analysis on the Effects and responses to COVID-19 on the education sector in india .
6. Jindal Aman, Challenges and opportunities for online education in indiaPramana research journal. |