ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VII , ISSUE- I April  - 2022
Anthology The Research
माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण की समस्याएं एंव ‘‘नई शिक्षा नीति 2020’’ के द्वारा इनमें सुधार के प्रावधानों का अध्ययन
Study of The Problems of Teacher Training For Secondary Education and Provisions to Reformation of These Problems by New Education Policy 2020
Paper Id :  15939   Submission Date :  2022-04-11   Acceptance Date :  2022-04-21   Publication Date :  2022-04-25
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अरविन्द कुमार
असि. प्रोफेसर
बी.एड. विभाग
राठ महाविद्यालय पैठाणी
पैठाणी, पौड़ी गढवाल,उत्तराखण्ड
भारत
सारांश
शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान है, जो कि छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए सदैव प्रयासरत रहता है। भारत में वर्तमान समय में माध्यमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए द्विवर्षीय पाठयक्रम संचालित किया जाता है। शिक्षण प्रशिक्षण की इस प्रक्रिया में अनेक समस्याएं हैं। जिससे सम्पूर्ण भारत की विद्यालयी शिक्षा प्रभावित हो रही है। प्रस्तुत अध्ययन में शोधकर्ता के द्वारा यह समझने का प्रयास किया जा रहा है, कि माध्यमिक शिक्षा की समस्याओं को दूर करने और देश में अच्छे शिक्षकों के विकास करने के उददेश्य से नई शिक्षा नीति 2020 में क्या-क्या नवीन प्रावधान किये गये हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The place of the teacher is very important in the teaching-learning process who always tries to the all-around development of the students in the school. There is a two-year teacher training program for secondary education in present India. There are also many problems in the process of teacher trainning for secondary education. These types of problem affects school education in all over India. In this study researcher wants to understand the new education policy, and how can resolve the problem of teacher training for secondary education. What are the provisions for the teacher training program of the secondary education system in the New education policy 2020?
मुख्य शब्द शिक्षा, शिक्षक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण की समस्याएं, नई शिक्षा नीति 2020 में माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण में सुधार के प्रावधान।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Education, Teacher education, Problemes of teacher training for secondary education, Provisions to reform secondary education teacher training program in the new education policy 2020.
प्रस्तावना
शिक्षा की प्रक्रिया के द्वारा छात्र-छात्राओं में नवीन ज्ञान, कला, कौशलों का विकास किया जाता है। महात्मा गांधी जी के अनुसार “शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्तम विकास से है“। जे0 एस0 मैकेन्जी के अनुसार “शिक्षा जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है, और जीवन के प्रत्येक अनुभव के द्वारा इसका विकास होता है“। शिक्षा की प्रक्रिया घर से ही प्रारम्भ हो जाती है जहां कि बच्चे को दैनिक जीवन के कार्यों, एंव नैतिक व्यवहार व विचारों के ज्ञान से परिचित कराया जाता है। तथा विद्यालय की शिक्षा का पाठ्यक्रम छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रकार के आवश्यक विषयों के ज्ञान और इनसे सम्बन्धित कौशलों का विकास करता है। विभिन्न विषयों के प्रकरणों के शिक्षण, पाठ्यसहगामी क्रियाओं, खेलों के द्वारा शिक्षा मानव के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास के लिए अति महत्वपूर्ण कार्य करती है। नई शिक्षा नीति 2020 में कहा गया है कि ‘‘शिक्षा को मानव की सम्पूर्ण क्षमताओं का विकास करने की आवश्यकता है। साथ ही न्यायपूर्ण समाज के निमार्ण और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है ’’। देश के आर्थिक विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी। जिसमें कि सामाजिक समानता और समता, वैज्ञानिक उन्नति, राष्ट्रीय एकीकरण और सांस्कृतिक संरक्षण आदि को ध्यान में रखना होगा। और समृद्व मानव संसाधनों का सृजन कर समाज के प्रत्येक व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व के हित में कार्य किये जाने चाहिए। शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान है, जो कि छात्र-छात्राओं को नवीन ज्ञान प्रदान करता है। साथ ही उनकी रूचि को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कौशलों का विकास करने के लिए भी सदैव प्रयासरत रहता है। यह ज्ञान एंव कौशल छात्र-छात्राओं के भावी जीवन में सफलता प्राप्त करने का प्रमुख आधार है। इसके लिए शिक्षक को उचित प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। जिसमें कि आदर्श शिक्षक के व्यक्तिगत गुणों, व्यावसायिक गुणों, समाजिक गुणों का विकास किया जा सके। जैसे कि शिक्षण विषय के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, आत्मविश्वास, धैर्यवान होना, उत्तम स्वास्थ्य, नेतृत्व की क्षमता, सामाजिकता की भावना, न्यायप्रिय, विषयवस्तुु का ज्ञान, विभिन्न प्रकार की शिक्षण विधियों का ज्ञान, शिक्षा के नवीन नवाचारों का ज्ञान, बच्चे की अधिगम कठिनाइयों को समझना, अनुसंधान कार्य में रूचि का होना आदि। माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम शिक्षण प्रशिक्षण का उददेश्य छात्राध्यापकों एंव छात्राध्यापिकाओं में शिक्षण प्रक्रिया के सम्पूर्ण व्यवहारिक ज्ञान से अवगत कराना है। शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में कक्षा शिक्षण के नियोजन, कक्षागत अधिगम प्रक्रियाएं, अधिगम अनुभव, का ज्ञान प्रदान किया जाता है। है0न0ब0ग0 विश्वविद्यालय के बी0एड0 पाठयक्रम के अनुसार प्रशिक्षणार्थियों को बाल मनोविज्ञान, समकालीन भारत एंव शिक्षा, भाषा, अनुशासन एवं विषयों की समझ, अधिगम के लिए आकलन, शिक्षण एवं अधिगम, विद्यालयी शिक्षा के किन्ही दो विषयों के शिक्षण की पेडागोजी, जेन्डर की अवधारण, समावेशी शिक्षा, ज्ञान एंव पाठ्यक्रम, आदि विषयों का ज्ञान प्रदान किया जाता है। वैकल्पिक विषयों में पर्यावरण शिक्षा, निर्देशन एंव परामर्श, शारीरिक शिक्षा, मूल्य शिक्षा, शान्ति शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा, आदि में से किसी एक का चुनाव करना होता है। उक्त सैद्वान्तिक ज्ञान के साथ-साथ प्रयोगात्मक एंव व्यवहारिक ज्ञान जैसे अभ्यास शिक्षण एंव विद्यालय में इन्टर्नशिप कार्य आदि में प्रशिक्षित करने का प्रयास किया जाता है। शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की समस्याएं नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षक के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा गया है कि समाज में अच्छे नागरिकों के निमार्ण में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वह बच्चों के भविष्य को आकार देकर राष्ट्र निमार्ण में योगदान देता है। जिसके कारण सबसे सम्मानित सदस्य होने की अपेक्षा समाज शिक्षक से करता है। इसके लिए अच्छे शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को लागू किया जाना अति आवश्यक है। शिक्षण प्रशिक्षण में अनेक समस्याएं हैं, जैसे कि शिक्षण कार्य में रूचि लेने वाले योग्य प्रशिक्षणार्थियों के चयन की समस्या, प्रशिक्षण संस्थाओं में पर्याप्त मात्रा में भौतिक संसाधनों की कमी, प्रशिक्षण संस्थाओं में शोध की कमी, तथा प्रशिक्षण संस्थाओं के स्वंय के विद्यालयों का न होना आदि। इस प्रकार से हम शिक्षक शिक्षा के उददेश्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकते हैं। नई शिक्षा नीति 2020 में भी अध्यापक शिक्षा की समस्याओं का उल्लेख है। और कहा गया है कि अध्यापक शिक्षा अपने मूल उददेश्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं है। हमें शिक्षक के प्रति समाज में एक आर्दश व्यक्तित्व के प्रतिरूप को पुनःस्थापित करने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति 2020 में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि उच्च न्यायालय द्वारा गठित न्यायमूर्ति जे.एस.वर्मा आयोग (2012) के अनुसार अध्यापक शिक्षा से सम्बन्धित संस्थानों की संख्या 10000 से अधिक है। ये संस्थान अध्यापक शिक्षा के प्रति लेशमात्र भी गम्भीरता से प्रयास नहीं कर रहे हैं। और ऊँचे दामों में डिग्रियों को बेचने के कार्य में लगे हैं। अध्यापक शिक्षा के लिए निर्धारित मानकों को भी लागू नहीं कर पाते हैं। इससे शिक्षक शिक्षा के नवाचारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बी0 एड0 पाठयक्रम की एक वर्षीय अल्प अवधि में वृद्धि करने का उददेश्य गुणवत्तायुक्त प्रशिक्षण प्रदान करना था। भारत में वर्तमान समय में माध्यमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए द्विवर्षीय पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है। जिसमें कि सैद्वान्तिक एंव प्रयोगात्मक व व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इस पाठयक्रम की भी एक समस्या ये है कि प्रशिक्षण में प्रवेश लेने वाले प्रशिक्षणार्थी स्नातक स्तर की पूर्ण शिक्षा प्राप्त किये होते हैं। कुछ प्रशिक्षणार्थी परास्नातक की शिक्षा प्राप्त कर चुके होते हैं। कुछ प्रशिक्षणार्थी ऐसे भी होते हैं जिनकी आयु 30 वर्ष से अधिक होती है। अर्थात उनकी रूचियों, दृष्टिकोण, व्यवहार, आदर्श, आदि में परिपक्वता आ जाती है। उनकी सम्पूर्ण पाठ्यक्रम में सतत उपस्थिति एंव रूचि से प्रशिक्षण की सम्पूर्ण गतिविधियों में भाग लेने में कमी एक विकट समस्या है। वे इस पाठ्यक्रम में जीविकोपार्जन हेतु एक अन्तिम विकल्प के रूप में प्रवेश लेते हैं। ऐसे में उन्में शिक्षण कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास करना एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है। इस समस्या का समाधान नई शिक्षा नीति के द्वारा किया जाना आवश्यक है।
अध्ययन का उद्देश्य
1. शिक्षक शिक्षा के महत्व का अध्ययन करना। 2. माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण की समस्याओं का अध्ययन करना। 3. माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण की समस्याओं के कारणों की पहचान करना। 4. नई शिक्षा नीति में माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की समस्याओं के समाधान के प्रावधानों का अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन
प्रस्तुत अध्ययन के लिए शोधार्थी के द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 का अध्ययन किया गया। कि शिक्षा नीति शिक्षा के किन-किन क्षेत्रों में नवीन सुझाव प्रस्तुत कर रही है। शिक्षक शिक्षा से सम्बन्धित दिये गये सुझावों को समझने का प्रयास किया गया। शोधकर्ता के द्वारा शिक्षक शिक्षा से सम्बधित किये गये अन्य शोधों का भी अध्ययन किया गया। जैसे कि जितेन्द्र कुमार पाटीदार द्वारा किये गये शोध शिक्षक ऐसा हो का अध्ययन किया गया जिसमें कि एक अच्छे शिक्षक के गुणों व कार्यों वर्णन है। यह शोध एन.सी.ई.आर.टी, के भारतीय आधुनिक शिक्षा, अक्टूबर अंक-2. में प्रकाशित है। साथ ही G.L. Arora., (1998) Educating teacher for the 21st century, The Indian journal for teacher education. NCTE, August, volume-1,Number-1 का अध्ययन किया गया। Raghuvansh.Sujata, &.Ajay Prakash Tiwari, (2012) Opinion of the B.Ed students about teacher eligibility test, Journal of Indian education, November, volume-ⅩⅩⅩⅤⅢ, Number -3, का अध्ययन किया गया। R.P. Singh., (1997) Toward a new look at teacher education in India, Journal of educational planning and administration, April, Volume -ⅩⅠ, Number -2, का भी अध्ययन किया गया।
सामग्री और क्रियाविधि
शोधकर्ता के द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 का विशलेषणात्मक अध्ययन किया है। जिसमें कि माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों के प्रशिक्षण से सम्बन्धित समस्त प्रावधानों को समझने का प्रयास किया गया है, कि किस प्रकार से प्रशिक्षण में सुधार किया जा सकता है। प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की अवधि क्या होनी चाहिए। प्रशिक्षणार्थियों का चयन किस प्रकार से किया जाए। और प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में योग्य व कुशल शिक्षकों को कैसे प्रशिक्षित किया जा सकता है। साथ ही सकारत्मक दृष्टिकोण का विकास प्रशिक्षणार्थियों में कैसे किया जा सकता है।
विश्लेषण
नई शिक्षा नीति 2020 में माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण में सुधार के प्रावधान

प्रशिक्षण अवधि 

नई शिक्षा नीति 2020 में माध्यमिक शिक्षकों के सेवापूर्व प्रशिक्षण हेतु नवीन प्रावधान किये गये हैं। 4 वर्षीय बी0एड0 पाठयक्रम को सम्पूर्ण देश में लागू किये जाने का प्रावधान किया गया है। यह प्रशिक्षण उच्च माध्यमिक शिक्षा उर्त्तीण छात्र-छात्राओं को प्रदान किया जायेगा। जिनमें अध्यापन कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण हो। शिक्षा नीति में 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के साथ ही 2 वर्षीय पाठ्यक्रम को संचालित करने का सुझाव भी दिया गया है। जिन विद्यार्थियों ने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की है वे 2 वर्षीय शिक्षण प्रशिक्षण में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। 
 
पाठ्यक्रम

चार वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम में शिक्षण प्रशिक्षण के साथ-साथ छात्र-छात्रायें स्नातक स्तर के विषयों का अध्ययन भी कर सकेंगे। इसके लिए प्रशिक्षण संस्थानों में कला संकाय, विज्ञान संकाय, वाणिज्य संकाय आदि विषयों के अध्ययन की पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए। शिक्षक शिक्षा से सम्बन्धित संसाधन केन्द्र एंव स्नातक स्तर के विषयों की प्रयोगशालाओं की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे कि छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण कार्य व स्नातक स्तर के विषयों का विस्तृत, गहन व प्रयोगात्मक ज्ञान व कौशलों का विकास किया जा सकता है। इस नवीन शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से भविष्य में अच्छे शिक्षकों का निर्माण करने में सफलता प्राप्त की जा सकती है, जिससे कि देश में सुयोग्य, नागरिकों एंव मानव संसाधनों का विकास किया जा सकता है। शिक्षा नीति 2020 में कहा गया है कि शिक्षक शिक्षा में छात्राध्यापकों एंव छात्राध्यापिकाओं को बहु-विषयक दृष्टिकोण और विस्तृत ज्ञान को प्रदान किया जाना चाहिए। उनमें अच्छे प्रशिक्षकों के निर्देशन में भारतीय मूल्यों का विकास व अभ्यास करवाने की भी आवश्यकता है। प्रशिक्षणार्थियों को भारतीय भाषाओं ज्ञान, परम्पराओं, जनजातीय समाज की परंपराओं, सामाजिक एंव पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति भी जागरूक करना होगा। 
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार अध्यापक शिक्षा को बहुविषयक विश्वविद्यालयों एंव महाविद्यालयों में ही उपलब्ध होना चाहिए। जहां पर मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, तंत्रिकाविज्ञान, भारतीय भाषाओं, कला, संगीत, इतिहास, कम्प्यूटर, अर्थशास्त्र और साहित्य के साथ-साथ विज्ञान और गणित जैसे अन्य विशिष्ट विषयों से सम्बन्धित विभागों के सहयोग से भविष्य के शिक्षकों को शिक्षित करने के लिए बी.एड. पाठ्यक्रम संचालित करेंगे। इस प्रकार के शिक्षण संस्थानों के स्थापना के उददेश्य भावी शिक्षकों को अपने शिक्षण विषय का विस्तृत व गहन ज्ञान प्रदान करना होना चाहिए। क्योकि शिक्षक का सर्वप्रथम प्रमुख गुण उसको अपने शिक्षण विषय का ज्ञान होना है। और विषय से सम्बन्धित छात्र-छात्राओं की समस्या समाधान करने की क्षमता उसमें होनी अति आवश्यक है। चार वर्षीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में शिक्षण अधिगम की सम्पूर्ण प्रक्रिया का ज्ञान प्रदान किया जायेगा। शिक्षण के लिए आवश्यक शिक्षण कौशलों, विधियों का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जायेगा। इसके लिए नई शिक्षा नीति 2020 में कहा गया है कि शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों का सार्वजनिक और निजी विद्यालयों के साथ एक नेटवर्क होगा। जहाँ पर भावी शिक्षक शिक्षण गतिविधियों, सामुदायिक सेवा, वयस्क और व्यावसायिक शिक्षा, आदि में सहभागिता के साथ शिक्षण का कार्य करेंगे। छात्र-छात्राओं की अधिगम की कठिनाईयों को पहचानने व निदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा। 

 प्रशिक्षक

प्रशिक्षण संस्थाओं में योग्य प्रशिक्षकों का होना भी आवश्यक है, इसलिए अध्यापक शिक्षा के विभाग में प्रशिक्षकों की नियुक्ति के समय विविधता का ध्यान रखा जायेगा। तथा अनुसंधान कार्य को महत्ता दी जायेगी जिससे कि भावी शिक्षकों की बहु-विषयी शिक्षा को और उनके अवधारणात्मक विकास को मजबूती प्रदान की जा सकेगी।

प्रशिक्षणार्थियों की चयन प्रक्रिया

योग्य प्रशिक्षणार्थियों की कमी को दूर करने के लिए नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षक शिक्षा में प्रवेश ले रहे छात्र-छात्राओं के लिए एक समान मानकों को आधार बनाया जायेगा। तथा प्रवेश राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा किया जायेगा जिसमें कि मानकीकृत योग्यता परीक्षणों का प्रयोग किया जायेगा। इसमें छात्र-छात्राओं के ज्ञान का मूल्यांकन करने के साथ ही देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का भी ध्यान रखा जायेगा। 
 
प्रशिक्षणार्थियों के लिए छात्रवृत्ति 

नई शिक्षा नीति के अनुसार अध्यापक शिक्षा में योग्य विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मेरिट आधारित छात्रवृत्ति को देने का प्रावधान भी किया गया है। इससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बनाये रखने में सहायता मिलेगी। देश के ग्रामीण क्षेत्रों के योग्य छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण में सम्मिलित करने का प्रयास किया जायेगा। इसके लिए विशेष छात्रवृत्तियों का प्रावधान किया जायेगा। 

 प्रशिक्षणार्थियों की नियुक्ति

शिक्षण प्रशिक्षणार्थियों की अध्यापन कार्य में रूचि, अभिवृत्ति, अभिक्षमता, बाल मनोविज्ञान की समझ, आदि का मूल्यांकन करने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा को शिक्षा के सभी स्तरों में विस्तृत किया जायेगा। माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों की नियुक्ति के समय भी शिक्षक पात्रता परीक्षा के अंकों को सम्मिलित किया जायेगा। वर्तमान समय में शिक्षकों में इस कार्य के प्रति उदासीनता व अरूचि को भी देखा जा सकता है। इस समस्या के समाधान के लिए अध्यापकों की नियुक्ति के समय अभ्यर्थी के साक्षात्कार को करने का प्रावधान नई शिक्षा नीति में किया गया है। इससे उनके शिक्षण कार्य के प्रति उत्साह व सकारात्मक विचारों के होने का पता लगाया जा सकता है। साथ ही अध्यापक शिक्षा में अर्जित ज्ञान के आकलन के लिए पढ़ाने का प्रदर्शन भी किया जाना चाहिए। जिससे कि उसके शिक्षण कौशलों का निरीक्षण किया जा सकता है। भावी शिक्षक के स्थानिक भाषा में कुशल सम्प्रेषण की योग्यता भी होनी आवश्यक है। नियुक्ति के ये प्रावधान सरकारी व निजी विद्यालयों में एक समान होंगें। अध्यापन में निपुणता प्राप्त  करने के पश्चात उनकी नियुक्ति स्थानिक निकटवर्ती क्षेत्रों में करने का प्रयास किया जायेगा। ऐसे प्रशिक्षित भावी अध्यापकों को स्थानिक ज्ञान, संसाधनों, संस्कृति आदि का भी उचित जानकारी होगी। वे स्थानिक भाषा को बोलने में सक्षम होगें जिसका लाभ कक्षा शिक्षण के साथ ही समुदाय विकास के कार्याें को करने में भी होगा। ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षकों के लिए आवास की उचित व्यवस्था होगी या उनकों मिलने वाले आवास भत्ते में वृद्धि की जायेगी। ग्रामीण क्षेत्रों के ये प्रशिक्षित, ज्ञानी, शिक्षक अपने कार्य को कुशलता से करते हुए स्थानिक युवाओं के लिए आदर्श व्यक्ति व प्रभावशाली पथप्रदर्शक की भूमिका को निभा सकते हैं। और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी को भी दूर करने के कार्य को पूर्ण किया जा सकता है। अध्यापकों के अनावश्यक अत्यधिक स्थानान्त्रण में रोक लगाई जायेगी। देश में राज्य व केन्द्रशासित प्रदेशों की सरकारों के द्वारा निर्धारित विशेष परिस्थितियों में ही स्थानान्त्रण किया जायेगा। इसमें भी पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन साफ्टवेयर पर आधारित व्यवस्था को लागू किया जायेगा।

सेवाकालीन शिक्षण प्रशिक्षण

अध्यापक सेवा से पूर्व का किसी शिक्षक का प्रशिक्षण सम्पूर्ण अध्यापन कार्य के लिए पर्याप्त नहीं है। क्योकि समय के साथ-साथ शिक्षण विषय में नवीन नवाचार होते रहेंगे, जिसका ज्ञान शिक्षक को समय-समय पर प्राप्त होना चाहिए। इसके लिए नई शिक्षा नीति अध्यापक सेवा में सतत व्यावसायिक विकास की अवधारण को प्रस्तुत करती है। जिसमें कि शिक्षकों को आधुनिक विचार और नवाचार सीखने के लिए सतत अवसर दिये जाएंगे। शिक्षकों को क्षेत्रीय, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्टीय कार्यशालाओं के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षक विकास मॉडयूल विकसित किये जायेंगे। प्रत्येक शिक्षक से ये अपेक्षा की जाती है कि वह प्रत्येक वर्ष में लगभग 50 घंटों के सतत व्यावसायिक विकास कार्यक्रम में रूचि से प्रतिभाग करें। जिसमें कि उन्हें नवीनतम शिक्षणशास्त्र, रचनात्मक अधिगम, आकलन, आदि का नवीन ज्ञान प्रदान किया जायेगा।
 
गुणत्तायुक्त शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान

नई शिक्षा नीति में उन शिक्षण संस्थानों में कठोर कार्यवाही करने का सुझाव दिया गया है जो गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त संसाधनों का प्रबन्ध नही कर पाये हैं। ऐसे शिक्षण संस्थान राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार प्रशिक्षणार्थिंयों को प्रशिक्षण प्रदान नहीं कर रहे हैं। इन शिक्षण संस्थानों की विश्वसनीयता, प्रभाविता और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने के प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए इन संस्थानों को एक वर्ष का समय दिया जायेगा। तथा सुधार न किये जाने की परिस्थतियों में कठोर कार्यवाही की जायेगी।

परिणाम
प्रस्तुत अध्ययन से शोधकर्ता को निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए हैं।

1. योग्य प्रशिक्षणार्थियों का चुनाव करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश प्ररीक्षा को लागू किया जायेगा।
2. वर्तमान समय की माध्यमिक शिक्षा के शिक्षण प्रशिक्षण में अनेक कमियां हैं, जिन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षा की व्यवस्था करके दूर किया जायेगा। 
3. प्रशिक्षण संस्थानों में निर्धारित मानकों के अनुसार भौतिक संसाधनों की व्यवस्था होनी चाहिए। 
4. योग्य छात्र-छात्राओं को 4 वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा और उन्हें छात्रवृत्तियां दी जायेंगी। 
5. प्रशिक्षण संस्थानों में प्रभावशाली प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। 
6. शिक्षण सेवा पूर्व प्रशिक्षण एंव सेवारत प्रशिक्षण में नवीन तकनीकी व शिक्षण के नवीन नवाचारों के प्रशिक्षण व उपयोग पर विशेष बल दिया जायेगा।
7. प्रशिक्षणार्थियों में शिक्षण कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास किया जायेगा। उन्हें विद्यालय शिक्षा के विषयों के गहन ज्ञान के साथ-साथ कुशलतापूर्वक शिक्षण कार्य में निपुणता प्रदान करने के लिए पाठयक्रम में आवश्यक सुधार किये जायेंगे।
8. शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान जो इसे व्यवसाय के रूप में देखते हैं, पर कठोर कार्यवाही की जायेगी।
जाँच - परिणाम 1. योग्य छात्र-छात्राओं को 4 वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा और उन्हें छात्रवृत्तियां दी जायेंगी। 2. योग्य प्रशिक्षणार्थियों का चुनाव करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश प्ररीक्षा को लागू किया जायेगा। 3. प्रशिक्षणार्थियों में शिक्षण कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास किया जायेगा। उन्हें विद्यालय शिक्षा के विषयों के गहन ज्ञान के साथ-साथ कुशलतापूर्वक शिक्षण कार्य में निपुणता प्रदान करने के लिए पाठयक्रम में आवश्यक सुधार किये जायेंगे।
निष्कर्ष
नवीन शिक्षा नीति शिक्षक शिक्षा के सम्बन्ध में गम्भीरता से विचार करते हुए आवश्यक सकारात्मक परिवर्तन के पक्ष में तार्किक व व्यावहारिक सुझावों को प्रस्तुत करती है। यदि अध्यापक शिक्षा के लिए उक्त प्रावधानों को ठीक प्रकार से लागू किया जाये तो निश्चित रूप से अध्यापक शिक्षा के उददेश्यों व लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। जिसका प्रभाव निश्चित रूप से भावी देश के कुशल, योग्य, नागरिकों के सर्वांगीण विकास पर पड़ेगा।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव 1. नई शिक्षा नीति के लागू होने के पश्चात माध्यमिक शिक्षा के नवीन शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है।
2. नवीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के प्रति प्रशिक्षणार्थियों की अभिवृत्ति का अध्ययन किया जा सकता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. Arora.G.L, (1998) Educating teacher for the 21st century, The Indian journal for teacher education. NCTE, August, volume-1,Number-1 2. Raghuvansh.Sujata, & Tiwari.Ajay Prakash, (2012) Opinion of the B.Ed students about teacher eligibility test, Journal of Indian education, November, volume-ⅩⅩⅩⅤⅢ, Number -3. 3. Singh. R.P, (1997) Toward a new look at teacher education in India, Journal of educational planning and administration, April, Volume -ⅩⅠ, Number -2. 4. पाटीदार. जितेन्द्र कुमार (2011) शिक्षक ऐसा हो, भारतीय आधुनिक शिक्षा. एन.सी.ई.आर.टी, अक्टूबर अंक-2. 5. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली। 6. खोसला.डॉ.डी.एन, (1999) गुणात्मक अध्यापक शिक्षा का पाठ्यचर्या प्रारूप, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद नई दिल्ली. 7. लाल. रमन बिहारी, शिक्षा के दार्शनिक एंव समाजशास्त्रीय आधार, आर.लाल बुक डिपो मेरठ। 8. गुप्ता.एस.पी, भारतीय शिक्षा का इतिहास विकास एंव समस्यायें, शारदा पुस्तक भवन इलाहबाद। 9. सारस्वत.डॉ.मालती, गौतम.प्रो.एस.एल, भारत में शैक्षिक प्रणाली का विकास, आलोक प्रकाशन लखनऊ।