शैक्षिक उन्नयन में यूजीसी, विश्वविद्यालय या महाविद्यालयों का योगदान
ISBN: 978-93-93166-32-6
For verification of this chapter, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/books.php#8

शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास, क्षेत्रान्तर्गत जिलों के डी और ई ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं का अध्ययन

 डॉ. रोशनी भारिल्य
व्याख्याता
शिक्षा
शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय
उज्जैन  मध्य प्रदेश, भारत  

DOI:
Chapter ID: 16257
This is an open-access book section/chapter distributed under the terms of the Creative Commons Attribution 4.0 International, which permits unrestricted use, distribution, and reproduction in any medium, provided the original author and source are credited.

सारांश

सर्वशिक्षा अभियान एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के द्वारा छात्रों के नामांकन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। परंतु हमारे सामने परिमाणात्मक वृद्धि के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना एक प्रमुख चुनौति है। सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले उसके लिए अति आवश्यक है कि विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं विद्यालयों की समस्याओं का अध्ययन तथा उनका निदान किया जाये।

इसी दिशा में प्रयास हेतु शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्र अंतर्गत आने वाले पांचों जिलों के कुल 19 विकासखंडों से कुल 34 माध्यमिक विद्यालयों के 34 प्रधानाध्यापकों 68 शिक्षकों 340 विद्यार्थियों हुआ 340 अभिभावकों को न्यादर्श में सम्मिलित कर यह शोध अध्ययन किया गया है तथा शोधार्थी द्वारा निर्मित उपकरणों के माध्यम से प्रदत्त संकलन कर उनके विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष एवं सुझाव दिये गए हैं।इन सुझावों को शैक्षिक योजनाओं में शामिल करने से निश्चित रूप से डी एवं ई ग्रेड के माध्यमिक विद्यालयों की संख्या में कमी आएगी तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में यह शोध सार्थक साबित होगा।

प्रसंग

जब हमें किसी वस्तु की गुणवत्ता का आंकलन करना हो तो हमें उसका मूल्यांकन करना पड़ता है और जब हम शिक्षा में मूल्यांकन की बात करते हैं तो इसके अंतर्गत सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया का मूल्यांकन निहित है जिसका उद्देश्य शिक्षा में गुणवत्ता लाना है।

इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सत्र 2011-12 में अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के स्थान पर प्रतिभापर्व नामक एक मूल्यांकन कार्यक्रम प्रारंभ किया है जो राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा प्रदेश के सभी सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संचालित किया जा रहा है। इसमें विद्यार्थियों के शैक्षणिक पक्षों जैसे- पाठ्यक्रम पूर्णता, उपलब्धि स्तर एवं विद्यालयीन गतिविधियों जैसे-विद्यार्थियों की उपस्थिति, स्कूली दस्तावेजों का मेन्टीनेंस और स्कूल के उपलब्ध एवं प्रयुक्त भौतिक संसाधनों इत्यादि के मूल्यांकन के आधार पर विद्यालयों की ग्रेडिंग कर उन्हें निम्न मापदण्डों के आधार पर से तक ग्रेड प्रदान किये जाते हैं।

ग्रेड - यदि विद्यालय के 75% से 100% विद्यार्थियों ने मूल्यांकन हेतु निर्धारित दक्षताओं में ग्रेड प्राप्त किया हो।

बीग्रेड - यदि विद्यालय के 60% से 74.9% तक विद्यार्थियों ने मूल्यांकन हेतु निर्धारित दक्षताओं में बीग्रेड प्राप्त किया हो।

सीग्रेड - यदि विद्यालय के 45% से 59.9% तक विद्यार्थियों ने मूल्यांकन हेतु निर्धारित दक्षताओं में सीग्रेड प्राप्त किया हो।

डीग्रेड - यदि विद्यालय के 33% से 44.9% तक विद्यार्थियों ने मूल्यांकन हेतु निर्धारित दक्षताओं में डीग्रेड प्राप्त किया हो।

ग्रेड - यदि विद्यालय के 0% से 33% तक विद्यार्थियों ने मूल्यांकन हेतु निर्धारित दक्षताओं में ग्रेड प्राप्त किया हो।

इस समग्र मूल्यांकन में विद्यालयों की ग्रेडिंग किये जाने के पीछे सरकार की मंशा अपेक्षित से कम परिणाम देने वाली शालाओं के शैक्षिक विकास की एक निश्चित योजना बनाकर उनका उन्नयन करना है।

अतः राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा शिक्षा महाविद्यालय देवास को क्षेत्रांतर्गत पाँचों जिलों- देवास, इंदौर, धार, झाबुआ और अलीराजपुर की डीऔर ग्रेड शालाओं को चिन्हांकित कर, उनकी समस्याओं का अध्ययन कर उन्हें हल करने हेतु सुझाव प्रस्तुत करने के लिए सत्र 2019-20 में इस शोध अध्ययन को एक वर्ष के अंदर पूर्ण कर शोध प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का दायित्व सौंपा गया था।

शोध की आवश्यकता

वर्तमान में सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु विभिन्न कार्यक्रम जैसे- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन, दक्षता संर्वधन, शाला सिद्धी, शैक्षिक संवाद इत्यादि संचालित किये जा रहे हैं इसके बावजूद भी कुछ माध्यमिक विद्यालय अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रहे हैं।

अतः यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यह पता लगाया जाये कि वे कौन सी समस्याएँ हैं जिससे ऐसे विद्यालय अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रहे हैं और इन समस्याओं का इन विद्यालयों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों के उपलब्धि स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है

इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र, भोपाल (म.प्र.) ने शासकीय शिक्षा महाविद्यालय देवास को यह मध्यावधि शोध आवंटित किया गया था।

शोध का महत्व

1. प्रस्तुत शोध से प्राप्त परिणामों/निष्कर्षों के आधार पर डी. एवं ई. ग्रेड विद्यार्थियों की समस्याओं के निराकरण हेतु सुझाव प्रस्तुत किये जा सकेंगे।

2. प्रस्तुत शोध अध्ययन से प्राप्त परिणामों के आधार पर डी. एवं ई. ग्रेड विद्यालयों के उन्नयन हेतु आगामी योजनायें बनाई जा सकेंगी।

3. डी. एवं ई. ग्रेड विद्यालयों के स्तर में सुधार से इनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना आसान होगा।

4. इन शालाओं में अध्ययनरत् विद्यार्थियों का उपलब्धि स्तर बढ़ने से उनके आत्म विश्वास में वृद्धि होगी।

अध्ययन के उद्देश्य

1. शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के डी. और ई. ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों तथा उनमें दर्ज विद्यार्थियों का चिन्हांकन करना।

2. शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के डी. और ई. ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं का अध्ययन करना।

3. शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के डी. और ई. ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं हेतु सुझाव प्रस्तुत करना।

परिकल्पना/शोध प्रश्न

1. शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के कितने माध्यमिक विद्यालय डी. और ई. ग्रेड में हैं तथा उन विद्यालयों में दर्ज विद्यार्थी संख्या कितनी है

2. शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के माध्यमिक विद्यालयों में कौन-कौन सी समस्यायें पाई जाती हैं

3. शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं के संभावित समाधान हेतु क्या सुझाव प्राप्त हो सकते हैं

शोध क्षेत्र का परिसीमन

1. प्रस्तुत शोध अध्ययन शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत आने वाले जिलों- देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ व अलीराजपुर के डी. एवं ई. ग्रेड माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों तक ही सीमित है।

2.  प्रस्तुत शोध अध्ययन केवल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित डी. और ई. ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों तक ही सीमित है।

3. प्रस्तुत शोध अध्ययन चयनित जिलों के प्रत्येक विकासखण्ड की केवल दो-दो शालाओं तक ही सीमित है।

4. प्रस्तुत शोध अध्ययन प्रतिभा पर्व 2019-20 में डी. और ई. ग्रेड में आने वाले विभिन्न माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों तक ही सीमित किया गया है।

शोध प्रविधि

शोध विधि - शोध अध्ययन के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत शोध में वर्णनात्मक सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है क्योंकि यह विधि समस्या की वर्तमान स्थिति के अध्ययन से संबंधित है।

प्रयुक्त उपकरण

प्रस्तुत शोध कार्य हेतु शोधार्थी द्वारा स्वयं उपकरणों का निर्माण किया गया है। प्रयुक्त उपकरणों का विवरण निम्नानुसार है-

प्रधान अध्यापक प्रश्नावली - इस प्रश्नावली में 14 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों के माध्यम से चयनित प्रधान अध्यापकों से प्रशासनिक, अकादमिक, विद्यालय प्रबंधन संबंधी, आधारभूत संरचनाओं संबंधी, नवाचार संबंधी समस्याओं की जानकारी प्राप्त की गई है। इसमें प्रत्येक प्रश्न के उत्तर देने हेतु 5 विकल्प है। किसी एक विकल्प को चुनकर प्रधान अध्यापकों को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना है।

शिक्षक प्रश्नावली - इस प्रश्नावली में 17 प्रश्न है। इन प्रश्नों के माध्यम से शिक्षकों की प्रशासन संबंधी, प्रबंधन संबंधी, विद्यार्थियों से संबंधित, अभिभावकों से संबंधित तथा शिक्षण प्रविधि, मूल्यांकन प्रणाली, विद्यालय वातावरण से संबंधित समस्याओं की जानकारी प्राप्त की गई है एवं समस्याओं के समाधान हेतु कुछ सुझाव भी प्राप्त किये गये है। यह प्रश्नावली खुली प्रश्नावली है अतः शिक्षकों को अपने विचार व्यक्त करने की पर्याप्त स्वतंत्रता दी गई है।

छात्र प्रश्नावली - इस प्रश्नावली में 15 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थी की विद्यालय संबंधी, शिक्षण अधिगम संबंधी, पारिवारिक, आर्थिक, स्वास्थ्य संबंधी, विषय संबंधी, शिक्षण प्रविधि संबंधी, विद्यालयी क्रियाकलाप संबंधी, शिक्षकों एवं सहपाठियों के व्यवहार संबंधी समस्याओं की जानकारी प्राप्त की गई है। इसमें प्रत्येक प्रश्न (प्रश्न क्र. 2 को छोड़कर) का उत्तर देने के लिए 3 विकल्प दिये गए है अतः किसी एक विकल्प को चुनकर विद्यार्थियों को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी है।

अभिभावक प्रश्नावली - इस प्रश्नावली में 16 प्रश्न हैं। इन प्रश्नों के माध्यम से अभिभावकों से उनके बालक-बालिकाओं की शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण व जागरूकता, रूढ़िवादी विचारधारा, पारिवारिक समस्याओं आर्थिक समस्याओं, पलायन संबंधी समस्याओं, शासन द्वारा प्रदत्त योजनाओं से लाभ मिलने, अपने बच्चे को नियमित विद्यालय भेजने व शैक्षिक गतिविधियों में सहयोग करने संबंधी जानकारियाँ प्राप्त की गई है। इसमें अभिभावकों के लिए पूछे गये प्रत्येक प्रश्न का उत्तर हो अथवा नहीं में देकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी है।

प्रतिभापर्व परिणाम सूची - प्रतिभापर्व 2018-19 की परिणाम सूची संबंधित जिलों के जिला शिक्षा केन्द्रों से प्राप्त की गई तथा उक्त सूचियों के आधार पर समस्त जिलों के डी एवं ई ग्रेड वाले माध्यमिक विद्यालय चिन्हित किये गये।

न्यादर्श

प्रस्तुत शोध अध्ययन हेतु शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत आने वाले प्रत्येक जिले देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ व अलीराजपुर के प्रत्येक विकासखण्ड से प्रधानाध्यापक, शिक्षक, विद्यार्थी तथा अभिभावकों की जनसंख्या में से न्यादर्श का चयन किया गया है। न्यादर्श इकाई के रूप में प्रति विद्यालय 1 प्रधान अध्यापक, 2 शिक्षकों, 10 विद्यार्थियों व 10 अभिभावकों का चयन किया गया है।

न्यादर्श चयन का आधार प्रतिभा पर्व वर्ष (2019-20) से प्राप्त परिणाम है।

प्रत्येक विकासखण्ड से यादृच्छिक विधि द्वारा 2 विद्यालयों का चयन किया गया है परन्तु जिन विकासखण्डों में केवल एक ही विद्यालय डी. और ई. ग्रेड में आया है उन विकासखण्डों से केवल 1 विद्यालय को ही न्यादर्श में सम्मिलित किया गया है। न्यादर्श में सम्मिलित विद्यालयों से साधारण यादृच्छिक विधि द्वारा ही समस्त पाँचों जिलों के कुल 19 विकासखण्डों से कुल 34 माध्यमिक विद्यालयों, 34 प्रधान अध्यापकों, 68 शिक्षकों, 340 विद्यार्थियों व 340 अभिभावकों का चयन किया गया है।

समस्त प्रश्नावली भरवाने के अलावा चयनित शिक्षकों के कक्षा शिक्षण के दौरान शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का अवलोकन शोधार्थी द्वारा किया गया और पांचों जिलों के अच्छे परिणाम देने वाले शिक्षकों से साक्षात्कार के माध्यम से शोधार्थी द्वारा कुछ सुझाव प्राप्त किए गए।

प्रदत्त संकलन प्रक्रिया

प्रस्तुत शोध कार्य में प्रदत्त संकलन हेतु सर्वे शोधार्थी ने चयनित माध्यमिक विद्यालयों में स्वयं जाकर उन विद्यालयों के प्रधान अध्यापकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से संपर्क स्थापित किया। शोधार्थी ने सर्वप्रथम शोध के उद्देश्यों एवं उपकरणों के बारे में बताया। प्रयोज्यों के लिए पर्याप्त निर्देश दिए गए एवं सभी संशयों को दूर किया गया। तत्पश्चात उपकरण प्रशासित किए गए।

प्रयुक्त सांख्यिकी

प्रस्तुत शोध कार्य में शोध उपकरणों द्वारा एकत्रित प्रदत्तों के विश्लेषण हेतु प्रतिशत विधि का प्रयोग किया गया है।

प्रदत्तों का ग्राफीय निरुपण, विश्लेषण एवं व्याख्या उद्देश्यवार

उद्देश्य क्र.1 -  शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के डी. और ई. ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों तथा उनमें दर्ज विद्यार्थियों का चिन्हांकन करना।

ग्राफ क्र.1

जिलेवार समस्त जिलों के डी. और ई. ग्रेड विद्यालयों की संख्या







ग्राफ क्र.2

जिलेवार समस्त जिलों के डी.और ई.ग्रेड विद्यालयों में नामांकित विद्यार्थियों की संख्या


ग्राफ क्र.1 एवं ग्राफ क्र.2 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत आने वाले समस्त जिलों- देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ एवं अलीराजपुर के चयनित विकासखण्डों से डी. ग्रेड वाले कुल 67 माध्यमिक विद्यालय, कुल दर्ज संख्या 4654 तथा ई. ग्रेड वाले कुल 19 माध्यमिक विद्यालय, दर्ज संख्या 463 प्राप्त हुए।

इस प्रकार शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तर्गत आने वाले समस्त पाँच जिलों के चयनित विकासखण्डों से प्रस्तुत शोध अध्ययन के परिणामस्वरूप डी. एवं ई. ग्रेड में आने वाले कुल 86 माध्यमिक विद्यालय तथा कुल 5117 विद्यार्थी चिन्हांकित किए गए।

उद्देश्य क्र.2 -  शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के डी. और ई. ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं का अध्ययन।

(।) प्रधानाध्यापक प्रश्नावली विश्लेषण

चयनित प्रधान अध्यापक प्रश्नावली के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर ग्राफीय निरुपण एवं विश्लेषण निम्नानुसार है-

प्र. आपके विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति की स्थिति क्या है

ग्राफ क्र.3

जिलेवार चयनित प्रधान अध्यापकों का विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति के बारे में अभिमत



ग्राफ क्र.3 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत आने वाले समस्त जिलों- देवास, इंदौर, धार, झाबुआ एवं अलीराजपुर से 60% प्रधान अध्यापकों के अनुसार उनके विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति औसत रहती है जबकि मात्र 8% प्रधान अध्यापकों ने ही अपने यहाँ विद्यार्थियों की उपस्थिति अधिक होना बताया है। अतः विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति अपेक्षित प्राप्त न होना निश्चित रूप से एक समस्या की ओर इंगित करती है। अतः प्रस्तुत शोध अध्ययन के परिणामस्वरूप डी. और ई. ग्रेड शालाओं में विद्यार्थियों की अनियमित उपस्थिति की समस्या पाई गई।

प्र. आपके विद्यालय में शैक्षणिक स्टॉफ की स्थिति क्या है





ग्राफ क्र.4

जिलेवार चयनित प्रधान अध्यापकों का उपलब्ध शैक्षणिक स्टॉफ के बारे में अभिमत



ग्राफ क्र.4 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत आने वाले समस्त जिलों- देवास, इंदौर, धार, झाबुआ एवं अलीराजपुर से चयनित 34 प्रधान अध्यापकों में से केवल 3% प्रधान अध्यापकों ने ही बहुत अधिक एवं अधिक शैक्षणिक स्टॉफ का होना बताया है। स्पष्ट है कि चयनित डी. एवं ई. ग्रेड के माध्यमिक विद्यालयों में पर्याप्त शैक्षणिक स्टॉफ की बहुत अधिक कमी है। किसी भी विद्यालय में शैक्षणिक स्टॉफ की कमी निश्चित ही उस विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है जिसका सीधा असर उस विद्यालय के विद्यार्थियों के उपलब्धि स्तर में कमी के रूप में देखा जा सकता है। अतः चयनित डी. और ई. ग्रेड माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की कमी एक गंभीर समस्या है जिसे प्रस्तुत शोध अध्ययन परिणामस्वरूप पाया गया।

प्र. कार्यरत शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न रहते है

ग्राफ क्र.5

जिलेवार चयनित प्रधान अध्यापकों का कार्यरत शिक्षकों के गैर शैक्षणिक कार्यों में लगे होने के बारे में अभिमत



ग्राफ क्र.5 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तार्गत आने वाले समस्त जिलों- देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ एवं अलीराजपुर से चयनित 34 प्रधानाध्यापकों में से 55% प्रधान अध्यापकों ने बताया है कि उनके विद्यालय में कार्यरत शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों जैसे- बी.एल.ओ., जनगणना, सर्वे एवं अन्य कार्यों में संलग्नता से शिक्षण कार्य नियमित रूप से नहीं हो पाता है जिससे विद्यार्थियों का उपलब्धि स्तर निम्न होता चला जाता है और वे डी. एवं ई. ग्रेड में ही आते हैं। अतः चयनित डी. एवं ई. ग्रेड माध्यमिक विद्यालयों में प्रस्तुत शोध अध्ययन के फलस्वरूप यह समस्या भी पाई गई।

प्र. विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर के सुधार में शाला प्रबंधन समिति की भूमिका है

ग्राफ क्र.8

जिलेवार चयनित प्रधान अध्यापकों का शाला प्रबंधन समिति की भूमिका के बारे में अभिमत


ग्राफ क्र.8 से स्पष्ट है कि केवल इन्दौर एवं देवास जिले के अधिकतर प्रधानाध्यापकों द्वारा शैक्षणिक स्तर के सुधार में शाला प्रबंधन समिति की भूमिका संतोषजनक बताई है जबकि झाबुआ एवं अलीराजपुर जिलों में एस.एम.सी. की भूमिका संतोषजनक नहीं पाई गई है। अतः प्रस्तुत शोध अध्ययन के परिणामस्वरूप डी. एवं ई. ग्रेड विद्यालयों में यह समस्या भी पाई गई।

(ठ) छात्र प्रश्नावली विश्लेषण छात्र प्रश्नावली के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर ग्राफीय निरुपण एवं विश्लेषण निम्नानुसार है-

प्र. क्या आप विद्यालय जाते हैं

ग्राफ क्र.11

जिलेवार चयनित विद्यार्थियों का विद्यालय में नियमित उपस्थिति के संबंध में कथन/विचार


ग्राफ क्र.11 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तार्गत आने वाले समस्त जिलों- देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ एवं अलीराजपुर से चयनित 340 विद्यार्थियों में से केवल 40% विद्यार्थी ही नियमित विद्यालय जाते हैं। स्पष्ट है कि नियमित विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों का 40% बहुत कम है जबकि यदि विद्यार्थी नियमित रूप से विद्यालय में उपस्थित होते हैं तो वह शिक्षकों के प्रयासों एवं सहपाठियों की मदद से घर पर पढ़ने के लिए समय न मिलने के वाबजूद भी औसत शैक्षणिक उपलब्धि (सी ग्रेड) आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। अतः विद्यार्थियों की अनियमित उपस्थिति की समस्या की पुष्टि होती है।

प्र. क्या आपके अभिभावक पढ़ाई में सहयोग करते हैं

ग्राफ क्र.12

जिलेवार चयनित विद्यार्थियों का अभिभावक द्वारा पढ़ाई में सहयोग के संबंध में कथन/विचार


ग्राफ क्र.12 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तार्गत आने वाले समस्त पाँचों जिलों से चयनित 340 विद्यार्थियों में से केवल 29% विद्यार्थी द्वारा ही उनके अध्ययन में पालकों की सहायता सदैव प्राप्त होना बताया गया है। जब बच्चों से चर्चा के दौरान उनके अभिभावकों के पढ़ाई में सहयोग न दे पाने का कारण पूछा गया तब अधिकांश विद्यार्थियों ने बताया कि उनके अभिभावक अशिक्षित हैं तथा घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण माता-पिता दोनों ही सुबह से ही काम पर निकल जाते हैं और हमारे लिए समय नहीं निकाल पाते। अतः प्रस्तुत अध्ययन के परिणामस्वरूप इस समस्या को भी चिन्हांकित किया गया है।

(ब्) अभिभावक प्रश्नावली विश्लेषण

चयनित अभिभावकों के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर ग्राफीय निरुपण एवं विश्लेषण निम्नानुसार है-                            

ग्राफ क्र.14

जिलेवार चयनित अभिभावकों द्वारा अपने बच्चे की स्कूली गतिविधियों के प्रति जागरूकता के बारे में प्रतिक्रिया



ग्राफ क्र.14 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तार्गत आने वाले समस्त पाँचों जिलों- देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर से चयनित 340 अभिभावकों में से 74% अभिभावक अपने बच्चे की दिनभर की स्कूली गतिविधियों की जानकारी नहीं ले पाते हैं। अभिभावकों से चर्चा के दौरान यह तथ्य सामने आया कि माता और पिता दोनों ही अर्थोपार्जन हेतु मजदूरी एवं कृषि कार्यों में लगे रहते हैं तथा कुछ अभिभावक अशिक्षा के कारण बच्चों की दिन भर की गतिविधियों की जानकारी लेने में रूचि नहीं ले पाते हैं। पुनः माता-पिता की शिक्षा के प्रति उदासीनता की समस्या की पुष्टि होती है।

प्र. आर्थिक उपार्जन में आपको मदद करने हेतु बच्चे भी काम पर जाते हैं

ग्राफ क्र.15

जिलेवार चयनित अभिभावकों की बच्चों की आर्थिक उपार्जन में उनकी मदद करने के बारे में प्रतिक्रिया



ग्राफ क्र.15 से स्पष्ट है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तार्गत आने वाले समस्त जिलों से चयनित 340 अभिभावकों में से 67% अभिभावक ने स्वीकार किया है कि वे आर्थिक उपार्जन में अपनी मदद के लिए अपने बच्चों को भी काम पर ले जाते हैं। अतः बच्चों के आर्थिक उपार्जन में लगे होने के कारण विद्यालय न जाने की समस्या की पुष्टि होती है।

(क्) शिक्षक प्रश्नावली विश्लेषण

शिक्षक प्रश्नावली के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर सारणीयन, ग्राफीय निरुपण एवं विश्लेषण निम्नानुसार है-

प्र. आपके दृष्टिकोण में विद्यार्थियों की शाला में कम उपस्थिति के क्या कारण हो सकते हैं

ग्राफ क्र.16

चयनित शिक्षकों के विद्यार्थियों की कम उपस्थिति के कारणों पर मत/राय


उक्त प्रश्न हेतु प्राप्त प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तार्गत आने वाले समस्त पाँचों जिलों- देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ एवं अलीराजपुर से चयनित 60 शिक्षकों में से 60% शिक्षकों के अनुसार पालकों की उदासीनता 55% शिक्षकों के अनुसार कमजोर आर्थिक स्थिति, 50% शिक्षकों के अनुसार घरेलू कार्यों में व्यस्तता, 50 शिक्षकों के अनुसार छोटे भाई-बहिनों को सम्भालना, 40 शिक्षकों के अनुसार पालकों की अशिक्षा, 40 शिक्षकों के अनुसार शिक्षा के प्रति छात्रों में अरुचि, 30% शिक्षकों के अनुसार पलायन, 20% शिक्षकों के अनुसार शिक्षकों के प्रति जागरुकता का अभाव, इत्यादि प्रमुख कारण बताये गए जबकि 10% शिक्षकों के अनुसार विद्यालय से दूरी, 15 शिक्षकों के अनुसार जानवरों को चराने जाना, 10% शिक्षकों के अनुसरा सह शिक्षा, 15% शिक्षकों के अनुसार जल्दी विवाह हो जाना गौण कारण बताये गए।

प्र. सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के अंतर्गत विद्यार्थियों का मूल्यांकन कैसे किया जाता है उल्लेख करें।

समान प्रकार की विषमताओं के बावजूद भी ए. ग्रेड में आने वाले विद्यार्थियों के शिक्षकों के सुझाव जानने के उद्देश्य से शोधार्थी द्वारा कुछ ए. ग्रेड विद्यालयों में जाकर वहां के शिक्षकों से साक्षात्कार के माध्यम से कुछ सुझाव प्राप्त किए जिनका विवरण निम्नानुसार हैं-




मुख्य सम्प्राप्तियाँ एवं निष्कर्ष

शोध अध्ययन के परिणामस्वरूप शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रान्तर्गत आने वाले समस्त जिलों देवास, इन्दौर, धार, झाबुआ एवं अलीराजपुर के चयनित विकासखण्डों से कुल 86 डी. और ई. ग्रेड वाले माध्यमिक विद्यालय दर्ज संख्या 5117 चिन्हांकित किए गए। इनमें से 67 डी. ग्रेड वाले माध्यमिक विद्यालय, दर्ज संख्या 4654 तथा 19 ई. ग्रेड माध्यमिक विद्यालय दर्ज संख्या 463 चिन्हांकित किए गए।

प्रस्तुत शोध अध्ययन में प्राप्त आंकड़ों पर विचार करने के उपरांत ये सभी समस्याएँ सम्मिलित रूप से निम्न तीन प्रमुख समस्याओं के अंतर्गत चयनित विद्यालयों में पाई गईं जिनके कारण चयनित विद्यालय डी. एवं ई. ग्रेड में आये-

1. विद्यार्थियों का नियमित विद्यालय न आना

1. 30% प्रधान अध्यापकों के अनुसार उनके विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति बहुत कम रहती है तथा केवल 2. 3% प्रधान अध्यापकों से ही अपने विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति बहुत अधिक बतायी।

3. 88% शिक्षकों के अनुसार उनकी कक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति कम पाई जाती है।

4. 50% विद्यार्थी कभी-कभी ही विद्यालय जाते हैं जबकि 10% विद्यार्थी केवल विशेष अवसर पर ही विद्यालय जाते हैं।

5. 60% अभिभावकों ने स्वीकार किया कि वे अपने बच्चे को नियमित विद्यालय नहीं भेजते हैं।

2. विद्यार्थियों की पढ़ाई में अरुचि होना एवं विषय संबंधी कठिनाईयाँ अनुभव करना।

1. 40% शिक्षकों के अनुसार विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति अरुचि है अतः वे नियमित विद्यालय नहीं आते हैं।

2. 8% छात्रों ने स्वीकार किया कि विद्यालय में मन नहीं लगने के कारण वे नियमित विद्यालय नहीं आते हैं।

3. 30% अभिभावकों ने बताया कि वे अपने बच्चे की विद्यालयीन शिक्षा से संतुष्ट नहीं है क्योंकि उनकी विद्यालयीन शिक्षा में अरुचि है।

4. 30% प्रधान अध्यापकों के अनुसार शिक्षकों द्वारा प्रयुक्त शिक्षण विधियों से विद्यार्थियों में अपेक्षित सुधार की स्थिति अंसतोषजनक है तथा 6%प्रधानाध्यापकों के द्वारा अति असंतोषजनक बताई गई और किसी भी प्रधान अध्यापक द्वारा नवीन शिक्षण विधियों के प्रयोग से विद्यार्थियों में अपेक्षित सुधार की स्थिति अतिसंतोषजनक नहीं बताई गई।

5. 45% विद्यार्थियों के अनुसार उनके शिक्षक विषय से संबंधित कठिनाईयों को कभी-कभी ही दूर कर पाते हैं तथा 5% विद्यार्थियों के अनुसार कभी नहीं कर पाते हैं।

3. विद्यार्थियों को घर में विद्यालय में शिक्षकों का प्रतिदिन शैक्षणिक कार्य न कर पाना।

1. 55% प्रधान अध्यापकों के अनुसार उनके विद्यालय में कार्यरत शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों में सामान्यतया संलग्न रहते हैं तथा 12% प्रधान अध्यापकों के अनुसार कार्यरत शिक्षक बहुत अधिक संलग्न रहते हैं।

2. 100%शिक्षकों ने अर्थात् समस्त चयनित शिक्षकों ने बताया कि वे गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न रहते हैं।

प्रस्तुत शोध अध्ययन के प्रमुख समस्यायें और प्रस्तावित समाधान/सुझाव

उद्देश्य क्र.3-  शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय देवास के क्षेत्रांतर्गत जिलों के डी. और ई. ग्रेड में आने वाले माध्यमिक विद्यालयों की समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव प्रस्तुत करना के अनुसार प्रमुख प्रस्तावित समाधान जो प्रधान अध्यापक शिक्षकों तथा अभिभावकों से चर्चा प्राप्त किये गए निम्नानुसार हैं-

1. विद्यार्थियों की अनियमित उपस्थिति

प्रस्तावित समाधान -

1. शिक्षकों को पालकों से सतत् संपर्क स्थापित करते रहना चाहिए और उन्हें शिक्षा के दीर्घकालीन लाभों से अवगत कराना चाहिए।

2. शाला प्रबंधन समिति एवं स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों द्वारा अभिभावकों को अपने बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने हेतु प्रेरित करना चाहिए।

3. शिक्षकों को भी बेहतर प्रयास जैसे, अनियमित उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय देकर और सरल एवं रोचक विधियों का प्रयोग करके पढ़ाकर अधिगम अंतराल की पूर्ति करना चाहिए।

2. विद्यार्थियों की पढ़ाई में अरुचि होना

   प्रस्तावित समाधान -

1. शिक्षकों को पाठ्य सहगामी क्रियाओं जैसे- वाद-विवाद, संगीत, साहित्यिक कार्य, अन्य प्रतियोगिताओं में प्रत्येक विद्यार्थी की सहभागिता सुनिश्चित करना।

2. शिक्षकों को अपने पाठ को रोचक बनाने हेतु करके सीखना, खेल-खेल में सीखना, गतिविधियाँ कराना इत्यादि विधियों और प्रविधियों का प्रयोग करना चाहिए।

3. शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए आईसीटी और उचित टीएलएमएस का प्रयोग करना चाहिए इसलिए शिक्षकों को इन तकनीकों को प्रयुक्त करने में दक्ष बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

3. विद्यार्थी विशेष विषय संबंधी कठिनाईयाँ अनुभव करते हैं

प्रस्तावित समाधान/सुझाव

1. शिक्षकों के लिए बच्चों की अधिगम क्रियाविधि को समझना जरुरी है अतः शिक्षकों की व्यवसायिक दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता है।

2. जीवविज्ञान, रसायन जैसे विषयों के प्रकरण पढ़ाते समय उपयुक्त टीएलएम, मॉडल्स इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए और प्रयोग एवं प्रदर्शन विधि का प्रयोग करना और अधिक उपयोगी होगा।

3. भाषा शिक्षण अन्य विषयों के शिक्षण से काफी अलग है इसलिए शिक्षक को भाषा शिक्षणशास्त्र का ज्ञान होना आवश्यक है।

उपसंहार

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सरकार द्वारा अनेक सराहनीय प्रयास जैसे दक्षता संवर्धन कार्यक्रम, शाला सिद्धि कार्यक्रम, इत्यादि किये जा रहे हैं परंतु प्रस्तुत शोध अध्ययन में पाई गई विभिन्न समस्याओं के कारण अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो पा रहे है। अतःसमाजशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों, शिक्षाशास्त्रियों, जनप्रतिनिधियों एवं शासन के सम्मिलित प्रयासों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने तथा डी और ई ग्रेड विद्यालयों के स्तर में सुधार हेतु शोध अध्ययन के सुझावों को सम्मिलित करते हुए कोई नई नीति का निर्धारण एवं सुचारू क्रियान्वयन किये जाने की अत्यंत आवश्यकता है।

संदर्भ

1.  अस्थाना विपिन एवं अग्रवाल रामनारायण (1990): मनोविज्ञान और शिक्षा में मापन और मूल्यांकन विनोद पुस्तक मंदिर आगरा 11 वा संशोधित संस्करण पृ 62-66

2. डॉप-ई-मोन-वरह (2008-09): ‘‘मेघालय के जेन्टिया हिल जोबई शिलाँग में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय की समस्याओं का अध्ययन‘‘, एम. एड. लघु शोध, शिक्षा विभाग, उत्तर पूर्वी पहाड़ी विश्वविद्यालय शिलाँग

3. कौल लोकेश (2009): शैक्षिक अनुसंधान की कार्यप्रणाली, विकास पब्लिकेशन हाउस नोएडा (नई दिल्ली),चतुर्थ संस्करण पृ 180- 195

4. रूबीना परवीन (2013): ‘‘माध्यमिक शालाओं के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि स्तर पर उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्तर के प्रभाव का समीक्षात्मक अध्ययन ‘‘, शासकीय स्नात्कोत्तर शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय, उज्जैन ।

5. विनीता गुप्ता (2015-16): ‘‘प्रतिभापर्व 2014-15 के आधार पर चिन्हित ए ग्रेड एवं ई. ग्रेड विद्यालयों का विश्लेषणात्मक अध्ययन‘‘,लघु अवधि शोध, शासकीय अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय, छतरपुर (म. प्र.)