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मानसिक तनाव के बोझ से दबी वर्तमान पीढ़ी ISBN: 978-93-93166-02-9 For verification of this chapter, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/books.php#8 |
मानसिक तनाव के बोझ से दबी वर्तमान पीढ़ी |
डॉ0 आनंद कुमार कपिल
सह - आचार्य
मनोविज्ञान विभाग
स्वामी देवानंद पी.जी. कॉलेज
देवरिया उत्तर प्रदेश, भारत
डॉ. अटल बिहारी द्विवेदी
सह - आचार्य
मनोविज्ञान विभाग
स्वामी देवानंद पी.जी. कॉलेज
देवरिया, उत्तर प्रदेश, भारत
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DOI: Chapter ID: 16105 |
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सारांश समस्त प्राणियों में मनुष्य अपनी मानसिक क्षमता के कारण
श्रेष्ठ प्राणी है जो इन सभी प्राणियों से भिन्न है। आधुनिकता के युग में एक
खुशहाल जिन्दगी बिताते हुए भी वर्तमान पीढ़ी मानसिक तनाव के बोझ से दबी हुई है।
मानसिक तनाव हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते है। अनेक
शोधों से स्पष्ट है कि वर्तमान पीढ़ी में 70 प्रतिशत लोग मानसिक तनाव का
शिकार हो रहे है। भारतीय परिदृश्य में शोध आंकडों के अनुसार 15 से 29 वर्ष के नवयुवक की मृत्यु का कारण आत्महत्या है, जोकि मानसिक तनाव के
कारण उठाया हुई कदम है। मानसिक लोगों में मनोव्यथा उत्पन्न कर रहे है। आज हम हर
क्षेत्र में देख रहे है कि व्यक्ति का पर्यावरण मानसिक तनाव को बढ़ाने में
उत्तरदायी है। वर्तमान पीढ़ी मानसिक तनाव के कारण अपनी मूल क्षमताओं के अनुसार
कार्य नही कर पा रहे है, अपने कार्य के प्रति असंतुष्ट हो
गये है। अनेक स्थानों पर देखा जाता है कि किसी खुशी के
मौके पर भी प्रसन्न नही हो पाते है। प्रस्तुत अध्ययन देवरिया जिले के 18 से 30 वर्ष के 20-20 शिक्षित
शहरी व अशिक्षित ग्रामीण पुरूष और 20-20 शिक्षित शहरी और
अशिक्षित ग्रामीण महिलाओं को लिया गया है। इस अध्ययन के लिए देवरिया, उ0प्र0 के शहरी और ग्रामीण
नवयुवकों को प्रयोज्यों के रूप में चुना गया। और उनसे
उनके मानसिक तनाव को जानने के लिए प्रस्तुत अनुमानिम तनाव स्केल पर अपनी अनुक्रिया
देने के लिए कहा गया। उनकी अनुक्रिया प्रपत्र को लेकर एकत्रित किया गया। शिक्षित
पुरूष व महिला वर्ग अशिक्षित पुरूष व महिला वर्ग की तुलना में अधिक तनाव का स्तर
पाया गया। इस आधार पर कहा जाता है कि वर्तमान परिवेश में वर्तमान पीढ़ी के
व्यक्तियों में तनाव की समस्या अधिक है। मुख्य शब्द मानसिक तनाव, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य,
आत्महत्या, वर्तमान पीढ़ी, दैनिक जीवन की घटनाए, योग व ध्यान प्रस्तावना समस्त प्राणियों में मनुष्य अपनी मानसिक क्षमता के कारण
श्रेष्ठ प्राणी है जो इन सभी प्राणियों से भिन्न है। आधुनिकता के युग में एक
खुशहाल जिन्दगी बिताते हुए भी वर्तमान पीढ़ी मानसिक तनाव के बोझ से दबी हुई है।
मानसिक तनाव हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते है। अनेक
शोधों से स्पष्ट है कि वर्तमान पीढ़ी में 70 प्रतिशत लोग मानसिक तनाव का
शिकार हो रहे है। भारतीय परिदृश्य में शोध आंकडों के अनुसार 15 से 29 वर्ष के नवयुवक की मृत्यु का कारण आत्महत्या है, जोकि मानसिक तनाव के
कारण उठाया हुई कदम है। मानसिक लोगों में मनोव्यथा उत्पन्न कर रहे है। आज हम हर
क्षेत्र में देख रहे है कि व्यक्ति का पर्यावरण मानसिक तनाव को बढ़ाने में
उत्तरदायी है। वर्तमान पीढ़ी मानसिक तनाव के कारण अपनी मूल क्षमताओं के अनुसार
कार्य नही कर पा रहे है, अपने कार्य के प्रति असंतुष्ट हो
गये है। अनेक स्थानों पर देखा जाता है कि किसी खुशी के मौके पर भी प्रसन्न नही हो
पाते है। विषय विश्लेषण बेरोन, 1992 के अनुसार-तनाव एक ऐसी बहु-आयामी
प्रक्रिया है जो हम लोगो मे ऐसी घटनाओं के प्रति अनुक्र्रिया के रूप में उत्पन्न
होती है जो हमारे दैहिक व मनोवैज्ञानिक कार्यो को विघटित करते है या विघटित करने
के लिए धमकाता है। मानसिक तनाव के प्रकार 1- आन्तरिक तनाव यह तनाव की वह अवस्था है जिसमें लोग स्वयं को ही तनावग्रस्त
बना लेते है। अक्सर जब हम ऐसी चीजों से डर जाते है जिन पर हमारा नियन्त्रण न हो या
हम स्वयं को तनाव पैदा करने वाली परिस्थिति में डाल दे। इस प्रकार दबाव में जीने
के कारण तनावग्रस्त जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते है। 2- पर्यावरणीय तनाव यह तनाव उन चीजों के प्रतिक्रिया के रूप में पैदा होता है, जैसे वातावरण में हो रहे कोलाहल, भीड़भाड़, कार्य स्थल का प्रतिबल तथा परिवारिक दबाव के कारण व्यक्तियों को तनाव होता
है। लक्षण सिर-दर्द, बदन दर्द, सीने में
दर्द, थकान, सैक्स प्रेरक में कमी,
बालों में समयपूर्व सफेदी आना, बालों का झड़ना,
एवं निद्रा में कमी । मानसिक लक्षण चिन्ता, बेचैनी, अभिप्रेरणा
कमी, गुस्सा, विस्मृति, उदासी, अवसाद एवं आत्महत्या का विचार आना, चिड़चिड़ापन आना, मानसिक स्वास्थ्य का खराब होना। व्यावहारिक लक्षण शारीरिक व मानसिक स्थिति के प्रतिबल के कारण व्यक्ति अधिक
खाना या कम खाना शुरू कर देता है। कार्य में निष्क्रय होना, नशे व शराब का सेवन, तम्बाकू का सेवन करना और
अकेलापन आदि व्यावहारिक लक्षण प्रदर्शित होते है। मानसिक तनाव के कारण 1. दैनिक जीवन की घटनाएं - हमारे दैनिक जीवन में
कुछ ऐसी घटनाएं भी घटित हो जाती है जिससे हमारी हंसती-खेलती जिन्दगी में विराम लग
जाता है। उदाहरण के लिए - प्यार में धोखा खाना, तलाक, नौकरी
न मिलना या छूट जाना ये सब मानसिक तनाव के कारण बनते है। 2. अकेलापन - मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है वह समाज
से अलग नही रह सकता। यदि व्यक्ति अकेला है और उसका कोई दोस्त
भी नही है । ऐसी स्थिति में वह मानसिक तनाव का शिकार हो सकता है। 3. शारीरिक बीमारी -यदि किसी व्यक्ति को कोई
शारीरिक बीमारी है तो वह मानसिक तनाव में आ सकता है। जैसे - कैंसर, दिल की बीमारी या अन्य बीमारी 4. घरेलू कलह- किसी भी परिवार में बात-बात पर
झगडे़ की स्थिति बनती है। और परिवारजनों में आपसी मनमुटाव व कलह हो जाती है तो वह
मानसिक तनाव में आ जाता है। 5. कार्य की अधिकता - किसी व्यक्ति के अपने कार्य
स्थल में कार्य की अधिकता है तो ऐसे व्यक्ति भी मानसिक तनाव के शिकार हो जाते है। 6. वंशानुगत कारण - यदि किसी के माता-पिता को
मानसिक तनाव की बीमारी हो गई तो इनकी संतानों में भी तनाव देखने मिलता है। मानसिक तनाव के कारण उत्पन्न समस्याएं वर्तमान पीढ़ी में मानसिक तनाव के कारण मुख्य रूप से
निम्नांकित समस्याएं है- शारीरिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जब कोई व्यक्ति मानसिक तनाव के कारण विभिन्न समस्याओं से
घिर जाता है, जिससे उसे दिल, श्वसन,
अस्थमा, यौन दुर्बलता, बवासीर,
मधुमेह व माईग्रेन आदि बीमारियो से भी
ग्रसित हो जाता है। जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नांकित है - 1. लम्बे समय तक तनाव के रहने पर दिल की बीमारी हो
जाती है। जिसके कारण उसे उच्च रक्तचाप व निम्न रक्तचाप की समस्या बनी रहती है।
संवेगात्मक तनाव बढ़ने पर दिल का दौरा का खतरा बना रहता है। 2.तनाव के कारण व्यक्ति को धू्रमपान की आदत बन
जाती है जिसके धुएं के कारण उसके परिवार के छोटे बच्चे में अस्थमा सांस फूलने का
रोग हो जाता है। 3. तनाव के कारण हार्मोन बिगड़ने पर मोटापा बढ़
जाता है। मुख्य रूप से पेट पर चर्बी बढ़ जाती है। 4. तनाव के कारण व्यक्ति में ग्लूकोज की मात्रा
बढ़ जाती है और उसमें मधुमेह रोग हो जाता है। 5. समय पूर्व बुढ़ापा आना, जिससे बालों में सफेदी, चेहरे पर झुर्रिया आना,
शारीरिक शिथिलता आना । मानसिक स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं फोर्टिस रिसर्च इंस्टीटयूट के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के
डायरेक्टर डा0 प्रवीण गुप्ता ने बताया कि युवाओं की मेंटल
हेल्थ खराब हो रही है। इसका प्रभाव उनके मस्तिष्क पर पड़ रहा है। जीवन में मानसिक
तनाव के कारण कम अवस्था में ही दैनिक जीवन की भूलें हो रही है। 1. तनाव के कारण व्यक्ति में सिरदर्द की समस्या
बनी रहती है और माईग्रेन के भी शिकार हो जाते है। 2. अलजाईमर रोग की स्थिति में याददाश्त कमजोर हो
जाती है, जो बुजुर्गो में मिलती है लेकिन आज की
पीढ़ी के युवाओ में यह रोग लगातार तनाव के कारण हो रहा
है। 3. मानसिक तनाव के कारण अनिद्रा की स्थिति उत्पन्न
हो जाती है। सामान्य नींद 6 घन्टे के बजाय 3-4 घन्टे
से भी कम हो जाती है। 4. अवसादग्रस्तता के कारण किसी से मिलने की इच्छा उत्पन्न नही होती है। 5. संवेगात्मक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न होने से
व्यक्ति में जल्दी गुस्सा आना , घबराहट और बेचैनी हो जाती है। 6. भ्रम की स्थिति के कारण किसी व्यक्ति या घटना
का गलत प्रत्यक्षीकरण करते है। 7. एकाग्रचित्त होने में अक्षम होना। तथा
परिस्थिति के प्रति निर्णय न ले पाने की स्थिति उत्पन्न होना। तनाव को दूर करने के लिए उपाय या तनाव प्रबन्धन वर्तमान पीढ़ी को मानसिक तनाव के कारण हो रही समस्याओं का
निराकरण निम्नांकित उपायों द्वारा कर सकती हैं- शारीरिक गतिविधियां कभी भी तनाव होने पर किसी को सुप्तावस्था में नही बैठना
चाहिए बल्कि किसी शान्त स्थान पर जाकर व्यायाम करना चाहिए व टहनना चाहिए। या किसी
न किसी कार्य में अपने आप को संलिग्न कर लेना चाहिए। रेकी चिकित्सा यह मानसिक तनाव को कम करने की एक आध्यात्मिक पद्धति है, जो 1922 में मिकाओं उसुई ने विकसित की है के द्वारा
तनाव को रेकी अभ्यास द्वारा कम किया जा सकता है। योग व ध्यान योग द्वारा व्यक्ति नियमित रूप से अभ्यास करके और विभिन्न
आसनों को करके मानसिक तनावों को दूर कर सकता है। तथा ध्यान मुद्रा में बैठकर
चिन्तन कर सकता है। सन्तुलित आहार प्रत्येक व्यक्ति के आवश्यक है कि रोज सन्तुलित आहार का
सेवन करें और अनावश्यक तेल व मसालों का त्याग करें। तनावग्रस्ति व्यक्ति को ताजा
फल व हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाना देना चाहिए। इनके सेवन से एंटी-ऑक्सिडेंट शरीर
में मिलता है। स्वस्थ्य मनोरंजन प्रायः लोग टी0वी0 के
सामने बैठै रहते है। लगातार टी0वी0 से
चिपके रहने के कारण भी एक प्रकार का तनाव बन जाता है। अधिकांश महिलाओं द्वारा
सीरियल देखने से उनमें नकारात्मक विचार आने लगते है। लगातार टी0वी0 देखने बजाय दोस्तो, रिश्तेदारों
एवं सहयोगियो के साथ थोड़ा वार्तालाप करके मनोरंजन कर सकते है। इसके अलावा वह अपनी
पसन्द का संगीत सुन सकते है। सृजनात्मक कार्य तनाव को कम करने के लिए अपनी रूचि के अनुसार चित्रकारी, पेन्टिग, या कोई पुरानी घटनाओं को लिखने से उसके
दिमाग में सोचने शक्ति प्रभावित होगी । और तनाव से भी बच सकता है। सामाजिक अन्तःक्रिया जब हम दोस्तों एवं रिश्तेदारों के बीच बैठकर अपनी बातों को
शेयर करते है, और किसी समस्या के कारण हो रहा मानसिक तनाव
को बातचीत करके समाधान भी किया जा सकता है। नशे का सेवन बन्द करना अक्सर व्यक्ति मानसिक तनाव के कारण किसी न किसी नशे के लिए
तम्बाकू, ध्रूमपान या शराब का सेवन करना प्रारम्भ कर
देता है। अल्पकाल के लिए वह उस मानसिक तनाव को भूल जाता है। परन्तु बाद में पुनः
तनाव हावी होने पर वह नशे के लिए लाालयित हो जाता है। मनोवैज्ञानिक परामर्श यदि मानसिक तनाव की समस्या ने विभिन्न रोगो को जन्म दे दिया
है तो उसे शीघ्र किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए। और अपनी
समस्याओं का समाधान कराना चाहिए। तनावग्रस्त लोगों का जीवन खतरे मे आ जाता है इसलिए
आत्महत्या आदि का विचार उसकी जिन्दगी को जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए लोगों को
उनका मजाक बनाने के बजाय उनकी मदद करनी चाहिए। अध्ययन समस्या देवरिया जिले के शिक्षित शहरी व अशिक्षित ग्रामीण पुरूष व
महिलाओं के मानसिक तनाव के स्तर का मापन उद्देश्य शिक्षित शहरी व अशिक्षित ग्रामीण पुरूषों का मानसिक तनाव का मापन शिक्षित शहरी व अशिक्षित ग्रामीण महिलओं का मानसिक तनाव का
मापन उपकल्पना शिक्षित शहरी व अशिक्षित ग्रामीण पुरूषों के मानसिक तनाव
में सार्थक अन्तर पाया जाता है। शिक्षित शहरी व अशिक्षित ग्रामीण महिलाओं के मानसिक तनाव
में सार्थक अन्तर पाया जाता है। अभिकल्प प्रस्तुत अध्ययन देवरिया जिले के 18 से 30 वर्ष के 20-20 शिक्षित
शहरी व अशिक्षित ग्रामीण पुरूष और 20-20 शिक्षित शहरी और
अशिक्षित ग्रामीण महिलाओं को लिया गया है। उपकरण आनुमानित तनाव स्केल (PSS) आनुमानित तनाव स्केल का प्रतिपादन शेल्डन कोहेन , 1983 एवं उनके साथियों ने किया । इसमें मूल रूप में 14 पद
या कथन शामिल है । जो एक महीने की अवधि के दौरान तनाव के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं
की उस व्यक्ति की व्यक्तिपरक व्याख्या के आधार पर तनाव के स्तर का आंकलन करते थे। वर्तमान मे PSS सामान्यतः मात्र 10 पदों के रूप में निम्नलिखित तनाव सम्बन्धी प्रश्नों के साथ लागू किया जाता
है जो पिछले महीने के दौरान व्यक्ति की भावनाओं और विचारों पर केन्द्रित है- 1-पिछले महीने में , आप
कितनी बार किसी अनपेक्षित घटना के कारण परेशान हुए थे। 2-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार अनुभव किया कि आप अपने जीवन में महत्वपूर्ण चीजों को नियन्त्रित करने
में असमर्थ थे। 3-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार घबराहत और तनाव महसूस किया है। 4-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को संभालने की अपनी क्षमता के बारे में आश्वस्त
महसूस किया है। 5-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार महसूस किया है कि चीजें आपके हिसाब से चल रही थी। 6-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार पाया है कि आप उन सभी चीजों का सामना नही कर सकते है जो आपको करनी थी। 7-पिछले महीने में, आप
अपने जीवन में कितनी बार चिड़चिड़ेपन को नियन्त्रित करने में सक्षम हुए है। 8-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार महसूस किया कि आप शीर्ष पर है । 9-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार उन चीजों के कारण क्रोधित हुए जो आपके नियन्त्रण से बाहर थी । 10-पिछले महीने में, आपने
कितनी बार महसूस किया है कि कठिनाइयां इतनी बढ़ रही थी कि आप उन्हें दूर नही कर
सके। इनकी अनुक्रिया पद 1,2,3,6,9 और 10 के लिए निम्नांकित विकल्प है- कभी नही 0 लगभग कभी नही 1 कभी कभी 2 बहुत बार 3 बार -बार 4 अनुक्रिया पद 4,5,7 और 8 के लिए विकल्प है- कभी नही 4 लगभग कभी नही 3 कभी कभी 2 बहुत बार 1 बार -बार 0 अनुमानित तनाव मापन प्राप्तांक 10 अनुक्रियाओं को जोड़कर प्राप्त किया जायेगा । और यह 0 से 40 तक होता है । 0 से 13 कम तनाव 14-26 मध्यम तनाव 27-40 उच्च कथित तनाव यह ऐसा उपकरण है जिसे प्रशासित करना आसान है इसकी रेटिंग
त्वरित है। मूल रूप में 1983 शेल्डन एवं साथियों द्वारा विकसित किया
गया था। इसका आंकलन एक लोकप्रिय विकल्प बना हुआ है कैसे जीवन की स्थिति और भावनाएं
कथित तनाव के विभिन्न स्तरों को लक्षित करती है। यह एक जूनियर हाई स्कूल शिक्षा के
साथ सामुदायिक नमूनों मे उपयोग के लिए डिजाइन किया गया था और इसके पद यह आकलन करते
है कि अप्रत्याशित, अनियन्त्रित और अति भारित उत्तरदाता अपने
जीवन को कैसे पाते है। स्केल में अनुभवी तनाव के वर्तमान स्तरों के बारे में कई
प्रत्यक्ष प्रश्न भी शामिल है। चूंकि पद सामान्य प्रकृति के है, कुछ उपजनंसंख्या समूहों तक सीमित नही है और व्यापक रूप से उपयोग किए जा
सकते है। विश्वसनीयता स्तर 0.85 और 0.82 है। निष्कर्ष प्रक्रिया इस अध्ययन के लिए देवरिया, उ0प्र0
के शहरी और ग्रामीण नवयुवकों को प्रयोज्यों के रूप में चुना गया। और
उनसे उनके मानसिक तनाव को जानने के लिए प्रस्तुत अनुमानिम तनाव स्केल पर अपनी
अनुक्रिया देने के लिए कहा गया। उनकी अनुक्रिया प्रपत्र को लेकर एकत्रित किया गया। प्रदत्त विश्लेषण प्रयोज्यों द्वारा दी अनुक्रियाओं की गणना की गई। फिर उनका मध्यमान, मानक त्रुटि तथा टी-मूल्य ज्ञात किया गया। परिणाम दोनों परिणाम तालिका में शिक्षित पुरूष व महिला वर्ग
अशिक्षित पुरूष व महिला वर्ग की तुलना में अधिक तनाव का स्तर पाया गया। इस आधार पर
कहा जाता है कि वर्तमान परिवेश में वर्तमान पीढ़ी के व्यक्तियों में तनाव की
समस्या अधिक है। सन्दर्भ 1.
S.Cohen, T.Kamarck, R.Mermelstein, A Global Measure of Perceived Stress. J
Health Soc.Behav, 1983,24(4),385-96 |