P: ISSN No. 2394-0344 RNI No.  UPBIL/2016/67980 VOL.- VIII , ISSUE- VIII November  - 2023
E: ISSN No. 2455-0817 Remarking An Analisation

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के संदर्भ में युवा  वयस्क शिक्षा

Youth and Adult Education in the Context of National Education Policy-2020
Paper Id :  18273   Submission Date :  12/11/2023   Acceptance Date :  22/11/2023   Publication Date :  25/11/2023
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DOI:10.5281/zenodo.10461584
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मुकेश कुमार मीना
सहायक आचार्य
शिक्षा विभाग
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन
आसनसोल,पश्चिम बंगाल, भारत
अखलेश कुमार मीना
सहायक आचार्य
शिक्षा विभाग
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन
भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत
सारांश

शिक्षा सम्पूर्ण सामर्थ्य को हासिल करने, न्याय संगत व युक्तिपूर्ण समाज के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए के एक बुनियादी आवश्यकता है। सार्वभौमिक उच्च स्तरीय शिक्षा वह उचित माध्यम है, जिससे राष्ट्र की समृद्ध विरासत और राष्ट्रीय संसाधनों का सर्वोत्तम विकास व संवर्द्धन तथा व्यक्ति, समाज, राष्ट्र, मानवता एवं विश्व कल्याण की बेहतरी के लिए किया जा सकता है। स्वतन्त्रता के पश्चात, देश की विभिन्न सरकारों द्वारा शिक्षा व्यवस्था के ढाँचे में व्यापक सुधार हेतु अनेक शिक्षा आयोगों व समितियों का गठन समय-समय पर होता रहा है। 1968 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उपरांत 34 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का आर्विभाव हुआ, जो 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। जिसका उद्देश्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना, देश के युवा वयस्क भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में समर्थ हो सकें, तथा 21वीं सदी युवाओं की होगी इस बात का ध्यान इस शिक्षा नीति में रखा गया है। एन..पी.-2020 में युवा व वयस्क शिक्षा को मद्देनजर रखते हुए सतत्व निरन्तर जीवन-पर्यन्त शिक्षा, कौशल विकास, बहुविषयक पाठ्यक्रम, उच्च शिक्षा के अवसर इत्यादि प्रावधान सम्मिलित है।

सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Education is a fundamental requirement for achieving full potential, creating a just and rational society as well as promoting national development. Universal high level education is the right medium through which the nation's rich heritage and national resources can be best developed and promoted for the betterment of the individual, society, nation, humanity and world welfare. After independence, various education commissions and committees have been formed from time to time by various governments of the country for comprehensive improvement in the structure of the education system. After the National Education Policy of 1968 and 1986, after a long gap of 34 years, the National Education Policy-2020 emerged, which is the first education policy of the 21st century. The aim of this education policy is to fulfill the essential needs for the development of the country, to enable the young adults of the country to face the challenges of the future, and to ensure that the 21st century belongs to the youth. Keeping youth and adult education in mind, NEP-2020 includes provisions for continuous and continuous life-long education, skill development, multidisciplinary courses, opportunities for higher education, etc.
मुख्य शब्द राष्ट्रीय शिक्षा नीति, युवा व वयस्क शिक्षा।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद National Education Policy, Youth and Adult Education.
प्रस्तावना

भारत के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सभी के लिए शिक्षा हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों का मूल आधार रही है। शिक्षा किसी भी राष्ट्र की भौतिक, राजनीतिक व आध्यात्मिक विकास की बुनियादी आवश्यकता है, तथा वर्तमान और भविष्य के निर्माण का अनुपम साधन भी है। इसके माध्यम से वर्तमान की रूपरेखा इस प्रकार क्रियान्वित की जाती है जिससे युवा व वयस्कों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण किया जा सके। इस सिद्धान्त को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की धुरी माना गया  है। आज़ादी के उपरांत भारत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार व प्रभावी क्रियान्वयन के उद्देश्य से अनेक शिक्षा आयोग व समितियाँ गठित की जिनका लक्ष्य भारत के राष्ट्रीय विकास के लिए युवा व वयस्कों की अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है।

युवा पीढ़ी देश का भविष्य है, इस बात को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के द्वारा युवा पीढ़ी को भारत की समृद्ध विरासत, परम्पराओं, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए 21वीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्यों, जिनमें एस.डी.जी.-4 शामिल है, के संयोजन में शिक्षा की व्यवस्था, उसका नियमन, शासन सहित सभी पक्षों में सुधार व पुनर्गठन का प्रस्ताव रखती है।

अध्ययन का उद्देश्य

पिछली शिक्षा नीतियों का जोर मुख्य रुप से शिक्षा तक सभी की पहुँचज्यादा से ज्यादा आबादी को साक्षर करना आदि मुद्दों पर केन्द्रित थी जबकि एन..पी. 2020 युवा व वयस्कों में कौशल विकाससाक्षरता के साथ-साथ संख्याज्ञान जैसी बुनियादी क्षमताओं तथा उच्चतर स्तर की तार्किक और समस्या-समाधान संबंधी संज्ञानात्मक क्षमताओं के विकास पर केन्द्रित   है। निःसंदेह पूर्ववर्ती शिक्षा नीतियों के अधूरे कार्यों को इस शिक्षा नीति के द्वारा पूरा करने का भरसक प्रयास किया गया है।

साहित्यावलोकन

1. मंडल, अजित दत्ता, इन्द्रजीत, प्रीतम, भानु प्रताप (संपादित) (2023): "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नीति सुधार और परिप्रेक्ष्य, अटलान्टिक पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स नई दिल्ली।

इस पुस्तक के अन्तर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया   है। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की गतिशीलता व स्कूल शिक्षा और उसके पाठ्यक्रम, उच्चतर शिक्षा, शिक्षक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा के साथ इस शिक्षा नीति के अन्तर्गत युवा व व्यस्क शिक्षा के प्रावधानो पर विस्तार से वर्णन किया गया है। पुस्तक के अन्त में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ के बारे में बताया गया है।

2. पन्त, डॉ प्रकाश चन्द दीप. (2021) 'भारतीय शिक्षा नीति 2020 एवं अध्यापक शिक्षा सत्यम पबलिशिंग हाऊस नईदिल्ली। इस पुस्तक के अवधि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत युवा व व्यस्क शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में अध्यापक शिक्षा के प्रमुख आयामों का वर्णन किया गया है। इसमें डिजिटल व ऑनलाइन शिक्षा का उपयोग करने के तरीकों पर चर्चा की गयी साथ ही व्यावसायिक शिक्षा के प्रमुख प्रावधानों के बारे में बताया गया है।

3. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (2020), "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नई दिल्ली। भारत सरकार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इस का प्रकाशन किया गया। इसमें इस नीति के प्रावधानों का चार भागों में विभाजन किया गया। प्रथम भाग -I स्कूल शिक्षा, भाग -II उच्चतर शिक्षा भाग-III अन्य केन्द्रीय विचारणीय मुद्दे एवं भाग -IV क्रियान्वयन की रणनीति। इस प्रकार इन्ही भागों में युवा व व्यस्क शिक्षा के बारे में N.E.P. 2020 में चर्चा की गयी है।

विश्लेषण

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के मूलभूत सिद्धान्तों में युवा व वयस्क शिक्षा

एन..पी.-2020 भारत की युवा व वयस्क आबादी को भविष्य के लिए तैयार करेगी तथा इसका लक्ष्य भारत की युवा पीढ़ी को दुनिया के सबसे बड़े कुशल कार्यबल में बदलना भी है।

इस शिक्षा नीति के मूल में भारत सरकार द्वारा परिकल्पित आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को साकार करने के निर्धारण कारक के रूप में कौशल विकास पर जोर देने के साथ-साथ भारत के युवा व वयस्कों के समग्र विकास की परिकल्पना की गई है। इस हेतु नई शिक्षा नीति के मूलभूत सिद्धान्तों में युवा व वयस्कों की शिक्षा और शैक्षिक अवसरों को महत्व दिया गया है जो इस प्रकार हैः-

1. स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी स्तरों के शैक्षिक पाठ्यक्रमों में तालमेल स्थापित होना चाहिए।

2. युवा व वयस्कों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सर्वांगीण विकास के लिए उच्च स्तरीय शोध कार्य होना चाहिए।

3. वैज्ञानिक युग में युवा व वयस्कों को तकनीकी के यथासंभव उपयोग पर बल दिया गया है।

4. युवा व वयस्कों को एक संकाय के ज्ञान के साथ-साथ दूसरे संकाय के विषयों के ज्ञान को हासिल करने के अवसर मिलें, ताकि आने वाली युवा पीढ़ी सभी तरह के ज्ञान को ग्रहण करते हुए बहुविषयक ज्ञान की दुनिया में विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी तथा खेल के बीच तारतम्यता बिठाते हुए शिक्षा की बहुविषयक व समग्र दृष्टि का विकास कर सकें।

5. शिक्षा विशेषज्ञों द्वारा निरंतर शोध व मूल्यांकन के आधार पर युवा व वयस्कों हेतु शिक्षा पर प्रगति की समीक्षा निरन्तर होती रहनी चाहिए।

6. युवा व वयस्क दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाने हेतु अध्ययन एवं अध्यापन कार्य में भाषा सम्बन्धी बाधाओं को दूर करने के साथ-साथ शैक्षिक नियोजन व प्रबन्धन पर जोर दिया गया है।

7. इस शिक्षा नीति में शिक्षार्थियों की विशिष्ट क्षमताओं की पहचान और उनके विकास हेतु शिक्षकों और अभिभावकों को अधिक संवेदनशील बनाना भी शामिल है।

8. बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान को सर्वाधिक प्राथमिकता इस शिक्षा नीति में दी गई है।

9. इस शिक्षा नीति में युवा व वयस्क आबादी में 100 फीसदी साक्षरता के लक्ष्य को 2030 तक हासिल करने की बात कही गई है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में युवा व वयस्क शिक्षा हेतु प्रावधान-

इस शिक्षा नीति में युवा व वयस्कों की शिक्षा हेतु निम्न प्रावधान किये गये हैं-

1. एन.ई.पी.-2020 के अन्तर्गत युवा व वयस्कों के लिए स्कूल शिक्षा से लेकर उच्चतर विश्वविद्यालयी शिक्षा हेतु एक नया भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण स्थापित किया गया है, क्योंकि उच्चतर शिक्षा मनुष्य और उसके सामाजिक कल्याण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। युवा व वयस्कों के सामाजिक कल्याण हेतु उन्हें शिक्षा और शैक्षिक अवसरों के माध्यम से भारतीय संविधान में निहित लोकतांत्रिक, न्यायपूर्ण, सामाजिक रूप से जागरुक, सांस्कारिक, मानवीय राष्ट्र के रूप में जहाँ सभी के लिए न्याय, स्वतन्त्रता, समानता व भाईचारे का भाव हो, भारत को ऐसे राष्ट्र के रूप में विकसित करने की परिकल्पना की गई है, ताकि युवा व वयस्कों में संवैधानिक मूल्यों की समझ विकसित हो सके।

2. एन.ई.पी.-2020 में युवा व वयस्कों के समग्र विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी प्रावधान किया गया है कि विद्यालय पूर्व से लेकर उच्चतर शिक्षा तक सीखने के प्रत्येक चरण में कौशल और मूल्यों का एक निर्धारित समुच्चय शामिल किया जाएगा।

3. 21वीं सदी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए गुणवत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा का उद्देश्य सुसंस्कारित, विचारवान, बहुमुखी प्रतिभा के धनी, रचनात्मक युवा और वयस्क व्यक्तियों का निर्माण इस शिक्षा नीति का प्रमुख लक्ष्य होगा। उच्चतर शिक्षा हरेक भारतीय युवा व वयस्क नागरिक को एक या अनेक विशिष्ट क्षेत्रों में व्यवस्थापन स्तर तक अध्ययन करने में सक्षम बनाएगी।

4. युवा व वयस्क आबादी के एक बड़े वर्ग को बहुमुखी प्रतिभा वाले व्यक्तित्व के योग्य इंसान बनाने हेतु इस शिक्षा नीति की सबसे बड़ी अनुशंसा उच्चतर शिक्षा संस्थानों के समूह (एच.ई.आई. कलस्टरों) और बहुविषयक कॉलेजों व विश्वविद्यालयों की स्थापना सम्बन्धी प्रावधान है। प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वल्लभी जिनमें देश दुनिया के हजारों लोगों ने जीवंत व बहुविषयक शिक्षा हासिल कर शिक्षा के क्षेत्र में सफलतम व उच्च कोटि का प्रदर्शन कालांतर में किया है। अतः भारत की प्रतिभावान युवा व वयस्क पीढ़ी को विकसित करने हेतु इन प्राचीन भारतीय परम्पराओं को एच.ई. आई कलस्टरों व बहुविषयक संस्थानों के माध्यम से पुर्नजीवित करने पर इस शिक्षा नीति में जोर दिया गया है।

5. देश व समाज के उत्थान के लिए तथा एक बड़ी और जीवंत अर्थव्यवस्था को विकसित करने और विकसित बनाएँ रखने हेतु ज्ञान सृजन व अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। युवा व वयस्कों की उच्च शिक्षा और शोधकार्यों में ज्यादा से ज्यादा सहभागिता सुनिश्चित होनी चाहिए। इसके लिए इस शिक्षा नीति में नवीन राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेशन के माध्यम से सभी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण अकादमिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने का उल्लेख किया गया    है।

6. देश में बढ़ती बेरोजगारी और इस समस्या के समाधान हेतु राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एन. एस. क्यू. एफ) को प्रत्येक व्यवसाय और रोजगार हासिल करने के लिए विस्तारपूर्वक निर्मित किये जाने का प्रावधान इस शिक्षा नीति में युवा व वयस्क आबादी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इसमें भारतीय मानकों को अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठनों द्वारा बनाए गए व्यवसायों के अनुरूप अन्तर्राष्ट्रीय मानको के साथ जोड़ा जाएगा। यह राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क पूर्ववर्ती शिक्षा की आवश्यकताओं के लिए एक बुनियादी आधार प्रदान करेगा।

7. भारत एक विकासशील देश है जिसकी अधिकांश आबादी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। ग्रामीण भारतीय युवा व वयस्क शिक्षा प्राप्त करने विशेषकर उच्च शिक्षा के लिए शहरों व महानगरों में नहीं जा पाते हैं। इस शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है, कि ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा प्रौद्यौगिकी का उपयोग हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में होगा तो इसका लाभ सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगा। इस शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है।

8. युवा व वयस्क शिक्षा के लिए भारत सरकार का राज्य सरकारों के सहयोग से विभिन्न शिक्षा कार्यक्रमों का संचालन, प्रभावी कार्यान्वयन, मजबूत व अभिनव पहल खासकर सामुदायिक भागीदारी और प्रौद्योगिकी के सुचारु और लाभदायक एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए शत प्रतिशत साक्षरता व संख्याज्ञान के लक्ष्य को हासिल करना इस शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में युवा व वयस्कों हेतु ढाँचागत बदलाव

एन.ई.पी.- 2020 में युवा व वयस्कों की जरूरतों को ध्याम में रखते हुए वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम, विश्वविद्यालयी डिग्री की अवधि और एकाधिक प्रवेश व निकास, अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रम, सामुदायिक भागीदारी, शिक्षा प्रौद्योगिकी हेतु व्यापक ढाँचागत बदलाव किये गये हैं, यह इस प्रकार से हैं-

1. वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम

एन.ई.पी. 2020 में एक उत्कृष्ट वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम ढाँचे की जरुरत महसूस की गई है जो एन.सी.ई.आर.टी (NCERT) के एक नए और समर्थित घटक द्वारा तैयार किया जाएगा यह पूरी तरह से वयस्क शिक्षा के लिए समर्पित होगा। जिसमें एन.सी.ई.आर.टी (NCERT) की साक्षरता, संख्यात्मकता के लिए उत्कृष्ट पाठ्यक्रम स्थापित करने की मौजूदा क्षमताओं के साथ तालमेल स्थापित किया जा सके। वयस्क शिक्षा के पाठ्यक्रम की रूपरेखा में कम से कम पाँच कार्यक्रम शामिल होगें, यह इस प्रकार से है-

i) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान।

ii) महत्वपूर्ण जीवन कौशल (डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल का विकास, स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता, परिवार कल्याण और बाल देखभाल की शिक्षा।

iii) व्यावसायिक कौशल का विकास (स्थानीय रोजगार प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण।

iv) बुनियादी शिक्षा (प्रारंभिक, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक सहित)

v) सतत् शिक्षा (कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल व मनोरंजन में समग्र वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम को शामिल करने के लिए स्थानीय स्तर पर विद्यार्थियों के लिए रूचि व उपयोग के अन्य विषय जैसे-जीवन कौशल पर अधिकाधिक उन्नत सामग्री।)

वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम का ढाँचा इस प्रकार से होना चाहिए कि कई मामलों में युवा वयस्कों को बच्चों के लिए उपयोगी योजनाओं की तुलना में विभिन्न शिक्षण विधियों और शिक्षण सामग्रियों की जरुरत होगी। विद्यालय के घंटे और सार्वजनिक पुस्तकालय से परे विद्यालयों विद्यालय परिसरों का उपयोग जो भी संभव हो, वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम के प्रचार-प्रसार संवर्धन के लिए किया जायेगा। हमारे शैक्षिक संस्थानों समुदायों के भीतर पढ़ने की आदत, आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ाने हेतु इस शिक्षा नीति में कई प्रावधान किये गये हैं।

2. सामुदायिक भागीदारी

युवा वयस्कों हेतु पुस्तकों तथा सार्वजनिक पुस्तकालयों की उपलब्धता और उन तक पहुँच में सुधार अति आवश्यक है। एन..पी.-2020 इस बात की अनुशंसा करती है कि सभी समुदायों और निजी सरकारी शैक्षिक संस्थानों, सभी तरह के विद्यालयों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों सार्वजनिक पुस्तकालयों को मजबूत कर पुस्तकों शिक्षण सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर उनका आधुनिकीकरण किया जायेगा। वयस्क शिक्षा में सामुदायिक सदस्यों की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास किए जायेगें। सामाजिक कार्यकताओं, परामर्शदाताओं, वयस्क शिक्षा के अवसरों में रूचि रखने वाले शिक्षकों आदि को गैर नामांकित छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करने तथा उन्हें स्थानीय वयस्क शिक्षा केन्द्रों (..सी.) से जोड़ना, उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों में वयस्क शिक्षा केन्द्र स्थापित करना, सामुदायिक और स्वंयसेवी गतिविधियों के लिए बुनियादी ढाँचे का इस्तेमाल, भौतिक मानव संस्थानों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना शामिल है। विज्ञापनों और घोषणाओं के माध्यम से स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से युवा वयस्क शिक्षा के अवसरों को व्यापक रूप से प्रचारित और प्रसारित किया जायेगा।

3. शिक्षा प्रौद्योगिकी

युवा वयस्क शिक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रौद्योगिकी-आधारित विकल्प जैसे-ऑनलाइन पाठ्यक्रम मॉड्यूल, शिक्षण ऐप, उपग्रह आधारित शैक्षिक टी.वी. चैनल कार्यक्रम, ऑनलाइन किताबें, आई.सी.टी. से सुसज्जित पुस्कालय, वयस्क शिक्षा केन्द्र इत्यादि का सार्वजनिक परोपकारी पहल के साथ-साथ विकसित किये जाने का प्रावधान एन..पी.-2020 में स्पष्ट है। भीड़-सोर्सिंग के जरिये गुणवत्तापूर्ण युवा वयस्क शिक्षा का संचालन ऑनलाइन या मिश्रित तरीके से किया जा सकता है। इस शिक्षा नीति में प्रौद्योगिकी के हरसंभव इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया गया है, क्योंकि प्रौद्योगिकी ने केवल शिक्षा को आसान बनाया है बल्कि इंटरनेट अन्य मददगार शैक्षिक ऐप्स तक युवा वयस्कों की आसान पहुँच ने शिक्षा को रुचिकर दिलचस्प बना दिया है। प्रौद्योगिकी का उपयोग ऊर्जा समय की बचत भी करता है तथा कोरोना संकट में हम सभी इसकी अहमियत से भली-भाँति परिचित हैं। अतः हमें यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि प्रौद्योगिकी के माध्यम से अधिकाधिक युवा वयस्कों को अनवरत, आजीवन सीखने के अवसरों का सृजन किया जा सकता है।

4. अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम

एन..पी.-2020 के अन्तर्गत 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षक बनने हेतु अध्यापक शिक्षा के पाठ्यक्रम को बहु-विषयक बनाने के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त विषयवस्तु शैक्षिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता के मुताबिक सभी अध्यापक शिक्षा कार्यक्रमों को समग्र बहु-विषयी शैक्षिक संस्थानों में 2030 तक आयोजित कर लागू किया जाना सुनिश्चित होगा। इसमें अध्यापक शिक्षा के साथ दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, तंत्रिकाविज्ञान, कला, संगीत, इतिहास, भारतीय भाषाओं और साहित्य के साथ-साथ विज्ञान, गणित जैसे अन्य विशिष्ट विषयों से युक्त पेशेवर और कुशल अध्यापक तैयार किये जा सकेंगे। निश्चित तौर पर समाज में कुशल पेशेवर अध्यापकों की मौजूदगी युवा वयस्कों की शिक्षा पर प्रभावी असर रखती है।

5. उच्चतर शिक्षा कार्यक्रम

युवा वयस्कों की वर्तमान भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उच्चतर शिक्षा के विश्वविद्यालयी डिग्री कार्यक्रमों की संरचना अवधि में तदनुसार व्यापक बदलाव तय समय सीमा में किए जाने का प्रावधान इस शिक्षा नीति में किया गया है। एन..पी.-2020 में छात्रों को बहुविषयक और कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। जिसके तहत बैचलर ऑफ लिबरल आर्ट (बी.एल..) और बैचलर ऑफ लिबरल एजूकेशन (बी.एल..) कार्यक्रम बनाने तथा इन स्नातक कार्यक्रमों में छात्रों को बैचलर ऑफ वोकेशनल की तर्ज पर पहले, दूसरे, तीसरे चौथे वर्ष में जुड़ने (री एंट्री) और बाहर जाने (एग्जिट) का प्रावधान इस शिक्षा नीति में किया गया है।

स्नातक उपाधि 3 या 4 वर्ष की होगी, जिसमें उपयुक्त प्रमाण-पत्र के साथ निकास के कई विकल्प होंगे। पहले वर्ष में प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट), दूसरे वर्ष में डिप्लोमा, तीसरे वर्ष के बाद स्नातक की डिग्री मिलेगी। यदि छात्र उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा निर्दिष्ट अध्ययन के अपने प्रमुख क्षेत्र (क्षेत्रों) में से एक कठोर शोध परियोजना को पूरा करता है तो उसे चार वर्षीय कार्यक्रम मेंशोध सहितडिग्री भी दी जा सकती है जबकि चार वर्षीय कार्यक्रम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा, तीसरे साल के बाद एडवान्स डिप्लोमा दिया जा सकता है। वे विद्यार्थी जिन्होंने 4 वर्षीयशोध सहित स्नातककार्यक्रम पूरा किया है, उनके लिए एक वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम हो सकता है।

व्यवस्था में इस बदलाव को अमलीजामा पहनाने हेतु एक अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट स्थापित किया जायेगा, जो अलग-अलग मान्यता प्राप्त उच्चतर शिक्षा संस्थानों से प्राप्त क्रेडिट को डिजिटल रूप में संकलित करेगा, ताकि प्राप्त क्रेडिट के आधार पर उच्चतर शिक्षा संस्थानों द्वारा डिग्री दी जा सके। इसके अलावा सरकारी -लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे – SWAYAM, NPTEL, V-LAB या किसी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों पर भी क्रेडिट ट्रान्सफर और स्टोर करने के बारे में इस शिक्षा नीति में युवा वयस्कों की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए संभावनाओं को तलाशने पर बल दिया गया है।

निष्कर्ष

वर्तमान में युवा वयस्कों के लिए प्रचलित शिक्षा पद्धति युवाओं में बेरोजगारी असंतोष को बढ़ावा दे रही है। जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत सरकार द्वारा परिकल्पित आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को साकार करने के निर्धारक कारक के रूप में भारत की युवा वयस्क आबादी के समग्र विकास की कल्पना के साथ-साथ बहुविषयक ज्ञान और कौशल विकास की शिक्षा पर जोर देती है। इस शिक्षा नीति के कुशल प्रभावी क्रियान्वयन से युवा वर्ग के लिए कौशल विकास आधारित शिक्षा द्वारा बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में काफी हद तक सफलता मिल सकेगी। तथा भारत की युवा पीढ़ी देश की विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और तकनीकी आवश्यकताओं, देश की कला, भाषा, ज्ञान परम्पराओं और समृद्ध विरासत को समझने में सक्षम हो सकेगी।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

1.   पन्त, डॉ० प्रकाश चन्द्रदीप’ : भारतीय शिक्षा नीति-2020 एवं अध्यापक शिक्षा, सत्यम पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, 2021

2.   मंडल, अजित, दत्ता, इन्द्रजीत, प्रीतम, भानु प्रताप (संपादित) : नेशनल एजूकेशन पॉलिसी 2020 पॉलिसी रिफ़ार्म एण्ड पर्सपेक्टिव्ज, अटलान्टिक पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स, नई दिल्ली, 2023

3.   मानव संसाधन विकास मंत्रालय (2020), राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020), नई दिल्ली, भारत सरकार, पृष्ठ 3-5 और 83-86

4.   झा, पी., पार्वती, पी. (2020) : नेशनल एजूकेशन पॉलिसी 2020, (2020), गर्वनेन्स एट बैंक्स‌, एकोनोमिक एंड पॉलिटिकल वीकली, 55(34), 14-17

5.   मानव संसाधन विकास मंत्रालय (1986), राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986), नई दिल्ली, भारत सरकार, पृष्ठ 7 और 8

वेबसाईटस्

1.    https//www.amarujala.com

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