ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VIII , ISSUE- I April  - 2023
Anthology The Research
आधुनिक शिक्षा ग्रहण के प्रति समुदायगत सक्रियताओं का अध्ययन
Study of Communities Activeness Towards Attainment of Modern Education
Paper Id :  17502   Submission Date :  13/04/2023   Acceptance Date :  19/04/2023   Publication Date :  25/04/2023
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बृज भूषण
एसोसिएट प्रोफेसर
समाज शास्त्र विभाग
राजकीय महिला पीजी कॉलेज
कांधला,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश प्रस्तुत अध्ययन में दो समदुायों (हिन्दू एवं मुस्लिम) की ग्रेजुएशन अन्तिम वर्ष तथा पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर अध्ययनरत निदर्शित छात्राओं के परिवारों की आधुनिक शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियताओं को जानने का प्रयास किया गया। इस अध्ययन के दो प्रमुख उद्देश्य थे। 1. समुदायों के निदर्शित परिवारों की आधुनिक शिक्षा के प्रति सक्रियता स्कोर का मूल्यांकन/गणना करना तथा 2. आधुनिक शिक्षा के प्रति समुदायगत सक्रियताओं का तुलनात्मक विश्लेषण करना। अध्ययन के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए क्षेत्र अध्ययन विधि का प्रयोग किया गया है जिसमें दोनों समुदायों की काॅलेज में अध्ययनरत 100-100 छात्राओं को देव निदर्शन विधि से चुना गया। निदर्शित छात्राओं (जिनकी औसत आयु 20 वर्ष है) से संरचित प्रश्नावली में माध्यम से उनके परिवारों की आधुनिक शिक्षा के प्रति सक्रियताओं के बारे में पूछा गया। प्रत्येक प्रश्न के प्रतिक्रियाएं तीन बिन्दू स्केल के रूप में प्राप्त की गयी। प्राप्त प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण से निम्नलिखित निष्कर्ष निकले। 1. सभी नौ सक्रियागत बिन्दूओं (जिनके आधार पर सक्रियता को मापा गया) में से केवल तीन बिन्दू (बिन्दू सं॰ 2,6 तथा 9) ही ऐसे थे जिनके सन्दर्भ में शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता स्कोर दोनो समुदाय का बराबर पाया गया। शेष छः सक्रियागत बिन्दुओं के सन्दर्भ में हिन्दू परिवारों का सक्रियता स्कोर मुस्लिम परिवारों से अधिक पाया गया। नौ सक्रियागत बिन्दुओं में से एक भी बिन्दू ऐसा नहीं पाया गया जिस पर मुस्लिम परिवारों का सक्रियता स्कोर हिन्दू परिवारों से अधिक हो। 2. हिन्दू परिवारों का आधुनिक शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता स्कोर अधिकतम 290 तथा निम्नतम् 245 पाया गया। मुस्लिम परिवारों में यह अधिकतम 265 तथा निम्नतम् 205 पाया गया। 3. हिन्दू परिवारों का सकल सक्रियता स्कोर 2368 तथा औसत सक्रियता स्कोर 263.11 पाया गया जबकि मुस्लिम परिवारों में यह क्रमशः 2164 तथा 240.44 पाया गया। 4. हिन्दू व मुस्लिम परिवारों का उच्च स्तरीय सक्रियता स्कोर 1869 तथा 1455 पाया गया।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the present study, an attempt was made to know the activities of the families of the selected girl students studying at the final year of graduation and post graduation level of two communities (Hindu and Muslim) towards modern education. There were two main objectives of this study. 1. To evaluate/calculate the activism score of the identified families of the communities towards modern education and 2. To do a comparative analysis of community activism towards modern education. To fulfill the objectives of the study, the field study method has been used, in which 100-100 girl students studying in the college of both the communities were selected by the Dev Nidarshan method. The sampled girl students (whose average age is 20 years) were asked about the activities of their families towards modern education through a structured questionnaire. Responses to each question were obtained in the form of a three point scale. The following conclusions were drawn from the analysis of the responses received. 1. Out of all the nine activation points (on the basis of which activation was measured), only three points (point no. 2, 6 and 9) were such that in respect of which activation score towards learning was found to be equal in both the communities. In respect of the remaining six activation points, the activation score of Hindu families was found to be higher than that of Muslim families. Out of the nine activation points, not a single point was found on which the activation score of Muslim families is higher than that of Hindu families. 2. Maximum 290 and minimum 245 were found to be the activation score of Hindu families towards modern education. It was found to be maximum 265 and minimum 205 in Muslim families. 3. Gross activity score of Hindu families was found to be 2368 and mean activity score was 263.11 while in Muslim families it was found to be 2164 and 240.44 respectively. 4. High level of activism score of 1869 and 1455 was found for Hindu and Muslim families.
मुख्य शब्द समुदायगत सक्रियताएँ, शिक्षा ग्रहण प्रक्रिया, सक्रियता आधार बिन्दू, सक्रियता स्कोर, उच्च-निम्न सक्रियता स्तर।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Community Activeness, Learning Process, Activeness Basepoints, Activeness Score, High-Low Activeness Level.
प्रस्तावना
समकालीन विश्व आधुनिक शिक्षा को मानवीय कल्याण तथा विकास की अनिवार्य शर्त के रूप में स्वीकार करता है। परिणामस्वरूप यह मानवीय, बौद्धिक व सामाजिक पंूजी के विकास में एक मजबूत साधन के रूप में क्रियाशील है। विकास प्रक्रिया के सिद्धान्तों ने भी इसे एक अनिवार्य कुंजी माना है। राष्ट्रों ने विकास के लक्ष्य निर्धारण प्रक्रिया में आधुनिक शिक्षा को एक विशेष लक्ष्य के रूप में स्वीकारा है क्योंकि यह अन्य लक्ष्यों का आधार स्तम्भ है। भारत में आधुनिक शिक्षा की शुरूआत (जैसा कथित है) अंग्रेजी शासनकाल में हुई। यद्यपि उन्होंने इसकी शुरूआत इसलिए की जिससे वे प्रशिक्षित मानव शक्ति की प्रशासनिक जरूरतों की पूर्ति तथा अपने साम्राज्य की नींव मजबूत कर सके। फिर भी नये प्रबुद्ध वर्ग का उदय, राष्ट्रवाद का उदय, समाज सुधार आन्दोलन तथा आधुनिकीकरण की शुरूआत कुछ ऐसे परिणाम थे जो भारतीय समाज के लिए भी किसी सीमा तक हितकर साबित हुए। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात भारतीय नेतृत्व ने आधुनिक शिक्षा को अपनी राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल कर क्रियाशील किया और आज यह विकास और कल्याण का एक आधारभूत स्तम्भ बन चुकी है। विभिन्नताओं से युक्त बहुलतावादी भारतीय समाज के विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक समुदायों ने इसे अपनाकर अपनी-अपनी विकास प्रक्रियाओं को गति देने का प्रयास किया है।
अध्ययन का उद्देश्य विभिन्नताओं से युक्त भारतीय समाज के सभी समुदाय अपनी-अपनी मानवीय जीवन शैली की अनेक प्रणालियों से बंधे हैं। इसलिए इन समुदायों में आधुनिक शिक्षा ग्रहण की प्रक्रिया को समझने के लिए इनकी शैक्षणिक-संस्कृति को जानना आवश्यक हो जाता है। प्रस्तुत पेपर हिन्दू व मुस्लिम समुदायों की काॅलेज में अध्ययनरत छात्राओं के परिवारों में शिक्षा ग्रहण के प्रति समुदायगत सक्रियताओं का तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास करता है। इस अध्ययन के दो प्रमुख उद्देश्य है- 1. आधुनिक शिक्षा ग्रहण के प्रति दोनों समुदायों की छात्राओं की पारिवारिक सक्रियताओं का बिन्दू आधारित आकलन करना। 2. समुदायगत सक्रियताओं का तुलनात्मक विश्लेषण करना। उपर्युक्त अध्ययन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अध्ययन प्रक्रिया में किसी भी उपकल्पना का प्रयोग नहीं किया गया है।
साहित्यावलोकन

धार्मिक समुदायगत विविधता पर निश्चल (1999) का मानना है कि भारत में धार्मिक समुदायों के परिप्रेक्ष्य में उपराष्ट्रीयता विकसित हो रही है जिससे विकास प्रक्रियाओं को देखने की समुदायगत प्रवृत्तियाँ विकसित हुई है। इन प्रवृत्तियों से प्रभावित होकर धार्मिक समुदायों ने राष्ट्रीय विकास में अपने योगदान तथा उनके प्रतिफलों की प्राप्ति में समुदायों के अपने-अपने स्थान के बारे में परस्पर विरोधी दावे प्रस्तुत किये है। इन दावों के आधार पर विभिन्न धार्मिक नेतृत्व ने अपने राजनीतिक आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए अपने अपने समुदाय की राष्ट्रीय विकास प्रक्रिया की स्थिति के मिथक स्थापित किये है तथा राजनीतिक साम्प्रदायीकरण को बढ़ावा दिया है। दुर्भाग्य से इस प्रकार के मिथकों से सम्बन्धित आंकड़े सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं होते जिससे स्वार्थी तत्व जनसामान्य को गुमराह करने में सफल हो जाते है। प्रायः ये मिथक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए बनाये जाते है। इन मिथकों में न तो कोई सैद्धान्तिक तारतम्य होता है और न ही ये वास्तविकता की कसौती पर खरे उतरते। भारत में धार्मिक समुदायों में आधुनिक शिक्षा ग्रहण प्रतिमानों को लेकर विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मत व्यक्त किये है। हिन्दू समुदाय की अपेक्षा मुस्लिम समुदाय आधुनिक शिक्षा ग्रहण प्रक्रिया में उदासीन व निरूत्साहित दिखाई देता है। अध्ययनकर्ताओं ने इसके तीन प्रमुख कारण माने है- राजनीतिक उपेक्षा, सांस्कृतिक पहचान खोने का डर तथा आर्थिक पिछड़ापन। कुछ बुद्धिजीवियों तथा मुस्लिम नेताओं का मानना है कि सरकारों द्वारा किया जाने वाला सौतेला व्यवहार आधुनिक शिक्षा ग्रहण में मुस्लिमों के पिछड़पने का प्रमुख कारण है। निश्चल (1999) ने मुस्लिम जनसंख्या तथा साक्षरता के आंकड़ों में अर्न्तसम्बन्ध स्थापित करते हुए कहा है कि मुस्लिम जनाधिक्य वाले जिलों में शैक्षणिक विकास की सुविधाएं अपेक्षाकृत कम उपलब्ध कराई गयी है जिससे वहां साक्षरता की दर भी अपेक्षाकृत कम है। इस स्थिति में मुस्लिम नेताओं को यह कहने का मौका मिल जाता है कि मुस्लिमों का शिक्षा में पिछड़ापन सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति का परिणाम है। सैयद शहाबुद्दीन (1999) का मानना है कि सरकारी आंकड़े सिद्ध करते है कि शिक्षा के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय न केवल पिछड़ा हुआ है बल्कि वंचित भी रहा है।मुस्लिमों को शिक्षा से वंचित कर उन्हें निम्न श्रेणी के व्यवसाय करने के लिए बाध्य करना षडयन्त्र है। मुस्लिम बहुल क्षेत्रोें में शिक्षा सुविधाओं का अभाव होने के कारण वहां साक्षरता दर नीची है। सरकारी नौकरियों में भी उचित प्रतिनिधित्व न होने के कारण मुस्लिम समुदाय को आधुनिक शिक्षा ग्रहण की प्रेरणा नहीं मिल पाती है। मुस्लिमों का अपनी शिक्षण संस्थानों की स्थापना में भी प्रशासनिक अड़चनों का सामना करना पड़ता है। भारतीय संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप धार्मिक स्वतन्त्रता के उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी धार्मिक समुदायों को अपनी-अपनी शैक्षणिक संस्थाएँ खोलने की अनुमति प्रदान की गयी है। इस प्रावधान का लाभ उठाते हुए मुस्लिमों ने मजहबी शिक्षा देने वाले मदरसों की तो पर्याप्त मात्रा में स्थापना की है परन्तु आधुनिक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना में पिछड़ गये है। विपरीत आर्थिक एवं व्यवयायिक परिस्थितियों को भी विद्वानों ने अशिक्षा का मूल कारण माना है। गरीबी के कारण कितने ही बच्चे विद्यालयी शिक्षा से वंचित रह जाते है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण भी इस तथ्य की पुष्टि करते रहे है कि आर्थिक व्यवसायिक करणों से बच्चों का नामांकन विद्यालय में नहीं हो पाता। अबू सलह शैरिफ (1995) का कहना है कि हिन्दु समुदाय की तुलना में मुस्लिम समुदाय आर्थिक दृष्टि से कमजोर होने के कारण आधुनिक शिक्षा में पिछड़े हुए है। इन्होंने कृषि कार्य-गैर कृषि कार्य, भूमिहीनता-भूस्वामित्व, नियमित वेतन मजदूरी-स्वरोजगार इत्यादि से सम्बन्धित आकड़ों का विश्लेषण करके निष्कर्ष निकाला है कि मुस्लिम समुदाय हिन्दू समुदाय से आर्थिक दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। औम खिलदी (1995) का मानना है कि मुस्लिम समाज में शिक्षा में अरूचि को समुदाय की आर्थिक स्थिति के सन्दर्भ में देखना चाहिए। पीर मौहम्मद (1998) तथा रूडॉल्फ एण्ड रूडॉल्फ (1984) ने सांस्कृतिक पहचान नष्ट होने का भय को भारतीय मुस्लिमों में शैक्षिणक पिछड़ेपन का कारण माना है।

मुख्य पाठ

निदर्शित छात्राओं के परिवारों की शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता से प्राथमिक आंकडे़ प्राप्त करने के लिए नौ सक्रियतागत बिन्दुओं (सक्रियता को प्रदर्शित करने वाले) को निर्धारित किया गया जो आगे की तालिकाओं में क्रं.सं. से 1 से 9 तक दर्शाये गये है। प्रत्येक बिन्दू/प्रश्न के प्रतिक्रिया के तीन विकल्प दिये गये थे जिनमें से किसी एक विकल्प को प्रतिक्रिया स्वरूप चुनना था। निदर्शित छात्राओं द्वारा अपने परिवार के सम्बन्ध में जो प्रतिक्रियाएं दी गयी उनका विवरण तालिका संख्या 01 में दिया गया है।


तालिका संख्या 01 के अनुसार निदर्शित छात्राओं से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर निदर्शित छात्राओं के परिवारों की शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता स्कोर की बिन्दुवार गणना की गयी है जो तालिका सं॰ 02 में प्रदर्शित हो रहा है। ये गणना 3 अंकीय प्रतिक्रिया स्केल के आधार पर की गयी है जिसमें बिन्दुवार निदर्शित छात्राओं का प्रतिक्रिया स्कोर तय हुआ है जिसे सक्रियता स्कोर कहा गया है।

 

तालिका संख्या 02 के आधार पर तालिका संख्या 03 तैयार की गयी है जो निदर्शित छात्राओं के परिवारों का शिक्षा ग्रहण के प्रति बिन्दुवार परिवारों के सक्रियता स्कोर की स्थिति का तुलनात्मक स्वरूप प्रदर्शित करती है।




निष्कर्ष उपर्युक्त सभी तालिकाओं में प्रदर्शित आंकड़े हमारे पूर्व निर्धारित अध्ययन उद्देश्यों को की पूर्ति में सहायक है। तालिका सं॰ 1 निदर्शित परिवारों की प्रश्नगत बिन्दूवार प्रतिक्रियाओं केा प्रदर्शित करती है जिनसे स्पष्ट होता है कि प्रत्येक प्रश्नगत बिन्दु पर निर्दशित हिन्दू छात्राओं द्वारा मुस्लिम छात्राओं की अपेक्षा हमेशा के रूप में बेहतर वैकल्पिक प्रतिक्रियाएँ दी है। केवल तीन प्रश्नगत बिन्दु (2,6 तथा 9) ही ऐसे है जिसमें दोनों समुदायों की छात्राओं की प्रतिक्रियाएँ समान है। तालिका सं॰ 2 में निदर्शित छात्राओं के परिवारों की शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता स्कोर की गणना की गयी है। जो तीन अंकीय पैमाने/स्केल की आधार पर की गयी है। तालिका सं॰ 03 निदर्शित छात्राओं के परिवारों का शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता स्कोर का तुलनात्मक परिदृश्य प्रस्तुत करती है। इस तालिका के आधार पर हम निम्नलिखित निष्कर्षो पर पहुंचते है। 1. समस्त 9 सक्रियतागत बिन्दुओं में से केवल तीन बिन्दु (बिन्दु सं॰ 2,6 तथा 9) ही ऐसे है जिनके सन्दर्भ में शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता स्कोर दोनों समुदायों का बराबर है तथा शेष 6 सक्रियतागत बिन्दुओं के सन्दर्भ में हिन्दू परिवारों का सक्रियता स्कोर मुस्लिम परिवारों से अधिक है। एक भी सक्रियतागत बिन्दु ऐसा नहीं है जिस पर मुस्लिम परिवारों का सक्रियता स्कोर हिन्दू परिवारों से अधिक हो। 2. सभी 9 सक्रियतागत बिन्दु के सन्दर्भ में हिन्दू परिवारों का सक्रियता स्कोर 245 से 290 के बीच तथा मुस्लिम परिवारों का सक्रियता स्कोर 205 से 265 के बीच पाया गया। 3. हिन्दू परिवारों का कुल सक्रियता स्कोर 2368 तथा औसत सक्रियता स्कोर 263.11 पाया गया जबकि मुस्लिम परिवारों का कुल सक्रियता स्कोर 2164 तथा औसत सक्रियता स्कोर 240.44 पाया गया जो हिन्दू परिवारों से लगभग 22.67 अंक कम है। 4. यदि समग्र सक्रियता स्कोर की तुलना करे तो हिन्दू परिवारों का उच्च सक्रियता स्तर 1869 जबकि मुस्लिम परिवारों का उच्च सक्रियता स्तर 1455 पाया गया जो तुलनात्मक दृष्टि से काफी कम है। क्षेत्र अध्ययन विधि के अन्तर्गत जो निदर्शन लिया गया उसकी भी अपनी सीमाएं है। दो धार्मिक पृष्ठभूमि की छात्राओं का निर्दशन/चयन करते समय उनकी सामाजिक -आर्थिक-व्यवसायिक पृष्ठभूमियों का ध्यान नहीं रखा गया, ना ही इस अध्ययन में सक्रियता के स्तर को इन पृष्ठभूमियों के साथ जोडकर देखा गया। सामाजिक-आर्थिक व व्यवसायिक पृष्ठभूमिओं के बदलने पर सक्रियता के स्तर में अन्तर आने की सम्भावनाएँ है जिसका अन्य अध्ययनों में परीक्षण किया जा सकता है। इस अध्ययन में सक्रियता के स्तर में अन्तर के कारणों को भी जानने का प्रयास नहीं किया गया। अध्ययन से स्पष्ट होता है कि धार्मिक पृष्ठभूमि अलग होने से समुदायओं की शिक्षा ग्रहण के प्रति सक्रियता में भी अन्तर आ जाता है। यह अध्ययन अन्तिम नहीं माना जा सकता है इसलिए इस विषय पर विभिन्न आयामों एवं दृष्टिकोणों से भी अन्य अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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