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दुग्ध अपमिश्रण- भारतीय परिप्रेक्ष्य में |
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अनिल कुमार गुप्ता
सह - प्राध्यापक
विभाग डेयरी एससी के. एवं टेक (पूर्व में ए.एच एवं डेयरी)
आर.के. (पी.जी.) कॉलेज
शामली, यूपी, भारत
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DOI:10.5281/zenodo.10390852 Chapter ID: 18318 |
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अहम खाद्य पदार्थ के रूप में दुध मानव जीवन का एक अनिवासर्य हिस्सा बनते हुए
मूल्यवान पदार्थ है। इसी कारण इसकी प्राकृतिक पोषक मान को बनाए रखना अत्यन्त
महत्वपूर्ण है अपमिश्रण में दुध को विक्रय करने से पहले कम मूल्यवान घटिया गुणवत्ता
के पदार्थो को मिलाकर जान बूझकर अधिक लाभ कमाने के लिए उनकी गुणवत्ता को खराब करते
है। कभी कभी महत्वपूर्ण अवयवो व पोषक तत्वो को भी बदल दिया जाता है। जिससे उसकी
प्रकृति व गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। अपमिश्रित दुग्ध उपभोग के लिए
असुरक्षित हो सकता है और आगे आने वाले समय में पोषण की कमी, वृद्वि
व विकास की हानि, हड्डियो व दॉतो की विकृति तथा अन्य कई
गम्भीर समस्याये पैदा कर सकता है। दुग्ध सभी पोषक तत्वो से भरपूर होने के कारण
अपमिश्रित पदार्थो की जॉच करना, अनुमति देना Ministry
of health & family welfare और FSSAI बोर्ड के लिए यह समस्या चुनौती भरी है। National Milk Safety and quality survey 2018 देश में बडे
पैमाने पर दुग्ध की मिलावट की धारणा का ध्वस्त (Demolish) करता है। दुग्ध अपमिश्रण (Milk Adulteration) विशुद्ध दुध में एक या एक से अधिक महत्वपूर्ण संघटक अवयवो का आंशिक या पूर्णतः
निस्कासन अथवा बाहय पदार्थो को दुग्ध में मिला देना दुध अपमिश्रण कहलाता है। The removal of one or more valuable compositional constituents partially or
completely from the genuine milk or the addition of some foreign materials of a
low value into it known as milk adulteration. अपमिश्रण का मुख्य उद्देश्य दुग्ध की गुणवत्ता को घटाकर मात्रा को बढाना है।
जिससे मॉग होने पर पूर्ति दी जा सके तथा अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सके जोकि
असवैधानिक (Illegal) है। इसीलिए भारत सरकार ने विभिन्न राज्यो हेतु Prevention
of Food Adulteration rule (PFA rule) 1955 के तहत वैधानक मानक Legal
Standard तय किए जिनमें 24 अगस्त 1968 में पुनः सुधार किया गया। किसी भी राज्य में नीचे दिए गये मानको से निम्न
स्तर में दुग्ध बेचना अपमिश्रण की श्रेणी में आता है तथा दण्डनीय कार्य है क्योकि
निम्न स्तर का अपमिश्रण दुग्ध मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इन मानको की सहायता से दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थो में पोषक गुण, संग्रह गुण स्वच्छता व बाहरी हानिकारक पदार्थो से रक्षा की जा सकती है। अपमिश्रण के कारण Causer of adulteration वर्तमान परिस्थितियो में देश में Milk Handling के दौरान दुग्ध में
अपमिश्रण करना एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। इसके मूलभूत कारण निम्न प्रकार से
हो सकते है। 1. बाजार में दुग्ध का कम प्रदाय (Short
Supply of milk in the market)- मुख्यतः गर्मियो में दुग्ध
उत्पादन कम के साथ Cold drink के रूप में flavoured
milk की मांग बढ जाती है। 2. दुग्ध की भौतिक प्रकृति (Physical Nature
of milk) दुग्ध अपादर्शी (opaque) होने के
कारण मिलाये गये बाह्य पदार्थो को आसानी से नही पहचाना जा सकता। दुग्ध में पानी
मिलाकर उसकी सान्द्र्रता को स्टार्च आदि पदार्थ मिलाकर पूरा कर लिया जाता है। 3. अधिक लाभ कमाने के लिए (To get more
profit)- पानी के रूप में कम कीमती वस्तुओ को मिलाकर अथवा अधिक
मंहगे पदार्थ जैसे बसा को निष्कासन करके अधिक लाभ कमा सकते है। 4. सामाजिक-आर्थिक संरचना का बिगडना (Spoiled
socio- economic structure) 5. परिवहन सुविधाओ की कमी (Lack of
transport facilities) 6. नैतिक सोसाइटी का पतन (Degraded
Moral Society) 7. उपभोक्ता की सस्ती कीमत पर खरीदने की शक्ति (Low
Purchasing power of the consumer) सस्ती कीमत पर यह दुग्ध
बेचने को प्रोत्साहित करना। 8. बाजार में अधिक पकड के लए प्रतिस्पर्धा (Competition
for capturing more market) बाजार में अधिक संख्या में
उपभोक्ता को सप्लाई देने के लिए प्रतिस्पर्धा। 9. डेयरी सेक्टर की असंगठित दशा (Unorganized
condition of dairy sector) 10. भैस के दुग्ध को गाय के दुग्ध के रूप में बेचना (Selling
buffalo Milk as Cow Milk) 11. वैधानिक मानको को कम होना व ठीक से लागू न होना व कठोर
दण्ड का भी प्रावधान न होना। (Low Legal Standards and their improper
enforcement & No hand punishment) 12. अपमिश्रण के लिए उपयुक्त, जरूरी, तुरन्त, सुविधाजनक परीक्षणो की कमी (Lack
of Suitable sure, quick and handy test for detection of adulteration) अपमिश्रण को रोकने के लिए सुझाव (Suggestion to
check Adulteration) 1. वैधानिक मानको को ऊॅचा किया जाये (Legal
Standard should be raised) 2. डेरी सहकारी समतियो का गठन (Establishment
of Dairy Cooperative Societies) 3. डेयरी सेक्टर का राष्ट्रीयकरण (Establishment
of Dairy Cooperative Societies) 4. दुग्ध उत्पादको को समुचित मूल्य देने की व्यवस्था (Arrangement
of resonanable price of milk producer) 5. सरकार द्वारा जो दुध में मिलावट करते है, उनहे कठोर दण्ड दिया जाए। (Hard punishment to those who make
adulteration through government) 6. विशेषतः दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रो में दुध के
परिवहन, सुविधाओं में बढोत्तरी ;
(Enhancement in transport facilities particularly in remote rural area) 7. दुग्ध उत्पादको में वृद्वि (Growth
of milk Producer) 8. दुग्ध का उत्पादन बढाया जाए (Increase
milk production) दुग्ध के साधारण अपमिश्रणक (Common adulterants
of milk) Milk adulterants (1) Extraction of fat (Partial Skimming ) (2) Addition of foreign matter (A) Material for diluting (i) Water (ii) Skim Milk (B) Thickening agent (i) S.M.P. (ii) Strach (iii) Urea (iv) Arrowroot (v) Flour (vi) Gelatin (vii) Egg while (viii) Colostrum (ix) Blotting Paper (C) Sweetening agent (i) Can sugar (ii) Dextrose (iii) Glucose (iv) Sweetened condensed Milk (D) Added buffaloes Milk in Cow, Milk (E) Chemical substances (i) Coloring Matter (a) Turmeric (b) Annatto (c) Yellow azodyes (ii) Neutralizers (a) Sodium Carbonate (b) Sodium bicarbonate (c) Common salt (iii) Detergents (iv) Preservatives अपमिश्रण के प्रकार (Type of Milk Adulteration) 1. जल की मिलावट (मुख्य साधारण) 2. सप्रेटा दुग्ध की मिलावट 3. सप्रेटा + जल की
मिलावट 4. बसा का आशिंक रूप से निकालना 5. बसा का आशिंक निष्कासन + जल की मिलावट 6. सप्रेटा दुध पूर्ण (SMP) + जल की मिलावट 7. सप्रेटा + जल+ बसा का आंशिक निष्कासन 8. गाढा (Thickenirs) करने वाले पदार्थ + पानी 9. पानी मिला भैंस का दुग्ध (Watered of
buffalo milk) + रंग पदार्थ 10. उदासीकृत पदार्थ (Neutralizers)का मिलाना 11. परिरक्षी पदार्थो (preservatives) का मिलना Change brought about by different adulterants दुग्ध में अपमिश्रण ज्ञात करना (Detection of adulteration in Milk) 1. पानी की मिलावट ज्ञात करना (1) आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करना (Specific gravity
test ) लेम्टोमीटर विधि द्वारा 68°F पर दुग्ध का आपेक्षिक घनत्व निकाल सकते
है। Specific gravity = 1 + C.L.R /1000 C.L.R = Correct Lactometer Reading at 68°F शुद्ध Cow Milk की Lactometer Radio
28-30 तथा भैंस के दुध की 30&32 होती है। पानी की मिलावट पर Lactometer Radio कम हो जाती है। परिणामस्वरूप उसका आपेक्षिक घनत्व भी कम हो जाती है। पानी
का आपेक्षिक घनत्व 1 होती है। Ambuhl ने जल अपमिश्रण का निम्न सूत्र दिया है- % of water added = L-L1/L1 X 100 where L= C.L.R (correct Lactometer Reading) of pure Milk L1 =C.L.R of the water added milk sample (2) बसा रहित पदार्थ (S.N.F) परीक्षण % water added= 100 - S.N.F of the Sample /8.5 or 9.5 X100 Where, 8.5 value is for cow’s milk and 9.5 value is for buffalo milk Herz’s formula, % water added = A-B /A X100 Where, A = S.N.F% in pure milk B = S.N.F % in adulterated milk 3. हिमांक ज्ञात करना (Freezing point) Hortvetcryscope यन्त्र से अपमिश्रित दुध का हिमांक बिन्दु
अवनमन freezing point Depression ज्ञात कर लिया
जाता है। इसके उपरान्त निम्न सूत्र से पानी की प्रतिशत मात्रा निाकल ली जाती है। Added water %= 100(T1-T2)/T1 Where T1 = freezer point depression (FPD) of pure milk or 0.55 T2 = Freezing point depression (FPD) of adulterated milk FPD = Free point (FP) of water – FP of pure milk 0(-0.55) FPD = + 0.55 विशुद्ध दुध का FDD + 0.53°C to +0.56°C होता है। यदि FDD का 0.53 से कम होने की स्थिति में पानी का
मिलावट होती है। पानी की विभिन्न मात्राओ को दुग्ध में मिलाने से दुध के हिमांक पर
निम्न प्रभाव पडता है।
4. वीथ अनुपात परीश्रण (The Vieth Ratio
test) Dr. P. Veith के अनुसार शुद्ध दुध में लेक्टोज, प्रोटीन तथा राख (Ash) में एक अनुपात
सुनिश्ति होता है। यह अनुपात प्रत्येक दुध नमने में स्थिर होता है। लेकिन पानी
पिला देने पर उसी उसी कम में विभिन्न अवयवो की मात्रा कम हो जाती हैं, गाय के शुद्ध दुग्ध में यह अनुपात 13:9:2 तथा भैंस के शुद्ध दुध में 12:10:2 होता है। 5. अपवर्तनांक ज्ञात करना (Determination of
Refractive index Refracto meter) द्वारा दुग्ध का RI ज्ञात कर लिया जाता है। पानी का अपवर्तनांक 1.33 होता है। जबकि विद्युत दुध का RI 1.40 होता
है। पानी मिलाने पर RI 1.40 से कम होने लगता है।
विशुद्ध दुग्ध की Refractmeter Reading 38.5 से 40.5 तक होती है। 38.5 के
नीचे का मान पानी द्वारा अपमिश्रित होता है। 6. Nitrate test सामान्यत शुद्ध दुग्ध में नाईट्रोजन नही पाया जाता है। जबकि पानी में नाइड्रेट
हमेशा मिलते है। यदि किसी दुग्ध नमूने में पानी मिलाया गया है। उस स्थिति में उस
नमूने में नाईट्रेट आवश्य मिलेगे। दुग्ध में इसका परीश्रण करने के लिए 100 ML H2SO4, 1gm diphenylamine मिलाकार Regent तैयार कर लेते हैं। अब एक परखनली में 5ML Milk Sample लेकर उसमें उपरोक्त Regent की कुछ मात्रा
परखनली की दीवार के सहारे इन इस प्रकार डालते है कि Regent दुध में मिलने न पाये। नाइट्रेट की उपस्थित में दोनो द्रवो के Junction पर नीले रंग की Ring पैदा हो जाती है। B. आंशिक वसा निष्कासन सप्रेटा दुग्ध का पता करना (Detection of
partial skimming or addition of separated Milk ) 1. Determination of fat दुध में बसा Gerber’s method, Babcock’s Method से ज्ञात कर सकते
है। शुद्ध गाय के दुग्ध में 4 प्रतिशत तथा शुद्ध
भैंस के दुग्ध में वसा 6 प्रतिशत होनी चाहिए। % fat extracted =A-B/A X 100 Where A= fat % in pure milk B = fat % in adulterated milk 2. Protein & fat ratio सामान्यतः शुद्ध दुध में प्रोटीन बसा का अनुपात 1 से कम होना चाहिए यह दुग्ध में बसा निकालने पर यह अनुपातयदि 0.90 से अधिक होने पर दुध का अपमिश्रित माना जाता है। C. दुग्ध को गाढा करने वाले व मीठा करने वाले पदार्थों का पता
करना (Detection of thickening agent & sweetening agent) 3. Detection of starch :- एक परखनली में नमूने
दुग्ध की थोडी मात्रा लेकर उसमें 2-3 बूंद आयोडीन
की डालते है। दुग्ध में नीला रंग होना स्टार्च का घोटक है। 4. Detection of cane sugar (Cotten’s test ) 1 परखनली में 10 उस नमूने की दुग्ध लेकर
उसमे 0.5gms Ammonium molybdate तथा 10ml
Dil. HCL (1:10) डालकर मिलाते हैं। अब इसको waterbath पर धीरे - धीरे गर्म करते है लगभग 80 °C दुग्ध
पर गहरा नीला रंग दिखाई देता है। (+ve) 5. Detection of Gelatin 10 ML Milk में 10ML
Aaidic Mercuric Nitrate a घोल तथा 20 ML पानी मिलाते है। अब इसको छान लेते है। Filtrate में Saturated Picricacid का घोल मिलाते
है। दुग्ध में Gelatin की उपस्थिति में पीला
अवक्षेप बनता है, अन्यथा नही। 6. Detection of Colostrums- Colostrum (खीस)
मिला दुग्ध गर्म करने पर फट (Coagulate) जाता है। 7. Detection of Skim Milk Powder (SMP) नमूने दुग्ध
की 10उस मात्रा एक परखनली में डॉट लगाकर 2000-5000 त्च्ड पर 30 मिनट तक ब्मदजतपनिहम डंबीपदम
में घुमाते हैं। यदि कुछ अवशेष परखनली के निचले भाग में जम जाता है। इस स्थिति में
ैडच् की मिलावट का घोतक है इसको ग्ंदजीव चतवजमपब प्रक्रिया कहते हैं। 8. Detection of Glucose – a. परखनली में 1 ml नमूना
दुध उसमें 1 उसमें 1 ml Bar foed’s
regent मिलाकर 3 मिनट तक गर्म
कर ठण्डा करते है। अब इसमें 1 ml phosphomolybdic acid reafent मिलाते है। गहरा नीला रंग विकसित होना Glucose की मिलावट का घोतक है। b. उस दुग्ध नमूना एक परखनली में लेकर उसमें बराबर मात्रा में Benedict’s
reagent डालकर 5 मिनट के लिये Boiling
waterbath पर रखते है। तथा रंग परिवर्तन का निरीक्षण करते हैं Blue colour - No glucose present Green colour – Trace amount present Yellow colour - Low concentration present Orange colour – Moderate concentration present Red - high concentration present 9. Detection of urea- 1 परखनली में 2 ml नमूने की दुग्ध लेकर इसमें 2ml di-methyl aminobenza aldehyde घोल (60
ml alcohol +40ml distilled water+1.6gm di- methye aminoberzaldehyde + 10ml
Hcl) मिलाकर परखनली को कुछ मिनट के लिए गर्म waterbath पर रखते है। यूरिया की उपस्थिति में पीला रंग विकसित हो जाता है। D. गाय के दुग्ध में भैस का दुग्ध मिलाकर पता करना (Detection
of buffalo Milk added into cow milk) Hansa test- यह परीक्षण NDRI Karnal में विकसित किया गया इस परीश्रण द्वारा 1 प्रतिशत
तक गाय के दुग्ध में भैंस की दुग्ध की मिलावट का पता लगाया जा सकता है। एक साफ Slide पर एक बूंद नमूने दुग्ध लेते है। इसमें एक बूंद Hansa
serum लेकर दोनो को मिलाते है। यदि एक मिनट में Clots बनते है तो मिलावट का घोतक है यदि Clotting नही होती है। उस स्थिति में गाय का शुद्ध दुग्ध है। रसायनिक पदार्थ (Chemical substances ) Detection of Common Neutralizers a. Detection of Sodium Carbonate (Roalic Acid test) एक परखनी में 5 ml नमूना दुग्ध लेकर उसमें 10 ml
alcohol तथा कुछ बूंदे 1 प्रतिशत Rosalic
acid की डालते है। गुलाबी रंग का विकसित होना सोडियम कार्बोनेट
की उपस्थिति का घोतक है। b. Detection of Sodium bicarbonate सर्वप्रथम एक Porcelain
dish में 5ml नमूना दुग्ध
जलाकर के राख (Ash) बना लेते है। अब उसमें 5ml
Distilled water में घोल बनाकर N/10 अम्ल में उदासीन करते है। अगर 0.3 ml उस
से अधिक अम्ल की मात्रा लगे तब वह Sodium bi carbonate का घोतक है। 2. Detection of Common preservatives a. Detection of formalin: Formaldehyate का 40 प्रतिशत विलयन Formalin कहलाता है। 100
ml Milk में 2 बूंद Formalin का प्रयोग परिरश्री पदार्थ के रूप में होता है। एक परखनली में 10 ml नमूना दुग्ध उसमें कुछ बूंद Conc.
H2SO4 तथा कुछ बूंद Schiff
reagent की मिलाते है। बैंगनी रंग का उत्पन्न होना Formalin का घोतक है। b. Detection of Hydrogen peroxide (H2O2) Warther’s
test 1 परखनली में 10 ml नमूना
दुग्ध लेकर उसमें 10 बूंद 1 प्रतिशत Sodium arthovanadate तथा कुछ
बूंद 10 प्रतिशत H2SO4 घोल की मिलाते है। लाल (Red) रंग का
उत्पन्न होना H2O2 की
उपस्थिति का घोतक है। 3. Detection of Colouring matter a. Detection of Annatto or Turmeric - 10ml नमूने दुग्ध एक परखनली में लेकर बराबर मात्रा में Ether मिलाकर कुछ मिनट के लिए इसे स्थिर रखे ऊपर ईथर युक्त परत में किसी रंग
विकसित होना किसी कृत्रिम पीले रंग Annatto or Turmeric का घोतक है। रंग का गहरा या हल्कापन दुग्ध में मिलाये गये रंग की मात्राएँ
पर निर्भर करता है। b. Detection of Yellow Azodyes – 10ml दुग्ध के नमूने में कुछ
बूदें Conc. Hcl मिलाने
पर गुलाबी रंग विकसित होना इसकी मिलावट का घोतक है। घेरलू तकनीकियों द्वारा दुग्ध में मिलावट ज्ञात करना- (Household Techniques to detect adulteration in Milk) 1. दुग्ध में उॅगली डालकर (Dipping Finger
into the milk)- नमून दुग्ध को अच्छी
तरह मिलकार उसमें अॅगूली डुबाये यदि दुग्ध शुद्ध होगा तो वह अॅगुली में चिपक आएगा
अन्यथा उसमे पानी मिलाया गया है। 2. नमूने दुग्ध को नाखून पर रखकर (Place of drop a
sampel milk on nail) - बॉये
अगूठे के नाखून पर नमूने दुग्ध की एक बूंद रखे। यदि वह पतला व नीलापन लिए है तो वह
पानी मिला है। और यदि नाखून पर नही ठहरता तब अधिक पानी मिलने का घोतक है। 3. दुग्ध का चखकर (Testing the
Milk) - एक चम्मच में
नमूने दुग्ध को लेकर taste करें यदि व औसत से कम
मीठा है तो पानी मिला है। और यदि औसत से अधिक मीठा है तो वह Sugarcane मिला है। 4. नमूने दुग्ध को जमीन पर गिराकर (Pouring a few
drop of sample milk on the earth) दुग्ध की कुछ बूंदे
कच्ची जमीन पर गिरा दे यदि दुग्ध विशुद्ध है तो वह पानी को शोषित कर लेगी और उसके
ऊपर दुग्ध की सफेदी जम जाएगी। यदि सफेदी नही जमती उस स्थिति में दुग्ध में काफी
मात्रा में पानी का अपमिश्रण किया गया है। 5. दुग्ध को देखकर तथा बर्तन में हिलाकर (Looking at Milk
& shaking pot) - यदि दुग्ध पानी मिला है तो वह देखने
में हल्का नीलापन लिये होगा तथा बर्तन को हिलान पर पानी मिश्रित दुग्ध पतला होने
के कारण तेजी से हिलेगा। 6. दुग्ध को छानकर (Straining the
Milk) - यदि दुग्ध में बाहरी पदार्थ अथवा स्टार्च पदार्थ
मिले है तो वह छानने पर कॉटन पैड में दिखाई देते है। 7. दुग्ध से खोआ बनाकर (Making Khoa) - 1 लीटर दुग्ध से खोआ बनाये यदि इसकी
मात्रा शुद्ध दुग्ध से बने खोआ से कम है तो तब दुग्ध पानी से अपमिश्रित है। 8. 5 से 10ml नमूने
दुग्ध में बराबर मात्रा में पानी मिलाने पर Lateher बनते है उस स्थिति में detergent मिलने का
घोतक है। 9. दुग्ध की एक बूँद को किसी पॉलिश हुई तिरछी सतह (Slanting
Surface) पर रखें। शुद्ध दुग्ध या तो Surface पर स्थिर रहता है अथवा धीरे धीरे बहता है और पीछे एक सफेद निशान छोड जाता
है। जबकि पानी मिला दुग्ध कोई निशान नही छोडता तथा तुरन्त बह जाता है। सिन्थेटिक दुग्ध (Synthetic Milk) यह एक अच्छी तरह से डिजाइन किया गया पानी, युरिया, चीनी, सोडा, नमक, वनस्पति
तेल तथा साबुनीकृत पदार्थ का संयोजन है। जोकि शुद्ध दुग्ध के समान रंग व गाढेपन के
साथ मिलता है। सिन्थेटिक दुग्ध के अवयव व उनके कार्य 1. पानी - पानी का
उपयोग एक विलायक (Solvent) के रूप में किया जाता
है। जिससे इसमें सभी अन्य अवयवो को आसानी से घोला जा सके। यह दुग्ध में शुद्ध
दुग्ध की तरह स्थिरता प्रधान करता है। 2. यूरिया- यह
दुधिया सफेद रंग प्रदान करने तथा नाइट्रोजन की स्थिर को दुग्ध में बढाने के लिए
किया जाता है। 3. ग्लूकोज/चीनी- यह
दुग्ध में मिठास पैदा करने तथा गाढापन पैदा करने के लिए किया जाता है। 4. स्टार्च- यह
दुग्ध में अधिक गाढापन व सादृश्यता प्रदान करने के लिए किया जाता है। 5. उदासीनीकृत- इसके
रूप व दुग्ध में सोडियम कार्बोनेट अथवा सोडियम हाइड्रोक्साइड के रूप में मिलाकर
दुग्ध की अमलता को दूर करने के लिए किया जाता है। 6. डिटर्जेन्ट- यह
प्राकृतिक दुग्ध की तरह झाग पैदा करने के लिए किया जाता है। 7. वनस्पति तेल- यह
दुग्ध में वसा की पूर्ति के लिए करते है। सिन्थेटिक दुग्ध के विभिन्न अवयवो का मानव स्वास्थ पर
गम्भीर हानिकारक प्रभाव अपमिश्रण के रूप में पानी
की मिलावट दुग्ध में पानी की आपेक्षिक घनत्व को कम करने के साथ-साथ उसमें उपस्थित
सभी प्राकृतिक पोषक तत्वो की मात्रा भी आनुपातिक रूप में कम करता है साथ ही दूषित
पानी टाइफाईड, हैपाटाइटिस ए0,ई0, मस्तिष्क, ज्वर, हैजा आदि गम्भीर बीमारी पैदा करते है। चीनी व ग्लूकोज का
प्रयोग प्राकृतिक दुग्ध में लैक्टोज की तरह मिठास पैदा करने के लिए किया जाता है
जोकि डाइबिटीज से ग्रसित रोगियो के लिए हानिकारक है। यूरिया जोकि गाढापन के लिए
किया जाता है मनुष्यो में कैंसर जैसी गम्भीर बिमारी का कारण बनता हैै साथ में
गुर्दे व हद्रय सम्बन्धी बिमारियॉ भी पैदा होती है। डिजर्जेन्ट का प्रयोग विष
पदार्थ के रूप में कैंसर व गुर्दे सम्बन्धी बिमारियो की उत्पत्ति करता है।
डिटर्जेन्ट में पाये जाने वाला सोडियम,
लोरिल सल्फेट के रूप में
ऑख व मानव त्वचा में जलन पैदा करता है। इसके साथ-साथ प्रजनन समक्षता कम करना
न्यूरो विषान्त सम्बन्धी रोग तथा मृत्यु दर में वृद्वि पैदा करते है। उदासीनीकृत
के रूप में सोडियम का प्रयोग अन्तग्रर्हण के पश्चात् दस्त, पेट
दर्द व जलन आदि पैदा करते है। सिन्थेटिक दुग्ध से बना खोवा व दही उपरोक्त सभी
विकार पैदा करते है। सिन्थेटिक दुग्ध के जॉच के
घरेलू परीक्षण a. यह एक कडवा स्वाद छोडता है। b. अगॅुलियो के बीच रगडने पर साबुन जैसा एहसास कराता है। c. गर्म करने पर हल्का पीला हो जाता है। d. पानी की समान मात्रा मिलाकर अच्छी तरह हिलाये डिटर्जेट मिला
होने के कारण घना झाग बनाता है। जबकि शुद्ध दुग्ध हलचल के कारण बहुत पतली झाग की
परत बनाता है। e. एक कटोरी में एक चम्मच दुग्ध ले इसमें आधा चम्मच सोयाबीन या
अरहर पाउडर डाले तथा मिलाए 5 मिनट बाद एक लाल लिटमस पेपर को 30 सैकेण्ड के लिए
डुबाए यदि लाल लिटमान नीला रंग बदल ले तब दुग्ध यूरिया मिला सिन्थेटिक है। f. 3 ml नमूने दुग्ध को एक परखनली में लेकर इसमें 10 बूंद Hcl acid मिलाकर
एक चम्मच चीनी मिलाते है। 5 मिनट बाद मिश्रण का परीश्रण करने पर लाल रंग का विकसित
होना वनस्पति तेल मिला सिन्थेटिक दुग्ध का घोतक है। g. दुग्ध की कुछ बूंदो का साफ चिकनी फर्श पर गिरा दे असली
दुग्ध की बूंदे बहते हुए निशान छोड देगी। जबकि सिन्थेटिक दुग्ध की बूंदो से कोई
निशान नही बनेगा। Reference 1. Mathur M.P, Dutta Roy, D and Dinakar, P (1999) Text book of
Dairy Chemistry ICAR New Delhi. 2. Roy, N.K and Sen, D.C (1999) Text book of
Practical Dairy chemistry Kalyani Publisher. 3. Manual in Dairy Chemistry (1982) NDRI Press
ICAR- NDRI Benglore. 4. Bhati, S.S. and Lavania, G.S, (2000) Dairy Science
V.K Prakashan Baraut. 5. Rai M.M (1997) Dairy Chemistry and animal Nutrition Kalyani
Publishers & Laboraory method, Scientific Book Agency. 6. Chaudhary A.C (1959) – Dairy Science
and Laboraory method Scientific Book Agency.
7. Singh, T.B. (2000) Dairy Chemistry
& Animal Nurtition – Rama Publishing House Meerut. |