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नई शिक्षा नीति
और समावेषी विकास |
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New Education Policy and Inclusive Development | |||||||
Paper Id :
18164 Submission Date :
2023-10-06 Acceptance Date :
2023-10-10 Publication Date :
2023-10-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.10061240 For verification of this paper, please visit on
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सारांश |
नई शिक्षा नीति 2020 शिक्षा नीति में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाला दस्तावेज हैं जिसका उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार लाता है। नयी शिक्षा नीति 2020 एक व्यापक रूपरेखा है जो शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान तथा भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सके तथा सभी वर्गो का समावेषी विकास सुनिश्चित कर सकें। नयी शिक्षा नीति 2020 बदलाव की एक पहल है जो सामाजिक तथा आर्थिक रूप् से वंचित समूहों सहित सभी का सर्वांगीण विकास करने में सक्षम शिक्षा प्रणाली पर बल देती है। |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | The New Education Policy 2020 is a document that will bring historic changes in the education policy whose aimisto Improves the education system of India. The new education policy 2020 is a comprehensive framework that can face the present and future challenges in the field of education and ensure inclusive development of all sections. The New Education Policy 2020 is a transformative initiative that emphasizes on an education system capable of achieving all-round development of all, including socially and economically disadvantaged groups. | ||||||
मुख्य शब्द | सार्वभौमिकीकरण, नवाचार, डिजिटल शिक्षा , समावेषी विकास, बहुभाषावाद। | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Universalization, Innovation, Digital Education, Inclusive Development, Multilingualism. | ||||||
प्रस्तावना |
भारतीय शिक्षा प्रणाली की परम्परागत पुराने पाठ्यक्रम, नवाचार की कमी, रोजगार परकता का अभाव के आधार पर आलोचना की गयी। नयी शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य इन्ही कमियों को दूर कर एक समग्र समावेषी शिक्षा प्रणाली प्रदान करना था जो छात्रों के जरूरतों के अनुसार बह का निर्माण कर सकें। नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य है कि तीन वर्ष की आयु से सभी बच्चों के लिये शिक्षा को सार्वभौमिक रूप से प्रदान करना तथा बहुभाषावाद को बढ़ावा देना है। मातृ भाषा तथा स्थानीय भाषा को प्रोत्साहित करता है। छात्रों को उनकी रूचि तथा योग्यता अनुसार विषय का चयन करना है। नयी शिक्षा नीति व्यवसायिक शिक्षा तथा रोजगार परक शिक्षा प्रणाली पर बल दिया गया है। ग्रामीण तथा शहर के बाद दूरी को कम करना तथा तकनीकी श्रम को सर्वसुलभ बनाना भी इसका उद्देश्य है। नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी को समान अवसर प्रदान कर उनके विकास को सुनिश्चित करना है। जो समुदाय हाषिये पर है उसकी जरूरत तथा आवश्यकता अनुरूप शिक्षा प्रदान करना इसका मुख्य लक्ष्य है। असमानता को दूर कर सभी को उचित शिक्षा प्रदान करना है का नवीन प्रयास है। |
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अध्ययन का उद्देश्य | 1. भारतीय प्राचीन शिक्षा प्रणाली का नवीन शिक्षा प्रणाली का
तुलनात्मक अध्ययन। 2. नई शिक्षा नीति की आवष्यकता का अध्ययन। 3. नई शिक्षा नीति में समावेषी विकास का अध्ययन। 4. नई शिक्षा नीति समावेषी विकास बदलाव की एक पहल है। 5. नई शिक्षा नीति छात्रों के जरूरतो को पूर्ण कैसे करती है। |
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साहित्यावलोकन | प्रस्तुत
शोधपत्र के लिए रमेश पोखरियाल निशंक की पुस्तक ’शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण नई
शिक्षा नीति-2020’, सुरेश भटनागर की ’भारत में शिक्षा का विकास 2023', पंकज अरोड़ा व उषा शर्मा रचित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रचनात्मक सुधारों की ओर 2021’ आदि पुस्तकों का अध्ययन किया
गया है। |
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मुख्य पाठ |
भारत की शिक्षा प्रणाली का इतिहास विकास के साथ-साथ निरन्तर देश काल परिस्थिति अनुरूप परिवर्तनशील रहा है। वैदिक काल में उन्नत शिक्षा प्रणाली के प्रमाण मिलते है। कालान्तर में भारतीय शिक्षा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वैदिक युग में शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना तथा धर्मानुसार कार्य करने से रहा लेकिन इसमें स्त्रियों तथा शूद्रों को समान शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रखा गया। हांलाकि आपाला धोषा इत्यादि विदुषी महिलाओं का उदाहरण वैदिक काल में दृष्टव्य है। शिक्षा की गुरूकुल प्रणाली रही है। बौद्ध तथा जैन काल में वंचित वर्गो को बात की गयी। मध्य काल में इस्लाम धर्म के प्रभाव ने मकतब तथा मदरसे शिक्षा के केन्द्र बने लेकिन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर इस्लाम का अधिक प्रभाव नहीं दिखा। भारत में आधुनिक शिक्षा की प्रणाली की नीव अंग्रेजी शासको द्वारा रखी गयी इस पर इसाई धर्म का प्रभाव तथा उदारवादी विचारधारा का प्रभाव दिखायी देता है। राजाराम मोहन राय जैसे समाज सुधारक अंग्रेजी भाषा पर आधारित शिक्षा प्रणाली पर बल शिक्षा का व्यवसायीकरण भी इसी काल में दृष्टव्य होता है। शिक्षा प्राप्त कर रोजगार प्राप्त करना मुख्य उद्दश्य बना क्योंकि अंग्रेजी या पाश्चात्य रीति से शिक्षित भारतीय भी आर्थिक स्थिति सुधरती देख अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के प्रति लोगों का आकर्षण रहा। शिक्षा अभिजन वर्ग तक सीमित रही। लेकिन इस काल में स्त्रियों की स्थिति में सुधार 1848 ज्योतिबा फुले ने महिलाओं के लिए प्रथम स्कूल खोला। कई समितियां बनी शिक्षा के सुधार के लिए लेकिन लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति ने अंग्रेजी भाषा पर आधारित शिक्षा प्रणाली पर बल दिया। जिससे की भारतीय मानसिक गुलाम बने रहे बाद में तिलक, दयानन्द सरस्वती, एनी बेसेन्ट इत्यादि ने भारतीय भाषाओं पर आधारित शिक्षा प्रणाली पर बल दिया। समावेषी शिक्षा हेतु छत्रपति साहू जी तथा ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले आदि ने पिछडे तथा दलित वर्ग के लिए शिक्षण संस्थान खोले लेकिन जन संख्या का अधिकांश भाग शिक्षा से वंचित ही रहा। अंग्रेजो के शासन काल में 1835 से 1854 मैकाले तथा वुड का घोषणा पत्र 1882 हण्टर आयोग, ने भारत में जिस शिक्षा प्रणाली को जन्म दिया वह पश्चिम के प्रति आकर्षण तथा उदारवादी विचारधारा को महत्व देने वाली थी। इस प्रणाली ने भारतीय भाषाओं में बल नही दिया इसका उद्देश्य बाबू तथा क्लर्क को पैदा करना था जो उनके कार्या में सहायक हो सके। स्वतन्त्रता पश्चात् भारत की शिक्षा प्रणाली में आमूल चूल परितर्वन कर सुधार की दिशा में बल दिया गया। स्वतन्त्रता पश्चात् भारत 1948 केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड की सिफारिश पर विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग 1948 में तथा माध्यमिक शिक्षा के लिए मुदालियर आयोग का गठन किया गया। जिसका उद्देश्य छात्र के व्यक्तित्व के समावेषी विकास के लिये ज्ञान प्रदान करना था। पश्चात् में 1964 कोठारी आयोग तथा 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षा व्यय को राष्ट्रीय आय के 6 तक बढ़ाने का आहृवाहन किया। पुनः 1986 में राजीव गांधी के नेतृत्व की भारत सरकार ने शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति प्रस्तुत की। इस नीति ने विषमताओं को दूर करने के लिये विशेष रूप से महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति को समान शैक्षिक अवसर प्रदान करने पर जोर दिया। इसमें गरीबो के लिये छात्रवृत्ति, प्रौढ़ शिक्षा, नवीन संस्थानों के विकास तथा आवास सुविधायें प्रदान करने पर बल दिया गया। प्राथमिक शिक्षा बाल केन्द्रित दृष्टिकोण पर आपरेशन ब्लैक बोर्ड चलाया गया। 1987 शिक्षक शिक्षा योजना अर्न्तग्त जिला शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना के लिये NCERT को सुदृढीकरण किया गया। 1995 ’मीड डे मिल’ पर बल दिया। जिसे 2021 में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना का नाम दिया गया। इन विशेषताओं के साथ यह शिक्षा प्रणाली उपभोक्तावादी समाज परीक्षा पर महत्व तथा रटने की संस्कृति वाली शिक्षा प्रणाली वाली कमियों से ग्रसित रही है। छात्र परीक्षा में केवल स्कोर करने के लिए तथा नौकरी पाने के लिये अध्ययन करते है। अभी तक की शिक्षा नीति में जो परिवर्तन हुये वह अंग्रेजी शिक्षा नीति से बहुत पृथक नही थी इसलिए शिक्षा के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन की दर नई शिक्षा नीति हेतु इस शिक्षा प्रणाली की कमियों के दृष्टिगत भारत सरकार ने डॉ0 कृष्ण स्वामी कस्तूरीरेगन की अध्यक्षता में एक नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हेतु समिति का गठन किया। जिसने 2019 में अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपा। जिसे 2020 में लागू कर दिया गया। NEP-2020 जिसे 2020 से लागू कर दिया गया। NEP-2020 में 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के अर्न्तगत रखा गया। नयी शिक्षा नीति NEP-2020 के तहत 2030 तक नयी शैक्षिक प्रणाली को निश्चित किया गया है। 10+2 मॉडल के स्थान पर 5+3+3+4 शैक्षिक प्रणाली के आधार पर पाठ्यक्रम विभाजित किया गया है। नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान कर भारत को वैश्विक ज्ञान का केन्द्र बनाना तथा देश को जीवंत ज्ञान समाज में बदलने में योगदान देना है। समावेषी शिक्षा का तात्पर्य है- 1. इसका उद्देश्य बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना है। 2. असमानताओं को दूर करने पर बल देनां। 3. सभी के लिये न्यायोचित शिक्षा । 4. बच्चों पर तथा जरूरत पर आधारित शिक्षा। 5. सीखने की प्रक्रिया में प्रत्येक बच्चे की प्रतिभागिता को आधिकाधिक करना। 6. सामाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भो में विविधता को समझना। नयी शिक्षा नीति 2020 के अध्याय 6 एवम् अध्याय 14 में समावेषी शिक्षा के मुद्दे को रखा गया है लिंग के आधार पर महिला और ट्रांसजेण्डर व्यक्ति सामाजिक आधार पर SC, ST, OBC एवम् धार्मिक, अल्पसंख्यक तथा भौगोलिक आधार पर आकांक्षी जिले के विद्यार्थियो तथा निम्न आय वर्ग के बच्चों की शिक्षा पर अत्यधिक प्रयास किया गया है। नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 GER के साथ पूर्व विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकीकरण का लक्ष्य निहित है। उच्च शिक्षा को सार्वभौमिकरण तथा इक्विटी और समावेषन के लिये एकल नियामक द्वारा विनियमन करना है। NEP में 2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों का उद्देश्य बहुविषयक संस्थान बनाना है। नई शिक्षा नीति में सामान्य शिक्षा तथा व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण किया गया है सतत् मूल्यांकन, समावेषी, क्षेत्रीय भाषाओं में कुशलता, बहुविषयक शिक्षा पर आधारित नीति पर बल दिया गया है। नई शिक्षा नीति में इस बात की पुष्टि की गई है कि स्कूली शिक्षा में सामाजिक श्रेणी के अन्तरालों तक पहुंच, भागीदारी और सीखने के परिणामों पाटना सभी शिक्षा क्षेत्र के विकास कार्यक्रमों के प्रमुख लक्ष्यों में एक रखा गया है। उच्च शिक्षा में इक्टिीवटी और समावेष के मुद्दों पर चर्चा करता है। नयी शिक्षा नीति में अल्पसंख्यक छात्राओं तथा ट्रांसजेण्डर बच्चों की शिक्षा हेतु अधिक निधि तथा विकसित बुनियादी ढ़ाचें पर अधिक जोर दिया गया है। दिव्यांग बच्चों हेतु बाधा मुक्त शिक्षा पर बल दिया गया। सहायक उपकरण उपयुक्त प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण के साथ साथ पर्याप्त व उपयुक्त भाषा में पठन पाठ्न सामग्री सुनिश्चित की गयी है तथा दिव्यांग बच्चे नियमित या विशेष स्कूली शिक्षा और गृह आधारित शिक्षा के विकल्प का चयन कर सकते है। इस प्रणाली में वैकल्पिक स्कूलों का विकास पारंपरिक शिक्षा शास्त्र का संरक्षण पुस्तकालयों का सुदृणीकरण हित धारकों में जागरूकता तथा स्कूल परिसरों के माध्यम से संसाधनों तथा स्कूल परिसरों के माध्यम से संसाधनों का सदुपयोग और प्रभावी शासन पर बल दिया गया है। |
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सामग्री और क्रियाविधि |
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निष्कर्ष |
निष्कर्षतः हम देखते
है कि नई शिक्षा व नीति भारतीय शिक्षा नीति में पहला ऐसा बदलाव है जो शिक्षा के
बुनियादी स्वरूप के बदलाव करी है। बुनियादी ढ़ाचें में परिवर्तन कर रही है। गांधी
के स्वरोजगार कौशल पर अधिक बल देती है। इस शिक्षा नीति में सामाजिक, आर्थिक तथा कमजोर वर्गों के
लिये विशेष प्रावधान किये है। बहुविषयक तथा बहुउद्देशीय शिक्षा नीति है। भारत
केन्द्रित शिक्षा प्रणाली की कल्पना करती है जो सभी को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध
करा के न्याय संगत समाज के निर्माण की एक पहल है। |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. निशंक, रमेश पोखरियाल ’शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण नई शिक्षा नीति-2020’, प्रभात प्रकाशन 2022। 2. भटनागर, सुरेश ’भारत में शिक्षा का विकास 2023,
आर-लाल प्रकाशन। 3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
’मानव संसाधन विकास मत्रांलय भारत सरकार दस्तावेज’। 4. अरोडा पंकज, शर्मा उषा, ’राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
रचनात्मक सुधारों की ओर 2021, शिप्रा प्रकाशन। 5. पुरोहित, जगदीश नारायण 2020, नई शिक्षा नीति, राजस्थान प्रकाशन, त्रिपोलिया। Kumar, K. (2005). 6. Quality of
Education at the Beginning of the 21st Century: Lessons from Indian Educational
Review 2. Draft National Education Policy 2019. 7. https://
www.mhrd.gov.in/sites/upload_files/mhrd /files/ NEP_Final_ English.pdf referred
10/08/2020 |