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खेलों से व्यवसाय की ओर |
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From Sports to Business | |||||||
Paper Id :
18191 Submission Date :
2023-10-10 Acceptance Date :
2023-10-18 Publication Date :
2023-10-22
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited. DOI:10.5281/zenodo.10300095 For verification of this paper, please visit on
http://www.socialresearchfoundation.com/anthology.php#8
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सारांश |
खेल हमारे
जीवन का अभिन्न अंग है, इतिहास के पन्ने यदि पलट कर देखा जाए तब हम लोग यह पाएंगे कि खेलों को पहले
सिर्फ मनोरंजन तथा शौक के लिए खेला जाता था, परंतु आज खेलों ने व्यवसाय का रूप ले लिया
है l नई शिक्षा नीति 2020 ने भी व्यावसायिक शिक्षा पर बल दिया है l प्रतिस्पर्धा के इस युग में रोजगार मिलने
में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है,
कहीं ना तो कहीं इनकी उच्च शिक्षा के लिए धन की कमी एक समस्या बन
जाती हैl विद्यालय के कुछ बच्चे पढ़ाई से ज्यादा खेलों में रुचि दिखाते हैं,
ऐसे बच्चों को उनके पसंद
के खेलों से जोड़ दिया गया
ताकि वह भविष्य में खेलों में ही अपने व्यवसाय को ढूंढ ले l
लेखिका द्वारा ऐसा अनुभव किया
गया कि यदि खेलों में रुचि रखने वाले बच्चे खेलों में अपना व्यवसाय बनाएं तब
उन्हें ज्यादा धन अपने स्किल डेवलपमेंट करने के लिए नहीं लगाना पड़ता है,
और यह भी अनुभव किया गया कि
ग्रामीण आंचल के बच्चे नगर के बच्चों से खेलों में ज्यादा तेज होते हैं,
इसी सोच के साथ इस पर रिसर्च
की गई l रिसर्चर द्वारा समाज के सहयोग से एक खाली मैदान का चुनाव बच्चों के खेलने के
लिए किया गया, खेल के प्रशिक्षक की खोज की गई l अपनी रुचि के अनुसार विद्यालय के बच्चों
ने विभिन्न खेलों का अभ्यास किया, प्रशिक्षक इन्हें विभिन्न टूर्नामेंट के लिए अलग-अलग स्थान
पर अभ्यास के लिए ले जाने लगे, जिससे बच्चों का मनोबल बहुत ही बढ़ा और आज यही बच्चे स्टेट
तथा नेशनल लेवल पर गेम्स में प्रतिभाग कर रहे हैंl |
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सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद | Sports are an integral part of our lives, if we look back at the pages of history, we will find that earlier sports were played only for entertainment and hobby, but today sports have taken the form of business. New Education Policy 2020 has also laid emphasis on vocational education. In this era of competition, children from rural areas have to face many problems in getting employment, at some places lack of funds for their higher education becomes a problem. Some children show more interest in sports than studies, such children were linked to the sports of their choice so that they can find their vocation in sports in the future. The author felt that if children interested in sports play sports, If they create their own business then they do not have to invest much money in developing their skills, and it was also realized that children from rural areas are faster in sports than children from cities, research was done with this thought in mind. The researcher, with the help of the society, selected an empty field for the children to play, and searched for a sports coach. According to their interest, the school children practiced various sports, and the coach separated them for various tournaments. They started taking them to different places for practice, which boosted the morale of the children and at present these same children are participating in games at the state and national level. | ||||||
मुख्य शब्द | खेल, विद्यालय, मनोबल, डेवलपमेंट l | ||||||
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद | Sports, School, Morale, Development. | ||||||
प्रस्तावना | 1.1 खेलों का इतिहास “खेलों के माध्यम से हम अपने
इतिहास की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं और आने वाले समय के लिए प्रेरणा स्रोत बन
सकते हैं|”- मिल्टन बरले खेलों का इतिहास बहुत ही पुराना है,
समय के साथ-साथ खेल बदलते गए, प्राचीन समय में दौड़,
मुक्केबाजी, कुश्ती, तलवारबाजी, भला फेंकना, तीरंदाजी, घुड़दौड़ और रथों की दौड़
आदि कई तरह के खेलो का आयोजन होता था। धीरे-धीरे कई देशो से नए-नए खेल व खिलाडी
जुड़ने लगे और ओलम्पिक की शुरुआत हुई (“खेल का इतिहास”)। खेलों के इतिहास में उनके
विकास का भी विशेष महत्व है, खेलों के इतिहास में उनका
व्यवसायिक पक्ष भी महत्वपूर्ण हैl प्राचीन काल में खेलों को
मनोरंजन के लिए तथा शरीर स्वस्थ बनाने के लिए खेला जाता था, खेलों ने योग्यता तथा साहस का संदेश दिया (बच्चों के लिए
प्राचीन मिस्र: मनोरंजन और खेल)l
प्रारंभिक स्तर पर ये केवल शगल,
आराम और मनोरंजन के लिए किए जाते थे,
लेकिन अब ये नाम, प्रसिद्धि और मौद्रिक लाभ
और आकर्षक पेशे के लिए एक रास्ता बन गए हैं। आधुनिक खेल प्रतिस्पर्धी भावना से भरे
हुए हैं, और जीतने के लिए खेले जाते
हैं (“खेल का इतिहास”)। आज खेलों ने व्यवसाय का रूप ले लिया, खेलों से आज खिलाड़ियों के साथ-साथ उनके प्रशिक्षक
व्यावसायिक उपकरण तथा मीडिया भी महत्वपूर्ण हो गए हैंl आधुनिक जमाने में विभिन्न खेल तथा खिलाड़ियों के बीच बड़ी
प्रतियोगिता हो रही हैl खेलों का इतिहास उनकी
महत्वपूर्ण भूमिकाओं के साथ विकसित हुआ, जैसे स्वास्थ्य,
योग्यता, मनोबल, मनोरंजन एवं व्यवसायl
महेंद्र सिंह धोनी ने खेलों के बारे में क्या खूब कहा है- "खेल हमारे
इतिहास को जीवंत रखते हैं और हमें विजय प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैंl" |
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अध्ययन का उद्देश्य | इस शोधपत्र का मुख्य उद्देश्य खेलों से व्यवसाय की ओर ध्यान देना हैl |
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साहित्यावलोकन |
खेल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है क्योंकि इससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना का विकास होता है, अनुशासन, भाईचारे तथा सहयोग की भावनाएं भी खेल से आती हैं (“खेल आज व्यवसाय का रूप ले चुका है”)l खेल खेलने से आपको अपने शरीर को अच्छे आकार में रखने में मदद मिलती है, साथ ही खेल आत्म सम्मान और मानसिक सतर्कता को बढ़ावा देते हैंl नई शिक्षा नीति 2020 ने भी व्यावसायिक शिक्षा मैं खेलों को महत्व दिया है (Bureau)l व्यावसायिक शिक्षा वह शिक्षा है जिसके द्वारा किसी खास विषय या क्षेत्र में महारत हासिल की जाती है ,यह कौशल प्रशिक्षण की शिक्षा होती है l यह विविध पाठ्यक्रमों जैसे कंप्यूटर, बैंकिंग, पर्यटन, व्यापार, खेलकूद आदि क्षेत्रों में छात्रों को कुशल बनाती है, इसी को ध्यान में रखते हुए लेखिका द्वारा सन 2023 में इस पर रिसर्च की गई (“व्यावसायिक शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, सामान्य सिद्धांत”)l |
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मुख्य पाठ |
2. समस्या और समाधान की प्रस्तुति समस्या- विद्यालय संविलियन गोहलियापुर बिल्हौर कानपुर नगर की थी, जिसमें 205 छात्र-छात्राओं का नामांकन सन 2022-23 में था l खेलों से व्यवसाय की ओर बच्चों को बढ़ाने में विद्यालय में एक जो सबसे बड़ी समस्या आ रही थी, वह थी खेल के मैदान की, और दूसरी महत्वपूर्ण समस्या खेल के प्रशिक्षक की थी l समाज के सहयोग से विद्यालय के ही समीप एक ऐसी जमीन का चुनाव किया गया जो विवादित थी, यानी वह जमीन बेकार पड़ी थी ,उस पर कुछ नहीं होना थाl जमीन क्षेत्रफल में होने के कारण बच्चों के खेल के मैदान के लिए बहुत ही उपयोगी थीl कुछ बंजारे उस आधी जमीनपर अपने टेंट लगाकर रह रहे हैं, परंतु अभी भी आधी जमीन बच्चों के खेलने के लिए पर्याप्त थी l खेल के मैदान का समाधान इस प्रकार हो गया, अब तलाश थी उन खेल के प्रशिक्षकों की जो बच्चों को उस खेल के मैदान पर विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण देंगे l समाज के सहयोग से कुछ ऐसे युवाओं का चुनाव किया गया, जो अपनी पढ़ाई कर रहे थे और वह खेलों के क्षेत्र में ही अपना व्यवसाय खोज रहे थे l उन युवाओं से संपर्क करने पर यह पता चला कि वह अपने स्कूल के समय में बहुत अच्छे खिलाड़ी रहे थे, तथा स्टेट व नेशनल स्तर तक खेले हैं l वह बच्चे विद्यालय के बच्चों को विभिन्न खेल सिखाने के लिए मान गए l उन युवाओं को अपने शरीर को भी फिट रखना था क्योंकि वह लोग आज भी कुछ खेल प्रतियोगिताएं खेलने जाते हैं, इसलिए वह युवा इस समाज सेवा के लिए मान गए और बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार खेल के मैदान पर खेल सीखाने लगे l 3. रणनीति यह अनुभव किया है कि ग्रामीण बच्चे नगर के बच्चों से शारीरिक रूप से अधिक मजबूत होते हैं, और यदि इनको प्रशिक्षित किया जाए, तो वह खेलों में नगर के बच्चों से बहुत आगे निकल जाते हैं। मैंने यह भी अनुभव किया है की खिलाड़ी ज्यादातर ग्रामीण परिवेश से ही होते हैं l विद्यालय के समीप ही समाज के सहयोग से
इन बच्चों के लिए खेल का एक मैदान खोजा, और आसपास के परिवेश से ही
ऐसे 3 युवकों को इस कार्य के लिये तैयार किया जो खेल में, राज्य स्तर या फिर राष्ट्र स्तर तक खेल कर आए थे l यह युवक विद्यालय के आसपास के क्षेत्र के थे l यह बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ कहीं ना तो कहीं अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे l यह 2 युवा इस बात के लिये तैयार हो गये कि वह एक दिन में लगभग 2 से 3 घंटा विद्यालय समय के बाद इन बच्चों को कोई ऐसा खेल सिखाएं जिसको बच्चे अपने आगे आने वाले समय में व्यवसाय के रूप में अपने जीवन में लाएं तथा जीवकोपार्जन का साधन बने, क्योंकि युवा बच्चे भी अपने समय के बहुत तेज खिलाड़ी रहे थे, इसलिए वह बच्चों को खेल सीखाने के लिए के लिए तैयार हो गए l सिलसिला शुरू हो गया, खेल के अभ्यास का, और समय रखा गया विद्यालय के बाद यानी 4:00 बजे से 6:30 बजे l इस रिसर्च के पीछे लेखिका की यह सोच भी रही कि विद्यालय का बच्चा यदि पढ़ने में बहुत अच्छा भी होता है तब भी वह 12वीं तक तो किसी तरह से अपनी शिक्षा कर लेता है परंतु 12वीं के बाद पैसे के अभाव में बहुत अच्छी शिक्षा उसको नहीं मिल पाती है, परंतु सरकारी विद्यालय का छात्र यदि खेल में बहुत आगे निकलता है तो वह स्टेट और नेशनल तक निकल जाता है जिसके लिए उसको बहुत ज्यादा धन की आवश्यकता नहीं पड़ती हैl “अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कोशिश करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें उसे दिशा में बढ़ाने का मौका देता है जिसकी हमें आवश्यकता है l” - अमित शाह |
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न्यादर्ष |
अनुसंधान के नतीजे जिस प्रकार संविलियन विद्यालय गोहलियापुर बिल्हौर कानपुर नगर के विद्यालय के बच्चों को खेलों से व्यवसाय की ओर जोड़ा है, उसमें धीरे-धीरे बच्चों को सफलताएं मिलने लगी हैंl आज विद्यालय के बच्चे खेलकूद प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और वह बच्चे खेल प्रशिक्षकों के सहयोग से विभिन्न खेलों की स्किल सीख रहे हैं l आज विद्यालय के बच्चे स्टेट तथा नेशनल स्तर तक पहुंच चुके हैं l बच्चों का आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है और साथ ही बच्चों में अनुशासन तथा टीम भावना का विकास हुआ है l शुरुआत हुई थी कबड्डी के खेल से, परंतु आज गोहलियापुर विद्यालय के छात्र एवं छात्राएं कबड्डी के साथ-साथ खो-खो, कुश्ती, लॉन्ग जंप, हाई जंप, दौड़, बैडमिंटन तथा योग अपनी अपनी रुचि के अनुसार सीख रहे हैं l 2 साल से यह बच्चे समर कैंप भी विद्यालय के बच्चों के लिए लगा रहे हैं l इन बच्चों ने अपनी एकेडमी भी स्थापित कर ली है, नाम है “जय हनुमान अकैडमी l” आजकल यूट्यूब पर बड़ी फेमस है, विद्यालय में जो भी बच्चे खेलों के प्रति
रुचि रखते हैं, वह बच्चे खेलों में निपुण हो चुके हैंl इनमें से जो छात्र एवं छात्राएं बहुत अच्छा खेलते हैं वह प्रत्येक रविवार को अपने कोच के साथ 50 किलोमीटर का सफर तय करके कानपुर के इंदिरा नगर मैदान में दूसरी अकादमी के बच्चों के साथ अभ्यास के लिए आते हैं l इनमें से कुछ बच्चे
राष्ट्रीय स्तर पर भी योग में खेलने गएl स्टेट के लिए भी कुछ बच्चों के सिलेक्शन कबड्डी के लिए हुए तथा मंडल स्तर तक भी बच्चे पहुंचे हैंl छात्राएं भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है, हाल ही में विद्यालय की 6 छात्राओं का सिलेक्शन सब जूनियर कबड्डी स्टेट के लिए हो गया हैl जिला तथा मंडल लेवल पर इन छात्रों का कंपटीशन उन लड़कियों से था जो शहरी स्कूलों में पढ़ रही थी, परंतु रिसर्चर की सोच सही निकली कि ग्रामीण अंचल के बच्चे शहरी बच्चों से ज्यादा मजबूत होते हैं l 21 सितंबर 2023 को शाहजहांपुर में जाकर विद्यालय की छात्राओं ने स्टेट लेवल सब जूनियर कबड्डी में प्रतिभाग लिया l तीन छात्रों का भी चयन स्टेट लेवल कबड्डी के लिए हुआ l आगामी आने वाली जनपद स्तरीय प्रतियोगिताओं में यह बच्चे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने जा रहे हैं l रिसर्चर को इन पर पूरा विश्वास है कि यह बच्चे राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाएंगे और इन्हीं बच्चों में से कुछ बच्चे अपना व्यवसाय कोच के रूप में या फिर एक खिलाड़ी के रूप में अपनाएंगेl इस नवाचार से विद्यालय में नामांकन में भी बहुत वृद्धि हुई है l आज विद्यालय का नामांकन 233 है तथा अगले साल यह आंकड़ा 250 तक जाने की उम्मीद है l “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती l” -अब्दुल कलाम |
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निष्कर्ष |
इस रिसर्च से यह निष्कर्ष निकलता है कि सरकारी विद्यालयों में खेलने के मैदान सिर्फ कुछ ही विद्यालयों में है और खेल के प्रशिक्षक यानी अनुदेशकों की भी बहुत कमी है l जिस प्रकार रिसर्चर के द्वारा समाज के सहयोग से मैदान तथा प्रशिक्षकों की खोज करके अपने विद्यालय के बच्चों को एक पहचान दिलाई गई और उनको बहुत ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया गया, इसी प्रकार प्रकार दूसरे विद्यालय भी इस नवाचार का अनुकरण कर सकते हैं l प्रतिभाएं ग्रामीण अंचल के बच्चों में बहुत छुपी होती है बस उन्हें निखारने की जरूरत है l हाल ही में जो 2023 मे एशियन गेम्स हुए हैं , उनमें भी अधिकांश खिलाड़ी जिन्होंने मेडल जीते हैं , वह भी ग्रामीण आंचल से थे, जिनकी कोई बहुत बड़ी पहचान नहीं थी l यदि ग्रामीण अंचल के बच्चों को भी खेल के संसाधन तथा प्रशिक्षक दे दिए जाए तब ग्रामीण अंचल के बच्चे शहरी बच्चों से बहुत आगे निकल जाते l |
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सन्दर्भ ग्रन्थ सूची | 1. Bureau,
The Hindu. “Under NEP, Sports Now Integral Part of School Curriculum: Modi.” The
Hindu, 23 Sept. 2023. 6. International Journal of Physical Education & Sports
Sciences. |