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शिक्षा में प्रौद्योगिकी का योगदान ISBN: 978-93-93166-33-3 For verification of this chapter, please visit on http://www.socialresearchfoundation.com/books.php#8 |
उच्च शिक्षा में ऑनलाइन/डिजीटल शिक्षा पद्धति - आवश्यकता एवं चुनौतियां |
डॉ. आशिराम सत्य्य
असिस्टेंट प्रोफेसर
उच्च शिक्षा विभाग
मध्य प्रदेश, भारत
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DOI: Chapter ID: 16241 |
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सारांश महात्मा गांधीजी के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने वाला इंसान
शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास पाता है। हमारे
देश के कई शिक्षाविदों एवं विचारकों जैसे रवीन्द्रनाथ टैगोर, अरविंद जे.कृष्णमूर्ति और
पाओलो फियरे ने शिक्षा के आमूल परिवर्तनकारी क्षमता को पहचाना था और शिक्षा के
व्यापक प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित किया है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत के नीति निर्माताओं, विद्वानों एवं शिक्षाविदों द्वारा शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग ने
कोविड-19 एक वैश्विक महामारी को ध्यान में रख कर उच्च शिक्षा में नवीन तकनीक ऑनलाइन
व डिजीटल शिक्षा की आवश्यकता को महसूस किया और शिक्षण व्यवस्था को ऑनलाइन पद्धति
द्वारा सुचारू रूप से संचालित किया गया। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत सभी
प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे- इंटरनेट, इंट्रानेट, ऑडियो, वीडियो, यू-ट्यूब आधारित
शिक्षा शामिल है। ऑनलाइन शिक्षा के फायदे बहुत हैं। नयी शिक्षा नीति के तहत् शिक्षा
व्यवस्था में इस प्रकार से प्रावधान सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है जिसमें
सभी विद्यार्थी चाहे उनका निवास स्थान कहीं भी हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
प्रदान करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा में शिक्षण को
प्रभावशाली बनाने के लिए परंपरागत अध्यापन शैली के साथ-साथ नवीन पद्धति को अपनाया
जाना बहुत ही उपयोगी नवाचार साबित होगा। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों द्वारा
आधुनिक शिक्षा पद्धति लागू करने में कई चुनौतियाँ व समस्याएँ भी हैं। परंतु उन
परिस्थितियों एवं बाधाओं को दूर करते हुए हर संभव प्रयास किये जाने की आवश्यकता है
जिससे प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं का विकास कर रोजगार के लिए
सक्षम बना सके। कुंजी शब्द : प्रौद्योगिकी, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रशिक्षित प्रशिक्षक, संवर्धन, प्रोफेशनल आदि। परिचय समाज के निर्माण एवं समाज के प्रत्येक वर्ग के सर्वांगीण
विकास हेतु शिक्षा आवश्यक ही नहीं वरन् आज के वैश्विक अर्थव्यवस्था में उच्च
प्रतियोगी वातावरण में आगे बढ़ने के लिए देश व समाज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता
है। शिक्षा के जरिए व्यक्तित्व का विकास होता है। शिक्षा विद्यार्थी को जीवन में
आने वाली हर कठिनाइयों का सामना करने हेतु समझ, ज्ञान एवं बुद्धि, कठिन तथ्यों को समझने, प्रश्न करने और चुनौती
देने का साहस देती है। वर्तमान समय में आर्थिक और तकनीकी विकास के कारण होने वाले
लाभों से समाज के प्रत्येक वर्ग को जोड़ने के लिए एक सुनियोजित, सुव्यवस्थित एवं समन्वित
प्रयास की जरूरत है। किसी भी समाज का सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक
उत्थान एवं कल्याण उस समाज के लोगों की सोच पर निर्भर करता है। अच्छे विचार, सोच एवं भाव केवल शिक्षा
के माध्यम से ही प्राप्त होते हैं। शिक्षा ही व्यक्ति और समाज का सर्वांगीण विकास
कर सकती है। विद्या ही एक ऐसा संसाधन है जिसे जितना खर्च करेंगें उससे और अधिक
प्राप्त होगा। विद्या सभी धर्मों में श्रेष्ठ है। शिक्षा के माध्यम से अंधकार का
क्षरण होता है। शिक्षा हेतु सारे प्रयास केवल सरकार का ही कर्तव्य नहीं है अपितु, देश के प्रत्येक नागरिक को समझकर समाज को शिक्षित करना होगा। भारत देश में विश्वविद्यालयों की संख्या 1000 है, जिसमें 54 केन्द्रीय विश्वविद्यालय, 416 राज्य
विश्वविद्यालय, 125 डीम्ड
विश्वविद्यालय, 361 निजी
विश्वविद्यालय और 159 राष्ट्रीय
स्तर के विश्वविद्यालय शामिल है। सभी को उच्च शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने की दृष्टि
से सम्पूर्ण देश में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की संख्या में निरंतर
वृद्धि की जा रही है। मध्यप्रदेश में कुल विश्वविद्यालयों की संख्या 49 है।
इसी प्रकार महाविद्यालयों की संख्या 1405 है
जिसमें कुल 299 कोर्स
संचालित किये जा रहे हैं। उपरोक्त कोर्सेस के आधार पर कुल नामांकित विद्यार्थियों
की संख्या 1178000 है।
इस प्रकार म. प्र. शासन, उच्च शिक्षा विभाग ने विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत्
विद्याथियों में शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप
से गुणवत्ता में वृद्धि करने का प्रयास निरंतर जारी है। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता
को बनाए रखने हेतु प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में नवीन
शिक्षा नीति- 2020 को
लागू कर एक नया और क्रांतिकारी कदम उठाया है। नवीन शिक्षा नीति 21वीं शताब्दी की ऐसी पहली नीति है जिसमें व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ रोजगार
संवर्धन संबंधी विशेष प्रावधान किये गये हैं। प्राचीनकाल में शिक्षा पद्धति
अनुसार शिक्षा व्यवस्था गुरूकुलों के माध्यम से संचालित होती रही है जहां निम्न
वर्ग से लेकर समाज के उच्च वर्ग के सभी को शिक्षा प्रदान की जाती थी। धीरे-धीरे
समयानुसार शिक्षा पद्धति में परिवर्तन आने लगा। नवीन
शिक्षा नीति, 2020 के
अनुसार सभी शैक्षणिक संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट संस्थान बनाए जाने का लक्ष्य रखा
गया है। नवीन शिक्षा नीति-2020 के
प्रचार प्रसार हेतु विभिन्न महाविद्यालयों द्वारा कार्यशालाओं एवं ऑनलाइन
व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है जिससे इस नीति की आवश्यकता एवं आने वाली
चुनौतियों को समझा जा सके। कार्यशालाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया गया
है कि इस शिक्षा नीति से विद्यार्थियों में भाषा कौशल का विकास होगा क्योंकि, छात्र
अब मातृभाषा में अध्ययन का कार्य कर सकेंगे। इस नीति से व्यावसायिक शिक्षा और
सांस्कृतिक शिक्षा प्राप्त कर युवा अपनी संस्कृति को जानने के साथ ही स्वरोजगाार
के लिए तैयार हो सकेंगे। यह नीति महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने तथा आधुनिकता को बढ़ाने वाली नीति है। युवाओं को अपने मनपसंद विषय चुनने और पढ़ने की स्वतंत्रता
प्रदान करती है। ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा ऑनलाइन शिक्षा शिक्षा प्राप्त करने का एक ऐसा माध्यम है जिसमें शिक्षा प्राप्त करने वाला कहीं भी किसी भी समय इंटरनेट द्वारा महाविद्यालय के शिक्षकों से जुड़कर अध्ययन का कार्य करता है। परंपरागत शिक्षा पद्धति में शिक्षक कक्षा रूम में भौतिक रूप से उपस्थित होकर ब्लैक बोर्ड का उपयोग कर विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करता है और प्रत्यक्ष रूप से आचार -विचारों का संवाद होता है। परंतु ऑनलाइन पद्धति में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मोबाइल, लेपटॉप में गूगल मिट या मायक्रोसॉफ्ट टीम या अन्य एप का उपयोग कर घर बैठे विभिन्न व्याख्यानों को सुनकर शिक्षा अर्जित करता है। शिक्षण कार्य में संलग्न सभी शिक्षकों को इस तरह की शिक्षा देने के लिए एक कंप्यूटर या स्मार्टफोन की आवश्यकता होती है। ठीक इसी प्रकार विद्यार्थियों के पास भी इंटरनेट कनेक्शन के साथ-साथ कंप्यूटर या स्मार्ट फोन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार की शिक्षण प्रणाली में घर बैठे अध्ययन-अध्यापन का कार्य सम्पन्न किया जाता है। इस पद्धति में प्रत्येक शिक्षक जो अध्यापन का कार्य कर रहा होता है उसे अपने कंटेट या शिक्षण सामग्री को स्क्रीन शेयर के माध्यम से प्रदान करता है। इस शिक्षण पद्धति में प्रत्येक छात्र या छात्रा संवाद के माध्यम से अपने सवाल का जवाब पूछ सकते हैं तथा पूछे गए प्रश्नों का जवाब दिया जा सकता है। साथ-ही-साथ वे घर बैठकर पहले से संकलित विभिन्न शिक्षकों के वीडियो व्याख्यान, लिखित पाठ्य सामग्री या अन्य कंटेंट को संग्रहित करने के साथ-साथ अपने अन्य सहपाठी को प्रेषित करने का कार्य भी आसानी से कर सकता है। इस शिक्षण पद्धति में विद्यार्थी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर शिक्षा अर्जित कर सकता है जबकि, ऑफलाइन शिक्षा पद्धति में समस्त अधिगम को प्रत्यक्ष रूप एवं भौतिक रूप से उपस्थित होना आवश्यक है। ऑनलाइन शिक्षा पद्धति में भौतिक रूप से उपस्थित होने की अनिवार्यता नहीं होती हैै। ऑनलाइन शिक्षा की उपयोगिता शिक्षा के द्वारा समाज का प्रत्येक नागरिक अपने विषय संबंधी
ज्ञान, व्यक्तित्व में निखार, मौखिक एवं लिखित सम्प्रेषण, कौशल, सृजनशीलता, मानसिकता में बदलाव, नया करने व सीखने की कला, टीम भावना, परिस्थितियों के अनुसार
अपने को ढालने, इन सभी योग्यताओं एवं गुणों का विकास शिक्षा द्वारा ही संभव है।
इनमें ऑनलाइन शिक्षा पद्धति महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैै। इस पद्धति से शिक्षा
क्षेत्र को होने वाले लाभों को निम्न बिन्दुओें से समझा जा सकता है- वैश्विक महामारी के होते हुए भी शिक्षा का कार्य निर्बाध
रूप से संचालित किया गया जिससे शैक्षणिक संस्थाओें, कोचिंग संस्थानों एवं
विभिन्न व्यावसायिक व्यक्तियों के लिए लाभकारी पद्धति साबित हुई है। तकनीकी उपकरणों जैसे मोबाईल, लेपटाप, ब्लूटूथ, रिकार्डिग उपकरण, कैमरे इत्यादि की बिक्री में वृद्धि से इन्हें बनाने वाली कंपनी व व्यावसायिक उपक्रमों में संलग्न प्रोफेशनल की आय में वृद्धि हुई है। ऑनलाइन शिक्षा पद्धति से समय की बचत होती है। कोचिंग संस्थानों तक पहुॅचने तथा वापसी हेतु यातायात व्यय में कमी होती है। इस पद्धति में शिक्षण सामग्री को रिकॉर्डिंग करने एवं दोबारा सुनने की सुविधा मिलती है जिससे विद्यार्थी अपनी शंकाओं का समाधान आसानी से कर सकता है। ऑनलाइन शिक्षा पद्धति परंपरागत शिक्षा प्रणाली से अधिक प्रभावशाली होती है क्योंकि, इसमें वीडियो, ग्राफिक्स एवं एनिमेशन व विभिन्न आकर्षक सामग्री द्वारा मनमोहक एवं समझने योग्य व्याख्यान तैयार कर हमेशा के लिये संरक्षित किये जाने लगे हैं जिससे ज्ञानकोश में सुधारात्मक पहल की जा सकती है। ऑनलाइन शिक्षा हेतु कई कम्पनियों द्वारा लर्निंग एप बनाये गये हैं जिसमें गूगल अर्थ, गूगल मीट, मायक्रोसॉफ्ट टीम इत्यादि हैं। इससे शिक्षकों द्वारा अध्यापन कार्य इतना सरल एवं आसान होता है जिससे पढ़ने वाला आसान तरीके से विषय को समझता है तथा इस एप् के माध्यम से शिक्षक सीधे विद्यार्थी से सम्पर्क कर सकते हैं। ऑनलाइन शिक्षा पद्धति से शिक्षण योजना को प्रभावपूर्ण बनाने, स्मार्ट शिक्षण व्यवस्था, पाठ्य सामग्री को पीडीएफ फाईल बनाने तथा उच्च क्वालिटी के वीडियो व्याख्यानों का संग्रहण एवं प्रेषण की सुविधा होने से आसानी से ज्ञान का आदान-प्रदान संभव हुआ है। प्रौद्योगिकी की दृष्टि से विकसित देश संयुक्त राज्य अमेरिका में उच्च शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति का उपयोग करने वाले छात्रों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखने को मिलती है। समग्र नामांकन वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक की कुल पांच वर्ष की अवधि में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। इस प्रकार ऑनलाइन शिक्षा पद्धति का उपयोग निरंतर बढ़ता ही जा
रहा है। कोरोना महामारी के दौरान सम्पूर्ण लॉकडाउन होने पर भी विभिन्न विभागों के
कार्यो को घर पर बैठकर किया गया। ऑनलाइन पद्धति से सिर्फ शिक्षा क्षेत्र ही नहीं
बल्कि व्यावसायिक जगत, जिसमें विभिन्न प्रकार के मार्केटिंग कार्य, ऑनलाइन बुकिंग, ऑनलाइन आर्डर एवं डिलीवरी
का कार्य भी आसानी से सम्पन्न किया गया। मार्च 2019 से जुलाई 2021 तक कोविड-19 के
कारण सभी शैक्षणिक संस्थान, कोचिंग संस्थाएं बंद थी।
परिणामस्वरूप शिक्षा में जो बदलाव आया है तथा वर्तमान परिदृश्य में विद्याथियों
द्वारा पसंद किया जाने लगा है वह है, डिजिटल शिक्षा अर्थात् ऑनलाइन शिक्षा। रिसर्च
करने पर यह बात सामने आयी है कि ऑनलाइन शिक्षा से संचार को बढ़ावा मिला है और इस
पद्धति ने एक नया रास्ता खोल दिया है जो भविष्य में और अधिक विकसित होने की
संभावना है। ऑनलाइन शिक्षा की चुनौतियाँ ऑनलाइन/डिजिटल शिक्षा को लाभकारी तभी बनाया जा सकता है जब सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए वर्तमान एवं भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म और उपलब्ध संचार व्यवस्था को सुदृढ एवं सुचारू रूप से संचालित करने का प्रयास नहीं किया जाता साथ-ही डिजिटल इंडिया अभियान के तहत् कम्प्यूटर उपकरणों की उपलब्धता को सुनिश्चित कर डिजिटल अंतर को समाप्त कर सकते हैं। इसके अलावा जब तक ऑनलाइन शिक्षा को अनुभवात्मक और गतिविधि आधारित शिक्षा के साथ जोड़ा नहीं जाता तब तक यह पद्धति एक स्क्रीन आधारित शिक्षा मात्र बन कर रह जाएगी। ऑनलाइन पद्धति से शिक्षा प्रदान करने हेतु एक प्रशिक्षित प्रशिक्षक बनाने हेतु शिक्षकों को उपयुक्त प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा ऑनलाइन अध्यापन की विभिन्न पद्धतियों में बदलाव के साथ ऑनलाइन परीक्षा एवं आकलन के लिए नये आयाम की आवश्यकता दृष्टिगोचर होती है। भारत जैसे विकासशील देश एवं अत्यधिक जनसंख्या घनत्व वाले देश में नेटवर्क व बिजली की समस्या का समाधान करना भी चुनौतीपूर्ण कार्य है। डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में कुछ विषय ऐसे हैं जिन्हें पूरी तरह ऑनलाइन किया जाना संभव नहीं है, फिर भी कुछ नवीनतम उपायों द्वारा इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। ऑनलाइन/डिजीटल शिक्षा के महत्व को देखते हुए नवीन शिक्षा
नीति 2020 उच्च
शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर निम्नलिखित सुधार करने का प्रयास किया जाना चाहिये- म.प्र. में संचालित कई ऐसे महाविद्यालय हैं जिनके खुद के भवन नहीं है, किराये के भवन में शिक्षा कार्य का संचालन किया जाता है साथ ही तकनीकी सुविधाओं का अभाव है। ऐसे महाविद्यालयों हेतु त्वरित स्वयं के भवनों का निर्माण किया जाये जिससे डिजीटल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया जा सके जिससे ई-लर्निंग प्लेटफार्म का विस्तार किया जा सकेगा। म.प्र. शासन द्वारा हाल ही में शिक्षकों को स्नातक स्तर पर
ई-कंटेंट सामग्री के निर्माण हेतु प्रशिक्षित किया गया और विभिन्न विषयों के
प्रशिक्षित प्राध्यापकों द्वारा ई-कंटेंट को विश्वविद्यालय की साईट पर अपलोड किया
गया है जिससे कोई भी विद्यार्थी आवश्यकतानुसार ऑनलाइन ई-सामग्री प्राप्त कर सकता
है। इसी परिप्रेक्ष्य में समस्त अप्रशिक्षित शिक्षकों हेतु प्रशिक्षण की आवश्यकता
होगी जिससे सभी प्रशिक्षित होकर ऑनलाइन प्लेटफार्मों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित
कर सकेंगे तथा उच्चतर गुणवत्ता वाली ऑनलाइन सामग्री का निर्माण कर सकेंगे। कॉलेज में स्नातक/स्नातकोत्तर स्तर के सभी विद्यार्थियों को
गुणवत्तापूर्ण व्यावहारिक और प्रयोगात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा
लागू की गयी दीक्षा, स्वयम् और स्वयम्प्रभा जैसे
ई-लर्निग प्रोग्राम का उपयोग करने के लिए प्रेरित किये जाने की आवश्यकता है जिससे
सभी छात्रों को अध्यापन संबंधी सामग्री पहले से ही अपलोड कर टेबलेट के द्वारा
प्रदान की जा सके। भारत में जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है जो आज भी
संचार के आधुनिक साधनों से वंचित है तथा जहाँ डिजिटल साधनों की पहुँच सीमित है। ऐसे
क्षेत्रों में मौजूदा संचार के साधन जैसे-टेलीविजन, रेडियो, मोबाईल नेटवर्क आदि का बड़े पैमाने पर विस्तार करने की आवश्यकता है जिससे शिक्षण सामग्री इन संचार के माध्यमों
से क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित की जा सके। शिक्षा के हर स्तर पर शासन द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं
का सुनियोजित एवं सही क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिये। विद्यार्थियों की
गुणवत्ता में होने वाली वृद्धि तथा कमजोरी का आकलन करने के लिए स्वाट विश्लेषण पद्धति पर ध्यान देना चाहिये। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पाठ्क्रम अलग-अलग निर्धारित किये गये हैं तथा परीक्षाओं के आयोजन एवं मूल्यांकन पद्धतियों में भी भिन्नता है। अतः राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यक्रमों में समरूपता हो। भारत सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु कई
योजनाएँ एवं कार्यक्रमों को संचालित कर रही है। इसी प्रकार विभिन्न संस्थानों जैसे
भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान
परिषद द्वारा भी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हेतु अनुसंधान द्वारा उल्लेखनीय
कार्य किये जा रहे हैं। इन संस्थानों की भूमिका को बढ़ाने हेतु पर्याप्त वित्त उपलब्धता की व्यवस्था की जानी चाहिये। निष्कर्ष गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था ने भारत में अनेक उत्कृष्ट
विद्वान, वैज्ञानिक, समाजशास्त्री, इंजीनियर, डॉक्टर और राजनेता पैदा
किए हैं जो अपनी सेवाएं देकर देश के सर्वांगीण विकास में सहभागी बनकर अपने कर्तव्यों
का निर्वहन कर रहे हैं। शिक्षा के अभाव में यह असंभव प्रतीत होता है। इसी महत्व के
आधार पर यह कहा जा सकता है कि समाज के निर्माण एवं समाज के प्रत्येक वर्ग के
सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा आवश्यक की नहीं वरन् आज के वैश्विक अर्थव्यवस्था में
उच्च प्रतियोगी वातावरण में आगे बढ़ने के लिए देश व समाज की सबसे महत्वपूर्ण
आवश्यकता है। नवीन शिक्षा नीति जो कि न सिर्फ विद्याथियों के भविष्य निर्माण में
सहायक होगी बल्कि, हमारे देश और समाज के विकास में सहायक होगी। यह नीति हर
दृष्टिकोण से पूर्व नीतियों से बेहतर है। यह नीति तभी सफल होगी जब इसे सही तरीके
से लागू किया जाये। इस नीति की सफलता और असफलता विद्यार्थी और शिक्षक दोनों के
प्रयासों पर निर्भर करेगी। संदर्भ ग्रन्थ सूची 1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986, मानव संसाधन विकास
मंत्रालय, भारत सरकार नयी दिल्ली, पृष्ठ
संख्या (16-17) 2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मानव संसाधन विकास
मंत्रालय, भारत सरकार नयी दिल्ली, पृष्ठ
संख्या (92) 3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मानव संसाधन विकास
मंत्रालय, भारत सरकार, नयी
दिल्ली, पृष्ठ संख्या (95-97) 4. आभासी कक्षा में ऑनलाइन शिक्षा एक नया
वातावरण, एस हिल्ट्ज पृष्ठ संख्या (133-169) 5. संयुक्त राज्य अमेरिका में ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता एवं विस्तार वर्ष 2002-2003 |