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Research Substance ISBN: 978-93-93166-22-7 For verification of this chapter, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/books.php#8 |
भोजन योजना (Meal Planning) |
डॉ. सुसैन सैम
असिस्टेंट प्रोफेसर
गृह विज्ञानं विभाग
एस एस जैन सुबोध गर्ल्स पी.जी. कॉलेज
जयपुर राजस्थान, भारत
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DOI: Chapter ID: 16250 |
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भोजन योजना / आहार आयोजन क्या है आहार-आयोजन केवल
कागज पर दिन-भर की योजना
बनाना ही नहीं है, बल्कि इसमें
भोजन की योजना, खरीदना, पकाना, संग्रहण तथा
परोसना भी सम्मिलित है। उपलब्ध संसाधनों के भीतर परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए
पर्याप्त पोषण के साथ भोजन की योजना बनाना भोजन योजना है। 'उपलब्ध संसाधन' शब्द का अर्थ
है समय, ऊर्जा और धन
के मामले में परिवार के पास जो कुछ भी है। इसका मतलब यह भी जानना है कि खाद्य पदार्थों को कितना और कब
खाना है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपने भोजन की योजना बनाकर यह सुनिश्चित कर
सकते हैं कि आपको हर दिन सही मात्रा में भोजन मिल रहा है। भोजन योजना परिवार के
सभी सदस्यों के लिए उनकी आवश्यकताओं और पसंद के अनुसार समय पर पोषण प्रदान करनl है। सभी भोज्य समूह और भोज्य पदार्थ की मात्रा को आहर नाई
इस तरह से सम्मिलित करना जिससे की परिवार के सभी सदस्य को पौष्टिक तत्व पर्याप्त
मात्रा में प्राप्त हो और स्वस्थ और निरोगी रह कर अपने उत्तरदायित्वों को पूर्ण
कुशलता से निर्वहन कर सकें। भोजन योजना विज्ञान और कला दोनों है। यह परिवार के सभी
सदस्यों को इष्टतम पोषण प्रदान करने के लिए पोषक मूल्य के आधार पर भोजन का चयन
करने का विज्ञान है। यह भोजन में रंग, स्वाद और
बनावट के कुशल सम्मिश्रण की एक कला है। जहाँ भोजन को आकर्षक ढंग से परोसना कला है, वहीं स्वादिष्ट तथा पौष्टिक भोजन को क्रमबद्ध रूप से तैयार
करना विज्ञान है। भोजन योजना की शब्दावली (Glossary) भोजन (Food) ऐसा कोइ भी पदार्थ जो शर्करा (कार्बोहाइड्रेट), वसा, जल तथा प्रोटीन से बना हो और जीव जगत द्वारा ग्रहण किया जा
सके, उसे भोजन कहते
हैं। एक भोजन नाश्ते या दोपहर के भोजन या
रात के खाने के लिए खाए गए सभी खाद्य पदार्थों से बना होता है। अतः, भोजन वो पदार्थ जिसमें अनिवार्य रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और अन्य
पोषक तत्व होते हैं जो किसी जीव के शरीर में वृद्धि और महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को
बनाए रखने और ऊर्जा प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। शरीर द्वारा भोजन का
अवशोषण और उपयोग पोषण के लिए मौलिक है और पाचन द्वारा सुगम होता है। मुख्य आहार (Main Course) एक मुख्य व्यंजन वह व्यंजन है जिसे भोजन में मुख्य व्यंजन
के रूप में परोसा जाता है। मुख्य पकवान आमतौर पर मेनू पर सबसे बड़ा व्यंजन होता है।यह अक्सर एक सूप, या सलाद के बाद खाया जाता है, और अक्सर एक मिठाई इस के बाद खायी जाती है। एक कोर्स (One Course) एक कोर्स खाद्य पदार्थों का एक विशिष्ट सेट है जो एक ही समय
में भोजन के दौरान एक साथ परोसा जाता है। उदाहरण के लिए, फ्रेंच फ्राइज़ के साथ परोसे जाने वाले हैमबर्गर को एक ही
कोर्स माना जाता है। एक कोर्स भोजन एक या अधिक व्यंजनों से
बना होता है। मेनू (Menu) एक मेनू भोजन में परोसे जाने वाले व्यंजनों का एक संग्रह
है। भोजनालय में परोसे जाने वाले व्यंजनों की सूची को मेन्यू कहते हैं। हमें अपने
भोजन की योजना क्यों बनानी चाहिए ? यदि आप अपने आस-पास कोई भी
खाद्य पदार्थ चुनते हैं और उन्हें एक साथ रखते हैं, तो आप भाग्यशाली नहीं हो सकते हैं कि आपके शरीर को आपके
संयोजन के साथ आवश्यक सभी पोषक तत्व मिलें। सावधानीपूर्वक भोजन
योजना के साथ आप इस बात पर विचार करेंगे कि आपको अधिक से अधिक पोषक तत्व प्राप्त
हो सकें। हम भोजन की योजना बनाते हैं, इसका एक कारण उन लोगों के लिए पौष्टिक भोजन प्रदान करना है
जो इसे खाएंगे। हम जो भोजन करते हैं वह हमारे शरीर को कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और वसा जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। सभी व्यक्तियों को इन सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, लेकिन उनकी जरूरत की मात्रा लोगों की शारीरिक स्थिति के
आधार पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती है, चाहे वे बूढ़े, गर्भवती, युवा, स्तनपान
कराने वाले आदि हों। इस प्रकार आहार आयोजन से सभी आवश्यक पोषक तत्व एक आहार द्वारा
प्रदान किए जा सकते हैं जिसमें सभी खाद्य समूहों के खाद्य पदार्थ शामिल हैं। पूरे
दिन के भोजन की योजना बनाकर प्रत्येक व्यक्ति की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा किया
जा सकता है। दिन के कुल पोषक तत्वों का सेवन आमतौर पर नाश्ते, दोपहर के भोजन, रात के खाने
और नाश्ते में विभाजित किया जाता है। सुबह का नाश्ता : (Breakfast) नाश्ते को अक्सर 'दिन का सबसे
महत्वपूर्ण भोजन' कहा जाता है।
जैसा कि नाम से पता चलता है, नाश्ता रात
भर के उपवास की अवधि को तोड़ देता है। यह आपके ऊर्जा स्तर और सतर्कता को बढ़ावा
देने के लिए ग्लूकोज की आपूर्ति की भरपाई करता है, साथ ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक अन्य आवश्यक पोषक
तत्व भी प्रदान करता है। लोगों के सुबह के नाश्ते के बारें में कई भ्रांतियाँ
है।कुछलोग हल्का खाना खाते है और कुछ लोग गरिष्ठ, कुछ सुबह खाना पसंद करते हैं कुछ नहीं करते। ऐसे भी लोग
होते है जो केवल चाय टोस्ट से अपना काम चला लेते है। सुबह का खाना पौष्टिक होना चाहिए, क्यूँकि रात के खाने के बाद सुबह तक आमाशय ख़ाली। रहता है।
इस १०-१२ घण्टे के
अन्तराल में आमाशय से जठर रस का स्रावण होता रहता हैं जिससे पेप्टिक अल्सर होने की
संभावना बढ़ जाती है। आमतौर पर, कुल पोषक
तत्वों की जरूरत के एक-चौथाई सुबह का नाश्ते से
प्राप्त करना चाहिए। एक अच्छे नाश्ते में ऊर्जा और ढेर सारा विटामिन सी(vitamin C) होना चाहिए। जो लोग मेहनत का काम करते हैं या बहुत सक्रिय
होते हैं वे भारी नाश्ता खाने का फैसला कर सकते हैं जिससे उनके शरीर को पर्याप्त
मात्रा मे पौष्टिक तत्व प्राप्त हो। दोपहर का भोजन (Lunch) दोपहर का भोजन दिन का एक महत्वपूर्ण भोजन है इसलिये दोपहर
का भोजन करना जरूरी है। जब हम स्वस्थ दोपहर का भोजन करते हैं, तो हम शेष दिन के लिए ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पोषक
तत्वों के साथ अपने शरीर को फिर से ईंधन देते हैं। अक्सर यह देखा गया है की
कार्यक्षेत्रों में, जो कर्मचारी
दोपहर को भोजन स्वस्थ भोजन लेने के आदत में होते हैं वे कर्मचारी 150% अधिक उत्पादक होते हैं और पूरे दिन में 46% अधिक काम में केंद्रित होते हैं। भोजन योजना व्यक्ति के दिन
भर के कार्यक्रम पर निर्भर करती है। मूल रूप से 2-3 घंटे के अंतराल पर कुछ न कुछ जरूर खाना चाहिए। दोपहर के भोजन में दैनिक पोषक तत्वों की एक तिहाई की
आपूर्ति करनी चाहिए। बढ़ते बच्चों के लिए अच्छा दोपहर का भोजन करना महत्वपूर्ण है
क्योंकि केवल नाश्ता और रात का खाना ही सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान नहीं कर सकता
है। कई लोगों के लिए रात का भोजन पचता नहीं है उनके लिए दोपहर का भोजन एक
ऐसा भोजन है जिसे आराम से खाया जा सकता है और साझा किया जा सकता है। आदर्श रूप से, दोपहर का
भोजन दिन का सबसे बड़ा भोजन होना चाहिए जब पाचन सबसे अच्छा हो। रात का खाना ज्यादा
हल्का होना चाहिए। कुछ परिवारों के लिए यह दिन का एकमात्र
भोजन है। नाश्ते के कई घंटे बाद भोजन करना, आपके शरीर को फिर से सक्रिय करता है और रक्त शर्करा के स्तर
को बढ़ा सकता है जब ध्यान और एकाग्रता ध्वजांकित हो रही हो। यदि आप सुस्त महसूस कर
रहे हैं, तो एक छोटा
सा दोपहर का भोजन भी आपकी ऊर्जा को नवीनीकृत कर सकता है और आपको तरोताजा महसूस
करने और अगले कई घंटों के लिए तैयार होने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, दोपहर का भोजन करने से आपका चयापचय (metabolism)सक्रिय रहता है । हंटिंगटन मेडिकल फाउंडेशन के सेंटर फॉर
ह्यूमन न्यूट्रिशन ,डायरेक्टर डॉ
कर्ट होंग कहते हैं, "बड़े भोजन के
बीच लंबे समय तक भूखे रहने से अंतराल पैदा होता है जो चयापचय को सक्रिय रहने से
रोकता है।" शाम का नाश्ता (Evening Snack) भोजन के बीच में अल्पाहार पोषण संबंधी आवश्यकताओं के साथ-साथ भूख को संतुष्ट करने के लिए खाया जाता है। अच्छी तरह से
नियोजित नाश्ते में पोषक तत्वों का शेष प्रतिशत प्रदान किया जाना चाहिए जो नाश्ते, दोपहर और रात के खाने से प्रदान नहीं किया जाता है। उन्हें इस तरह से
चुना जाना चाहिए ताकि वे अतिरिक्त कैलोरी नहीं बल्कि अन्य पोषक तत्व भी प्रदान
करें l रात का खाना: (Dinner) अधिकांश घरों में रात का खाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण भोजन
है। यदि आप पूरे दिन व्यस्त रहते हैं और आप नाश्ते और दोपहर को जल्दी भोजन करते
हैं, तो रात का
खाना वह भोजन हो सकता है जो सबसे अधिक प्यार और देखभाल से जुड़ा होता है। यदि आपने
पहले से योजना बनाई है, और आप पहले
से ही जानते हैं कि रात के खाने के लिए क्या बनाना है, और आपके पास इसके लिए पहले से ही क्या सामग्री उपलब्ध है तो
काम आसान हो जाता है l रात का खाना
खाने का समय भी महत्वपूर्ण है l कई बार लोग
रात का खाना बहुत देर से खाते हैं और फिर खराब नींद, खराब पाचन और अस्थिर सपनों से जूझते हैं। याद रखें कि
सूर्यास्त से पहले जितना अधिक आप आगे बढ़ते हैं, आपका पाचन और कमजोर होता जाता है। आपका डिनर सूर्यास्त के
जितना करीब होगा, आपके शरीर पर
उतना ही हल्का होगा। रात का खाना सात से पहले खाना और उसके दो से तीन घंटे के भीतर
सोना स्वस्थ और अच्छी नींद लेने का सबसे अच्छा तरीका है। जब रात के खाने की बात आती है, तो अधिक खाने या बहुत अधिक गलत प्रकार का भोजन करने से नींद
आने में परेशानी हो सकती है। आहार आयोजन के चरण आहार आयोजन के महत्वपूर्ण चरण
इस प्रकार हैं 1.पारिवारिक
सदस्यों की पौष्टिक आवश्यकताएँ ज्ञात करना - परिवार के
लिए आहार आयोजित करते समय गृहणी को सर्वप्रथम भारतीय चिकित्सा अनुसंधान समिति
द्वारा विभिन्न आयु, लिंग व
प्रतिदिन की आहार तालिका बनाने के लिए पूरे दिन को एक इकाई के रूप में रख लेना
आवश्यक होता है। जैसे- सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात्रि का भोजन। सभी की आहार तालिका एक
साथ बनानी चाहिए। प्रत्येक भोजन के समय में सभी पौष्टिक तत्व उचित
मात्रा में उपस्थित रहने चाहिए। 2.यह ध्यान
रखना चाहिए कि प्रत्येक समय के भोजन में बेसिक फूड गाइड या पाँच भोज्य वर्गों में
दिये गये प्रत्येक वर्ग का समावेश हो। 3.आहार में ऐसे
भोज्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए जो कि तृप्तिदायक भोज्य पदार्थ नहीं है तो
व्यक्ति को भोजन रुचिकर नहीं लगेगा। 4.भोजन में कुछ
ऐसे भोज्य पदार्थ जो कि छिलके या रेशे से युक्त हो, अवश्य ही रखने चाहिए। उदाहरण- सुबह के नाश्ता में दलिया, दोपहर के खाने में साबुत, चना या लोबिया, रात्रि में
मैथी की सब्जी। 5.आहार में
प्रतिदिन एक-दो बार कच्चे
फल, सब्जियाँ आदि
का उपयोग करना चाहिए। भोजन योजना को प्रभावित करने
वाले कारक Factors affecting Meal
Planning भोजन योजना एक बहुत ही जटिल कार्य है। भोजन योजना को
प्रभावित करने वाले कई कारक हैं। भोजन योजना मुख्य रूप से इन कारकों से प्रभावित
है , जैसे- पोषाहार पर्याप्तता (Nutritional Adequacy) स्वस्थ्य जीवन, लक्ष्य, गर्भाधान पूर्व पर्याप्त पोषण और वातावरण पर मानव विकास
निर्भर करता हैं। पोषक तत्वों की पर्याप्तता का मतलब है कि समय के साथ शरीर में
जमा होने वाली ऊर्जा की मात्रा और सभी आवश्यक पोषक तत्वों की सुरक्षित खपत।
पर्याप्तता इष्टतम पोषण स्थिति की ओर ले जाती है , जिसमें कम और अधिक पोषण दोनों से बचा जाता है l यह सबसे महत्वपूर्ण कारक है, जिसका अर्थ है कि परिवार के सभी सदस्यों की पोषण संबंधी
आवश्यकताएं पूरी होना। उदाहरण के लिए,बढ़ते बच्चे
को अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है, गर्भवती या
स्तनपान कराने वाली महिला को कैल्शियम की आवश्यकता होती है l एक पर्याप्त आहार मानव शरीर को ऊतक, कोशिकाओं और अंगों के इष्टतम विकास, रखरखाव और मरम्मत के लिए ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता
है। आवश्यक कार्यों और गतिविधियों के लिए हमारा शरीर पानी, कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन और
कुछ खनिज लवण पर निर्भर है। शरीर को कुशलता से काम करने के लिए इन पोषक तत्वों को
आहार के माध्यम से प्रदान किया जाना चाहिए। एक आहार मे पोषणन्यूनता, एनीमिया, सिरदर्द, थकान और सामान्य कमजोरी को रोकने के लिए इन पोषक तत्वों की
उचित मात्रा लेना आवश्यक है l भोजन की
योजना बनाते समय ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ, शरीर निर्माण करने वाले खाद्य पदार्थ और सुरक्षात्मक खाद्य
पदार्थ का होना महत्वपूर्ण होता है। योजना बनाते समय मूल उद्देश्य प्रत्येक
व्यक्ति की पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करना होना चाहिए। हम इसे कैसे प्राप्त
कर सकते हैं? यह अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अनुशंसित आहार सेवन के अनुसार
संतुलित भोजन की योजना बनाकर सुनिश्चित किया जा सकता है। इस प्रकार प्रत्येक भोजन
में निम्न पोषक तत्व शामिल होना चाहिए: 1. अनाज और उनके उत्पाद: ऊर्जा और प्रोटीन प्रदान करने के लिए। 2. दाल, दूध, अंडा, मछली या मांस:प्रोटीन, विटामिन- बी और कुछ खनिजों की आपूर्ति के लिएl 3. सुरक्षात्मक सब्जियां और फल: विटामिन ए और
सी, खनिज और
फाइबर प्रदान करने के लिए। 4. चीनी, तेल और वसा: ऊर्जा, तृप्ति
प्रदान करने और स्वादिष्टता में सुधार करने के लिए।यदि आप प्रत्येक समूह से सुझाई
गई इकाइयों की संख्या को शामिल करते हैं, तो आप
कार्बोहाइड्रेट ,प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यथोचित
रूप से आश्वस्त हो सकते हैं। एक समूह के भीतर चुनी गई किस्म परिवार के सदस्यों की
स्वाद वरीयताओं द्वारा निर्धारित की जाती है। अनुशंसित आहार के सेवन की आवश्यकता जीवन-चक्र की विभिन्न अवधियों में विशिष्ट होतीं हैं। इन्हें
खाद्य समूहों के अधिक इकाइयों का उपयोग करके आसानी से पूरा किया जा सकता है, उदाहरण के लिए, एक किशोर की
वृद्धि और विकास के लिए अपनी प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने के लिए समूह से छह
इकाइयों की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन एक
वयस्क को केवल तीन की आवश्यकता हो सकती है। एक वृद्ध व्यक्ति को गाजर का सलाद कसा
हुआ रूप में परोसा जा सकता है, जबकि अन्य
सदस्यों को गाजर के टुकड़े परोसे जा सकते हैं; अधिक वजन वाले सदस्य के लिए सलाद बिना तेल और नमक के बनाया
जा सकता है, जबकि अन्य
लोग अपने सलाद को अलग से बना सकते हैं। परिवार के अलग-अलग सदस्यों की पोषण संबंधी जरूरतों के लिए परिवार के भोजन
के अनुकूल होने के ये कुछ व्यावहारिक तरीके हैं। भोजन जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि
परिवार की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए मौद्रिक संसाधनों का पर्याप्त हिस्सा
अलग रखा जाए। यदि भोजन के लिए भत्ता कम है, तो भोजन की
सावधानीपूर्वक योजना बनाने और परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए पोषण पर्याप्तता
सुनिश्चित करने के लिए सही भोजन प्राप्त करने की अधिक आवश्यकता है। परिवार का आकार और संरचना परिवार का आकार (Size of The Family) एक परिवार का आकार उसके सदस्यों की संख्या को दर्शाता है।
परिवार में परोसे जाने वाले भोजन की मात्रा काफी हद तक उसके सदस्यों की संख्या से
निर्धारित होती है। अधिक सदस्यों का अर्थ है परिवार के लिए अधिक भोजन। परिवार की
प्रकृति चाहे वह एकल हो या संयुक्त वह भोजन योजना को काफी हद तक प्रभावित करती
है।जब परिवार की आय स्थिर रहती है और परिवार का आकार बढ़ता है तो प्रति व्यक्ति
भोजन पर खर्च की जाने वाली राशि कम हो जाती है l जब परिवार में कई सदस्य होते हैं इस परिस्थिति में परिवार
के लिए उपलब्ध धन का एक बड़ा हिस्सा भोजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च
करना पड़ता है। गेहूं, चावल, ज्वार, दूध, सब्जियां, फल खरीदे
जाने की मात्रा कम हो जाती है। इस प्रकार आहार की गुणवत्ता कम हो जाती है। परिवार
के सदस्यों की भोजन की जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं हो पाता है। पारिवारिक संरचना (Structure of The
Family) पारिवारिक संरचना से तात्पर्य उसके सदस्यों की आयु, लिंग, गतिविधि, व्यवसाय और विभिन्न शारीरिक स्थितियों से है, जैसा कि बड़ी संख्या में परिवारों के साथ होता है, पारिवारिक संरचना आवश्यक भोजन के प्रकार और मात्रा और परोसे
जाने वाले भोजन के पैटर्न को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, जब बच्चे पाँच वर्ष से कम उम्र के होते हैं, तो अधिक दूध की आवश्यकता होती है, भोजन की संख्या अधिक होती है, जैसे-जैसे बच्चा
बड़ा होता है, स्कूल के
घंटों को समायोजित करने के लिए भोजन के पैटर्न में बदलाव होता है और लंच या स्नैक
पैक करने की आवश्यकता उत्पन्न हो सकती है। परिवार में किशोरों को वयस्कों की तुलना
में अधिक भोजन की आवश्यकता होती है,क्योंकि उन
कि विकास के लिए बड़ी मात्रा में भोजन की आवश्यकता होती है। वयस्क सदस्यों की भोजन
की जरूरत इस बात पर निर्भर करेगी कि वे कितने सक्रिय हैं। परिवार के वृद्ध सदस्यों
को कम मात्रा में भोजन की आवश्यकता होती है, लेकिन दांतों
में खराबी या दांतों की कमी के कारण बदलाव की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए भोजन
सूची बनाते समय और आहार आयोजन में इनका ध्यान रखना महत्वपूर्ण है l उम्र (Age) आयु परिवार के सभी सदस्यों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को
निर्धारित करती है, उदाहरण के
लिए, बढ़ते बच्चों
के लिए अधिक प्रोटीन और खनिजों की आवश्यकता होती है। वयस्कों को उनकी गतिविधियों
के अनुसार भोजन की आवश्यकता होती है। आमतौर पर लोग अपनी उम्र के हिसाब से खाना
खाते हैं। आपने अपने परिवार में देखा होगा कि विभिन्न आयु वर्ग के विभिन्न सदस्यों
के आहार की मात्रा भिन्न-भिन्न होती
है। एक नवजात शिशु केवल दूध पीता है, एक छोटे
बच्चे का भोजन भी बहुत कम मात्रा में होता है, एक किशोर अधिक मात्रा में और विभिन्न प्रकार के खाद्य
पदार्थ खाता है। इसी तरह, आपने अपने
दादाजी को कम खाना खाते देखा होगा और यह भी कि वे नरम और आसानी से पचने वाले खाद्य
पदार्थ पसंद करते हैं। पेशा (Occupation) भारी काम करने वाले को अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है
जबकि मानसिक कार्य करने वाले लोगों के लिए अधिक प्रोटीन और खनिज लवण की आवश्यकता
होती है। विभिन्न व्यवसायों को उनकी गतिविधि के आधार पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया
जा सकता है: (ए) गतिहीन कार्यकर्ता (Sedentary Worker) - शिक्षक, वकील, डॉक्टर, नर्स, आदि। (बी) मध्यम कार्यकर्ता (Moderate Worker) - चालक, कुम्हार, बढ़ई, आदि। (सी) भारी कार्यकर्ता (Heavy Worker)- खिलाड़ी, मजदूर, लौह लोहार, आदि। शारीरिक अवस्था (Physical
Condition) शरीर की कुछ विशिष्ट स्थितियां पोषण संबंधी आवश्यकताओं को
और आहार आयोजन को प्रभावित करती हैं, उदाहरण के
लिए, गर्भावस्था
और स्तनपान के दौरान शरीर को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। मधुमेह के
रोगी को कार्बोहाइड्रेट की कम आवश्यकता होती है। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को कम
नमक की आवश्यकता होती है। मधुमेह में, अग्न्याशय
इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है जो शर्करा को पचाने के लिए आवश्यक होता है। ऐसे
में भोजन में सामान्य मात्रा में चीनी की उपस्थिति प्रणाली के लिए हानिकारक होगी।
पीलिया में लीवर खराब हो जाता है, इसलिए वसा का
पाचन प्रभावित होता है और आहार में सामान्य मात्रा में वसा की उपस्थिति स्वास्थ्य
के लिए हानिकारक होगी। दस्त के समय मल के हर मार्ग के साथ शरीर के तरल पदार्थ और
लवण का निष्कासन होता है साथ ही, पाचन तंत्र
खाए गए ठोस भोजन का सामना नहीं कर पाता है। इन परिस्थितियों में, यदि कोई
सामान्य भोजन करता है, तो पाचन
तंत्र पर असर पड़ता है और क्षतिग्रस्त हो जाता है, इसलिए आहार आयोजन के द्वारा भोजन को संशोधित करने की
आवश्यकता होती है। लिंग (Gender) लिंग एक अन्य कारक है जो आहार सेवन को निर्धारित करता है।
किशोर और वयस्क पुरुषों की आहार आवश्यकता उनकी महिला समकक्षों की तुलना में अधिक
है क्योंकि आम तौर पर पुरुषों का शरीर (ऊंचाई और वजन
दोनों) और महिलाओं
की तुलना में अधिक मांसपेशियों वाला होता है, इसलिए महिलाओं की तुलना में उनकी कैलोरी की जरूरत भी बढ़
जाती है।औसत आकार की, मध्यम
शारीरिक रूप से सक्रिय 30 वर्षीय महिला
को प्रति दिन लगभग 2000 कैलोरी की
आवश्यकता होती है जबकि उसके पुरुष समकक्ष को प्रति दिन लगभग 2800 कैलोरी की आवश्यकता होती है। भले ही वे समान ऊंचाई और वजन
के हों, डाइटरी
रेफरेंस इंटेक (डीआरआई) का अनुमान है कि पुरुष महिला की तुलना में प्रति दिन लगभग 400 कैलोरी अधिक जलाता है। पुरुषों की चयापचय दर( metabolic rate) महिलाओं की तुलना में अधिक होती है। किशोर और वयस्क पुरुषों की पोषण संबंधी आवश्यकता उनकी महिला
समकक्षों की तुलना में अधिक है। कुछ ऐसे पोषक तत्व हैं जिनकी महिलाओं को अधिक
मात्रा में आवश्यकता होती है जैसे कि आयरन। विशेष रूप से गर्भवती और स्तनपान कराने
वाली महिलाओं के लिए प्रोटीन, ऊर्जा, आयरन और कैल्शियम की आवश्यकता वयस्क महिलाओं की तुलना में
अधिक होती है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कई विटामिन और खनिज की
अधिक आवश्यकता होती है। कैल्शियम, आयरन और
फोलिक एसिड का पर्याप्त मात्रा में सेवन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है।मासिक
धर्म और बच्चे के जन्म से जुड़े हार्मोनल परिवर्तनों के कारण, महिलायें पुरुषों की तुलना में कमजोर हड्डियों और
ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति अधिक संवेदनशील होतीं हैं। इस कारण से, औसत महिलाओं को रजोनिवृत्ति के बाद अपने पुरुष समकक्ष की
तुलना में अधिक कैल्शियम की आवश्यकता होती है (51- से 70 वर्षीय
महिलाओं के लिए 1000 मिलीग्राम, 51-से 70 वर्षीय
पुरुषों के लिए 800 मिलीग्राम)। शारीरिक गतिविधि (Physical Activity) एक व्यक्ति जिस तरह का काम करता है, वह उस के भोजन की मात्रा को प्रभावित करता है, जिसकी उसे जरूरत होती है। विभिन्न गतिविधियों में संलग्न
लोगों के लिए आरडीए अलग है? एक मजदूर न
केवल अधिक मात्रा में खाता है बल्कि उसे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है क्योंकि
वह कड़ी मेहनत करता है। इसलिए, ऐसे व्यक्ति
के लिए आहार योजना में अधिक ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करना पड़ता
है। मानसिक कार्य करने वाले लोगों के लिए अधिक प्रोटीन की
आवश्यकता होती है। विभिन्न व्यवसायों को उनकी गतिविधि के आधार पर निम्नानुसार
वर्गीकृत किया जा सकता है: (ए) गतिहीन कार्यकर्ता-शिक्षक, वकील, डॉक्टर, नर्स, आदि। (बी) मध्यम कार्यकर्ता-चालक, कुम्हार, बढ़ई, आदि। (सी) भारी कार्यकर्ता-खिलाड़ी, मजदूर, लौह लोहार, आदि। नियोजित खर्च (Planned Expenses) पैसा वह संसाधन है जो भोजन खरीदने के लिए आवश्यक है। इसलिए
भोजन की योजना बनाते समय व्यक्तियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति पर विचार किया जाना
चाहिए। भोजन की योजना व्यक्ति के बजट के भीतर होनी चाहिए अन्यथा भोजन योजना को
लागू करना मुश्किल हो जाता है। जब हमारे पास उपलब्ध बजट सीमित है, तो हम भोजन की योजना कैसे बना सकते हैं ? पोषण के पहलू से समझौता किए बिना अधिक महंगे खाद्य पदार्थों
के लिए कम खर्चीले विकल्पों का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए, जिनमें पर्याप्त पोषक मूल्य हो और जो कम आय में
स्वादिष्ट, पौष्टिक भोजन
तैयार करने में मदद कर सकें। भोजन की कीमत आहार में उसके पोषण संबंधी योगदान से संबंधित
नहीं है; यह मांग और
आपूर्ति के कानून द्वारा शासित है। भोजन की खपत का अर्थशास्त्र एक व्यापक विषय है, लेकिन भोजन की योजना बनाना और भोजन को बुद्धिमानी से खरीदना
महत्वपूर्ण है ताकि खर्च किए गए धन से अधिकतम लाभ प्राप्त हो। सबसे पहले यह तय
करना होगा कि आप खाद्य खरीद के लिए कितनी राशि खर्च कर सकते हैं। फिर आप उन खाद्य
पदार्थों का चयन कर सकते हैं, जिन्हें
उपलब्ध धन से खरीदा जा सकता है। सब्जियां और फल खनिज और विटामिन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियां विटामिन, प्रोविटामिन
ए, विटामिन सी
और खनिज लवण जैसे कैल्शियम और आयरन का एक समृद्ध स्रोत हैं। आंवला, अमरूद, खट्टे फल, अनानास और टमाटर विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। कुछ
सब्जियां और फल मौसमी होते हैं, जबकि अन्य
पूरे साल प्रतिस्पर्धी कीमत पर उपलब्ध होते हैं। मौसम के चरम पर सब्जियां और
फल न केवल सस्ते होते हैं, बल्कि
स्वीकार्यता और पोषक तत्वों के मामले में उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि कुछ खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों
से भरपूर लेकिन महंगे हैं और कुछ कम खर्चीला है इसलिए भोजन योजना का एक महत्वपूर्ण
लक्ष्य उपलब्ध धन से पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक खाद्य
पदार्थ उपलब्ध कराना है। इस प्रकार हम देखते हैं की भोजन पर खर्च करने के लिए परिवार
के लिए उपलब्ध धन एक प्रमुख कारक है इसलिए खर्च करने की शक्ति को ध्यान में रखना
होगा और बजट के भीतर भोजन की योजना बनानी होगी। आर्थिक स्थिति (Economic Condition) आय प्रतिशत में कमी के साथ, भोजन का व्यय बढ़ता है और इसलिए भोजन की योजना बनाने के लिए
अधिक सावधानीपूर्वक प्रयास करने की आवश्यकता होती है। सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर उपलब्ध धन की मात्रा भी भोजन
योजना को प्रभावित करती है। आय का बड़ा हिस्सा भोजन पर खर्च किया जाता है। मध्यम
आय वर्ग के परिवार का बजट विलासिता वर्ग के भोजन के लिए उपलब्ध नहीं हो सकता है, फिर भी यह विविधता और पसंद के अवसर प्रदान कर सकता है। कम
आय वाले परिवारों में खाद्य बजट और भी सीमित विकल्प की अनुमति देता है और भोजन के
मुख्य या पर्याप्त हिस्से के लिए अनाज के खाद्य पदार्थों पर निर्भर होना आवश्यक हो
सकता है। योजना बनाना मुश्किल हो सकता है, फिर भी यह संभव है। इसलिए, उच्च पोषक मूल्य वाले एवं अधिक महंगे खाद्य पदार्थों के कम
खर्चीले विकल्प को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे व्यंजनों और खाद्य पदार्थों को
भोजन की तैयारी में शामिल किया जाना चाहिए जैसे अनाज-दाल संयोजन का उपयोग करना। निम्न आय वर्ग के लोग दूध, मांस, फल आदि जैसे
महंगे खाद्य पदार्थ नहीं खरीद सकते हैं। इसलिए, ऐसे उपायों को अपनाना वांछनीय है जो कम कीमत पर पौष्टिक
भोजन प्रदान करते हैं। ऐसे ही कुछ उपाय इस प्रकार हैं - (i) अनाज जैसे कम
खर्चीले खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग करें। (ii) चीनी के
स्थान पर गुड़ का प्रयोग करें। (iii) मौसमी और
स्थानीय रूप से उत्पादित फलों और सब्जियों का प्रयोग करें। (iv) पोषक तत्वों
को बढ़ाने के लिए अंकुरण, किण्वन और
खाद्य पदार्थों के संयोजन जैसी विधियों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए अनाज और दाल
के मिश्रण से बनी खिचड़ी बहुत ही पौष्टिक आहार है। (v) खाद्य
पदार्थों के पोषक मूल्य को बनाए रखने के लिए प्रेशर कुकिंग जैसी विधियों का उपयोग
करें (vi) मूंगफली जैसे
सस्ते मेवों का प्रयोग करें। (vii) बचे हुए का
सही उपयोग करें। खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह
से चुनने की क्षमता (Buying Skills) यह भोजन योजना को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितना अच्छी तरह से शिक्षित और प्रशिक्षित है, कुछ लोग ऐसे हैं जो भोजन की योजना बनाना और आहार का पालन
करने में असमर्थ हैं और विशेष रूप से अगले कुछ दिनों में खाए जाने वाले खाद्य
पदार्थों को तय करना ,समय की
मांगों को संतुलित करना शामिल है। वह यह सुनिश्चित नहीं कर पाते कि आपको प्रत्येक खाद्य समूह
की सही मात्रा मिल रही है या नही।क्रय करने की क्षमता भी आहार आयोजन का एक
अनिवार्य हिस्सा है। सभी गृहिणियों को उचित मात्रा में, सही मात्रा में, सही समय पर
और सर्वोत्तम मूल्य पर उचित सामग्री खरीदने में कुशल होना चाहिए। जितनी जरूरत होगी उतनी ही ख़रीदना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि
खाद्य पदार्थ ताजा रहें क्योंकि सभी खाद्य पदार्थ समय के साथ खराब हो जाते हैं, अन्य की तुलना में कुछ जल्दी खराब हो जाते हैं। यह
सुनिश्चित करना की जो काम का है केवल वही मात्राएँ और जो तुरंत या निकट भविष्य में
उपयोग की जाएँगी, खरीदी
जाएँ। आपकी आय जितनी अधिक होगी, आप भोजन पर उतना ही अधिक पैसा खर्च करेंगे। अधिक पैसे वाले
लोग बिना सोचे-समझे महंगे
खाद्य पदार्थ खरीद लेते हैं। इसीलिए खाद्य पदार्थ को सोच समझ कर चुनने की क्षमता
भी आहर आयोजन को प्रभावित करती है। महिला का कामकाजी होना (Working Lady) महिलाओं का कामकाजी होना भी आहार आयोजन को प्रभावित करता है
क्यूँकि वे नौकरों के सहयोग से घर का काम चलाते हैं। कामक़ाज़ी महिलाओं को अपने
सप्ताह पर एक नज़र डालना चाहिये और यह निर्धारित करना चाहिए कि कितना समय खाना
बनाने में लगता है। यदि कुछ व्यस्त दिन हैं, तो आप एक
पौष्टिक सलाद बना सकते हैं और यदि आपका सप्ताह काफी व्यस्त है, तो आप सप्ताह भर की सामग्री खरीद सकते हैं और अपना time table बना सकते हैं। उन दिनों में जब आपकी दोपहर
व्यस्त होते है तो धीमी कुकर के लिए भोजन की योजना बनाएं जिसे आप सुबह तैयार कर
सकते हैं और दिन में पकाने के लिए छोड़ दें। जब आप घर पहुँचते हैं तो तैयार भोजन
मिलता है और एक सुखद शाम बन सकती है। बाजार में उपलब्ध बने-बनाये या बनाने के लिए तैयार भोज्य पदार्थों; जैसे – जैम, जैली, अचार, मुरब्बे, चटनी, ब्रेड, मिठाई एवं
भोज्य पदार्थों के तैयार शुष्क पाउडर का प्रयोग कर भोजन को पौष्टिक बना सकती हैं। उपलब्ध उपकरण और कार्य स्थान (Available Equipments and Workplace) उपलब्ध उपकरण और कार्यक्षेत्र भी मेनू की योजना को प्रभावित
करती है। डीप फ्रीजर, रेफ्रिजरेटर, ग्राइंडर, आटा गूंथने
वाले मशीन, डीप फैट
फ्रायर, बॉयलर
आदि।कार्य केंद्रों या कार्य क्षेत्रों से क्या तात्पर्य है? ये पूरी रसोई योजना के भीतर ऐसे स्थान हैं जहाँ आप किसी
विशेष कार्य को आसानी से कर सकते हैं क्योंकि कार्य शेत्र की व्यवस्था, उपकरण या उपकरण स्टोरेज की जगह, काउंटर की जगह , बर्तन की जगह, नौकर की उपलब्धता, नौकर की
उपलब्धता, काम करने की
क्षमता को प्रभावित करती है l भोजन तैयार करने में कौशल (Skills in Cooking) भोजन तैयार करने में कौशल एक स्वीकार्य और स्वादिष्ट भोजन
का अनिवार्य हिस्सा है। भोजन बनाने में कौशल अभ्यास से प्राप्त होता है। इसमें
गृहिणी को खाद्य पदार्थों का संयोजन करके भोजन की स्वीकार्यता में सुधार एवं
विविधता लाना होता है। उदाहरण के लिए, कुछ गहरे हरे
पत्तेदार सब्जियों में स्वाद होता है, जिसे अन्य
खाद्य पदार्थों को जोड़कर संशोधित किया जा सकता है। मेथी के पत्ते कड़वे होते हैं, अगर इसमें पिसी हुई दाल या बेसन मिला दिया जाए तो कड़वा
स्वाद हल्का और सुखद होता है l इसी तरह
कद्दूकस किया हुआ नारियल या गुड़ मिलाने से भी तैयार सब्जी का स्वाद स्वीकार्य हो
जाता है। यह वह कौशल है जो तैयार सब्जी के स्वाद को स्वीकार्य बनाता है। यह वह
कौशल है जो प्रथम श्रेणी के रेस्तरां में भोजन की तुलना में घर पर गर्म सूप को
अधिक स्वादिष्ट बनाता है। धर्म, परंपराएं और रीति-रिवाज (Religion and Customs) प्राचीन काल से, आहार को
दुनिया भर के लोगों ने धार्मिक प्रथाएँ हमारे आहार को किसी ना किसी रूप में
प्रभावित करती रही हैं उदाहरण के लिए ,कुछ धार्मिक
संप्रदाय कुछ खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के सेवन से परहेज करते हैं, या निषिद्ध हैं; अन्य लोग
अपने पवित्र दिनों के दौरान भोजन और पेय को प्रतिबंधित करते हैं; जबकि अन्य समुदाय आहार और भोजन तैयार करने की प्रथाओं को
आस्था के अनुष्ठानों से जोड़ते हैं। धर्म, परंपराएं और
रीति-रिवाज आहार
में शामिल भोजन, भोजन के
प्रकार और परिवार के व्यक्ति को परोसे जाने वाले व्यंजनों के निर्धारण में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे मुसलमान सूअर का मांस नहीं खाते, जबकि हिंदू गोमांस नहीं खाते। त्योहारों और शादियों में
चावल को एक शुभ व्यंजन माना जाता है। बंगाल में विधवाओं को आम तौर पर मछली नहीं
परोसी जाती है। उदाहरण के लिए एक दक्षिण भारतीय के मुख्य आहार में चावल और दाल
अधिक होती है। उत्तर भारत में गेहूं व्यापक रूप से उगाया और खाया जाता है। दक्षिण
भारत में अक्सर करी का सेवन किया जाता है। तटीय क्षेत्र के पास रहने वाले लोग
नारियल और मछली का अधिक सेवन करते हैं क्यूँकि यह इन क्षेत्रों में आसानी से
उपलब्ध होता है। इसलिए परिवार के लिए भोजन की योजना बनाते समय धर्म, परंपराओं और रीति-रिवाजों की
अहम भूमिका है। खाद्य सनक और भ्रम (Food Fads and Fallacies) खाद्य और पोषण के बारे में भ्रांतियां या एक गलत विचार
स्वास्थ्य पर और आहार आयोजन को प्रभावित करती है। कई बार भोजन के बारे में गलत
विचार जानबूझकर फैलाए जाते हैं, जो अपने
उत्पादों को बढ़ावा देना चाहते हैं। कई बार उस विषय के बारे में बुनियादी
वैज्ञानिक जानकारी की अज्ञानता के कारण खाद्य भ्रांतियां फैलती हैं। झोलाछाप इस
अज्ञानता का फायदा उठाकर अपने उत्पाद को बेचते हैं। इसके अलावा हर क्षेत्र
में लोगों की कई मान्यताएं होती हैं। ये निर्विवाद रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी
को हस्तांतरित होते रहते हैं। वैज्ञानिक ज्ञान के रोशिनी में उन पर विचार करना
ज़रूरी है। इसलिए, भोजन की
योजना बनाते समय, इन खाद्य
पदार्थों की सनक को दूर करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि पौष्टिक भोजन प्रदान किया जा सके और उचित आहार आयोजन
को प्रभावित ना करे। खाद्य की गलत सूचना (Wrong Information about Food) भोजन दोस्ती का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। समाचार पत्र, पत्रिकाओं और यहां तक कि किताबों में लेख एवम् विज्ञापनों में कुछ जानकारी उपयोगी
हो सकती है, लेकिन एक
बड़ा हिस्सा ग़लत भी होता है। हमें यह बताया जाता है कि अच्छा स्वास्थ्य कम खाने और अधिक
व्यायाम करने से होता है , लेकिन क्या
यह इतना आसान है? विज्ञान से
पता चलता है कि हम सभी के पास समान खाद्य पदार्थों के लिए अलग-अलग चयापचय प्रतिक्रियाएं होती हैं, इसलिए कोई भी दिशानिर्देश हम सभी के लिए काम नहीं करता। भोजन के बारे में गलत विचार, गलत जानकारी आम हैं, लेकिन इनमें
से कई अज्ञानता में उत्पन्न होते हैं। इस तरह से ग़लत सूचना आहार आयोजन को प्रभावित
करती है। खाद्य सामग्री की उपलब्धता और
जलवायु (Availability of Food and
Climate) मौसमी खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और उस के अनुसार आहर
आयोजन एक साथ चलता है। मौसमी आहार आयोजन बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। बस
थोड़ी सी समझ और योजना की जरूरत है। मौसमी खाद्य पदार्थों के उपयोग से लागत कम
होती है। सीजन के
दौरान लागत वाजिब है और गुणवत्ता बेहतर होती है। कुछ सब्जियां और फल किचन गार्डन
में उगाए जा सकते हैं। सेम, चावल, गेहूं जैसे कुछ खाद्य पदार्थ फसल के समय के तुरंत बाद खरीदे
जा सकते हैं, जब कीमत उचित
होती है, और पूरे वर्ष
के लिए संग्रहीत किया जाता है। पहले के समय में, आहार की
आदतें मुख्य रूप से किसी विशेष क्षेत्र या समुदाय में उत्पादित खाद्य पदार्थों पर
निर्भर करती थीं, लेकिन आज
खाद्य संरक्षण और वितरण के बेहतर तरीकों के साथ, खाद्य पदार्थ हर जगह उपलब्ध हैं। दुनिया भर में आहार पैटर्न
में व्यापक भिन्नता काफी हद तक उपलब्ध खाद्य आपूर्ति पर निर्भर करती है, जो बदले में जलवायु पर निर्भर करती है। इसलिए आहार मौसमी
खाद्य पदार्थों को ही शामिल करना चाहिए। ठंड के दिनों में गर्म सूप आदि को शामिल
करना और गर्मियों में सलाद और जूस को शामिल करना। इसलिए योजना बनाते समय मौसमी खाद्य पदार्थों का प्रयोग करना
चाहिए। इस तरह से जलवायु और क्षेत्रीय उपलब्धता आहार योजना को
प्रभावित करती है। घरेलू उत्पादन (Production at Home) अगर कुछ सब्जियां और फल घर पर उगाए जाते हैं, तो इस से भोजन योजना में सहायता मिलती हैं, बस थोड़ा विवेकपूर्ण तरीक़े से उपलब्ध सामग्री को इस्तेमाल
करने की जरूरत है। कुछ ताज़े मसाले जैसे धनिया पत्ती, करी पत्ता, हरी मिर्च, पुदीना और विभिन्न पत्तेदार सब्जियाँ घर पर आसानी से उगाई
जा सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अधिकांश अनाज का उत्पादन घर पर
होता है, भोजन योजना
वास्तविक रूप से यह तय करने में मदद करती है कि परिवार को घरेलू उपयोग के लिए
कितना भोजन रखना चाहिए, ताकि परिवार
की जरूरतों को पूरा किया जा सके। यह तय करने में भी मदद करता है कि भोजन की लागत
को जोड़े बिना परिवार के भोजन पैटर्न में सुधार के लिए कौन सी सब्जियां और फल
आर्थिक रूप से उगाए जा सकते हैं। जब फल और सब्जियां परिवार की जरूरत से अधिक पैदा
होती हैं, तो अधिशेष को
बेचा जा सकता है। अतः घर में उगाई गई सब्ज़ियों का ज़रूरत पड़ने पर उचित आयोजन कर
लाभ उठा सकते हें। परिवार के सदस्यों की दिनचर्या (Schedule of Family Members) आहार आयोजन करते समय, परिवार के
सदस्यों के कार्यक्रम (समय-सारणी) को ध्यान में
रखना ज़रूरी है। भोजन करने का समय और स्थान , घर पर खाए
जाने वाले भोजन की संख्या और यदि घर से दूर खाए जाता है तो पैक्ड लंच बनाने के लिए
मेनू को संशोधित करने की आवश्यकता होती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पैक किए
जाने वाला मेनू ठंडा होने पर भी स्वादिष्ट हो। स्कूल की छुट्टियों के दौरान घर पर आमतौर पर भोजन का समय और
बरामबारता बदल जाती है। यह सामान्य स्कूल के और काम के दिनों से अलग होती है, उदाहरण के लिए, एक स्कूली
उम्र का बच्चा स्कूल में मध्याह्न भोजन करता है और अन्य तीन प्रमुख भोजन घर पर
करता है। जिस दिन परिवार के सदस्य घर पर होते हैं तो भोजन योजना उस कारण थोड़ा
भिन्न हो जाता है क्यूँकि सब आराम से सुबह उठते है और परिवार के सदस्यों की
दिनचर्या आहार आयोजन को प्रभावित करती है। परिवार के सदस्यों की ज़रूरतें (Needs of The Family) भोजन परिवार के विभिन्न सदस्यों की आवश्यकताओं के अनुसार
होना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रत्येक सदस्य के लिए अलग खाना पकाया जाना
चाहिए। भोजन में कुछ परिवर्तन करके परिवार के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकताओं को
पूरा किया जा सकता है, उदाहरण के
लिए, दाल के पानी
को सूप के रूप में परोसा जा सकता है, और दाल में
नमक की मात्रा कम करके उच्च रक्तचाप के रोगी को परोसा जा सकता है। बिना तली हुई
दाल रोगी को परोसी जा सकती है और बाकी सदस्य तली हुई दाल का आनंद ले सकते हैं.इस तरह से एक परिवार की विभिन ज़रूरतें आहर नियोजन को
प्रभावित करती हें। भोजन की प्रतमिकताएँ (Priorities of Food) जिस भोजन की योजना बनाई जाती है और परोसा जाता है उस पर
भोजन की प्रात्मिकताओं का प्रभाव पड़ता है इसलिए इसको ध्यान में रखना चाहिए। भोजन
की प्राथमिकताएं आमतौर पर खाने की आदतों से निर्धारित होती हैं जो एक व्यक्ति बचपन
में विकसित करता है। अन्य कारक जो खाद्य वरीयता को प्रभावित करते हैं, वे हैं क्षेत्र में कुछ खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, सहकर्मी समूह प्रभाव, और विज्ञापन
जो किसी विशेष खाद्य पदार्थ के लिए पसंद या नापसंद को संशोधित कर सकते हैं।विशेष
रूप से जब भोजन बहुत पौष्टिक हो और यदि वह भोजन व्यक्तियों द्वारा नापसंद किया
जाता तो उसे भोजन योजना से पूरी तरह से हटाया नहीं जाना चाहिए परन्तु उसे दूसरे
रूप में देना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि किसी को प्रीस्कूल बच्चे के लिए भोजन तैयार
करना है जो सब्जियों और दूध का बहुत शौकीन नहीं है, तो आप बच्चे को भोजन को अधिक स्वीकार्य बनाने के लिए इसे
भरवां पराठा या चपाती, सब्जी का
कटलेट, सब्जी का
रायता या पकौड़े के रूप में दिया जा सकता है। दूध को दही, रायता या पनीर का रूप में दिया जा सकता है। उपलब्ध समय (Availability of Time) समय एक मूल्यवान संसाधन है और समय की उपलब्धता आहार आयोजन
के विकल्पों को प्रभावित करती है। आज के समय में जब पुरुष और महिला दोनों घर से
बाहर काम करते हैं, उस समय
विस्तृत व्यंजन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि उन्हें काफी समय की आवश्यकता
होती है इसलिए इसके इष्टतम उपयोग के लिए समय का बजट होना चाहिए। कुछ व्यंजन बनाने
के लिए कम समय और कौशल की आवश्यकता होती है और फिर भी वे पौष्टिक होते हैं। उदाहरण
के लिए, एक कामकाजी
माँ के लिए तीन या चार आइटम तैयार करने के बजाय, एक पौष्टिक पुलाव तैयार कर सकती है। मूल्य (Values) आपके मूल्य भी आहार आयोजन को प्रभावित करते हैं , यह इस बात को प्रभावित करता है कि आप भोजन पर कितना खर्च
करते हैं उदाहरण के लिए यदि कोई स्वास्थ्य को महत्व देता हैं तो वह उन खाद्य
पदार्थों को खरीदने के लिए पैसा खर्च करते है जो आवश्यक पोषक तत्व प्रदान
करते है , यदि कोई
कपड़ों को महत्व देते हैं तो वह भोजन पर ना ध्यान देकर नवीनतम कपड़ों के लिए पैसे
खर्च करने को महत्व देते हैं। एलर्जी की समस्या: (Problem of Allergy) एक अन्य महत्वपूर्ण कारक जो भोजन की योजना को प्रभावित करती
है, वह यह जानना
है कि क्या परिवार के किसी सदस्य को किसी विशेष भोजन से एलर्जी है। ऐसे खाद्य
पदार्थों को भोजन में शामिल नहीं किया जाता है और उनके विकल्प प्रदान किए जाते हैं
ताकि उन खाद्य पदार्थों द्वारा प्रदान किए जाने वाले पोषक तत्वों से समझौता न हो।
उदाहरण के लिए, कुछ लोग
लैक्टोज असहिष्णु हैं, जो डेयरी
उत्पादों में प्राकृतिक रूप से मौजूद दूध चीनी (लैक्टोज) को पूरी तरह
से पचाने में असमर्थता है। दूध अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन के लिए सबसे अच्छे
स्रोत में से एक है, इसलिए यह
सुनिश्चित करने के लिए कि जो व्यक्ति दूध में लैक्टोज को पचा नहीं सकता उसे दही या
सोया दूध दिया जा सकता है जो कि प्रोटीन और कैल्शियम का भी एक अच्छा स्रोत है। इस
तरह से परिवार में अगर किसी को अलर्जी की समस्या हो तो वो भी आहार अयोजन को
प्रभावित करती है। विशेष अवसर (Special Occasion) विशेष अवसरों के लिए बनाए गए भोजन सामान्य दिनों में बनाए
गए भोजन से भिन्न होते हैं। भोजन खुशी को दर्शाता है इसलिए खाना एक सुखद अनुभव
होना चाहिए। विशेष अवसरों या त्योहारों के दौरान रंग, रूप, शामिल किए
जाने वाले व्यंजनों की संख्या पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाता है, लेकिन साथ ही पोषण संबंधी विशेषताओं की अवहेलना नहीं की
जानी चाहिए। ऐसे व्यंजनों को शामिल करने के लिए योजना सावधानी से बनाई जानी चाहिए
जो पौष्टिक होने के साथ-साथ अवसर के
अनुकूल हों। उदाहरण के लिए जन्मदिन पर खजूर और अखरोट का केक या गाजर का
केक पकाने के विकल्प पर विचार किया जाता है। स्वादिष्ट पौष्टिक स्नैक्स में
वेजिटेबल स्प्रिंग रोल, बेक्ड मशरूम ,पनीर पॉकेट्स के साथ टमाटर-इमली की चटनी जैसे आइटम शामिल होते हैं।इस तरह इन को अपने
आहार में शामिल करने का प्रयास भी आहार आयोजन को प्रभावित करता है। खाद्य पोषक तत्वों के अवशोषण
या जैवउपलब्धता (Absorption and
Bioavailability of Nutrients) इस का तात्पर्य आहार में उपभोग किए गए पोषक तत्व के अनुपात
या अंश से है, जिसे शरीर
द्वारा अवशोषित और उपयोग किया जाता है। मिशिगन विश्वविद्यालय में डॉ. सुज़ैन कोल द्वारा “एक सूक्ष्म
पोषक तत्व” व्याख्यान के
अनुसार, जैव उपलब्धता
आहार के पोषक तत्वों की एकाग्रता, पोषण की
स्थिति, स्वास्थ्य और
जीवन स्तर सहित कई कारकों से प्रभावित होती है। खाद्य पदार्थों को प्रभावित करने
वाले आहार से संबंधित कारकों में भोजन की संरचना, एक विशेष पोषक तत्व का रासायनिक रूप, विभिन्न पोषक तत्वों और खाद्य पदार्थों के बीच परस्पर
क्रिया और किसी विशेष खाद्य पदार्थ का प्रसंस्करण या उपचार शामिल हैं। भोजन योजना का महत्व (Importance of Meal
Planning) समय से पहले अपनी प्लेट की योजना बनाना आपके भोजन , पोषण और आहार आयोजन सम्बंधित लक्ष्यों में बड़ा बदलाव ला सकता
है। भोजन योजना के कई बेहतरीन लाभ हैं जो समग्र स्वास्थ्य में
सुधार करने और भोजन के समय के तनाव को कम करने में मदद करते हैं। समय से पहले अपने
भोजन की योजना बनाने के ये कुछ बेहतरीन फायदे हैं ,चाहे आप कुछ अतिरिक्त किलो कम करने या अपने पोषण में सुधार
करने की कोशिश कर रहे हों, अपने भोजन की
योजना बनाना यह सुनिश्चित करने का एक सहायक तरीका है कि आप अच्छा खा रहे हैं और
आपके लक्ष्यों और आपके बटुए में बड़ा बदलाव ला सकते हैं भोजन योजना का महत्व निम्न
प्रकार है: 1. समय की बचत (Time Saving) सप्ताह के लिए अपने भोजन की योजना बनाने से आपको अपने समय
का बेहतर प्रबंधन करने में मदद मिलती है। हम यह तय करने में बहुत समय लगाते हैं कि
क्या खाना चाहिए, किराने की
खरीदारी कहाँ और कब करना है , खाना क्या
बनाना है और फिर रात के खाने के बाद सफाई करना। आगे की योजना बनाकर और अपने भोजन
को व्यवस्थित करके हम दुकानों में ख़रीदारी के लिए अंतिम मिनट की यात्राएं , लक्ष्यहीन भटकना और अधिक खर्च करना कम कर सकते है और समय कि
बचत कर सकते हैं। 2. भाग नियंत्रण (Portion Control) यदि आपके लक्ष्य वजन घटाने से प्रेरित हैं, तो पहले से तैयारी करने से आपको अपने हिस्से के आकार को
प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है, जिसका अर्थ
है कि आपके अधिक खाने की संभावना कम होगी। 3. खाद्य अपशिष्ट की मात्रा को कम करना (Prevents Food Wastage) चाहे आप अपने भोजन की योजना बना रहे हों या अपने भोजन की
तैयारी का प्रबंधन करने के लिए भोजन वितरण सेवा का उपयोग कर रहे हों, यह आपके द्वारा बर्बाद किए जाने वाले भोजन की मात्रा को कम
करने में मदद कर सकता है। हम सभी भोजन को बर्बाद करने के लिए थोड़ा दोषी हो सकते
हैं, लेकिन आहर
आयोजन इस बात में मदद करता है कि आप केवल वही ख़रीदें जो आप उपयोग कर सकें और
बर्बाद होने से बचाए। 4. आखिरी मिनट में खाना पकाने के तनाव को कम करता है (Lessens the stress of last minute cooking) अपने भोजन को समय से पहले व्यवस्थित करने से 'रात के खाने में क्या है?' प्रश्न को कम किया जा सकता है। हम जानते हैं कि रात के खाने
की योजना बनाना एक अनावश्यक तनाव हो सकता है, विशेष रूप से सप्ताह के दिनों में जब आपको काम से जाना होता
है और मेज पर स्वस्थ, पौष्टिक भोजन
प्राप्त करने का प्रयास करना होता है। यदि आपने पहले से स्वस्थ भोजन किया है तो एक
लंबे दिन के अंत में जो कुछ बचा है वह गर्म कर के खाने से आखिरी मिनट में खाना
पकाने के तनाव का उचित आहार आयोजन से कम होता है। 5. पैसे की बचत (Saves Money) कुछ पैसे बचाना किसे पसंद नहीं है? भोजन योजना से दुकानों पर अनावश्यक किराने का सामान खरीदने
में कमी आती है जो कई बार फेंक दिया जाता है। इसका मतलब यह भी है कि आप
टेकअवे और बाहर खाने पर अपने खर्च में कटौती कर सकते हैं। भोजन योजना आपको इस बारे
में अधिक जागरूक बनने में मदद करता है कि आप भोजन पर कितना पैसा खर्च कर रहे हैं और
बचे हुए आपकी आय से आप अपने परिवार की अहम ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं। 6. अस्वास्थ्यकर विकल्पों से बचाव (Prevents
Unhealthy Alternatives) भोजन योजना
आसान विकल्प में से स्वस्थ विकल्पों को चुनने में मदद करती है। ड्राइव-थ्रू पर जाने या घर के रास्ते में एक अस्वास्थ्यकर टेकअवे
लेने के बजाय, यह जानकर कि
आपके घर पर आपके लिए भोजन तैयार है, अस्वास्थ्यकर
अंतिम मिनट के विकल्पों के प्रलोभन को समाप्त कर सकता है। ये खाद्य पदार्थ कैलोरी
और सोडियम में अधिक हो सकते हैं और आपके वजन प्रबंधन या स्वास्थ्य लक्ष्यों को
तोड़ सकते हैं। बहुत अधिक थका हुआ और भूखा होने से भी अस्वस्थकर विकल्प
सामने आ जाते हैं, इसलिए आहार
आयोजन अस्वास्थ्यकर विकल्पों से बचाता है। 7. अधिक विविधता का आनंद (Joy of Variety) जब हम व्यस्त होते हैं, तो एक ही चीज़ को बार-बार पकाना आसान हो सकता है। भोजन योजना यह सुनिश्चित करने
में मदद करता है कि आप विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खा रहे हैं और यह परम्परागत
जीवन शैली और बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। एक स्वस्थ भोजन
योजना का पालन करने से, यह सुनिश्चित
करने में भी मदद मिलेगी कि आप सही मात्रा में सही भोजन खा रहे हैं और साथ ही साथ
अलग अलग अलग तरह के भोजन का आयोजन कर के परिवार का पोषण कर सकते हैं। 8.परिवार के सदस्यों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक (Helps in fulfilling the nutritional requirement of the family) आहार आयोजन हमें यह तय करने में मदद करता है कि प्रत्येक
दिन और प्रत्येक भोजन में क्या खाना चाहिए। हम इसे अपना 'दैनिक भोजन गाइड' कह सकते हैं। भोजन योजना
हमें व्यक्तिगत सदस्यों की खाद्य वरीयताओं को पूरा करने में भी मदद करती है। 9. ऊर्जा की बचत (Saves Energy) पारिवारिक कर्तव्यों और दिन भर कि काम काज में पूरा एक दिन
बिताने के बाद, हम थक जाते
हैं और हम यह चाहते है कि हम भोजन को पकाने में कम ऊर्जा खर्च करें। कौन ऐसा होगा जो परिवार के साथ अधिक खाली समय या सिर्फ आराम
नहीं करना चाहेगा? समझदारी के
साथ आहार आयोजन करने से त्वरित और स्वस्थ आसान व्यंजनों को बनाकर हम ऊर्जा की बचत
कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि सुबह
उबले हुए आलू और रात के खाने के लिए उबले हुए आलू की आवश्यकता होती है, तो उन्हें एक साथ उबालकर बहुत सारे ईंधन को बचाया जा सकता
है और साथ मे ऊर्जा की भी बचत होती है। 10. भूख शान्त करने में सहायक (Satisfies Hunger) आहार-योजना भूख
शान्त करने के साथ पूर्ण तृप्ति का अहसास भी दिलाने में मदद करता है जिससे अगले
भोजन के समय तक भूख न लगे। जैसे कि सुबह के नाश्ते में यदि हम केवल चाय के साथ
केवल एक टोस्ट लें तो हमें शीघ्र ही भूख लगने लगेगी और क्षसन्तुष्टि नहीं मिलेगी।
यदि हम आहार – योजना बनाकर
एक गिलास दूध के साथ पराठा व सब्जी/अचार लें तो
हमें दोपहर के भोजन तक क्षुधा सन्तुष्टि बनी रहेगी। इस प्रकार भूख की सन्तुष्टि की
दृष्टि से आहार-आयोजन
महत्त्वपूर्ण है। 11. बचे हुए भोजन का उपयोग करने में सहायक (Helps in reuse of leftover food) अक्सर घर मे जब हम खाना बनाते है तो कुछ न कुछ बच जाता है।
आहार आयोजन से हम नए तरीके से बचे हुए आहर को दुबारा इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे कि
दाल बच गई है तो उसे आटे में गूंध कर परांठा बनाना, सब्जी से भी कुरकुरे परांठे बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता
है। बची हुई रोटी को बेसन का घोल तैयार कर के उससे बेसनी रोटी बना सकते हैं। चावल
बच गए हैं तो rice ball बनाकर बेसन
में डाल कर पकौड़े बना सकते हैं। ऐसे कई तरीक़ों से आहार आयोजन, बचे हुए भोजन को प्रयोग करने में मदद करता है। प्रत्येक सदस्य की आवश्यकताओं के अनुसार उसी भोजन को
संशोधित करना भी आहार
आयोजन के अंतर्गत आता है। इसे ही आहार संशोधन के रूप में जाना जाता है। इसे दो
तरीकों से हासिल किया जा सकता है। आहार में संशोधन के माध्यम से आहार संशोधन का अर्थ है परिवार के लिए पकाए गए भोजन को खाने
की मात्रा, गुणवत्ता और
बारंबारता में परिवर्तन करके किसी भी सदस्य को परोसना। आहार का मात्रात्मक संशोधन इसका अर्थ है भोजन की संख्या में वृद्धि या कमी और/या भाग का आकार (भोजन में खाए
गए किसी विशेष व्यंजन की मात्रा का भाग आकार)। उदाहरण के लिए, गर्भवती महिलाओं, बीमार लोगों
या वृद्ध व्यक्तियों को छोटे भोजन करने की आवश्यकता होती है, लेकिन कम अंतराल पर, यानी उन्हें
दिन में चार बार भोजन करने के बजाय 6-8 भोजन की
आवश्यकता हो सकती है। इसी तरह, किशोर लड़कों
को अपनी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रत्येक भोजन में अधिक मात्रा
में (चावल/चपाती, अधिक दाल/दही हो सकता है) और अधिक बार
भोजन की आवश्यकता होती है। आहार का गुणात्मक संशोधन यह आहार के पोषक तत्वों, स्थिरता, स्वाद, मसालों की मात्रा और फाइबर सामग्री में परिवर्तन को
संदर्भित करता है। उदाहरण के लिए, एक गर्भवती
महिला की बढ़ी हुई प्रोटीन आवश्यकता को उसके आहार में प्रोटीन युक्त खाद्य
पदार्थों की मात्रा बढ़ाकर पूरा किया जा सकता है। आपने माताओं को एक अलग कटोरी में
कुछ उबली हुई दाल निकाल कर, मसल कर 6 महीने से 1 साल तक के
बच्चों को खिलाते हुए देखा होगा। दाल में नमक और हल्दी के अलावा कोई मसाला नहीं
होता है। थोड़े बड़े बच्चों को अच्छी तरह पकाकर और मसली हुई 'खिचरी' खिलाया जाता
है। वृद्ध लोगों को नरम और कम मसालेदार आहार की आवश्यकता होती है। यह आहार का
गुणात्मक संशोधन है। आवृत्ति के संदर्भ में संशोधन आप उस व्यक्ति को क्या सुझाव देंगे जिसकी आवश्यकताएँ बढ़
जाती हैं लेकिन वे मूल भोजन में भोजन की मात्रा नहीं बढ़ा पाते हैं? हां, आप इसके बजाय
भोजन की संख्या में वृद्धि का सुझाव देंगे। इसका मतलब है कि मुख्य भोजन के बीच में
कुछ लेना चाहिए। आवृत्ति के संदर्भ में निम्न आहार संशोधन किया जा सकता है- खाद्य विनिमय विधि के माध्यम से यदि आप परिवार के विभिन्न सदस्यों के लिए एक ही भोजन को
संशोधित कर रहे हैं, तो आप यह
कैसे तय करेंगे कि एक वस्तु का कितना हिस्सा दूसरे के बराबर है? यदि आप इस बारे में सुनिश्चित नहीं हैं कि एक खाद्य पदार्थ
का दूसरे के साथ सही अनुपात में आदान-प्रदान कैसे
किया जाए, तो हो सकता
है कि आप सभी की आवश्यकताओं को सही ढंग से पूरा करने में सक्षम न हों। उदाहरण के
लिए, यदि आप अंडे
के साथ दूध का आदान-प्रदान कर
रहे हैं तो आपको पता होना चाहिए कि एक अंडे के बराबर कितना दूध है या यदि कोई अंडा
नहीं खाना चाहता है, तो उस स्थिति
में कितनी दाल दी जानी चाहिए? भोजन का आदान-प्रदान आपको
जरूरत, पसंद, नापसंद और भोजन की आदतों के अनुसार किसी व्यक्ति के लिए
आहार को संशोधित करने में मदद करता है और आहार को अधिक लचीला और रोचक बनाने में
आपकी मदद करता है। निम्नलिखित खाद्य विनिमय तालिका आपको विभिन्न खाद्य पदार्थों के
बीच किए जा सकने वाले आदान-प्रदान के
बारे में एक उचित विचार देती है, ताकि इन
खाद्य पदार्थों से प्राप्त पोषक तत्व समान रहें। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ 1 गिलास दूध = 1 अंडा = 1 मध्यम आकार
का कटोरी मांस = 1 बड़ी कटोरी
दाल = 1 बड़ा कटोरी
दही = 1/4 कप पनीर = 3 कप छाछ कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ 1 रोटी = 1 ब्रेड का टुकड़ा = 1 आलू = 1/2 कप चावल = 1/2 कप दलिया = 4 नमकीन बिस्कुट = 1/2 कप नूडल्स = 1 इडली = 1 सादा डोसा = 1/2 कप उपमा/पोहा वसा युक्त खाद्य पदार्थ 1 चम्मच मक्खन = 1 चम्मच तेल = 2 चम्मच
मेयोनेज़ = 4-5 मेवे = 10-12 मूंगफली के टुकड़े = 5 चम्मच क्रीम। Indian Council of Medical Research
(ICMR), the apex body in India for the formulation, coordination and promotion
of biomedical research, is one of the oldest and largest medical research
bodies in the world. RDA (recommended dietary allowances)
for indians as PER ICMR Hyderabad भोजन योजना के लिए युक्तियाँ |