ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VIII , ISSUE- II May  - 2023
Anthology The Research
प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर समावेशी शिक्षा के विकास हेतु शासकीय प्रयासों एवं प्रभावों का समीक्षात्मक अध्ययन
Critical Study of Government Efforts and Effects for the Development of Inclusive Education at Elementary Education Level
Paper Id :  17693   Submission Date :  15/05/2023   Acceptance Date :  21/05/2023   Publication Date :  25/05/2023
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राज कुमार पाण्डेय
शोध छात्र
शिक्षा विभाग
अ. प्र. सिंह विश्वविद्याल
रीवा,मध्य प्रदेश, भारत
स्वर्णलता त्रिपाठी
(शोध निर्देशिका) प्राचार्या
शिक्षा विभाग
कृष्णा कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन
रीवा, मध्य प्रदेश, भारत
सारांश प्रस्तुत शोध पत्र में जौनपुर जिले के विशेष सन्दर्भ में "प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर समावेशी शिक्षा के विकास हेतु शासकीय प्रयासों एवं प्रभावों का समीक्षात्मक अध्ययन" प्रस्तुत किया गया है। समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा होती है जिसमें सामान्य बालक एवं बालिकाएँ तथा मानसिक और शारीरिक रूप से भिन्न बालक, बालिकाएँ एक साथ बैठकर एक ही विद्यालय में अध्ययन करते है। या सामान्य शब्दों में यूँ कहा जा सकता है कि बिना किसी भेदभाव के एक ही विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करना समावेशी शिक्षा कहलाता है। समावेशी शिक्षा उन बालकों के विकास के लिए समीचीन प्रतीत होती है जिन्हें उसी समाज में या वातावरण में समायोजन करना है जिसमें वे रह रहे है। उसी क्षेत्र में उन्हें कार्य करना है अतः भिन्न बालको को समान्य बालकों के साथ रखकर विभिन्न कौशलो व गतिविधियों का ज्ञान दिया जाए जिससे वे भी समाज के योग्य नागरिक बनकर देश के विकास में अपना सक्रिय योगदान दे सके। प्रारम्भिक स्तर पर समावेशी शिक्षा पर शासन ने क्या प्रयास किए और उसका क्या प्रभाव पड़ा यह अध्ययन की प्रासंगिकता है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the presented research paper, "Critical study of government efforts and effects for the development of inclusive education at elementary education level" has been presented with special reference to Jaunpur district.
Inclusive education is such an education in which normal boys and girls and mentally and physically different boys and girls sit together and study in the same school. Or in general words, it can be said that taking education in the same school without any discrimination is called inclusive education.
Inclusive education seems to be appropriate for the development of those children who have to adjust in the same society or environment in which they are living. They have to work in the same field, so different children should be kept with normal children and given knowledge of various skills and activities so that they too can contribute actively in the development of the country by becoming capable citizens of the society. What efforts have been made by the government on inclusive education at the primary level and what has been its impact is the relevance of the study.
मुख्य शब्द प्रारम्भिक शिक्षा, समीक्षात्मक अध्ययन, समावेशी शिक्षा।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Elementary Education, Critical Studies, Inclusive Education.
प्रस्तावना
प्रस्तावित शोध कार्य का क्षेत्र जिला जौनपुर है। इसके अन्तर्गत 6 तहसील - शाहगंज, मड़ियाहूँ, बदलापुर, मछलीशहर केराकत व जौनपुर सदर है। अत: जिले के अन्तर्गत शाहगंज तहसील में स्थित प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर समावेशी शिक्षा के विकास हेतु शासकीय प्रयासों व प्रभावों की स्थिति इस अध्ययन के अन्तर्गत सम्मिलित होगें। चूँकि शाहगंज तहसील में स्थित प्रारम्भिक विद्यालयों की संख्या व्यापक है इस कारण शाहगंज तहसील के सुइथा कलाँ विकास खण्ड के 10 विद्यालयों का चयन देव निदर्शन विधि द्वारा अध्ययन किया गया है। विद्यालयों का चयन करते समय यह विशेष रूप से ध्यान दिया गया है- कि विकासखण्ड के विद्यालय ऐसे हो जो अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर सके । यह ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों से सम्बन्धित है। सुइथा कला विकासखण्ड के अन्तर्गत कुल प्रारम्भिक विद्यालयों की सं.(2418+883=3301) - है समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत अध्यनरत छात्र/छात्राओं की सं. 248 है। समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत जनपद जौनपुर द्वारा 02 इस विकास खण्ड में (Special Educator) विशेष शिक्षक नियुक्त किए गए है।
अध्ययन का उद्देश्य शोधार्थी द्वारा प्रस्तावित शोध पत्र के निम्न उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं- 1. जनपद जौनपुर के सुइथा कलाँ विकास खंड के प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर समावेशी विद्यार्थियों की वास्तविक स्थिति ज्ञात करना। 2. शोध क्षेत्र के प्रारम्भिक स्तर पर समावेशी शिक्षा के विकास हेतु शासकीय योजनाओं की जानकारी प्राप्त करना। 3. शोध क्षेत्र के प्रारम्भिक स्तर पर समावेशी शिक्षा के विकास हेतु शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की वस्तुस्थिति ज्ञात करना। 4. शोध क्षेत्र के प्रारम्भिक शिक्षा स्तर समावेशी शिक्षा के विकास हेतु शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के फलस्वरूप पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी प्राप्त करना। 5 समावेशी शिक्षा के विकास हेतु आयोजित योजनाओं की मानिटरिंग का पता लगाना। 6. शोध क्षेत्र में प्रचलित रीति-रिवाज, परम्परा, कुरीतियाँ व अंध विश्वास का समावेशी शिक्षा के विकास में पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी प्राप्त करना।
साहित्यावलोकन

प्रस्तुत शोधपत्र को तैयार करने के लिए विभिन्न शोध पत्रों, पत्रिकाओ और पुस्तकों का अध्ययन किया गया है।

कुमार एवं पाण्डेय (2016) ने "शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के संदर्भ में निजी प्राथमिक विद्यालयों के उत्तरदायित्वों का अध्ययन विषय पर शोध किया। इस अध्ययन में निजी विद्यालयों द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम में निर्धारित उत्तरदायित्व के निर्वहन का अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के लिए वाराणसी जनपद के 100 निजी प्राथमिक विद्यालयों का चयन प्रतिदर्श के रूप में किया गया है। शोध में प्रदत्त संग्रह हेतु शोधकर्त्ता द्वारा स्वनिर्मित उत्तरदायित्व प्रश्नावली का उपयोग किया गया है। अध्ययन के परिणाम में पाया गया कि निजी प्राथमिक विद्यालयों द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम में निर्धारित उत्तरदायित्व का निर्वहन सही ढंग से नहीं किया जा रहा है।

कुमार एवं मिधा (2017) ने प्राथमिक स्तर के सामान्य विद्यालय के शिक्षकों एवं विशिष्ट विद्यालय के शिक्षकों का समावेशी शिक्षा के प्रति अभिवृत्ति का तुलनात्मक अध्ययन किया। इन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि मुख्यधारा विद्यालय के शिक्षकों की अभिवृत्ति, विशिष्ट विद्यालयों के शिक्षकों की तुलना में अनुकूल पायी गयी जोकि भारत में समावेशी शिक्षा प्रणाली की सफलता की धीमी गति का मुख्य कारण है।

शर्मा, सीमा (2017) शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का विद्यार्थियों की नियमितता व शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव का आध्ययन किया। यह शोध अध्ययन मध्य प्रदेश राज्य के तीन जिला सीहोर, होशंगाबाद एवं रायसेन की शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के शासकीय व असकीय विद्यालयों के कक्षा 6 और 7 के 750 विद्यार्थियों, 300 शिक्षक-शिक्षकाओं 300 अभिभावकों के न्यादर्श पर किया गया। शोध अध्ययन की प्रकृति सर्वेक्षण थी। अध्ययन में प्रदत्त संकलन हेतु उपकरण मे प्राथमिक स्रोतों के रूप में) विद्यार्थियों के लिए केन्द्रित समूह वर्षा व साक्षात्कार अनुसूची शिक्षकों 4 प्रापको के लिए स्वनिर्मित प्रश्नावली अभिभावकों के लिए स्व-निर्मित प्रश्नावली शैक्षिक उपलब्धि परिक्षण (हिन्दी] गणित अग्रेजी विषयों के लिए) तथास्य अवलोकन प्रपत्र एवं द्वितीयक स्रोत के रूप में।

सिंह, सुनीता (2017) ने "शिक्षा के अधिकार कानून का यथार्थ - एक विवेचना का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता ठीक नहीं है। प्राथमिक विद्यालयों की गिनती शैक्षणिक गुणवत्ता के विभिन्न कारण हैं, जिनमें से कुछ शिक्षक समुदाय से, कुछ अभिभावकों से और कुछ सरकार के ढुलमुल रवैये तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के कमजोर क्रियान्वयन पक्ष से जुड़े हैं। प्राथमिक स्तर पर जिम्मेदारियों का विकेन्द्रीकरण केन्द्र से राज्य, राज्य से जिला व जिला से खंड/ प्रखंड संसाधन स्तर एवं न्याय पंचायत संसाधन स्तर और स्थानीय विद्यालय के प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों तक किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिले में जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान भी शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्धन पर्यवेक्षक सर्व शिक्षा अभियान, मध्याह्न भोजन कार्यक्रम, कस्तूरबा गाँधी विद्यालय, निःशुल्क पुस्तक वितरण, ड्रेस वितरण, भवन, चहारदीवारी की रंगाई-पुताई, विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण जनगणना, मतगणना, बूथ स्तर के अधिकारी के रूप में (बी०एल०ओ०) टीकाकरण, आदिवासी जनजाति विद्यालयों के संचालन आदि कार्यों में व्यस्त रहे।

गोंड, ललित कुमार (2017) ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के क्रियान्वयन सम्बन्धी व्यावहारिक समस्याएँ पूर्वी उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में शोध किया। अध्ययन का उद्देश्य पूर्वी उ०प्र० के प्राथमिक विद्यालयों के संदर्भ में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में चिन्हित आधारभूत भौति संरचना, निर्धारित शिक्षक-विद्यार्थी (1:30 ) अनुपात की यथार्थ स्थिति, निजी विद्यालयों में दुर्बल वर्ग व अलाभित समूह के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीट के उपलब्ध के क्रियान्वयन की वास्तविक स्थिति की जाँच, स्थानीय प्राधिकरण व माता-पिता व अभिभावक के उत्तरदायित्व बोध के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करना एवं निर्धारित शिक्षकों के उत्तरदायित्व बोध के वास्तविक स्वरूप का अध्ययन करना है। यह शोध कार्य वर्णनात्मक अनुसंधान विधि से किया गया है। इस शोध में स्वनिर्मित उपकरण का प्रयोग किया गया है। प्रतिदर्श के चयन हेतु बहुचरणीय न्यादर्श चयन पद्धति का प्रयोग किया गया है। इस शोध के निष्कर्ष में पाया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के लागू होने के इतने वर्षों उपरान्त भी पूर्वी उ०प्र० के किसी भी प्राथमिक विद्यालय में शत-प्रतिशत सुधार देखने को नहीं मिला, न ही निजी विद्यालयों में दुर्बल वर्ग व अलाभित समूह के किसी भी बच्चे का प्रवेश ही नहीं हुआ है तथा साथ में यह भी ज्ञात हुआ कि आर०टी०ई० एक्ट 2009 में निर्धारित उत्तरदायित्व का बोध स्थानीय प्राधिकरण, माता-पिता तथा विद्यालय व शिक्षकों को आंशिक रूप से है।

पालीवाल एवं शर्मा (2017) ने 'शारीरिक रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर का अध्ययन' विषय पर शोध किया। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य शैक्षिक रूप से निम्न एवं उन्य उपलब्धि प्राप्त शारीरिक रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर पर तुलनात्मक अध्ययन करना था। शाधिका द्वारा शोध अध्ययन हेतु उदयपुर संभाग के तीन जिलों का यादृच्छिक विधि द्वारा चयन किया गया जिसमें उदयपुर डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले के माध्यमिक स्तर के सरकारी एवं निजी विद्यालयों के 150 शारीरिक रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों का न्यादर्श विधि द्वारा चयन किया गया। इस शोध में पाया गया कि शैक्षिक रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर में कोई तुलनात्मक अंतर नहीं है।

देगी एवं टोक (2017) ने 'लेवल ऑफ अवेयरनेस एंड एटीट्यूड टूबर्डस चाइल्स राइट टू फ्री एंड कम्पल्सरी एजूकेशन एक्ट एमंग द पेरेंट एंड टीचर्स ऑफ पापुम पेयर डिस्टीक ऑफ ए.पी. विषय पर शोध किया। इस अध्ययन का उद्देश्य निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के अधिकार के प्रति माता-पिता और शिक्षक की जागरूकता और दृष्टिकोण के स्तर का पता लगाना है। जागरूकता का उपयोग करने के लिए 200 माता-पिता और 200 शिक्षकों के एक नमूने को बेहतरीन ढंग से स्व-विकास उपकरण का उपयोग करके चुना गया था। इन्होंने ने अपने अध्ययन में पाया कि अधिकांश माता-पिता और शिक्षक आर०टी०ई० अधिनियम की विभिन्न विशेषताओं से अवगत हैंफिर भी अधिकांश शिक्षकों ने इस बात का विरोध किया कि सैद्धान्तिक रूप से आर०टी०ई० अच्छा हैलेकिन जमीनी तौर पे नही।

मुख्य पाठ

अध्ययन में प्रयुक्त विधितन्त्र - अध्ययन हेतु सर्वेक्षण विधि का चयन किया जिसमें शोधकर्ता स्वयं उपस्थित होकर विद्यालय के प्रधानाध्यापक से समावेशी शिक्षा के अन्तर्गत प्रदान की जा रही शासकीय सुविधाओ एवं उनके क्रियान्वयन के बारे में जानकारी प्राप्त की।

जिसमें विद्यालय का नाम -

प्र.अ का नाम-

बच्चों की कुल सं. -

दिव्यांग बच्चों की सं.-

समावेशी शिक्ष के अन्तर्गत

शासन द्वारा प्राप्त सुविधाएँ एवं उनका व्यवाहरिक धरातल पर क्रियान्वयन की जानकारी जनपद जौनपुर के सुइथा कलाँ ब्लाक के 10 विद्यालयों से चार्ट में बने कॉलम के आधार पर बिन्दुवार सूचनायें प्राप्त की गयी।

क्र. सं.

विद्यालय का नाम

प्र. अ. का नाम

समावेशी शिक्षा के अंतर्गत नामांकित दिव्यांग बच्चों की सं.

दिव्यांग बच्चों को शासन द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाएं

1.

कम्पोजिट वि. संसार पट्टी

श्री मती ऊषा सिंह

06

1. एस्कार्ट एवं स्टाइपेंड

2. हॉउस होल्ड सर्वे

3. चिन्हांकन (प्रभावी जाँच)

4. एलिम्को कैम्प/उपकरण (मापन एवं वितरण)

5. विशेष शिक्षकों की नियुक्ति

6. विशेष TLM (सहायक उपकरण)

7. ब्रेल बुक्स (ब्रेल किट्स)

8. रैम्प (बाधा रहित भौतिक वातावरण)

9. अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस (3 Dece.1981)

10. मेडिकल असेसमेंट कैम्प

11. IEP योजना

12. रिसोर्स सेंटर का विकास

2.

प्रा. वि. गैरवाह II

श्री राकेश सिंह

05

3.

प्रा. वि. गैरवाह I

श्री मती माया सिंह

01

4.

प्रा.वि. अरसियाँ

श्री राजेन्द्र प्रसाद

07

5.

उ.प्रा.वि. अरसियाँ

श्री ओम प्रकाश

01

6.

क.वि.अतरौडा

श्री अशोक कुमार

02

7.

प्रा.वि. जैनपुर

श्री सतीश कुमार

05

8.

प्रा.वि. बाँधगाँव

श्री सतीश कुमार सिंह

04

9.

उ.प्रा.वि.जैनपुर

श्री रमेश प्रजापति

02

10.

क.वि. रामपुर

श्री राकेश कुमार सिंह

01

 

 

 

कुल सं.=34

 

समावेशी शिक्षा योजनातर्गत शासन द्वारा बहुत ही सराहनीय कार्य किए जा रहे है- CWSN छात्र/छात्राओं के लिए जिन 10 विद्यालयों का सर्वेक्षण किया गया उनमें निम्नांकित शासकीय योजनाएं व्यवहारिक धरातल पर संचालित की जा रही है-

क्र. सं.

सरकार द्वारा संचालित शासकीय योजनाएँ एवं नीतियाँ

व्यवहारिक क्रियान्वयन

हाँ/ नहीं

1.

समावेशी शिक्षा

विशिष्ट शिक्षको एवं सामान्य शिक्षको के सहयोग द्वारा

हाँ

2.

हाउस होल्ड सर्वे

शिक्षकों एवं अन्य द्वारा

हाँ

3.

एलिम्को मापन एवं वितरण कैम्प

वैशाखी, कान की मशीन, ट्राई साइकिल, C.P chair, छड़ी, जूते, कैलीपर, ब्रेलकिट एवं अन्य

हाँ

4.

विशिष्ट शिक्षको की नियुक्ति

02 Special Educator नियुक्त है

हाँ

5.

बाधारहित भौतिक वातावरण

रैम्प का निर्माण CWSN washroom इत्यादि

हाँ

6.

World Disabled Day Celebration

03 December प्रतिवर्ष जनपद स्तर

एवं विकास खण्ड स्तर पर

हाँ

7.

Medical Assesment Camp विशेष अनुभवी एवं जिला स्तरीय विशेष चिकित्सको द्वारा

दिव्यांगों हेतु

हाँ

8.

IEP (व्यक्तिगत शैक्षिक योजना)

प्रत्येक बच्चे की

हाँ

9.

Resource Centre का विकास

जनपद एवं ब्लाक स्तर पर

हाँ

10.

एस्कार्ट एवं स्टाइपेण्ड प्रदान करना

बालिकाओ को 200रू. प्रति माह खाते में भेजा जाना

हाँ

निष्कर्ष सामान्य रूप से विद्यालय के सर्वेक्षण में पाया गया कि कक्षा में सामान्य छात्रों के साथ-साथ दिव्यांग छात्र/छात्राएँ भी शिक्षा ग्रहण करते है। 10 विद्यालयों जिनका सर्वे किया गया उनमें अध्ययनरत कुल दिव्यांग बच्चों की संख्या 34 है। समेकित शिक्षा के अन्तर्गत उनको विशिष्ट आवश्यकता वाले बालक (CWSN) के रूप में देखा जाता है। R.T. E के अन्तर्गत समस्त 6-14 आयु वर्ग के विशिष्ट आवश्यकता वाले बालको को भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. एक कदम रोशनी की ओर (समेकित शिक्षा सत्र-2022 - 23) 2. जिला सांख्यिकीय पत्रिका, जनपद जौनपुर वर्ष-2020 3. SAMARTH APP. Online Website. 4. पाठक, पी. डी. (1982), शिक्षा मनोविज्ञान, विनोद प्रकाशन। 5. शर्मा, आगरा आर. ए. (2006), शिक्षा अनुसंधान मेरठ. आर लाल बुक डिपो। 6. राय पारस नाथ (1996), अनुसंधान परिचय आगरा, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल बुक डिपो। 7. SHARE & CARE Magzine I.I.D, Varanasi.( त्रैमासिक एवं मासिक पत्रिका) 8. पालीवाल एवं शर्मा (2017) शारीरिक रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के सामाजिक- आर्थिक स्तर का अध्ययन वर्ष 38, अंक 2, पृ०स० : 80-86 9. सिंह, सुनीता (2017), शिक्षा के अधिकार कानून का यथार्थ। भारतीय आधुनिक शिक्षा, 38 (1) पृ०सं० : 41-54 10. कुमार एवं पाण्डेय (2017), प्राथमिक विद्यालयों में गठित विद्यालय प्रबन्ध समिति के उत्तरदायित्व का अध्ययन, Shodh Drishti, Vol. 8(4), Page No. 233-236 11. Degi & Tok (2017), Level of Awarness and Attitude towards Childs's Right to free and Compulsory Education act among The Parents and Tearchers of Papum Pare District of A.P., International Journal of Humanities and Social Science Invention. Vol. 6 (9) Page No. 15-17 12. शर्मा, सीमा (2017), शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का विद्यार्थियों की नियमितता व शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव। भारतीय आधुनिक शिक्षा, 38(1). पृ०सं० : 41-54 13. गोंड, ललित कुमार (2017), शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के क्रियान्वयन सम्बन्धी व्यावहारिक समस्याएँ : पूर्वी उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में। अप्रकाशित शोध प्रबन्ध, वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।