P: ISSN No. 2394-0344 RNI No.  UPBIL/2016/67980 VOL.- VIII , ISSUE- I April  - 2023
E: ISSN No. 2455-0817 Remarking An Analisation
ग्रामीण भारत में डिजिटलीकरण की संभावनाएँ
Prospects of Digitalization in Rural India
Paper Id :  17551   Submission Date :  10/04/2023   Acceptance Date :  19/04/2023   Publication Date :  22/04/2023
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उतसव आनन्द
एसोसिएट प्रोफेसर एवं हेड
अर्थशास्त्र विभाग
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय
सागर,मध्य प्रदेश, भारत
रंजना चंदेरिया
शोधार्थी
अर्थशास्त्र विभाग
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय
सागर, मध्य प्रदेश, भारत
सारांश भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत 1 जुलाई 2015 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई थी। यह कार्यक्रम भारत सरकार का एक प्रमुख अभियान हैं। जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज एवं ऑनलाइन ढाँचे में सुधार कर इंटरनेट सेवाऐं बढ़ाकर सरकार की सेवाएँ, भारतीय नागरिकों को इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना हैं। भारत सरकार के इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों को हाई-स्पीड इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ने की योजना शामिल हैं। इस कार्यक्रम में तीन मुख्य घटकों को शामिल किया गया हैं-पहला सुनिश्चित और स्थिर डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास, दूसरा सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप से वितरित करना एवं तीसरा सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता। नवीन भारत-2022 की परिकल्पना गरीबी और भ्रष्टाचार से मुक्त ऐसे राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना हैं, जो मुख्य रूप से ग्रामीण भारत की प्रगति एवं विकास पर आधारित हैं। जिसका मुख्य कारण हैं वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 68.84 प्रतिशत भारतीय जनता (लगभग 83.31 करोड़ लोग) देश के 6,40,867 गाँवों में निवासरत हैं। विनिर्माण क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का योगदान कुल अर्थव्यवस्था का आधा हैं, सेवा क्षेत्र में इसका योगदान एक तिहाई एवं कृषि क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित हैं। गांवो को डिजिटल रूप से सफल बनाने के लिए ग्रामीणों के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में डिजिटल पहल अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।प्रस्तुत शोध पत्र में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की ग्रामीण भारत के विकास में विभिन्न संभावनाओं को जानने का प्रयास किया गया हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The Digital India program in the Indian rural sector was launched on 1st July 2015 by the Honorable Prime Minister of India Shri Narendra Modi. This program is a major campaign of the Government of India. The objective of which is to make India a digitally empowered society and by improving online infrastructure, by increasing internet services, to make government services available to Indian citizens in electronic and digital form. This campaign of the Government of India includes plans to connect rural areas with high-speed internet networks.
The program includes three main components – development of a secure and stable digital infrastructure, delivery of government services digitally and universal digital literacy. The vision of New India-2022 is the vision of building such a nation free from poverty and corruption, which is mainly based on the progress and development of rural India. The main reason for which is that according to the 2011 census, 68.84 percent of the Indian population (about 83.31 crore people) in India reside in 6,40,867 villages of the country. The contribution of the rural economy in the manufacturing sector is half of the total economy, its contribution in the service sector is one-third and the agricultural sector is completely based on the rural economy. Digital initiatives are very important in every sphere of the life of the villagers to make the villages digitally successful. In the presented research paper, an attempt has been made to know the various possibilities of the Digital India program in the development of rural India.
मुख्य शब्द ग्रामीण भारत, डिजिटलीकरण, डिजिटल इंडिया, डिजिटल साक्षरता, स्मार्ट गांव, संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), वर्चुअल लर्निंग, ई-स्वास्थ्य क्रांति।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Rural India, Digitization, Digital India, Digital Literacy, Smart Village, Communication Technology (ICT), Virtual Learning, E-Health Revolution.
प्रस्तावना
‘‘डिजिटल इंडिया” कार्यक्रम की शुरुआत भारत देश के लिए न केवल एक पहल के रूप में हुई हैं, बल्कि एक उद्देश्य के रूप में हुई हैं। इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार ‘‘यह भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम हैं, जिससे भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिणत करने की परिकल्पना निहित है।“ देश के विशाल आकार को ध्यान में रखते हुए दूरस्थ गांवों को ब्रॉडबैंड और हाईस्पीड इंटरनेट के माध्यम से डिजिटल रूप से जोड़ना देश की महत्वपूर्ण बुनियादी आवश्यकताओं में से एक हैं।जुलाई 2015 में माननीय प्रधानमंत्री जी ने जब डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ किया तब उन्होंने कहा था- ‘‘मैं ऐसे डिजिटल इंडिया का सपना देखता हूँ, जहाँ पर तेज रफ्तार डिजिटल हाइवे देश को एक कर रहे हो, 1.3 अरब कनेक्टेड भारतीय नवाचार में जुटे हो और टेक्नोलॉजी यह सुनिश्चित कर रही हो, कि नागरिकों और सरकार के बीच संपर्क के माध्यम भ्रष्ट न किया जा सके।“ इस टिप्पणी में अनेक संदेश छिपे हुए हैं- पहला भारत डिजीटल इंडिया में परिवर्तित हो। दूसरा देश में तेज रफ्तार डिजिटल हाइवे हो अर्थात् इंटरनेट एवं संचार कनेक्टिविटी का जाल बिछा हुआ हो। तीसरा 1.3 अरब भारतीय न सिर्फ इंटरनेट एवं संचार सेवाओं से जुड़े हुए हो, बल्कि नवाचार पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हो। चौथा टेक्नोलॉजी देश में सरकार तथा नागरिकों के बीच संपर्क का माध्यम तैयार करें। पांचवा हम ऐसी व्यवस्था तैयार करें जसे भ्रष्ट न किया जा सके अर्थात् भारतीय जनता बिचौलियों तथा भ्रष्टाचारियों के हाथों में पड़े बिना सरकार से संपर्क स्थापित कर सके एवं अपना काम पूरा करवा सके। स्पष्ट है कि डिजीटल इंडिया अभियान का उद्देश्य भारत की आधुनिक डिजीटल, नवाचारोन्मुख समाज बनाना हैं। डिजीटल इंडिया पहल के माध्यम से डिजीटलीकरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, कर दाखिल करने, बीमा दावों एवं सरकारी कागजी कार्रवाही जैसी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित रख सरल बनाया गया है। माईगव (Mygov) नागरिकों को सरकार से जोड़ने वाला मंच हैं, जिसे सहभागी शासन की सुविधा के लिए विकसित किया गया हैं। जुलाई 2022 में ‘मेरी पहचान’ नाम का राष्ट्रीय एकल साइन ऑन प्लेट फार्म शुरु किया गया है, जिससे नागरिकों को सरकारी पोर्टलों तक आसानी से पहुंच प्रदान की जा सके। नागरिकों को पात्रता आधारित सेवाओं का लाभ उठाने में सुविधा प्रदान करने के लिए ‘माईस्कीम’ मंच आरंभ किया गया है। इसी प्रकार ‘दीक्षा’ एक राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक मंच हैं, जो छात्र और शिक्षकों को देश के लिए बड़े पैमाने पर अध्ययन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साझा मंच में भाग लेने, योगदान करने एवं लाभ उठाने में मदद करता हैं। डिजिलॉकर सार्वजनिक दस्तावेजों की कागज रहित उपलब्धता की सुविधा प्रदान कर रहा है। भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत 1 जुलाई 2015 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई थी। यह कार्यक्रम भारत सरकार का एक प्रमुख अभियान हैं। जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज एवं ऑनलाइन ढाँचे में सुधार कर इंटरनेट सेवाऐं बढ़ाकर सरकार की सेवाएँ, भारतीय नागरिकों को इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना है। भारत सरकार के इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों को हाई-स्पीड इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ने की योजना शामिल है। इस कार्यक्रम में तीन मुख्य घटको को शामिल किया गया हैं-पहला सुनिश्चित और स्थिर डिजीटल बुनियादी ढांचे का विकास, दूसरा सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप से वितरित करना एवं तीसरा सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता। नवीन भारत-2022 की परिकल्पना गरीबी और भ्रष्टाचार से मुक्त ऐसे राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना है, जो मुख्य रूप से ग्रामीण भारत की प्रगति एवं विकास पर आधारित है। जिसका मुख्य कारण है वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 68.84 प्रतिशत भारतीय जनता (लगभग 83.31 करोड़ लोग) देश के 640867 गाँवों में निवासरत है। विनिर्माण क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का योगदान कुल अर्थव्यवस्था का आधा है, सेवा क्षेत्र में इसका योगदान एक तिहाई एवं कृषि क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित हैं।
अध्ययन का उद्देश्य गांवो को डिजीटल रूप से सफल बनाने के लिए ग्रामीणों के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में डिजीटल हल अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रस्तुत शोध पत्र में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की ग्रामीण भारत के विकास में विभिन्न संभावनाओं को जानने का प्रयास किया गया हैं।
साहित्यावलोकन

कपूर, निमिष, (2022), ‘‘ग्रामीण स्वास्थ्य में डिजिटल प्रौद्योगिकी” , प्रस्तुत शोध पत्र में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के डिजिटलीकरण की सम्भावनाओं को बताया गया हैं। जब इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार होगा, तो देश में ग्रामीण-शहरी विभाजन को बेहतर तरीके से समाप्त किया जा सकेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉक चेन एवं क्लाउड कप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां अधिक समग्र डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र को सुगम बनाने के लिए अवसर प्रदान कर रही हैं। इस प्रकार स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक ग्रामीण भारत की पहुंच बढ़ा रही हैं, जिससे भविष्य में स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आएगें और स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च भी कम होगा।

सेनी, नेहा एवं सिंह, नरमप्रीत, (2021), ‘‘पोस्ट कोविड-19 महामारी में डिजिटल इंडिया के विकास की दिशा में ग्रामीण क्षेत्र का अध्धयन”, प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य डिजिटल परिवर्तनों के सम्भावित परिदृश्यों और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए आवश्यक शोध की आवश्यकता हैं। कोविड-19 महामारी ने सोशल डिस्टेंसिंग के मापदण्डो और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण डिजिटल तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दिया हैं। कोरोना वायरस ने सभी क्षेत्रों में डिजिटल तकनीकों के उपयोग को बढावा दिया हैं। अनुसंधान अन्वेषणात्मक एवं वर्णात्मक अनुसंधान दोनों का एक संयोजन हैं। इस शोध पत्र में मुख्य रूप से प्राथमिक स्त्रोतों के माध्यम से ऑंकड़ें एकत्र किए हैं।

भारद्वाज, मोनू, (2021), ‘‘ग्रामीण भारत का डिजिटलीकरण”, प्रस्तुत लेख में बताया गया हैं, कि डिजिटल इंडिया कई नवाचारों और तकनीकी प्रगति का परिणाम हैं। ये लोगों के जीवन को कई तरह से बदलते हैं, और समाज को बेहतर तराके से सशक्त बना सकते हैं। इस लेख में लेखक डिजिटल इंडिया और ग्रामीण भारत के डिजिटलीकरण की दिशा में उढाए गए कदमों के बारे में चर्चा करते हैं।

सिंह, नीरज एवं राव, एम. मोहित, (2020), ‘‘डिजिटल इंडियाः नए भारत की आकांक्षा”, प्रस्तुत शोध पत्र में बताया गया हैं, कि डिजिटल इंडियाकार्यक्रम भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम हैं, जिसमें भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिणत करने की परिकल्पना निहित हैं। इस कार्यक्रम के तहत सरकार का लक्ष्य देश के हर भाग में उच्च गति इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना हैं।

मुख्य पाठ

डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से ग्रामीण विकास के अनेक क्षेत्रों में सम्भावनाएँ हैं, कुछ क्षेत्र निम्न हैं-

ई-स्वास्थ्य क्रांति-

वर्तमान में ई-हेल्थबड़ा लोकप्रिय शब्द हो गया हैं। विशेष रूप से विश्व में कोविड-19 महामारी का प्रकोप फैलने के बाद इसका प्रचलन और भी बड़ गया है। स्वास्थ्य क्षेत्र की सेवाओं, समाधानों, पहलों और स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराने में डिजीटल टेक्नोलॉजी या डिजीटल मंच का उपयोग करना ई-हेल्थ की श्रेणी में आता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ‘‘सूचना और संचार टेक्नोलॉजी का सही और सुरक्षित उपयोग करके स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्रों को सहायता प्रदान करना ई-हेल्थ के अन्तर्गत आता हैं, एवंइसमें स्वास्थ्य देखभाल, स्वास्थ्य निगरानी के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा, ज्ञान और अनुसंधान भी शामिल है।’’

73वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर 15 अगस्त 2020 को भारत में राष्ट्रीय डिजीटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) की घोषणा की गई। इस योजना के अन्तर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य पहचान पत्र दिया गया। जिसमें हर व्यक्ति का एक स्वास्थ्य खाता हैं, जिसमें उसके द्वारा कराए गए स्वास्थ्य संबंधी हर एक परीक्षण, हर एक बीमारी, इस्तेमाल की गई दवाओं, नैदानिक उपायों और जिस डॉक्टर से इलाज कराया उसका विवरण दर्ज हैं।राष्ट्रीय डिजीटल स्वास्थ्य रूपरेखा के अन्तर्गत निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की व्यवस्था हैं-

1. अत्याधुनिक डिजीटल स्वास्थ्य प्रणाली कायम करना।

2. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रजिस्ट्रियों की स्थापना।

3. ओपन स्टेण्डर्डस अपनाने पर अमल।

4. व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकार्ड प्रणाली कायम करना।

5. एंटरप्राइज श्रेणी की स्वास्थ्य एप्लिकेशन प्रणालियों के विकास को बढ़ावा देना।

6. राष्ट्रीय पोर्टेविलिटी सुनिश्चित करना।

7. नैदानिक निर्णय सहायता (CDS) प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा देना।

मोबाइल-ऐप-

1. इन्द्रधनुष/टीकाकरण सेवाओं के लिए,बेवसाइट- https://www.nhp.gov.in/nhp_indradhanush_pg

2. डेंगु से निपटने के लिए, बेवसाइट- https://plag.google.com/store/apps/details?id=ssscom.nhp.ui&hl=en नेशनल हेल्थ पोर्टल स्वास्थ्य भारत (NHP) बेवसाइट- https://plag.google.com/store/apps/details? id=com.nhp.ui&hl=en तनाव कम करने के बारे में जानकारी देने वाला नो मोरटेंशनऐप’, बेवसाइट-https://plag.google.com/store/apps/details? id= com.myphoneme.www.stress

3. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान मोबाइल ऐप बेवसाइट- https://www.nhp.gov.in/mobile pmsma

4. स्वास्थ्य संबंधी सूचना प्रणाली (HMIS)

5. मातृ और शिशु निगरानी प्रणाली (MCTS)/प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (RCH) एप्लीकेशन, बेवसाइट https://www.rch.nhm.gov.in/RCH/

6. किलकारी, टॉल फ्री नम्बर - 1800-3010-1703

7. टी बी रोगी निगरानी प्रणाली निक्षय’, टॉल फ्री नम्बर - 1800-3010-1703

8. तम्बाकू की लत छुड़ाने का कार्यक्रम, बेवसाइट- https://www.nhp.gov.in/quit_tabacco

9. एम डायबिटीज कार्यक्रम, बेवसाइट- https://mdiabetes.nhp.gov.in/

10. हॉस्पिटल इनफार्मेशन सिस्टम (HIS)

11. ड्रग्स एंड वेक्सीन डिस्ट्रिब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (DBDMS) (ई-औषधि)

12. ई-रक्तकोष बेवसाइट- https://www.eraktkosh.in/

13. ई-संजीवनी, चिकित्सा परिदृश्य में आमूल-चूल परिवर्तन

14. ई-विन (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क)

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के डिजीटलीकरण की अत्याधिक संभावनाएं हैं। जब इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार होगा, तो देश में ग्रामीण विभाजन को बेहतर तरीके से समाप्त किया जा सकेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT), ब्लाक चेन और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकी अधिक समग्र डिजिटल अवसर प्रदान कर रही हैं। इस प्रकार स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक ग्रामीण भारत की पहुंच बढ़ रही है जिससे भविष्य में स्वास्थ्य परिणामों में सुधार आएंगे और स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च भी कम होगा।

ग्रामीण भारत में डिजिटल शिक्षा और वर्चुअल लर्निंग की संभावनाएँ-

शिक्षा राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का प्रमुख अंग हैं, एवं डिजिटल शिक्षा स्वस्थ ग्रामीण भारत के निर्माण की दिशा में प्रगतिशील कदम है। भारत वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा हैं, जिसमें शैक्षिक प्रौद्योगिकी, डिजिटल कार्यक्रम और आभासी (वर्चुअल) कक्षाओं की भारत के ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों के लोगों के लिए खासतौर पर अहम भूमिका हैं। ग्रामीण भारत में डिजिटल शिक्षा एवं दूरदर्शी अध्ययन कार्यक्रमों की गति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसका श्रेय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा मंत्रालय) के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को जाता हैं, जिसमें डिजिटल प्रौद्योगिकी और आभासी अध्ययन के अनूठे इस्तेमाल से दूरवर्ती शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया हैं, और उन्हें क्रियान्वित भी किया हैं। केन्द्र सरकार राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ मिलकर डिजिटल शिक्षा एवं आभासी अध्ययन के विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए सामाजिक शैक्षिक सुधारों की दिशा में लगातार प्रयास कर रही हैं।

ग्रामीण भारत और डिजिटल शिक्षा की पहल-

कोठारी आयोग के अनुसार, ‘‘भारत का भाग्य उसकी कक्षाओं में लिखा जा रहा है।’’ इसका तात्पर्य है कि हमें डिजिटल शिक्षा एवं वर्चुअल लर्निंग समेत डिजिटल इंडिया के विभिन्न कार्यक्रमों की मदद से ग्रामीण भारत को मजबूत बनाकर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेने की आवश्यकता हैं। मानव संसाधन विकास/शिक्षा मंत्रालय के डिजिटल शिक्षा एवं वर्चुअल लर्निंग के कुछ प्रमुख कार्यक्रम निम्न हैं, जो ग्रामीण भारत के लोगों के लिए समग्र दूरवर्ती अध्ययन कार्यक्रमों में मदद करते हैं-

1. दीक्षा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग-

विशेषताएँ-

i. राष्ट्रीय ढांचे के भीतर स्वायत्तता एवं विकल्प।

ii. ऑनलाईन-ऑफलाइन तथा विभिन्न प्रकार के उपकरण।

iii. विविध प्रकार की उपकरण सामग्री एवं एनर्जाइज्ड टेक्स्ट बुक।

iv. डाटा के जरिए देखने एवं सशक्त होने की क्षमता प्रदान करता है।

v. स्थानीय भाषा में सामग्री तथा ओपन लाइसेंसिंग व्यवस्था।

vi. भौतिक एवं डिजिटल दुनिया के बीच पुल का काम।

vii. विविधता, लचीलापन एवं विकास।

2. ई-पाठशाला

3. स्वयंप्रभा चैनल

4. छत्व्म्त्- नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशन रिसोर्सेज

5. समग्र शिक्षा के अंतर्गत आईसीटी योजना

6. शाला दर्पण

7. शाला सिद्धि

8. ई-ग्रंथालय

9. डिजिटल साक्षरता अभियान (दिशा)

10. प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMG दिशा)

वर्चुअल लर्निंग की विशेषताएँ-

1. वर्चुअल लर्निंग अध्ययन की एक पद्धति है।

2. विश्व में उपलब्ध शैक्षिक सेवाओं का असीमित भंडार उपलब्ध कराना।

3. वर्चुअल कक्षाएं एवं सीखने का वर्चुअल माहौल

4. प्रत्येक व्यक्ति के अनुकूल सीखने की प्रक्रिया

5. अध्ययन की विभिन्न शैलियों का प्रयोग

6. अध्ययन का सुरक्षित माहौल

7. समय, स्थान एवं गति के मामले में लचीली अध्ययन पद्धति

8. धन और समय बचाने वाली।


कृषि क्षेत्र में  डिजिटल टेक्नोलॉजी की संभावनाएँ-

वर्तमान में पूरे विश्व में कृषि मशीनरी की वेल्यू, सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेंसर का दौर चल रहा है। यह भारतीय किसानों के लिए भी आवश्यक है, कि वे इस डिजिटलीकरण की अवधारणा को अपनाएं, जिससे अधिक से अधिक कुशल एवं उत्पादक खेती हो सके। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का केन्द्र बिन्दु है। भारतीय कृषि क्षेत्र उत्पादन एवं रोजगार की दृष्टि से भी सबसे बड़ा क्षेत्र है। कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों, कानूनी सुधारों और स्मार्ट फार्मिंग से कृषि क्षेत्र और भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। वर्तमान में भारतीय सरकार गाँवों, गरीबों और किसानों की और अधिक ध्यान दे रही है। गाँवों में समृद्धि के साथ-साथ आजीविक एवं रोजगार के साधन विकसित किए जा सकते हैं, जिससे गाँव से शहर की ओर विस्थापन को रोका जा सके। इस संबंध में आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल भारत अभियान की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। डिजिटलीकरण के साथ खेती और ग्रामीण क्षेत्रों का आधुनिकीकरण वर्तमान समय की मांग है। कोविड-19 महामारी के द्वारा कई बड़े बदलाव किसानों, पशुपालकों, मत्स्यपालकों और ग्रामीणों के जीवन में आए हैं। डिजिटल बदलाव एवं प्रौद्योगिकी ग्रामीणों के जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है।

सरकारी प्रयास

कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकसित करने के लिए नवीन तकनीकों का प्रयोग करने की आवश्यकता है। कृषि में डिजिटल तकनीकों के प्रयोग से भारतीय कृषकों के जीवन एक नई गति पकड़ रहा है। प्रमुख डिजिटल सूचना प्रौद्योगिकी-

ई-प्लेटफार्म पर फसल बेंच रहे हैं किसान

ई-प्लेटफार्म के द्वारा मंडिया ऑनलाइन हो रही हैं, जिससे किसान घर बैठकर फसलों का मोलभाव कर सकते हैं। देश के 1500 प्रमुख बाजारों में से 50 प्रतिशत ई-नाम पर उपलब्ध    हैं। यह बाजार कृषकों को अपना उत्पादन कहीं भी प्रतिस्पर्धी कीमत पर बेचने की सुविधान प्रदान करता हैं। कृषि विधेयकों से किसानों को किसी भी राज्य में अपनी फसल विक्रय की स्वतंत्रता होगी एवं फसल क्रय में उनका नियंत्रण बढ़ेगा। जैविक उपज को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में ई-कॉमर्स अहम भूमिका निभा रहा हैं। ग्राहकों को जैविक खेती वाले किसानों से जोड़ने में यह महत्वपूर्ण साधन बन गया हैं।

किसान सुविधा ऐप

किसानों की सबसे समस्या हैं, उन्हें उत्पादन का उचित मूल्य न मिलना। बिचौलियों एवं दलालों के कारण किसानों को अपने कृषि उत्पाद कम दामों में बेचने पड़ते थे, परन्तु डिजिटलीकरण एवं आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के द्वारा किसानों को इस समस्या से छुटकारा मिला है। किसानों तक नवीन कृषि संबंधी वैज्ञानिक जानकारियों के प्रसार हेतु कई पहल की गई हैं। बेव-आधारित केवीके पोर्टल भी बनाए गए हैं। केवीके मोबाइल ऐप किसानों को त्वरित व सुलभ सूचनाएं उपलब्ध करवाने के लिए तैयार किया गया है। कृषि एवं ग्रामीण विकास में डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण का साकार करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान हैं। किसानों की सुविधा के लिए केन्द्र सरकार एवं अन्य एजेंसियों ने अनेक मोबाइल ऐप जैसे- किसान रथ, किसान योजना ऐप, एग्रीऐप, इफको किसान ऐप, फार्म मशीनरी, कृषि किसान ऐप, किसान सभा ऐप, एग्री मीडिया वीडियो ऐप, पूसा कृषि, फसल बीमा पोर्टल, एग्री मार्केट, एम किसान पोर्टल, कृषि मंडी मोबाइल ऐप लांच किए हैं।

कृषि डिजिटल प्लेटफार्म-

बैंक ऑफ बड़ौदा ने कृषि सेवा कंपनियों के साथ मिलकर कृषि डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया हैं, जिससे कृषि संबंधी समस्याओं एवं आवश्यकताओं का समाधान किया जा सके। कृषि डिजिटल प्लेटफार्म का उद्देश्य विश्वसनीयता एवं अनुकूलित जानकारी, उपयोग के लिए इनपुट, कृषि उपकरण किराए पर देने में आसानी एवं कृषि उपज की बिक्री के लिए बाजार, लिंकेज प्रदान करके कृषि समस्याओं को हल करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण बनाना हैं। कृषि सेवाओं के डिजिटलीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव हुआ है। कृषि डिजिटल प्लेटफार्म द्वारा कृषि जीडीपी मंे वृद्धि होगी एवं देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही देश के दूरस्थ आदिवासी, पहाड़ी एवं पिछड़े क्षेत्रों में किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण हैं।

प्रिसिजन फार्मिका-

प्रिसिजन फार्मिंग सूचना तकनीकी पर आधारित कृषि विज्ञान की एक आधुनिक अवधारणा हैं, जो किसानों के लिए उपयोगी एवं उत्पादन बढ़ाने की संभावनाओं के साथ प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ रहे दबाव को कम करने में सहायक हैं। मृदा उपजाऊपन एवं उत्पादकता बढ़ाने में प्रिसिजन फार्मिंग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती हैं। इसमें भूमि की स्थानीय जानकारी प्राप्त करने के लिए आधुनिक तकनीकों जैसे- जीआईएस, जीपीएस, रिमोट सेंसिंग पद्धति एवं सूचना तकनीक का उपयोग किया जाता हैं। पारम्परिक खेती में किसान पूरे खेत में खाद व उर्वरक, सिंचाई, कीटनाशियों एवं शाकनाशियों आदि साधनों का समान रूप से प्रयोग करता है, प्रिसिजन फार्मिंग में उपर्युक्त साधनों का प्रयोग उस विशेष स्थान पर ही किया जाता है, जहां फसल को उनकी आवश्यकता होती हैं।

आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस-

आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का प्रयोग कृषि कई डोमेन जैसे मौसम, फसल, मूल्य पूर्वानुमान और उपज अनुमान में किया जा सकता हैं। इस तकनीक के प्रयोग से किसानों को सही फसल चुनने, सूचना एवं सलाह जैसी सेवा प्रदान करने और जोखिमों को कम करने में सहायता मिलती हैं। आर्टिफिशयल इंटेलेजिंस, बिग डाटा और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में भारत के लिए बड़ी संभावनाएं हैं।

स्वचालित सिंचाई प्रणाली-

वर्तमान में उपलब्ध सिंचाई विधियों में ड्रिप सिंचाई पद्धति को कृषि कार्य में जल उपयोग दक्षता बढ़ाने की एक नवीन तकनीक के रूप में देखा जा रहा हैं, जिसमें किसानों को यह जानने की सुविधा होती हैं, कि उनकी फसलों को कब और कितना पानी मिलता हैं। स्वचालित जल और सिंचाई के लिए किसान इंटरनेट आधारित सेंसर के साथ ड्रिप सिंचाई पद्धति को जोड़कर नमी के स्तर और पौधों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी करने में सक्षम होंगे। ड्रिप सिंचाई, सभी प्रकार की मृदाओं के लिए उपयोगी हैं, क्योंकि ड्रिप सिंचाई द्वारा मृदा में जल के वितरण को मृदा की प्रकार के अनुसार नियोजित किया जा सकता हैं। ड्रिप सिंचाई प्रणाली में उर्वरकों को कम मात्रा में और कम अंतराल पर पूर्वनियोजित सिंचाई के साथ दे सकते हैं।

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे कस्बों तक ई-पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से भी किसानों को डिजिटल तकनीक के बारे में जागरूक करने का प्रयास करने की आवश्यकता हैं। देश में 65 प्रतिशत लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं, जिनमें अधिकतर हिन्दी भाषी हैं, उन्हें भाषा के माध्यम से कृषि और नई तकनीकों से जोड़ना होगा, क्योंकि भाषा नवीन तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने में सबसे बड़ी बाधा हैं। कृषि संबंधी नवाचारों और तकनीकों का अधिकांश साहित्य अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध हैं, जबकि देश के किसानों की मातृभाषा हिन्दी या क्षेत्रीय भाषाएं हैं।

डिजिटलीकरण से ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की सम्भावनाएँ-

पुरुषों एवं महिलाओं के बीच डिजिटल अंतराल को कम करने में डिजिटल साक्षरता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ 10 इंटरनेट उपभोक्ताओं में से एक महिला उपभोक्ता हुआ करती थी। वहीं वर्तमान में इनक संख्या बढ़कर 3 या 4 हो गई है। इस प्रकार डिजिटल साक्षरता के कारण डिजिटल अंतराल में कमी आयी हैं, जो ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण और देश के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने के लिए सरकारी और निजी स्तर पर बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप लाखों ग्रामीण महिलाएं वर्तमान डिजिटल दुनिया से जुड़ चुकी हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, उद्यमिता एवं ग्रामी पंचायतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने हेतु संचार माध्यमों का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रही हैं।

निष्कर्ष किसी भी देश समाज के विकास में विज्ञान एवं तकनीक का बड़ा योगदान होता हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग ही वर्तमान विकसित देशों के तीव्र विकास का कारण हैं। भारत देश भी तीव्र गति से विज्ञान और तकनीक का उपयोग कर जीवन के हर क्षेत्र में विकास की ओर अग्रसर हैं। ग्रामीण भारत भी इससे अछूता नहीं रहा हैं। डिजिटल इंडिया को अब सिर्फ भारत सरकार की पहल के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि यह संपूर्ण भारत विशेषकर गरीब एवं वंचित तबकों एवं सरकारी तंत्र में शामिल लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया हैं। डिजिटल क्रांति ने देश की अर्थव्यवस्था से लेकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना प्रभाव डाला हैं। विशेषकर कृषि क्षेत्र में बेहद क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं। डिजिटल टेक्नोलॉजी से नई कृषि विधियां, मौसम संबंधी जानकारियां, कटाई तकनीकों, मिट्टी की जांच, प्रसंस्करण के तौर-तरीकों सहित मंडी के भावों (कीमतों) की जानकारी एक क्लिक पर घर बैठे प्राप्त की जा सकती हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की परिकल्पना ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के रूप में सामने आयी हैं। यह कार्यक्रम संपूर्ण ग्रामीण भारत के डिजिटल रूप से सशक्त और ज्ञान-विज्ञान के प्रति जागरूक समाज के निर्माण की दिशा में अग्रसर करने के अपने उद्देश्य की तरफ तेजी से बढ़ रहा हैं। इन सब उपलब्धियों के बीच बड़ी चुनौती है, साइबर सुरक्षा को मजबूत करना। सरकार को इस दिशा में उचित प्रयास की आवश्यकता हैं।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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