P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- VII March  - 2023
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
वोकल फोर लोकल की प्रासंगिकता आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में
Relevance of Vocal for Local in The Context of Self-Reliant India
Paper Id :  17313   Submission Date :  07/03/2023   Acceptance Date :  12/03/2023   Publication Date :  15/03/2023
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अभिलाषा साहू
असिस्टेंट प्रोफेसर
अर्थशास्त्र विभाग
श्री दीपचंद्र चौधरी स्नात्कोत्तर महाविद्यालय
ललितपुर,उत्तर-प्रदेश, भारत
सारांश प्रस्तुत शोधपत्र में भारत मेंआत्मनिर्भरता में वोकल फॉर लोकल की आवश्यकता, वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए वोकल फॉर लोकल से ग्लोबल का अध्ययन किया गया है।आत्मनिर्भरता की पहली शर्त है- अपने देश में व अपने देश के लोगों द्वारा निर्मित वस्तुओं पर गर्व होना।भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मोदी जी ने 15 अगस्त 2020 को वोकल फॉर लोकल का संदेश सम्पूर्ण भारत को देते हुए कहा कि देशवासी देश में निर्मित को केवल खरीदे नहीं बल्कि गर्व के साथ इनका प्रचार भी करें। अर्थात् लोकल के लिए वोकल बने। जिससे अधिकाधिक लोंगों में स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को लेकर जागरूकता आए। वर्तमान समय में वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी स्थानीय उत्पाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वोकल फॉर लोकल वैश्वीकरण के नए स्वरूप का आवाह्न है जो देश के लाभ की भावना से प्रेरित है। जिस तरह भारत में ज्ञान का भण्डार, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुर मात्रा, युवाओं में कौशल, नियमितता, लगन है, इन सभी को मिलाकर भारत देश को आत्मनिर्भर बना सकते है। वस्तुतः स्थानीय वस्तुओं का विकास व प्रचार प्रसार ही आत्मनिर्भरता के द्वार की कुंजी है। केन्द्र व राज्य सरकार विभिन्न योजना व कार्यक्रम जैसे- एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम, हुनर हाट, राष्ट्रीय खिलौना मेला, प्रदर्शिनी आदि के द्वारा देश में स्थानीय उत्पाद को बढावा देने के लिए आवश्यकतानुसार प्रयास किया जा रहा है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The present paper studies the need for vocal for local in self-reliance in India, vocal for local to global to promote globalization. The first condition of self-reliance is to be proud of the goods made in one's country and by its people. To achieve the goal of self-reliance to strengthen the Indian economy, Modi on August 15, 2020 gave the message of Vocal for Local to the entire India and said that the countrymen should not only buy locally made products but also promote them with pride. That is, become vocal for the local. This will raise awareness among more people about the use of indigenous products.
Local products also play an important role to promote globalization at present. Vocal for Local is a call for a new form of globalization that is driven by a sense of country benefit. The way India has a wealth of knowledge, abundant natural resources, skills, regularity and diligence in the youth, all these can be combined to make India self-reliant. In fact, the development and promotion of local products is the key to self-reliance. Central and State Governments are making efforts to promote local products in the country through various schemes and programs like One District One Product Programme, Skill Haat, National Toy Fair, Exhibition etc. as required.
मुख्य शब्द भारतीय अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भरता, वोकल फॉर लोकल, वैश्वीकरण, स्थानीय उत्पाद, रोजगार।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Indian Economy, Self-Reliance, Vocal for Local, Globalization, Local Products, Employment.
प्रस्तावना
कोरोना महामारी ने न केवल भारत देश को बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया।महामारी के समय लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने लॉक डाउन लगाया परन्तु इससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुचा। बीतते समय के साथ लोगों की जेब सिमटती गई। लोगो की बचत खत्म हो गई संगठित क्षेत्र के सरकारी, अर्द्ध सरकारी विभागों और निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में काम करने वालों की मासिक आय सुरक्षित थी। लेकिन असंगठित क्षेत्र के लोगों के सामने धीरे-धीरे संकट गहराने लगा। वहीं दूसरी ओर व्यापारियों वर्ग का उत्पादन न होने एवं सामान न बिकने से काफी हानि हुई। इसके बाद सबसे बड़ी चुनौती थी व्यवसाय, नौकरी व रोजगार के द्वारा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना। क्योंकि यही वह आधार है जो समाज को शिक्षा, चिकित्सा, उद्यम जैसी आवश्यकताओं के लिए तैयार करता है। अतः इन कारणों को दृष्टिगत रखते हुए मार्च 2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक विशेष आर्थिक पैकेज 20 लाख करोड. रूपये की घोषणा की और देश को आत्म निर्भर बनाने का आवाह्न किया जो भारत की GDP के 10 प्रतिशत के बराबर है। पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता (नकद मुद्रा), कानून आदि पर ध्यान दिया गया। आत्मनिर्भरता की पहली शर्त है- अपने देश में व अपने देश के लोगों द्वारा निर्मित वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी इनसे जुड़ता है, गर्व करता है तब आत्मनिर्भर भारत सिर्फ आर्थिक अभियान न रहकर एक राष्ट्रीय भावना बन जाता है। मोदी जी के इस संवेदनशील संदेश में वही प्रेरणा व ऊर्जा दिख रही है जो आजादी की लड़ाई के समय महात्मा गांधी जी के चरखा एवं स्वदेशी अभियान में दिखाई दी थी। भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ करने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मोदी जी ने 15 अगस्त 2020 को वोकल फॉर लोकल का संदेश सम्पूर्ण भारत को देते हुए कहा कि देशवासी देश में निर्मित को केवल खरीदे नहीं बल्कि गर्व के साथ इनका प्रचार भी करें। अर्थात् लोकल के लिए वोकल बने। जिससे अधिकाधिक लोंगों में स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को लेकर जागरूकता आए।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोधपत्र के उद्देश्य निम्नलिखित है - 1. भारत में वोकल फॉर लोकल के दृष्टिकोण का अध्ययन करना। 2. भारत में आत्मनिर्भरतामें वोकल फॉर लोकल की आवश्यकता का अवलोकन करना। 3. वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए वोकल फॉर लोकल से ग्लोबल का अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

विमल कुमार लहरी, 2021, ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान: संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिवर्तन की एक नई यात्रा प्रस्तुत शोध-पत्र अनुभवजन्य पद्धति पर आधारित है, जिसके अन्तर्गत यह दिखलाने का प्रयास किया गया है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के बढ़ते कदम से आधुनिक भारत में संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक परिवर्तन की एक नई यात्रा आगे बढ़ी है।वैसे मानवसभ्यता की प्रारम्भिक यात्रा आत्मनिर्भर ही रही है। भारत के शीर्ष नेतृत्व ने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का बीड़ा उठाया है। एक बार फिर भारत की परम्परागत आत्मनिर्भर शैली की पहचान वैश्विक स्तर पर बनी है।
प्रताप कुमार दास, गोपाल कृष्णा, 2021, ‘‘आत्मनिर्भर भारतः लोकल के लिए वोकल स्वदेशी तकनीक द्वारा आर्थिक वृद्धि‘‘, प्रस्तुत शोध पत्र में भारत में आत्मनिर्भरता में वोकल फॉर लोकल देश की आर्थिक वृद्धि में किस प्रकार सहायक है, इसके महत्व, आत्मनिर्भर कैसे बन सकते है आदि का अध्ययन किया है। वर्तमान समय में वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी स्थानीय उत्पाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कोरोनाकाल की संकट की घड़ी में लोकल वस्तुओं ने ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा किया चूंकि आविष्कार तभी होता है जब आवश्यकता होती है। अब समय आ गया है कि भारत देश आत्मनिर्भर बने और जो हमारे कुटीर उद्योग, लघु उद्योग, गृह उद्योग, लघु मंझोले उद्योग है उन पर हम भरोसा दिखाए। अर्थव्यवस्था के विकास के लिए लोकल को बढ़ावा देना आवश्यक है स्थानीय उत्पादकता में वृद्धि से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। 

मुख्य पाठ

वोकल फॉर लोकल का मूल अर्थ है स्थानीय वस्तुओं का उत्पादन करना, उपयोग करना, साथ ही स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना। इस पहल से लोगों को रोजगार मिलेगा और स्थानीय बाजार विकसित होगा। यदि हम स्थानीय उत्पादों का उपयोग करते है तो यह न केवल स्थानीय पहचान को मजबूत करेगा बल्कि उस क्षेत्र के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। अन्य देशों पर निर्भरता में कमी आएगी। स्वदेशी वस्तुओं की पहचान के लिए उस उत्पाद पर बार कोड- 890 से शुरू होता है जो यह दर्शाता है कि यह कानूनी रूप से GS-India में शामिल है। यह एक वस्तु का लाइसेंस है जिसके लिए उत्पादक या व्यवसायी को वार्षिक भुगतान करना होता है। इसके अलावा भारत में बनी वस्तुओं पर ‘‘मेड इन इंडिया‘‘ का टैग होता है।

वर्तमान वैश्वीकरणके युग में आत्मनिर्भरता आत्मकेंद्रित से अलग है इसका अर्थ अन्य देशों से अलग-थलग हो जाना नही है। आत्मनिर्भरता का अर्थ है अहम क्षेत्रों की पहचान कर उनमें निवेश करना,जिससे विपरीत परिस्थितियों में किसी पर निर्भर न रहे। इसका उद्देश्य आयातों पर प्रतिबंध लगाए बिना स्वदेशी निर्माण क्षमता का विकास करना है। अर्थात ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘‘ की संकल्पना को ध्यान में रखते हुए न तो वैश्वीकरण का बहिष्करण किया जाएगा, न संरक्षणवाद को बढ़ावा दिया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी। आत्मनिर्भर भारत की दिशा के प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौनें आदि क्षेत्रों एवं द्वितीय चरण में रत्न, आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत के अन्तर्गत निम्नलिखित 5 स्तम्भ निर्धारित किए है।

1. अर्थव्यवस्थाजो वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) के स्थान पर बड़ी उछाल(Quantum Jump) पर आधारित हो।

2. ऐसी अवसंरचना (Infrastructure) का विकास किया जाए जो विश्व में आधुनिक भारत की पहचान बने।

21वीं सदी की प्रौद्यौगिकी (Technology) संचालित व्यवस्था पर आधारित प्रणाली पर जोर दिया जाएगा।

4. गतिशील जनसांख्यिकी (Vibrant Demography) जो आत्मनिर्भर भारत के लिए ऊर्जा का स्त्रोत है।

5. भारत की मांग (Demand) और पूर्ति श्रंखला की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाएगा।

आत्मनिर्भरता में वोकल फॉर लोकल की आवश्यकता

भारत देश आत्मनिर्भर बने, देशवासी स्थानीय व भारत देश में बनी वस्तुओं का उपयोग कर अर्थव्यवस्था के विकास पथ पर अग्रसर होकर सहयोग प्रदान करें। इसी सपने को साकार करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकलका आवाह्न किया जो एक दूसरे के अनुपूरक है।कोरोना काल की संकट की घड़ी में लोकल वस्तुओं ने ही हमारी आवश्यकताओं को पूरा किया चूंकि आविष्कार तभी होता है जब आवश्यकता होती है। अब समय आ गया है कि भारत देश आत्मनिर्भर बने और जो हमारे कुटीर उद्योग, लघु उद्योग, गृह उद्योग, लघु मंझोले उद्योग है उन पर हम भरोसा दिखाए। अर्थव्यवस्था के विकास के लिए लोकल को बढ़ावा देना आवश्यक है स्थानीय उत्पादकता में वृद्धि से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

1. आत्मनिभर्रता का सीधा सम्बंध उत्पाद की गुणवत्ता से होता है। प्रायः माना जाता है कि नए-नए उत्पाद व इनकी गुणवत्ता के बल पर विकसित देश विश्व बाजार में अपना स्थान कायम रखते है अन्य विकासशील देशों की तरह भारत की भी सबसे बड़ी चुनौती है उत्पाद की गुणवत्ता। इसके लिए  देश में प्रचुर मात्रा में संसाधन उपलब्ध है। प्रकृति ने भारत को हर प्रकार सम्पन्न बनाया है। इसलिए आवश्यकता है कि भारत देश भी शोध व अनुसंधान, नवीन तकनीककौशल विकास द्वारा गुणवत्तापूर्ण वस्तुओं का उत्पादन करें जिससे आयात पर निर्भरता कम हो सके।

2. देश के आत्मनिर्भर बनने व अर्थव्यवस्था के विकास के लिए मांग पक्ष व पूर्ति पक्ष दोनों पर ध्यान देना आवश्यक हैक्योंकि मांग पूर्ति के बराबर होने से ही अर्थव्यवस्था में संतुलन होगा। कोरोना काल के समय पर गौर करे तो पाएंगे कि अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने का एक कारण मांग पक्ष कमजोर होना भी था। बाजार में वस्तुओं की मांग में कमी होने से उत्पादक को वस्तु का उचित मूल्य न मिलना, अतिउत्पादन, श्रमिकों की छटनी आदि की समस्या उत्पन्न हो जाती है। परन्तु वास्तविकता यह भी है कि वस्तुओं के उपभोग और उनकी मांग का सीधा सम्बंध लोगो की आय व उनकी क्रय शक्ति से है जिसे वह बाजार में खर्च करते है। अतः मांग में वृद्धि के लिए आय व रोजगार के नए अवसर विकसित करने होंगे जिसमे वोकल फॉर लोकल उपयोगी सिद्ध हो सकता है। क्योंकि भारत में हस्तशिल्प, आयुर्वेदिक उत्पाद, कृषि व उससे संबंधित उद्योग, लघु एवं कुटीर उद्योग आदि की अपार संभावनाए है। आवश्यकता है तो मानव पूॅंजी के उचित उपयोग, प्रबंधन एवं प्रचार प्रसार की।

3. वोकल फॉर लोकल की मुहिम द्वाराजिन्होने अपनी नौकरी एवं व्यवसाय को खो दिया है वो स्टार्ट अपचालू कर आत्मनिर्भर बन सकते है। इसके लिए बैंक उन्हें ऋण मुहैया करा रही है।उत्पाद की गुणवत्ता के प्रति जागरूकता से MSME को उनकी पहचान बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा उपभोक्ता द्वारा अपने दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली वस्तुओं में थोड़े से बदलाव कर देश को आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान कर सकता है। जैसे-ऑन लाइन खरीददारी के बजाए स्थानीय बाजार से सामान खरीदे, स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित वस्तुए, घर को सजाने के लिए क्षेत्रीय हस्तशिल्पकारों व हेण्डमेड उत्पाद, दीवाली पर रोशनी के लिए मिटटी के दिए खरीदे, भारत में बने उत्पाद जिसमें मेड इन इंडिया प्रिंट हो उसे खरीदे। सुपर मार्केट या मॉल के स्थान पर मंडी या स्थानीय दुकान से सामान खरीदे, आदि।

वोकल फॉर लोकल से ग्लोबल

वर्तमान समय में वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी स्थानीय उत्पाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।जब देश की पारम्परिक कलाओं, शिल्पों व उत्पादों को भारतीयों की भावना से जोड़ा जाए, उनमें तकनीक व कौशल का प्रयोग कर आज की मांग के अनुरूप बनाया जाए, उनकी पैकेजिंग, ब्रांण्डिग, विपणन व विक्रय कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जाएगा। और साथ ही जब देशवासी स्वयं लोकल उत्पाद का उपयोग करेंगे, उनका प्रचार करेंगे, बढ़ावा देंगे तभी निर्यात में भी वृद्धि होगी वैश्वीकरण को बढावा मिलेगा अर्थात् लोकल से ही ग्लोबल बनाना मुमकिन है। जो भी ग्लोबल ब्रांड है वो कभी लोकल हुआ करते थे। वर्तमान में खादी जो कि भारत की जनता की ही देन है एक बड़े ब्रांड में तब्दील हो गया है जिसकी भारत में ही नहीं विश्व में भी बहुत मांग है।

उत्तर प्रदेश का ‘‘एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम‘‘ 24 जनवरी 2018 को शुरू हुआ जो मार्केट मैकेनिज्म के अनुरूप वातावरण निर्मित करने के साथ- साथ वोकल फॉर लोकल मंत्र को सार्थक करते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान की एक महत्वपूर्ण कड़ी बनने में सफल हुआ है।इस योजना के तहत अभी तक 5 लाख लोगों को रोजगार मिल चुका है और लघु और मध्य उद्योग से 89 हजार करोड़ रूपये से अधिक का निर्यात किया जा चुका है।

भारत देश ने कोरोना काल में मास्क, पी.पी.ई. किट, सेनेटाईजर, वेंटीलेटर उपकरण न केवल देश के लिए बनाकर समाज हित का कार्य किया बल्कि विदेशों में भी उपलब्ध कराकर मानवता के कल्याण का कार्य किया है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा यूरापीय व मध्य पूर्वी देशों को खादी के मास्क की आपूर्ति की गई।

देश में पहली बारक्लस्टरों का निर्माण कर कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया गया जैसे-चंदौली से काला नमक चावल, बनारस से ताजी सब्जियां, नागपुर के संतरे, अनंतपुर के केले का निर्यात। ऐसे बहुत से उत्पाद है जिनका पहली बार निर्यात किया गया और उन्होने अपनी गुणवत्ता के आधार पर विदेशी बाजार में धूम मचाई है जैसे- मई 2021 में पहली बार 4हजार किलो आर्गेनिक-सांवा चावल और जो डेनमार्क भेजा गया। इसी वर्ष असम से 40 मीट्रिक टन लाल चावल अमेरिका को, पूर्वोत्तर का बर्मी अंगूर, त्रिपुरा से कटहल लंदन भेजा गया, कानपुर का जामुन जुलाई 2021 को ब्रिटेन, ओमान भेजा गया आदि। यानि भारत के किसानो ने न सिर्फ अपने देश के लोगों का बल्कि अन्य देशो को भी भारतीय उत्पाद के स्वाद का ऋणी बनाया।वर्तमान समय में भारत कृषि से एस्ट्रॉनोमी तक, डिजास्टर मैनेजमेंट से लेकर डिफेंस टेक्नोलाजी तक, वैक्सीन से लेकर वर्चुअल रियलिटी तक अर्थात् लोकल से ग्लोबल तक आत्मनिर्भर और सशक्त बनने की ओर अग्रसर है।

सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत शोध पत्र में भारत में आत्मनिर्भरता में वोकल फॉर लोकल की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।प्रस्तुत शोधपत्र में द्वितीयक समंको का प्रयोग किया गया है जो उपलब्ध सम्बद्ध प्रकाशित आलेखों, पुस्तकों से संकलित किए गये है, जिसके कारण निष्कर्ष की पूर्ण विश्वसनीयता द्वितीयकसमंको पर आधारित है।
निष्कर्ष उपर्युक्त अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के समय परिवहन के साधन बंद थे तब देश के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व ने स्थानीय वस्तुओं की उपयोगिता व महत्व को समझा। इसी सन्दर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द मोदी जी्रकहा कि‘‘ आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है न सिर्फ लोकल उत्पाद खरीदने है बल्कि उनका गर्व से प्रचार प्रसार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है।‘‘ वोकल फॉर लोकल वैश्वीकरण के नए स्वरूप का आवाह्नन है जो देश के लाभ की भावना से प्रेरितहै। जिस तरह भारत में ज्ञान काभण्डार, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुर मात्रा, युवाओं में कौशल, नियमितता, लगन है, इन सभी को मिलाकर भारत देश कोआत्मनिर्भर बना सकते है। वस्तुतः स्थानीय वस्तुओं का विकास व प्रचार प्रसार हीआत्मनिर्भरता के द्वार की कुंजी है। केन्द्र व राज्य सरकार विभिन्न योजना व कार्यक्रम जैसे-एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम, हुनर हाट, राष्ट्रीय खिलौना मेला, प्रदर्शिनी आदि के द्वारादेश में स्थानीय उत्पाद को बढावा देने के लिए आवश्यकतानुसार प्रयास किया जा रहा है। परन्तु हम देशवासियों को यह समझना होगा कि इसमें केवल सरकार के करने से पूरी सफलता नही मिल सकती। आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब देश के नागरिकों के अंदर स्वदेशी को अपनाने के प्रति अटल भावना होगी और वे व्यवहार में उसे अपनाएंगे।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. विमल कुमार लहरी,‘‘आत्म निर्भर भारत अभियानःसंरचनात्मक प्रकार्यात्मक परिवर्तन की एक नई यात्रा, 2021. 2. प्रताप कुमार दास, गोपाल कृष्णा, ‘‘ आत्मनिर्भर भारतः लोकल के लिए वोकल स्वदेशी तकनीक द्वारा आर्थिक वृद्धि‘‘भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र,2021. 3. Manpreet singh, “Vocal for local”, Journal of emerging technology and innovative researck (JETIR) 2021. 4. Krishan Singh, “ A review on Atmanirbhar Bharat package ( A self-reliant India Movement) in agricultural development of Rural India”, Shodh sameeksha aur moolyankan 2020. 5. MSME.gov.in 6. India today Akash Verma, 2020. 7. Navbharat times. 8. योजना मासिक पत्रिका। 9. कुरूक्षेत्र मासिक पत्रिका। 10. ग्राम विकास ज्योति मासिक पत्रिका।