ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- IX , ISSUE- IX October  - 2024
Innovation The Research Concept

उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में नशे के प्रति जागरुकता एक अध्ययन

A Study On Drug Awareness Among Higher Secondary Level Students
Paper Id :  19355   Submission Date :  2024-10-03   Acceptance Date :  2024-10-22   Publication Date :  2024-10-25
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DOI:10.5281/zenodo.14535023
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ज्योत्सना कटियार
सहायक आचार्य
बी०एड० विभाग
पं- सहदेव प्रसाद त्रिवेदी महाविद्यालय रमईपुर
कानपुर,उत्तर प्रदेश, भारत
कमलेश यादव
एसोसिएट प्रोफेसर
बी०एड० विभाग
जे-एस- विश्वविद्यालय
शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश

वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक स्तर एवं प्रत्येक क्षेत्र के लिये शिक्षा अति महत्वपूर्ण है। इसका महत्व तब और बढ़ जाता है, जब बालक युवावस्था में होता है। युवावस्था जीवन की नीव है और इस उम्र में बालक को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की जागरूकता होनी चाहिये। यदि वह जागरूक है तो किसी भी प्रकार की समस्या में ग्रसित होने से वह बच जायेगा। इसी सन्दर्भ में यदि यह नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक है, तो वह उसके सेवन से दूर रहेगा।

नशा वह घातक रोग है, जो जीवन का विनाश कर परिवार एवं समाज को खोखला कर देता है परिवार विघटित होकर तितर बितर हो जाता है व्यक्ति अन्ततोगत्वा अनेक बीमारियों की चपेट में आकर तड़प-तड़‌प कर मरता है। नशा कोई एक समस्या न होकर अनेक समस्याओं का पुंज है, जिसको उखाड़‌ फेकना हम सब की जिम्मेदारी है आज यह महती आवश्यकता है कि सरकार, समाज स्वयंसेवी संगठन, नेता आदि मिलकर इस समस्या को समूल नष्ट करने का प्रयास करें।

प्रस्तुत अध्ययन में स्नातक माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की नशे के प्रति जागरूकता को ज्ञात करने का प्रयास किया गया है। 

सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the present era, education is very important for every level and every field of life. Its importance increases when the child is in youth. Youth is the foundation of life and at this age the child should be aware of every field of life. If he is aware, he will be saved from getting into any kind of problem. In this context, if he is aware of the ill effects of drugs, he will stay away from its consumption.

Drug addiction is a fatal disease which destroys life and hollows out the family and society. The family disintegrates and scatters. The person ultimately dies in the
grip of many diseases. Drug addiction is not a single problem but a bundle of many problems, which it is the responsibility of all of us to eradicate. Today it is a great need that the government, society, voluntary organization, leaders etc. should together try to eradicate this problem completely.

In the present study, an attempt has been made to increase the awareness of graduate and secondary level students towards drug addiction.
मुख्य शब्द युवावस्था, स्नातक, नशे की लत ।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Puberty, Graduation, Drug Addiction.
प्रस्तावना

हमारे देश का युवा देश की रीढ़ की हड्डी है यदि युवाओं के कंधे मजबूत होंगे तो देश मजबूत होगा। देश का उज्जवल भविष्य युवाओं पर टिका होता है। यदि युवाओं का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं है, तो वह अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर सकते हैं। शारीरिक स्वास्थ्य तो नियमित दिनचर्या एवं पौष्टिक भोजन से ठीक किया जा सकता हैकिन्तु यदि उसी खानपान में कुछ गलत आदतें विकसित हो जाएं, तो वह शारीरिक एंव मानसिक रूप से व्यक्ति का विनाश कर देती है उन्ही गलत आदतों में से एक आदत है 'नशे का सेवन'। युवा नशे को अपनी शान समझते हैं। वे शराब गुटखा बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, हेरोइन, चरस एवं भांग आदि का सेवन करते हैं। उनकी पार्टियां इनके बगैर अधूरी होती हैं आधुनिकता की अन्धी दौड़ में वे यह भूल जाते है कि किसी भी प्रकार का नशा हानिकारक एवं जानलेवा साबित हो सकता है आज कम उम्र के लड़के लड़कियां सिगरेट शराब का भरपूर सेवन करते हैं। उनमे नशे की लत बढ़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण तनाव, दूषित खान-पान, अकेलापन, बरोजगारी एवं प्रतिस्पर्धा है शराब पीने की लत तो बढ़ ही रही है, साथ-ही-साथ पीकर बेहोश होने का नया चलन भी शुरू हो गया है।

शराब पीकर वाहन चलाने से आए दिन भयानक दुर्घटनाएं होती हैंइन दुर्घटनाओं के शिकार सबसे ज्यादा युवा होते हैं

परिवारों में लड़ाई झगड़े एवं परिवारों का विघटन में मुख्य भूमिका नशे की होती है परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा जाती है। बच्चों का पालन पोषण एवं शिक्षा-दीक्षा प्रभावित होती है नशे की हालत में ह अनेक प्रकार के भयंकर अपराध कर बैठता है चोरी मारपीट, हत्या, लूटपाट, लड़‌कियों के प्रति यौन अपराध आदि आये दिन की घटनायें हो गई हैं।

आज मानव मूल्यों का बड़ी तीव्र गति से ह्रास हो रहा है। युवा पीढ़ी में बड़ों के प्रति आदर भाव लगभग समाप्त हो रहा है। बडों के द्वारा दी गई सीख को वे बेकार की बातें समझते हैं। बुजुर्गों के साथ समय बिताने को वे समय की बर्बादी मानते हैं पाश्चात्यीकरण के दौर में शा एक फैशन हो गया है जो युवा नशे से दूर रहता है, उसके नशेड़ी साथी हेय दृष्टि से देखते हैं एवं पिछड़ा हुआ मानते हैं।

कहते हैं कि हम कुछ भी कर लें, पढ़ाई में कमजोर हो, हमारा किसी से बैर हो जाये, हमसे कुछ आर्थिक नुकसान हो जाये, सब कुछ ठीक कर सकते हैंलेकिन कभी भी नशे की लत न लगने दें क्योंकि नशे की लत लगने के बाद वापसी असम्भव तो नहीं लेकिन कठिन अवश्य है लती व्यक्ति अपने साथ अपने से सम्बन्धित सम्पूर्ण वातावरण को नष्ट कर देता है

वर्तमान समय में शहर हो या गांव, नशे की दुकानें गली गली में विद्य‌मान हैं नशीली वस्तुओं की उपलब्धता भी बहुत सरल हो गयी है परिणामस्वरूयुवा पीढ़ी नशे की चपेट में जकड़‌ती चली जा रही है और हमारा समाज मूकदर्शक होकर अपनी विनाश लीला को देख रहा है। कुछ स्वार्थी लो अपने अथोपार्जन के लिये चोरी-छिपे स्कूलों एवं कोचिंग सेंटरों के बाहर नशे का व्यापार करते हैं हमारी नई उम्र के बच्चे शौक शौक में नशे के सेवन का सफर शुरू करके लत पड़ने तक चले जाते हैं । 

अध्ययन का उद्देश्य
  1. स्नातक स्तर के शहरी छात्रों की नशे के प्रति जागरुकता ज्ञात करना।
  2. स्नातक स्तर की शहरी छात्राओं की नशे के प्रति जागरूकता ज्ञात करना।
  3. स्नातक स्तर के शहरी छात्रों एवं शहरी छात्राओं के मध्य नशे के प्रति तुलनात्मक जागरूकता ज्ञात करना।


साहित्यावलोकन

नशाखोरी के खिलाफ, एक मुहिम (2014) ‘हिन्दुस्तान' न्यूजपेपर - 3 नवम्बर

संवाददाता के अनुसार - भारतवर्ष में 20 लाख करोड़ रुपये सालाना से भी ज्यादा नशे का कारोबार है, 20 से 30 फीसदी हिस्सा एक व्यक्ति के कुल आमदनी का इसमें होता है। कॉर्पोरेट सेक्टर के आंकड़ों के मुताबिक 27 प्रतिशत युवा नशे की चपेट में है।

एम्स की एक रिपोर्ट (2015) 'इण्डिया न्यूज चैनल:-

'पंजाब' में फैलता ड्रग्स का कारोबार-  

एम्स के पुनः नेशनल ड्रग डिपेन्डेन्ट सेन्टर ने एक सर्वे के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है अभी तक यह माना जाता था कि पाकिस्तान से आयी हेरोइन की खपत पूरे देश में होती थी, लेकिन एम्स की रिपोर्ट बताती है कि हर साल 65 सौ करोड़ रु० की हेरोइन तो सिर्फ पंजाब में नौजवान इस्तेमाल कर डालते हैं रिपोर्ट में कहा गया है, हेरोइन लेने वाले 1.23 लाख से ज्यादा लोग है रिपोर्ट में कहा गया है, हेरोइन लेने वाले 14 सौ रु० रोज खर्च करते है करीब 8.6 लाख लोगों को अफीम की लत है ड्रग्स पर पंजाब रोजाना 20 करोड़ रू० खर्च करता है। सन 2015 में वी० एस० एम० ने पंजाब बार्डर पर 345 किलो हेरोइन जब्त की है, जिसकी कीमत विश्व बाजार में 17 हजार करोड़ रु० आँकी गयी है।

 संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स और अपराध कार्यालय (2016) 'हिन्दुस्तान' न्यूज पेपर-

दुनिया के कई देशों में भले ही ड्रग्स के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध हो फिर भी दुनिया भर में 24.6 करोड़ लोग अवैध तरीके से ड्रग्स का इस्तेमाल करते है उन ड्रग्स में सबसे सधिक गांजे का इस्तेमाल होता है दुनिया भर में 12.5 से 20.3 करोड लोग अवैध तरीके से गांजा फूंकते हैं।

 प्रधान तपस्विनी (2018) वरिष्ठ ओंकोलाजिस्ट, वी०एल०के० सुपर स्पेशियलटी हास्पिटल, नई दिल्ली-

 'हिंदुस्तान' न्यूज पेपर, 25 मई ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के आंकडो के अनुसार - तम्बाकू अपने ही उपभोक्ताओं के लिए जहर का काम करता है यह शरीर के अन्दर पहुंचकर रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देती है-

1.3 अरब लोग विश्व भर में धूम्रपान व तम्बाकू का सेवन करते हैं।

60 लाख लोग हर साल विश्व में तम्बाकू सेवन के कारण भरते है।

10 लाख लोग अकेले भारत में हर साल तम्बाकू सेवन के कारण मौत का शिकार होते है ।

13 तरह के कैंसर धूम्रपान व चबाने वाले तंबाकू के सेवन से हो सकते है।

 दक्षिणी अमेरिका कोलंबिया (2018) - 'हिन्दुस्तान' न्यूजपेपर -

 25 जुलाई कोलंबिया में ड्रग तस्करी का उडावेन्यास गैंग सबसे ताकतवर आपराधिक संगठन है ड्रग माफियाओं ने कोलंबिया में एंटी नारकोटिक्स पुलिस बल से जुड़े जर्मन शेफर्ड नस्ल के 'सोबरा' नाम के कुत्ते को मारने के लिए 70 हजार डॉलर (48 लाख रुपये) नाम देने की घोषणा की है क्योंकि सोंबरा ने 245 संदिग्ध ड्रग में लिप्त व्यक्तियों को गिरफ्तार कराया है।

मुख्य पाठ

नशे का वर्तमान परिप्रेक्ष्य- नशे का वर्तमान परिप्रेक्ष्य एक गम्भीर और चुनौती पूर्ण समस्या है, जो विश्व भर में फैली हुई है। यह समस्या न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था के किए भी एक बड़ी चुनौती है

1. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्व में लगभग 31% लोग नशीली दवाओं का सेवन करते हैं।

2. भारत में लगभग 10 करोड़ लोग नशीली दवाओं का सेवन करते हैं


सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता

भारत सरकार के अन्तर्गत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग नशीली दवाओं की मांग में कमी को सुनिश्चित करने हेतु नोडल विभाग है अगस्त 2020 में नशे की समस्या से निपटने हेतु इसी मंत्रालय के द्वारा भारत के सबसे संवेदनशील 272 जिलो में नशा मुक्ति भारत अभियान की शुरुआत भी की गई इसी के साथ ही भारत सरकार नशे के आदी लोगों के लिए नशा मुक्ति केन्द्र और पुनर्वास सुविधाएं भी मुहैया करा रही है। इस‌के साथ ही गृह मंत्रालय देश में मादक पदार्थों के उन्मूलन हेतु एक रणनीतिक प्रयास कर रही है।

नशे की रोकथाम हेतु सरकारी प्रयास 

यदि नशे की समस्या से निपटने के लिए किये जाने वाले सरकारी प्रयासों की बात की जाए तो सरकार इस दिशा में काफी कुछ कर रही है। विगत तीन वर्षों में सरकार ने देश के कई राज्यों में 89000 फुटबॉल मैदान के आकार के भाँग और अफीम उत्पादक क्षेत्रों को नष्ट कर दिया है सरकार का लक्ष्य 2047 तक भारत को मादक पदार्थ मुक्त" बनाना है

न्यादर्ष

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के स्नातक स्तर के महाविद्यालय से छात्र छात्राओं का साधारण यादृछिक विधि से चयन किया गया है

शहरी महाविद्यालयों के 100 छात्रों एवं 100 छात्राओं का चयन कर उन पर अध्ययन किया गया है।

प्रयुक्त उपकरण प्रस्तुत शोध पत्र नशा मुक्ति भारत अभियान प्रश्नोत्तरी का प्रयोग किया गया है। इस प्रश्नोत्तरी के कुल 20 प्रश्न है।
अंकीकरण - अंकीकरण के लिये प्रश्नों के सही उत्तर पर एक अंक एवं गलत उत्तर पर जीरो अंक प्रदान किया गया है, अधिकतम 20 अंक हैं।
विश्लेषण

 


उपर्युक्त तालिका क्रमांक (1) के अनुसार शहरी छात्रों की नशे के प्रति जागरूकता परीक्षमें मध्यमान 12.59 प्राप्त हुआ है, इनका प्रमाणिक विचलन 2.69 है। गणना के उपरान्त विश्वस्तता अन्तराल उच्च- 13.117 एवं विश्वस्तता अन्तराल निम्न 12.06 प्राप्त हुआ है
गणना के द्वारा प्राप्त मध्यमान से ज्ञात होता है कि नशे के प्रति छात्रो में उच्च स्तर की जागरूकता नहीं है

 

उपर्युक्त तालिका क्रमांक (2) के अनुसार शहरी छात्राओं की नशे के प्रति जागरूकता परीक्षण में मध्यमान 12.46 प्राप्त हुआ है। इनका प्रमाणिक विचलन 2.71 है गणना के उपरान्त विश्वस्तता अन्तराल उच्च 12.99 एवं निम्न 11.92 प्राप्त हुआ है।

गणना से प्राप्त मध्यमान से पता चलता है कि नशे के प्रति छात्रायें उच्च जागरूक नहीं है। अर्थात् जागरूकता उच्च स्तर की नहीं है                         

तालिका क्रमांक (3)

क्र.सं 

 समूह

 M

S.D

 N

 D

 -D

C.R

सार्थकता

1:-  

शहरी छात्र

12.59

2.69

100

  0.13

 .380

 .342

0.05 स्तर पर सार्थक नहीं है

2:-  

शहरी छात्राएं

12.46

2.71

100

उपर्युक्त तालिका कमांक (3) में शहरी छात्रों एवं शहरी छात्राओं के मध्य नशे के प्रति जागरूकता को दर्शाया गया है। दोनों के मध्य क्रांतिक अनुपात .342 प्राप्त हु है। जो कि स्वतंत्रता के अंश 198 एवं 0.05 विश्वास के स्तर के मान 1.96 से बहुत कम थे                                                                                                                     

अतः हमारी परिकल्पना स्नातक स्तर के शहरी छात्रों एवं शहरी छात्राओं के मध्य नशे के प्रति जागरूकता में कोई सार्थक अन्तर नहीं ही स्वीकृत होती है । 

जाँच - परिणाम
  1. शहरी छात्रों में नशे के प्रति उच्च स्तर की जागरुकता नहीं है
  2. शहरी छात्राओं की नशे के प्रति उच्च स्तर की जागरुकता नहीं है
  3. शहरी छात्रों एवं छात्राओं के मध्य नशे के प्रति कोई सार्थक अन्तर नहीं है।
निष्कर्ष

प्रस्तुत शोध से प्राप्त परिणामों के आधार पर यह आवश्यक हो गया है कि किशोरावस्था की उम्र के युवाओं पर विशेष ध्यान देते हुए उन्हे नशे के प्रति पर्याप्त जागरूक किया जाये। ताकि इस भयंकर त्रासदी से उनका बचाव किया जा सके।

समाज में व्याप्त नशे के प्रचलन को रोकने के लिये हमारी शिक्षा व्यवस्था में नशे के कारण एवं निवारण को पर्याप्त स्थान प्रदान किया जाए। विद्यालय के पाठ्‌यक्रमों में नशे की समस्याओं एवं निवारण से सम्बन्धित जानकारी को शामिल किया जाए, जिससे विद्यार्थी समझ सके कि यह एक दलदल है और इससे बचाव अति आवश्यक है 

गोष्ठियों,  नुक्कड़ नाटकचलचित्रों,  बैनरपोस्टर रैलियों के द्वारा समुदाय को जागरूक किया जाये ताकि वे अपने बच्चों को कुमार्ग पर जाने से बचा सकें।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
  1.  सिंएम०एन० (1994) नशे का फैलता जाल समाज कल्याण नई दिल्ली प्र०सं०।।
  2.  सिंह राम पाल (2005) शैक्षिक अनुसंधान एव सांख्यिकीय प्रकाशक विनोद पुस्तक मन्दिर आगरा
  3.  मिश्रा डी०सी० (1997) शिक्षा शास्त्र अनुसंधान प्रकाशन 127/34'' • जूही गौ शाला, कानपुर प्र० सं० 180-212
  4. Mudasir, M. (2012) Article-Drug addiction and youth of Kashmir school of Social work, Indira Gandhi National open University, New Delhi, International NGO Journal Vol.7(5) P.P. 84-90 December
  5.  नारकोटिक्स रिलेवेन्ट इनफॉर‌मेशन (1988) डायरेक्टेड आफ ट्रेनिगं
  6.  कस्टम एण्ड सेन्ट्रल एक्साइज नई दिल्ली
  7.  इण्टरनेट (1982) सिने स्टार संजय दत्त द्वारा ड्रग्स का प्रयोग
  8. कपिल एच० के० (1975) अनुसंधान विधियाँ एच० पी० भार्गव बुक हाउस,
  9.  पुस्तक, प्रकाशन भार्गव भवन, 4/230 कचरी घाट आगरा. पृ०सं० 37-50
  10. त्री, प्रकाश, (2014) एक व्याख्यान के माध्यम से समाज के हित में जानकारी