P: ISSN No. 2321-290X RNI No.  UPBIL/2013/55327 VOL.- X , ISSUE- VII March  - 2023
E: ISSN No. 2349-980X Shrinkhla Ek Shodhparak Vaicharik Patrika
मनरेगा योजना का ग्रामीण समाज पर प्रभाव
Effect of MNREGA Scheme on Rural Society
Paper Id :  17385   Submission Date :  06/03/2023   Acceptance Date :  19/03/2023   Publication Date :  25/03/2023
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/shinkhlala.php#8
बिरेन्द्र सिंह
शोध छात्र
समाजशास्त्र विभाग
मेरठ कॉलेज
मेरठ,उत्तर प्रदेश, भारत
धीरेन्द्र प्रताप सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
समाजशास्त्र विभाग
मेरठ कॉलेज
मेरठ, उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश ग्रामीण लोगों का सामाजिक और आर्थिक जीवन में बहुत फायदा हुआ है। मनरेगा को सही ढंग से क्रियान्वित करने की आवश्यकता है जिससे मनरेगा पर लोगों का विश्वास बना रहे। यदि सरकारें मनरेगा पर ध्यान केन्द्रित करती हैं तो मनरेगा एक आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण अधिनियम है। चूँकि मनरेगा ग्रामीण विकास के लिये चलाई गई योजना है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि ग्रामीण विकास को नजर अंदाज करने से विकास कार्य नहीं किये जा सकते। मनरेगा योजना केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को रोजगार उपलब्ध करके उनकी सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में सुधार लाना। इससे ग्रामीण लोगों का विकास होगा और गाँवों का विकास होगा तो राष्ट्र का विकास होगा। इस मनरेगा कार्यक्रम से रोजगार कर्मियों की कार्य क्षमता और राष्ट्र प्रेम की भावना आदि का विकास होता है क्योंकि मनरेगा पिछड़े गरीब और निम्न तबके के लोगों का सहारा बना है, उनकी आजीविका का साधन बना है। मनरेगा और ग्रामीण लोग ( श्रमिक) एक-दूसरे के सृजन के साथी है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद There has been a lot of benefit in the social and economic life of the rural people. MNREGA needs to be implemented properly so that people's faith in MNREGA is maintained. If governments focus on MNREGA then MNREGA is an essential and important act. Since MNREGA is a scheme run for rural development. Therefore it can be said that development work cannot be done by ignoring rural development. MNREGA scheme is an important scheme of the Central Government. Its main objective is to provide employment to rural poor families and improve their social, economic, education and health levels. This will lead to the development of the rural people and if the villages develop then the nation will develop. This MNREGA program develops the work capacity and the feeling of patriotism etc. of the employed workers because MNREGA has become the support of backward poor and low class people, it has become a means of their livelihood. MNREGA and rural people (workers) are partners in each other's creation.
मुख्य शब्द मनरेगा, आत्म-निर्भर, रोजगार, पलायन, ग्रामीण विकास आदि।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद MNREGA, Self-reliant, Employment, Migration, Rural Development etc.
प्रस्तावना
मनरेगा के अन्तर्गत ग्रामीण परिवार को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कुल 100 दिवस का समुचित रोजगार प्रदान करने की केन्द्र परिवर्तित योजना, जिसका शुभारम्भ 2 फरवरी, 2006 को आन्ध्र प्रदेश के अनन्तपुर जिले के नरपाला मण्डल की बादंला पल्ली ग्राम पंचायत में किया गया। योजना का प्रथम चरण (02/02/2006) में 200 जिलों व द्वितीय चरण (01/04/2007) में अन्य 130 जिलों में लागू किया गया । 01 अप्रैल, 2007 को 113 जिले अधिसूचित किये गये। एसजीआरवाई के चल रहे कार्यक्रमों और काम के बदले अनाज कार्यक्रम को इन जिलों में मनरेगा के अन्तर्गत मिला दिया गया। वर्ष 2007-08 में मनरेगा का विस्तार करते हुए इसे 330 जिलों में लागू कर दिया गया। वर्ष 2008-09 (01 अप्रैल, 2008) में इसे देश के सभी ग्रामीण जिलों में लागू कर दिया गया। मनरेगा एक माँग आधारित स्कीम है जिसका केन्द्र बिन्दु जल संरक्षण, सूखाग्रस्त क्षेत्रों का उद्धार ( वाणिकी वृक्षारोपण सहित), भूमि विकास, बाढ़ नियन्त्रण /जल संरक्षण (जल ठहराव वाले क्षेत्रों में जल निकासी सहित ) और सभी मौसमों में अच्छी सड़कों हेतु सड़क सम्बद्धता से सम्बन्धित क्षेत्रों पर ध्यान देना रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार का 2014-15 में अंशदान महात्मा गाँधी नरेगा प्रतिवेदन के अनुसार 9:10 था, जो अब 75:25 है।
अध्ययन का उद्देश्य 1. मनरेगा का ग्रामीण व्यक्तियों पर प्रभाव का अध्ययन। 2. मनरेगा के अन्तर्गत कार्यक्रमों का ग्रामीण विकास पर प्रभाव का अध्ययन।
साहित्यावलोकन
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम 2 फरवरी 2006 से लागू होने के कारण एक नया अधिनियम है। इसे लागू हुए बहुत ज्यादा समय नही हुआ है। इसलिए शोध विषय से संबंधित ग्रन्थों का पर्याप्त एवं व्यापक अध्ययन सामग्री की उपलब्धता का अभाव है तथा संबंधित अनुसंधान में वर्तमान में अपेक्षाकृत बहुत कम कार्य हुआ है। इस शोध में रोजगार की गारण्टी का महत्व, अब तक किये गये कार्यों का अध्ययन, प्रस्तावित कार्यों का अध्ययन, योजना के उद्देश्यों का तथा अध्ययन में आने वाली कठिनाईयों का स्तर वर्णन है और अपने इस शोध को सही दिशा देने का प्रयास किया गया है। 
Dreze (2006) द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के तहत कार्यरत महिलाओं की समस्याओं के संदर्भ में एक अध्ययन किया। अध्ययन से यह ज्ञात हुआ कि राजस्थान में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में चलाये जा रहे कार्यों में कार्यस्थल पर महिलाओं के लिये अनुकूल सुविधाएँ मौजूद नहीं है तथा कार्यस्थल पर उचित मेडिकल एवं कार्यरत महिलाओं के बच्चों के लिए कोई सुविधाएँ नहीं है। 
CSE (2007) ने मनरेगा के क्रियान्वयन में चुनौतियाँ एवं अवसर पर एक अध्ययन किया। अध्ययन में यह ज्ञात हुआ कि मनरेगा रोजगार के अवसरों को उत्पन्न करने में उतना प्रभावशाली नहीं हुआ है जितनी की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के तहत अपेक्षा थी । अध्ययन से यह भी पाया गया कि मनरेगा में लाभार्थी द्वारा आर्थिक दोहन किया जा रहा है न कि एक ऐसी आर्थिक क्रांति जिसमें श्रमिकों की अधिकता से उत्पादन एवं कार्य क्षमता में वृद्धि हो रही हो। 
Prasad. M.R. (2008) ने महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम की गाँवों से पलायन करने की प्रवृत्ति पर प्रभाव का अध्ययन किया। अध्ययन से प्राप्त परिणामों के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम द्वारा सार्थक स्तर पर पलायन को रोकने में मदद मिली है। अध्ययन से यह भी ज्ञात हुआ कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम का लाभ लाभार्थियों की आय पर सार्थक रूप से दृष्टिगोचर हुआ। 
Sharma Manju (2009) ‘‘भारत में सामाजिक संरचना एवं जनजातियाँ‘‘ प्रस्तुत पुस्तक में लेखिका ने भारत में सामाजिक संरचना एवं जनजातियों की स्थिति का वर्णन किया है। उन्होंने जनजातियों की व्यवस्था का अंग्रेजी शासनकाल के समय से लेकर वर्णन किया है। सन् 1833 में अंग्रेजों ने विभिन्न कारणों से एक अधिनियम द्वारा स्थानीय लोगों को संरक्षण देने के विषय में सोच-विचार किया। छोटा नागपुर का क्षेत्र ‘नियमोत्तर‘ घोषित कर दिया गया। जिसका अर्थ यह था कि वहाँ सामान्य नियम लागू नहीं होगे जैसे बाहर के लोगों को अधिकार दिए गए। बाद में यह नीति कई अन्य क्षेत्रों में भी लागू की गई। 
Khera Rtika (2009) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के संदर्भ में महिलाओं के विचार जानने के उद्देश्य से अध्ययन किया। अध्ययन से प्राप्त परिणामों के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अंतर्गत रोजगार प्राप्त हितग्राहियों में एक तिहाई महिलाएं केरल, राजस्थान एवं तमिलनाडु राज्य में थी जबकि आसाम, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में एक तिहाई से कम महिलाएं मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत थी। अध्ययन में चयनित महिला हितग्राहियों में से अधिकांश का यह विचार था कि मनरेगा में रोजगार प्राप्त होने के पश्चात् उनका परिवार भुखमरी की समस्या से उबर रहा है। 
Chakravarthy (2010) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के तहत हुए कार्यों का राज्यवार तुलनात्मक अध्ययन किया। अध्ययन से प्राप्त परिणामों के अनुसार छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में मनरेगा के तहत 50 प्रतिशत परिवारों को लाभ मिला जिसका सीधा प्रभाव यहाँ के लाभान्वितों की आर्थिक स्थिति पर पड़ा क्योंकि छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों में गरीबी राष्ट्रीय औसत के अधिक है। 
Badodiya et.al. (2011) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम का गरीबी उन्मूलन के संदर्भ में अध्ययन किया। अध्ययन हेतु मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर जिले के मोरार ब्लॉक के 110 ग्रामीण लाभार्थी जो कि निम्न सामाजिक आर्थिक स्तर के थे, का चयन किया गया। अध्ययन से प्राप्त परिणामों के मनरेगा में कार्य करने से लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति में सार्थक सुधार हुआ । 
Honnakeri and Kote (2012) ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम ने गांव से पलायन की समस्या एवं आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया। अध्ययन हेतु कर्नाटक राज्य के गुलबर्गा जिले के दो गांवों कोडला एवं कुसनुरू से आंकड़ों का संकलन किया गया। अध्ययन से प्राप्त परिणामों के अनुसार मनरेगा के अंतर्गत रोजी का भुगतान एक सप्ताह के भीतर कर दिया गया एवं इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई। अध्ययन में यह पाया गया कि मनरेगा में कार्यरत प्रतिशत लोग मनरेगा के विषय में अनभिज्ञ थे। 
Kumar (2015) हिमालच प्रदेश के जिला मंडी में मनरेगा के और उनके लिए ग्राम सभा की बैठकों के महत्व के लिए दावा करने का कोई विचार नहीं है। नौकरी पाने के लिए वार्ड सदस्यों की उनकी भारी निर्भरता और शिकायत से निपटने के बारे में कोई जानकारी नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा की सफलता के बारे में चिन्ता पैदा हो गई। हालांकि बैंकों के माध्यम से भुगतान जैसे प्रावधान ने कुछ हद तक भ्रष्टाचार की प्रथाओं पर अंकुश लगाया है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रत्येक हितधारक को अधिनियम के तहत उपलब्ध अधिकारों के बारे में जानकारी और जागरूकता का प्रसार इसकी सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। 
Bahuguna, Rahul; Pandey, Akhilesh Chandra and Soodan, Vishal (2016) अध्ययन के परिणामों से यह पाया गया कि ग्रामीण जनता के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए मनरेगा के स्पष्ट उद्देश्य थे। अधिनियम का उद्देश्य समाज के विभिन्न समूहों के बीच समानता बनाए रखना और जीवन स्तर को बढ़ावा देना है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के आर्थिक सुधार में योगदान हो। परिकल्पना परीक्षण से यह पता चला कि कार्यक्रम ने ग्रामीण क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाकर उनके अर्थशास्त्र को सुधारने में बहुत अच्छा काम किया है। 
Deeraj, R-P (2017) मनरेगा कार्यक्रम ने ग्रामीण परिवारों को अपनी क्रय शक्ति बढ़ाने, सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ एक गुणवत्तापूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने और अपने बच्चों को शिक्षा और कई अन्य लाभ प्रदान करने में सक्षम बनाया है। मनरेगा ने अतिरिक्त आय से ग्रामीण परिवारों को जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए खर्च करने में सक्षम बनाया है। आम तौर पर जब आय में वृद्धि होती है तो इसका परिवार के खर्च पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है, यह सर्वेक्षण के आंकड़ों से स्पष्ट होता है, जो दर्शाता है कि 89 प्रतिशत परिवारों के पास बिजली कनेक्शन है, उनमें से 45 प्रतिशत के पास टीवी है, 40 प्रतिशत के पास मोबाइल फोन है, यह कहानी का उज्जवल हिस्सा है, लेकिन दुर्भाग्य से, मनरेगा का यह सकारात्मक प्रभाव ग्रामीण परिवारों को राहत देने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि 83 प्रतिशत घरों में एलपीजी कनेक्शन नहीं था और 80 प्रतिशत घरों में शौचालय की सुविधा नहीं थी। 
Das Darshan (2020) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) स्वतंत्रता के बाद से सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के भारतीय इतिहास में सबसे बड़ा गरीबी उन्मूलन और सुविचारित कानून है । इस अधिनियम ने अपने पंजीकृत श्रमिकों को गारंटीशुदा रोजगार प्रदान करके देश के ग्रामीण क्षेत्रों में एक मूक क्रान्ति ला दी है। मनरेगा ग्रामीण परिवारों के लिए आशा की किरण के रूप में आया है क्योंकि इस योजना का मुख्य फोकस गांव के बुनियादी ढांचे का निर्माण करके गारंटीकृत रोजगार के रूप में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है सरकारी आंकड़ो के माध्यम से यह दर्शाता है कि मनरेगा काफी सफल और अच्छी तरह से कार्यान्वित योजना है जो बरपेटा असम राज्य के बरपेटा जिले में चल रही है लेकिन वास्तव में ग्रामीण महिलाओं की बेरोजगारी और जिले में गरीबी की समस्याओं पर कोई महत्वपूर्ण सेंध नही लगी है। हालांकि इसका महिला लाभार्थियों की भागीदारी और कमाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन अगर हम इसकी तुलना अन्य राज्यों से करें, तो हम पाएंगे कि असम का बारपेटा जिला अभी औसत से कम है। 

सामग्री और क्रियाविधि
शोध अध्ययन मे अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप का उपयोग किया गया। शोध अध्ययन को पूरा करने के लिए शोधार्थी द्वारा साक्षात्कार व अवलोकन विधि प्रयोग में ली गई इस प्रकार की सूचनाएँ प्रत्यक्ष साक्षात्कार के द्वारा एकत्रित की गयी हैं। इसमें निश्चित (बंद) प्रश्न अथवा खाली सारणी दी हुई होती है, जिन्हें साक्षात्कारकर्त्ता (अनुसंधानकर्त्ता) सूचनादाता से पूछकर भरता है।
न्यादर्ष
मेरठ जिला उत्तर प्रदेश राज्य का पश्चिमी जिला है। मेरठ दो पवित्र नदियों गंगा और यमुना के बीच बसा हुआ है जो कि राजधानी दिल्ली के उत्तर में 72 किमी0 दूरी पर स्थित है जिसकी आबादी 34,47,405 है। 2011 की जनगणना के अनुसार मेरठ जिले में 12 ब्लॉक और 662 ग्रामों की संख्या है। रजपुरा ब्लॉक मेरठ शहर के पूर्व दिशा में स्थित है। रजपुरा ब्लॉक में ग्रामों की संख्या 50 हैं। जिसमें रजपुरा ब्लॉक के गढ़ रोड़ पर स्थित आठ गाँवों का अध्ययन किया गया है  जिसमें - जिठौली की आबादी 2418, आलमपुर बुजुर्ग की आबादी 1934, मुरलीपुर की आबादी 3704, सिसौली की आबादी 6178, समयपुर की आबादी 4434, भगवानपुर की आबादी 3076, हसनपुर कद्दीम की आबादी 4791 और किनानगर की आबादी 7783 और प्रत्येक ग्राम में लगभग 90-140 मनरेगा श्रमिकों की संख्या है जिनमें प्रत्येक ग्राम से 5 श्रमिको को शोध अध्ययन मे षामिल किया गया। इस प्रकार शोध में 40 व्यक्तियों का चुनाव उद्देश्यपूर्ण निदर्शन के द्वारा किया गया इस शोध अध्ययन में अन्वेषणात्मक शोध प्रारूप का उपयोग किया  गया। 
निष्कर्ष प्रस्तुत अध्ययन के लिए 40 ग्रामीण मनरेगा कर्मियों को चुना गया है। सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि मनरेगा कर्मियों की सम्पूर्ण भारत में मनरेगा कार्यक्रम शुरू करने के बाद सामाजिक स्थिति में सुधार में हुआ है। जैसे-जैसे ग्रामीणों में शिक्षा, रोजगार के अवसर पाने का रूझान बढ़ा है अर्थात् वे सुदृढ़ हुए हैं, वैसे-वैसे वे सभी सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र में भी सुदृढ़ हुए हैं तथा आत्मनिर्भर बने हैं। अतः मनरेगा और श्रमिक (ग्रामीण) रथ के दो पहियों के समान हैं। यदि एक निर्बल होगा तो समाज रूपी रथ आगे नहीं बढ़ सकता है। स्पष्ट है कि शिक्षित व रोजगारोन्मुखी समाज का उभरता हुआ कदम क्या रूप लेगा? यह भविष्य ही बतलायेगा। 1. प्रस्तुत अध्ययन में पाया गया है कि मनरेगा के कारण ग्रामीण युवाओं को रोजगार सृजन में सहायता प्राप्त हुई है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यो में गति मिली है। 2. ग्राम स्तर पर अध्ययन क्षेत्र के अन्तर्गत गन्ना, गेहूं, सरसों आदि फसलों की खेती की बहुतायत से की जाती है। इन सभी फसलों की बुवाई, निराई, गुड़ाई और कटाई का समय अक्टूबर से जून के महीने तक कार्य चलता है और उसके बाद जुलाई तक बरसात के समय में ग्रामीण श्रमिकों के पास कार्य नहीं होता है इस को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार ने मनरेगा के माध्यम से ग्रामीण अकुशल श्रमिको को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया। रोजगार वो भी 5 किमी0 की दूरी के अन्तर्गत। ग्रामीण श्रमिक इस बरसात के मौसम में रोजगार के लिये ग्राम से शहर की पलायन करने के लिये विवष था जिसे मौसमी बेरोजगारी की समस्या कहा जाता है। मनरेगा योजना आने के बाद ग्रामीण श्रमिकों को ग्रामीण क्षेत्र के अन्तर्गत रोजगार उपलब्ध कराया है और जिससे ग्रामीणों का शहर की तरफ पलायन की समस्या को कम किया है। मनरेगा के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य - आवास निर्माण, सरकारी भूमि पर वृक्ष रोपण, जल सरंक्षण तालाबों के माध्यम से, लघु सिचाई आदि कार्य किये जाते हैं। इस योजना के माध्यम से रोजगार प्राप्त कर ग्रामीणों का आर्थिक और सामाजिक स्थिति में काफी सुधार आया है। आर्थिक स्थिति में सुधार होने के परिणाम स्वरूप इनके शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में भी सुधार हुआ है। 3. अध्ययन के दौरान यह पाया गया है कि मनरेगा के प्रभाव से ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की पृवृत्ति कुछ कम हुयी है क्योंकि रोजगार सजृन के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य हुये है। अध्ययन के 40 उत्तरदाताओं के सक्षातकार से प्राप्त तथ्यों के आधार पर पता चला कि मनरेगा के आने से पहले 40 में से 30 युवाओं को रोजगार के लिए शहर की तरफ पलायन करना पड़ता था अब मनरेगा के आने के बाद 40 व्यक्तियों में से 20 युवाओं कर शहर की तरफ रोजगार के लिए पलायन और शहरी आकर्षण कम हुआ है। 4. उरोक्त अध्ययन में शामिल 75% उत्तरदाता 18-40 आयु वर्ग से सम्बन्धित पाये गये है। अतः अध्ययन से पता चलता है कि मनरेगा का फायदा अधिक से अधिक युवा वर्ग उठा रहा है और उनका 25%शहरी पलायन कम हुआ है। 5. मनरेगा के प्रभाव के कारण स्वास्थ का स्तर सुधरा है। ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ की बुनियादी सुविधाएं आज के समय में बढ़ी है। ग्रामीण विकास के साथ-साथ आधुनिक स्वास्थ सुविधाओं की उपब्लता सरकार द्वारा सुनिश्चित की गयी है। 6. अध्ययन क्षेत्र के उत्तरदाताओं द्वारा ग्रामीण विकास एवं मनरेगा के अन्तर्सम्बन्धों पर प्रतिक्रिया के विश्लेषण से स्पष्ट है कि ग्रामीण विकास के प्रति ग्रामीणों की राय सामान्यतः सकारात्मक रही है। नकारात्मक राय का मुख्य कारण कई लोगों में ग्रामीण विकास की योजनाओं के प्रति जागरूकता का अभाव है। 7. शैक्षणिक स्तर बढ़ने के साथ मनरेगा का धनात्मक सहः सम्बन्ध है। मनरेगा के प्रभाव पर सबसे कम धनात्मक सहःसम्बन्ध अशिक्षितों का इसलिए है कि इस वर्ग को काम करने के साथ मजदूरी प्राप्त करना ही सबसे बड़ी प्राथमिकता है। अशिक्षित होने के कारण मनरेगा के प्रभाव की समझ नहीं रखते हैं। इसके विपरीत सबसे अधिक सहःसम्बन्ध प्राथमिक शिक्षितों का इसलिए हो सकता है कि व्यवहारिक रूप में यही वर्ग मनरेगा में अधिकांश सक्रिय होता है। 8. शुरुआत में मनरेगा से लोगों की उम्मीद बढ़ी थी, लेकिन अब धीरे-धीरे मजदूरी प्राप्त करने में विलम्ब हो रहा है। अतः यह कहा जा सकता है कि आय मनरेगा संतुष्टि के प्रति ग्रामीणों के दृष्टिकोण को प्रभावित करती है। 9. उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि ग्रामीण विकास पर मनरेगा का प्रभाव धनात्मक रहा है कि ग्रामीण विकास पर मनरेगा का सकारात्मक प्रभाव में निरन्तर वृद्धि हो रही है। मनरेगा में कार्य की मांग करने पर आवश्यकतानुसार काम दिया जाता है। 10. मनरेगा योजना के आने से ग्रामीण गरीब व्यक्तियों के जीवन स्तर में तो सुधार हुआ है तथा साथ ही साथ उनमें सरकारी योजनाओं से लाभाविंत होने की जिज्ञासा भी बढ़ी है और इन ग्रामीण व्यक्तियों की जागरूकता का स्तर भी काफी आगे बढ़ा है जिससे उन्हें आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में सुधार के काफी अवसर मिले हैं। मनरेगा योजना ने ग्रामीण अकुशल श्रमिकों को अपना जीवन स्तर और विकास करने का अवसर प्रदान किया है जब इनका विकास होगा तो गाँव का विकास होगा तभी देश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। मनरेगा योजना ने समय के साथ ग्रामीण व्यक्तियों को चहोमुखी विकास करने का अवसर प्रदान किया है। 11. मनरेगा को सही ढंग से क्रियान्वित करने की आवश्यकता है जिससे मनरेगा पर लोगों का विश्वास बना रहे। यदि सरकारें मनरेगा पर ध्यान केन्द्रित करती हैं तो मनरेगा एक आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण अधिनियम है। चूँकि मनरेगा ग्रामीण विकास के लिये चलाई गई योजना है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि ग्रामीण विकास को नजर अंदाज करने से विकास कार्य नहीं किये जा सकतें हैं। मनरेगा को सही ढ़ग से क्रियान्वित का अर्थ है इसके पात्र व्यक्ति को ही रोजगार का अवसर दिया जाये जिससे उसका विकास हो सके। लेकिन अभी भी मनरेगा के अन्तर्गत पात्र व्यक्तियों को रोजगार नहीं दिया जाता और रोजगार धन राशि का देरी से भुगतान है जोकि इस योजना की एक बड़ी समस्या है। अतः इस विषय पर सरकार को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। जिससे रोजगार के पात्र व्यक्ति को रोजगार प्रदान किया जा सके जिससे सही मायने में ग्रामीण विकास हो सके। ग्रामीण गरीब व्यक्तियों का विकास होगा तो गाँव का विकास होगा और तभा सही मायने में देश का विकास होगा। निःसन्देह ग्रामीण विकास की अनुपस्थिति में मानव का सर्वांगीण विकास कठिन कार्य है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. तिवारी आर.पी., 1999, ‘‘भारतीय नारी, वर्तमान समस्याएँ एवं समाधान, नई दिल्ली। मिश्रा के.के., 1965, 2. 1969, ‘‘बालक और अभिभावक‘‘, अरविन्द प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण। 3. कपिल, एच. के., 1981, 1981, ‘‘अनुसंधान विधियाँ‘‘, हरप्रसाद भार्गव पुस्तक प्रकाशन, आगरा। 4. शर्मा, रामनाथ ‘‘शिक्षा मनोविज्ञान, रस्तोगी - पब्लिकेशन, मेरठ 1983 5. सी०ए०जी० रिपोर्ट ऑफ महात्मा गांधी नेशनल रूरल एमपलोयमेंट गारण्टी एक्ट (2013) परर्फोमेंश ऑडिट ऑफ एम०एन०आर०इ०जी०एस०, पेज -7। 6. धीरज, आर०पी० (8-12 नवम्बर, दिसम्बर 2017 ) ए० क्रिटिकल एनालाइसीस ऑफ द महात्मा गांधी नेशनल रूरल एमप्लोपमेन्ट गारन्टी एक्ट (मनरेगा) ग्लोबल जर्नल ऑफ इण्टरडिसीप्लेनरी सोशल साइंस - टवस. 6 (6) 7. दास दर्शन एमपलोयमेंट ऑफ रूरल वोमेन थरू मनरेगा ए स्टडी ऑफ मनरेगा इमपलोयमेंट इन बरपेटा डवलपमेंट ब्लॉक ऑफ बरपेटा डिस्ट्रीक ऑफ आसाय । 8. सी०ए०जी० रिपोर्ट ऑफ महात्मा गांधी नेशनल रूरल एमपलोयमेंट गारण्टी एक्ट 2003 परर्फोमेंश ऑडिट ऑफ एम०एन०आर०ई०जी०एस०, पेज - 7 9. शर्मा, मंजूः (2009) ‘‘भारत मे सामाजिक संरचना एवं जनजातियाँ” प्रकाशक-राजस्थान पब्लिशिंग हाउस, जयपुर 10. Prased, M-R- IAMR(2008) "All India Report on Evalution of NREGA : A Survety of Twenty District" IMAR Narela, New Delhi. 11. Pattanaik, B-K-, Lal Hans; (2011) : "Mahatma Gandhi NREGA and Social Audit System of Village Panchayats", Kurukshetra January. 12. Thomas, E-M-; (2010) : "Millennium development Goals , Mahatma Gandhi National Rural Employment Act and the Poor Women in India & A Case Study" Asian Development Institute.