ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- IX , ISSUE- IV July  - 2024
Anthology The Research

पलायन - अल्मोडा जिले के अनुसूचित जाति में एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Migration - An Analytical Study among Scheduled Castes of Almora District
Paper Id :  19157   Submission Date :  2024-07-16   Acceptance Date :  2024-07-22   Publication Date :  2024-07-25
This is an open-access research paper/article distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.
DOI:10.5281/zenodo.13318934
For verification of this paper, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/anthology.php#8
चन्द्र प्रकाश आर्या
शोधार्थी (अ0प्रो0)
भूगोल विभाग
कुमायु विश्वविद्यालय
नैनीताल, उत्तराखण्ड, भारत
निर्मला लोहनी
एसोसिएट प्रोफेसर
भूगोल विभाग
एस0एस0जे0 स्ना0 महाविद्यालय, स्याल्दे
अल्मोडा, उत्तराखण्ड, भारत
सारांश
मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताएँ रोटी, कपडा और मकान  हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव विभिन्न तरह की क्रिया करता है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रोजगार और आजीविका आवश्यक हैं। भारतीय समाज प्राचीन काल से विभिन्न वर्गों में बंटा हुआ है। वर्तमान समय में एक वर्ग अन्य वर्गो से विभिन्न क्षेत्रों सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछडा है। इस वर्ग के लिए भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग किया गया। इस वर्ग की जनसंख्या में विभिन्न प्रकार की समस्या देखने को मिलती है शिक्षा का निम्न स्तर, सामजिक स्तर अन्य वर्गो निम्न, बेरोजगारी की समस्या, जागरूकता की कमी का होना । उक्त प्रकार की समस्या समाज केे अन्य वर्गो में समान रूप से देखी जाती है। उक्त समस्याओं के निराकरण  के लिए व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए पलायन करता है। पलायन अनुसूचित जाति में वर्तमान समय की प्रमुख समस्या हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The three basic needs of mankind are roti (food), kapda (clothing) and makaan (shelter). To fulfill these needs, man does different types of activities. To fulfill these needs, employment and livelihood are the main means. Indian society is divided into different classes since ancient times, the Vedic era. Hindu society is mainly divided into four classes, namely, Brahmin, Kshatriya, Vaishya and Shudra. At present, one class is socially and economically backward in different areas from other classes. The word Scheduled Caste has been used for this class in the Indian Constitution. Different types of problems are seen in the population of this class, such as low level of education, lower social status than other classes, problem of unemployment, lack of awareness. The above types of problems are seen equally in other classes of the society. To solve the above problems, a person migrates from one place to another. Migration is the main problem of the present time in Scheduled Castes.
मुख्य शब्द पलायन, अनुसूचित जाति।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Migration. Scheduled Caste
प्रस्तावना
पलायन से तात्पर्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अन्य स्थान की ओर गमन करने से है। मानव अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूर्व काल से पलायन करता आया है। पर्वतीय भाग में मानव का ऋतुवत् पलायन होता आया है। येे लोग शीत ऋतु में हिमालय की  तलहटियों में या घाटियों में पलायन कर जाते है और मौसम में परिवर्तन होने पर ये लोग उच्च हिमालयों चोटियों में संचरण करतें है। यह पलायन मानव अपने जीव जन्तुओं के साथ करता आया है। इस प्रकार का पलायन का उद्देश्य जीव-जन्तुओं के चारे के लिए होता है। व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान गमन करता रहता है। पलायन एक स्थान से  दूसरे स्थान पर, एक देश के एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश, एक देश से दूसरे देश तथा एक महाद्वीप से दूसरे  महाद्वीपको होता सकता है। जिसके लिए अनेक सामाजिक, आर्थिक , प्राकृतिक एवं राजनैतिक कारक हो सकते है।
अध्ययन का उद्देश्य
प्रस्तुत अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य निम्नवत् है-
1- पलायन की समस्या की पहचान करना।
2-पलायन के आयु वर्ग का निर्धारण करना।
3-पलायन हेतु कारणों को जानना
4- पलायन की समस्या हेतु सुझावों को प्राप्त करना है।
साहित्यावलोकन
कमल नारायण गजपाल (2014) ने छतीसगढ राज्य के  ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम पलायन करने वाले परिवारों में बच्चों की शैक्षिक समस्याओं पर एक अध्ययन (बेमेतरा तहसील के विशेष संदर्भ में) शोध अध्ययन में पलायन के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया है। पलायन का प्रभाव किस प्रकार से वहां की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर पडता है, को रेखांकित करता है तथा पलायन कैसे वहां की शिक्षा को प्रभावित करता है, को बताया गया है। श्रीमती भारती कुलदीप (2021)  ने पलायन करने वाले श्रमिक परिवारों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति का उनके बच्चों  की शिक्षा पर पडने वाले प्रभाव का अध्ययन (जाजगीर-चापा जिले के विशेष संदर्भ में ) के शोध अध्ययन में प्रवास के कारणों एवं  पलायन वहां की समाज और  अर्थव्यवस्था पर प्रभावों का अध्ययन किया गया है। पलायन का वहां के श्रमिकों के परिवारों पर एवं उनके बच्चो के शिक्षा पर प्रभावों का अध्ययन किया गया है।
सामग्री और क्रियाविधि
 प्रस्तुत अध्ययन में मुख्यतः प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतो का प्रयोग पलायन का  विश्लेषण करने हेतु किया गया है।
अध्ययन क्षेत्र
अल्मोडा में पलायन तथा जनसंख्या के गमन के लिए प्राथमिक आकडों को एकत्रित किया गया। अल्मोडा के नौ तहसील  से  आंकडे लिए गए। अध्ययन क्षेत्र अल्मोडा में 90 परिवारों से अनुसूची को पूर्ण किया गया। 90  परिवारो में से 54 परिवारो ने माना कि अनूसूचित जाति में पलायन हो रहा है। अत्यधिक पलायन 15-59 आयु वर्ग में हो रहा और यह  पलायन रोजगार के लिए हो रहा है। जिसमें पलायन का प्रमुख कारण  रोजगार को बताया गया तथा द्वितीय वजह पलायन की बेहतर शिक्षा बताई गई। इसके साथ ही जीवन यापन के लिए मूलभूत सुविधा चिकित्सा, पेयजल आदि को बताया गया।
विश्लेषण
पलायन का कारण
 मानव  पलायन बाध्यकारी या स्वैच्छा से कर सकता है। पलायन होने के पीछे विभिन्न कारण हो सकते है  जिसके कारण वह अपना स्थान बदलता रहता है।
1. आजीविका- मानव की वर्तमान समय में प्राथमिक आवश्यकता आजीविका है। जनसंख्या के तीव्र गति से बढने के कारण इस समस्या में बढोतरी हुई है। क्योकि संसाधनों एवं मानव केे मध्य सम्बन्धो में असमानता में वृद्धि हुई है पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड में मानव का आजीविका की तलाश में पलायन तीव्र गति से होता रहा है। अनुसूचित जाति में शिक्षा का स्तर निम्न होने एवं मुख्य धारा से अलग होने आदि विभिन्न  कारणों से इस वर्ग में वर्तमान समय में रोजगार एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पलायन में वृद्धि हुई है। इस वर्ग की जनसंख्या का एक बडा भाग  रोजगार की प्राप्ति हेतु पर्वतीय भागों से मैदानी भागों की ओर तीव्र गति से गमन कर रहा है। मैदानी भाग इस वर्ग को आजीविका एवं अन्य सुविधाओं के लिए अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
2. बेहतर शिक्षा- समय के साथ-साथ शिक्षा मानव की प्राथमिक आवश्यकता बन रही है। मानव के सर्वागीण विकास के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन है। जिसको प्राप्त कर बेहतर जीवन को प्राप्त किया जा सकता है। उच्च स्तर एवं गुणवतापूर्ण  शिक्षा  को प्राप्त के लिए जनसंख्या का पलायन होता है
3. पेयजल की समस्या- उत्तराखण्ड में वर्षा मुख्यत मानसूनी पवनों से होती है कुछ मात्रा में वर्षा पश्चिमी विक्षोप से होती है।पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड में वर्षा का अधिकांश भाग ढलान अधिक होने के कारण ढाल के सहारे नदियों में बह जाता है। इससेे पेयजल स्रोतो में पानी की मात्रा कम हो जाता है। पलायन के मुख्य कारणों मेे यह कारण महत्वपूर्ण रहा है। अनुसूचित जाति की जनसंख्या का अधिकांश भाग इस समस्या से ग्रसित रहता है। पेयजल की समस्या के निराकरण के लिए मैदानी भागों की ओर पलायन करते रहते है। पेयजल एवं जल पर मानव की आजीविका,   कृृषि, पालतू पशुपालन आदि आश्रित होते है।इस समस्या के कारण प्राचीन काल से मानव अपने बस्तियों का निर्माण नदियों के समीप, तालाबों, जलस्रोतों के निकट करता आया है। मानव पेयजल की समस्या के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन करता रहता है। इस के कारण वह मैदानी भागों की ओर जहां जल होता है, की ओर आकर्षित होता है।
4. कृषि में निम्न उत्पादकता- अध्ययन क्षेत्र में सूचनादाताओं से ज्ञात हुआ है पलायन कें पीछे एक कारण कृषि में निम्न उत्पादकता भी बताई गई। अध्ययन क्षेत्र का अधिकाश भाग पर्वतीय होने कारण यहां कृषि में उत्पादन निम्न होता है। निम्न उत्पादन का कारण अपरदन एवं भूमि की उपरी परत का बहना है। उत्तरदाओं से ज्ञात हुआ कि यहां उत्पादन अपर्याप्त होता है और कृषि कार्य में परिवार के सभी व्यक्ति  संलग्न रहतें है जिसमें भरण-पोषण के लिए  भी उत्पादन नही होता है।   कृषि में कुछ मात्रा में गेहूं, धान, सब्जियों और दालो का उत्पादन होता हैं। भूमि में उत्पादन क्षमता कम होने कारण साल में एक फसल का उत्पादन भी मुश्किल होता है। जो  पर्याप्त भरण-पोषण के लिए नही हो पाता है। जिससे इस वर्ग की जनसंख्या का अधिकांश भाग अपने भरण-पोषण एवं आजीविका हेतु अपने मूल आवास से अन्यत्र स्थानान्तरित हो जाते है।
5. जंगली जानवरों की समस्या- सूचनादाताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान समय मे यह  प्रमुख समस्या है। ये जंगली जानवर कृषि फसलों को नष्ट कर देते है। और पालतू पशुओं को नुकसान पहुचाते है। उक्त समस्या के कारण ये लोग पलायन हेतु मजबूर है। कभी-कभी ये जानवर मानव के आत्मजीवन को भी नुकसान पहुचातेे है। जिस कारण इन्हे दूसरे सुरक्षित स्थान के लिए गमन करना पडता है।
6. प्राकृतिक आपदा- पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड में अनेक प्राकृतिक आपदा आती है। मुख्यतः यहां भू-स्खलन की समस्या आती रहती है। सामान्यत वर्षा काल में भू-स्खलन होता है। भू-स्खलन पर्वतीय भाग में मानसून काल की प्रमुख समस्या है। नदियों के किनारों के भाग जल केे साथ बह जाते है जिससे तटवर्ती भागों कृषि भूमि तथा मानव के आवास आदि नष्ट हो जाते है। इस समस्या सेे पलायन सुरक्षित स्थानो की ओर होता हैं।
समस्या का समाधान
जिले में पलायन मुख्यत मैदानी की ओर अधिक हुआ है। उक्त में पलायन के अनेक कारण बतायें गयें जिसके लिए अनेक समाधान हो सकते है जिससे पलायन गति पर रोक लगाई जा सकती है।
1. रोजगार सृजन - पर्वतीय भाग में रोजगार के अवसरो में वृद्धि करके पलायन जैसी समस्या पर रोक लगाई जा सकती  है। विभिन्न प्रकार के कुटीर उद्योगो में वृद्धि करके एवं हस्तशिल्प में वृद्धि करके रोजगार के अवसरो को बढाया जा सकता है। स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर लोगो को इस ओर बढाया जा सकता है। जिससे पलायन की समस्या को कम किया जा सकता है।
2. बेहतर शिक्षा को विकसित कर- उच्च स्तर एवं रोजगार परक शिक्षा को  बढाने से पर्वतीय भाग के पलायन को कम किया जा सकता हैैं अधिकाश जनसंख्या का पलायन का कारण बेहतर शिक्षा के लिए होता है।
3. चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार- पर्वतीय क्षेत्रो में मानव के लिए अति आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं के विकास से तीव्र गति से हो रहे पलायन को रोका जा सकता है। क्योकि जनसंख्या का आकर्षण उचित स्तर के चिकित्सा के केन्द्रो को अधिक होता है।
4. कृषि मे नवीन प्रयोग द्वारा- कृषि मे आधुनिक नवीन प्रयोग द्वारा पर्वतीय क्षेत्र में उत्पादन बढाया जा सकता है।नवीन प्रणाली तथा नवीन यंत्रो को विकसित कर उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। साथ ही मत्स्य पालन, मुर्गी पालन,मसरूम उत्पादन, पोली हाउस के द्वारा कृषि प्रणाली में परिवर्तन कर अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उक्त प्रकार से कृषि मे  परिवर्तन कर व्यक्तियों को आजीविका प्राप्त होगी और रोजगार सृजन होगा जिससे व्यक्तियों का पलायन नही होगा।
निष्कर्ष
पलायन पवतीय क्षेत्रो की बहुत बडी समस्या है जिसके कारण अधिकाश गांव खाली और विरान हो चुके है और मैदानो क्षेत्रो में जनसंख्या और संसाधनों के बीच असन्तुलन उत्पन्न होने लग गया है। जिसके लिए अनेक सामाजिक और आर्थिक कारण जिम्मेदार है जिनसे इस समस्या में वृद्धि हुई है। इस समस्या को कम करने के लिए आधारभूत संरचना में वृद्धि कर , रोजगार एवं आजीविका अवसरों में वृद्धि, कृषि में आधुनिकीकरण किया जा सकता है और पलायन को रोका जा सकता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
  1. धुर्य,जी0एस0, (2018)भारत में जाति एवं प्रजाति, पोपुलर प्रकाशन ,नई दिल्ली
  2. चान्दना,आर0सी0, (2021)जनसंख्या भूगोल,कल्याणी पब्लिशर्स, नई दिल्ली
  3. तिवारी, डा0राम कुमार,(2015) जनसंख्या भूगोल,प्रवालिका पब्लिकेशन, इलाहाबाद
  4. नेगी,प्रतिभा, (2021)उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था एक दृष्टि में, कुनाल प्रकाशन, नई दिल्ली
  5. मैठानी,प्रो0डी0डी0,प्रसाद,डा0 गायत्री,नौटियाल,डा0 राजेश(,2020)उत्तराखण्ड का भूगोल,शारदा पुस्तक भवन इलाहाबाद
  6. हुसैन,माजिद,(2012)मानव भूगोल,रावत पब्लिकेशन नई दिल्ली