P: ISSN No. 2394-0344 RNI No.  UPBIL/2016/67980 VOL.- VIII , ISSUE- V August  - 2023
E: ISSN No. 2455-0817 Remarking An Analisation

बून्दी जिले में लिंगानुपात एवं साक्षरता दर का विश्लेषण

Analysis of Sex Ratio and Literacy Rate in Bundi District
Paper Id :  17999   Submission Date :  12/08/2023   Acceptance Date :  21/08/2023   Publication Date :  25/08/2023
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सुरेन्द्र कुमार चन्देल
सहायक आचार्य
भूगोल विभाग
राजकीय महाविद्यालय
टोंक,राजस्थान, भारत
सारांश शिक्षा का मानव जीवन में एक बहुत बड़ा रोल होता है शिक्षा मानव को निर्णय लेने के लिए योग्य बनाती है साक्षरता (शिक्षा) दर एवं लिंगानुपात जनांकिकी के दो महत्वपूर्ण तत्व है। जो कि समाज की वास्तविक फिल्म को निर्धारित करते है। शिक्षा की कमी के कारण ही महिला को अपने समाज और परिवार में कम महत्व दिया जाता है जैसे कि भारत में लिंगानुपात का कम होना। यह अध्ययन साक्षरता दर एवं लिंगानुपात के सह सम्बन्ध को मुख्य रूप से प्रदर्शित करता है यह अध्ययन बून्दी जिले कि साक्षरता दर एवं लिंगानुपात पर केन्द्रित है और वहाँ दोनों के बीच सहसम्बन्ध दर्शाता है। साक्षरता व लिंगानुपात दोनों ही समाज का आईना होते है इन दोनों में समृद्ध समाज एक विकसित समाज को दर्शाता है इसलिए यहाँ राजस्थान के बून्दी जिले में इन दोनों के बीच सहसम्बन्ध को बताकर वहाँ के विकास को बताने का प्रयास है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Education has a very big role in human life. Education makes a human capable of taking decisions. Literacy (education) rate and sex ratio are two important elements of demography. Which determine the real film of the society. Due to lack of education, women are given less importance in their society and family, such as the low sex ratio in India. This study mainly shows the correlation between literacy rate and sex ratio. This study focuses on the literacy rate and sex ratio of Bundi district and shows the correlation between the two.
Literacy and sex ratio both are the mirror of the society, a society rich in these two shows a developed society, so here in Bundi district of Rajasthan, an attempt is made to tell the development of the two by telling the correlation between them.
मुख्य शब्द साक्षरता दर, सह सम्बन्ध, लिंगानुपात।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Literacy rate, correlation, sex ratio.
प्रस्तावना

साक्षरता का अर्थ पढ़ने एवं लिखने की योग्यता को बताता है विकसित देश में उच्च साक्षरता दर तथा विकासशील एवं अविकसित देशों में निम्न साक्षरता दर होती है उच्च साक्षरता दर ही विकसित देशों को अन्य देशों की अपेक्षा मजबूत स्थिति में रखती है और साथ ही वहाँ के मानव संसाधन को भी सम्पन्न बनाती है। लिंगानुपात प्रति हजार पुरूषों पर महिलाओं की संख्या को प्रदर्शित करता है। विकसित देशों में अधिक लिंगानुपात के कारण महिलाऐं अपने समाज एवं परिवार में मजबूत स्थिति रखती है। किन्तु विकासशील एवं अविकसित देशों में यह स्थिति बिलकुल विपरीत है। भारत एक विकासशील देश है जहां साक्षरता दर 72.04 एवं लिंगानुपात 943 सन्तोषप्रद है। भारत के केरल एवं कर्नाटक राज्य उच्च साक्षरता दर एवं उच्च लिंगानुपात का स्तर रखते है जबकि पंजाब व हरियाणा राज्य निम्न साक्षरता दर एवं निम्न लिंगानुपात वाले है। बून्दी जिला राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भाग से स्थित है 2011 की जनगणना के अनुसार बून्दी जिले की कुल जनसंख्या 11,10,906 है जिसमें पुरूष 5,77,160 एवं महिला 5,33,746 है। जिले का क्षेत्रफल राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 1.70 प्रतिशत है। जिले में राज्य की कुल जनसंख्या का 1.62 प्रतिशत निवास करता है 2011 की जनगणना के अनुसार बून्दी जिले की जनसंख्या वृद्धि दर 15.70 है यहां का जनसंख्या घनत्व 193 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। बून्दी जिले की साक्षरता दर जनगणना 2011 के अनुसार 61.52 प्रतिशत तथा लिंगानुपात 926 महिला प्रति 1000 पुरूष है। जिले में पुरूष व महिला साक्षरता दर 75.43 एवं 46.55 है।

अध्ययन का उद्देश्य

अध्ययन के निम्न उद्देश्य है।

1. अध्ययन क्षेत्र में साक्षरता दर एवं लिंगानुपात का स्थानीय वितरण का विश्लेषण करना।

2. साक्षरता दर एवं लिंगानुपात में सहसम्बन्ध ज्ञात करना।

3. साक्षरता दर का मानव संसाधन विकास एवं कृषि विकास पर प्रभाव ज्ञात करना।

साहित्यावलोकन

शोध अध्ययन कई सन्दर्भ पुस्तकों एवं भारत की जनगणना 2011 जिला सांख्यिकी रूपरेखा 2017-18, आर्थिक सांख्यिकी निदेशालय, राजस्थान जयपुर द्वारा पूर्ण किया है। जिला सांख्यिकीय रूपरेखा (2017-18) की सहायता से साक्षरता एवं लिंगानुपात के आंकड़े लिये गये। जिला गजेटियर द्वारा बून्दी जिले के साहित्य एवं अन्य जानकारी प्राप्त की गई। शर्मा एच.एस. 2017 ‘‘राजस्थान का भूगोल’’ द्वारा शोध अध्ययन के लिए जनसंख्या के साक्षरता एवं लिंगानुपात सम्बन्धी आंकड़ों का संकलन किया गया। सक्सेना एच.एम. 2022 ‘‘राजस्थान का भूगोल’’ राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर। इस अध्ययन हेतु सन्दर्भ  बुक के रूप सहायक है। नागर कैलाश नाथ ‘‘सांख्यिकी के मूल सिद्धांत’’ से साक्षरता दर व लिंगानुपात में सहसम्बन्ध को कार्ल-प्रिर्यसन विधि से ज्ञात किया गया है।

मुख्य पाठ

अध्ययन क्षेत्र

बून्दी जिला राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भाग में 24051' से 25053' उत्तरी अक्षांश तथा 75019' श्से 76019' पूर्वी देशान्तरों के मध्य स्थित है। जिले की पूर्व से पश्चिम लम्बाई 111 किमी एवं उत्तर से दक्षिण की ओर चौड़ाई 104.6 किमी है तथा जिले का क्षेत्रफल 5550 किमी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से बून्दी जिला राज्य का एक छोटा जिला है जो राज्य के क्षेत्रफल का 1.70 प्रतिशत है।

क्षेत्रीय विस्तार की दृष्टि से बून्दी जिले के अन्तर्गत बून्दी, इन्द्रगढ़, नैनवाँ, हिण्डोली, केषोरायपाटन एवं तालेड़ा तहसीलों को सम्मिलित करते हैं। प्रशासनिक दृष्टि से बून्दी जिले के अन्तर्गत बून्दी, नैनवाँ, हिण्डोली, केषोरायपाटन एवं इन्द्रगढ़ उपखंड क्षेत्र आते हैं। इस संपूर्ण जिले की कुल जनसंख्या वर्ष 2011 में 11,10,906 है।

बून्दी जिला मालवा के पठार का ही एक भाग है, जिसके पूर्वी भाग में राज्य की सदावाही चम्बल नदी प्रवाहित होती है तथा मेज, मांगली, घोड़ा पछाड़ एवं तालेड़ा आदि नदियाँ जिले में अपवाह तन्त्र बनाती है। प्रदेश में उप आर्द्ध जलवायु पायी जाती है तथा वार्षिक वर्षा का औसत 80 से 120 सेमी रहता है।

अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी

इस अध्ययन के लिए द्वितीयक आंकड़े प्रयोग में लिऐ गये है इस प्रयोजन के लिए सम्बन्धित सभी आंकड़े आधिकारिक प्रकाशित ग्रन्थों (भारत की जनगणना 2011, 2001 1991) से संग्रहित किये गये। SPSS के द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक की गणना की गयी है इस विधि में साक्षरता दर को स्वतन्त्र चर माना गया है जबकि लिंगानुपात को निर्भर चर के रूप में लिया गया है। कार्ल-पियर्सन विधि को साक्षरता दर व लिंगानुपात के मध्य सहसम्बन्ध गुणांक (f Coicient of correlation) की गणना के लिए बून्दी जिले में प्रयोग किया गया है।

                सूत्र 

यहां  x = mean of x variable
y = mena of y variable

लिंगानुपात

‘‘लिंगानुपात का अर्थ किसी क्षेत्र विशेष में सभी आयु वर्गो के कुल स्त्री/पुरूष अनुपात है।’’ जनसंख्या में प्रति 1000 पुरूषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या को स्त्री पुरूष अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है। भारत जैसे कृषि प्रदान देश में जहाँ कृषि कार्य का बहुत बड़ा भाग मानव श्रम पर निर्भर करता है। वहाँ लिंगानुपात का महत्व सर्वाधिक है। लिंगानुपात का स्पष्ट प्रभाव जनसंख्या वृद्धिवैवाहिक दर एवं व्यावसायिक सरंचना आदि पर पड़ता है।

जनगणना 2011 के अनुसार भारत में लिंगानुपात 943 है जबकि राजस्थान में 926 है। अध्ययन क्षेत्र में यह लिंगानुपात 926 है। यह अनुपात ग्रामीण जनसंख्या में 923 व नगरीय जनसंख्या में 929 है जो तालिका संख्या 1 से स्पष्ट हेाता है।

तालिका संख्या-1

बून्दी जिले में लिंगानुपात (1901-2011)

वर्ष

लिंगापुनात

ग्रामीण

नगरीय

1901

930

919

999

1911

932

924

994

1921

916

912

939

1931

916

911

942

1941

918

912

945

1951

913

904

952

1961

897

895

895

1971

885

885

893

1981

887

887

891

1991

889

887

896

2001

908

909

905

2011

926

923

929

आरेख संख्या-1

                     

तालिका संख्या-2

बून्दी जिले में तहसीलवार दशकीय लिंगानुपात (2011, 2001, 1991)

क्र.स.

जिला/तहसील

1000 पुरूषों/स्त्रियों

2011 (y)

2001 (y)

1991 (y)

 

जिला बून्दी

925

909

889

1

हिण्डोली

925

903

891

2

नैनवाँ

916

910

886

3

इन्द्रगढ़

922

916

898

4

केशोरायपाटन

933

914

897

5

बून्दी

927

906

883

 (स्रोत- जनगणना प्रतिवेदन राजस्थान, 2011)

2011 की जनगणना के अनुसार (तालिका संख्या 2) में उच्चतम लिंगानुपात केशोराय पाटन तहसील (933) में बून्दी तहसील (927) में तथा उसके बाद हिण्डोली तहसील में (925) रहा। निम्नतम लिंगानुपात नैनवाँ तहसील में (916) तथा इन्द्रगढ़ तहसील (922) में रहा।

2001 की जनगणना के अनुसार उच्चतम लिंगानुपात इन्द्रगढ़, (916) केशोराय पाटन तहसील (914) तथा उससे कम नैनवाँ तहसील (910) में रहा। जबकि निम्नतम लिंगानुपात हिण्डोली (903) तथा बून्दी तहसील (906) में रहा।

1991 की जनगणना के अनुसार उच्चतम लिंगानुपात इन्द्रगढ़ तहसील (898), केशोराय पाटन (897), तथा उससे कम हिण्डोली तहसील (891) में रहा। जबकि निम्नतम लिंगानुपात बून्दी (883) और नैनवाँ तहसील (886) में रहा।

तालिका संख्या 2 में जनगणना 2011, 2001 एवं 1991 के लिंगानुपात का विश्लेषण करने पर यह निर्णय निकलता है कि सभी पांचों तहसीलों (हिण्डोलीनैनवाँइन्द्रगढ़केशोराय पाटन एवं बून्दी) में जनगणना आकड़े 2011, 2001 एवं 1991 में लिंगानुपात में बढ़ोत्तरी हुई है। 

साक्षरता

‘‘सात वर्ष और उससे अधिक आयु को जो व्यक्ति किसी भाषा को समझ सकता है और लिख एवं पढ़ सकता है उसे साक्षर कहा जाता है।’’ शिक्षा का मानव संसाधन विकास से घनात्मक सहसम्बन्ध होता है शिक्षा के द्वारा ही कृषि में आधुनिकीकरण एवं संसाधनों के विकास की आवश्यकता और नये परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त होती है। शिक्षा कृषक एवं कृषि भूमि के कौशल में वृद्धि करती है। अर्जित किये गये ज्ञान व पिछले अनुभवों से कृषक न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि करता है वरन् फसल प्रतिरूप में भी परिवर्तन करके अधिक लाभप्रद बनाता है। कृषि का विकास तकनीकि ज्ञान और पद्धति पर निर्भर होता है। संसाधनों के विकास एवं कृषि परिवर्तनों के विस्तार में साक्षरता एवं शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

2001 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की कुल साक्षरता 66.10 प्रतिशत है। अध्ययन क्षेत्र बून्दी जिले की कुल साक्षरता 62.31 प्रतिशत है परन्तु अभी भी स्त्री पुरूष साक्षरता दर में काफी अधिक अन्तर है। जिले के सभी वर्गो में ग्रामीण एवं शहरी दोनों में स्त्रियों की साक्षरता दर पुरूषों से कम है। जिले में पुरूष साक्षरता दर 76.62 प्रतिशत है तथा स्त्री साक्षरता दर 47.00 प्रतिशत है। जो तालिका संख्या 3 से स्पष्ट होता है।

तालिका संख्या-3

बून्दी जिले में साक्षरता का प्रतिशत (1951-2011)

वर्ष

लिंगापुनात

ग्रामीण

नगरीय

1951

6-11

10-18

1-65

1961

11-85

18-96

3-92

1971

16-01

24-48

6-44

1981

20-14

30-10

8-92

1991

32-75

40-65

9-39

2001

55-80

72-17

37-76

2011

62-31

76-62

47-00

तालिका संख्या-4

बून्दी जिले में तहसीलवार दशकीय साक्षरता दर का प्रतिशत (2011, 2001, 1991)

क्र.स.

जिला/तहसील

2011 (x)

2001 (x)

1991 (x)

1

बून्दी जिला

61.52

55.80

32.75

2

हिण्डोली

53.92

46.91

22.16

3

नैनवाँ

57.83

52.92

26.62

4

इन्द्रगढ़

65.54

61.59

39.75

5

के. पाटन

68.05

59.77

38.76

6

बून्दी

63.60

58.44

37.01

(स्रोत जनगणना प्रतिवेदन 2011 राजस्थान)

साक्षरता दर का स्थानिक वितरण (2001-1991)

तहसीलवार दशकीय साक्षरता दरतहसील दर तहसील एवं जनगणना दर जनगणना पर निर्भर करती है।

तालिका संख्या 4 के अध्ययन से उपर्युक्त तहसीलों को साक्षरता दर के आधार पर उच्चमध्यम एवं निम्न वर्गो में विभाजित किया जा सकता है।

1. उच्च साक्षरता दर- जनगणना (2011, 2001 एवं 1991) के अनुसार उच्च साक्षरता दर केशोरायपाटन (68.05) एवं इन्द्रगढ़ (65.54) तहसीलों में है।

2. मध्यम साक्षरता दर- जनगणना (2011, 2001 एवं 1991) के अनुसार मध्यम साक्षरता दर बून्दी तहसील (63.60) में है।

3. निम्न साक्षरता दर- जनगणना (2011, 2001 एवं 1991) के अनुसार निम्न साक्षरता दर हिण्डोली (53.92) एवं नैनवाँ (57.83) तहसीलों में है।

साक्षरता दर से व्यवसायसरकारी नितियाँआर्थिकसामाजिक स्तर एवं सांस्कृतिक जीवन सभी प्रभावित होते है। साक्षरता दर से जनसंख्या की विभिन्न चीजे जैसे- उत्पादकतामृत्युदरजन्मदरजीवन का स्तरप्रवासमहिलाओं का स्तर भी प्रभावित होता है। यह देश के सामाजिकआर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साक्षरता ही एक मात्र कारक है जो सामाजिक विकास एवं गरीबी का कम करके दूर करती है। अर्थव्यवस्था की विभिन्नताओं एवं साक्षरता में निकटतम सम्बन्ध होता है। जैसे-जैसे देश में साक्षरता दर उच्च होती है वैसे-वैसे देश में उच्च औद्योगिकरण होता है।

साक्षरता दर व लिंगानुपात में सहसम्बन्ध

सहसम्बन्ध एक सांख्यिकीय प्रविधि जिसके द्वारा दो चरो के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है तथा सहसम्बन्ध विश्लेषण में विभिन्न विधियों व तकनीक सम्मिलित है जिनके द्वारा दो चरो के मध्य सम्बन्ध की सीमा का अध्ययन व मापन किया जाता है सहसम्बन्ध का सरल अर्थ है जो चरो के मध्य सम्बन्ध (निर्भर चर व स्वतंत्र चर के मध्य) है। इस अध्ययन में साक्षरता को स्वतन्त्र व लिंगानुपात को निर्भर चर के रूप में लिया गया है।

यहां बून्दी जिले के तीन दशको (2011, 2001 व 1991) की जनगणना के आंकड़ों को दोनों चरो के मध्य सहसम्बन्ध विश्लेषण के लिये उपयोग में लिया गया है आंकड़ों का विश्लेषण करके कार्ल-पिर्यसन सहसम्बन्ध गुणांक विधि द्वारा साक्षरता व लिंगानुपात के मध्य सहसम्बन्ध की गणना की गयी है।

2011, 2001 व 1991 की जनगणना आंकड़ों के कार्ल पियर्सन सहसम्बन्ध गुणांक की गणना के बाद में यह पाया गया कि।

1. 2011 की बून्दी जिले की जनगणना के लिये लिंगानुपात व साक्षरता दर के मध्य सहसम्बन्ध गुणांक $0.55 है।

2. 2001 की बून्दी जिले की जनगणना के लिये लिंगानुपात व साक्षरता दर के मध्य सहसम्बन्ध गुणांक $0.79 है ।

3. 1991 की बून्दी जिले की जनगणना के लिये लिंगानुपात व साक्षरता दर के मध्य सहसम्बन्ध गुणांक $0.38 है।

बून्दी जिले में तीन दशकों (2011, 2001 व 1991) के जनसंख्या के आंकड़े यह दर्शाते है कि साक्षरता दर व लिंगानुपात के मध्य घनात्मक सहसम्बन्ध ($0.55,$0.79, $0.38) है।

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि दोनों चर साक्षरता दर व लिंगानुपात एक दूसरे पर सकारात्मक निर्भर है।

निष्कर्ष

यह अध्ययन इस परिकल्पना के आधार पर किया गया है कि बून्दी जिले में साक्षरता दर व लिंगानुपात के मध्य घनात्मक सहसम्बन्ध है परन्तु कार्ल-पियर्सन के सहसम्बन्ध गुणांक विधि के द्वारा उक्त परिकल्पना का परीक्षण करने पर यह परिणाम निकला कि साक्षरता दर व लिंगानुपात के मध्य घनात्मक सहसम्बन्ध है बून्दी जिले की तीन दशकों (2011, 2001 1991) की जनगणना के आंकड़ों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि साक्षरता एवं लिंगानुपात के मध्य क्रमश घनात्मक सहसम्बन्ध ($0.55,$0.79,$0.38)है तथा साक्षरता व लिंगानुपात एक दूसरे पर निर्भर है इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि साक्षरता के स्तर में वृद्धि होने से लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आता है कदाचित इसी कारण मादा भ्रूण हत्या व मादा नवजात-शिशुओं को छोड़ने की घटनाऐं कम होती है हाँलाकि मादा भू्रण हत्या, पुत्र को प्राथमिकता देना, बड़ी संख्या में राज्य में अवैध रूप से संचालित लिंग निर्धारण क्लिनिक आदि लैंगिक असमानता का मुख्य कारण है जो कि लिंगानुपात को कम करते है। आर्थिक रूप से अग्रणी तहसीलों में सामाजिक पूर्वाग्रह व आधुनिक तकनीकों की उपलब्धता के कारण लिंगानुपात में कमी हुई है क्योंकि इन क्षेत्रांे में लोग इन आधुनिक तकनीकों का सहारा लेने में सक्षम होते है। लिंगानुपात को बढ़ाने के लिए सरकार को ऐसे प्रयास करने चाहिए जिससे की बालिकाओं के विरूद्ध मेडीकल तकनीकों का दुरूपयोग ना हो तथा सामाजिक पूर्वाग्रह भी खत्म हो। बालिकाओं की जनसंख्या में कमी से गम्भीर जनांकिकी असन्तुलन व कठिन सामाजिक परिणाम सामने आते है इस बात को ध्यान रखते हुए लैंगिक असमानता में कमी लाने के लिए सुनियोजित कार्य योजनाऐं तैयार की जानी चाहिए तथा परिवार समाज व राष्ट्र के स्तर पर बालिकाओं की स्थिति में सुधार की दिशा में कार्य होना चाहिए।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

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