Technoworld (Edition-2)
ISBN: 978-93-93166-56-2
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दुग्ध एक सम्पूर्ण एवं संतुलित आहार: समीक्षा

 अनिल कुमार गुप्ता
सह - प्राध्यापक
विभाग डेयरी एससी के. एवं टेक (पूर्व में ए.एच एवं डेयरी)
आर.के. (पी.जी.) कॉलेज
 शामली, यूपी, भारत 

DOI:10.5281/zenodo.10283874
Chapter ID: 18243
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भारत की अधिकांश जनसंख्या शाकाहारी प्रकृति व प्रवृत्ति की है। इनके लिए दुग्ध एक प्रकृति का उपहार स्वरूप दिया गया एक ऐसा आहार है जिसको देश के सभी क्षेत्रों में उसकी प्राकृतिक अवस्था के रूप में पर्याप्त मात्रा में प्राप्त किया जाता है। साथ में मानव को अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में दुग्ध व दुग्ध पदार्थों से अधिक सुस्वाद (Palatable), शीघ्र पचनीय (Digestible), अधिक पोषक तत्त्व (Nutrient Elements) आहार अथवा भोज्य पदार्थ के रूप में सिद्ध हुए हैं।

नवजात शिशु दुग्ध के अलावा किसी भी अन्य खाद्य आहार से मिलने वाले पोषक तत्वों को खाने व पचाने के लिए सक्षम नहीं होते। अतः यह नवजात शिशु का अहम व मात्र एक आहार है तथा साथ में सभी उम्र-लिंग समुदाय (Age-Sex group) का एक विलक्षण पेय पदार्थ के रूप में जाना जाता है। इसकी विलक्षण पोषकता की विवेचना इसमें पाये जाने वाले विभिन्न पोषक अवयवों के रूप में निम्न प्रकार से कर सकते हैं-

ऊर्जा की आपूर्ति (Supply of Energy) के रूप में- लैम्टोज व वसा।

वृद्धि एवं शरीर निर्माण आपूर्ति (Supply of growth and body building) के रूप में- प्रोटीन।

हड्डी, दाँत व रक्त निर्माण (Bone, Teeth and Blood Formation) के रूप में- खनिज लवण।

पाचकता, प्रजनन, स्वास्थ्य प्रदान व रोग प्रतिरोध क्षमता (Digestibility, Reproduction, Health Giving Disease Resistance) के रूप में- विटामिन व एन्जाइम्स।

ये सभी अवयव सन्तुलित व शोषित अवस्था में पाये जाने के कारण इनके अतिरिक्त मानव शरीर के भरण-पोषण (Maintenance of Body) का भी कार्य करते हैं।

प्रकृति ने दुग्ध के अलवा ऐसा कोई अन्य आहार नहीं बनाया जो कि मानव की उपरोक्त सभी पोषक आवश्यकताओं को पूर्ण कर सकें इसीलिए इसको इस कथन से व्यक्त किया जा सकता है- ‘‘दुग्ध मानव जाति के लिए निकटतम सम्पूर्ण आहार है। (Milk is nearly a perfect food for human being)’’

इसकी सन्तुलित तथा सम्पूर्णता की विवेचना इसमें पाये जाने वाले विभिन्न पोषक अवयवों की विस्तृत सार्थकता आख्या से की जा सकती है-

दुग्ध जल (Milk Water)

दुग्ध में पानी की मात्रा 82 से 88 प्रतिशत तक होती है जो कि पशु की जाति, दिए गए खाद्य पदार्थ की स्वयं की प्रकृति तथा पशु को दिए गए पानी की मात्रा पर निर्भर करती है।

(i) दुग्ध में पानी का रासायनिक संघटन सामान्य पानी जैसा ही होता है। यह दुग्ध के अन्य अवयवों को अपने अन्दर घोलकर उन्हें आसानी से पाचन योग्य बनाता है।

(ii) प्रायः दुग्ध पर निर्भर रहने वाले नवजात शिशुओं को अलग से पानी की आवश्यकता नहीं होती है।

(iii) शरीर की विभिन्न क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिए पानी की नितान्त आवश्यकता होती है।

दुग्ध कार्बोहाइड्रेट्स (लैक्टोज) (Milk Carbohydrate (Lactose))

1. दुग्ध से प्राप्त कार्बोहाइड्रेट्स में लैक्टोज प्रमुख होता है। किसी अन्य खाद्य पदार्थ से कार्बोहाइड्रेट्स के रूप में लैक्टोज नहीं प्राप्त होता है। यह पूर्ण रूप से जन में विलेय तथा स्थानीय ग्रन्थियों से स्त्रावित (Secret) होता है।

2. लैक्टोज, सुक्रोज की तुलना में अधिक लाभकारी होता है क्योंकि लैक्टोज का किण्वन पेट में बहुत कम होता है। साथ में पेट की झिल्ली पर इसका सीधा प्रवाह जलन (Irritation) नहीं होता अतः यह अधिक स्वास्थ्यवर्धक है।

3. लैक्टोज के विघटन से प्राप्त ग्लैक्टोज मस्तिष्क के आवश्यक भाग सेरीब्रोसाइड में Modularly Sheeth के बनाने व तन्त्रिक तन्त्र (Nerve tissue) के लिए आवश्यक होता है।

4. लैक्टोज के आँतों के सामान्य कार्य में स्थिरता प्रदान करता है। इसमें लाभदायक जीवाणु Lactobacillus acidophilu आँतों में अम्ल पैदा करते हैं जो कि पोषक तत्वों जैसे कैल्शियम तथा फॉस्फोरस के अवशोषण में सहायक होते हैं।

5. यह शरीर में विटामिन संश्लेषण में भी सहायक होता है।

6. लैक्टोज की पाचकता मानव शरीर में 100 प्रतिशत होती है। ऊर्जा की दृष्टि से प्रति ग्राम लैक्टोज द्वारा 4 ज्ञबंस के स्तर से ऊर्जा प्रदान करती है तथा सम्पूर्ण दुग्ध से प्राप्त ऊर्जा का लगभग 20-25 प्रतिशत भाग लैक्टोज द्वारा ही पूरा होता है।

7. यह दुग्ध में स्वाद को पैदा करने के साथ-साथ मिठास भी पैदा करता हैं।

दुग्ध वसा (Milk Fat)

1. दुग्ध वसा में अन्य प्रकार की वसाओं की तुलना में अधिक मात्रा में संतृप्त वसीय अम्ल तथा आवश्यक असंतृप्त वसीय अम्ल पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। मुख्यतः Linoleic, Arachidonic वसीय अम्ल जो कि वनस्पति वसा में नहीं होते। इनकी कमी से शरीर में विभिन्न रोग जैसे- त्वचा का रुखापन, किडनी रोग उत्पन्न होते हैं।

2. दुग्ध वसायें कम द्रवणांक बिन्दु (Law Melting Point) रखने वाले वसीय अम्लों की उपस्थिति तथा इसका पायस (Emulsion) के रूप में मिलना, मानव पाचन तन्त्र में वसा का पाचन शीघ्र करता है।

3. दुग्ध वसीय अम्लों की उपस्थिति में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस लवणों का आँतों में अधिक अवशोषण होता है।

4. दुग्ध वसा में विटामिन ए, डी, , के की उपस्थिति उपरोक्त विटामिन्स की कमी से पैदा होने वाली विभिन्न रोगों से निजात देती है।

5. दुग्ध वसा ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत होने के कारण 1 ग्राम दुग्ध वसा से मानव शरीर को लगभग 9 ज्ञबस ऊर्जा मिलती है जो कि दुग्ध प्रोटीन व दुग्ध शर्करा की अपेक्षा लगभग 2-25 गुना अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।

6. भुखमरी के दौरान शरीर में संचित वसा से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है जो कि जीवन निर्वाह के लिए ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति करता है।

7. दुग्ध वसा ने अवयव Phospholipids का जैविक महत्व रक्त स्कन्दन (Blood Coagulation), ऊतकों के चयापचय (Tissue Metabolism), वसा प्रोटोप्लाज्म की संरचना में अवयव के रूप में, प्रजनन व शरीर विकास में तथा कोशिकाओं के पोषण के रूप में बहुत अधिक पाया जाता है।

दुग्ध प्रोटीन (Milk Protein)

1. वानस्पतिक प्रोटीन की तुलना में दुग्ध प्रोटीन का पाचन अधिक (97.98%) व शीघ्रता से होता है। साथ में दुग्ध प्रोटीन का जैविक मान 85 प्रतिशत होने के कारण अवशोषण 176 प्रतिशत भी अधिक होता है।

2. प्रोटीन शरीर में कोशिकाओं को टूट-फूट, मरम्मत तथा शरीर के वृद्धि व विकास में अहम भूमिका प्रदान करता है।

3. दुग्ध प्रोटीन से हमारे शरीर को 4 ज्ञबस ऊर्जा प्राप्त होती जो कि शरीर में ताप नियन्त्रक के रूप में उपयोग में आती है।

4. हमारे शरीर की वृद्धि व प्रोटीन के संश्लेषण के लिए 20 आवश्यक अमीनो अम्लों की आवश्यकता होती है। इनमें से 10 अमीनो अम्ल हमारे शरीर द्वारा संश्लेषित नहीं होते। ये 10 अनिवार्य अमीनो अम्लों के रूप में जाने जाते हैं। ये सभी दुग्ध में पाये जाते हैं जो कि Tryptophan, Phenylalanine, Lycin, Threonine, Valine, Methionine, Leucine, Isoleucine, Arginine तथा Histidine है।

5. केसीन आयोडीन तथा भारी धातुओं से संयुक्त होकर एक उपयोगी वाहक के रूप में अपना कार्य करती है। केसीन से फॉस्फोरस व कैल्शियम भी प्राप्त होता है।

6. दुग्ध में ग्लोब्यूलिन द्वारा माँ के रक्त से Antibodie नवजात शिशुओं में भेजे जाते हैं जो कि इन शिशुओं में प्रतिरक्षक कारक (Immunity Factor) के रूप में कार्य करते हैं।

5. विटामिन (Vitamin)-

दुग्ध में सभी विटामिन्स पाये जाते हैं। इनकी अधिकता से दुग्ध का पोषक मूल्य अधिक हो जाता है। ये सीधे रूप से ऊर्जा प्रदान नहीं करते बल्कि सामान्य उपापचयी क्रियाओं व उचित पोषण के लिए आवश्यक होते हैं। भोजन में इनके अभाव से अल्पपोषण रोग हो जाते हैं। घुलनशीलता (Solubility) के आधार पर इनका वर्गीकरण दो समूहों (Group) में किया जाता है।

(i) वसा विलेय (Fat Soluble)- ये विटामिन वसा तथा वसा विलायकों (Fat Solvent) जैसे प्रटोलियम, ईथर, बेजोन व एल्कोहल में घुलनशील होते हैं। लेकिन जल में विलेय नहीं होते हैं, जैसे- विटामिन ए, डी, , के।

(ii) जल विलेय (Water Soluble)- ये विटामिन जल में घुलनशील होते हैं। इसके अन्तर्गत विटामिन्स B-complex  तथा विटामिन-सी आती है।

Fat Soluble Vitamins

1. Vitamin-A (Retinol) Anti-xerophthalmic factor or Anti-infactive vit.– इसकी कमी से अंधापन (Night blindne), त्वचा (Skin) व नेत्रगोलक (Eye ball) के ऊपर फोड़े (Ule) होकर च्ने का बनना, गुर्दे (Kidney) में Stone का निर्माण, Body Weight, प्रजनन क्षमता में कमी (Reproduction Efficiency) दाँतों, अस्थि कंकाल में वृद्धि रूक जाना। यह अपने पूर्व (Precursor) पदार्थ Carotene जो कि हल्के पीले रंग का होता है, बदल जाता है।

2. Vitamin-D (Calciferol) Anti-rachitic factor– जोड़ (Joint) भार में बड़े व उनमें सूजन, कैल्शियम व फॉस्फोरस के जमाव (Deposition) में कमी, दाँतों में समस्या आदि।

3. Vitamin-E (Tocopherol) Anti-sterility factor– बांझपन, प्रजनन क्षमता में कमी, मद्रचक (Oestrus Cycle) में कमी, गर्भपात, भ्रूण (Embryo) की मृत्यु आदि।

4. Vitamin-K (Phylloquinone or Menaquinone) Antihaemorrhagic factor or Anti blood Coagulation factor– रक्त के जमने (Clotting) का समय बढ़ जाता है जो कि रक्त के प्लाज्मा में Prothrombin के कारण होता है आदि।

Water Soluble Vitamins

1. Vitamin-C (Ascorbicacid) Anti-scurvey factor– त्वचा सम्बन्धी रोग, Antioxident की कमी, नई कोशिकाओं के बनने में कमी, Immunity में कमी आदि।

2. Vitamin B-complex

3. Vitamin-B1 (Thiamine) Anti beri-beri factor or Anti-neuritic factor– भूख बन्द होना, आमाशय तन्त्र (Gastro-intestinal) विकास, पाचन शक्ति क्षीण, शरीर भार कम होना आदि।

4. Vitamin-B2 (Riboflavin) Vit. G Anti-pellagra factor– आँखों की रोशनी का भय, त्वचा, मुख होठों में सूजन, बालों के विकार, रक्त व मस्तिष्क विकार आदि।

5. Vitamin-B3 (Niacin) Vit. P P Nicotinic acid Anti-pellagra factor– Pellagra नामक रोग जिसमें त्वचा खुरदरी उस पर स्मेपवदे पैदा होना होती है। पाचन क्रिया में गड़बड़ी यह Food को Energy में बदलता है, Nervous System में कमी आदि।

6. Vitamin-B4 (Choline/Adenin) Anti-paralogtic factor– DNA RNA के महत्त्वपूर्ण घटक में कमी, प्रोटीन संश्लेषण में कमी आदि।

7. Vitamin-B5 (Pantothenic acid)– Co-enzyme के संश्लेषण में कमी, शारीरिक थकान, Depression, पेटदर्द, उलटी (Vomiting), ऊपरी श्वसन संक्रमण आदि।

8. Vitamin-B6 (Pyridoxine) Anti-dermatitis factor– Dermatiti नामक रोग से भूख कम, वृद्धि करना व माँसपेशियों का सिकुड़ना शामिल है। नींद का कम आना, डववक बनने में कमी आदि।

9. Vitamin-B7 (Biotin) Vit. H– भूख का कम लगना, माँसपेशियों में दर्द व मस्तिष्क सम्बन्धी विकास, त्वचा विकास में कमी, खाद्य पदार्थों का ऊर्जा में बदलने में कमी, Glucose के Breakdown में कमी आदि।

10. Vitamin-B8 (Inositol) Anti-adernal-haemorrhages factor– यकृत सम्बन्धी विकास, रक्त क्षीणता (Anemia) आदि।

11. Vitamin-B9 (Folate) Vit. M Anti-pernicious anemia factor– रक्त में पर्याप्त मात्रा में RBC नहीं बनती, Hemoglobin की कमी आदि।

12. Vitamin-B12 (Cobalamine) Anti-pernicious anemia factor– रक्त में पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाएँ (RDC) नहीं बनती, Nucleic acid के संश्लेषण में कमी आदि।

Vitamin found in Milk (Amount mg per 100 gram of Milk)

Vit. A

Carotene

Vit. D

Vit. E

Vit. K

Vit. C

Vit. B

Vit. B2

Vit. B3

Vit. B4

Vit. B5

Vit. B6

Vit. B7

Vit. B8

Vit. B9

Vit. B12

0.010-0.950 gm

30 mg

0.040 mg

0.05 mg

Traces

2 mg

0.035 mg

0.17 mg

0.08

Trace

0.35 mg

0.07 mg

0.5 mg

Trace

5 mg

1.7 mg

दुग्ध में विभिन्न खनिज लवणों की मात्रा

Mineral Content milk (mg/100 gm of milk)

Calcium

Phosphorus

Magnesium

Sodium

Potassium

Copper

Zinc

Iron

125

90

12

51

160

0.1

3.8

0.1

 विभिन्न नस्लों के पशुओं के दुग्ध का ऊर्जा मान-

(Energy Value of milk of different breeds of animals)

पोषक तत्व

Nutrients

Cow

Buffalo

Goat

Sheep

Human

Energy Kcal

60

97

69

104

70

Energy from Carbohydrate (Lactose)

17.7

20.4

17.4

20.9

27.1

Energy from Fat

28.6

60.6

36.4

61.5

38.5

Energy from Protein

13.7

16.0

15.2

21.5

4.4

Source: e-courses ndri.res.in/mode/resource/view php? id=5741

References

1. Kon, S.K. (1970). Milk and Milk Products in Human Nutrition, II-Edition FAO.

2. Sommer, H.H. (1962). Market Milk and Related Products, III-Edition.

3. Bhati, S.S. and Lavania, G.S. (2000). Dairy Science, V.K. Prakashan, Baraut.

4. Lampert, L.M. (1947). Modern Dairy Product, I-Edition Reprint.

5. Shrivastava, S.M. (2002). Milk and its Properties, Kalyani Publishers, ISBN-81-272-0250-9.

6. Mathur, M.P., Datta Roy, D. and Dinakar (1999). Textbook of Dairy Chemistry, ICAR, New Delhi.

7. Webb, B.H. and Johnson A.H. (1979). Fundamental of Dairy Chemistry, AVI Publishing Co. Connecticut USA.