Multidimensional Aspects of Geography
ISBN: 978-93-93166-30-2
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स्वास्थ्य की दृष्टि से मिलेट्स का उपयोग

 रश्मि गोयल
विभागाध्यक्ष
भूगोल विभाग
शम्भुदयाल (पी0जी0) काॅलिज
गाजियाबाद  उत्तर प्रदेश, भारत 

DOI:
Chapter ID: 17472
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आवश्यकताओं की दृष्टि से देखें तो खाद्य-संसाधन प्रमुख है। हवा, पानी तथा भोजन मनुष्य की आवश्यकताएँ हैं। इनके बगैर जीवन जीना सम्भव नहीं हैं। हवा के बिना हम सांस नहीं ले सकते और शरीर में पानी हो तो पानी का अभाव का सन्तुलन बिगड़ जाता है। जिसमें मृत्यु तक हो जाती है। भोजन से ऊर्जा मिलती है। इसके बिना भी जीवन सम्भव नहीं है। आहार का संतुलित होना फल भी जरूरी है। जैसे अन्न, दालें, सब्जी, माँस, मछली, अंडा, घी, तेल, दूध तथा चीनी आदि । मिलेट्स अर्थात मोटा अनाज ही भारत का  पुराना अन्न है। गेहूं और चावल के अधिक उत्पादन और खपत के कारण मोटे अनाज का सेवन काफी कम हो गया था लेकिन अब इस पर ध्यान दिया जा रहा है। भारत ने वर्ष 2018 को "मिलेट्स ऑफ द ईयर" के रूप में मनाया और संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने इस साल 2023 को "इंटरनेशनल ईयर ऑफ द मिलेट्स" घोषित किया है। मोटे अनाज के अन्तर्गत कुटकी, कोदो, ज्वार, चीना या पुनर्वा, बाजरा, कंगनी, रागी, सावां, जौ, मक्का, कुट्टू, आदि आते हैं। मोटे आवाज कां उत्पादन देश में पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण तक होता रहा है। स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी अच्छा  है। इस महंगाई के दौर में मोटा अनाज ही सभी लोगों का पेट भरने में सक्षम है। क्योंकि जंक फूड को सभी लोग नहीं खा सकते और हानिकारक भी है। पर कभी- कभी खाया जा सकता है।






विश्व में मिलेट्स का उत्पादन इस प्रकार हैं :-

       क्षेत्र

रकबा (लाख हेक्टेयर)

उत्पादन (लाखटन)

अफ्रीका

489

423

अमेरिका

53

193

एशिया

162

215

यूरोप

8

20

ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड

6

12

भारत

138

173

कुल

718

863

मिलेट्स से फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। सेहत के लिए इसको अच्छा माना जाता है। पर ज्यादा सेवन करने से नुकसान भी पहुँचता   है। मोटे अनाज के क्या - 2 फायदे होते हैं यह हम बारी-बारी से सबके विषय में बता रहे हैं जो निम्नलिखित हैं-

1. रागी - इसमें जो कैलशियम होता है, वह हड्डि‌यों और दोनों को मजबूत करता है। अर्थराइ‌टिस जैसी बीमारी को सही करने में मददगार होता है। कैंसर का भी खतरा कम होता है।

2. बाजरा - लीवर जैसी बीमारी जैसे फैटी लीवर, लीवर की सूजन नहीं होती है। माइग्रेन, अवसाद, चिन्ता जैसी बीमारियां नहीं होती। दुग्ध पान कराने वाली महिलाओं को लिए बाजरा अधिक लाभदायक है।

3. ज्वार - इसमें एन्टी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह  सर्दियों में होने वाले सर्दी-जुकाम से बचाव करता है। नाश्ते में ज्वार से बनी चीजों का सेवन करने से ३ बीपी कंट्रोल रहता है। नींद भी अच्छी आती है। फंगल इन्फेक्शन, ड्राइनेस, वायरल में भी लाभदायक है।

4. जौ - यह कैल्शियम, आयरन, जिंक का भी खोत है। इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है। हृदय सुचारू तरीके से कार्य करता है। कब्ज की समस्या नहीं रहती है।

5. मक्का - आँखों के लिए अच्छा माना जाता फाइबर पर्याप्त मात्रा में होने से यह है पाचन तन्त्र को मजबूत रखता है। पतले- दुबले लोगों के लिए मक्के का सेवन अच्छा माना जाता है। किडनी के लिए भी मक्का अच्छा माना जाता है।

6. कंगनी - कैल्शियम की अधिकता के कारण हड्डियों मजबूत कर ओस्टियोपोरोसिस से बचाता है।

7. कोदो - नर्वस तन्त्र को सशक्त करने में लाभदायक होता है।

8. सावां - इसमें आयरन की अधिकता होने के कारण रक्त संचार में मदद करता है।

9. कुटकी - हृदय और शुगर दोनों के लिए लाभकारी है।

मिलेट्स के काफी विकल्प मौजूद हैं जैसे मिलेट्स नूडल्स, आदि। लड्‌डू, मिलेट चिक्की, टिक्की, पास्ता, उपसा पर इसके कुछ नुकसान भी है जैसे- पेट दर्द, सेंशन, कब्ज, दस्त, जैसे परेशानी उत्पन्न हो जाती है। थायरॉइड वालों के लिए इसका सेवन काफी सोच समझकर करना चाहिए। मोटे अनाज का सेवन सप्ताह में दो दिन हीं करना चाहिए। तापमान वृद्धि से क्षेत्रीय असर पड़ेगा। उपछा एवं शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में कृषि पर प्रभाव सर्वाधिक पड़ेगा। वृद्धि होने के कारण तापमान में फसलों को नुकसान पहुंचता है। अधिक तापमान वृद्धि से मृदा में आर्द्रता में कमी, वाष्पोत्सर्जन होगा। गेहूं और भक्का की फसल अधिक प्रभावी होगी। ऐसे विकास क़ों प्रोन्नत करना जिसमें हमारे संसाधनों का कुशलता- पूर्वक उपयोग हो और भूमि, जल, जैव विविधता को सुरक्षित रखा जा सके । विकास का उद्देश्य आर्थिक उदारीकरण हो । एवं वैश्वीकरण की चुनौतियों का मुकाबला करते हुए कृषि वस्तुओं से निर्यात से अधिकतम लाभ प्राप्त करना कृषि क्षेत्र में निजी निवेश, फसलों के बीमाकरण एवं जैव प्रौद्योगिकी पर बल देना। वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का बजर 2023-24 मैं स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर कई घोषणाएं की। मेडिकल तथा रिसर्च से सम्बन्धित तक एनीमिया मोटे अनाज अनाज का तथा 2047 समाप्त करने की घोषणा की J को लेकर भी घोषणा की। मोटा पोषक तत्वों से युक्त है। मोटे अनाज सेवन करने से कई बीमारियों से लड़ा  जा सकता है। इम्यूनिटी मजबूत करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा है कि हर भारत- वासी की थाली में मोटा अनाज है। आज पूरा विश्व इसकी अहमियत समझ रहा है। पहले यही खाना होता था पर जंक फूड से इसकी अहमियत कम हो गयी। लेकिन मिलेट्स को सुपर बनाने के लिए कोशिश जारी है। इस पर भारत के प्रस्ताव पर 72 देशों के समर्थन कें बाद अनाज 2023 घोषित किया है। जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। गेहूं और चावल का अधिक प्रचलन है। जिस मोटे अनाज की तरफ हमने मुँह मोड़ लिया था आज पूरी दुनिया उसी तरफ वापिस लौट रही है। वर्ष 2021-22 में कुल 10.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटे अनाज की बुवाई करवाई गयी थी। जिसमें

बाजरा- 9.05 लाख हेक्टेयर में,

ज्वार- 1.71 लाख हेक्टेयर में

कोदो- 0.02 लाख हेक्टेयर में,

सांवा- 0.05 लाख हेक्टेयर में।

हमारे पुरखों की लम्बी आयु और सेहत का असली राज मोटे अनाज ही है। सर्दी, गर्मी, बरसात, में आराम पहुंचाते थे। मोटे अनाज के सेवन से सभी की पूर्ति हो जाती है।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

1. पर्यावरण विज्ञान - डॉ० विजय कुमार तिवारी

2. पर्यावरण विज्ञान - डॉ० पी० एल० मिश्र